📋 Topics:-
Meaning:
वे संख्याएँ जिन्हें हम गिनती (counting) करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
👉 Counting starts from 1, 2, 3, 4, …
इन्हें Counting Numbers (गिनती की संख्याएँ) भी कहा जाता है।
Example:
1 apple, 2 pencils, 3 toys – ये सब natural numbers से गिने जाते हैं।
Zero (0) natural number नहीं है।
Daily Life Use:
बच्चे जब चीजें गिनते हैं — जैसे “मेरे पास 3 crayons हैं”, तो वे natural numbers का प्रयोग करते हैं।
Meaning:
Natural numbers में जब zero (0) भी जोड़ दिया जाए, तो वे Whole Numbers कहलाते हैं।
👉 Whole Numbers = 0, 1, 2, 3, 4, 5, …
Example:
0 pencils = कोई नहीं,
3 pencils = तीन pencils — दोनों whole numbers हैं।
Daily Life Use:
अगर किसी टोकरी में zero फल हैं, तो भी हम कहेंगे — “0 fruit” — यानी whole number का उपयोग हुआ।
Meaning:
ऐसी संख्याएँ जो 2 से पूरी तरह विभाजित (divisible by 2) होती हैं।
इनका last digit (अंतिम अंक) हमेशा 0, 2, 4, 6 या 8 होता है।
Example:
4 ÷ 2 = 2 (No remainder) ✅
7 ÷ 2 = 3 remainder 1 ❌
Daily Life Use:
अगर 6 chocolates दो बच्चों में बराबर बाँटी जाएँ, तो हर बच्चे को 3 मिलेंगी — evenly divided → Even Number।
Meaning:
ऐसी संख्याएँ जो 2 से विभाजित नहीं हो सकतीं, यानी divide करने पर remainder बचता है।
इनका last digit हमेशा 1, 3, 5, 7, 9 होता है।
Example:
5 ÷ 2 = 2 remainder 1 ❌ evenly नहीं बँटी।
Daily Life Use:
अगर 5 biscuits दो बच्चों में बाँटें, तो एक biscuit बच जाएगी → Odd Number।
Meaning:
किसी संख्या के प्रत्येक अंक (digit) का मान उसके स्थान (position) पर निर्भर करता है।
👉 Rightmost digit = Ones place, फिर Tens, Hundreds, Thousands...
Example:
In 345:
3 का place value = 3 × 100 = 300
4 का place value = 4 × 10 = 40
5 का place value = 5 × 1 = 5
Daily Life Use:
जब ₹345 लिखा होता है, तो ₹3 hundreds = ₹300 का मतलब होता है — यही place value है।
Meaning:
किसी अंक का खुद का असली मान, चाहे वह कहीं भी बैठा हो।
Example:
In 345, digit 4 की face value = 4 (चाहे वह tens place पर है, पर असली मान 4 ही रहेगा)।
Daily Life Use:
Face value बच्चे को यह समझने में मदद करती है कि अंक का खुद का “नाम” नहीं बदलता, सिर्फ उसकी जगह से उसका मूल्य बदलता है।
Meaning:
संख्याओं को दर्शाने का पुराना तरीका (ancient system) जो Latin letters (I, V, X, L, C, D, M) पर आधारित है।
CTET syllabus में I–XX तक basic form जरूरी है।
Example:
I = 1, V = 5, X = 10, XV = 15, XX = 20
Daily Life Use:
घड़ियों (clocks) या किताबों के अध्याय (Chapter IX, Chapter X) में Roman numerals दिखते हैं।
Meaning:
जब संख्याओं का क्रम (order) बदलने पर भी परिणाम नहीं बदलता।
लागू: Addition, Multiplication
नहीं लागू: Subtraction, Division
Example:
5 + 3 = 8 और 3 + 5 = 8 ✅
Daily Life Use:
2 बच्चों को 3-3 गेंद देना या 3 बच्चों को 2-2 गेंद देना → दोनों में कुल गेंदें 6 ही रहेंगी।
Meaning:
जब संख्याओं के समूह (grouping या bracket) बदलने से उत्तर न बदले।
लागू: Addition, Multiplication
Example:
(2 + 3) + 4 = 2 + (3 + 4) = 9 ✅
Daily Life Use:
3 दोस्तों में 9 टॉफियाँ बाँटते समय चाहे पहले दो को जोड़ो या बाद वाले को, कुल टॉफियाँ 9 ही रहेंगी।
Meaning:
जब गुणा (multiplication) को जोड़ (addition) या घटाव (subtraction) पर वितरित (distribute) किया जाता है।
👉 a × (b + c) = (a × b) + (a × c)
Example:
5 × (2 + 3) = (5 × 2) + (5 × 3) = 25 ✅
Daily Life Use:
अगर हर बच्चे को (2 pencils + 3 erasers) देने हैं और 5 बच्चे हैं, तो कुल वस्तुएँ = 5×2 + 5×3 = 25 होंगी।
Meaning:
जो संख्या किसी दूसरी संख्या को पूरी तरह divide (भाग) करती है, वह उसका factor है।
Example:
6 ÷ 3 = 2 → 3 is a factor of 6 ✅
Daily Life Use:
12 biscuits को बराबर हिस्सों में बाँटने के जितने तरीके हैं — वे 12 के factors हैं।
Meaning:
किसी संख्या को किसी भी Natural Number से multiply करने पर जो संख्या बने, उसे multiple कहते हैं।
Example:
Multiples of 4 → 4, 8, 12, 16, 20...
Daily Life Use:
अगर हर थैले में 4 apples हैं, तो 3 थैले में 12 apples होंगे — यानी 12, 4 का multiple है।
Meaning:
जिसके केवल दो factors (1 और स्वयं) हों।
2 एकमात्र even prime number है।
Example:
2, 3, 5, 7, 11 …
Daily Life Use:
7 टॉफियों को सिर्फ 1 या 7 बराबर हिस्सों में बाँट सकते हैं → 7 prime है।
Meaning:
जिसके दो से अधिक factors हों।
Example:
4 के factors: 1, 2, 4 → Composite number।
Daily Life Use:
6 biscuits को 2 बच्चों या 3 बच्चों में बराबर बाँटा जा सकता है → Composite number।
Meaning:
दो या अधिक संख्याओं के साझा (common) factors में से जो सबसे बड़ा हो, वही HCF है।
Example:
12 और 18 के common factors → 1, 2, 3, 6 → HCF = 6
Daily Life Use:
12 सेब और 18 आम बराबर बाँटने पर हर टोकरी में 6-6 फल रखे जा सकते हैं।
Meaning:
दो या अधिक संख्याओं के common multiples में से जो सबसे छोटा हो, वह LCM है।
Example:
4 और 6 के common multiples → 12, 24, 36 → LCM = 12
Daily Life Use:
एक बस हर 4 मिनट में आती है और दूसरी हर 6 मिनट में — दोनों एक साथ 12 मिनट बाद आएँगी → LCM concept।
Meaning:
दो संख्याओं का गुणनफल (product) = HCF × LCM होता है।
Example:
12 × 18 = 216
HCF (6) × LCM (36) = 216 ✅
Daily Life Use:
यह संबंध बड़े सवालों में आसान shortcut के रूप में काम आता है।
Meaning:
जब एक संख्या दूसरी से पूरी तरह divide हो जाए (remainder 0 आए)।
Example:
10 ÷ 5 = 2 → 10 is divisible by 5 ✅
Daily Life Use:
10 candies को 5 बच्चों में बराबर बाँट सकते हैं → divisible है।
Meaning:
जब दो संख्याओं के factors या multiples में कुछ एक जैसे हों।
👉 वही common कहलाते हैं।
Example:
12 के factors → 1, 2, 3, 4, 6, 12
18 के factors → 1, 2, 3, 6, 9, 18
Common → 1, 2, 3, 6
Meaning (सभी):
Dividend (भाज्य) → जिसे divide किया जा रहा है।
Divisor (भाजक) → जिससे divide कर रहे हैं।
Quotient (भागफल) → उत्तर (result)।
Remainder (शेषफल) → जो बचता है।
Example:
10 ÷ 3 = 3 remainder 1
👉 Dividend = 10, Divisor = 3, Quotient = 3, Remainder = 1
Natural Numbers: Counting numbers → start from 1.
Whole Numbers: Natural + 0.
Even Numbers: Divisible by 2 → end with 0,2,4,6,8.
Odd Numbers: Not divisible by 2 → end with 1,3,5,7,9.
Place Value: Depends on digit’s position.
Face Value: Actual value of the digit.
Roman Numerals: I to XX basic forms → I=1, V=5, X=10.
Commutative: Order change → result same (Add, Multiply).
Associative: Grouping change → result same (Add, Multiply).
Distributive: a×(b+c) = a×b + a×c.
Factors: Numbers that divide exactly.
Multiples: Numbers formed by multiplying.
Prime: Only 2 factors (1 & itself).
Composite: More than 2 factors.
HCF: Greatest common factor → division-based.
LCM: Smallest common multiple → repetition-based.
Relation: HCF × LCM = Product of numbers.
Divisible: Remainder = 0.
Number System का अर्थ है — संख्याओं को लिखने, गिनने और व्यवस्थित करने का तरीका।
यह बताता है कि हम कैसे संख्याओं को पढ़ते, लिखते, जोड़ते, घटाते और तुलना करते हैं।
हमारे जीवन में हर जगह — जैसे पैसे गिनना, समय बताना, दूरी मापना — सभी में संख्या पद्धति की ज़रूरत होती है।
सबसे सामान्य संख्या पद्धति Decimal System (दशमलव पद्धति) है, जो 10 digits (0–9) पर आधारित होती है।
🧩 Example:
हम जब बोलते हैं “5 students आए” या “10 रुपए खर्च हुए”, तो ये सब Number System का उपयोग है।
Natural Numbers वे संख्याएँ हैं जिनसे गिनती (Counting) शुरू होती है।
ये हमेशा 1 से शुरू होती हैं और आगे बढ़ती रहती हैं — 1, 2, 3, 4, 5, …
Zero (0) इसमें शामिल नहीं होता।
इन्हें Counting Numbers (गिनती की संख्याएँ) भी कहते हैं।
ये केवल positive (धनात्मक) संख्याएँ होती हैं।
🧩 Daily Life Example:
5 पेंसिल, 3 बच्चे, 10 आम — ये सब Natural Numbers हैं।
जब हम Natural Numbers में 0 जोड़ देते हैं, तो हमें Whole Numbers मिलते हैं।
इसलिए Whole Numbers का समूह होता है — 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, …
इसमें कोई negative number नहीं होता।
Whole Numbers में counting 0 से शुरू होती है।
ये भी गिनती और गणना के लिए उपयोग की जाती हैं।
🧩 Example:
अगर आपकी जेब में ₹0 हैं, तो इसका मतलब है कुछ भी नहीं — यानी 0 एक Whole Number है, लेकिन Natural Number नहीं।
वो संख्याएँ जिन्हें 2 से पूरी तरह विभाजित (Divisible by 2) किया जा सके, उन्हें Even Numbers कहते हैं।
ऐसे numbers को 2 से divide करने पर remainder (शेषफल) = 0 आता है।
ये हमेशा 0, 2, 4, 6, या 8 पर समाप्त होती हैं।
Even Numbers को हमेशा equal pairs (बराबर की जोड़ी) में बाँटा जा सकता है।
🧩 Example:
2, 4, 6, 8, 10, 12, …
💡 Classroom Example:
अगर 8 बच्चों को 2-2 की जोड़ी में बाँटा जाए, तो कोई बच्चा अकेला नहीं बचेगा — इसलिए 8 एक Even Number है।
वो संख्याएँ जो 2 से पूरी तरह विभाजित नहीं होतीं, उन्हें Odd Numbers कहते हैं।
इन्हें 2 से divide करने पर remainder = 1 आता है।
Odd Numbers हमेशा 1, 3, 5, 7, या 9 पर समाप्त होती हैं।
Odd Numbers को 2-2 की जोड़ी में बाँटने पर एक वस्तु हमेशा अकेली बच जाती है।
🧩 Example:
1, 3, 5, 7, 9, 11, 13, …
💡 Classroom Example:
अगर 7 बच्चों को 2-2 की जोड़ी में बाँटो, तो 1 बच्चा अकेला बचेगा — इसलिए 7 एक Odd Number है।
Place Value का अर्थ है — किसी संख्या में किसी अंक (digit) का उसके स्थान के अनुसार मूल्य।
Place Value = Digit × उसके स्थान का मान।
किसी अंक का स्थान (Place) बदलने से उसका मूल्य भी बदल जाता है।
हर अंक का स्थान अलग होता है — Ones (इकाइयाँ), Tens (दहाइयाँ), Hundreds (सैकड़े), Thousands (हज़ार), इत्यादि।
🧩 Example:
संख्या = 432
4 का स्थान Hundreds → Place Value = 4 × 100 = 400
3 का स्थान Tens → Place Value = 3 × 10 = 30
2 का स्थान Ones → Place Value = 2 × 1 = 2
💡 Daily Life Example:
संख्या 245 में "2" का मतलब 200 है, क्योंकि वह Hundreds place पर है।
Face Value किसी अंक का स्वयं का असली मान होता है, जो स्थान से नहीं बदलता।
इसका मतलब है कि चाहे अंक किसी भी स्थान पर हो, उसका Face Value वही रहेगा।
Face Value हमेशा अंक के बराबर होती है।
🧩 Example:
संख्या = 432
4 का Face Value = 4
3 का Face Value = 3
2 का Face Value = 2
💡 Comparison Example:
संख्या = 768
6 का Face Value = 6
लेकिन उसी 6 का Place Value = 60 (क्योंकि वह Tens place पर है)।
Place Value बदलती है क्योंकि वह स्थान पर निर्भर करती है।
Face Value कभी नहीं बदलती क्योंकि वह अंक का स्वयं का मान है।
उदाहरण:
456 में अंक 5 का Face Value = 5
उसी 5 का Place Value = 5 × 10 = 50
💡 Daily Life Example:
“2” अगर ₹200 में है, तो उसका Place Value 200 है, लेकिन उसका Face Value सिर्फ 2 है।
Natural Numbers (स्वाभाविक संख्याएँ) → 1, 2, 3, 4, 5,…
Whole Numbers (पूर्णांक) → 0, 1, 2, 3, 4, 5,…
Even Numbers (सम) → 2 से विभाज्य → 0, 2, 4, 6, 8,…
Odd Numbers (विषम) → 2 से विभाज्य नहीं → 1, 3, 5, 7, 9,…
Place Value (स्थानिक मान) → अंक × स्थान का मान
Face Value (मूल मान) → अंक का स्वयं का मान
मुख्य अंतर → Place Value बदलती है, Face Value नहीं बदलती।
Daily Use → पैसे गिनना, बच्चों की जोड़ी बनाना, वस्तुएँ मापना, आदि।
Roman Numerals एक प्राचीन संख्या पद्धति (Ancient Number System) है, जो Rome (रोम) में विकसित हुई थी।
इसमें संख्याएँ अक्षरों (Letters) से बनाई जाती हैं — जैसे I, V, X, L, C, D, M।
आज भी Roman Numerals का प्रयोग घड़ियों (Clocks), किताबों के अध्याय (Book Chapters), फिल्मों के भाग (Movie Parts) आदि में किया जाता है।
इस पद्धति में 0 (Zero) का कोई चिन्ह नहीं होता।
🧩 Daily Life Examples:
घड़ी में 1 से 12 तक Roman Numbers होते हैं — I, II, III, IV, V … XII
किताब के अध्याय (Chapter I, Chapter II, Chapter III...)
ओलंपिक गेम्स या फिल्मों के नाम (Example: Rocky IV, World War II)
Roman Numerals कुछ खास अक्षरों पर आधारित होते हैं।
हर अक्षर का Fixed Value (निश्चित मान) होता है।
इस topic में हमें I से XX तक (1 से 20 तक) सीखना है।
🔹 मुख्य अक्षर और उनके मान:
I = 1 (वन)
V = 5 (फाइव)
X = 10 (टेन)
बस इन तीन symbols (I, V, X) से हम 1 से 20 तक की सारी Roman संख्याएँ बना सकते हैं।
अगर कोई symbol बार-बार आता है, तो उसका मान जोड़ दिया जाता है (added)।
कोई symbol तीन बार से ज़्यादा नहीं दोहराया जाता।
🧩 Examples:
I = 1
II = 2 (1 + 1)
III = 3 (1 + 1 + 1)
❌ IIII नहीं लिखा जाता (क्योंकि चार बार repetition allowed नहीं है)
अगर छोटा symbol बड़े symbol के पहले आता है, तो उसका मान घटाया जाता है (subtracted)।
अगर छोटा symbol बड़े symbol के बाद आता है, तो उसका मान जोड़ा जाता है (added)।
🧩 Examples:
IV = 5 – 1 = 4
IX = 10 – 1 = 9
VI = 5 + 1 = 6
XI = 10 + 1 = 11
I केवल V (5) और X (10) से पहले रखा जा सकता है।
V कभी किसी symbol से पहले नहीं रखा जाता, क्योंकि उसे घटाया नहीं जा सकता।
X को L (50) या C (100) से पहले रखकर बड़े नंबर बनाए जाते हैं (पर ये higher range में आता है, अभी XX तक नहीं)।
चलो अब step-by-step देखते हैं कि 1 से 20 तक कैसे लिखते हैं —
1️⃣ I = 1
2️⃣ II = 2
3️⃣ III = 3
4️⃣ IV = 4
5️⃣ V = 5
6️⃣ VI = 6
7️⃣ VII = 7
8️⃣ VIII = 8
9️⃣ IX = 9
🔟 X = 10
अब 10 के बाद Roman numbers X (10) से शुरू होकर आगे बनते हैं —
11️⃣ XI = 10 + 1 = 11
12️⃣ XII = 10 + 2 = 12
13️⃣ XIII = 10 + 3 = 13
14️⃣ XIV = 10 + (5 - 1) = 14
15️⃣ XV = 10 + 5 = 15
16️⃣ XVI = 10 + 5 + 1 = 16
17️⃣ XVII = 10 + 5 + 2 = 17
18️⃣ XVIII = 10 + 5 + 3 = 18
19️⃣ XIX = 10 + (10 - 1) = 19
20️⃣ XX = 10 + 10 = 20
IIII को 4 के लिए लिखना — ❌ गलत है → सही रूप IV है।
VV को 10 के लिए लिखना — ❌ गलत है → सही रूप X है।
IIIIX जैसे symbols Roman system में नहीं होते।
हर Roman numeral में letters left से right लिखे जाते हैं और बड़े से छोटे क्रम में होते हैं (except subtraction cases)।
Clock Example:
बच्चों को दीवार घड़ी दिखाओ — बोलो “IV” कौन-सा number है? “IX” कहाँ है?
इससे बच्चों को visual understanding मिलती है।
Finger Counting Activity:
हर बच्चा अपनी उंगलियों से 1 से 10 तक Roman numerals बोले — I (1 finger), II (2 fingers), III (3 fingers)...
Matching Game:
बच्चों से Roman numerals को Indian numerals (1–20) से मिलवाओ।
जैसे “Find 9 — IX”, “Find 15 — XV” आदि।
1️⃣ Roman Numerals अक्षरों पर आधारित एक प्राचीन संख्या पद्धति है।
2️⃣ इसमें I, V, X, L, C, D, M symbols प्रयोग होते हैं (अभी हमने I–X तक सीखा)।
3️⃣ मुख्य symbols: I = 1, V = 5, X = 10
4️⃣ Repetition Rule: Symbol तीन बार से ज़्यादा नहीं दोहराया जाता।
5️⃣ Subtraction Rule: छोटा symbol बड़े symbol से पहले आने पर घटाया जाता है (IV = 4)।
6️⃣ Addition Rule: छोटा symbol बड़े symbol के बाद आने पर जोड़ा जाता है (VI = 6)।
7️⃣ I–XX तक Roman Numbers:
I से X तक → 1 से 10
XI से XX तक → 11 से 20
8️⃣ Common Mistake: “IIII” या “VV” Roman numerals में नहीं होते।
9️⃣ Practical Use: Clocks, Chapters, Movie titles, Olympic Games आदि में।
Operations on Numbers का मतलब है — संख्याओं पर गणितीय क्रियाएँ (Mathematical Actions) करना।
मुख्य चार क्रियाएँ होती हैं —
Addition (जोड़ना)
Subtraction (घटाना)
Multiplication (गुणा करना)
Division (भाग देना)
इन क्रियाओं से हम संख्या के बीच संबंध (relationship) और परिणाम (result) जान पाते हैं।
इनका प्रयोग हम दैनिक जीवन (daily life) में लगातार करते हैं — जैसे पैसे जोड़ना, वस्तुएँ बाँटना, समान वस्तुओं को दोहराना आदि।
Addition का अर्थ है दो या अधिक संख्याओं को जोड़कर कुल (Total / Sum) निकालना।
इसे हम कहते हैं — Putting together (एक साथ मिलाना) या Finding total।
Addition में उत्तर को Sum (योगफल) कहते हैं।
🧩 Examples:
3 + 2 = 5 → इसका मतलब है तीन और दो को मिलाकर पाँच।
अगर एक बच्चे के पास 4 टॉफियाँ हैं और उसकी बहन ने 3 और दीं → कुल टॉफियाँ = 4 + 3 = 7 टॉफियाँ।
💡 Daily Life Example:
“कक्षा में 18 लड़के और 12 लड़कियाँ हैं। कुल विद्यार्थी = 18 + 12 = 30।”
Order बदलने से (Changing order) उत्तर नहीं बदलता।
→ 5 + 3 = 3 + 5 = 8
इसे कहते हैं Commutative Property of Addition (विनिमेय गुण)।
अगर किसी संख्या में 0 जोड़ा जाए, तो परिणाम वही संख्या होता है।
→ 7 + 0 = 7
इसे कहते हैं Identity Property of Addition (पहचान गुण)।
Subtraction का अर्थ है दो संख्याओं के बीच का अंतर (Difference) निकालना।
यह बताता है कि कितना कम (How much less) या कितना बचा (How much left)।
इसमें परिणाम को Difference (अंतर) कहते हैं।
🧩 Examples:
8 − 3 = 5 → आठ में से तीन घटाने पर पाँच बचते हैं।
अगर एक बच्चे के पास 10 पेंसिल थीं और उसने 4 दीं → बचीं = 10 − 4 = 6 पेंसिलें।
💡 Daily Life Example:
“कक्षा में 40 विद्यार्थी हैं, 5 अनुपस्थित हैं। उपस्थित विद्यार्थी = 40 − 5 = 35।”
Order बदलने से उत्तर बदल जाता है, इसलिए Subtraction commutative नहीं है।
→ 9 − 4 ≠ 4 − 9
किसी संख्या में से 0 घटाने पर, परिणाम वही संख्या होता है।
→ 7 − 0 = 7
दो समान संख्याओं का अंतर हमेशा 0 होता है।
→ 6 − 6 = 0
Multiplication का अर्थ है Repeated Addition (बार-बार जोड़ना)।
यानी जब एक ही संख्या को कई बार जोड़ना हो, तो हम उसे गुणा से व्यक्त करते हैं।
परिणाम को Product (गुणनफल) कहते हैं।
🧩 Examples:
3 × 4 = 12 → मतलब 4 को 3 बार जोड़ा गया (4 + 4 + 4 = 12)
अगर एक डिब्बे में 5 पेंसिल हैं और ऐसे 6 डिब्बे हैं → कुल पेंसिल = 5 × 6 = 30 पेंसिलें।
💡 Daily Life Example:
“1 पेन की कीमत ₹10 है, तो 5 पेन की कुल कीमत = 10 × 5 = ₹50।”
Order बदलने से उत्तर नहीं बदलता →
3 × 5 = 5 × 3 = 15
इसे कहते हैं Commutative Property of Multiplication (विनिमेय गुण)।
किसी संख्या को 1 से गुणा करने पर, परिणाम वही संख्या होता है।
→ 9 × 1 = 9
इसे कहते हैं Identity Property of Multiplication (पहचान गुण)।
किसी संख्या को 0 से गुणा करने पर, परिणाम हमेशा 0 होता है।
→ 7 × 0 = 0
Division का अर्थ है समान बाँटना (Equal Sharing) या Repeated Subtraction (बार-बार घटाना)।
इसमें हम किसी संख्या को बराबर भागों (Equal parts) में बाँटते हैं।
Division के भाग होते हैं:
Dividend (भाज्य) → जिसे बाँटना है
Divisor (भाजक) → जिससे बाँटना है
Quotient (भागफल) → परिणाम
Remainder (शेषफल) → जो बचा
🧩 Example:
12 ÷ 3 = 4
→ मतलब 12 वस्तुएँ 3 लोगों में बराबर बाँटी जाएँ, तो हर व्यक्ति को 4 मिलें।
💡 Daily Life Example:
“15 मिठाइयाँ 5 बच्चों में बराबर बाँटनी हैं → हर बच्चे को 15 ÷ 5 = 3 मिठाइयाँ मिलेंगी।”
किसी संख्या को 1 से बाँटने पर, परिणाम वही संख्या होता है।
→ 9 ÷ 1 = 9
किसी संख्या को उसी संख्या से बाँटने पर, परिणाम 1 होता है।
→ 8 ÷ 8 = 1
किसी संख्या को 0 से बाँटा नहीं जा सकता (Division by Zero not possible)।
0 को किसी भी संख्या से बाँटने पर परिणाम 0 होता है।
→ 0 ÷ 5 = 0
Word Problems में बच्चे को समझना होता है कि सवाल में कौन-सी operation (क्रिया) करनी है — जोड़, घटाव, गुणा या भाग।
“Ravi के पास 35 सेब हैं और Reena के पास 25 सेब हैं। दोनों के पास कुल कितने सेब हैं?”
→ 35 + 25 = 60 सेब
“एक बस में 50 यात्री थे, 18 उतर गए। अब बस में कितने यात्री बचे?”
→ 50 − 18 = 32 यात्री
“एक बैग की कीमत ₹250 है। 4 बैग की कीमत क्या होगी?”
→ 250 × 4 = ₹1000
“24 चॉकलेट 6 बच्चों में बराबर बाँटी गईं। हर बच्चे को कितनी मिलीं?”
→ 24 ÷ 6 = 4 चॉकलेट
Concrete Objects (वास्तविक वस्तुओं) से सिखाएँ — जैसे टॉफी, ब्लॉक्स, पेंसिल।
Story Problems बनाकर बच्चों को जोड़, घटाव, गुणा, भाग सिखाएँ।
Drawing or Grouping Method का उपयोग करें ताकि बच्चे visual तरीके से समझें।
हमेशा बच्चों से अभ्यास (Practice) करवाएँ ताकि वे operation पहचानना सीखें।
1️⃣ Addition (जोड़) – मिलाना या कुल निकालना।
2️⃣ Subtraction (घटाना) – अंतर या बाकी निकालना।
3️⃣ Multiplication (गुणा) – बार-बार जोड़ना।
4️⃣ Division (भाग) – बराबर बाँटना या घटाना।
5️⃣ Addition में order बदलने से उत्तर नहीं बदलता (Commutative)।
6️⃣ Subtraction में order बदलने से उत्तर बदलता है।
7️⃣ Multiplication में 1 से गुणा करने पर संख्या वही रहती है, 0 से करने पर 0 होती है।
8️⃣ Division में 0 से बाँटना संभव नहीं है।
9️⃣ Word Problems में पहले समझो – सवाल “जोड़”, “घटाव”, “गुणा” या “भाग” वाला है।
10️⃣ Daily Life में उपयोग: पैसे गिनना, वस्तुएँ बाँटना, सामान खरीदना, अंक जोड़ना आदि।
Properties of Numbers का मतलब है — संख्याओं पर होने वाली क्रियाओं (Operations) के कुछ निश्चित नियम (Fixed Rules), जो हमेशा सही होते हैं।
ये गुण हमें यह समझने में मदद करते हैं कि Addition (जोड़), Subtraction (घटाव), Multiplication (गुणा) और Division (भाग) के परिणाम कैसे बदलते या नहीं बदलते।
गणित में तीन मुख्य गुण होते हैं —
Commutative Property (विनिमेय गुण)
Associative Property (सहचर गुण)
Distributive Property (वितरण गुण)
ये गुण बच्चों को गणना (calculation) को सरल, तेज़ और तार्किक ढंग से करने में मदद करते हैं।
Commutative शब्द “commute” से बना है, जिसका अर्थ है स्थान बदलना (to interchange places)।
इसका मतलब है कि जब संख्याओं का क्रम (order) बदला जाए, तो भी उत्तर (result) नहीं बदलता।
यह गुण Addition (जोड़) और Multiplication (गुणा) पर लागू होता है, लेकिन Subtraction (घटाव) और Division (भाग) पर नहीं।
🧩 Examples:
Addition:
4 + 3 = 7
3 + 4 = 7
👉 क्रम बदलने पर भी योगफल (Sum) समान है।
Multiplication:
5 × 6 = 30
6 × 5 = 30
👉 क्रम बदलने पर भी गुणनफल (Product) समान है।
💡 Not for Subtraction / Division:
8 − 5 = 3 लेकिन 5 − 8 = −3 → ❌ समान नहीं।
10 ÷ 2 = 5 लेकिन 2 ÷ 10 = 0.2 → ❌ समान नहीं।
💡 Daily Life Example:
अगर 2 बच्चों के पास 3–3 गेंदें हैं या 3 बच्चों के पास 2–2 गेंदें हैं, तो दोनों ही मामलों में कुल गेंदें = 6 → क्रम बदलने से परिणाम नहीं बदलता।
Associative का अर्थ है समूह बनाना (to group or associate numbers)।
इस गुण के अनुसार, जब तीन या अधिक संख्याओं पर कोई क्रिया की जाती है, तो समूह (bracket) बदलने से उत्तर नहीं बदलता।
यह गुण भी Addition और Multiplication पर लागू होता है, लेकिन Subtraction और Division पर नहीं।
🧩 Examples:
Addition:
(2 + 3) + 4 = 5 + 4 = 9
2 + (3 + 4) = 2 + 7 = 9
👉 समूह (bracket) बदलने पर भी योगफल समान है।
Multiplication:
(2 × 3) × 4 = 6 × 4 = 24
2 × (3 × 4) = 2 × 12 = 24
👉 समूह बदलने पर भी गुणनफल समान है।
💡 Not for Subtraction / Division:
(8 − 4) − 2 = 4 − 2 = 2
लेकिन 8 − (4 − 2) = 8 − 2 = 6 → ❌ समान नहीं
(12 ÷ 3) ÷ 2 = 4 ÷ 2 = 2
लेकिन 12 ÷ (3 ÷ 2) = 12 ÷ 1.5 = 8 → ❌ समान नहीं
💡 Daily Life Example:
अगर 2 बच्चों के पास 3 टॉफियाँ हैं और तीसरे बच्चे को 4 टॉफियाँ दी जाती हैं, तो चाहे पहले दो का समूह बनाओ या बाद के दो का, कुल टॉफियाँ = 9 ही होंगी।
Distributive शब्द “distribute” से बना है, जिसका अर्थ है वितरित करना (to distribute or spread)।
यह गुण Multiplication over Addition / Subtraction पर लागू होता है।
इसका अर्थ है — जब किसी संख्या को दो संख्याओं के जोड़ या घटाव से गुणा किया जाए, तो उसे अलग-अलग गुणा करके फिर जोड़ा या घटाया जा सकता है।
🧩 Rule:
👉 a × (b + c) = (a × b) + (a × c)
👉 a × (b − c) = (a × b) − (a × c)
🧩 Examples:
5 × (6 + 2) = (5 × 6) + (5 × 2)
→ 5 × 8 = 40
→ 30 + 10 = 40 ✅
दोनों का परिणाम समान है।
4 × (10 − 6) = (4 × 10) − (4 × 6)
→ 4 × 4 = 16
→ 40 − 24 = 16 ✅
💡 Daily Life Example:
अगर एक कॉपी ₹10 की है और एक पेंसिल ₹5 की है, और आपको 4 सेट लेने हैं —
तो आप (10 + 5) × 4 = ₹60
या
(10 × 4) + (5 × 4) = ₹40 + ₹20 = ₹60
👉 दोनों का परिणाम समान है।
💡 Classroom Example:
Teacher बच्चों से कहे — “अगर 6 बच्चों को हर एक को (2 पेंसिल + 1 रबर) मिले, तो कुल वस्तुएँ?”
→ 6 × (2 + 1) = 6 × 3 = 18
→ (6 × 2) + (6 × 1) = 12 + 6 = 18
→ उत्तर समान, गुण समान रूप से वितरित हुआ।
ये गुण गणना (calculation) को आसान और तेज़ बनाते हैं।
बच्चों में तार्किक सोच (logical thinking) और pattern समझने की क्षमता बढ़ाते हैं।
ये गुण mental math (मानसिक गणना) के लिए बहुत उपयोगी हैं।
बड़े संख्याओं की गणना में steps को कम करने में मदद करते हैं।
ये गुण mathematical reasoning में भी उपयोगी होते हैं (CTET के pedagogy questions में आते हैं)।
1️⃣ Commutative Property (विनिमेय गुण)
संख्याओं का क्रम बदलने पर परिणाम नहीं बदलता।
लागू: Addition, Multiplication
नहीं लागू: Subtraction, Division
Example → 3 + 5 = 5 + 3
2️⃣ Associative Property (सहचर गुण)
समूह (brackets) बदलने पर परिणाम नहीं बदलता।
लागू: Addition, Multiplication
नहीं लागू: Subtraction, Division
Example → (2 + 3) + 4 = 2 + (3 + 4)
3️⃣ Distributive Property (वितरण गुण)
गुणा को जोड़ या घटाव पर वितरित किया जा सकता है।
Rule → a × (b + c) = (a × b) + (a × c)
Example → 5 × (6 + 2) = (5 × 6) + (5 × 2)
4️⃣ ये तीनों गुण गणना को आसान बनाते हैं और बच्चों को pattern व logic समझने में मदद करते हैं।
Factor (गुणक) वह संख्या होती है जो किसी संख्या को पूरी तरह भाग देती है यानी remainder (शेषफल) = 0 आता है।
हर संख्या के कम से कम दो factors होते हैं — 1 और वह संख्या स्वयं।
जब हम कहते हैं "6 के factors", तो इसका मतलब है — वे सभी संख्याएँ जो 6 को पूरी तरह divide कर सकती हैं।
🧩 Examples:
6 के factors → 1, 2, 3, 6
क्योंकि 6 ÷ 1 = 6, 6 ÷ 2 = 3, 6 ÷ 3 = 2, 6 ÷ 6 = 1
10 के factors → 1, 2, 5, 10
💡 Daily Life Example:
अगर 12 chocolates को बच्चों में बराबर बाँटना है, तो कितने बच्चों में बाँटने पर बराबर बाँट सकते हैं?
→ 1, 2, 3, 4, 6, 12 — यही उसके factors हैं।
Multiple (गुणज) किसी संख्या को किसी भी natural number से गुणा करने पर प्राप्त होने वाला परिणाम होता है।
हर संख्या के अनंत multiples (infinite multiples) होते हैं।
सबसे पहला multiple वही संख्या स्वयं होती है।
🧩 Examples:
3 के multiples → 3, 6, 9, 12, 15, …
5 के multiples → 5, 10, 15, 20, 25, …
💡 Daily Life Example:
अगर हर पैकेट में 5 biscuits हैं, तो 2 पैकेट = 10 biscuits, 3 पैकेट = 15 biscuits — ये सभी 5 के multiples हैं।
Factor किसी संख्या को divide करता है।
Multiple किसी संख्या को multiply करने पर बनता है।
Factors सीमित (finite) होते हैं, जबकि Multiples अनंत (infinite) होते हैं।
Example:
4 के factors → 1, 2, 4
4 के multiples → 4, 8, 12, 16, …
💡 Simple way to remember:
👉 Factor divides, Multiple multiplies.
Prime Numbers वे संख्याएँ होती हैं जिनके सिर्फ दो factors होते हैं — 1 और वही संख्या स्वयं।
ये किसी अन्य संख्या से divide नहीं होतीं।
Smallest prime number = 2
2 एकमात्र even prime number है, बाकी सभी odd primes होते हैं।
🧩 Examples:
2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19 …
💡 Daily Life Example:
अगर कोई संख्या सिर्फ 1 और अपने आप से ही समान रूप से बाँट सकती है, तो वह prime है — जैसे 7 chocolates को बराबर बाँटने का केवल एक ही तरीका है (1 या 7 हिस्सों में)।
Composite Numbers वे संख्याएँ होती हैं जिनके दो से अधिक factors होते हैं।
यानी वे संख्याएँ जो 1 और अपने आप के अलावा अन्य संख्याओं से भी divide हो सकती हैं।
Smallest composite number = 4
🧩 Examples:
4 → factors (1, 2, 4)
6 → factors (1, 2, 3, 6)
8 → factors (1, 2, 4, 8)
💡 Note:
1 ना prime है, ना composite, क्योंकि उसके केवल एक ही factor (1) है।
दो या अधिक संख्याओं के common factors (साझा गुणक) में से जो सबसे बड़ा हो, उसे HCF या GCF (Greatest Common Factor) कहते हैं।
यह बताता है कि किसी चीज़ को सबसे बड़े समान हिस्सों में कैसे बाँटा जा सकता है।
🧩 Example:
12 के factors → 1, 2, 3, 4, 6, 12
18 के factors → 1, 2, 3, 6, 9, 18
Common factors → 1, 2, 3, 6
👉 HCF = 6
💡 Daily Life Example:
12 सेब और 18 आमों को बराबर टोकरी में बाँटना है ताकि हर टोकरी में समान संख्या में फल हों।
👉 HCF = 6 → हर टोकरी में 6 फल (2 सेब + 3 आम) रख सकते हैं।
💡 Classroom Tip:
Teacher बच्चों से “सबसे बड़ी संख्या जो दोनों को divide कर सके” पूछकर HCF की अवधारणा समझा सकता है।
दो या अधिक संख्याओं के common multiples (साझा गुणज) में से जो सबसे छोटा हो, उसे LCM कहते हैं।
यह बताता है कि किस समय या बिंदु पर दो घटनाएँ एक साथ होंगी।
🧩 Example:
Multiples of 4 → 4, 8, 12, 16, 20, 24, …
Multiples of 6 → 6, 12, 18, 24, 30, …
Common multiples → 12, 24, 36, …
👉 LCM = 12
💡 Daily Life Example:
अगर एक बस हर 4 मिनट में आती है और दूसरी हर 6 मिनट में, तो दोनों एक साथ कब आएँगी?
👉 हर 12 मिनट पर → यानी LCM = 12 मिनट।
💡 Classroom Tip:
LCM का concept "repeating events" से जोड़ा जा सकता है — जैसे दो बच्चे कूदते हुए साथ कब मिलेंगे।
किसी भी दो संख्याओं के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध होता है —
👉 HCF × LCM = Product of the two numbers (दोनों संख्याओं का गुणनफल)
🧩 Example:
For 12 and 18 →
HCF = 6, LCM = 36
→ 6 × 36 = 216
→ 12 × 18 = 216 ✅
💡 Useful Formula (समीकरण):
HCF × LCM = a × b
ये संख्याओं की रचना और संबंध (structure & relationship) समझने में मदद करते हैं।
Fraction simplification, LCM-HCF, और word problems हल करने के लिए आवश्यक हैं।
बच्चों में logical reasoning और pattern identification की क्षमता बढ़ाते हैं।
ये concepts division, time, measurement, ratio आदि में बार-बार उपयोग होते हैं।
1️⃣ Factor (गुणक) → जो संख्या को divide करे।
Example → 12 के factors: 1, 2, 3, 4, 6, 12
2️⃣ Multiple (गुणज) → जो संख्या से multiply करने पर बने।
Example → 3 के multiples: 3, 6, 9, 12, 15…
3️⃣ Prime Numbers (अभाज्य) → केवल दो factors (1 और स्वयं) → 2, 3, 5, 7...
4️⃣ Composite Numbers (संयुक्त) → दो से अधिक factors → 4, 6, 8, 9...
5️⃣ HCF (महत्तम समापवर्तक) → सबसे बड़ा साझा factor → Common parts निकालने में काम आता है।
6️⃣ LCM (लघुत्तम समापवर्त्य) → सबसे छोटा साझा multiple → Events को synchronize करने में काम आता है।
7️⃣ Relation: HCF × LCM = Product of two numbers.
📋 Topics:-
1. Fraction (भिन्न)
Meaning: Fraction = किसी पूरे (whole) को बराबर हिस्सों में बाँटना और उनमें से कुछ हिस्से लेना।
Example: ½ → एक रोटी को 2 हिस्सों में बाँटा और 1 हिस्सा लिया।
Daily Life Use: आधा litre दूध, आधा chocolate bar।
2. Numerator (अंश)
Meaning: Fraction का ऊपर वाला हिस्सा, जो बताता है कितने हिस्से लिए गए हैं।
Example: 3/4 → 3 = numerator → 3 हिस्से लिए गए।
Daily Life Use: 4 टॉफियों में से 3 टॉफियाँ खा ली → numerator = 3।
3. Denominator (हर)
Meaning: Fraction का नीचे वाला हिस्सा, जो बताता है पूरा कितने हिस्सों में बाँटा गया।
Example: 3/4 → 4 = denominator → पूरा 4 हिस्सों में बाँटा गया।
Daily Life Use: 4 equal slices of cake → denominator = 4।
4. Proper Fraction (साधारण भिन्न)
Meaning: Numerator < Denominator → value < 1
Example: 3/5, 2/7
Daily Life Use: 5 में से 3 हिस्से chocolate → 3/5 chocolate eaten.
5. Improper Fraction (असाधारण भिन्न)
Meaning: Numerator ≥ Denominator → value ≥ 1
Example: 7/4, 9/8
Daily Life Use: 4 में से 7 slices pizza → 7/4 pizza eaten → 1 whole + 3/4.
6. Mixed Fraction (मिश्र भिन्न)
Meaning: Whole number + Proper fraction
Example: 1 3/4
Daily Life Use: 1 whole pizza और ¾ pizza remaining.
7. Equivalent Fraction (समान भिन्न)
Meaning: Different fraction लेकिन value same
Example: 1/2 = 2/4 = 3/6
Daily Life Use: ½ chocolate = 2/4 chocolate = 3/6 chocolate
8. Simplification (सरलीकरण)
Meaning: Fraction को lowest term में लाना
Example: 6/12 → 1/2
Daily Life Use: 6 out of 12 candies eaten → simplified → ½
9. Reciprocal (प्रतिलोम)
Meaning: Fraction को उलटना → numerator ↔ denominator
Example: Reciprocal of 2/3 = 3/2
Daily Life Use: Dividing pizza slices → 2/3 ÷ 1/2 → multiply by reciprocal.
1. Decimal (दशमलव)
Meaning: Whole number + fractional part separated by decimal point
Example: 2.5 → 2 whole + 0.5 fractional
Daily Life Use: ₹2.50 → 2 rupees + 50 paisa
2. Decimal Point (दशमलव बिंदु)
Meaning: Whole और fractional part अलग करने वाला चिन्ह (.)
Example: 3.75 → 3 = whole, 75 = fractional
Daily Life Use: Money, measurements, distances
3. Place Value (स्थानिक मान)
Meaning: किसी number में किसी digit का value
Example: 23.456 → 4 = tenths, 5 = hundredths
Daily Life Use: Classroom coins / money → understanding units
4. Tenths / Hundredths / Thousandths (दसवाँ / सौवाँ / हजारवाँ भाग)
Meaning: Fractional part divided by 10, 100, 1000
Example: 0.75 → 7 tenths + 5 hundredths
Daily Life Use: Measurement in litres / metres / money
5. Conversion (रूपांतरण)
Meaning: Fraction ↔ Decimal
Example: ½ = 0.5; 0.25 = 1/4
Daily Life Use: ¾ glass milk = 0.75 glass
1. Addition (जोड़ना)
Meaning: Numbers या fractions/decimals को मिलाना
Example: 1/2 + 1/4 = 3/4
Daily Life Use: ₹2 + ₹1.50 = ₹3.50
2. Subtraction (घटाना)
Meaning: Difference निकालना
Example: 5/6 – 1/3 = 1/2
Daily Life Use: 5 chocolates – 2 eaten = 3 remaining
3. Multiplication (गुणा)
Meaning: Repeated addition / cross multiply fractions
Example: 2/3 × 3/4 = 6/12 = 1/2
Daily Life Use: ½ chocolate × 2 people = 1 chocolate
4. Division (भाग)
Meaning: Fraction ÷ Fraction = Multiply by reciprocal
Example: 3/4 ÷ 2/3 = 9/8
Daily Life Use: Sharing ¾ cake among 2/3 persons
1. Pattern (पैटर्न)
Meaning: Repeated sequence of numbers/shapes based on a rule
Example: 2, 4, 6, 8 → +2 pattern
Daily Life Use: Wall tiles, dress designs
2. Number Pattern (संख्या पैटर्न)
Meaning: Numbers arranged in specific logical sequence
Example: 1, 2, 4, 8 → ×2 pattern
Daily Life Use: Classroom counting exercises
3. Shape Pattern (आकृति पैटर्न)
Meaning: Shapes repeated according to rule
Example: 🔺⚪🔺⚪ → alternate pattern
Daily Life Use: Board decoration, classroom tiles
4. Odd-One-Out (अलग वस्तु)
Meaning: जो pattern या rule को follow नहीं करती
Example: 2, 4, 6, 8, 11 → Odd-One-Out = 11
Daily Life Use: Spot the odd item games, worksheets
Fractions:
Proper <1, Improper ≥1, Mixed = Whole+Proper
Equivalent fractions = same value
Simplify by HCF, Reciprocal for division
Decimals:
Decimal point separates whole & fractional part
Tenths, Hundredths, Thousandths
Conversion: Fraction ↔ Decimal
Operations: align decimal points for +/–, multiply/divide as normal rules
Patterns:
Number Patterns: +, –, ×, ÷, skip counting, alternate
Shape Patterns: shape, size, colour, position, rotation
Odd-One-Out = item not following the rule
Daily Life Integration: Money, measurement, food division, classroom activities, tiles, designs
Fraction (भिन्न) का अर्थ है – किसी पूरे (whole) को बराबर भागों में बाँटना और उनमें से कुछ भाग लेना।
➤ English word “fraction” = “to break” (टुकड़ों में बाँटना)।
जब कोई वस्तु बराबर हिस्सों में बाँटी जाती है, तो हर हिस्सा fraction कहलाता है।
Example:
1 रोटी को 4 बराबर टुकड़ों में बाँटा गया।
अगर तुमने 1 टुकड़ा खाया → तुम्हारा हिस्सा = 1/4 (one-fourth)।
यहाँ 1 = numerator (अंश) और 4 = denominator (हर) है।
Numerator (अंश) बताता है कि हमने कितने हिस्से लिए हैं।
Denominator (हर) बताता है कि पूरे को कितने बराबर हिस्सों में बाँटा गया है।
👉 Fraction = Numerator / Denominator
जिसमें numerator < denominator हो।
ऐसे fractions हमेशा 1 से छोटे (less than one) होते हैं।
Example: 1/2, 3/5, 7/8
🍰 अगर 8 हिस्सों में से 3 हिस्से लिए → 3/8 (proper fraction)।
जिसमें numerator ≥ denominator हो।
ऐसे fractions हमेशा 1 या 1 से बड़े (greater than or equal to one) होते हैं।
Example: 5/3, 7/4, 8/8
🍎 अगर 4 हिस्सों में से 7 हिस्से लिए गए → 7/4 = improper fraction।
यह एक पूरा (whole number) और एक proper fraction का मिला-जुला रूप होता है।
Improper fraction को हम mixed fraction में बदल सकते हैं।
Example:
7/4 = 1 whole + 3/4 = 1¾
(Divide करके remainder को numerator बनाते हैं)
Daily Life Use:
1 whole pizza और उसका ¾ हिस्सा → 1¾ pizzas।
जिन fractions के denominator (हर) समान हों।
इन्हें जोड़ना/घटाना आसान होता है।
Example: 2/7, 3/7, 5/7 → Like fractions।
जिनके denominator अलग-अलग हों।
इन्हें जोड़ने या घटाने के लिए पहले LCM निकालना पड़ता है।
Example: 1/2, 1/3, 1/4
जिनका numerator = 1 होता है।
यह एक भाग (one part) को दर्शाता है।
Example: 1/2, 1/3, 1/5
जो fractions दिखने में अलग हों, लेकिन मूल्य (value) समान हो।
Numerator और Denominator को एक ही संख्या से गुणा या भाग करने पर equivalent fractions बनते हैं।
Example:
1/2 = 2/4 = 3/6 = 4/8
🍕 आधी pizza चाहे 2 में बाँटो या 8 में – खाया हिस्सा समान रहेगा।
किसी fraction को उसके सबसे छोटे रूप (lowest form) में बदलना = Simplification।
इसके लिए numerator और denominator को उनके HCF (महत्तम समापवर्तक) से divide किया जाता है।
Example:
6/12 → divide by 6 → 1/2 (simplified form)
Daily Life Example:
अगर 12 toffees में से 6 खाई गईं, तो हिस्सा = 6/12 = 1/2 → “आधी” toffees।
Case 1: Like Fractions → Directly add numerators.
Denominator same रहता है।
Example: 2/7 + 3/7 = (2+3)/7 = 5/7
Case 2: Unlike Fractions →
पहले LCM लेकर समान denominator बनाओ।
फिर add करो।
Example: 1/2 + 1/3
→ LCM of 2,3 = 6
→ 1/2 = 3/6, 1/3 = 2/6
→ 3/6 + 2/6 = 5/6
Daily Life Example:
अगर आधा केक माँ ने खाया और एक-तिहाई पिता ने, तो दोनों ने मिलकर 5/6 केक खाया।
Case 1: Like Fractions → Directly subtract numerators.
Example: 5/9 – 2/9 = (5–2)/9 = 3/9 = 1/3
Case 2: Unlike Fractions → पहले LCM लेकर denominators समान बनाओ।
Example: 3/4 – 1/6
LCM = 12 → 9/12 – 2/12 = 7/12
Numerators को आपस में और denominators को आपस में multiply करते हैं।
Formula:
a/b × c/d = (a×c) / (b×d)
Example:
2/3 × 4/5 = 8/15
Daily Life Use:
अगर एक chocolate का ⅔ भाग बचा है और तुम उसका ½ हिस्सा खाते हो →
मतलब तुमने ½ of ⅔ = ⅓ chocolate खाई।
जब किसी fraction को दूसरे fraction से divide करना हो, तो दूसरे fraction को उलट (reciprocal) करके multiply करते हैं।
Formula:
a/b ÷ c/d = a/b × d/c
Example:
3/5 ÷ 2/3 = 3/5 × 3/2 = 9/10
Daily Life Example:
अगर 3/5 cake को 2 बच्चों में बराबर बाँटना है → हर बच्चे को 9/10 हिस्सा मिलेगा।
Improper → Mixed: Divide numerator by denominator.
Quotient = whole part
Remainder/denominator = fractional part
Example: 7/3 = 2 whole and 1/3 → 2⅓
Mixed → Improper:
Multiply denominator × whole number + numerator.
Example: 2⅓ = (3×2)+1 / 3 = 7/3
Fraction का प्रयोग खाना बाँटने, समय मापने, दूरी, और पैसों में किया जाता है।
आधा घंटा = ½ hour
एक चौथाई किलो = ¼ kg
आधा लीटर दूध = ½ litre
Classroom में fractions सिखाने के लिए pizza, paper folding, chocolate bar आदि का उपयोग किया जा सकता है।
Fraction = Part of a Whole (किसी पूरे का भाग)।
Numerator (अंश): लिए गए भागों की संख्या।
Denominator (हर): पूरे को बाँटे गए भागों की संख्या।
Proper: numerator < denominator.
Improper: numerator ≥ denominator.
Mixed: whole + proper fraction.
Like Fractions: same denominator.
Unlike Fractions: different denominators → LCM required.
Equivalent Fractions: same value, e.g., 1/2 = 2/4.
Simplification: divide by HCF.
Addition/Subtraction: same denominator → add/sub numerators; different → LCM first.
Multiplication: multiply numerator × numerator, denominator × denominator.
Division: multiply by reciprocal.
Conversion:
Improper → Mixed (Divide)
Mixed → Improper (Multiply + Add)
Decimal (दशमलव) का अर्थ है “whole number (पूर्ण संख्या)” और “fraction (भिन्न)” के बीच का संबंध दिखाना।
👉 यानी जब कोई संख्या 1 से छोटी होती है, तो उसे भिन्न की बजाय decimal form में लिखा जा सकता है।
Decimal point (.) पूरे (whole) और भाग (fractional part) को अलग करता है।
Example: 2.5 → यहाँ
2 = whole part (पूर्ण भाग)
5 = fractional part (भिन्न भाग)
Decimal fractions हमेशा 10 के भागों (tenths, hundredths, thousandths) में बँटे होते हैं।
💡 Daily Life Example:
₹2.50 (दो रुपये पचास पैसे)
1.25 L milk (एक लीटर और पाव लीटर)
0.75 km (¾ किलोमीटर)
दशमलव बिंदु के बाएँ (left side) whole numbers होते हैं —
👉 Ones (एकाई), Tens (दहाई), Hundreds (सैकड़ा) आदि।
दशमलव बिंदु के दाएँ (right side) fractional parts होते हैं —
👉 Tenths (दसवाँ भाग), Hundredths (सौवाँ भाग), Thousandths (हज़ारवाँ भाग)।
जैसे-जैसे हम दाएँ जाते हैं, हर स्थान का मान 10 गुना कम होता जाता है।
🧩 Example:
In 23.456 →
2 = Tens place (दहाई)
3 = Ones place (एकाई)
4 = Tenths (दसवाँ भाग = 4/10)
5 = Hundredths (सौवाँ भाग = 5/100)
6 = Thousandths (हज़ारवाँ भाग = 6/1000)
💡 Classroom Example:
Teacher बोर्ड पर “2.35” लिखकर बच्चों से पूछ सकता है —
“2 whole sweets और 0.35 sweets यानी 35/100 हिस्सा कौन लेगा?” — यह concept को मज़ेदार तरीके से clear करता है।
किसी fraction को decimal में बदलने के लिए numerator को denominator से divide (भाग) करते हैं।
Example:
½ = 1 ÷ 2 = 0.5
¾ = 3 ÷ 4 = 0.75
⅕ = 1 ÷ 5 = 0.2
💡 Real-life Example:
₹1 का ½ हिस्सा = ₹0.50
या एक glass पानी का ¾ हिस्सा = 0.75 glass।
Decimal number को fraction में बदलने के लिए –
(i) Decimal हटाकर numerator बनाओ।
(ii) जितने decimal places हैं, उतने zero के साथ denominator में 10, 100, 1000... लिखो।
Example:
0.5 = 5/10 = ½
0.25 = 25/100 = ¼
1.2 = 12/10 = 6/5
💡 Teaching Tip:
“हर decimal place 10 का भाग है” — यह line बच्चों को बार-बार याद दिलाओ।
पहले whole number part की तुलना करो।
अगर दोनों whole parts बराबर हों, तो tenths → hundredths → thousandths देखकर तुलना करो।
ज़रूरत पड़ने पर zeros add करके बराबर स्थान बनाओ।
🧩 Example:
0.5 = 0.50 और 0.45
Compare → 0.50 > 0.45
💡 Daily Life Example:
अगर दो दुकानों पर समान वस्तु के दाम ₹5.25 और ₹5.30 हैं → 5.30 > 5.25 → दूसरी दुकान महँगी है।
Decimal point को समान vertical line में रखो।
Zeros जोड़कर decimals को बराबर अंकों का बना लो।
फिर सामान्य जोड़ की तरह add करो।
🧩 Example:
2.35 + 1.4 → 2.35 + 1.40 = 3.75
💡 Daily Life Example:
अगर ₹2.35 की copy और ₹1.40 की pencil ली → कुल खर्च ₹3.75।
Decimal point को same line में रखो।
आवश्यकता हो तो zeros जोड़ो।
फिर subtraction करो।
🧩 Example:
5.6 – 2.35 → 5.60 – 2.35 = 3.25
💡 Example:
₹5.60 थे, ₹2.35 खर्च हुए → बचे ₹3.25।
Decimal हटाकर सामान्य संख्याओं की तरह multiply करो।
अब count करो — दोनों numbers में कुल decimal places कितनी थीं, उतने अंक पीछे से गिनकर decimal लगाओ।
🧩 Example:
0.3 × 0.2 → 3 × 2 = 6
दोनों में कुल 2 decimal places → उत्तर = 0.06
💡 Classroom Example:
0.5 × 4 = 2 (आधा भाग × 4 = 2 whole parts)
Divisor (भाग देने वाली संख्या) को ऐसा बनाओ कि वह whole number बन जाए (decimal हटाओ)।
Dividend (जिसे भाग देना है) में भी उतने ही decimal places आगे बढ़ाओ।
फिर सामान्य division करो।
🧩 Example:
0.84 ÷ 0.2
→ 0.84 और 0.2 दोनों में एक decimal → दोनों से decimal हटाओ → 8.4 ÷ 2 = 4.2
💡 Daily Life Example:
₹0.84 को ₹0.2-₹0.2 के packets में बाँटोगे → 4.2 packets बनेंगे।
दोनों “whole” के भाग (part of whole) दिखाते हैं।
Difference केवल representation (प्रस्तुति) का है —
Fraction → division form (÷)
Decimal → short form with point (.)
🧩 Example:
½ = 0.5
¼ = 0.25
¾ = 0.75
💡 Teacher Tip:
बच्चों को भिन्नों और दशमलव को एक coin के दो पहलू की तरह सिखाओ —
Fraction = breaking, Decimal = writing।
Money (पैसे): ₹1.25 = 1 रुपया और 25 पैसे।
Measurement (माप): 1.5 L milk = 1½ litre।
Length/Distance: 2.75 m cloth = 2 metre + 75 cm।
Time: 1.5 hr = 1 hour + 30 minutes।
💡 Classroom Integration:
Decimal teaching को money, length, and weight units से जोड़ो ताकि बच्चे visual और practical connection बना सकें।
1️⃣ Decimal = Part of Whole (पूर्ण का भाग)
→ Decimal point separates whole & fractional part।
2️⃣ Place Value:
Left of (.) → Ones, Tens, Hundreds
Right of (.) → Tenths (1/10), Hundredths (1/100), Thousandths (1/1000)
3️⃣ Fraction → Decimal: Divide numerator ÷ denominator
Example: ¾ = 0.75
4️⃣ Decimal → Fraction:
Write number without point ÷ 10/100/1000…
5️⃣ Addition/Subtraction: Decimal point align करो।
6️⃣ Multiplication: Multiply normally, count total decimal places, put point.
7️⃣ Division: Remove decimal by shifting both numbers equally, then divide.
8️⃣ Both Fractions & Decimals show part of whole — बस रूप अलग है।
9️⃣ Daily Life: Money, Measurement, Time — हर जगह decimal system का उपयोग होता है।
Pattern (पैटर्न) का मतलब है — कुछ वस्तुओं, आकृतियों या संख्याओं का दोहराया हुआ क्रम (repeated arrangement)।
👉 यानी जब कोई चीज़ एक निश्चित नियम (rule) के अनुसार बार-बार दोहराई जाती है, तो उसे pattern कहते हैं।
पैटर्न से हमें नियम (rule) और अगला क्रम (next term) पहचानने में मदद मिलती है।
बच्चे pattern के ज़रिए तार्किक सोच (logical thinking), पूर्वानुमान (prediction) और समस्या समाधान (problem-solving) सीखते हैं।
💡 Daily Life Example:
दीवार पर लगी टाइलें लाल-नीली-लाल-नीली — यह एक colour pattern है।
पेड़ों की कतार – एक छोटा, एक बड़ा पेड़ – यह भी size pattern है।
कपड़ों की डिजाइन या सजावट में भी पैटर्न होता है।
Number pattern का अर्थ है — संख्याएँ एक निश्चित नियम (rule) के अनुसार बढ़ती या घटती हैं।
यह नियम addition (जोड़), subtraction (घटाना), multiplication (गुणा), या division (भाग) पर आधारित हो सकता है।
👉 हर बार समान संख्या जोड़ते हैं।
Example: 2, 4, 6, 8, 10 …
Rule: +2 (हर बार 2 जोड़ना)
💡 Classroom Example:
Teacher कहता है: “2 से शुरू करो और हर बार 2 जोड़ो।”
बच्चे अगली संख्या बताते हैं — 12, 14, 16…
👉 हर बार समान संख्या घटाई जाती है।
Example: 20, 18, 16, 14, 12 …
Rule: –2
💡 Daily Life Example:
किसी बाल्टी में 20 लीटर पानी है, और हर घंटे 2 लीटर निकालते हो → 18, 16, 14…
👉 हर बार संख्या को किसी निश्चित संख्या से गुणा किया जाता है।
Example: 2, 4, 8, 16, 32 …
Rule: ×2
💡 Classroom Tip:
बच्चों से कहो — “हर बार दोगुना करो (double the number)” → Concept जल्दी समझ आता है।
👉 हर बार किसी संख्या से भाग किया जाता है।
Example: 100, 50, 25, 12.5 …
Rule: ÷2
💡 Real-life Link:
किसी रस्सी को बार-बार आधा-आधा काटो → लंबाई हर बार आधी रह जाएगी (÷2)।
👉 हर बार एक निश्चित संख्या को skip करके अगली गिनती करना।
Example: 5, 10, 15, 20 … (count by 5s)
💡 Practical Use:
Counting fingers or counting money in ₹5 coins → बच्चे naturally skip counting सीखते हैं।
Growing pattern: हर बार संख्या बढ़ती जाती है।
👉 Example: 1, 2, 4, 8, 16 (double every time)
Reducing pattern: हर बार संख्या घटती जाती है।
👉 Example: 81, 27, 9, 3, 1 (divide by 3)
👉 जब दो या अधिक नियम बारी-बारी से चलते हैं।
Example: 2, 4, 8, 10, 20, 22, 44 …
Rule: ×2, +2, ×2, +2...
💡 Teaching Tip:
Alternate pattern में बच्चे को “दो कदम वाला नियम” समझाओ —
“पहला कदम multiply, दूसरा कदम add।”
Shape pattern का मतलब है — आकृतियों (shapes) का कोई निश्चित दोहराव वाला क्रम।
यह pattern shape, size, colour, position, rotation आदि पर आधारित हो सकता है।
Example: 🔺⚪🔺⚪🔺⚪ → अगला आएगा 🔺
Example: 🟦🟥🟦🟥🟦 → अगला रंग कौन? 🟥
Example: छोटा, बड़ा, छोटा, बड़ा, छोटा → अगला = बड़ा
Example:
⬆️ ➡️ ⬇️ ⬅️ ⬆️ ➡️ … → अगला आएगा ⬇️
👉 यहाँ pattern दिशा (direction) पर आधारित है।
💡 Classroom Example:
Teacher कह सकता है: “बोर्ड पर आकृतियाँ बनाओ — triangle up, triangle down, triangle up, triangle down।”
बच्चे अगली आकृति predict करना सीखते हैं।
Odd-One-Out (अलग वस्तु) वह होती है जो pattern या rule को follow नहीं करती।
इसका उद्देश्य बच्चों में observation (अवलोकन), classification (वर्गीकरण) और logical thinking (तार्किक सोच) विकसित करना है।
Example: 2, 4, 6, 8, 11
👉 Rule: सभी even हैं, लेकिन 11 odd है → Odd-One-Out = 11
Example: 🔵 🔵 🔺 🔵 🔵
👉 Rule: सभी circle हैं, लेकिन एक triangle → Odd-One-Out = 🔺
Example: 🟥 🟥 🟩 🟥 🟥
👉 Rule: सभी red हैं, एक green → Odd-One-Out = 🟩
💡 Classroom Activity Idea:
Teacher बोर्ड पर 5 आकृतियाँ बनाता है —
4 एक जैसी, 1 अलग।
बच्चे पहचानते हैं कि कौन सी आकृति “pattern तोड़ती है” — यह उनकी analytical skill बढ़ाता है।
Mathematical Thinking (गणितीय सोच) विकसित करता है।
बच्चे prediction (अगली संख्या या आकृति बताना) सीखते हैं।
Observation और concentration बढ़ती है।
Problem-solving skills में सुधार होता है।
यह higher order thinking (HOTS) की शुरुआत है।
💡 Teaching Tip:
Pattern teaching को “खेल या गीत” की तरह बनाओ —
जैसे clap, tap, clap, tap… बच्चे naturally rule पकड़ लेते हैं।
1️⃣ Pattern = Repeated arrangement (दोहराया क्रम) of numbers/shapes according to a rule।
2️⃣ Number Patterns:
Addition pattern → हर बार जोड़ना
Subtraction pattern → हर बार घटाना
Multiplication / Division → गुणा या भाग द्वारा क्रम बनाना
Skip counting, Growing, Alternate patterns – सभी logical rules पर आधारित।
3️⃣ Shape Patterns:
Based on shape, colour, size, direction या rotation।
4️⃣ Odd-One-Out:
जो वस्तु या संख्या rule या pattern को follow नहीं करती।
5️⃣ Importance:
Logical thinking, observation, prediction, problem-solving में मदद।
6️⃣ CTET Exam Focus:
“Next term in pattern”, “Identify odd one out”, “Complete missing figure”,
“Predict rule of sequence” जैसे प्रश्न आते हैं।
📋 Topics:-
1. Measurement (मापन):
👉 Meaning: किसी वस्तु की लंबाई, वजन या क्षमता को संख्या और इकाई (number & unit) के रूप में जानना।
👉 Hindi: किसी चीज़ का कितना लंबा, कितना भारी या कितना भर सकता है – यह जानने की प्रक्रिया।
💡 Example: रूलर से कॉपी की लंबाई मापना – यह measurement है।
2. Unit (इकाई):
👉 Meaning: मापने की मानक मात्रा (standard quantity)।
👉 Hindi: जिससे हम मापते हैं — जैसे सेंटीमीटर, मीटर, किलोग्राम।
💡 Example: कपड़े की लंबाई “मीटर” में मापी जाती है।
3. Conversion (रूपांतरण):
👉 Meaning: एक इकाई को दूसरी इकाई में बदलना।
👉 Hindi: जैसे मीटर को सेंटीमीटर में या ग्राम को किलोग्राम में बदलना।
💡 Example: 1 मीटर = 100 सेंटीमीटर।
4. Length (लंबाई):
👉 Meaning: किसी वस्तु का एक सिरे से दूसरे सिरे तक का अंतर (distance)।
💡 Example: सड़क की लंबाई 2 किलोमीटर है।
5. Distance (दूरी):
👉 Meaning: दो स्थानों के बीच का अंतराल।
💡 Example: स्कूल घर से 5 किलोमीटर दूर है।
6. Weight (वज़न):
👉 Meaning: किसी वस्तु की भारीपन या हलकेपन की मात्रा।
💡 Example: आलू का वज़न 2 किलोग्राम है।
7. Gram (ग्राम):
👉 Meaning: छोटी वस्तुओं का वज़न मापने की इकाई।
💡 Example: एक पेंसिल का वज़न लगभग 20 ग्राम होता है।
8. Kilogram (किलोग्राम):
👉 Meaning: भारी वस्तुओं का वज़न मापने की इकाई।
💡 Example: दूध का पैकेट 1 किलोग्राम का होता है।
9. Balance (तराज़ू):
👉 Meaning: वज़न मापने का उपकरण (instrument)।
💡 Example: सब्ज़ी वाला तराज़ू से वजन मापता है।
10. Capacity (क्षमता):
👉 Meaning: किसी पात्र (container) में कितना तरल (liquid) आ सकता है।
💡 Example: बोतल की क्षमता 1 लीटर है।
11. Litre (लीटर):
👉 Meaning: Capacity मापने की unit।
💡 Example: दूध 1 लीटर की थैली में आता है।
12. Millilitre (मिलीलीटर):
👉 Meaning: छोटी मात्रा की unit।
💡 Example: दवा की बोतल में 100 मिलीलीटर liquid होता है।
13. Temperature (तापमान):
👉 Meaning: किसी वस्तु या शरीर की गरमाहट या ठंडक की मात्रा।
💡 Example: आज का तापमान 35°C है।
14. Thermometer (थर्मामीटर):
👉 Meaning: तापमान मापने का उपकरण।
💡 Example: डॉक्टर बुखार मापने के लिए thermometer का उपयोग करते हैं।
15. Celsius (सेल्सियस):
👉 Meaning: Temperature मापने की metric unit।
💡 Example: पानी 0°C पर जमता है और 100°C पर उबलता है।
16. Fahrenheit (फारेनहाइट):
👉 Meaning: Temperature मापने की एक अन्य unit, मुख्यतः शरीर के तापमान के लिए।
💡 Example: Normal body temperature = 98.6°F।
17. Conversion Formula (रूपांतरण सूत्र):
👉 Meaning: Celsius और Fahrenheit को एक-दूसरे में बदलने का तरीका।
💡 Example:
C → F : (C × 9/5) + 32
F → C : (F − 32) × 5/9
18. Currency (मुद्रा):
👉 Meaning: किसी देश में चलने वाला official money system।
💡 Example: भारत की मुद्रा “Rupee (₹)” है, और अमेरिका की “Dollar ($)”।
19. Rupee (रुपया):
👉 Meaning: भारत की money unit।
💡 Example: 1 रुपया = 100 पैसे।
20. Paisa (पैसा):
👉 Meaning: रुपये का छोटा भाग।
💡 Example: ₹1.50 = 1 रुपया 50 पैसे।
21. Bill (बिल):
👉 Meaning: खरीदारी का लिखित रिकॉर्ड जिसमें वस्तु और कीमत का विवरण होता है।
💡 Example: किराने की दुकान से मिलने वाला bill ₹450 का है।
22. Transaction (लेन-देन):
👉 Meaning: पैसे का देना या लेना (exchange of money)।
💡 Example: दुकान पर ₹100 देकर वस्तु खरीदना → एक transaction है।
23. Cash Transaction (नकद लेन-देन):
👉 Meaning: जहाँ सीधे पैसे दिए या लिए जाते हैं।
💡 Example: सब्ज़ीवाले को ₹20 नकद देना।
24. Cashless Transaction (बिना नकद लेन-देन):
👉 Meaning: जहाँ online या digital payment किया जाता है।
💡 Example: UPI से ₹100 भेजना।
25. Savings (बचत):
👉 Meaning: कमाई में से कुछ हिस्सा भविष्य के लिए बचाना।
💡 Example: बच्चा गुल्लक में ₹10 रोज़ डालता है → savings।
26. Bank (बैंक):
👉 Meaning: पैसे जमा करने और निकालने की जगह।
💡 Example: पिता जी salary बैंक में रखते हैं।
27. Receipt (रसीद):
👉 Meaning: किसी भुगतान का proof (साक्ष्य)।
💡 Example: फीस जमा करने पर स्कूल की रसीद मिलती है।
1️⃣ Measurement = किसी वस्तु की मात्रा को standard unit में जानना।
2️⃣ Units of Measurement:
Length → metre (m), centimetre (cm), kilometre (km)
Weight → gram (g), kilogram (kg)
Capacity → litre (L), millilitre (mL)
3️⃣ Conversions:
1 m = 100 cm
1 kg = 1000 g
1 L = 1000 mL
4️⃣ Temperature:
Celsius (°C) & Fahrenheit (°F)
0°C = 32°F, 100°C = 212°F
Normal body temp = 37°C = 98.6°F
5️⃣ Money:
Indian currency = Rupee (₹)
1 Rupee = 100 Paisa
Bills = Record of items & cost
Transaction = Giving & receiving money
Types → Cash & Cashless
6️⃣ Practical Learning:
Classroom में measurement, thermometer, fake shop & bill-making activities कराना।
Measurement (मापन) का अर्थ है — किसी चीज़ के आकार, मात्रा या दूरी को संख्या (number) के रूप में बताना।
👉 यह हमें बताता है कितना बड़ा, कितना भारी या कितना भर सकता है।
मापन हमारे daily life का बहुत जरूरी हिस्सा है —
कपड़े की लंबाई लेना (Length)
सब्ज़ियों का वज़न लेना (Weight)
दूध या पानी की मात्रा नापना (Capacity)
Measurement के तीन मुख्य भाग (Types):
Length (लंबाई) → किसी वस्तु की दूरी या लम्बाई
Weight (भार) → किसी वस्तु का वज़न
Capacity (क्षमता) → किसी बर्तन में द्रव (liquid) रखने की मात्रा
Meaning:
किसी वस्तु के छोर से छोर तक की दूरी (distance from one end to another) को लंबाई कहते हैं।
इसे ruler, measuring tape या meter scale से मापा जाता है।
Standard Units of Length (मानक इकाइयाँ):
Millimetre (mm) – सबसे छोटी इकाई
Centimetre (cm) – छोटी दूरी मापने के लिए (pencil, book)
Metre (m) – बड़ी दूरी मापने के लिए (room, door, height)
Kilometre (km) – बहुत लंबी दूरी (road distance, cities)
Conversion (रूपांतरण):
10 mm = 1 cm
100 cm = 1 m
1000 m = 1 km
💡 Daily Life Examples:
Pencil = 15 cm
Height of child = 1.2 m
Distance between school & home = 2 km
Word Problem Example:
Riya walked 500 m in morning and 300 m in evening.
→ Total distance = 500 + 300 = 800 m
Meaning:
किसी वस्तु में मौजूद पदार्थ (amount of matter) को उसका Weight (भार) कहते हैं।
इसे balance या weighing machine से मापा जाता है।
Standard Units of Weight:
Milligram (mg) – बहुत हल्की वस्तु (medicine)
Gram (g) – सामान्य वस्तु (fruits, vegetables)
Kilogram (kg) – भारी वस्तु (flour, rice bag)
Conversion (रूपांतरण):
1000 mg = 1 g
1000 g = 1 kg
💡 Daily Life Examples:
Apple = 200 g
Rice bag = 5 kg
Tablet weight = 250 mg
Word Problem Example:
A bag of rice = 5 kg, flour = 2 kg.
→ Total weight = 5 + 2 = 7 kg
Meaning:
किसी बर्तन में liquid (तरल पदार्थ) को रखने की अधिकतम मात्रा उसकी capacity कहलाती है।
इसे measuring jar या litre can से मापा जाता है।
Standard Units of Capacity:
Millilitre (ml) – छोटी मात्रा (medicine, perfume)
Litre (L) – बड़ी मात्रा (milk, water, oil)
Conversion (रूपांतरण):
1000 ml = 1 L
💡 Daily Life Examples:
Water bottle = 1 L
Cold drink = 500 ml
Bucket = 15 L
Word Problem Example:
One jug = 2 L, another jug = 3 L.
→ Total = 5 L water
Conversion का मतलब है — एक इकाई से दूसरी इकाई में बदलना (changing units)।
जैसे: metre → centimetre या litre → millilitre
Larger to Smaller Unit:
Multiply (गुणा करो)
Example: 3 m = 3 × 100 = 300 cm
Smaller to Larger Unit:
Divide (भाग करो)
Example: 500 cm = 500 ÷ 100 = 5 m
💡 Tip:
“Go small → multiply”
“Go big → divide”
Step 1 – Understand the Question
पता करो क्या पूछा गया है – total, difference, conversion या comparison?
Step 2 – Write Given Data (दी गई जानकारी लिखो)
Units को ध्यान से देखो – cm, m, g, kg, L, ml
Step 3 – Convert Units if needed
सारी quantities को same unit में बदलो।
Step 4 – Apply Operation (+, –, ×, ÷)
Addition/Subtraction: total या difference
Multiplication/Division: repeated quantity या equal sharing
Step 5 – Write the Answer with Unit
जैसे: 150 cm, 2.5 L, 3 kg आदि।
खाना बनाने, दवाई देने, कपड़ा सिलवाने, दूरी तय करने — हर जगह मापन की ज़रूरत।
Accuracy (सटीकता) और estimation (अनुमान) दोनों सीखने में मदद करता है।
बच्चों में logical thinking और numerical sense विकसित करता है।
💡 Classroom Activity:
बच्चे measuring tape से classroom की चीज़ों की लंबाई मापें।
Milk bottle से litre/ml समझें।
Weighing balance से fruits का वजन compare करें।
1️⃣ Measurement = किसी चीज़ का माप (length, weight, capacity)।
2️⃣ Length Units: mm → cm → m → km
3️⃣ Weight Units: mg → g → kg
4️⃣ Capacity Units: ml → L
5️⃣ Conversions:
10 mm = 1 cm
100 cm = 1 m
1000 m = 1 km
1000 g = 1 kg
1000 ml = 1 L
6️⃣ Conversions Rule:
Large → Small = Multiply
Small → Large = Divide
7️⃣ Word Problem Strategy: Understand → Convert → Operate → Write Answer
8️⃣ CTET Focus Topics:
Unit conversion
Word problems on length, weight, capacity
Correct unit selection
Estimation based questions
Temperature (तापमान) किसी वस्तु या व्यक्ति की गरमाहट या ठंडक की मात्रा (degree of hotness or coldness) को मापने का तरीका है।
जब कोई वस्तु गर्म (hot) होती है तो उसका तापमान अधिक (high) होता है,
और जब वस्तु ठंडी (cold) होती है तो उसका तापमान कम (low) होता है।
तापमान को मापने के लिए Thermometer (थर्मामीटर) का उपयोग किया जाता है।
Temperature की दो मुख्य units (इकाइयाँ) होती हैं —
Celsius (°C)
Fahrenheit (°F)
💡 Daily Life Example:
जब हमें बुखार होता है, डॉक्टर थर्मामीटर लगाते हैं और कहते हैं “बुखार 101°F है।”
मौसम विभाग कहता है “आज का तापमान 35°C है।”
Thermometer एक उपकरण है जो temperature को मापता है।
इसमें एक glass tube होती है, जिसमें mercury (पारा) या alcohol भरा होता है।
तापमान बढ़ने पर mercury ऊपर चढ़ता है, और घटने पर नीचे आता है।
Thermometer के मुख्य प्रकार:
Clinical Thermometer (क्लिनिकल थर्मामीटर):
शरीर का तापमान मापने के लिए (Body temperature)
Laboratory Thermometer (प्रयोगशाला थर्मामीटर):
प्रयोगों और वस्तुओं का तापमान मापने के लिए।
💡 Example:
जब बच्चे को बुखार होता है, माँ क्लिनिकल थर्मामीटर से जाँच करती है कि “बच्चे का तापमान 99°F है।”
Invented by: Anders Celsius (Sweden scientist).
Symbol → °C (degree Celsius)
इस scale पर:
0°C → पानी का जमने का बिंदु (Freezing point of water)
100°C → पानी का उबलने का बिंदु (Boiling point of water)
इस पैमाने को scientific measurements और weather reports में ज़्यादा प्रयोग किया जाता है।
💡 Examples:
Normal room temperature = 25°C
Boiling water = 100°C
Ice = 0°C
Invented by: Daniel Fahrenheit (German scientist).
Symbol → °F (degree Fahrenheit)
इस scale पर:
32°F → पानी का जमने का बिंदु (Freezing point)
212°F → पानी का उबलने का बिंदु (Boiling point)
यह scale body temperature और medical use में सबसे ज़्यादा प्रयोग होता है।
💡 Examples:
Normal human body temperature = 98.6°F
Fever = 100°F या उससे अधिक
दोनों scales के बीच conversion का formula होता है –
Celsius → Fahrenheit:
👉 F = (C × 9/5) + 32
Fahrenheit → Celsius:
👉 C = (F − 32) × 5/9
Example 1:
Convert 0°C into °F
→ F = (0 × 9/5) + 32 = 32°F
Example 2:
Convert 100°C into °F
→ F = (100 × 9/5) + 32 = 212°F
Example 3:
Convert 98.6°F into °C
→ C = (98.6 − 32) × 5/9 = 37°C (body temperature)
💡 Tip for Classroom:
Children can remember –
👉 “Freezing point same: 0°C = 32°F”
👉 “Boiling point same: 100°C = 212°F”
Health & Medicine (स्वास्थ्य में):
Fever मापने के लिए thermometer का उपयोग।
Doctor body temperature के आधार पर treatment तय करता है।
Weather Report (मौसम रिपोर्ट):
Weather forecast में Celsius unit का प्रयोग होता है।
Example: Today’s temperature = 36°C (hot day).
Science & Industry:
Experiment और machines के काम करने के लिए तापमान ज़रूरी है।
Refrigerator, oven, air-conditioner सभी temperature पर निर्भर करते हैं।
Daily Life Examples:
Cooking: Water boils at 100°C
Refrigerator: Milk kept at around 4°C
Fever: Body temperature 101°F
Thermometer को झटका (shake) देने से पहले उसे ध्यान से पकड़ें।
Temperature पढ़ने से पहले mercury line को देखें।
Body temperature लेने के बाद thermometer को साफ करें (clean with antiseptic)।
इसे direct sunlight या hot object के पास न रखें।
💡 Teacher Tip:
Classroom में dummy thermometer से बच्चों को दिखाएँ कि mercury कैसे ऊपर-नीचे होती है।
1️⃣ Temperature = Degree of hotness or coldness (गरम या ठंड का माप)।
2️⃣ मापने का यंत्र → Thermometer
3️⃣ Celsius scale:
0°C → Freezing point
100°C → Boiling point
4️⃣ Fahrenheit scale:
32°F → Freezing point
212°F → Boiling point
5️⃣ Normal body temperature: 98.6°F = 37°C
6️⃣ Conversions:
C → F : (C × 9/5) + 32
F → C : (F − 32) × 5/9
7️⃣ Daily Use:
Fever check (Fahrenheit)
Weather report (Celsius)
Cooking & science experiments
8️⃣ Safety Rules:
Thermometer को सावधानी से पकड़ें
Reading के बाद साफ करें
Heat या sunlight से दूर रखें
Money (पैसा) वह माध्यम है जिससे हम सामान या सेवा (goods or services) का लेन-देन (exchange) करते हैं।
पहले के समय में लोग Barter System (वस्तु-विनिमय प्रणाली) से व्यापार करते थे — यानी सामान के बदले सामान।
उदाहरण: गेहूँ के बदले कपड़े।
बाद में व्यापार आसान बनाने के लिए coins (सिक्के) और currency notes (नोट) का उपयोग शुरू हुआ।
आज के समय में हम digital money (जैसे – Paytm, UPI, Card, Netbanking) का भी उपयोग करते हैं।
💡 Daily Life Example:
जब हम दुकान से सामान खरीदते हैं, तो पैसे देकर चीज़ें लेते हैं — यह money transaction कहलाता है।
Currency (मुद्रा) का अर्थ है — किसी देश में उपयोग होने वाले official money system।
भारत की मुद्रा है Indian Rupee (₹)।
Indian currency के दो रूप होते हैं –
Coins (सिक्के) → ₹1, ₹2, ₹5, ₹10
Notes (नोट) → ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500, ₹2000 (अब चलन में कम)
Currency में symbol (चिह्न) होता है जो पैसे की पहचान बताता है:
₹ (Rupee), $ (Dollar), £ (Pound), € (Euro)
💡 Example:
अगर किसी वस्तु की कीमत ₹50 है, तो इसका मतलब है — वह वस्तु 50 रुपये में खरीदी जा सकती है।
भारत में पैसे की दो इकाइयाँ होती हैं –
Rupee (रुपया)
Paisa (पैसा)
1 Rupee = 100 Paisa
यानी अगर आपके पास 250 पैसे हैं, तो आपके पास ₹2.50 होंगे।
💡 Example:
150 पैसे = ₹1.50
₹3.75 = 3 रुपये 75 पैसे
👉 यह concept बच्चों को सिखाने के लिए classroom में fake coins & notes से activity कराई जा सकती है।
Bill (बिल) वह लिखित पर्ची होती है जिसमें खरीदे गए सामान की विवरण (details) और कीमत (price) लिखी होती है।
इसमें सामान्यतः यह चीज़ें होती हैं –
दुकान का नाम (Shop name)
तारीख (Date)
वस्तु का नाम (Item name)
मात्रा (Quantity)
प्रति वस्तु की कीमत (Rate per item)
कुल कीमत (Total amount)
Bill हमें बताता है कि कुल कितना भुगतान (payment) करना है।
स्कूल में बच्चों को “Bill making activity” कराई जा सकती है ताकि वे जोड़ना-घटाना (Addition/Subtraction) सीखें।
💡 Example:
अगर आपने किराने की दुकान से 2 किलो चीनी ₹40 प्रति किलो और 1 लीटर तेल ₹150 में खरीदा —
तो कुल बिल = (2 × 40) + 150 = ₹230
Transaction (लेन-देन) का अर्थ है — पैसे का आदान-प्रदान यानी देना और लेना।
दो प्रकार के transaction होते हैं –
Cash Transaction (नकद लेन-देन):
जब वस्तु के बदले सीधे पैसे दिए जाएँ।
👉 Example: दुकान पर ₹50 देकर बिस्किट खरीदना।
Cashless Transaction (बिना नकद लेन-देन):
जब भुगतान online या digital माध्यम से किया जाए।
👉 Example: Paytm, UPI, Debit Card, Netbanking इत्यादि।
Transaction में हमेशा bill लेना चाहिए ताकि रिकॉर्ड रहे कि आपने कितना भुगतान किया।
💡 Daily Example:
मॉल में शॉपिंग करने के बाद बिल बनता है और आप UPI से पेमेंट करते हैं → यह एक transaction है।
स्कूल की फीस भरते समय online payment करना → cashless transaction है।
पैसे से हम अपनी आवश्यक वस्तुएँ (needs) जैसे – खाना, कपड़ा, मकान खरीद सकते हैं।
पैसे से education, travel, health care जैसी सुविधाएँ मिलती हैं।
पैसे की मदद से saving (बचत) और investment (निवेश) भी किया जा सकता है।
पैसों के समझदार उपयोग से जीवन सुरक्षित (secure) और सुव्यवस्थित (organized) बनता है।
💡 Example:
बच्चे स्कूल के canteen में ₹10 देकर समोसा खरीदते हैं,
या piggy bank (गुल्लक) में ₹5 रोज़ डालते हैं —
ये दोनों ही money handling के उदाहरण हैं।
Addition/Subtraction:
यदि कोई बच्चा ₹35 की किताब और ₹25 की पेंसिल बॉक्स खरीदता है,
तो कुल खर्च = ₹35 + ₹25 = ₹60।
Multiplication:
अगर एक बिस्किट का पैकेट ₹10 का है और 5 पैकेट खरीदे गए,
तो कुल कीमत = ₹10 × 5 = ₹50।
Division:
यदि 4 दोस्तों ने ₹120 बराबर बाँटे,
तो प्रत्येक को = ₹120 ÷ 4 = ₹30 मिले।
👉 इस तरह की word problems बच्चों को पैसे की गणना सिखाने में बहुत मदद करती हैं।
1️⃣ Money (पैसा) = वस्तु या सेवा के लेन-देन का माध्यम।
2️⃣ भारत की currency (मुद्रा) = Indian Rupee (₹)
3️⃣ 1 Rupee = 100 Paisa
4️⃣ Bill (बिल) = खरीदारी का रिकॉर्ड जिसमें वस्तु, मात्रा, कीमत आदि लिखी होती हैं।
5️⃣ Transaction (लेन-देन) दो प्रकार के होते हैं –
Cash transaction
Cashless transaction
6️⃣ Word Problems:
Addition/Subtraction: कुल या शेष राशि निकालना
Multiplication/Division: कई वस्तुओं की कुल या प्रति वस्तु कीमत निकालना
7️⃣ Money की daily uses:
खरीद-बिक्री, बचत, ऑनलाइन पेमेंट, फीस, transport आदि
8️⃣ Practical Activity:
Classroom में “Fake Market Role Play” कराना, जहाँ बच्चे बिल बनाना, जोड़ना, और पैसे देना सीखें।
📋 Topics:-
Meaning (अर्थ):
Time वह माप (measurement) है जिससे हम जान पाते हैं कि कोई घटना कब हुई और कितने समय तक चली।
Explanation:
Time से हम अपने दिन को व्यवस्थित (organize) करते हैं — कब उठना है, कब स्कूल जाना है, कब सोना है।
Example:
अगर स्कूल 8:00 बजे शुरू होता है और 2:00 बजे खत्म होता है, तो स्कूल का duration (अवधि) 6 घंटे है।
Meaning:
एक उपकरण (device) जो समय दिखाता है।
Explanation:
Clock में दो मुख्य सूइयाँ होती हैं —
Hour hand (घंटे की सुई) – छोटी सुई
Minute hand (मिनट की सुई) – लंबी सुई
Example:
जब छोटी सुई 3 पर और बड़ी सुई 12 पर हो → Time = 3:00 बजे।
Meaning:
एक घंटे में 60 minutes (मिनट) होते हैं।
Explanation:
Minute छोटे समय का माप है। जैसे — किसी कार्य में लगा छोटा समय।
Example:
अगर आप दाँत ब्रश करने में 2 minutes लेते हैं, तो यह बहुत छोटा समय है।
Meaning:
एक minute में 60 seconds होते हैं।
Explanation:
यह समय की सबसे छोटी इकाई है। Stopwatch या digital clock में seconds दिखते हैं।
Example:
कोई खिलौना कार 5 seconds में 10 मीटर चलती है।
Meaning:
1 hour = 60 minutes
Explanation:
लंबे समय को मापने के लिए “hour” का प्रयोग होता है।
Example:
स्कूल की एक class period 1 hour का होता है।
Meaning:
AM (Ante Meridiem) = सुबह का समय (Midnight से Noon तक)
PM (Post Meridiem) = दोपहर से रात तक
Example:
7:00 AM → सुबह का समय (स्कूल जाने का समय)
7:00 PM → शाम का समय (डिनर का समय)
Meaning:
तारीख़, दिन, हफ्ते और महीने दिखाने का साधन।
Explanation:
हम कैलेंडर से योजना बनाते हैं — जैसे छुट्टियाँ, त्योहार या परीक्षा की तारीखें।
Example:
अगर आज 15 August है, तो आप कैलेंडर देखकर देख सकते हैं कि 5 September (Teachers’ Day) किस दिन आएगा।
Meaning:
एक सप्ताह में 7 days होते हैं – Sunday से Saturday तक।
Example:
अगर आज Tuesday है, तो अगला Tuesday एक हफ्ते बाद आएगा।
Meaning:
किसी विषय की जानकारी या facts का समूह।
Explanation:
Data किसी survey या observation से मिलता है।
Example:
“क्लास में कितने बच्चों के पास लाल, नीली और हरी पेंसिल है?” – यह एक data है।
Meaning:
Data को Collect (इकट्ठा करना), Organize (व्यवस्थित करना) और Interpret (अर्थ निकालना)।
Example:
यदि 5 बच्चों को आम और 3 को केला पसंद है →
आप इसे pictograph या bar graph से दिखा सकते हैं।
Meaning:
Information को Pictures (चित्रों) से दिखाना।
Explanation:
हर चित्र किसी निश्चित संख्या को दर्शाता है (e.g., 🍎 = 2 students)।
Example:
🍎🍎🍎 → 6 बच्चों को सेब पसंद हैं।
Meaning:
Counting को 5 के समूहों में दिखाने की विधि।
Explanation:
चार सीधी रेखाएँ और पाँचवीं तिरछी (cross) रेखा → एक समूह (5)।
Example:
|||| = 4,
||||/ = 5,
||||/ || = 7
Meaning:
Data को लंबे स्तंभों (bars) के रूप में दिखाना।
Explanation:
X-axis → categories (फल, विषय आदि)
Y-axis → numbers
लंबा bar → अधिक संख्या
Example:
खेल प्रतियोगिता में किस टीम ने सबसे ज़्यादा अंक लिए – इसे bar graph से दिखाया जा सकता है।
Meaning:
Data देखकर निष्कर्ष (conclusion) निकालना।
Example:
यदि pictograph में आम के 8 और सेब के 5 चित्र हैं →
निष्कर्ष = आम ज़्यादा पसंद किया गया।
Meaning:
किसी कार्य में लगे कुल समय की लंबाई।
Example:
अगर फिल्म 6:00 PM से 8:30 PM तक चलती है → Duration = 2 घंटे 30 मिनट।
Meaning:
दो या अधिक चीज़ों के बीच अंतर या समानता देखना।
Example:
Bar graph में कौन-सी टीम आगे है, कौन पीछे — यह Comparison है।
Meaning:
ग्राफ में संख्याओं को दिखाने का नियम या अनुपात।
Example:
अगर 1 cm = 2 students → तो 4 cm का bar मतलब 8 students।
Meaning:
Bar graph के दो आधार रेखाएँ –
X-axis (क्षैतिज) → नाम या वस्तु
Y-axis (ऊर्ध्वाधर) → संख्या
Example:
Bar graph में फल X-axis पर और बच्चों की संख्या Y-axis पर दिखाई जाती है।
Meaning:
Data को ध्यान से देखकर उसका अर्थ समझना।
Example:
Pictograph देखकर कौन-सा फल सबसे ज़्यादा पसंद है, यह Observation से पता चलता है।
Meaning:
Data के विश्लेषण से प्राप्त अंतिम परिणाम।
Example:
“ज्यादातर बच्चों को आम पसंद है” — यह Conclusion है जो graph से निकाला गया।
✅ Time – घटनाओं का क्रम और अवधि मापने की इकाई।
✅ 1 hour = 60 minutes; 1 minute = 60 seconds.
✅ Clock reading – Hour hand, Minute hand, Second hand।
✅ AM/PM – Morning & Evening time को अलग दिखाने के लिए।
✅ Calendar – Days, Weeks, Months, Years का रिकॉर्ड।
✅ Data Handling – Data का collection, organization और interpretation।
✅ Tally Marks – Counting in groups of 5।
✅ Pictograph – Pictures से data दिखाना (1 चित्र = निश्चित संख्या)।
✅ Bar Graph – लंबवत बार से comparison दिखाना।
✅ Interpretation – Data से निष्कर्ष निकालना (सबसे ज़्यादा, सबसे कम, अंतर)।
✅ CTET Pedagogical Focus:
Observation-based learning
Hands-on graph drawing activities
Relate with daily life data (attendance, fruits, sports)
✅ Skills Developed: Logical reasoning, comparison, time management, analytical thinking.
Time (समय) का मतलब है – घटनाओं (events) का क्रम या sequence जानना – क्या पहले हुआ, क्या बाद में हुआ।
💡 Example: सुबह उठना → नाश्ता करना → स्कूल जाना → ये सब समय के क्रम में होते हैं।
बच्चे समय को पहले day routine activities से समझते हैं, जैसे — सुबह, दोपहर, शाम, रात।
Time Measurement (समय का मापन) हमें बताता है कि कोई काम कब हुआ और कितने समय तक चला।
Face (डायल): घड़ी का गोल हिस्सा जिस पर 1 से 12 तक अंक लिखे होते हैं।
Hands (सुइयाँ):
Hour hand (घंटे की सुई): मोटी और छोटी – घंटे बताती है।
Minute hand (मिनट की सुई): पतली और लंबी – मिनट बताती है।
Second hand (सेकंड की सुई): लाल रंग की पतली सुई – सेकंड बताती है।
💡 Example: अगर hour hand 3 पर और minute hand 12 पर है → समय = 3:00 (तीन बजे)।
1 hour (1 घंटा) = 60 minutes (मिनट)।
1 minute (1 मिनट) = 60 seconds (सेकंड)।
घड़ी में 1 से 12 तक के अंक होते हैं → पूरा चक्कर = 12 घंटे।
दिन में 2 बार clock का चक्कर पूरा होता है →
पहला 12 घंटे = A.M. (सुबह)
दूसरा 12 घंटे = P.M. (शाम/रात)
💡 Example:
सुबह 8 बजे = 8 A.M.
रात 8 बजे = 8 P.M.
Minute hand हर अंक पर 5 मिनट दर्शाती है।
👉 1 = 5 min, 2 = 10 min, 3 = 15 min … 12 = 60 min।
💡 Example: अगर hour hand 4 पर और minute hand 6 पर है →
Time = 4:30 (चार बजकर तीस मिनट)।
Quarter hour = 15 मिनट → Quarter past
💡 Example: 3:15 → Quarter past three (तीन बजे के पंद्रह मिनट बाद)
Half hour = 30 मिनट → Half past
💡 Example: 6:30 → Half past six (साढ़े छह बजे)
Quarter to = अगले घंटे में 15 मिनट बाकी
💡 Example: 7:45 → Quarter to eight (आठ बजे में पंद्रह मिनट बाकी)
👉 एक सप्ताह = 7 days (दिन)
Sunday, Monday, Tuesday, Wednesday, Thursday, Friday, Saturday
💡 Example: अगर आज Monday है → कल Tuesday होगा, और Sunday के बाद फिर नया week शुरू होता है।
एक साल = 12 months (महीने) = 365 days (साधारण वर्ष)
Leap year (लीप वर्ष) में 366 दिन होते हैं (February = 29 days)।
Months sequence:
January, February, March, April, May, June, July, August, September, October, November, December
💡 Example: स्कूल का नया सत्र आमतौर पर April में शुरू होता है और March में समाप्त होता है।
1 day = 24 hours
1 week = 7 days
1 month = लगभग 30 days
1 year = 12 months = 365/366 days
💡 Example: अगर स्कूल 10 जून को शुरू होता है और 20 जून तक चलता है → कुल समय = 10 days।
किसी काम की शुरुआती समय (Start time) और समाप्ति समय (End time) से बीच का समय निकालना।
💡 Example:
Start = 9:00 AM, End = 11:30 AM
Elapsed Time = 2 घंटे 30 मिनट।
ऐसे प्रश्नों में बच्चों को clock-drawing या timeline बनाने को कहा जा सकता है ताकि आसानी से समझें।
1 hour = 60 minutes
1 minute = 60 seconds
1 day = 24 hours
💡 Example:
अगर ट्रेन 2 घंटे 45 मिनट चलती है →
कुल समय = (2 × 60) + 45 = 165 मिनट।
स्कूल की प्रार्थना 8:00 AM पर शुरू हुई और 8:30 AM पर खत्म हुई →
समय लगा = 30 मिनट।
माँ ने खाना 7:15 PM पर बनाना शुरू किया और 8:00 PM पर समाप्त किया →
समय लगा = 45 मिनट।
बच्चों को ऐसे सवालों से जोड़ने से concept clarity और application skill बढ़ती है।
Toy clock / paper clock से बच्चों को सुइयों की movement दिखाओ।
Daily timetable बनवाओ ताकि बच्चे समय की value समझें।
Days & months chart दीवार पर लगवाओ।
Calendar reading activity कराओ — बच्चों से त्योहार या जन्मदिन की तारीख ढूंढने को कहो।
Elapsed time games — जैसे “आपका lunch break कितने मिनट का था?”
✅ Time – घटनाओं का क्रम और अवधि बताता है।
✅ Clock में 3 सुइयाँ होती हैं – Hour, Minute, Second।
✅ 1 hour = 60 minutes, 1 minute = 60 seconds।
✅ AM/PM system – दिन को दो हिस्सों में बाँटता है।
✅ Quarter past / Half past / Quarter to – 15, 30, 45 मिनट के लिए।
✅ 1 day = 24 hours, 1 week = 7 days, 1 year = 12 months।
✅ Leap Year = 366 days (February = 29 days)।
✅ Elapsed time = End time – Start time।
✅ Practical Teaching: clock models, calendar reading, timetable making।
Data (डेटा) का मतलब है – जानकारी (Information) जो हम किसी विषय से इकट्ठा (collect) करते हैं।
💡 Example: कक्षा में बच्चों के पसंदीदा फल, या सप्ताह में बारिश के दिनों की संख्या।
Data Handling (डेटा हैंडलिंग) का अर्थ है — जानकारी को इकट्ठा करना (Collecting), व्यवस्थित करना (Organizing), और समझना (Interpreting)।
यह बच्चों को तार्किक सोच (Logical thinking), गणना कौशल (Numerical skill) और निर्णय लेने की क्षमता (Decision making) सिखाता है।
Daily life में हम डेटा का उपयोग हर जगह करते हैं — जैसे तापमान, उपस्थिति, खेल के अंक, खर्च का हिसाब आदि।
सबसे पहले किसी विषय पर डेटा Collect (संग्रह) किया जाता है।
💡 Example: “कक्षा में कौन-कौन सा फल पसंद है?”
→ उत्तर मिलते हैं – 10 बच्चों को सेब, 8 को आम, 6 को केला पसंद है।
इस तरह का कच्चा डेटा Raw Data (कच्चा डेटा) कहलाता है।
इसे समझने और विश्लेषण करने के लिए हमें इसे संगठित (Organize) करना पड़ता है।
डेटा को दिखाने के कई तरीके होते हैं। सबसे मुख्य तीन तरीके हैं —
👉 Tally Marks, Pictograph, और Bar Graph
Tally Marks (गणना रेखाएँ) डेटा को गिनने का सरल तरीका (simple method) है।
हर बार जब कोई वस्तु गिनी जाती है, तो एक सीधी रेखा खींची जाती है — |
पाँचवीं रेखा तिरछी (cross line) होती है जो चार रेखाओं को काटती है।
इसका मतलब है 5।
💡 Example:
अगर किसी फल को 12 बच्चों ने पसंद किया —
→ |||| = 5
→ |||| = 5
→ || = 2
कुल = 12
यह तरीका Quick counting (तेज़ गिनती) और Grouping (समूह बनाना) सिखाता है।
Classroom example: बच्चों से कहो कि हर रंग की पेंसिल कितने बच्चों के पास है और उसे टैली मार्क्स से दिखाओ।
Pictograph (Picture + Graph) यानी चित्रों द्वारा जानकारी दिखाना।
हर चित्र किसी निश्चित संख्या (quantity) को दर्शाता है।
💡 Example:
🍎 = 2 बच्चे
अगर 🍎🍎🍎 बने हों → मतलब 6 बच्चों को सेब पसंद है।
यह तरीका बच्चों के लिए सबसे आसान और रोचक होता है क्योंकि इसमें चित्रों के माध्यम से जानकारी दी जाती है।
Steps to make a Pictograph:
डेटा को Collect करो।
हर चित्र का मूल्य तय करो (e.g., 1 चित्र = 2 students)।
चित्रों से डेटा को दर्शाओ।
अंत में प्रश्न पूछो जैसे —
🔹 किसको सबसे ज़्यादा पसंद है?
🔹 कितनों को कम पसंद है?
💡 Classroom example:
“किस महीने में सबसे ज़्यादा छुट्टियाँ थीं?” → कैलेंडर से चित्रों द्वारा दिखाओ।
Bar Graph (Bar = स्तंभ) में जानकारी लंबे या छोटे बार (columns) के रूप में दिखाई जाती है।
हर बार किसी वस्तु की संख्या बताता है।
लंबा बार = ज्यादा संख्या,
छोटा बार = कम संख्या।
Two Axes (दो अक्ष) होते हैं —
X-axis (क्षैतिज) → Categories दिखाता है (जैसे – फल, विषय आदि)।
Y-axis (ऊर्ध्वाधर) → Numbers दिखाता है।
Steps to make a Bar Graph:
डेटा को व्यवस्थित करो।
स्केल (Scale) चुनो – जैसे 1 unit = 2 students।
बार बनाओ – सभी बार समान चौड़ाई के हों।
बारों के बीच समान दूरी रखो।
💡 Daily Example:
स्कूल की पाँच टीमों के खेल अंक को bar graph से दिखाओ – कौन-सी टीम सबसे आगे है?
Bar Graph बच्चों को तुलना (Comparison) और विश्लेषण (Analysis) करना सिखाता है।
Interpretation का मतलब है डेटा से निष्कर्ष निकालना (Drawing conclusions)।
बच्चे डेटा देखकर सवालों के जवाब देते हैं –
कौन-सी वस्तु सबसे ज़्यादा है?
कौन-सी सबसे कम है?
दोनों के बीच कितना अंतर है?
💡 Example:
अगर pictograph में आम के 8 और सेब के 6 चित्र हैं →
तो आम 2 ज़्यादा हैं।
यह प्रक्रिया बच्चों की Observation (अवलोकन) और Reasoning skills (तार्किक सोच) को मज़बूत बनाती है।
Concrete से Abstract learning – चित्रों से लेकर bar graph तक, बच्चे धीरे-धीरे उच्च स्तर का सोच विकसित करते हैं।
Activity-based learning:
Classroom survey (e.g., favourite colour of classmates)
School attendance chart
Weather or temperature chart
Integration with other subjects:
EVS: Rainfall data
Math: Numbers comparison
Language: Writing description of graphs
✅ Data Handling = जानकारी को Collect, Organize और Interpret करना।
✅ Raw Data = असंगठित जानकारी।
✅ Tally Marks = Counting by groups of 5.
✅ Pictograph = चित्रों से जानकारी दिखाना (1 चित्र = कुछ संख्या)।
✅ Bar Graph = लंबवत बार से तुलना दिखाना।
✅ Interpretation = डेटा से निष्कर्ष निकालना (सबसे ज़्यादा, सबसे कम, अंतर आदि)।
✅ 1 Bar Graph = 2 Axes → X-axis (categories), Y-axis (values)।
✅ CTET Pedagogy Focus: Hands-on activities, observation-based learning, connection with daily life.
✅ Skills developed: Logical thinking, visualization, data analysis, comparison.
📋 Topics:-
Meaning:
एक point सिर्फ एक जगह को दर्शाता है। इसका कोई आकार, लंबाई या चौड़ाई नहीं होती। यह केवल स्थिति (position) बताता है।
Example (कक्षा आधारित):
जब आप कागज़ पर पेन से एक छोटा सा dot बनाते हैं — वो point होता है।
Meaning:
Line एक सीधी रेखा होती है जो दोनों सिरों से अनंत (infinite) तक जाती है। इसकी कोई मोटाई नहीं होती।
Example:
रेल की पटरी जैसी सीधी रेखा जो दोनों तरफ जाती है — line कहलाती है।
Meaning:
Ray एक ऐसी रेखा होती है जिसकी एक तरफ शुरुआत होती है और दूसरी तरफ अनंत तक जाती है।
Example:
सूरज से निकलने वाली किरण — एक ray का उदाहरण है।
Meaning:
ऐसी आकृति जो 2D हो यानी उसमें सिर्फ लंबाई और चौड़ाई हो — कोई ऊँचाई नहीं होती।
Example:
Square, rectangle, triangle — सभी plane figures हैं।
Meaning:
3D आकृति की दो सतहों के मिलने से जो रेखा बनती है, उसे edge कहते हैं।
Example:
एक डिब्बे के कोनों पर जो रेखा दिखती है — वो उसकी edges हैं।
Meaning:
3D आकृति की सपाट सतहें जिन पर हम हाथ रख सकते हैं — उन्हें faces कहते हैं।
Example:
Dice (पासा) में 6 बराबर faces होते हैं — हर एक पर एक संख्या।
Meaning:
जहाँ दो या अधिक edges मिलती हैं, वहाँ बना कोना या नुकीला बिंदु — वही vertex होता है।
Example:
एक cube में कुल 8 vertices होते हैं — यानी 8 कोने।
Meaning:
जब दो रेखाएँ मिलती हैं और उनके बीच एक घुमाव बनता है, तो उसे angle कहते हैं।
Example:
दीवार और फर्श के बीच जो कोना बनता है — वह एक right angle (समकोण) होता है।
Meaning:
जब कोई आकृति दो बराबर हिस्सों में बाँटी जा सके और दोनों हिस्से एक जैसे दिखें, तो उसे symmetrical कहते हैं।
Example:
तितली के दोनों पंख — symmetry का उदाहरण हैं।
Meaning:
वह रेखा जो किसी आकृति को दो समान भागों में बाँटती है, उसे line of symmetry कहते हैं।
Example:
Letter A को बीच से बाँटने पर दोनों हिस्से एक जैसे दिखते हैं — यानी इसमें एक line of symmetry है।
Meaning:
जब कोई shape बार-बार दोहराई जाती है बिना gap या overlap के, तो उसे tessellation कहते हैं।
Example:
स्कूल की फर्श पर लगी टाइल्स — एक tessellation pattern है।
Meaning:
किसी आकृति के चारों तरफ की कुल लंबाई को perimeter कहते हैं।
Example:
अगर आप किसी garden के चारों ओर चक्कर लगाते हैं — आप उसका perimeter तय कर रहे होते हैं।
Meaning:
किसी आकृति के भीतर की जगह को मापना — यानि कितना space वह cover करती है — वही उसका area होता है।
Example:
कक्षा की फर्श पर कितनी चटाई बिछ सकती है — ये उसका area बताएगा।
Meaning:
किसी 3D आकृति के अंदर की कुल जगह या capacity — यानी उसमें कितना सामान या द्रव (liquid) भर सकता है।
Example:
एक पानी की बोतल में कितना पानी आएगा — वह उसकी volume है।
Meaning:
ऐसी आकृतियाँ जिनमें लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई होती है — यानी जो depth के साथ दिखती हैं।
Example:
Cube, cuboid, sphere, cone — ये सब 3D shapes हैं।
Meaning:
एक closed आकृति जिसमें सभी बिंदु center से बराबर दूरी पर होते हैं।
Example:
Coin (सिक्का), CD — real life में circle का रूप हैं।
Meaning:
Circle के center से उसके किनारे तक की दूरी को radius कहते हैं।
Example:
अगर कोई गोल झूला है और आप उसके center से किनारे तक की दूरी नापते हैं — वही radius है।
Meaning:
Face (सतह): सपाट हिस्सा
Edge (किनारा): दो faces के मिलने से बनी रेखा
Vertex (कोना): जहाँ edges मिलते हैं
Example:
Cube में 6 faces, 12 edges, 8 vertices होते हैं।
Meaning:
एक ऐसी सतह जो बिल्कुल सीधी और flat होती है — जैसे कागज़ या टेबल।
Example:
Blackboard या notebook की page — दोनों plane surfaces हैं।
✅ Point = कोई आकार नहीं, सिर्फ एक बिंदु (dot)
✅ Line = दोनों तरफ अनंत तक जाती है
✅ Ray = एक सिरा fix, दूसरा अनंत
✅ Plane Figures = 2D shapes (जैसे triangle, square)
✅ 3D Shapes = लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई (जैसे cube, cuboid)
✅ Symmetry = mirror image जैसी समानता
✅ Line of Symmetry = shape को दो बराबर हिस्सों में बाँटने वाली रेखा
✅ Tessellation = shapes का gapless, repeated pattern
✅ Perimeter = चारों तरफ की दूरी
✅ Area = अंदर की जगह
✅ Volume = अंदर की capacity या जगह (3D shapes के लिए)
✅ Cube Volume = Side³, Cuboid Volume = L × B × H
✅ Circle के लिए Area = πr², Perimeter = 2πr
✅ Cube में: 6 faces, 12 edges, 8 vertices
Meaning (अर्थ):
Geometry गणित की वह शाखा है जो आकार (shapes), आकारों का आकार (size), स्थिति (position) और उनके संबंधों (relationships) का अध्ययन करती है।
Example (उदाहरण):
Blackboard का आकार rectangle (आयत) होता है।
Football sphere (गोला) के आकार का होता है।
Simple Understanding:
Geometry हमें अपने आसपास की दुनिया के आकार और स्थान (space) को समझना सिखाती है।
Meaning:
बिंदु (Point) एक exact position (सटीक स्थान) को दर्शाता है, जिसका न कोई आकार होता है, न लंबाई, न चौड़ाई।
Symbol (प्रतीक): बिंदु को capital letter (A, B, C) से दिखाया जाता है।
Example:
Sharp pencil की नोक पर जो छोटा dot बनता है — वही Point A हो सकता है।
Map में किसी शहर की जगह दिखाने के लिए जो बिंदु लगाते हैं — वह भी एक point है।
Meaning:
Line वह सीधी रेखा है जो दोनों दिशाओं में अनंत (infinite) तक बढ़ती है। इसका कोई आरंभ (starting point) और अंत (end point) नहीं होता।
Representation:
दो बिंदुओं से होकर एक रेखा बनती है — जैसे Line AB (रेखा AB)।
Example:
Road या ruler की सीधी किनारी — एक line के समान होती है।
Meaning:
जब किसी रेखा के दो fixed end points (निश्चित छोर) होते हैं, तो उसे line segment (रेखाखंड) कहते हैं।
Example:
Scale पर 0 से 5 cm तक का हिस्सा — एक line segment है।
Blackboard की लंबाई या पुस्तक का किनारा — भी एक रेखाखंड है।
Meaning:
Ray वह रेखा है जिसका एक प्रारंभिक बिंदु (starting point) होता है लेकिन दूसरी दिशा में यह अनंत (infinite) तक जाती है।
Representation:
Starting point और दिशा दिखाते हैं — जैसे Ray AB (किरण AB) → A से शुरू होकर B की दिशा में बढ़ती है।
Example:
सूरज से निकलने वाली sunlight (सूर्य किरणें) – यह एक ray का उदाहरण है।
Torch से निकलने वाली light भी ray जैसी होती है।
Meaning:
जब दो या अधिक रेखाएँ एक-दूसरे को cross (प्रतिच्छेद) करती हैं, तो उन्हें intersecting lines कहते हैं।
Example:
Plus (+) का निशान — दो intersecting lines का उदाहरण है।
सड़क चौराहा (crossroad) — intersecting lines जैसा दिखता है।
Meaning:
दो रेखाएँ जो एक-दूसरे को कभी cross नहीं करतीं, और हमेशा समान दूरी (equal distance) पर रहती हैं, उन्हें parallel lines कहते हैं।
Example:
Railway tracks (रेल की पटरियाँ) – parallel lines का बहुत अच्छा उदाहरण हैं।
Copy में ruled lines भी parallel होती हैं।
Meaning:
जब दो rays (किरणें) एक ही बिंदु से निकलती हैं, तो उनके बीच जो opening (खुला भाग) बनता है, उसे angle (कोण) कहते हैं।
Parts of Angle:
Vertex (शीर्ष) – जहाँ से दोनों rays निकलती हैं।
Arms (भुजाएँ) – rays स्वयं।
Example:
Door खुलते समय जो gap बनता है – वह angle होता है।
Geometry box में protractor (कोणमापी) से angle नापा जाता है।
1. Acute Angle (न्यून कोण) – 90° से छोटा
👉 Example: Scissors के छोटे खुले भाग का कोण।
2. Right Angle (समकोण) – 90° का
👉 Example: Copy का corner या book का कोना।
3. Obtuse Angle (अधिक कोण) – 90° से बड़ा और 180° से छोटा
👉 Example: खुला दरवाज़ा।
4. Straight Angle (समरेखीय कोण) – 180° का
👉 Example: सीधी रेखा।
5. Reflex Angle (अधिकवृत्त कोण) – 180° से बड़ा और 360° से छोटा
👉 Example: Clock में 10 बजे और 4 बजे के बीच का कोण।
6. Complete Angle (पूर्ण कोण) – 360° का
👉 Example: Fan का एक पूरा घुमाव।
Meaning:
वे आकृतियाँ जो एक समतल (flat surface) पर बनाई जाती हैं और जिनकी लंबाई व चौड़ाई होती है (no thickness), उन्हें plane figures कहते हैं।
Examples:
Triangle (त्रिभुज) – 3 sides वाली आकृति
Square (वर्ग) – 4 equal sides और 4 right angles
Rectangle (आयत) – Opposite sides equal, 4 right angles
Circle (वृत्त) – Center से समान दूरी पर सभी बिंदु
Polygon (बहुभुज) – 3 या अधिक sides वाली बंद आकृति
Meaning:
जो रेखा सीधी नहीं होती और मुड़ती हुई जाती है, उसे curved line (वक्र रेखा) कहते हैं।
Example:
River का मार्ग या snake की movement — curved line जैसी होती है।
Closed Figure (बंद आकृति):
जिसकी सभी रेखाएँ जुड़कर एक पूरा क्षेत्र (region) बनाती हैं।
👉 Example: Circle, Square, Triangle
Open Figure (खुली आकृति):
जिसकी रेखाएँ पूरी तरह नहीं जुड़तीं।
👉 Example: ‘C’ या ‘V’ जैसी आकृति।
✅ Geometry = Study of shapes, sizes, and figures.
✅ Point – सिर्फ स्थान, कोई आकार नहीं।
✅ Line – दोनों ओर अनंत (no endpoints)।
✅ Line Segment – दो fixed endpoints।
✅ Ray – एक fixed point, एक दिशा में infinite।
✅ Intersecting Lines – आपस में काटने वाली रेखाएँ।
✅ Parallel Lines – कभी न मिलने वाली रेखाएँ।
✅ Angle – दो rays के बीच का खुला भाग।
✅ Types of Angles: Acute < Right < Obtuse < Straight < Reflex < Complete.
✅ Plane Figures – 2D आकृतियाँ (Triangle, Square, Circle, etc.)
✅ Closed Figure – सभी रेखाएँ जुड़ी हुई।
✅ Open Figure – रेखाएँ जुड़ी नहीं।
✅ CTET Pedagogical Focus:
Concrete → Pictorial → Abstract approach अपनाएँ।
बच्चों से shape-identification activities करवाएँ (classroom objects से)।
Paper-folding, drawing & geoboard activities से concept मजबूत करें।
✅ Skills Developed: Observation, Spatial understanding, Visual reasoning, Comparison.
Meaning (अर्थ):
2D shapes (दो-आयामी आकृतियाँ) वे आकृतियाँ हैं जो सिर्फ लंबाई (length) और चौड़ाई (breadth) रखती हैं, पर मोटाई (thickness) नहीं होती।
इन्हें plane figures (समतलीय आकृतियाँ) भी कहा जाता है।
Example (उदाहरण):
Copy का पन्ना, Black board, Floor tile — ये सभी 2D shapes हैं।
Key point:
2D shapes को flat surface (समतल सतह) पर draw किया जाता है।
Meaning:
Triangle वह बंद आकृति है जिसमें 3 sides (भुजाएँ) और 3 corners/vertices (कोण) होते हैं।
इसे "tri" (तीन) + "angle" (कोण) = Triangle (तीन कोणों वाली आकृति) कहा जाता है।
Properties (मुख्य गुण):
3 sides (तीन भुजाएँ) – जैसे AB, BC, CA।
3 angles (तीन कोण) – हर कोने पर एक कोण।
Sum of all angles = 180° (सभी कोणों का योग 180° होता है)।
कोई भी 2 sides का योग हमेशा तीसरी side से बड़ा होता है।
Types of Triangles (त्रिभुजों के प्रकार):
a. Based on sides:
Equilateral (समभुज): तीनों भुजाएँ बराबर।
👉 Example: 5 cm, 5 cm, 5 cm वाला त्रिभुज।
Isosceles (समद्विबाहु): दो भुजाएँ बराबर।
👉 Example: 4 cm, 4 cm, 6 cm।
Scalene (विषमभुज): सभी भुजाएँ अलग-अलग।
b. Based on angles:
Acute (न्यूनकोण त्रिभुज): सभी कोण < 90°
Right (समकोण त्रिभुज): एक कोण = 90°
Obtuse (अधिक कोण त्रिभुज): एक कोण > 90°
Daily Life Example:
Traffic signal board, hanger stand, paper folding triangle.
Meaning:
Square वह 2D आकृति है जिसमें 4 equal sides (बराबर भुजाएँ) और 4 right angles (समकोण) होते हैं।
Properties (मुख्य गुण):
4 sides equal (चारों भुजाएँ समान लंबाई की)।
4 angles = 90° (चार समकोण)।
Opposite sides are parallel (विपरीत भुजाएँ समानांतर)।
Diagonals (आयाम) बराबर होते हैं और 90° पर एक-दूसरे को काटते हैं।
Example (उदाहरण):
Carrom board, Floor tiles, Window pane, Chess board boxes.
Formula (for higher understanding):
Perimeter (परिमाप) = 4 × side
Area (क्षेत्रफल) = side × side
Meaning:
Rectangle वह आकृति है जिसमें सामने की भुजाएँ बराबर (opposite sides equal) होती हैं और सभी कोण 90° (right angles) के होते हैं।
Properties (मुख्य गुण):
4 sides (चार भुजाएँ) – opposite sides equal.
4 right angles (समकोण)।
Diagonals बराबर होते हैं लेकिन 90° पर नहीं काटते।
Square एक special rectangle है जिसमें सभी sides equal होती हैं।
Example (उदाहरण):
Notebook, Door, Blackboard, Mobile screen.
Formula (सिर्फ समझने के लिए):
Perimeter = 2 × (Length + Breadth)
Area = Length × Breadth
Meaning:
Circle वह बंद आकृति है जिसमें सभी बिंदु एक निश्चित बिंदु (center) से समान दूरी (equal distance) पर होते हैं।
Parts of Circle (वृत्त के भाग):
Centre (केन्द्र): वृत्त का मध्य बिंदु।
Radius (त्रिज्या): Centre से circumference तक की दूरी।
Diameter (व्यास): Circle को दो बराबर भागों में बाँटने वाली रेखा (2 × radius)।
Circumference (परिधि): वृत्त की boundary (outer line)।
Properties (मुख्य गुण):
सभी बिंदु केंद्र से समान दूरी पर होते हैं।
कोई कोना (corner) या भुजा (side) नहीं होती।
Diameter हमेशा radius का दोगुना होता है।
Example (उदाहरण):
Coin, Clock, Plate, Wheel, Bangles.
Formula (सिर्फ जानकारी के लिए):
Circumference = 2πr
Area = πr²
Triangle – 3 sides, 3 angles.
Square – 4 equal sides, 4 right angles.
Rectangle – Opposite sides equal, 4 right angles.
Circle – No sides, no corners, all points equidistant from center.
Concrete → Pictorial → Abstract method अपनाएँ।
Concrete (वास्तविक वस्तुएँ): Coins, books, tiles दिखाएँ।
Pictorial (चित्र): Board या chart पर आकृति बनवाएँ।
Abstract (संकल्पना): Formula, properties समझाएँ।
बच्चों से shape sorting activities करवाएँ – “find all circular things in class” आदि।
Paper cutting, folding, and drawing activities से geometry को fun बनाएं।
✅ 2D shapes में सिर्फ लंबाई और चौड़ाई होती है।
✅ Triangle – 3 sides, 3 angles, sum of angles = 180°.
✅ Square – 4 equal sides, 4 right angles, diagonals equal & perpendicular.
✅ Rectangle – Opposite sides equal, 4 right angles, diagonals equal.
✅ Circle – No sides/corners, all points equidistant from center.
✅ Diameter = 2 × Radius.
✅ Plane figure = Flat figure drawn on paper.
✅ Square is a special rectangle.
✅ Teaching aid: Paper folding, Geoboard, Real-life objects.
✅ Focus in CTET: Spatial understanding, visualization, observation, comparing shapes, identifying in daily life.
Meaning (अर्थ):
3D shapes (त्रि-आयामी आकृतियाँ) वे आकृतियाँ होती हैं जिनमें तीन आयाम (three dimensions) होते हैं –
Length (लंबाई), Breadth (चौड़ाई) और Height (ऊँचाई)।
ये आकृतियाँ space घेरती हैं (occupy space) और इनमें volume (आयतन) होता है।
इन्हें हम touch और hold कर सकते हैं (real-life objects)।
Examples: Ball, Box, Water Bottle, Ice-cream Cone, Dice आदि।
Difference from 2D shapes:
2D shapes केवल paper पर flat होती हैं, जबकि 3D shapes में depth होती है और वे real world में exist करती हैं।
Face (पृष्ठ):
Shape का वह समतल भाग (flat surface) जिस पर हम हाथ रख सकते हैं।
👉 जैसे – Dice के 6 squares faces होते हैं।
Edge (किनारा):
जहाँ दो faces आपस में मिलते हैं।
👉 जैसे – Box का किनारा जहाँ दो surfaces जुड़ती हैं।
Vertex / Vertices (कोण / शीर्ष):
जहाँ तीन या अधिक edges मिलते हैं।
👉 जैसे – Dice का कोना, total 8 vertices होते हैं।
Meaning:
Cube वह 3D आकृति है जिसकी सभी भुजाएँ बराबर लंबाई की (equal edges) होती हैं।
Properties (मुख्य गुण):
6 Faces (पृष्ठ) – सभी square होते हैं।
12 Edges (किनारे) – सभी बराबर।
8 Vertices (कोण / कोने)।
All faces are equal squares.
Examples (उदाहरण):
Dice 🎲, Ice cube, Sugar cube, Rubik’s cube, Gift box।
Observation for classroom:
बच्चा cube को पकड़कर देख सकता है कि हर तरफ़ का face square shape का होता है।
Meaning:
Cuboid वह आकृति है जिसमें लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई अलग-अलग हो सकती है।
इसके सभी faces rectangular (आयताकार) होते हैं।
Properties (मुख्य गुण):
6 Faces (पृष्ठ) – सभी rectangles।
12 Edges (किनारे)।
8 Vertices (कोने)।
Opposite faces are equal and parallel।
Examples (उदाहरण):
Brick (ईंट), Book, Matchbox, Chalk box, Mobile phone।
Daily life connection:
जब बच्चा box या notebook देखता है — वह cuboid का perfect example है।
Meaning:
Sphere एक पूरी तरह गोल आकृति (round shape) होती है जिसमें कोई edge, vertex या flat face नहीं होता।
इसके सभी बिंदु centre से समान दूरी (equal distance from the center) पर होते हैं।
Properties (मुख्य गुण):
कोई face, edge या vertex नहीं होता।
Surface पूरी तरह curved होती है।
इसे किसी भी दिशा में घुमाओ, shape नहीं बदलती।
Examples (उदाहरण):
Football, Cricket ball, Globe, Orange, Marbles।
Classroom activity:
बच्चों से कहें – “कौन सी चीज़ table पर लुढ़कती (roll) है?”
वे जवाब देंगे – Ball, Orange → ये sphere हैं।
Meaning:
Cone वह आकृति है जिसमें एक curved surface (वक्र सतह) और एक flat circular base (वृत्ताकार आधार) होता है।
Top पर एक vertex (शीर्ष) होता है।
Properties (मुख्य गुण):
1 Flat face (आधार) – circular।
1 Curved face (वक्र सतह)।
1 Edge (किनारा) – जहाँ curved face और flat base मिलते हैं।
1 Vertex (शीर्ष) – pointed end।
Examples (उदाहरण):
Ice-cream cone, Birthday cap, Traffic cone, Pencil tip।
Daily life connection:
अगर बच्चा pencil को उल्टा रखे तो उसे cone का shape समझाया जा सकता है।
Meaning:
Cylinder वह आकृति है जिसमें 2 समान circular faces (आधार) और 1 curved surface होती है।
Properties (मुख्य गुण):
2 Flat faces (आधार) – ऊपर और नीचे, दोनों circular।
1 Curved surface (बीच का भाग)।
कोई vertex नहीं होता।
जब इसे लुढ़काया जाए, यह smoothly roll करता है।
Examples (उदाहरण):
Water bottle, Gas cylinder, Chalk, Battery cell, Pipe।
Classroom activity:
बच्चे bottle को लुढ़का कर समझ सकते हैं कि यह cylinder है।
Cube और Cuboid में faces होते हैं — flat और polygonal।
Sphere में curved surface होता है, कोई corner नहीं।
Cone के पास curved surface और pointed top होता है।
Cylinder में curved surface + two flat circular faces होते हैं।
Concrete to Abstract Approach:
Concrete: बच्चे को real objects दिखाएँ (dice, ball, box, cone)।
Pictorial: Blackboard या chart पर drawing करवाएँ।
Abstract: Faces, edges, vertices count करवाएँ।
Activity ideas:
“Shape Hunt” – Classroom में cube, cuboid, cylinder objects खोजो।
“Touch and Tell” – आंख बंद करके object छूकर shape बताओ।
“Sorting Activity” – Curved vs Flat surface वाली आकृतियों को अलग करो।
✅ 3D shapes में तीन dimensions होती हैं – length, breadth, height।
✅ इनका volume (आयतन) और surface area होता है।
✅ Cube: 6 faces (square), 12 edges, 8 vertices।
✅ Cuboid: 6 faces (rectangle), 12 edges, 8 vertices।
✅ Sphere: No face, edge, vertex; curved surface only।
✅ Cone: 1 curved face, 1 flat base, 1 vertex, 1 edge।
✅ Cylinder: 2 circular faces, 1 curved face, no vertex।
✅ Cube = all sides equal; Cuboid = opposite sides equal।
✅ Sphere = perfectly round; Cone = pointed top; Cylinder = two round ends।
✅ Real-life connection से geometry को meaningful बनाना CTET pedagogy में बहुत जरूरी है।
✅ Teaching should involve observation, touching, comparing & naming shapes.
जब कोई shape या आकृति दो बराबर हिस्सों में बाँट दी जाए और दोनों हिस्से बिल्कुल एक जैसे (mirror image) दिखें — तो वह आकृति symmetrical कहलाती है।
Keyword:
Symmetry = समानता / mirror image (आईने जैसी छवि)
✏️ उदाहरण (Example):
एक तितली (butterfly) को बीच से बाँटें — दोनों पंख बिल्कुल एक जैसे दिखते हैं।
मतलब तितली symmetrical है।
वो काल्पनिक रेखा (imaginary line) जो shape को दो बराबर हिस्सों में बाँटती है, उसे line of symmetry कहते हैं।
अगर shape को इस रेखा पर मोड़ा जाए, तो दोनों हिस्से perfectly overlap हो जाते हैं।
🔑 Keyword:
Line of symmetry = सममिति की रेखा (जो shape को बराबर भागों में बाँटे)
✏️ उदाहरण (Example):
एक rectangle को बीच में लंबवत (vertically) बाँटें — दोनों हिस्से एक जैसे हैं। यह एक symmetry line है।
ऐसी आकृतियाँ जिनमें सिर्फ एक ही रेखा होती है, जो उन्हें बराबर हिस्सों में बाँटती है।
✳️ Examples:
Isosceles Triangle (समद्विबाहु त्रिभुज)
➤ सिर्फ एक रेखा जो बीच से होकर जाती है।
Heart shape (दिल का आकार)
➤ बीच से एक रेखा — दोनों तरफ बराबर।
Letter A (अंग्रेजी अक्षर A)
➤ बीच में एक vertical line — symmetry बनती है।
👨🏫 Classroom Example:
बच्चों को paper पर heart या isosceles triangle बनवाकर मोड़ने को कहें — दिखेगा कि दोनों हिस्से एक जैसे हैं।
ऐसी आकृतियाँ जिनमें दो अलग-अलग रेखाएँ हैं जो shape को बराबर भागों में बाँट सकती हैं।
✳️ Examples:
Rectangle (आयत)
➤ एक vertical और एक horizontal line — दोनों symmetry बनाते हैं।
Rhombus (समचतुर्भुज) — केवल जब वह सही orientation में हो।
Capital letter H
➤ एक vertical और एक horizontal symmetry।
🧠 ध्यान दें:
Circle में infinite lines of symmetry होती हैं — लेकिन ये CTET में 1 या 2 lines तक पूछा जाता है।
👩🏫 Classroom Example:
बच्चों को कागज़ की शीट दो — rectangle बनाएँ और बीच में मोड़कर symmetry दिखाएँ।
जब कोई shape बार-बार दोहराई जाती है बिना gap या overlap के, और पूरा surface ढक देती है — उसे tessellation कहते हैं।
🔑 Keyword:
Tessellation = दोहराव से बना pattern (जैसे फर्श पर टाइलें)
✳️ Examples:
Tiles on floor (फर्श की टाइलें)
➤ Square, triangle, या hexagon से बनी patterns।
Honeycomb (मधुमक्खी का छत्ता)
➤ Hexagon की tessellation।
👦 Daily Life Example:
स्कूल की फर्श में टाइल्स को गौर से देखें — सभी shapes बिना खाली जगह के जुड़ी हैं।
✏️ Butterfly – एक symmetry line
✏️ Leaf (पत्ता) – कई बार एक vertical symmetry
✏️ Alphabet Letters – जैसे A, M, H — symmetry वाले letters
✏️ Mirror Work in Art & Craft – mirror image जैसी symmetry
✏️ Paper Folding Activity – shape काटो और मोड़ो, symmetry देखो
✏️ Rangoli Patterns – symmetrical design होती है
✏️ Tiling Floors – tessellation का example
✅ Symmetry = बराबर भागों में बाँटना, जो mirror image लगें।
✅ Line of Symmetry = वह रेखा जो shape को दो समान भागों में बाँटे।
✅ 1 Line of Symmetry वाले Shapes = Isosceles Triangle, Heart, Letter A
✅ 2 Lines of Symmetry वाले Shapes = Rectangle, Letter H
✅ Tessellation = shapes का बार-बार दोहराव बिना gap या overlap के (जैसे tiles)
✅ Classroom Activities: Paper folding, mirror drawing, floor tile observation
✅ CTET में अक्सर diagram-based या conceptual questions पूछे जाते हैं — इसलिए examples से concept समझना ज़रूरी है।
किसी shape के चारों ओर की बाहरी लंबाई का योग = Perimeter
यानी, जब हम किनारे-किनारे चलते हैं तो जितनी दूरी तय होती है — वही उसका परिमाप होता है।
🔑 Keyword:
Perimeter = चारों तरफ की कुल लंबाई
✏️ उदाहरण:
अगर कोई बच्चा अपने school garden के चारों तरफ चक्कर लगाता है, तो वह garden का perimeter कवर करता है।
किसी आकृति के अंदर जितनी जगह होती है, उसे Area कहते हैं।
यानी, किसी surface को cover करने वाली जगह = क्षेत्रफल
🔑 Keyword:
Area = अंदर की पूरी जगह (surface covered)
✏️ उदाहरण:
कोई बच्चा अपने कमरे में कितनी चटाई बिछा सकता है — ये उसकी area बताएगी।
✅ सभी चारों भुजाएँ बराबर होती हैं।
🔸 Perimeter of Square = 4 × Side
(चारों साइड जोड़ दो)
🔸 Area of Square = Side × Side
(लंबाई × चौड़ाई — दोनों बराबर होती हैं)
✏️ Example (कक्षा में प्रयोग):
यदि एक वर्ग की साइड 5 cm है:
→ Perimeter = 4 × 5 = 20 cm
→ Area = 5 × 5 = 25 cm²
✅ विपरीत भुजाएँ बराबर होती हैं (length ≠ breadth)
🔸 Perimeter = 2 × (Length + Breadth)
(दोनों साइड्स का योग दो बार)
🔸 Area = Length × Breadth
✏️ Example (Daily life):
Classroom blackboard की लंबाई 6 m और चौड़ाई 4 m है।
→ Perimeter = 2 × (6 + 4) = 20 m
→ Area = 6 × 4 = 24 m²
✅ तीन साइड वाली आकृति
🔸 Perimeter = तीनों भुजाओं का योग
(a + b + c)
🔸 Area (for Right Angle / Simple Triangle) = ½ × Base × Height
✏️ Example:
एक triangle का base = 6 cm, height = 4 cm
→ Area = ½ × 6 × 4 = 12 cm²
✅ कोई भी साइड नहीं, केवल radius (त्रिज्या) होती है।
🔸 Perimeter (Circumference) = 2 × π × r
π (pi) = 3.14 या 22/7
🔸 Area = π × r²
✏️ Example:
Radius = 7 cm
→ Circumference = 2 × 22/7 × 7 = 44 cm
→ Area = 22/7 × 7 × 7 = 154 cm²
➤ Word problems को solve करने के लिए ये 4 आसान steps अपनाओ:
समझो (Understand):
सवाल में क्या पूछा गया है? कौन सी shape दी गई है?
जानकारी निकालो (Extract):
Length, breadth, radius, height — क्या-क्या दिया गया है?
सही सूत्र (Formula) चुनो:
Square का है या circle? Area चाहिए या perimeter?
Solve करो और unit पर ध्यान दो:
अंत में unit (cm, m, cm²) ज़रूर लिखो।
🏫 Classroom Notice Board — Rectangle shape: Area = कितने चार्ट लग सकते हैं
🚶♂️ School Playground का चक्कर — Perimeter = कितनी दूरी तय करनी होगी
🧺 Carpet या Floor Mat खरीदना — Area = कितनी जगह ढकनी है
🎨 Art sheet पर रंग भरना — Area
🧱 Boundary wall बनाना — Perimeter = कितनी लंबाई में दीवार बनानी है
✅ Perimeter = चारों तरफ की दूरी
✅ Area = अंदर की जगह
🔸 Square:
→ Perimeter = 4 × Side
→ Area = Side²
🔸 Rectangle:
→ Perimeter = 2 × (L + B)
→ Area = L × B
🔸 Triangle:
→ Perimeter = a + b + c
→ Area = ½ × Base × Height
🔸 Circle:
→ Circumference = 2πr
→ Area = πr²
✅ Word problems में हमेशा step-by-step सोचें। Units का ध्यान रखें।
✅ बच्चों को shapes की पहचान + formula याद + practical उदाहरणों से concept clear कराएं।
जब हम किसी 3D वस्तु के अंदर की पूरी जगह (space inside) को मापते हैं, तो उसे Volume कहते हैं।
🔑 Keyword:
Volume = अंदर की कुल जगह या capacity (जैसे box में कितना सामान आ सकता है)
✏️ उदाहरण:
एक पानी की बोतल में कितना पानी भरा जा सकता है, यह उसकी volume बताती है।
🔸 Area = सिर्फ surface को मापता है (लंबाई × चौड़ाई)
🔸 Volume = तीनों dimensions को मापता है (लंबाई × चौड़ाई × ऊँचाई)
🧠 याद रखने का तरीका:
Area से हम चटाई बिछा सकते हैं।
Volume से हम डब्बा भर सकते हैं।
✅ Cube एक ऐसा ठोस आकृति है जिसकी तीनों भुजाएँ बराबर होती हैं।
(Length = Breadth = Height)
🔸 Volume का formula:
Volume = Side × Side × Side = Side³
✏️ उदाहरण:
अगर एक cube की side = 4 cm
→ Volume = 4 × 4 × 4 = 64 cm³
🧱 Daily Life Example:
Dice (पासे), Rubik's Cube — ये सभी cube होते हैं।
👨🏫 Classroom Activity:
बच्चों से छोटे cardboard cubes बनवाकर अंदर कितने छोटे cubes आ सकते हैं, ये गिनवाएं।
✅ Cuboid एक ऐसा ठोस आकार है जिसकी लंबाई, चौड़ाई, और ऊँचाई अलग-अलग हो सकती हैं।
(Length ≠ Breadth ≠ Height)
🔸 Volume का formula:
Volume = Length × Breadth × Height
✏️ उदाहरण:
यदि एक डिब्बे की
Length = 5 cm, Breadth = 3 cm, Height = 2 cm
→ Volume = 5 × 3 × 2 = 30 cm³
📦 Daily Life Examples:
टिफिन बॉक्स, किताब का carton, brick (ईंट) — ये सभी cuboid होते हैं।
👩🏫 Classroom Activity:
Geometry box का माप लेकर बच्चों से उसका volume निकालने को कहें।
✅ Volume को मापा जाता है घनात्मक मात्रकों (cubic units) में
✳️ Common units:
cm³ (cubic centimeter)
m³ (cubic meter)
litre (for liquid volume)
🧠 याद रखने की trick:
जब भी formula में तीन बार माप आता है (L × B × H), तो unit भी तीन बार आता है — जैसे cm³
🧊 Ice cubes tray → हर block एक छोटा cube है → volume बताता है कि कितना पानी जमा होगा।
📦 Parcel Box → cuboid shape होता है → हमें जानना होता है उसमें कितना सामान आ सकता है।
🛁 Water tank → cuboid shape का होता है → volume से ही उसकी capacity (litres) पता चलती है।
👨🏫 Classroom Learning:
बच्चों से pencil box का अनुमानित volume निकलवाना
छोटे cubical boxes को गिनवाकर बड़ा cuboid बनवाना
✅ Volume = 3D space inside किसी वस्तु के अंदर की पूरी जगह
✅ Area सिर्फ सतह (surface) को मापता है, Volume अंदर की जगह को
🔹 Cube Volume = Side³
(तीनों साइड बराबर)
🔹 Cuboid Volume = Length × Breadth × Height
(तीनों साइड अलग हो सकती हैं)
✅ Unit = cubic units (cm³, m³) — क्योंकि तीन बार माप लिया जाता है
✅ CTET में volume से जुड़े word problems में सही formula लगाना, unit पर ध्यान देना, और real-life understanding ज़रूरी है।
📋 Topics:-
Meaning:
जब कोई विचार, उत्तर या निष्कर्ष किसी reason (तर्क) और क्रमबद्ध सोच (organized thinking) पर आधारित हो, तो उसे logical कहते हैं।
यानी “क्यों और कैसे” के जवाब के साथ सोचना।
Example (Daily life):
अगर एक बच्चा कहता है, “अगर 2 + 2 = 4 है, तो 4 + 2 = 6 होगा,”
→ वह logical reasoning से सोच रहा है।
Classroom link:
Teacher जब pattern दिखाकर पूछता है — “1, 3, 5, 7… अगली संख्या क्या होगी?”
बच्चा logic लगाकर कहता है “9” → Logical thinking in action.
Meaning:
जो चीज़ देखी या छुई नहीं जा सकती, लेकिन सोची और समझी जा सकती है, उसे abstract कहते हैं।
गणित में ज्यादातर concepts अमूर्त होते हैं, जैसे “number”, “point”, “line”, “zero”।
Example (Daily life):
जब बच्चा “5” समझता है, तो उसे 5 चीजें दिखाने की ज़रूरत नहीं रहती —
वह “5” की मात्रा (quantity) को अपने मन में imagine कर सकता है।
Classroom link:
Teacher पहले 5 apples दिखाता है (Concrete stage)
फिर “5” symbol लिखवाता है (Abstract stage)।
Meaning:
जो बिल्कुल स्पष्ट (clear), ठीक (exact) और बिना गलती (error-free) हो, उसे precise कहते हैं।
Mathematics precise होती है क्योंकि हर formula या answer का एक ही सही अर्थ होता है।
Example (Daily life):
अगर किसी चीज़ की लंबाई 10 cm है, तो वह “लगभग 10 cm” नहीं, बल्कि ठीक 10 cm होगी।
Classroom link:
Teacher कहता है — “Triangle में केवल 3 sides होती हैं।”
→ यह precise और universal fact है।
Meaning:
Reasoning का अर्थ है तर्क लगाना (to reason out) — यानी किसी उत्तर या विचार के पीछे कारण बताना।
गणित में reasoning का मतलब है कि “क्यों यह rule काम करता है?” समझना।
Example (Daily life):
बच्चा कहता है — “Even number + Even number हमेशा Even आता है क्योंकि दोनों 2 के multiple हैं।”
→ यह reasoning है।
Classroom link:
जब शिक्षक पूछे — “अगर 5 × 0 = 0 है, तो क्यों?”
और बच्चा कहे — “क्योंकि 0 को कितनी भी बार जोड़ो, 0 ही रहेगा।”
→ उसने reasoning का प्रयोग किया।
Meaning:
Understanding का मतलब है किसी चीज़ को केवल याद करना नहीं, बल्कि उसका अर्थ और कारण गहराई से समझना।
यह conceptual learning को दर्शाता है।
Example (Daily life):
अगर बच्चा जानता है कि “Area = L × B” सिर्फ formula नहीं, बल्कि “आयत के अंदर की जगह” को दर्शाता है —
→ तो यह वास्तविक understanding है।
Classroom link:
Teacher बच्चों से कहता है – “आयत का area क्या बताता है?”
बच्चे कहते हैं – “कितनी जगह घेरता है” → Concept understood.
Meaning:
जब हम जो सीखा है उसे जीवन की स्थितियों में उपयोग (apply) करते हैं, तो उसे application कहते हैं।
Example (Daily life):
खरीदारी करते समय अगर बच्चा “₹20 × 3 = ₹60” लगाकर कुल कीमत निकालता है → वह mathematics apply कर रहा है।
Classroom link:
Teacher बच्चों से कहे – “1 pencil ₹5 की है, तो 6 pencils कितनी?”
→ बच्चा real-life calculation करता है → Application in life.
Meaning:
Conceptual का अर्थ है अवधारणा पर आधारित — यानी किसी rule या idea को समझना, न कि रटना।
Example (Daily life):
बच्चा समझे कि ½ का मतलब “कुल का आधा भाग” है — यह conceptual understanding है।
Classroom link:
Teacher fraction सिखाने के लिए रोटी को 2 भागों में बाँटकर दिखाता है → concept clear.
Meaning:
जो वस्तु हम देख सकते हैं, छू सकते हैं या गिन सकते हैं, वह concrete कहलाती है।
बच्चे पहले concrete चीज़ों से सीखते हैं और फिर abstract symbols पर जाते हैं।
Example (Daily life):
3 apples दिखाना → Concrete learning.
फिर “3” symbol सिखाना → Abstract learning.
Classroom link:
Teacher blocks या beads से addition सिखाता है।
Meaning:
जब हम कई examples देखकर एक rule बनाते हैं, तो यह inductive reasoning कहलाती है।
Example (Classroom):
2 + 2 = 4
3 + 3 = 6
4 + 4 = 8
→ Rule बना – “जब कोई संख्या खुद से जुड़ती है तो double बनता है।”
Meaning:
जब हम किसी सामान्य नियम (general rule) से नया निष्कर्ष (new conclusion) निकालते हैं, तो यह deductive reasoning है।
Example (Classroom):
Rule – “सभी सम संख्या 2 से विभाज्य होती हैं।”
Conclusion – “8 सम है, इसलिए 8 भी 2 से विभाज्य होगा।”
Meaning:
Systematic का अर्थ है — कोई कार्य एक निश्चित क्रम (order) या योजना (plan) से करना।
Mathematics में हर solution का एक सही क्रम होता है।
Example:
Addition पहले, फिर subtraction करना → step-wise solution → systematic thinking.
Classroom link:
Teacher सिखाता है – “पहले multiply करो, फिर add करो” → order follow करना = systematic.
Meaning:
Precision का अर्थ है – बिल्कुल सही होना, बिना गलती के।
Mathematics में हर answer exact होना चाहिए।
Example (Daily life):
अगर thermometer पर 98.6°F लिखा है, तो वह 99 नहीं कहा जा सकता।
Classroom link:
Measurement activity में बच्चे सही cm तक नापते हैं → precision learning.
Meaning:
जब गणित को केवल किताब में नहीं, बल्कि जीवन की परिस्थितियों में प्रयोग (apply) किया जाए, तो वह application-based learning है।
Example:
Students market visit करके bill बनाते हैं, discount निकालते हैं → learning by doing.
Meaning:
जब गणित को daily experiences जैसे खाना बनाना, पैसे गिनना, समय बताना, से जोड़ा जाए, तो वह real-life connection कहलाता है।
Example (Classroom):
Teacher बच्चों से कहे – “अगर एक chocolate ₹10 की है और तुम्हारे पास ₹50 हैं, तो कितनी ले सकते हो?”
→ बच्चा real situation में गणना करता है।
Meaning:
जब बच्चा concept को समझकर सीखता है, न कि रटकर, तो वह meaningful learning कहलाती है।
Example:
“Area” को केवल formula से नहीं, बल्कि “जगह घेरने की मात्रा” से जोड़कर समझना।
Mathematics is Logical → हर concept reasoning पर आधारित होता है।
Abstract Nature → Numbers और symbols अमूर्त होते हैं, जिन्हें हम सोचकर समझते हैं।
Precise Nature → हर rule exact और universal होता है।
Understanding Objective → Concept का अर्थ और कारण समझना।
Reasoning Objective → हर उत्तर के पीछे तर्क देना।
Application Objective → गणित को जीवन की स्थितियों में उपयोग करना।
Real-life Connection → Cooking, shopping, time, measurement में गणित का प्रयोग।
Teacher’s Role → Concrete से Abstract की ओर ले जाना; Real-life examples से सिखाना।
Inductive & Deductive Reasoning → Example से rule बनाना और rule से conclusion निकालना।
Precision & Systematic Thinking → Exactness और step-wise solving गणित की पहचान है।
Mathematics एक व्यवस्थित (Systematic) और तार्किक (Logical) विषय है।
यह symbols, numbers, और patterns के माध्यम से दुनिया को समझने में मदद करता है।
Example: जब हम गिनती करते हैं (1, 2, 3…), हम एक निश्चित pattern follow करते हैं।
Mathematics का संबंध केवल calculation से नहीं है, बल्कि यह सोचने, तर्क करने और समस्याओं को हल करने का तरीका सिखाता है।
Example: “अगर मेरे पास 5 सेब हैं और 2 दे दिए, तो कितने बचे?” — यह सोचने की प्रक्रिया है।
गणित का प्रयोग दैनिक जीवन (daily life) में हर जगह होता है — खरीदारी, समय, दूरी, पैसों की गणना, रसोई में माप आदि।
Mathematics की प्रकृति हमें संगठित सोच (organized thinking) और तार्किक निर्णय (logical decision) लेना सिखाती है।
Logical (तार्किक) का मतलब है – हर निष्कर्ष (conclusion) किसी तर्क (reasoning) पर आधारित होता है।
कोई भी बात गणित में बिना कारण नहीं मानी जाती।
गणित में proof (सिद्धि) की बहुत अहम भूमिका है।
Example: हम कहते हैं “2 + 2 = 4” क्योंकि इसे हम logically verify कर सकते हैं —
पहले 2 चीज़ें लो, फिर 2 और जोड़ो, अब कुल 4 हैं।
Deductive reasoning (निगमनात्मक तर्क) – गणित में बड़े सिद्धांत से छोटे निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
Example: अगर सभी सम संख्या 2 से विभाज्य होती हैं, तो 8 भी 2 से विभाज्य होगा।
Inductive reasoning (आगमनात्मक तर्क) – कई examples देखकर एक rule बनाते हैं।
Example: 2 + 2 = 4, 3 + 3 = 6, 4 + 4 = 8 देखकर हम कहते हैं — “हर संख्या को उसी से जोड़ने पर double बनता है।”
Classroom Example:
जब teacher बच्चों से pattern दिखाकर कहता है — “1, 3, 5, 7… अगली संख्या क्या होगी?”
बच्चा logical reasoning से कहेगा “9”, क्योंकि उसने pattern समझा।
Abstract (अमूर्त) का अर्थ है — जो concrete (ठोस) नहीं है, जिसे हम देख नहीं सकते, केवल सोच सकते हैं।
Mathematics में concepts जैसे number, line, point, circle, zero — ये सब अमूर्त हैं।
Example: “Point (बिंदु)” का कोई आकार या आकार नहीं होता, लेकिन हम उसे कल्पना (imagination) से समझते हैं।
Mathematics में हम symbols (जैसे +, −, ×, ÷) और letters (जैसे x, y, a, b) से ideas व्यक्त करते हैं।
ये symbols किसी वास्तविक चीज़ का रूप नहीं हैं, बल्कि concept को represent करते हैं।
इस अमूर्तता के कारण गणित universal होता है —
2 + 2 = 4 हर भाषा, देश और संस्कृति में समान रहेगा।
Classroom Example:
जब बच्चे को “number 5” सिखाते हैं, तो शुरुआत में 5 apples या 5 pencils दिखाते हैं (Concrete stage)।
धीरे-धीरे बच्चा “5” की abstract meaning समझ जाता है — कि यह केवल मात्रा (quantity) को दर्शाता है।
Precise (सटीक) का अर्थ है — स्पष्ट, सही, और बिना भ्रम (without confusion) के।
Mathematics में हर statement का एक ही अर्थ होता है — कोई अस्पष्टता नहीं होती।
Example: “Triangle has 3 sides” — यह स्पष्ट और सटीक तथ्य है, इसमें कोई doubt नहीं।
Rules, formulas और definitions हमेशा निश्चित (fixed) होते हैं।
Example: Area of rectangle = length × breadth — यह हर जगह एक समान रहेगा।
Mathematics की यही सटीकता (precision) इसे science की भाषा (language of science) बनाती है।
Classroom Example:
जब बच्चा addition या multiplication करता है, तो answer हर बार वही आता है।
जैसे 6 × 3 = 18 हमेशा रहेगा — यह precision है।
Logical nature → जब बच्चा reasoning से समझे कि “अगर एक किलो में 1000 ग्राम हैं, तो आधा किलो = 500 ग्राम।”
Abstract nature → जब बच्चा बिना वस्तु देखे “5 + 3 = 8” बोल देता है — यह अमूर्त सोच है।
Precise nature → Measurement activities में जब teacher ruler से exact 10 cm लंबाई नापता है।
Teacher का कार्य →
बच्चों को Concrete से Abstract की ओर ले जाना।
Activities से logical reasoning develop करना।
Precision सिखाने के लिए सही mathematical language प्रयोग कराना।
Mathematics is Logical (तार्किक) → हर निष्कर्ष reasoning और proof पर आधारित होता है।
Mathematics is Abstract (अमूर्त) → concepts imagination और symbols पर आधारित हैं, न कि किसी physical चीज़ पर।
Mathematics is Precise (सटीक) → हर rule, formula, definition exact और universal होता है।
Mathematics हमें clear thinking, logical reasoning, accuracy, और problem-solving सिखाता है।
Teacher को चाहिए कि बच्चों में curiosity (जिज्ञासा) और reasoning habit विकसित करे ताकि वे गणित को “rules” नहीं बल्कि “reasoning का तरीका” समझें।
गणित पढ़ाने के उद्देश्य (Aims of Teaching Mathematics)
गणित शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य (Specific Objectives)
Understanding (समझ)
Reasoning (तार्किक क्षमता)
Application (प्रयोग करने की क्षमता)
Classroom examples
Summary / Revision Points
Aim (उद्देश्य) का मतलब है — “हम किसी विषय को क्यों पढ़ा रहे हैं?”
यानी गणित पढ़ाने का अंतिम मकसद क्या है।
गणित का मुख्य उद्देश्य केवल गिनना या गणना करना (calculation) नहीं है, बल्कि बच्चे में सोचने की शक्ति (thinking power) और समस्या हल करने की क्षमता (problem-solving ability) विकसित करना है।
गणित शिक्षण के मुख्य उद्देश्य हैं —
बच्चों में logical thinking (तार्किक सोच) विकसित करना।
Conceptual understanding (संकल्पनात्मक समझ) बढ़ाना।
Accuracy (सटीकता) और discipline (अनुशासन) सिखाना।
Application of knowledge सिखाना ताकि वे जीवन की समस्याओं को हल कर सकें।
Interest and confidence विकसित करना ताकि बच्चे गणित से डरें नहीं, बल्कि मज़ा लें।
गणित के उद्देश्य बच्चे को अच्छा thinker, decision maker और problem solver बनाना है।
Understanding (समझ) का मतलब है —
केवल formula याद करना नहीं, बल्कि यह जानना कि “क्यों” और “कैसे” होता है।
बच्चा गणित के concepts को meaningfully समझे (meaningful learning), न कि रटकर सीखे।
Example: बच्चा सिर्फ “Area = L × B” याद न करे, बल्कि समझे कि यह “आयत के अंदर की जगह” को बताता है।
Understanding के प्रकार —
Conceptual Understanding – Concepts के बीच संबंध समझना।
Procedural Understanding – Step-by-step प्रक्रिया समझना।
Teacher की भूमिका –
Concrete से Abstract की ओर सिखाना।
Examples, charts, activities से concept clear कराना।
जैसे “fraction” सिखाते समय रोटी के टुकड़े दिखाना (½, ¼ आदि)।
Classroom Example –
“2 × 3” का अर्थ बच्चा समझे कि इसका मतलब “2 groups of 3 objects” है, न कि केवल “6”।
Reasoning (तर्क) का अर्थ है — किसी निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए सोचने और कारण ढूँढने की क्षमता।
गणित सिखाने का एक बड़ा उद्देश्य बच्चों में logical reasoning (तार्किक सोच) विकसित करना है।
यानी “क्यों ऐसा हुआ?” “कैसे यह नियम काम करता है?” समझना।
Reasoning दो प्रकार की होती है —
Inductive reasoning (आगमनात्मक तर्क) → कई उदाहरणों से नियम बनाना।
Deductive reasoning (निगमनात्मक तर्क) → किसी सामान्य नियम से निष्कर्ष निकालना।
Teacher का कार्य —
बच्चों से “why” और “how” वाले प्रश्न पूछना।
बच्चों को अपने उत्तर के पीछे कारण बताने को प्रोत्साहित करना।
Classroom Example –
शिक्षक पूछे: “अगर 2 even numbers जोड़ें तो answer even क्यों आता है?”
बच्चा कहेगा: “क्योंकि even + even हमेशा 2 का multiple देता है।”
Reasoning से बच्चा critical thinking (आलोचनात्मक सोच) और decision-making सिखता है।
Application (प्रयोग) का अर्थ है —
जो सीखा है उसे daily life situations में लागू (apply) करना।
गणित सिखाने का उद्देश्य यह है कि बच्चा real life में गणित का उपयोग कर सके।
Example: पैसे गिनना, समय बताना, दूरी नापना, खरीदारी में जोड़-घटाना।
गणित केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि जीवन कौशल (life skills) का हिस्सा बने।
Application से बच्चे को समझ आता है कि “Maths is useful and meaningful.”
Classroom Example –
Teacher बच्चों को कहे — “अगर एक pencil ₹5 की है, तो 6 pencils की कीमत कितनी होगी?”
बच्चा multiplication apply करके answer निकालेगा।
जब बच्चा mathematical knowledge को real life में use करता है, तभी असली learning होती है।
Understanding बढ़ाने के लिए –
Concrete materials (जैसे beads, blocks, pictures) से शुरुआत करो।
Real-life context दो (market, games, cooking, etc.)
Reasoning सिखाने के लिए –
“Why” और “How” वाले सवाल पूछो।
Patterns और puzzles से बच्चों को सोचने पर मजबूर करो।
Application सिखाने के लिए –
Mathematical games, projects, surveys कराओ।
Measurement और calculation से जुड़ी activities करवाओ।
Aims of Teaching Mathematics → बच्चे में logical thinking, understanding, reasoning और application develop करना।
Understanding (समझ) → Concept और process को समझना, केवल formula याद न करना।
Reasoning (तर्क) → हर उत्तर के पीछे कारण समझना और logical decision लेना।
Application (प्रयोग) → सीखे हुए ज्ञान को जीवन की परिस्थितियों में इस्तेमाल करना।
Mathematics सिखाने का अंतिम उद्देश्य →
“To make a child Think Mathematically, Reason Logically, and Act Precisely.”
शिक्षक की भूमिका →
बच्चों को Conceptual + Practical learning दोनों देना।
Learning को Meaningful, Logical, और Useful बनाना।
(Relation of Mathematics with Life)
गणित कोई “केवल किताबों में लिखा विषय” नहीं है, बल्कि जीवन का हिस्सा (part of life) है।
हम सुबह उठने से लेकर रात सोने तक अनजाने में गणित का उपयोग करते हैं।
गणित हमें सोचने (thinking), मापने (measuring), गिनने (counting), और निर्णय लेने (decision-making) में मदद करता है।
जीवन की हर गतिविधि — जैसे समय देखना, पैसे गिनना, खाना बनाना, यात्रा करना, खेलना, खरीदारी करना — गणित से जुड़ी हुई है।
गणित हमें organized, systematic और logical जीवन जीना सिखाता है।
इसलिए कहा जाता है –
👉 “Mathematics is the language of life.” (गणित जीवन की भाषा है)
(Use of Mathematics in Daily Life)
Cooking / खाना बनाना – मापना (measurement) जैसे – 1 कप चावल, 2 लीटर पानी, समय देखना।
Example: अगर रोटी 2 मिनट में सिकती है, तो 10 रोटियाँ = 20 मिनट लगेंगे → Multiplication in use
Budget बनाना – घर के खर्च और आय की गणना करना।
Example: महीने की कुल आय ₹20,000 और खर्च ₹15,000 → बचत ₹5,000 → Subtraction in life
समय प्रबंधन (Time management) – घड़ी देखना, routine बनाना, alarms सेट करना → Time calculation
Price calculation (कीमत निकालना) – वस्तुओं की कुल कीमत निकालना।
Example: 3 किलो सेब ₹80 प्रति किलो → 3 × 80 = ₹240
Discount और Profit-Loss समझना।
Example: ₹100 का सामान 20% छूट पर → ₹80 में मिलेगा।
Money transactions (पैसे का लेनदेन) – पैसे देना, बचा हुआ पैसा वापस लेना → Addition/Subtraction का प्रयोग।
Distance और Time calculation – “अगर स्कूल 5 km दूर है और मैं 1 km/10 min चलता हूँ, तो पहुँचने में 50 min लगेंगे।”
Speed and Distance relation –
Example: “अगर bus 60 km/hr की गति से चलती है, तो 2 घंटे में 120 km तय करेगी।”
Navigation / Map reading – Directions, angle, scale — सब गणितीय concepts हैं।
Interest (ब्याज), Savings (बचत), EMI (किस्त) — सब गणित पर आधारित हैं।
Example: ₹10,000 पर 10% ब्याज → ₹1,000 एक वर्ष में।
Online payments – Total, discounts, tax calculation, etc.
Cricket – Run rate, average, strike rate → सब गणित से निकलता है।
Football / Basketball – Score keeping, time counting, comparison → Arithmetic use।
Board Games (Ludo, Snakes & Ladders) – Counting, probability, patterns develop होते हैं।
Measurement (मापन) – लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई मापना।
Geometry (ज्यामिति) – Shapes, angles, area, volume का प्रयोग।
Example: घर बनाते समय दीवार की लंबाई और ईंटों की संख्या का अनुमान लगाना।
(How Teachers Can Connect Maths with Real Life)
Concrete to Abstract Approach –
पहले वास्तविक चीज़ें दिखाना (जैसे 3 apples), फिर symbols सिखाना (3 + 2 = 5)।
Daily-life examples से सिखाना –
Money, calendar, measuring tape, clock का उपयोग करना।
Mathematical games / activities करवाना — जैसे “Shopping role play”, “Time chart making”, “Measurement race” आदि।
Project-based learning –
Example: “हमारे घर का एक दिन का पानी उपयोग” का chart बनाना — इससे बच्चा data handling सीखता है।
Classroom Question Example:
“अगर एक chocolate ₹5 की है और तुम्हारे पास ₹20 हैं, तो कितनी chocolates खरीद सकते हो?”
→ बच्चा तुरंत real-life में math लागू करता है।
(Why Real-life Connection is Important in Teaching Mathematics)
Learning becomes meaningful (अर्थपूर्ण सीख) – बच्चा समझता है कि वह जो सीख रहा है, वह काम का है।
Interest और Motivation बढ़ता है – जब बच्चा देखता है कि गणित रोजमर्रा के कामों में आता है।
Concept clarity (संकल्पना स्पष्ट) – बच्चे abstract concept को real चीज़ों से जोड़कर बेहतर समझते हैं।
Confidence develop होता है – बच्चा महसूस करता है कि “मैं गणित समझ सकता हूँ और use कर सकता हूँ।”
Life skills develop होती हैं – जैसे budget बनाना, logical decision लेना, planning करना।
Mathematics is everywhere – घर, बाज़ार, यात्रा, खेल, बैंक, निर्माण आदि हर जगह गणित का उपयोग होता है।
Daily life में गणित के उपयोग:
Counting (गिनती) – वस्तुओं की संख्या जानना
Measurement (मापन) – लंबाई, समय, वजन
Calculation (गणना) – जोड़, घटाना, गुणा, भाग
Money handling (पैसे का लेनदेन)
Decision-making (निर्णय लेना)
Classroom में real-life connection से बच्चा गणित को feel करता है, सिर्फ learn नहीं करता।
Teacher की भूमिका →
Concrete examples देना,
Daily life activities से जोड़ना,
Students को “Maths in Life” देखने की आदत डालना।
Core idea:
👉 “Mathematics is not about numbers only; it is about life, logic, and living wisely.”
📋 Topics:-
Meaning: Concrete का मतलब है “ऐसी चीज़ जो देखी, छुई या महसूस की जा सके।”
बच्चों के लिए सीखना हमेशा ठोस चीज़ों से शुरू होता है क्योंकि वे चीज़ों को directly experience करते हैं।
Example:
बच्चे को “2 apples” दिखाकर counting सिखाना — ये ठोस अनुभव है।
बच्चे को पहले “objects” दिखाकर फिर “numbers” सिखाना concrete learning कहलाता है।
Meaning: Abstract का मतलब है “जो सीधे देखा या छुआ नहीं जा सकता, केवल दिमाग से समझा जा सकता है।”
यह सोचने और reasoning (तर्क) की higher stage होती है।
Example:
जब बच्चा “2 + 3 = 5” बिना चीज़ें गिने solve करता है, तो वो abstract thinking है।
Meaning: Inductive reasoning का मतलब है “specific से general तक पहुँचना।”
यानी पहले कई examples देखकर कोई general rule बनाना।
Example:
अगर बच्चा देखता है कि “2+2=4”, “3+3=6”, “4+4=8”, तो वह rule बनाता है कि “दो समान numbers जोड़ने पर answer हमेशा even आता है।”
यह induction कहलाता है।
Meaning: Deductive reasoning में बच्चा पहले general rule जानता है और फिर उसे specific example पर apply करता है।
Example:
General rule: “All even numbers are divisible by 2.”
जब बच्चा check करता है कि “8 ÷ 2 = 4”, तो वह deduction कर रहा है।
Meaning: यह learning theory कहती है कि बच्चे अपना ज्ञान खुद बनाते हैं (actively construct) — वे केवल teacher से सुनकर नहीं सीखते, बल्कि खुद सोचकर और अनुभव से सीखते हैं।
Example:
Teacher अगर बच्चों को “measuring activity” खुद करने दे, तो बच्चा खुद concept बनाता है कि “1 meter = 100 cm” कैसे होता है।
Meaning: Scaffolding का मतलब है जब teacher या elder बच्चे को learning के दौरान “temporary help” देता है ताकि बच्चा धीरे-धीरे independently सीख सके।
जैसे building बनाने में scaffold (लकड़ी का सहारा) use होता है।
Example:
Teacher पहले steps बताता है कि “how to divide numbers”, फिर बच्चा खुद कोशिश करता है। धीरे-धीरे help हट जाती है।
Meaning: यह Vygotsky का concept है — यह बताता है कि बच्चा क्या खुद कर सकता है और क्या थोड़ी मदद से कर सकता है।
ZPD का area वही होता है जहाँ learning सबसे प्रभावी होती है।
Example:
बच्चा खुद 2-digit addition कर सकता है, लेकिन 3-digit addition teacher की मदद से करता है — यही उसका ZPD है।
Meaning: Schema का मतलब है बच्चे के दिमाग में बनी knowledge की structure या pattern।
जब बच्चा नया कुछ सीखता है, तो वह उसे अपने पुराने knowledge से जोड़ता है।
Example:
बच्चा “rectangle” और “square” को एक ही category “shapes” के रूप में समझता है — यह उसका schema है।
Meaning: जब बच्चा नई जानकारी को अपने पुराने ज्ञान में मिला देता है, तो उसे assimilation कहते हैं।
Example:
बच्चा पहले “2D shapes” जानता है, और अब “triangle” को उसी में जोड़ लेता है — यह assimilation है।
Meaning: जब बच्चा अपना पुराना schema बदलकर नया concept समझता है, तो यह accommodation होता है।
Example:
पहले बच्चा सोचता है “सभी चार पहियों वाले वाहन car होते हैं।”
फिर वो सीखता है कि “truck” और “bus” भी चार पहिए वाले हैं, पर car नहीं — यह accommodation है।
Meaning: जब बच्चा किसी specific examples से एक common rule या pattern समझ लेता है।
Example:
अगर बच्चा बार-बार देखता है कि “when we multiply any number by 0, the answer is 0,” तो वह generalise कर लेता है — यह generalisation है।
Meaning: हर गणितीय concept एकदम से नहीं आता — बच्चा उसे धीरे-धीरे छोटे-छोटे steps में सीखता है।
Example:
पहले counting → फिर addition → फिर subtraction → फिर multiplication।
यह step-by-step concept building है।
Meaning: जब बच्चा केवल सुनता नहीं, बल्कि करके (hands-on) सीखता है।
Example:
Shapes सिखाने में बच्चे खुद paper काटकर shapes बनाते हैं — ये active learning है।
Meaning: बच्चे के सोचने, समझने, याद रखने और problem-solving की क्षमता का विकास।
Example:
Piaget की theory cognitive development को explain करती है — जैसे बच्चा concrete से abstract की ओर बढ़ता है।
Meaning: किसी चीज़ को समझाने या दिखाने का तरीका — जैसे enactive (by doing), iconic (by pictures), symbolic (by symbols)।
Example:
Bruner ने कहा — “पहले बच्चा blocks से count करता है (enactive), फिर pictures से (iconic), फिर numbers से (symbolic)।
Concrete → Abstract: Learning हमेशा ठोस चीज़ों से शुरू होकर abstract सोच तक पहुँचती है।
Inductive–Deductive: Induction = example से rule बनाना; Deduction = rule से example apply करना।
Constructivism: बच्चा खुद अपना ज्ञान बनाता है (learning by doing)।
Piaget: Schema, Assimilation, Accommodation, Equilibration।
Bruner: Three modes – Enactive, Iconic, Symbolic।
Vygotsky: ZPD + Scaffolding (learning through social interaction)।
Mathematical Concept Building: Step-by-step learning process (from simple to complex)।
Generalisation: कई examples से common rule बनाना।
Teacher’s Role: Facilitator (मार्गदर्शक) जो बच्चे को सोचने और खुद समझने का मौका देता है।
Child’s thinking (बच्चे की सोच) मतलब – बच्चा किस तरह से समझता है, तर्क करता है और समस्याओं का हल (problem-solving) करता है।
बच्चा सीधे abstract (अमूर्त) सोच नहीं सकता।
उसे पहले real objects (वास्तविक वस्तुएँ) और situations से समझाना पड़ता है।
हर बच्चा अपनी पूर्व ज्ञान (prior knowledge) और अनुभव (experience) के आधार पर गणित को समझता है।
जैसे – बच्चा “5 + 3” को पहले 5 सेब + 3 सेब समझता है, बाद में इसे number symbols में समझता है।
बच्चा पहले देखकर, छूकर, करके (hands-on) सीखता है और धीरे-धीरे सोचने (thinking) और तर्क करने (reasoning) की ओर बढ़ता है।
इस चरण में बच्चा वास्तविक वस्तुओं (real-life objects) से सीखता है।
जैसे – blocks, sticks, beads, coins आदि से गिनती सिखाना।
बच्चा अनुभव से सीखता है, और उसकी समझ व्यावहारिक (practical) होती है।
Example: शिक्षक बच्चों को 10 चॉकलेट दिखाकर पूछता है – “अगर मैं 3 दे दूँ, तो कितनी बचेंगी?”
बच्चा वस्तुओं को गिनकर उत्तर निकालता है।
बच्चा अब चित्रों, निशानों या drawing के रूप में चीजों को समझता है।
Example: 5 सेब + 3 सेब = 8 सेब को चित्रों या dots से दिखाना।
यह Concrete से Abstract की तरफ़ एक मध्य अवस्था (middle stage) होती है।
अब बच्चा symbols (प्रतीकों) जैसे 5 + 3 = 8 को बिना वस्तुओं के समझ सकता है।
उसकी सोच logical (तर्कसंगत) और conceptual (सैद्धांतिक) बन जाती है।
Example: अब बच्चा जानता है कि “+” का मतलब addition (जोड़ना) है, बिना किसी वस्तु के।
इस अवस्था में बच्चे की सोच मौलिक (independent) और reasoning-based हो जाती है।
इसमें हम specific examples (विशिष्ट उदाहरणों) से general rule (सामान्य नियम) बनाते हैं।
यानी “from particular to general” (विशेष से सामान्य) की ओर बढ़ना।
यह तरीका बच्चों के लिए बहुत उपयुक्त है क्योंकि वे observe (देखकर) और discover (खोजकर) सीखते हैं।
Example:
शिक्षक कुछ संख्याओं के जोड़े लिखता है:
2 + 3 = 5, 3 + 2 = 5, 1 + 4 = 5
बच्चा खुद नियम निकालता है कि “जब दो संख्याओं को जोड़ा जाए, तो क्रम बदलने पर भी योग समान रहता है।”
यह Commutative Law of Addition (योग का स्थानांतरण नियम) कहलाता है।
इसमें हम general rule (सामान्य नियम) से specific example (विशिष्ट उदाहरण) पर जाते हैं।
यानी “from general to particular” (सामान्य से विशेष) की ओर बढ़ना।
यह तरीका तब प्रयोग होता है जब बच्चे को मूल सिद्धांत (basic concept) पहले से पता हो।
Example:
शिक्षक कहता है: “All even numbers are divisible by 2.”
फिर पूछता है: “Is 18 divisible by 2?” → बच्चा नियम का प्रयोग करके उत्तर निकालता है।
अच्छा शिक्षक दोनों विधियों का प्रयोग करता है —
पहले Inductive से बच्चा rule खोजे,
फिर Deductive से वह rule apply करे।
Example:
बच्चा पहले addition के rule को observe करके सीखता है (Inductive)।
फिर उसी rule को नई problems पर apply करता है (Deductive)।
Concrete से Abstract तक बच्चे को धीरे-धीरे ले जाना।
Activity-based learning (गतिविधि आधारित सीख) कराना ताकि बच्चा खुद खोज करे।
Errors (गलतियाँ) को learning का हिस्सा मानना – क्योंकि बच्चे गलतियों से सोच विकसित करते हैं।
बच्चों को reasoning (तर्क) और application (प्रयोग) के अवसर देना।
Classroom में real-life examples देना जैसे –
पैसे गिनना,
समय बताना,
लंबाई या वजन मापना।
बच्चा पहले Concrete → Representational → Abstract की प्रक्रिया से सीखता है।
Concrete stage में बच्चा वस्तुओं से सीखता है।
Abstract stage में वह symbols और logic से समझता है।
Inductive approach: particular → general (rule खोजता है)।
Deductive approach: general → particular (rule लागू करता है)।
दोनों तरीकों का संयोजन संतुलित गणित शिक्षण (balanced teaching) कहलाता है।
शिक्षक का कार्य है – बच्चे की सोच को तर्कपूर्ण, रचनात्मक (creative) और स्वतंत्र (independent) बनाना।
Constructivism (रचनावाद) का मतलब है – “बच्चा खुद अपने अनुभवों से ज्ञान निर्माण (construct) करता है।”
यह विचार Jean Piaget, Jerome Bruner और Lev Vygotsky जैसे मनोवैज्ञानिकों ने दिया।
Constructivism कहता है कि —
ज्ञान शिक्षक द्वारा “देने” से नहीं,
बल्कि बच्चे के “सोचने, करने और अनुभव करने” से बनता है।
गणित में Constructivism का मतलब है —
बच्चा खुद patterns, rules और formulas discover (खोज) करे।
शिक्षक उसका मार्गदर्शक (guide) बनता है, न कि केवल बताने वाला।
Example:
अगर बच्चा 2 + 3 = ? सीख रहा है — तो शिक्षक उसे 2 और 3 सेब दे कर खुद जोड़ने को कहे।
👉 बच्चा खुद उत्तर “5” बनाता है — यही है constructivist learning.
Jean Piaget (जीन पियाजे) ने बताया कि बच्चे की सोच चार चरणों (stages) में विकसित होती है:
Sensory Motor Stage (0–2 वर्ष) – बच्चा केवल छूकर, देखकर सीखता है।
Pre-operational Stage (2–7 वर्ष) – कल्पना और चित्रों से सीखना पसंद करता है।
Concrete Operational Stage (7–11 वर्ष) – ठोस वस्तुओं से तर्क (logical thinking) शुरू करता है।
Formal Operational Stage (11+ वर्ष) – अब बच्चा अमूर्त (abstract) रूप से सोच सकता है।
गणित में उपयोग (Application in Maths):
Piaget के अनुसार बच्चे को पहले Concrete (ठोस) अनुभव दिए जाएँ।
Example: जोड़–घटाना काउंटर, मोती, ब्लॉक्स से करवाना।
फिर उसे Representational (चित्रों या निशानों) के रूप में दिखाना।
अंत में उसे Abstract symbols (जैसे 3 + 4 = 7) में बदलना।
इस प्रक्रिया से बच्चा Conceptual understanding (संकल्पनात्मक समझ) विकसित करता है।
Classroom Example:
शिक्षक बच्चों को 5 लाल मोती और 3 नीले मोती देता है →
बच्चे उन्हें जोड़ते हैं →
शिक्षक पूछता है: “अब कितने मोती हैं?”
👉 बच्चा खुद जोड़ कर concept of addition समझता है।
Jerome Bruner (जेरोम ब्रूनर) ने कहा कि बच्चा तीन तरीकों से सीखता है —
इसे Modes of Representation (प्रतिनिधित्व के तरीके) कहा जाता है:
Enactive Mode (क्रियात्मक अवस्था) –
बच्चा करके (by doing) सीखता है।
Example: Counting by touching beads or blocks.
Iconic Mode (चित्रात्मक अवस्था) –
बच्चा चित्रों, आकृतियों, और symbols के रूप में सोचता है।
Example: Apples या dots के चित्र बनाकर addition दिखाना।
Symbolic Mode (प्रतीकात्मक अवस्था) –
बच्चा संख्याओं और चिन्हों से सीखता है।
Example: 3 + 2 = 5 लिखकर हल करना।
गणित में उपयोग:
शिक्षक को विषय सिखाते समय इन तीनों अवस्थाओं को क्रम में प्रयोग करना चाहिए।
इससे बच्चा “Concrete to Abstract” की प्रक्रिया से गुजरता है।
Example:
2 + 3 = ? → पहले बच्चे को 2 और 3 ब्लॉक्स दो।
फिर वह चित्र बनाकर जोड़े।
अंत में संख्या में लिखे → 2 + 3 = 5
👉 इस प्रकार बच्चा खुद concept construct करता है।
Lev Vygotsky (लेव व्यगोत्स्की) ने कहा कि सीखना हमेशा सामाजिक (social) होता है।
बच्चे अकेले नहीं, बल्कि दूसरों (teachers, parents, peers) की मदद से सीखते हैं।
ZPD का मतलब है – जो बच्चा अकेले नहीं कर सकता, पर दूसरों की मदद से कर सकता है।
यह बच्चे की संभावना (potential) को दिखाता है।
Example:
बच्चा अकेले 2 अंकों की जोड़ नहीं कर पाता,
लेकिन शिक्षक की मदद से करता है।
👉 यह “ZPD” में आने वाला कार्य है।
“Scaffolding” का मतलब है – धीरे-धीरे सहारा (support) देना ताकि बच्चा खुद सीख सके।
शुरुआत में शिक्षक ज़्यादा मदद करता है,
फिर धीरे-धीरे मदद कम करता जाता है जब बच्चा खुद करने लगे।
Example:
शिक्षक पहले बच्चे को 3 + 2 समझाने में मदद करता है।
फिर कहता है, “अब 4 + 3 खुद करो।”
👉 जैसे निर्माण कार्य में अस्थायी लकड़ी का सहारा (scaffold) दिया जाता है, वैसे ही शिक्षक बच्चे की सीख में अस्थायी मदद देता है।
Facilitator (मार्गदर्शक) बने, सिर्फ “बताने वाला” नहीं।
बच्चों को खोजने, सोचने और चर्चा करने के अवसर दे।
Real-life problems से गणित सिखाए — जैसे खरीद-बिक्री, समय, दूरी।
बच्चों को सहयोग (collaboration) से सीखने दे — group work, peer learning।
Open-ended questions पूछे ताकि बच्चे सोचें:
“अगर ऐसा हो तो क्या होगा?”
“क्या तुम इसे किसी और तरीके से हल कर सकते हो?”
Constructivism: बच्चा खुद अपने अनुभव से ज्ञान बनाता है।
Piaget: Concrete से Abstract की ओर सोच विकसित होती है।
Bruner: तीन चरण – Enactive → Iconic → Symbolic।
Vygotsky: Learning सामाजिक है; ZPD और Scaffolding का प्रयोग जरूरी है।
ZPD: जो बच्चा मदद से कर सकता है।
Scaffolding: अस्थायी मदद जिससे बच्चा स्वतंत्र रूप से सीख सके।
Teacher: Facilitator की भूमिका निभाता है; बच्चों को “सोचने और करने” के अवसर देता है।
Concept (संकल्पना) का मतलब है — किसी विचार, वस्तु या प्रक्रिया को सामान्य रूप से समझना।
यह किसी pattern या relation (संबंध) को पहचानने की क्षमता है।
Mathematical Concept (गणितीय संकल्पना) वह बुनियादी विचार है जो किसी गणितीय नियम, सूत्र या प्रक्रिया को समझने में मदद करता है।
Example: “Addition (जोड़)” एक संकल्पना है जो “संख्या बढ़ाने” के विचार को दर्शाती है।
“Even and Odd Numbers”, “Shapes”, “Fractions”, “Measurement” – ये सभी गणितीय संकल्पनाएँ हैं।
Concept learning का उद्देश्य है कि बच्चा केवल याद न करे, बल्कि “समझे कि क्यों और कैसे”।
यानी rote learning (रटने) की बजाय meaningful learning (अर्थपूर्ण सीख) पर ज़ोर देना।
बच्चा गणितीय संकल्पनाएँ अनुभव (experience) और क्रियाओं (actions) से सीखता है।
हर concept के पीछे एक real-world experience जुड़ा होना चाहिए।
Example: “Longer–Shorter” समझने के लिए बच्चों को दो पेंसिलों की तुलना करवाई जाती है।
बच्चा पहले विशेष उदाहरणों (specific examples) से concept को पहचानता है,
फिर उसे सामान्य रूप (general form) में समझता है।
Example: कई बार जोड़ की समस्याएँ हल करने के बाद बच्चा खुद समझता है कि “जब भी जोड़ते हैं, संख्या बढ़ती है।”
Concept building में observation (अवलोकन), comparison (तुलना), और classification (वर्गीकरण) महत्वपूर्ण हैं।
Mathematical concepts एकदम से नहीं बनते। वे धीरे-धीरे “Concrete से Abstract” की ओर बढ़ते हैं।
यह प्रक्रिया सामान्यतः 4 चरणों में होती है:
बच्चा वास्तविक वस्तुओं (real objects) से सीखता है।
Example: 2 + 3 = ? → बच्चे को 2 और 3 गेंदें दी जाती हैं, वह गिनकर “5” बताता है।
इस स्तर पर “touch, see, do” सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
बच्चा वस्तुओं की जगह चित्र, निशान, या dots का प्रयोग करता है।
Example: Addition को dots या apples के चित्र से दिखाना।
यह बच्चे को Concrete से Abstract की ओर ले जाता है।
बच्चा अब गणितीय symbols (+, –, ×, ÷) का अर्थ समझने लगता है।
Example: वह जानता है कि “+” का मतलब जोड़ना है।
इस अवस्था में reasoning (तर्क) और rules (नियम) बनते हैं।
बच्चा अब सीखे हुए concept को नई स्थितियों (new situations) में प्रयोग करता है।
Example: बच्चा सीखी हुई जोड़ का उपयोग पैसे गिनने, मिठाइयाँ बाँटने या समय जोड़ने में करता है।
👉 Important Note:
हर concept इसी क्रम में सिखाना चाहिए — Concrete → Representational → Symbolic → Application
तभी बच्चा deep understanding विकसित करता है।
Generalisation (सामान्यीकरण) का मतलब है – किसी एक concept को कई नई परिस्थितियों में लागू करना।
यानी जब बच्चा यह समझ जाता है कि “यह नियम हर जगह सही है।”
यह बच्चे की उच्च-स्तरीय सोच (higher-order thinking) को दर्शाता है।
Example 1:
पहले बच्चा सीखता है: 2 + 3 = 3 + 2
फिर वह समझता है कि “जोड़ में संख्याओं का क्रम बदलने से उत्तर नहीं बदलता।”
👉 यह Commutative Law का generalisation है।
Example 2:
बच्चा rectangle और square दोनों में “4 sides” देखता है →
वह समझता है कि दोनों Quadrilaterals (चतुर्भुज) हैं।
Generalisation से बच्चा pattern पहचानना (pattern recognition) और rule बनाना (rule formation) सीखता है।
यह उसे problem-solving में आत्मनिर्भर बनाता है, क्योंकि वह हर नई समस्या में पुराने concept लागू कर पाता है।
Concrete experiences उपलब्ध कराना — blocks, shapes, beads, coins आदि का प्रयोग।
Guided discovery कराना — बच्चे को खुद सोचने, देखने और निष्कर्ष निकालने के अवसर देना।
Real-life connections बनाना — जैसे जोड़ का उपयोग पैसे गिनने में, माप का उपयोग खाना बनाते समय।
Discussion & Questioning – “क्यों?”, “कैसे?”, “अगर ऐसा हो तो?” जैसे प्रश्न पूछना।
Encourage multiple strategies – हर समस्या के अलग-अलग समाधान खोजने देना।
बच्चे की गलतियों को learning opportunity मानना, न कि सज़ा का कारण।
Concept (संकल्पना) = किसी विचार या संबंध की समझ।
गणितीय संकल्पनाएँ बच्चे Concrete experiences से सीखते हैं।
Concept building के चार चरण:
Concrete → Representational → Symbolic → Application
Generalisation (सामान्यीकरण) = concept को नई परिस्थितियों में लागू करना।
यह thinking, reasoning, pattern recognition को बढ़ाता है।
शिक्षक का कार्य है बच्चे को active learner बनाना, न कि केवल सुनने वाला।
गणित सिखाने में “करके सीखना (learning by doing)” और “real-life connection” सबसे ज़रूरी हैं।
📋 Topics:-
Meaning: जब हम छोटे-छोटे examples देखकर कोई बड़ा नियम या general rule बनाते हैं, उसे inductive reasoning कहते हैं।
Hindi में: छोटे उदाहरणों से सामान्य निष्कर्ष निकालना।
Example:
मान लो बच्चों ने देखा कि 2 + 2 = 4, 3 + 3 = 6, 4 + 4 = 8 — तो वे यह general conclusion निकाल सकते हैं कि "जब दो same numbers को जोड़ा जाता है तो उत्तर उनका double होता है।"
👉 ये reasoning बच्चों के observation पर आधारित होती है।
Meaning: जब हम पहले से बने हुए नियम (rule/law) से किसी विशेष situation के बारे में निष्कर्ष निकालते हैं।
Hindi में: पहले से ज्ञात general नियम से खास conclusion निकालना।
Example:
अगर नियम है कि "हर सम संख्या (even number) दो से विभाजित हो सकती है", तो हम 28 को देखकर कह सकते हैं कि ये divisible by 2 है।
👉 ये reasoning लॉजिक और नियमों पर आधारित होती है, ना कि observation पर।
Meaning: एक अनुमान जो हम किसी समस्या को हल करने के पहले लगाते हैं — जिसे बाद में हम prove या disprove करते हैं।
Hindi में: अनुमान जो temporarily माना जाता है।
Example:
अगर बच्चे को लगता है कि "हर बार जब मैं 5 से गुणा करता हूँ तो अंतिम अंक 0 या 5 आता है" — तो ये उसकी hypothesis है जिसे वह examples से test करेगा।
Meaning: समस्या हल करने की ऐसी तकनीक जिसमें कोई fix rule नहीं होता, लेकिन सोचने की प्रक्रिया होती है — जैसे अंदाज़ा लगाना, patterns देखना।
Hindi में: समाधान की दिशा में सोचने के creative तरीके।
Example:
बच्चा अलग-अलग numbers को जोड़कर देख रहा है कि किससे 10 बन सकता है — ये heuristic approach है।
Meaning: ये problem solving के 4 आसान steps हैं:
समझो (Understand)
योजना बनाओ (Plan)
हल करो (Solve)
जाँच करो (Check)
Example:
अगर सवाल है — एक बच्चा 2 टॉफी रोज़ खाता है, 5 दिन में कितनी खाएगा?
वो पहले सवाल समझेगा (Understand)
फिर योजना बनाएगा (Multiply करेगा)
हल करेगा (2 x 5 = 10)
फिर answer को verify करेगा (Check)
Meaning: जब बच्चे खुद अनुभव या प्रयोग करके ज्ञान प्राप्त करते हैं। Teacher सीधा जवाब नहीं देता, बल्कि बच्चे explore करते हैं।
Hindi में: खुद करने से सीखना।
Example:
Teacher बच्चों को अलग-अलग आकृतियाँ देता है और बच्चे खुद triangle, square की पहचान करना सीखते हैं।
Meaning: Learning through practical tasks and activities. बच्चे hands-on अनुभव से सीखते हैं।
Hindi में: अनुभव से सीखना, जैसे खेल, role-play, चित्र बनाना आदि।
Example:
बच्चों को measuring tape देकर classroom की दीवार नापने को कहा जाए — ये activity-based learning है।
Meaning: Learning through games. Concepts को खेल की तरह सिखाना जिससे बच्चे interest लें।
Hindi में: खेलते हुए सीखना।
Example:
गिनती सिखाने के लिए teacher "snake & ladder" खेल में हर step पर गिनती कराता है।
Meaning: Step by step reasoning करना, बिना guess किए, सही रास्ता ढूँढना।
Hindi में: कारण के आधार पर सोचने की प्रक्रिया।
Example:
बच्चा ये सोचता है कि अगर कल छुट्टी थी और आज सोमवार है, तो परसों रविवार रहा होगा — ये logical thinking है।
Meaning: जब बच्चे किसी चीज़ को अपने हाथों से छूकर, बनाकर, प्रयोग करके सीखते हैं।
Hindi में: सीखने का व्यावहारिक तरीका।
Example:
बच्चे जब पानी को नापने के लिए measuring cup का उपयोग करते हैं — तो ये hands-on learning है।
🔸 Inductive Reasoning = छोटे उदाहरण → general निष्कर्ष
🔸 Deductive Reasoning = general rule → विशेष निष्कर्ष
🔸 Polya’s 4 Steps = Understand → Plan → Solve → Check
🔸 Discovery Learning = खुद अनुभव करके सीखना (no spoon-feeding)
🔸 Activity-Based Learning = बच्चों की active भागीदारी, learning by doing
🔸 Play-way Method = Concepts को खेल के ज़रिए सिखाना
🔸 Heuristic Approach = बिना fix rule के creative solution
🔸 Logical Thinking = cause-effect, step-by-step सोच
🔸 Hands-on Learning = प्रयोगात्मक, manipulatives का प्रयोग
🔸 CTET में reasoning questions ज़्यादातर understanding + application पर आधारित होते हैं, रट्टा नहीं चलेगा।
Mathematical Reasoning का मतलब है — किसी गणितीय विचार या समस्या को तार्किक ढंग से सोचकर समझना और निष्कर्ष निकालना (logical thinking and drawing conclusion)।
गणित केवल गणना (calculation) का विषय नहीं है, बल्कि सोचने और तर्क करने की प्रक्रिया (thinking process) है।
इसमें बच्चा pattern पहचानना (recognizing patterns), संबंध बनाना (making connections) और नियम खोज निकालना (forming rules) सीखता है।
यह बच्चे की critical thinking (आलोचनात्मक सोच) और problem-solving ability को बढ़ाता है।
Class Example:
Teacher लिखती हैं — 2 + 2 = 4, 3 + 3 = 6, 4 + 4 = 8 → बच्चा समझता है कि “जब भी किसी संख्या को दो बार जोड़ते हैं, उत्तर even आता है।”
👉 यही reasoning है।
Meaning:
जब बच्चा Specific examples (विशेष उदाहरणों) से शुरू करके General rule (सामान्य नियम) तक पहुँचता है, तो उसे Inductive Reasoning कहते हैं।
सरल शब्दों में — “Particular से General की ओर जाना।”
Features:
बच्चा observation और examples से pattern खोजता है।
Concept या formula खुद “discover” करता है।
इसका निष्कर्ष (conclusion) निश्चित नहीं, बल्कि अनुमानित (probable) होता है।
Classroom Example:
Teacher board पर लिखती हैं —
1² = 1, 2² = 4, 3² = 9, 4² = 16
→ फिर पूछती हैं, “क्या pattern दिख रहा है?”
बच्चा कहता है — “हर बार square previous से odd number ज्यादा है।”
→ बच्चे ने खुद rule खोजा — यह Inductive reasoning है।
Daily Life Example:
बच्चा देखता है कि हर सुबह सूरज पूर्व से निकलता है।
→ वह general rule बना लेता है कि “सूरज हमेशा पूर्व से निकलता है।”
→ यही inductive reasoning है।
Meaning:
जब बच्चा पहले से ज्ञात General rule (सामान्य नियम) को किसी Specific case (विशेष परिस्थिति) पर लागू करता है, तो इसे Deductive reasoning कहते हैं।
यानी “General से Specific की ओर जाना।”
Features:
यह reasoning निश्चित (certain) होती है।
इसमें बच्चे को पहले से कोई rule या formula पता होता है।
वह उसे नए example पर apply करता है।
Classroom Example:
Rule: “All even numbers are divisible by 2.”
→ बच्चा check करता है: 8 ÷ 2 = 4
→ वह कहता है “8 even है।”
→ उसने general rule को specific case पर apply किया → यह Deductive reasoning है।
Daily Life Example:
Rule: “All fruits have seeds.”
→ बच्चा जब apple में seeds देखता है, तो निष्कर्ष निकालता है “Apple fruit है।”
→ यह deductive reasoning है।
Inductive reasoning में बच्चा examples से rule बनाता है, जबकि Deductive reasoning में वह rule को example पर apply करता है।
Inductive दिशा होती है “Specific → General”, और Deductive दिशा होती है “General → Specific।”
Inductive में परिणाम संभावित (probable) होता है, जबकि Deductive में परिणाम निश्चित (certain) होता है।
Inductive reasoning का उपयोग concept खोजने (discovering concept) में होता है, जबकि Deductive का उपयोग concept लागू करने (applying concept) में होता है।
CTET में इन दोनों reasoning का उद्देश्य बच्चे की सोच को logical और systematic बनाना है।
Active Learning को बढ़ावा देना:
बच्चों को examples और patterns खुद observe करने के अवसर दो।
Inductive से Deductive की ओर सिखाना:
पहले examples से rule खोजने दो (Inductive)।
फिर उसी rule को नई समस्याओं में apply करवाओ (Deductive)।
Concrete से Abstract की ओर बढ़ना:
Objects, charts और visuals से concept introduce करो।
बाद में symbols और formula से समझाओ।
Real-life connection देना:
Shopping, measuring, counting जैसे real-life tasks में reasoning कराना।
Questioning Technique का प्रयोग:
“Why?”, “How?”, “What if?” जैसे प्रश्न पूछना ताकि बच्चा सोच सके।
Errors को सीखने का हिस्सा मानना:
गलती होने पर भी बच्चे की सोच की दिशा को encourage करना चाहिए।
Mathematical Reasoning = तार्किक सोच और निष्कर्ष निकालने की प्रक्रिया।
Inductive Reasoning →
Specific से General की ओर जाती है।
Pattern और observation पर आधारित होती है।
Concept खोजने में उपयोगी होती है।
Deductive Reasoning →
General से Specific की ओर जाती है।
Rule को उदाहरणों पर apply करती है।
Concept लागू करने में उपयोगी होती है।
Teacher’s Role:
पहले अनुभव (Inductive) → फिर नियम का प्रयोग (Deductive)।
Concrete objects से शुरुआत → symbols और abstract तक ले जाना।
Logical सोच और discussion को प्रोत्साहित करना।
✅ In Short:
गणित में “सोचना” ही सबसे बड़ी skill है।
Inductive reasoning बच्चे को “rule खोजने” सिखाती है,
जबकि Deductive reasoning बच्चे को “rule लागू करने” सिखाती है।
यही दोनों reasoning मिलकर बच्चे को अर्थपूर्ण गणित सीखने (meaningful mathematics learning) की दिशा में ले जाती हैं।
जब कोई बच्चा किसी सवाल या स्थिति को समझकर, सोचकर, और तर्क के साथ हल करता है, तो उसे हम Problem Solving (समस्या समाधान) कहते हैं।
यह केवल Maths तक सीमित नहीं है — जीवन की हर स्थिति में समस्या सुलझाने की सोचने की क्षमता (thinking ability) जरूरी होती है।
📌 Example:
बच्चा सोचता है – "अगर ₹10 में एक पेंसिल आती है, तो ₹50 में कितनी पेंसिलें आएंगी?"
→ वह सोचकर उत्तर निकालता है = यह Problem Solving है।
George Polya एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे, जिन्होंने Problem Solving के लिए 4-step method दिया।
यह तरीका आज भी दुनियाभर के स्कूलों में Maths सिखाने के लिए इस्तेमाल होता है।
उनका मानना था – “A good problem solver is a good thinker.”
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि सवाल में पूछा क्या गया है।
शब्दों को ध्यान से पढ़ो, जो चीज़ दी गई है (given), और जो चीज़ निकालनी है (find), उन्हें अलग-अलग नोट करो।
📌 Example:
सवाल: एक टोकरी में 12 आम हैं, और उसमें से 5 खा लिए गए। अब कितने बचे?
→ यहाँ हमें पता लगाना है – “अब कितने आम बचे?”
🎯 Tips:
क्या पूछा गया है?
क्या-क्या दिया गया है?
कौन-कौन से शब्द clue दे रहे हैं?
अब हमें यह सोचना है कि इस समस्या को हल करने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया जाए।
कौन-सा formula, rule या strategy इस्तेमाल करनी है?
📌 Example:
ऊपर वाले सवाल में योजना होगी — घटाव (Subtraction) करना: 12 - 5 = ?
🎯 Strategies हो सकती हैं:
चित्र बनाओ
तालिका (table) बनाओ
अनुमान लगाओ
पहले सरल सवाल करो
अब उस योजना के अनुसार सवाल को step-by-step हल करो।
ध्यान से लिखो, और हर स्टेप की गणना ठीक से करो।
📌 Example:
12 आम - 5 आम = 7 आम बचे।
→ यहाँ योजना को लागू किया गया।
🎯 Tip:
जल्दबाज़ी न करें।
हर स्टेप को साफ-साफ लिखें।
जब उत्तर मिल जाए, तब उसे पुनः जाँचना (verify) ज़रूरी होता है।
सोचो – क्या यह उत्तर तर्कसंगत (reasonable) है?
कभी-कभी इसी स्टेप में गलती पकड़ में आती है।
📌 Example:
क्या 12 - 5 = 7 सही है?
→ हाँ। अगर 7 आम बचे हैं, तो कुल 12 हो गए: 7 बचे + 5 खाए = 12
🎯 यह जाँच हमें आत्मविश्वास देता है।
📌 Example 1 (Primary Level – Maths):
Q: “राहुल के पास 3 रुपये के 4 सिक्के हैं। उसके पास कुल कितने रुपये हैं?”
➤
Understand: एक सिक्का ₹3 का है, ऐसे 4 सिक्के हैं।
Plan: 3 × 4 करना है
Solve: 3 × 4 = 12
Check: ₹3 + ₹3 + ₹3 + ₹3 = ₹12 ✔
📌 Example 2 (Daily Life):
Q: माँ ने ₹100 दिए। दुकान से ₹65 का सामान खरीदा। कितना पैसा बचा?
➤
Understand: ₹100 में से ₹65 खर्च हुए
Plan: 100 - 65 = ?
Solve: ₹35 बचे
Check: ₹65 + ₹35 = ₹100 ✔
📌 Teaching Tip:
Polya’s steps को चार रंगों के पोस्टर में कक्षा में चिपकाया जा सकता है – ताकि बच्चे हर सवाल को सोचकर हल करना सीखें।
Problem Solving = समझदारी से सवाल को हल करना
Polya's 4 Steps:
Understand – सवाल को ध्यान से पढ़ो
Plan – कौन-सी रणनीति (strategy) अपनाओगे
Solve – उस योजना के अनुसार हल करो
Check – उत्तर को जाँचो, सही है या नहीं
यह तरीका बच्चों में तर्क (reasoning) और विश्लेषण (analysis) की क्षमता को बढ़ाता है।
यह सिर्फ Maths में नहीं, हर विषय व जीवन की समस्याओं में लागू होता है।
शिक्षक को चाहिए कि हर सवाल पर बच्चों को सोचने, बोलने और समझाने का मौका दे — यही Problem Solving का असली मकसद है।
1. ✅ Discovery Learning क्या है? (खोज पर आधारित अधिगम)
Discovery Learning का अर्थ है – जब बच्चा खुद सोचकर, प्रयोग करके, और प्रयास करके नई चीज़ें खोजता है।
इसमें शिक्षक सिर्फ मार्गदर्शक (Guide) होता है, उत्तर सीधे नहीं बताता।
यह विधि बच्चों में सोचने, सवाल पूछने, और खुद समाधान खोजने की आदत डालती है।
📌 Example:
शिक्षक बच्चों को विभिन्न आकारों (shapes) की वस्तुएं देता है और कहता है – "खुद देखो कि इनमें से कौन-सी वस्तु गोल है, कौन-सी चौकोर।"
→ बच्चे खोज कर खुद सीखते हैं।
इसमें बच्चे सीखने के लिए कोई गतिविधि (Activity) करते हैं – जैसे मापना, गिनना, जोड़ना, चित्र बनाना आदि।
इसका उद्देश्य है – "करते हुए सीखना (Learning by Doing)"।
यह तरीका बच्चों को सक्रिय (active) बनाता है और सीखना रोचक बनाता है।
📌 Example:
गणित में "माप" सिखाने के लिए शिक्षक बच्चों को रूलर देता है और कहता है – "अपनी किताब की लंबाई खुद मापो।"
→ यह है Activity-based Learning।
Hands-on learning का मतलब है – बच्चा अपने हाथों से चीज़ें छूकर, घुमा कर, जोड़ कर, सीधे अनुभव से सीखता है।
यह बच्चों की conceptual understanding (अवधारणात्मक समझ) को मजबूत करता है।
📌 Example:
Fraction सिखाने के लिए शिक्षक रोटी को बराबर हिस्सों में काटकर बच्चों को दिखाता है – आधा, एक-चौथाई, तीन-चौथाई।
→ बच्चा प्रत्यक्ष अनुभव से सीखता है।
Play-way Method में बच्चे खेल, कहानी, कविता, और रोल-प्ले के ज़रिए सीखते हैं।
यह विशेष रूप से प्राथमिक स्तर (primary level) के बच्चों के लिए उपयोगी है।
सीखना मज़ेदार और स्वाभाविक हो जाता है।
📌 Example:
गिनती सिखाने के लिए शिक्षक बच्चों को "लूडो" या "सांप-सीढ़ी" खेलने देता है, और कहता है – "हर बार जो अंक आए, उतने स्टेप्स बोलकर चलो।"
→ बच्चे खेलते-खेलते गिनती सीखते हैं।
🔹 Maths में Discovery Learning:
बच्चों को खुद अनुमान लगाने दें – जैसे: कौन-सी आकृति फिसल सकती है?
"यदि मैं दो सम संख्याओं को जोड़ूँ तो क्या हमेशा सम संख्या आएगी?"
🔹 Science में Activity-based Learning:
कागज की नाव पानी में रखकर तैरने-डूबने का कारण पूछें।
🔹 Hands-on Learning for Measurement:
बच्चों को रूलर, measuring tape, blocks दें और कहें – "क्लास में सबसे लंबी डेस्क कौन-सी है?"
🔹 Play-way in EVS (पर्यावरण अध्ययन):
"Doctor-Patient" खेलते हुए शरीर के अंगों और उनके कार्य सिखाएं।
✅ Discovery Learning = खुद खोजकर सीखना
✅ Activity-based Learning = किसी कार्य (Activity) के माध्यम से सीखना
✅ Hands-on Learning = चीज़ों को छूकर और करके अनुभव लेना
✅ Play-way Method = खेलों और मस्ती से पढ़ाई को आसान बनाना
🎯 इन सभी तरीकों में शिक्षक का रोल एक Facilitator (सुविधा प्रदाता) का होता है।
🎯 ये तरीके बच्चों में जिज्ञासा, तर्कशक्ति, रचनात्मकता (creativity) और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
🎯 ये सभी विधियाँ NEP 2020 (नई शिक्षा नीति) के अनुसार भी अनुशंसित हैं।
📋 Topics:-
Meaning: बच्चे की गलतियों का गहराई से अध्ययन करना ताकि यह पता चले कि गलती कहाँ और क्यों हुई, और उसे कैसे सुधारा जाए।
Example:
अगर बच्चा 14 + 9 = 22 लिखता है, तो शिक्षक यह समझे कि गलती “carry” भूलने की है, न कि concept में।
Meaning: जब बच्चा concept या सिद्धांत को ही गलत समझता है।
Example:
बच्चा सोचता है कि subtraction में हमेशा बड़ा नंबर पहले आता है (8 – 5 तो कर सकता है पर 5 – 8 नहीं)।
Meaning: जब बच्चे को concept तो आता है, लेकिन step या process गलत कर देता है।
Example:
Multiplication करते समय carry सही जगह नहीं जोड़ना — यानी steps की गलती।
Meaning: जब बच्चा concept और process दोनों जानता है, पर ध्यान न देने से गलती करता है।
Example:
6 × 8 = 42 लिख दिया, जबकि सही उत्तर 48 है।
Meaning: हर बच्चा अपनी क्षमता, रुचि, और गति में अलग होता है। कोई जल्दी सीखता है, कोई धीरे।
Example:
एक बच्चा fractions जल्दी समझ लेता है, जबकि दूसरा बार-बार उदाहरण देखकर ही समझता है।
Meaning: वे बच्चे जो सामान्य बच्चों की तुलना में धीरे-धीरे सीखते हैं और उन्हें अधिक समय व अभ्यास की आवश्यकता होती है।
Example:
अगर शिक्षक subtraction 3 बार में सिखाता है और एक बच्चा चौथी बार में समझता है — वह slow learner है।
Meaning: ऐसे बच्चे जिनकी बुद्धि (intelligence), कल्पना (creativity), और सोचने की क्षमता सामान्य से अधिक होती है।
Example:
एक बच्चा बिना सिखाए 2D shapes से नया 3D model बना ले — यह gifted behaviour है।
Meaning: ऐसा शिक्षा प्रणाली जिसमें सभी बच्चे — सामान्य या विशेष आवश्यकता वाले (CWSN) — एक साथ पढ़ते हैं।
Example:
कक्षा में visually impaired बच्चा Braille chart से वही topic पढ़े जो बाकी बच्चे notebook में लिख रहे हैं।
Meaning: ऐसे बच्चे जिन्हें सीखने, सुनने, देखने या समझने में विशेष सहायता की आवश्यकता होती है।
Example:
किसी बच्चे को गणित में symbols समझने में कठिनाई हो तो शिक्षक उसे colour coding से सिखाता है।
Meaning: एक Maths-specific learning disability, जिसमें बच्चे को संख्याएँ, मात्रा, और गणितीय क्रियाएँ समझने में कठिनाई होती है।
Example:
बच्चा 6 और 9 में फर्क नहीं कर पाता या 12 के बाद 14 बोल देता है।
Meaning: बच्चों की गलतियों को सुधारने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया शिक्षण।
Example:
अगर बच्चा बार-बार borrow में गलती करता है, तो शिक्षक अगले दिन केवल “borrow practice” करवाता है।
Meaning: जब शिक्षक सीखने में बच्चे की कई इंद्रियों को शामिल करता है — देखना, सुनना, छूना, करना।
Example:
Addition सिखाने के लिए बच्चे को beads (छूने), numbers बोलने (सुनने) और लिखने (देखने) के काम साथ करवाना।
Meaning: पहले चीज़ें वास्तविक वस्तुओं से सिखाना, फिर उन्हें symbol या number के रूप में दिखाना।
Example:
पहले 3 सेब + 2 सेब दिखाना, फिर 3 + 2 = 5 लिखना।
Meaning: जब बच्चे एक-दूसरे से सीखते हैं या मदद करते हैं।
Example:
Gifted बच्चा slow learner को fractions समझाने में मदद करे।
Meaning: बच्चे के अच्छे प्रयास पर उसे तारीफ़, smile, या reward देना ताकि उसका आत्मविश्वास बढ़े।
Example:
Teacher कहे — “बहुत अच्छा! आज तुमने सही carry किया।”
Meaning: वस्तुओं और स्थान को समझने और व्यवस्थित करने की क्षमता।
Example:
Geometry में shapes की पहचान करना या cube की unfolding समझना।
Meaning: ऐसी स्थिति जिसमें बच्चे की बुद्धि सामान्य होती है, पर वह किसी एक विषय में कठिनाई महसूस करता है — जैसे reading (dyslexia), writing (dysgraphia), या maths (dyscalculia)।
Example:
बच्चा oral questions ठीक करता है पर लिखित रूप में गलतियाँ करता है।
Meaning: जब शिक्षक अलग-अलग बच्चों के स्तर और ज़रूरत के अनुसार अलग शिक्षण विधियाँ अपनाता है।
Example:
Gifted बच्चे को advanced puzzle देना, slow learner को picture-based worksheet देना।
Meaning: ऐसा मूल्यांकन जो बताता है कि बच्चा कहाँ गलती कर रहा है और क्यों।
Example:
Teacher worksheet देखकर पहचानता है कि बच्चा हमेशा subtraction में borrow गलत कर रहा है।
Meaning: ऐसी कक्षा जहाँ हर बच्चा — चाहे उसकी क्षमता अलग हो — सीखने में भाग ले सकता है।
Example:
Hearing-impaired बच्चे के लिए teacher gestures और visual charts का प्रयोग करे।
Error Analysis: गलती का अध्ययन → कारण जानो → सुधार करो।
Types of Errors: Conceptual, Procedural, Careless, Language-based.
Individual Differences: हर बच्चा अलग है – learning speed, interest, and ability में फर्क।
Slow Learners: अधिक अभ्यास और सरल steps की आवश्यकता।
Gifted Children: High intelligence, creative thinking, curiosity; need enrichment.
Inclusive Education: Equal learning opportunity for all – normal & CWSN together.
Dyscalculia: Maths learning disorder – number & calculation confusion.
CWSN Strategies:
Multi-sensory teaching
Concrete materials
Visual aids
Peer learning
Real-life examples
Teacher’s Role:
Diagnose → Modify method → Encourage → Include every child.
Goal: हर बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर देना।
Error Analysis का अर्थ (Meaning of Error Analysis)
Types of Errors in Mathematics (गणित में त्रुटियों के प्रकार)
Common Errors by Children (बच्चों की सामान्य गलतियाँ)
Causes of Errors (गलतियों के कारण)
Importance of Error Analysis (त्रुटि विश्लेषण का महत्व)
Remedies and Teacher’s Role (उपाय और शिक्षक की भूमिका)
Inclusive Approach – Helping All Learners (सर्वसमावेशी दृष्टिकोण)
Summary / Quick Revision Points
Error (त्रुटि) का मतलब है – किसी बच्चे द्वारा किए गए गलत उत्तर या गलत प्रक्रिया।
Error Analysis का अर्थ है – बच्चे की गलती को समझना, उसका कारण जानना, और सुधार का तरीका खोजना।
यह शिक्षक को बताता है कि बच्चा कहाँ और क्यों गलती कर रहा है।
यह बच्चे की सोचने की प्रक्रिया (thinking process) को समझने का एक तरीका है।
📍 Example:
अगर बच्चा 12 + 8 = 30 लिखता है, तो गलती सिर्फ उत्तर में नहीं है, बल्कि उसके सोचने के तरीके में भी कुछ गड़बड़ है – शायद उसने “2 + 8 = 10” लिखा और carry जोड़ना भूल गया।
Conceptual Errors (सैद्धांतिक त्रुटियाँ)
जब बच्चे को concept या rule ठीक से समझ में नहीं आता।
📍 Example: बच्चा समझता है कि “subtraction” में हमेशा बड़ा संख्या पहले आती है – 5 – 8 नहीं कर सकता।
👉 कारण: concept clear नहीं, rote learning (रटकर सीखना)।
Procedural Errors (प्रक्रियात्मक त्रुटियाँ)
जब बच्चा step या process गलत करता है।
📍 Example: Multiplication करते समय carry गलत जोड़ देना।
👉 कारण: steps याद हैं पर समझ नहीं है।
Careless Errors (लापरवाही की गलती)
जब बच्चा concept और process दोनों जानता है, लेकिन ध्यान न देने से गलती कर देता है।
📍 Example: 6 × 7 = 42 की जगह 6 × 7 = 48 लिख दिया।
Language-related Errors (भाषा संबंधी त्रुटियाँ)
जब बच्चे को word problem या question की भाषा समझ में नहीं आती।
📍 Example: “A shopkeeper sold 12 apples and 8 oranges” – बच्चा “add” या “subtract” confuse कर जाता है।
Representation Errors (प्रस्तुतीकरण की गलती)
जब बच्चा data या number को गलत तरीके से लिखता या समझता है।
📍 Example: decimal place गलत लगाना – 0.25 की जगह 2.5।
Addition/Subtraction: Borrow या carry गलत लगाना।
👉 Example: 47 + 38 करते समय 7 + 8 = 14, carry लिखना भूल गया।
Multiplication: Tables गलत याद या step skip करना।
👉 Example: 23 × 4 = 82 लिखना (क्योंकि 3 × 4 = 12 तो 2 लिखा और 8 carry कर दिया)।
Division: Divisor और Dividend confuse करना।
👉 Example: 12 ÷ 3 = 4 को 3 ÷ 12 = 4 लिख देना।
Fractions: Numerator–Denominator का अर्थ न समझना।
👉 Example: ½ + ½ = 2/4 (concept गलत)।
Word Problems: Question को “add” या “subtract” कब करना है, समझ नहीं पाता।
Conceptual Confusion (धारणा में भ्रम) – बच्चे को मूल विचार (concept) ठीक से समझाया नहीं गया।
Rote Learning (रटकर सीखना) – बच्चे सिर्फ formula याद करते हैं, meaning नहीं समझते।
Language Difficulty (भाषा की कठिनाई) – शब्दों या प्रश्नों की भाषा समझ नहीं पाता।
Poor Foundation (कमज़ोर आधार) – पहले के topics ठीक से नहीं सीखे गए।
Memory Load (स्मरण का बोझ) – एक साथ बहुत ज़्यादा steps या numbers याद रखने पड़ते हैं।
Lack of Practice (अभ्यास की कमी) – कम practice से गलती दोहराई जाती है।
Fear of Maths (गणित का डर) – डर के कारण बच्चा ध्यान नहीं दे पाता।
Individual Differences (व्यक्तिगत अंतर) – हर बच्चे की गति और समझ अलग होती है।
Diagnostic Tool (रोग पहचानने का साधन) – इससे शिक्षक को पता चलता है कि गलती कहाँ है।
Learning Indicator (सीखने का संकेत) – गलतियाँ बताती हैं कि बच्चा क्या जानता है और क्या नहीं।
Improvement Plan (सुधार की योजना) – शिक्षक को पता चलता है कि किस बच्चे को extra help चाहिए।
Positive Approach (सकारात्मक दृष्टिकोण) – गलती को “punishment” नहीं बल्कि “learning opportunity” मानना।
Individualized Teaching (व्यक्तिगत शिक्षण) – हर बच्चे के स्तर के अनुसार सहायता देना संभव होता है।
Diagnose Before Correct (पहले कारण समझो, फिर सुधारो)
👉 पहले यह समझें कि गलती concept की है या careless mistake।
Use Concrete to Abstract Method (ठोस से अमूर्त तक)
👉 पहले बच्चे को objects, beads, or blocks से समझाओ, फिर symbols का प्रयोग करो।
📍 Example: 2 + 3 सिखाने के लिए 2 पेंसिल और 3 पेंसिल दिखाओ।
Encourage Discussion (चर्चा करवाओ)
👉 बच्चों से पूछो “तुमने ऐसा क्यों किया?” ताकि सोचने का तरीका समझ में आए।
Peer Learning (सहपाठी सहायता)
👉 बच्चों को जोड़ी में काम करने दो, ताकि वे एक-दूसरे को समझाएँ।
Error-friendly Environment बनाओ
👉 ऐसा माहौल बनाओ जहाँ गलती करने पर बच्चे डरें नहीं, बल्कि सीखें।
Reinforcement and Practice (पुनरावृत्ति और अभ्यास)
👉 बार-बार सही तरीके से अभ्यास करवाओ।
Use Visual Aids and Real-life Examples
👉 Concept को रोज़मर्रा की चीज़ों से जोड़ो – जैसे fraction को “रोटी के टुकड़ों” से समझाना।
कुछ बच्चों को learning difficulty (सीखने में कठिनाई) होती है — जैसे Dyscalculia।
ऐसे बच्चों को चाहिए:
Extra time
Visual aids (चित्र, चार्ट, blocks)
Simple step-by-step guidance
शिक्षक को patience (धैर्य) और positive reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन) देना चाहिए।
Inclusive classroom में हर बच्चा अपने pace से सीख सकता है।
❖ Error Analysis = गलती को समझना, कारण जानना और सुधारना।
❖ Errors के प्रकार: Conceptual, Procedural, Careless, Language-related, Representation।
❖ Common Mistakes: Borrow/carry गलत, word problems confuse, decimal misplacement।
❖ Causes: Concept unclear, rote learning, poor foundation, language problem।
❖ Teacher की भूमिका: Diagnose → Explain → Practice → Encourage।
❖ Remedies: Concrete materials, peer help, friendly environment, repeated practice।
❖ Inclusive Approach: सभी बच्चों को सीखने का समान अवसर देना।
Meaning of Individual Differences (व्यक्तिगत भिन्नताओं का अर्थ)
Reasons for Individual Differences in Maths Learning (गणित सीखने में भिन्नताओं के कारण)
Slow Learners – Meaning and Characteristics (धीमे सीखने वाले बच्चे – अर्थ व लक्षण)
Educational Needs & Remedies for Slow Learners (शैक्षिक आवश्यकताएँ और सुधार के उपाय)
Gifted Children – Meaning and Characteristics (प्रतिभाशाली बच्चे – अर्थ व लक्षण)
Educational Needs of Gifted Children (प्रतिभाशाली बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताएँ)
Teacher’s Role and Inclusive Classroom Approach (शिक्षक की भूमिका व समावेशी दृष्टिकोण)
Summary / Quick Revision Points
Individual Differences का अर्थ है कि हर बच्चा अलग होता है — उसकी सीखने की गति (learning speed), रुचि (interest), बुद्धि (intelligence), और अनुभव (experience) अलग-अलग होते हैं।
एक ही कक्षा में कुछ बच्चे जल्दी समझते हैं, कुछ धीरे-धीरे, और कुछ बहुत तेज़ी से।
यह प्राकृतिक अंतर (natural variation) है, न कि गलती या कमी।
📍 Example:
एक बच्चा 2-digit subtraction तुरंत कर लेता है, जबकि दूसरा बच्चा उसी concept को कई बार समझने के बाद करता है — दोनों सामान्य हैं, बस उनकी learning pace (सीखने की गति) अलग है।
(गणित सीखने में भिन्नताओं के कारण)
Intelligence (बुद्धि का स्तर) – कुछ बच्चे जल्दी तार्किक संबंध (logical relations) बना लेते हैं, कुछ को ज़्यादा समय लगता है।
Interest and Attitude (रुचि और दृष्टिकोण) – जिन बच्चों को गणित में रुचि होती है, वे जल्दी सीखते हैं।
Home Environment (घर का वातावरण) – परिवार का सहयोग, पढ़ाई का माहौल, माता-पिता का दृष्टिकोण फर्क डालता है।
Teaching Methods (शिक्षण विधियाँ) – अगर शिक्षक concept को आकर्षक और सरल तरीके से सिखाते हैं, तो बच्चे बेहतर सीखते हैं।
Emotional Factors (भावनात्मक कारण) – डर, आत्मविश्वास की कमी, या anxiety सीखने को प्रभावित करते हैं।
Previous Knowledge (पूर्व ज्ञान) – जिन बच्चों की बुनियाद मजबूत होती है, वे नए concepts जल्दी समझते हैं।
(धीमे सीखने वाले बच्चे – अर्थ और लक्षण)
Slow Learners वे बच्चे होते हैं जो सामान्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से सीखते हैं।
ये बच्चे average intelligence के होते हैं, लेकिन उन्हें अधिक समय, ध्यान, और दोहराव (repetition) की ज़रूरत होती है।
Slow Understanding (धीमी समझ):
Concept समझने में समय ज़्यादा लेते हैं।
📍 Example: Subtraction के “borrow” step को कई बार दोहराने पर समझते हैं।
Low Retention (कम स्मरण शक्ति):
जो सीखा है, जल्दी भूल जाते हैं।
📍 Example: कल सीखा multiplication table आज भूल जाना।
Lack of Concentration (ध्यान की कमी):
जल्दी distract हो जाते हैं।
Low Confidence (आत्मविश्वास कम):
हमेशा डरते हैं कि “मैं गलती कर दूँगा।”
Dependence on Teacher:
हमेशा guidance या help की अपेक्षा रखते हैं।
Avoidance of Maths:
Maths को कठिन मानते हैं, कोशिश नहीं करते।
(शैक्षिक आवश्यकताएँ और सुधार के उपाय)
Individual Attention (व्यक्तिगत ध्यान):
छोटे groups या one-to-one interaction से सिखाओ।
Use of Concrete Materials (ठोस वस्तुओं का प्रयोग):
Beads, sticks, coins आदि से concept समझाओ।
📍 Example: Addition सिखाने के लिए 5 पेंसिल और 3 पेंसिल जोड़कर दिखाओ।
Simple Language and Steps (सरल भाषा व छोटे steps):
एक बार में छोटा concept सिखाओ।
Frequent Revision (बार-बार पुनरावृत्ति):
Practice से confidence बढ़ता है।
Encouragement and Motivation (प्रोत्साहन):
हर छोटे प्रयास पर positive feedback दो।
Remedial Teaching (सुधारात्मक शिक्षण):
गलतियों का कारण पहचानकर विशेष अभ्यास करवाओ।
Peer Support (सहपाठी सहायता):
तेज़ बच्चे धीमे बच्चों की मदद करें।
(प्रतिभाशाली बच्चे – अर्थ और लक्षण)
Gifted Children वे बच्चे हैं जिनकी intelligence, creativity, और problem-solving ability औसत से अधिक होती है।
ये बच्चे concepts जल्दी समझते हैं, और अक्सर शिक्षक से आगे सोचते हैं।
Quick Learners (तेज़ सीखने वाले):
नया concept एक बार में समझ जाते हैं।
Curious and Questioning (जिज्ञासु):
हर बात में “क्यों” पूछते हैं।
📍 Example: “Why zero multiplied by any number becomes zero?”
Creative Thinking (सृजनात्मक सोच):
अपने तरीके से problems हल करते हैं।
High Memory and Retention (अच्छी स्मरण शक्ति):
सीखी हुई चीज़ें जल्दी याद रहती हैं।
Leadership Quality (नेतृत्व गुण):
समूह गतिविधियों में आगे रहते हैं।
Boredom with Routine Tasks (सामान्य कार्यों से ऊब):
आसान या दोहराव वाले कार्यों में रुचि नहीं लेते।
(प्रतिभाशाली बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताएँ)
Enrichment Activities (समृद्ध गतिविधियाँ):
Extra problems, puzzles, or projects दें जो उनकी सोच को चुनौती दें।
📍 Example: Geometry में नया shape बनाकर उसका area खुद निकालने को कहो।
Acceleration (तेज़ प्रगति):
यदि बच्चा जल्दी समझता है, तो उसे अगले स्तर के concepts सिखाए जा सकते हैं।
Creative Assignments (रचनात्मक कार्य):
बच्चों को अपनी कल्पना से problem बनाना या हल करना सिखाओ।
Research-based Learning (अनुसंधान आधारित शिक्षण):
बच्चे को exploration करने दो — जैसे “patterns in multiplication table” खोजने का कार्य।
Freedom to Express (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता):
बच्चे को अपने विचार प्रस्तुत करने दो, उसकी सोच को दबाओ नहीं।
Mentoring & Guidance (मार्गदर्शन):
शिक्षक उन्हें सही दिशा में सोचने और बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
(शिक्षक की भूमिका व समावेशी दृष्टिकोण)
Accept Individual Differences:
हर बच्चा अलग है – यह समझना और सम्मान देना ज़रूरी है।
Flexible Teaching:
Teaching strategies बच्चे की गति और ज़रूरत के अनुसार बदलनी चाहिए।
Provide Equal Opportunities:
हर बच्चे को अपनी क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर देना।
Create Supportive Environment:
ऐसा माहौल जहाँ गलती करने पर भी बच्चा सहज महसूस करे।
Encourage Peer Learning:
तेज़ बच्चे दूसरों की मदद करें – इससे दोनों का विकास होता है।
Use Variety of Methods:
Visual aids, games, group work, and hands-on activities शामिल करें।
📍 Example:
एक ही topic पर – gifted बच्चे को advanced puzzle दो, और slow learner को picture-based worksheet।
Individual Differences: हर बच्चा अलग है — सोचने, समझने और सीखने की गति में फर्क।
Slow Learners: धीरे सीखते हैं, extra time और repetition की ज़रूरत।
Gifted Children: बहुत जल्दी सीखते हैं, challenging activities चाहिए।
Causes of Difference: Intelligence, interest, environment, teaching method, emotional factors।
Teacher’s Role: Diagnose → Support → Motivate → Include everyone.
Inclusive Classroom: हर बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर देना।
Meaning of Inclusive Education (समावेशी शिक्षा का अर्थ)
Need and Importance of Inclusive Education in Maths (गणित में समावेशी शिक्षा की आवश्यकता)
Meaning and Nature of Dyscalculia (डिस्कैलकुलिया का अर्थ और स्वभाव)
Symptoms / Characteristics of Dyscalculic Learners (लक्षण)
Strategies for Teaching Mathematics to CWSN (विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए रणनीतियाँ)
Teacher’s Role in Inclusive Maths Classroom (शिक्षक की भूमिका)
Summary / Revision Points
Inclusive Education (समावेशी शिक्षा) का मतलब है –
ऐसा शिक्षण वातावरण जहाँ सभी बच्चे, चाहे वे सामान्य हों या विशेष आवश्यकता वाले (CWSN), एक साथ पढ़ें और सीखें।
यह शिक्षा का एक “right-based approach” है — यानि हर बच्चे को सीखने का बराबर अवसर (equal opportunity) मिलना चाहिए।
समावेशी शिक्षा में भिन्नताओं (differences) को स्वीकार किया जाता है, न कि रोका जाता है।
📍 Example:
अगर कक्षा में एक बच्चा गणित जल्दी समझता है और दूसरा बच्चा Dyscalculia के कारण धीरे, तो शिक्षक दोनों के लिए उपयुक्त तरीका अपनाएगा।
(गणित में समावेशी शिक्षा की आवश्यकता)
Equality in Learning (सीखने में समानता):
हर बच्चे को गणित सिखाने का अवसर मिलना चाहिए, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो।
Removal of Barriers (बाधाएँ हटाना):
सीखने में जो भी कठिनाइयाँ हैं (जैसे Dyscalculia, Vision problem, etc.), उन्हें पहचानकर हटाना।
Confidence Building (आत्मविश्वास बढ़ाना):
जब बच्चे को लगता है कि शिक्षक उसे समझता है, तो वह गणित में डरना छोड़ देता है।
Holistic Development (संपूर्ण विकास):
Inclusive approach से बच्चे में सहयोग, सहानुभूति, और teamwork विकसित होता है।
Constructive Learning (रचनात्मक सीखना):
बच्चे अपने अनुभवों और दूसरों की सहायता से बेहतर समझते हैं।
(डिस्कैलकुलिया का अर्थ और स्वभाव)
Dyscalculia (गणितीय सीखने की कठिनाई) एक specific learning disorder है, जिसमें बच्चे को संख्या, मात्रा, और गणितीय प्रतीकों को समझने में कठिनाई होती है।
इसे “Maths Learning Disability” भी कहा जाता है।
यह बच्चे की intelligence से नहीं, बल्कि मस्तिष्क में जानकारी प्रोसेस करने की कठिनाई से जुड़ी होती है।
📍 Simple Example:
बच्चा “6” और “9” में फर्क नहीं कर पाता, या “3 + 4” का मतलब समझने में बार-बार गलती करता है।
(डिस्कैलकुलिया के लक्षण)
Number Confusion (संख्या भ्रम):
6 और 9, 12 और 21 जैसे अंकों को उल्टा-पुल्टा पढ़ना या लिखना।
Counting Difficulty (गिनती में कठिनाई):
आगे-पीछे की गिनती में अटकना।
📍 Example: 12 के बाद 14 बोल देना।
Poor Understanding of Symbols (प्रतीकों की समझ कम):
+, –, ×, ÷ जैसे चिन्हों का अर्थ नहीं समझना।
Problems with Basic Operations (मूल गणनाओं में कठिनाई):
Addition या subtraction के steps भूल जाना।
Poor Memory for Maths Facts (गणितीय तथ्यों का स्मरण कमजोर):
Tables याद नहीं रहते, या जल्दी भूल जाते हैं।
Difficulty in Spatial & Visual Concepts (स्थानिक व दृश्य समझ में कठिनाई):
Shapes, patterns, graphs को समझने में दिक्कत।
Anxiety towards Maths (गणित से डर):
“Maths डरावना है” ऐसा महसूस करना।
📍 Classroom Example:
बच्चा बोर्ड पर लिखा 25 + 15 = ? देखते ही घबरा जाता है और कुछ भी जवाब बोल देता है।
(विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गणित सिखाने की रणनीतियाँ)
Multi-sensory Teaching (बहु-इंद्रिय शिक्षण):
बच्चों को देखने, सुनने, छूने और करने (see-hear-touch-do) के ज़रिए सिखाओ।
📍 Example: Beads से counting करवाना, number cards दिखाना, oral counting करवाना।
Use of Concrete Objects (ठोस वस्तुओं का प्रयोग):
Sticks, buttons, coins आदि से concepts दिखाओ।
📍 Example: 5 + 2 सिखाने के लिए 5 सिक्के और 2 सिक्के जोड़ना।
Visual Aids (चित्रात्मक साधन):
Charts, number lines, pictographs आदि का प्रयोग।
Step-by-step Teaching (क्रमिक शिक्षण):
Concept को छोटे भागों में बाँटकर सिखाओ – जैसे पहले counting, फिर addition।
Frequent Revision & Practice (बार-बार पुनरावृत्ति):
Regular repetition से बच्चे का confidence बढ़ता है।
Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन):
हर छोटे प्रयास पर “Good!”, “Well done!” कहना।
Peer Support (सहपाठी सहयोग):
तेज़ बच्चे कमजोर बच्चे की मदद करें – यह cooperative learning कहलाता है।
Maths Games & Activities:
खेल-खेल में सिखाना – जैसे “Hop on numbers”, “Number Bingo”।
Number Sense Activities:
Number cards, blocks या abacus से संख्या का बोध करवाना।
📍 Example: 10 तक की गिनती को daily objects (pencils, spoons) से जोड़ना।
Use of Colour Coding:
Different operations को अलग रंग से दिखाना (जैसे addition = blue, subtraction = red)।
Use of Real-life Context:
बच्चों को वास्तविक परिस्थितियों में जोड़-घटाना सिखाना।
📍 Example: “अगर तुम्हारे पास 5 आम हैं और 2 दोस्त को दिए, कितने बचे?”
Allow Use of Aids:
Number charts, multiplication grids, calculators, or fingers से calculation करने देना।
Reduce Pressure:
बच्चे को ज़्यादा questions देने की बजाय कुछ ही लेकिन आसान questions से confidence बढ़ाना।
Re-teach with Patience:
Concept को बार-बार अलग-अलग तरीकों से सिखाना।
(शिक्षक की भूमिका)
Identify and Understand Needs (आवश्यकताओं को पहचानना):
हर बच्चे की कठिनाई समझो – कोई Dyscalculic है, कोई slow learner।
Modify Teaching Methods (शिक्षण विधियाँ बदलना):
सभी के स्तर के अनुसार तरीका अपनाओ।
Flexible Assessment (लचीला मूल्यांकन):
केवल written test नहीं, oral, practical, और activity-based assessment भी करो।
Collaborate with Parents & Experts:
Special educators या parents से feedback लो।
Create Supportive Environment:
कक्षा का माहौल ऐसा रखो जहाँ कोई बच्चा “कमज़ोर” महसूस न करे।
Use ICT Tools (Digital Aids):
Maths apps, interactive videos, audio lessons आदि का प्रयोग।
📍 Example:
Teacher mobile app से counting game चलाती है जिसमें बच्चा tapping से numbers सीखता है।
Inclusive Education: सब बच्चों के लिए समान सीखने के अवसर।
Dyscalculia: Maths learning disorder — संख्या और गणना समझने में कठिनाई।
Symptoms: Numbers उलझना, counting भूलना, symbols confuse होना।
Strategies: Multi-sensory learning, visual aids, concrete materials, peer support, real-life examples।
Teacher’s Role: Identify → Support → Encourage → Include।
Goal: हर बच्चे को गणित में सफलता का अनुभव कराना, भले उसकी गति अलग हो।
📋 Topics:-
Meaning: ऐसी वस्तुएँ जिन्हें बच्चे देख सकते हैं, छू सकते हैं और उपयोग कर सकते हैं।
ये learning को real-life से जोड़ती हैं और abstract concept को समझने में मदद करती हैं।
Example: जब शिक्षक जोड़ सिखाने के लिए “माचिस की तिलियाँ” या “अबेकस” का प्रयोग करता है, तो यह concrete material कहलाती है।
Meaning: वो विचार या अवधारणा जो दिखाई नहीं देती, पर समझाई जाती है।
बच्चों को यह समझाने के लिए उदाहरण या चित्रों की जरूरत पड़ती है।
Example: “Place Value” या “Zero” — बच्चे इसे महसूस नहीं कर सकते, इसलिए शिक्षक मॉडल या चार्ट से समझाता है।
Meaning: ऐसी सामग्री जो बच्चों की दोनों इंद्रियों – कान (श्रवण) और आँख (दर्शन) को जोड़ती है।
Example: गणित का वीडियो दिखाकर fractions सिखाना।
Meaning: एक पुराना गणना उपकरण जिसमें मोतियों (beads) की मदद से जोड़, घटाव, गुणा, भाग सिखाई जाती है।
Example: बच्चे अबेकस पर हर स्थान (place value) के लिए अलग रंग के मोती लगाते हैं।
Meaning: कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, मोबाइल ऐप्स, और इंटरनेट का प्रयोग करके teaching-learning process को modern बनाना।
Example: Smartboard से Geometry के 3D shapes दिखाना।
Meaning: किसी विचार या आकृति को मन में चित्र के रूप में देख पाना।
Example: शिक्षक cube की तस्वीर दिखाकर बच्चों से पूछता है कि “यह दिखने में कैसा है?”, बच्चे कल्पना करते हैं – 6 faces, 8 corners।
Meaning: वह संपूर्ण योजना जिसमें यह बताया जाता है कि क्या पढ़ाया जाएगा, क्यों पढ़ाया जाएगा और कैसे पढ़ाया जाएगा।
यह सिर्फ syllabus नहीं, बल्कि learning experiences (अधिगम अनुभव) भी शामिल करता है।
Example: कक्षा 1 से 5 तक गणित के सभी विषय – Number sense, Geometry, Measurement आदि मिलकर curriculum बनाते हैं।
Meaning: ऐसी teaching approach जिसमें एक ही concept को बार-बार, लेकिन गहराई से अगले स्तर पर सिखाया जाता है।
जैसे सर्पिल (spiral) ऊपर की ओर घूमता है, वैसे ही हर कक्षा में विषय repeat और expand होते हैं।
Example:
कक्षा 2 – जोड़-घटाव
कक्षा 3 – 3-अंकों की संख्या का जोड़
कक्षा 4 – carry over और borrow वाले सवाल
Meaning: वे मूल विचार या नियम जिन पर curriculum तैयार किया जाता है।
जैसे – Child-centeredness (बालक केन्द्रित), Continuity (सातत्य), Integration (समेकन), Activity-based learning (क्रियात्मक अधिगम)।
Example: बच्चे के अनुभवों और रुचियों के अनुसार विषयों का चयन करना।
Meaning: एक विषय को दूसरे विषय से जोड़ना ताकि सीखना समग्र (holistic) हो।
Example: जब गणित शिक्षक “Area” पढ़ाते समय drawing teacher से मिलकर shape बनवाते हैं।
Meaning: जो चीज़ बच्चे के जीवन से जुड़ी और उपयोगी हो।
Example: बाजार में चीज़ें खरीदते समय पैसे गिनना – गणित की प्रासंगिकता।
Meaning: यह शिक्षक की पूर्व निर्धारित योजना होती है कि वह पाठ कैसे पढ़ाएगा – objectives, activities, evaluation के आधार पर।
Example: “Measurement” अध्याय की lesson plan – बच्चों से पहले objects मापवाना, फिर worksheet देना।
Meaning: यह तय करना कि पाठ के अंत में बच्चे क्या जानेंगे, क्या करेंगे और क्या महसूस करेंगे।
तीन प्रकार के उद्देश्य – Cognitive (ज्ञानात्मक), Affective (भावनात्मक), Psychomotor (क्रियात्मक)।
Example:
Cognitive: बच्चे multiplication की समझ पाएँ।
Psychomotor: बच्चे अबेकस पर सही beads चला सकें।
Meaning: वो क्रियाएँ जिनसे बच्चे “करते हुए सीखें (learning by doing)”।
Example: आकृतियाँ पहचानने के लिए बच्चों से classroom में वस्तुएँ ढूँढने को कहना।
Meaning: यह जानने की प्रक्रिया कि बच्चे ने क्या सीखा और कितना सीखा।
दो प्रकार –
Formative (गठनात्मक) – सीखते समय।
Summative (सारात्मक) – अंत में।
Example:
Formative – क्लास में सवाल पूछना।
Summative – टेस्ट लेना।
Meaning: सीखे हुए ज्ञान को दोहराने और मज़बूत करने की प्रक्रिया।
Example: पाठ के बाद छोटे प्रश्न या गृहकार्य देना ताकि अभ्यास हो सके।
Meaning: जब शिक्षक स्थिति के अनुसार अपनी योजना में बदलाव कर सके।
Example: अगर बच्चे “Subtraction” में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो शिक्षक अधिक examples लेता है।
Meaning: ऐसा उद्देश्य जो बच्चे के देखे जाने वाले व्यवहार (observable behaviour) को बदलता है।
Example: “बच्चा 3 अंकों की संख्या जोड़ सकेगा।” — यह व्यवहारिक उद्देश्य है क्योंकि इसे जाँचा जा सकता है।
✅ Teaching Aids: Charts, Models, Abacus, ICT → Learning को रोचक और concrete बनाते हैं।
✅ Concrete Material = हाथों से करने योग्य वस्तुएँ।
✅ Spiral Approach = Concept बार-बार और गहराई से।
✅ Curriculum Principles: Child-centered, Activity-based, Integrated, Continuous.
✅ Lesson Plan = Objectives + Activities + Evaluation.
✅ Formative Evaluation: सीखते समय जाँचना।
✅ Summative Evaluation: अध्याय के अंत में जाँचना।
✅ Reinforcement: अभ्यास और दोहराव से सीखना मजबूत करना।
✅ Flexibility: स्थिति के अनुसार पाठ योजना में बदलाव।
✅ ICT Use: Smartboards, videos, apps → गणित को real-life से जोड़ना।
✅ Behavioural Objectives: स्पष्ट, देखे जाने योग्य learning outcomes।
Meaning (अर्थ):
Teaching Aids वे साधन या उपकरण हैं जो शिक्षक बच्चों को समझाने, दिखाने और सिखाने में मदद करते हैं।
👉 ये बच्चे की दृष्टि (Visual), श्रवण (Auditory) और स्पर्श (Tactile) इंद्रियों को सक्रिय करते हैं।
Importance (महत्व):
बच्चों की रुचि (Interest) बढ़ती है।
सीखना आसान और यादगार (Memorable) हो जाता है।
Abstract (अमूर्त) बातें Concrete (ठोस) रूप में समझ में आती हैं।
Concept की deep understanding होती है।
Active participation (सक्रिय भागीदारी) बढ़ती है।
🧩 Example:
अगर शिक्षक केवल कहे “Triangle के तीन भुजाएँ होती हैं” तो बच्चा भूल सकता है,
लेकिन जब वह chart या model दिखाता है — बच्चा तुरंत समझ जाता है।
Maths में उपयोग होने वाले मुख्य teaching aids चार प्रकार के हैं:
Charts (चार्ट)
Models (मॉडल)
Abacus (एबेकस)
ICT Tools (आई.सी.टी. उपकरण)
अब इन चारों को विस्तार से समझते हैं 👇
Meaning:
Chart एक visual aid (दृश्य सहायक) है जिसमें जानकारी को चित्र, आकृति या संख्या के रूप में दिखाया जाता है।
यह दीवार पर लगाया जा सकता है ताकि पूरी कक्षा देख सके।
Purpose (उद्देश्य):
कठिन concept को आसान बनाना।
एक साथ कई बच्चों को जानकारी देना।
Class discussion को support करना।
Types of Charts:
Numerical Chart: 1 to 100 counting chart.
Geometrical Chart: Shapes और angles दिखाने वाला।
Fraction Chart: ½, ¼, ⅓ जैसे भागों को रंगों से दिखाना।
Conversion Chart: cm–m, kg–g जैसे units बदलने के लिए।
Advantages:
Simple और cost-effective।
Reusable (बार-बार उपयोग हो सकता है)।
Visual clarity देता है।
🧩 Example:
Teacher ने एक chart बनाया जिसमें 2D shapes और उनके names दिखाए — circle, square, rectangle।
बच्चों को shapes पहचानने में आसानी हुई।
Meaning:
Model एक 3D (त्रि-आयामी) वस्तु है जो किसी चीज़ को ठोस रूप में दिखाने के लिए बनाया जाता है।
बच्चे इसे छू सकते हैं, घुमा सकते हैं, महसूस कर सकते हैं।
Purpose:
Abstract shapes और structures को समझाना।
Geometry, Mensuration, Volume, आदि topics में प्रयोग।
Types of Models:
Solid Models: Cube, Sphere, Cylinder, Cone आदि।
Cut Section Models: Cylinder को काटकर अंदर का area दिखाना।
Working Models: जैसे fraction spinner या symmetry wheel।
Advantages:
Concept clear होता है।
बच्चों की observation power बढ़ती है।
Learning by doing का अवसर मिलता है।
🧩 Example:
जब बच्चा खुद cardboard से cube बनाता है, तो उसे समझ आता है कि cube के 6 equal faces होते हैं।
Meaning:
Abacus एक पुराना गणना उपकरण है जिसमें beads (मणियाँ) rods पर पिरोई होती हैं।
इससे बच्चे Addition, Subtraction, Place value जैसे concepts आसानी से सीखते हैं।
Use in Classroom:
छोटी कक्षाओं में numbers और place value सिखाने के लिए।
बच्चों को हाथ से beads खिसकाने का मौका मिलता है (tactile learning)।
Benefits:
बच्चों की mental calculation skill बढ़ती है।
Concept of number sense (संख्या की समझ) विकसित होती है।
Concentration और visualization में सुधार होता है।
🧩 Example:
Teacher कहता है “3 beads move right + 2 beads more” → बच्चा देखता है और 5 का concept समझता है।
Meaning:
ICT (Information and Communication Technology) का मतलब है –
गणित पढ़ाने में computer, mobile, projector, smartboard, internet, videos, apps आदि का प्रयोग।
Uses:
Visual animations से concepts को जीवंत बनाना।
Difficult topics को step-by-step दिखाना।
Online quizzes, interactive games, और virtual labs से सीखना मज़ेदार बनाना।
Examples in Classroom:
Geometry के angles दिखाने के लिए GeoGebra software।
Fractions सिखाने के लिए YouTube animation।
Counting practice के लिए mobile app।
Benefits:
Modern और attractive learning environment।
Self-paced learning (बच्चा अपनी गति से सीख सकता है)।
Real-life applications के उदाहरण तुरंत दिखाना।
Precautions:
Technology शिक्षक की जगह नहीं ले सकती।
बच्चों को balanced use सिखाना जरूरी है।
🧩 Example:
Teacher smartboard पर animation चलाता है जिसमें cube unfold होकर net बनता है — बच्चे तुरंत समझते हैं कि 2D से 3D कैसे बनता है।
Selection: Concept के अनुसार सही aid चुनना।
Preparation: Chart या model साफ-सुथरा और बड़ा हो ताकि सभी देख सकें।
Presentation: Step-by-step explain करना।
Participation: बच्चों से interaction कराना (Question–Answer)।
Storage: Aids को safe रखकर दोबारा उपयोग के लिए तैयार रखना।
🧩 Example:
Teacher ने “Place Value Chart” खुद बनाया, class में दिखाया, फिर बच्चों से खुद बनवाया — ये effective teaching aid use है।
बच्चों का attention और motivation बढ़ता है।
Learning active और joyful बनती है।
Concepts deeply understood होते हैं।
Weak और slow learners के लिए learning आसान बनती है।
Memory में long-term retention बढ़ता है।
Teaching Aids = Tools to make learning easy and concrete.
Charts: 2D visual tools – counting, shapes, fractions दिखाने के लिए।
Models: 3D tools – geometry और mensuration समझाने के लिए।
Abacus: Bead frame – number sense, place value, addition–subtraction।
ICT: Smart tools – videos, animations, apps, and interactive learning।
Teacher’s Role: Select → Prepare → Present → Engage → Store।
Goal: Make Maths learning interactive, simple, and meaningful.
Curriculum = पूरा शिक्षण अनुभव (Total Learning Experience):
Curriculum सिर्फ किताबों की list नहीं है, बल्कि यह वह सब कुछ है जो बच्चा स्कूल में सीखता है – विषय, गतिविधियाँ, अनुभव, व्यवहार, और मूल्य।
Mathematics Curriculum का अर्थ:
वह सभी topics, concepts, skills और activities जो बच्चे को गणितीय सोच (Mathematical Thinking) और समस्या समाधान (Problem Solving) में सक्षम बनाती हैं।
Objective (उद्देश्य):
संख्याओं, आकारों, पैटर्न और संबंधों की समझ विकसित करना।
Logical thinking और reasoning को बढ़ाना।
Real life में गणित का प्रयोग सिखाना।
🧩 Example:
जब बच्चे “Measurement” सीखते हैं और घर पर कप से दूध मापते हैं, तो वे curriculum को वास्तविक जीवन में लागू कर रहे हैं।
बच्चों में Mathematical Skills (जैसे Calculation, Comparison, Reasoning) विकसित करता है।
Daily Life की समस्याओं को हल करने की क्षमता देता है।
बच्चों को scientific और logical thinking की दिशा में ले जाता है।
यह सुनिश्चित करता है कि सीखना क्रमबद्ध (Sequential) और सुगम (Systematic) हो।
छात्रों के age और mental level के अनुसार learning को बांटता है।
🧩 Example:
Class 1 में बच्चे numbers पहचानते हैं → Class 2 में जोड़-घटाव सीखते हैं → Class 3 में multiplication तक पहुँचते हैं — यही well-planned curriculum का काम है।
Meaning (अर्थ):
Spiral Approach में एक concept को बार-बार revisit किया जाता है, लेकिन हर बार थोड़ा उन्नत (advanced) रूप में।
यानी बच्चा पहले आसान स्तर पर सीखता है, फिर धीरे-धीरे गहराई (depth) में जाता है।
Key Idea:
"Revisit with Progress" – हर बार वही topic, लेकिन नए स्तर पर।
Why Spiral? (क्यों जरूरी है):
बच्चों की memory और understanding धीरे-धीरे मजबूत होती है।
Repetition से confidence बढ़ता है।
Concepts का long-term retention होता है।
Example:
Class 1 → Shapes पहचानना (circle, square)
Class 3 → Shapes की sides और corners गिनना
Class 5 → Area और Perimeter निकालना
यह gradual learning ही Spiral Approach है।
Benefits (लाभ):
Learning step-by-step होती है।
हर बच्चा अपने स्तर पर concept को समझता है।
Old knowledge नए ज्ञान से जुड़ती है।
Error correction और reinforcement में मदद मिलती है।
🧩 Teacher Example:
अगर बच्चा “fraction” को पहले picture से समझता है (½ cake),
तो अगली कक्षा में वही concept number line से सीखता है।
इस तरह simple → complex progression बनती है।
(गणित पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत)
Curriculum तैयार करते समय कुछ educational principles को ध्यान में रखना चाहिए ताकि गणित सीखना आसान, रोचक और प्रभावी बने।
पाठ्यक्रम बच्चे की आवश्यकताओं, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार होना चाहिए।
हर बच्चा अलग होता है — इसलिए content उसकी समझ के स्तर पर बनाया जाए।
🧩 Example: Class 1 में “Number names” खेलों के ज़रिए सिखाना, न कि formulas से।
गणितीय विषयों को बच्चे के मानसिक विकास (Mental Development) के अनुसार रखना चाहिए।
Concrete → Semi-concrete → Abstract की दिशा में पढ़ाना।
🧩 Example: पहले लकड़ी की गिनतियाँ दिखाना, फिर numbers लिखवाना।
Concepts को क्रमबद्ध (in sequence) और repetitive progression में रखना चाहिए।
पुराना ज्ञान नए से जुड़ा हो।
🧩 Example: पहले addition, फिर subtraction, फिर multiplication।
बच्चों को करते हुए सीखने (Learning by Doing) के अवसर मिलने चाहिए।
Experiments, games, charts, models आदि का प्रयोग किया जाए।
🧩 Example: “Measurement” सिखाने में बच्चे खुद classroom की चीजें मापें।
Maths को अन्य subjects और real life से जोड़ना चाहिए।
🧩 Example:
EVS में पेड़ की ऊँचाई मापना (Math + EVS)
Shopping में money use करना (Math + Life Skill)
गणित का syllabus ऐसा होना चाहिए जो बच्चे के जीवन में उपयोगी (useful in life) हो।
🧩 Example: समय, पैसा, दूरी, वजन जैसे practical concepts ज़रूरी हैं।
Curriculum में balance होना चाहिए – concept + practice + fun.
और यह flexible हो ताकि बदलते समय और technology के अनुसार सुधार हो सके।
🧩 Example: अब geometry के साथ ICT-based drawing tools जोड़े जा रहे हैं।
अलग-अलग क्षमताओं वाले बच्चों के लिए activities और examples अलग हो सकते हैं।
🧩 Example: Gifted बच्चों को puzzle देना, slow learners को concrete material देना।
Maths सिखाते समय honesty, accuracy, patience जैसे values भी सिखाई जा सकती हैं।
🧩 Example: Measurement में exactness पर जोर देना — “Approx answer नहीं, सही answer दो।”
Curriculum को समझकर step-wise plan बनाना।
Spiral method में हर topic को दुबारा reinforce करना।
Concrete materials, games और ICT tools का प्रयोग।
Evaluation के ज़रिए यह जानना कि बच्चा कहाँ तक समझा है।
जरूरत पड़ने पर remedial activities देना।
🧩 Example:
Teacher ने देखा कि कुछ बच्चों को subtraction में borrow समझ नहीं आ रहा,
तो उसने अगले दिन block और beads से दोबारा activity कराई — यही effective curriculum implementation है।
Curriculum = Total learning experience (content + activities + skills).
Spiral Approach = बार-बार revisit करना + हर बार advanced रूप में।
Maths Curriculum Goals: Logical, Practical, Sequential Learning.
Principles of Curriculum Construction:
Child-Centered
Psychological
Spiral & Sequential
Activity-Based
Correlation
Utility
Balance & Flexibility
Individual Differences
Value Integration
Teacher’s Role: Plan → Present → Reinforce → Evaluate → Modify.
Final Aim: गणित को अर्थपूर्ण (Meaningful), रोचक (Interesting) और उपयोगी (Useful) बनाना।
Meaning (अर्थ)
Lesson Plan का मतलब है – शिक्षक का एक पूर्व नियोजित (pre-planned) मार्गदर्शन, जिससे यह तय होता है कि क्या सिखाना है, कैसे सिखाना है और कैसे जांचना है कि छात्र ने सीखा या नहीं।
यह शिक्षक के लिए एक road map (मार्गदर्शक नक्शा) की तरह होता है।
Importance (महत्व)
यह time management (समय प्रबंधन) में मदद करता है।
Teaching systematic (सुव्यवस्थित) बनती है।
शिक्षक को confidence (आत्मविश्वास) मिलता है।
बच्चों की individual needs (व्यक्तिगत आवश्यकताएँ) को ध्यान में रखा जा सकता है।
पाठ के objectives, activities, और evaluation को एक दिशा मिलती है।
🧩 Example: अगर शिक्षक "Addition of 2-digit numbers" पढ़ा रहा है, तो पहले से तय करेगा –
उद्देश्य: बच्चे दो अंकों की संख्या जोड़ सकें।
गतिविधि: अबेकस या माचिस की तिलियों से जोड़ना।
मूल्यांकन: कुछ सवाल हल करवाना।
To Define Learning Outcomes (सीखने के परिणाम तय करना)
शिक्षक तय करता है कि पाठ के अंत में विद्यार्थी क्या जानेंगे (knowledge), क्या कर पाएंगे (skills) और क्या महसूस करेंगे (attitude)।
इन्हें हम Behavioural Objectives (व्यवहारिक उद्देश्य) भी कहते हैं।
🔹 Example:
"बच्चे 3-अंकों की संख्या जोड़ना सीखेंगे"
"बच्चे दैनिक जीवन की गणना में जोड़ का प्रयोग करेंगे"
To Guide Teaching Process (शिक्षण प्रक्रिया को दिशा देना)
शिक्षक को यह पता रहता है कि पाठ को किस क्रम में पढ़ाना है – पहले परिचय, फिर गतिविधि, फिर निष्कर्ष।
To Maintain Continuity (सातत्य बनाए रखना)
एक पाठ अगले पाठ से जुड़ा होता है। इससे विद्यार्थियों को concept clarity (संकल्पना की स्पष्टता) मिलती है।
To Evaluate Students (छात्रों का मूल्यांकन)
उद्देश्य स्पष्ट होने पर शिक्षक यह देख सकता है कि कौन सा विद्यार्थी उद्देश्य तक पहुँचा और कौन नहीं।
Activity-Based Learning (क्रियात्मक अधिगम)
गणित में बच्चों को करते हुए सिखाना (learning by doing) सबसे प्रभावी तरीका है।
🔹 Example:
Addition: अबेकस या बटन से जोड़ करना।
Subtraction: सेब या गेंदों से घटाव समझाना।
Shapes: अलग-अलग वस्तुएँ दिखाकर आकृतियाँ पहचानना।
Use of Teaching Aids (शैक्षणिक सहायक सामग्री का प्रयोग)
Charts (चार्ट्स) – संख्या, आकृतियाँ दिखाने के लिए।
Models (मॉडल) – 3D आकृतियाँ जैसे cube, cylinder आदि।
Abacus (अबेकस) – place value समझाने के लिए।
ICT (Information and Communication Technology) – वीडियो या smart board से अवधारणा को रोचक बनाना।
Group Activities (समूह गतिविधियाँ)
समूह में काम करने से सहयोग (cooperation) और टीम स्पिरिट (team spirit) विकसित होती है।
🔹 Example: 4 बच्चों का समूह मिलकर “मेरे गाँव की गणना” चार्ट बनाए।
Play Way Method (खेल द्वारा शिक्षण)
खेल-खेल में गणित सिखाना।
🔹 Example: “Tambola” से संख्याओं की पहचान कराना।
Meaning (अर्थ)
Evaluation का मतलब है – यह जानना कि बच्चों ने कितना सीखा, कैसे सीखा और क्या सुधार चाहिए।
Types of Evaluation (मूल्यांकन के प्रकार)
1️⃣ Formative Evaluation (गठनात्मक मूल्यांकन)
पाठ के दौरान या बीच में किया जाता है।
उद्देश्य – तुरंत प्रतिक्रिया (feedback) देना और सुधार कराना।
🔹 Example: शिक्षक बच्चे से जोड़ का सवाल पूछता है और गलती सुधारवाता है।
2️⃣ Summative Evaluation (सारात्मक मूल्यांकन)
किसी पाठ या अध्याय के अंत में किया जाता है।
उद्देश्य – बच्चे की कुल उपलब्धि (overall achievement) जानना।
🔹 Example: अध्याय समाप्त होने पर worksheet देना।
Tools of Evaluation (मूल्यांकन के उपकरण)
मौखिक प्रश्न (Oral questions)
लिखित कार्य (Written test)
अवलोकन (Observation)
प्रोजेक्ट कार्य (Project work)
1️⃣ Introduction (परिचय)
पूर्व ज्ञान (previous knowledge) से जोड़ना।
Example: “बच्चों, तुम रोज पैसे गिनते हो? आज हम जोड़ सीखेंगे।”
2️⃣ Presentation / Teaching (प्रस्तुतीकरण)
मुख्य विषय समझाना।
गतिविधियाँ कराना, मॉडल या चार्ट दिखाना।
3️⃣ Practice (अभ्यास)
बच्चे कुछ सवाल खुद हल करें।
Example: 23 + 12 = ?
4️⃣ Evaluation (मूल्यांकन)
यह देखना कि बच्चे ने सही सीखा या नहीं।
5️⃣ Homework / Reinforcement (गृह कार्य / पुनर्बलन)
घर पर अभ्यास के लिए प्रश्न देना।
Simple and Clear (सरल और स्पष्ट) – हर step समझने योग्य हो।
Child-Centered (बालक केन्द्रित) – बच्चों की गति और रुचि के अनुसार।
Flexible (लचीला) – स्थिति के अनुसार बदला जा सके।
Objective-Based (उद्देश्य आधारित) – हर गतिविधि उद्देश्य से जुड़ी हो।
Use of Teaching Aids (शैक्षणिक सामग्री का प्रयोग) – ताकि सीखना रोचक बने।
Lesson Plan = Teaching ka “road map”.
तीन मुख्य भाग – Objectives, Activities, Evaluation.
Objectives = क्या सिखाना है।
Activities = कैसे सिखाना है।
Evaluation = कितना सीखा।
Formative Evaluation = सीखते समय जाँचना।
Summative Evaluation = अंत में जाँचना।
Good Lesson Plan = Child-centered, Simple, Flexible, and Objective-based.
Example Tools: Chart, Model, Abacus, ICT, Group work.
📋 Topics:-
📌 Meaning:
Evaluation का मतलब है किसी चीज़ की गुणवत्ता, प्रगति, या परिणाम को देखना और उसकी जांच करना या आंकलन करना।
➤ यह यह तय करने में मदद करता है कि बच्चा कितना और कैसे सीख रहा है।
📌 Example:
शिक्षक बच्चे की कॉपी देखकर यह तय करता है कि वह जोड़ ठीक से कर पा रहा है या नहीं — यह एक Evaluation है।
📌 Meaning:
Formative Assessment वह प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक सीखने के दौरान ही बच्चे की प्रगति को जांचता है ताकि समय पर सुधार किया जा सके।
यह नियमित, छोटे-छोटे टेस्ट और प्रेक्षण (observation) से होता है।
📌 Example:
शिक्षक ने सप्ताह के अंत में बच्चों से एक गतिविधि करवाई और देखा कि कौन कितना समझ पाया — यह Formative Assessment है।
📌 Meaning:
Summative Assessment वह होता है जो सीखने के बाद लिया जाता है, जैसे Term-End या Annual Exams।
इसका उद्देश्य होता है यह जानना कि बच्चे ने कुल मिलाकर कितना सीखा।
📌 Example:
छठी कक्षा की साल के अंत में जो परीक्षा होती है, वह Summative Assessment होती है।
📌 Meaning:
CCE एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बच्चे का मूल्यांकन लगातार (continuously) और सभी पहलुओं (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक आदि) में किया जाता है।
📌 Example:
बच्चे की पाठ्य-पुस्तक की समझ, व्यवहार, कला-कौशल, खेल में भागीदारी — सबको मिलाकर मूल्यांकन करना = CCE।
📌 Meaning:
Assessment Tools वे तरीके या साधन होते हैं जिनसे शिक्षक बच्चों की समझ और प्रगति को मापते हैं।
📌 Types & Examples:
Oral Tool (मौखिक): जैसे — बच्चों से सवाल पूछना
Written Tool (लिखित): जैसे — टेस्ट, वर्कशीट
Project: जैसे — विज्ञान पर एक मॉडल बनाना
Portfolio: बच्चे के कामों का संकलन (collection) जिसमें उसकी सीखने की यात्रा दिखती है
📌 Meaning:
Portfolio एक फोल्डर या फ़ाइल होती है जिसमें बच्चे के द्वारा किया गया सारा कार्य क्रम से रखा जाता है। इससे बच्चे की धीरे-धीरे हुई प्रगति दिखाई देती है।
📌 Example:
एक फोल्डर जिसमें कविता लेखन, ड्राइंग, प्रोजेक्ट वर्क, होमवर्क आदि का संग्रह हो — यह एक Portfolio है।
📌 Meaning:
HOTS ऐसे कौशल होते हैं जो बच्चों को गहराई से सोचने, विश्लेषण करने (analyze), निर्णय लेने (decision-making) और नई चीज़ें बनाने (creation) के लिए प्रेरित करते हैं।
📌 Example:
शिक्षक पूछता है – “अगर पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण न हो तो क्या होगा?”
बच्चा जब इसके बारे में सोचकर उत्तर देता है, तो वह HOTS का उपयोग कर रहा होता है।
📌 Meaning:
ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर एक से ज़्यादा तरीकों से दिया जा सकता है। यह बच्चों की स्वतंत्र सोच (independent thinking) को बढ़ाता है।
📌 Example:
“अगर तुम प्रधानमंत्री होते, तो शिक्षा को कैसे बेहतर बनाते?”
यह एक Open-ended Question है।
📌 Meaning:
Puzzle एक ऐसी गतिविधि होती है जिसमें बच्चे को तार्किक रूप से सोचकर उत्तर निकालना होता है। यह मनोरंजन के साथ सोचने की क्षमता भी बढ़ाती है।
📌 Example:
“ऐसी कौन सी चीज़ है जो दिखती सबको है, पर छू नहीं सकते?”
उत्तर: “परछाई” — यह एक Puzzle है।
📌 Meaning:
Diagnostic Test वह छोटा परीक्षण है जिससे यह पता चलता है कि बच्चा कहाँ और किस चीज़ में गलती कर रहा है।
📌 Example:
अगर बच्चा बार-बार 'घटाव' में गलती कर रहा है, तो शिक्षक एक विशेष टेस्ट लेकर देखता है कि borrow में दिक्कत है या नंबर पहचानने में — यह Diagnostic Test कहलाता है।
📌 Meaning:
Remedial Teaching वह विशेष शिक्षण होता है जो बच्चों की पहचानी गई कमज़ोरियों को दूर करने के लिए दिया जाता है।
📌 Example:
अगर बच्चा ‘श’ और ‘ष’ में फर्क नहीं कर पाता, तो शिक्षक चित्रों और उच्चारण के ज़रिए Remedial Teaching देता है।
📌 Meaning:
Remedial Teaching के बाद, जब शिक्षक यह जांचने के लिए दोबारा टेस्ट लेता है कि सुधार हुआ या नहीं — उसे Re-assessment कहते हैं।
📌 Example:
एक हफ्ते तक अभ्यास करवाने के बाद फिर से वैसा ही छोटा टेस्ट लेना = Re-assessment।
📌 Meaning:
जब बच्चा किसी कारणवश सामान्य तरीके से नहीं सीख पाता — जैसे उसे भाषा, गणित, या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।
📌 Example:
कोई बच्चा बार-बार उल्टे अक्षर लिखता है जैसे 'b' को 'd' — यह एक Learning Difficulty है।
Evaluation = सीखने की गुणवत्ता और स्तर की जांच।
Formative Assessment = सीखने की प्रक्रिया के दौरान, जैसे — मौखिक प्रश्न, कक्षा गतिविधियाँ।
Summative Assessment = सीखने के अंत में — जैसे वार्षिक परीक्षा।
CCE = निरंतर + समग्र मूल्यांकन (academic + non-academic दोनों का मूल्यांकन)।
Assessment Tools = मूल्यांकन के साधन — मौखिक, लिखित, प्रोजेक्ट, पोर्टफोलियो आदि।
Portfolio = बच्चे के कार्यों का संग्रह — प्रगति देखने के लिए।
HOTS = सोचने, कल्पना करने, और समस्याएँ हल करने की उच्च स्तरीय क्षमता।
Open-ended Questions = जिनके अनेक उत्तर हो सकते हैं — सोच को प्रेरित करते हैं।
Puzzles = बुद्धि-परीक्षा से जुड़े खेल — मनोरंजक और शिक्षाप्रद।
Diagnostic Test = यह पता लगाना कि बच्चा कहाँ गलती कर रहा है।
Remedial Teaching = उस गलती को सुधारने के लिए दिया गया Targeted शिक्षण।
Re-assessment = सुधार के बाद दोबारा जांचना कि बच्चा अब सही कर पा रहा या नहीं।
Learning Difficulties = बच्चे द्वारा सामान्य रूप से न सीख पाने की स्थितियाँ।
Evaluation = Assessment + Improvement (मूल्यांकन = जाँच + सुधार)
मूल्यांकन का अर्थ है यह जानना कि बच्चे ने क्या सीखा, कैसे सीखा, और कितना सीखा।
यह केवल marks देना नहीं है, बल्कि बच्चे की प्रगति (progress) को समझना है।
Example: शिक्षक जोड़ सिखाने के बाद बच्चों से practical sums करवाता है और देखता है कि कौन concept समझ पाया और कौन नहीं।
Continuous Process (सतत प्रक्रिया)
Evaluation एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो सीखने के दौरान और सीखने के बाद दोनों समय होती है।
Example: हर हफ्ते छोटी quiz या oral test लेना।
Purpose (उद्देश्य)
बच्चों की समझ का स्तर जानना
कमजोरियों (errors) को पहचानना
Teaching methods में सुधार करना
बच्चे की overall growth को देखना
To Check Understanding (समझ की जाँच)
क्या बच्चे concept समझ रहे हैं या सिर्फ याद कर रहे हैं?
Example: बच्चे को पूछना – “2/4 और ½ एक जैसे हैं या नहीं?”
To Detect Errors (गलतियों की पहचान)
Evaluation से हमें पता चलता है कि बच्चे कहाँ गलती कर रहे हैं और क्यों।
Example: बच्चा subtraction में borrowing भूल रहा है।
To Motivate Students (प्रेरित करना)
यदि बच्चे का performance अच्छा होता है, तो उसे positive reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन) मिलता है।
Example: शिक्षक बच्चे की प्रशंसा करता है — “बहुत अच्छा किया!”
To Plan Remedial Teaching (सुधारात्मक शिक्षण की योजना)
कमजोर बच्चों के लिए नई गतिविधियाँ या अभ्यास तैयार करना।
Evaluation दो मुख्य प्रकार का होता है 👇
Meaning (अर्थ):
यह सीखने की प्रक्रिया के दौरान (during learning process) किया जाता है।
इसका उद्देश्य है बच्चे की learning progress को monitor करना और तुरंत सुधार करना।
Purpose (उद्देश्य):
बच्चों की daily learning check करना।
गलती पकड़ना और सही मार्गदर्शन देना।
Teaching method को सुधारना।
Nature (स्वभाव): Continuous, Diagnostic, Feedback-oriented.
Examples:
Class test
Oral questions
Observation of activities
Worksheets
Homework checking
Example Explanation:
अगर शिक्षक देखता है कि बच्चे “Division” में गलती कर रहे हैं, तो वह अगले दिन group activity से दोबारा concept सिखाता है।
Teacher’s Role:
Observe → Diagnose → Provide Feedback → Re-teach.
Meaning (अर्थ):
यह सीखने की प्रक्रिया के अंत में (at the end of term/unit) किया जाता है।
इसका उद्देश्य है यह जानना कि बच्चे ने पूरा विषय कितना सीखा।
Purpose (उद्देश्य):
Final learning outcomes को मापना।
Grades या Marks देना।
Nature (स्वभाव): Final, Judgmental, Quantitative.
Examples:
Half-yearly Exam
Annual Exam
End-of-unit test
Example Explanation:
पूरे “Fractions” chapter के बाद बच्चों की written test ली जाती है और marks दिए जाते हैं।
Teacher’s Role:
Assess → Grade → Provide overall report.
Meaning (अर्थ):
Continuous (सतत) = बार-बार, नियमित रूप से मूल्यांकन।
Comprehensive (व्यापक) = केवल ज्ञान नहीं, बल्कि कौशल, व्यवहार, रुचि, दृष्टिकोण (skills, attitude, values) का भी मूल्यांकन।
यानी बच्चे के संपूर्ण विकास (holistic development) का मूल्यांकन।
Purpose (उद्देश्य):
बच्चे को डर-मुक्त मूल्यांकन देना।
केवल marks पर नहीं, performance और participation पर ध्यान देना।
शिक्षक को feedback देना कि कहाँ सुधार की आवश्यकता है।
Features (विशेषताएँ):
Continuous (term भर में कई बार test)
Comprehensive (academic + co-scholastic areas)
Child-centered
Diagnostic and Remedial
Example:
Teacher बच्चों का weekly quiz, class behaviour, participation in math activities – सबको मिलाकर evaluation करता है।
केवल exam marks नहीं, बल्कि learning interest को भी देखा जाता है।
Benefits (लाभ):
Learning stress कम होता है।
हर बच्चे को अपनी गति (pace) से सीखने का मौका मिलता है।
Overall growth पर ध्यान।
Teacher’s Role in CCE:
Continuous observation रखना।
रिकॉर्ड बनाना (portfolio, checklist)।
Regular feedback देना।
| Aspect | Formative Evaluation | Summative Evaluation |
|---|---|---|
| Time | During learning | End of term/unit |
| Aim | To improve learning | To measure achievement |
| Feedback | Immediate | Final |
| Nature | Diagnostic | Judgmental |
| Example | Quiz, Observation | Annual Exam |
(Note: No table format used in final answer for CTET exam — this is conceptual clarity only.)
Helps in Error Diagnosis (गलती पहचानने में मदद):
शिक्षक जानता है कि बच्चा कहाँ गलती कर रहा है – calculation में या concept में।
Encourages Active Learning (सक्रिय अधिगम को बढ़ावा):
Evaluation में बच्चे खुद participate करते हैं – quiz, group work आदि में।
Helps in Remedial Teaching:
Evaluation के आधार पर teacher slow learners के लिए विशेष योजनाएँ बनाता है।
Improves Teaching Methods:
Evaluation से teacher जानता है कि कौन सी method effective है।
✅ Evaluation = Learning की जाँच + सुधार का साधन।
✅ Formative Evaluation – सीखने के दौरान, feedback आधारित, सुधार हेतु।
✅ Summative Evaluation – सीखने के बाद, परिणाम आधारित।
✅ CCE – Continuous (बार-बार) + Comprehensive (संपूर्ण) मूल्यांकन।
✅ CCE = Academic + Co-scholastic development.
✅ Formative = Diagnostic, Summative = Judgmental।
✅ Teacher का कार्य: Observe → Diagnose → Remediate → Evaluate.
✅ Goal: केवल marks नहीं, बल्कि child’s holistic growth।
1️⃣ Meaning (अर्थ):
Assessment Tools वे तरीके या साधन (methods/tools) हैं जिनसे शिक्षक यह पता लगाते हैं कि बच्चा क्या जानता है, क्या समझता है, और क्या कर सकता है।
2️⃣ Purpose (उद्देश्य):
इनका उद्देश्य सिर्फ अंक देना नहीं है, बल्कि बच्चे की सीखने की प्रक्रिया (learning process) को समझना और सुधारना है।
3️⃣ Examples:
जैसे – मौखिक प्रश्न पूछना (oral questions), लिखित परीक्षा (written test), प्रोजेक्ट बनवाना (project work), या बच्चे की फाइल (portfolio) देखना।
1️⃣ Meaning:
Oral Assessment में छात्र से बोलकर प्रश्न पूछे जाते हैं या उसे किसी विषय को समझाने को कहा जाता है।
→ यह तरीका बच्चे की thinking ability (सोचने की क्षमता) और communication skills (संचार कौशल) को समझने में मदद करता है।
2️⃣ Classroom Example:
शिक्षक पूछते हैं –
“Tell me, how many sides does a triangle have?”
या
“गिनती 1 से 20 तक सुनाओ।”
3️⃣ Advantages (लाभ):
बच्चों की समझ (understanding) तुरंत जानी जा सकती है।
डर या झिझक कम होती है।
भाषा कौशल (language skills) और आत्मविश्वास (confidence) बढ़ता है।
4️⃣ Limitations (सीमाएँ):
सभी बच्चों का मूल्यांकन एक साथ नहीं हो सकता।
अंक देने में कभी-कभी subjectivity (व्यक्तिपरकता) आ सकती है।
1️⃣ Meaning:
इसमें छात्र अपनी समझ को लिखित रूप में (in written form) प्रस्तुत करता है।
→ जैसे परीक्षा, वर्कशीट, क्विज़, या असाइनमेंट।
2️⃣ Classroom Example:
शिक्षक कहते हैं –
“Write 5 lines about shapes.”
या “Solve these 10 subtraction sums.”
3️⃣ Advantages (लाभ):
यह तरीका बच्चे की concept clarity (संकल्पना की स्पष्टता) और presentation skill को दिखाता है।
तुलना और रिकॉर्ड रखना आसान होता है।
4️⃣ Limitations (सीमाएँ):
कमजोर लिखावट वाले या धीमे लिखने वाले बच्चों को कठिनाई होती है।
बच्चे रटकर (rote learning) भी उत्तर लिख सकते हैं।
1️⃣ Meaning:
Project Assessment में बच्चों को किसी विषय पर प्रयोग, शोध या प्रस्तुति (activity or research) करने को कहा जाता है।
→ यह learning by doing (करके सीखने) का तरीका है।
2️⃣ Classroom Example:
“Make a chart showing different shapes you find in your home.”
“Prepare a model of a clock using cardboard.”
3️⃣ Advantages (लाभ):
बच्चों में creativity (रचनात्मकता) और teamwork (समूह कार्य) बढ़ता है।
बच्चे विषय को real life से जोड़ना (connect with life) सीखते हैं।
आत्मनिर्भरता (self-dependence) और जिम्मेदारी (responsibility) विकसित होती है।
4️⃣ Limitations (सीमाएँ):
समय ज़्यादा लगता है।
कुछ बच्चे दूसरों के सहारे काम करते हैं।
1️⃣ Meaning:
Portfolio एक record file (रिकॉर्ड फाइल) होती है जिसमें छात्र के काम (work samples) को एक निश्चित अवधि में एकत्र किया जाता है।
→ इसमें बच्चे की progress (प्रगति) और effort (प्रयास) दिखते हैं।
2️⃣ What It Contains:
बच्चे के drawing sheets, assignments, tests, pictures, remarks आदि।
यह एक learning journey (सीखने की यात्रा) दिखाता है।
3️⃣ Classroom Example:
हर छात्र की एक फाइल होती है जहाँ वह अपनी worksheets, drawings, small projects रखता है।
शिक्षक साल के अंत में देखकर बताते हैं कि बच्चे में कितना सुधार हुआ।
4️⃣ Advantages (लाभ):
बच्चों के overall development (संपूर्ण विकास) को दिखाता है।
बच्चा अपनी strengths और weaknesses खुद पहचानता है।
Continuous evaluation (सतत मूल्यांकन) को बढ़ावा देता है।
5️⃣ Limitations (सीमाएँ):
शिक्षक को नियमित रूप से फाइलें जांचनी पड़ती हैं।
रिकॉर्ड रखने में समय लगता है।
🔹 Assessment Tools वो साधन हैं जो छात्र की सीख को मापने में मदद करते हैं।
🔹 मुख्य चार प्रकार हैं – Oral, Written, Project, Portfolio।
🔹 Oral → बोलकर ज्ञान की जांच।
🔹 Written → लिखित उत्तरों से समझ का मूल्यांकन।
🔹 Project → वास्तविक कार्यों से सीख का आकलन।
🔹 Portfolio → बच्चे की समय के साथ प्रगति का रिकॉर्ड।
🔹 हर टूल का उद्देश्य सिर्फ अंक देना नहीं, बल्कि सीख में सुधार (improvement in learning) लाना है।
🔹 शिक्षक को सभी टूल्स का संतुलित उपयोग (balanced use) करना चाहिए ताकि मूल्यांकन समग्र (comprehensive) हो।
✅ Exam Tip (CTET Special):
CCE (Continuous and Comprehensive Evaluation) में ये सभी टूल्स बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि ये learning process को सतत (continuous) और समग्र (comprehensive) बनाते हैं।
1. HOTS (Higher Order Thinking Skills) क्या होते हैं?
HOTS का मतलब है Higher Order Thinking Skills – यानी उच्च स्तरीय सोचने की क्षमता।
➤ इसमें बच्चे सिर्फ जानकारी याद नहीं रखते, बल्कि उसे सोचते, विश्लेषण करते (analyze), मूल्यांकन करते (evaluate) और नई चीजें बनाते (create) हैं।
Bloom's Taxonomy के अनुसार यह Analysis (विश्लेषण), Evaluation (मूल्यांकन), और Creation (सृजन) की श्रेणियों में आता है।
उदाहरण:
याद करने वाला सवाल: “सूरज कहाँ उगता है?”
→ यह Lower Order Thinking है।
HOTS वाला सवाल: “अगर सूरज पश्चिम से उगता, तो क्या होता?”
→ बच्चा सोचता है, कल्पना करता है। यही है Higher Order Thinking।
HOTS बच्चों को problem solving, decision making, और critical thinking सिखाते हैं।
Open-ended Questions ऐसे सवाल होते हैं जिनके एक से अधिक उत्तर हो सकते हैं और जिनका उत्तर देने के लिए बच्चे को सोचना, तर्क करना और व्याख्या करनी पड़ती है।
ये सवाल बच्चों की critical thinking (आलोचनात्मक सोच) को बढ़ाते हैं।
Closed-ended Question:
➤ “क्या पानी पीना ज़रूरी है?” → हाँ/ना (सिर्फ एक जवाब)
Open-ended Question:
➤ “पानी नहीं पिएँ तो हमारे शरीर पर क्या असर होगा?” → बच्चा सोचकर बताता है।
कक्षा में उपयोग कैसे करें?
पाठ पढ़ाने के बाद पूछें: “अगर तुम उस कहानी के पात्र होते तो क्या करते?”
विज्ञान में पूछें: “अगर पेड़ न हों तो पर्यावरण पर क्या असर होगा?”
लाभ:
बच्चा गहराई से सोचता है।
संवाद कौशल (communication skill) बढ़ता है।
बच्चे के विचारों की स्पष्टता आती है।
Puzzle (पहेलियाँ) बच्चों के तार्किक सोच (logical thinking) और समस्या समाधान (problem-solving) की क्षमता को बढ़ाती हैं।
ये बच्चों को खेल-खेल में सीखने का मौका देती हैं।
प्रकार:
शब्द पहेली (Word puzzles)
गणितीय पहेली (Math puzzles)
चित्र पहेली (Picture puzzles)
Sudoku, crossword, logical series आदि
उदाहरण:
“3 लोग एक कमरे में थे, 4 बाहर गए। कमरे में कितने बचे?”
➤ बच्चा सोचता है: बाहर कैसे गए? पहले कितने थे?
Classroom में उपयोग:
Mathematics में pattern-based puzzles
पर्यावरण अध्ययन में क्रमबद्ध चित्र लगवाना
भाषा में शब्दों से वाक्य बनवाना
लाभ:
मनोरंजन के साथ शिक्षा
सृजनात्मकता (creativity) बढ़ती है
मनोवैज्ञानिक रूप से संतुलन आता है
सवाल पूछने का तरीका बदलें:
➤ “क्यों?”, “कैसे?”, “अगर ऐसा होता तो?” जैसे सवाल करें।
वास्तविक जीवन की समस्याएँ रखें:
➤ “अगर तुम्हारे घर में बिजली न हो, तो क्या करोगे?”
➤ बच्चे सोचते हैं, समाधान निकालते हैं।
Project-based learning कराएँ:
➤ बच्चों को कोई कार्य दें जिसे वे खुद research करके पूरा करें।
Role-play / Drama:
➤ बच्चे जब कोई किरदार निभाते हैं, तो वे सोचते हैं कि उस परिस्थिति में क्या करना चाहिए।
Group Discussion और Debate कराना:
➤ बच्चों को दूसरों की बात सुननी और अपनी बात रखना सिखाता है।
बच्चों को सवाल पूछने दें:
➤ जब वे खुद सवाल पूछते हैं, तो वे सोचते हैं।
कहानियों पर चर्चा करें:
➤ “अगर कहानी का अंत बदलना हो, तो तुम क्या करोगे?”
➤ इससे कल्पनाशक्ति (imagination) और विश्लेषण (analysis) दोनों बढ़ते हैं।
समूह में काम करने दें (Group activities):
➤ हर बच्चा अपना विचार रखता है। इससे विविध सोच (divergent thinking) आती है।
रोज़मर्रा के अनुभवों से जोड़ें:
➤ जैसे- “अगर बारिश न हो तो किसान पर क्या असर पड़ेगा?”
→ बच्चा सोचकर उत्तर देता है।
Feedback देना सीखाएँ:
➤ जब बच्चे किसी और के विचार पर राय देते हैं, तो सोचते हैं कि क्यों वो विचार अच्छा या कमज़ोर है।
Concept-based प्रश्न:
➤ “Open-ended questions का उद्देश्य क्या होता है?”
➤ “HOTS से बच्चों में कौन सी क्षमताएँ बढ़ती हैं?”
Classroom-based स्थिति:
➤ एक शिक्षक कहानी पढ़ाने के बाद बच्चों से पूछता है – “अगर तुम राजा होते तो क्या करते?”
→ ये किस प्रकार का प्रश्न है?
उत्तर: Open-ended + HOTS based question
Teaching Strategy पर आधारित:
➤ “शिक्षक ने पहेलियों के माध्यम से संख्याओं का अभ्यास कराया।”
→ यह किस प्रकार की गतिविधि है?
उत्तर: Puzzle-based learning + Logical thinking development
HOTS (Higher Order Thinking Skills) बच्चों की सोचने, समझने, विश्लेषण करने, और नई चीजें बनाने की क्षमता को विकसित करता है।
Open-ended Questions का उत्तर निश्चित नहीं होता; ये बच्चों को गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करते हैं।
Puzzles बच्चों के अंदर तार्किक और रचनात्मक सोच को मज़ेदार तरीक़े से बढ़ाते हैं।
Classroom में HOTS विकसित करने के लिए शिक्षक को ऐसे प्रश्न, गतिविधियाँ, और परिस्थिति देनी चाहिए जिससे बच्चा खुद से सोचने पर मजबूर हो।
HOTS से जुड़ी Teaching strategies: Role Play, Group Activities, Projects, Discussions, Open Questions
Diagnostic Test (नैदानिक परीक्षण) एक ऐसा टेस्ट होता है जो यह पता लगाता है कि बच्चा कहाँ और किस चीज़ में कठिनाई महसूस कर रहा है।
इसका उद्देश्य बच्चों की कमज़ोरियाँ (learning difficulties) को पहचानना होता है, न कि सिर्फ यह देखना कि वे पास हुए या फेल।
यह सामान्य परीक्षा (Summative Test) से अलग होता है क्योंकि इसमें गलती के कारण (cause of error) को खोजा जाता है।
📌 उदाहरण:
अगर कोई बच्चा बार-बार 2-digit जोड़ने में गलती करता है, तो Diagnostic Test बताएगा कि क्या वह carry-over समझ नहीं पा रहा या place value की गलती कर रहा है।
यह Specific (विशिष्ट) होता है – यानी किसी खास टॉपिक या समस्या पर केंद्रित होता है।
➤ जैसे: सिर्फ “गिनती में गलती” या “हिन्दी में मात्रा की गलती।”
इसका उद्देश्य कमियों को पहचानना (Identify Weak Areas) होता है – न कि रैंक देना।
यह आमतौर पर लघु (Short) और Focused होता है।
इसमें गहराई से विश्लेषण (Detailed Analysis) होता है – जैसे बच्चे ने कहाँ गलती की, क्यों की।
📌 Classroom Example:
शिक्षक ने पाया कि 3 बच्चे बार-बार ‘आ’ की मात्रा गलत लगाते हैं। उन्होंने एक छोटा Diagnostic Test बनाया जिसमें सिर्फ ‘आ’ की मात्रा से जुड़े शब्द लिखवाए।
Remedial Teaching (सहायक शिक्षण या सुधारात्मक शिक्षण) का उद्देश्य बच्चों की पहचानी गई कमज़ोरियों को सुधारना (Correct) होता है।
यह बच्चे की ज़रूरतों के अनुसार होती है – यानी हर बच्चे के लिए एक जैसी Teaching नहीं होती।
इसमें धीमी गति (Slow pace), बार-बार दोहराव (Repetition), और विशेष गतिविधियाँ (Special Activities) शामिल होती हैं।
📌 Example:
अगर बच्चा “र” और “ड़” में फर्क नहीं समझ पा रहा, तो शिक्षक उसे विशेष अभ्यास, चित्र, और बोलने की गतिविधियों के ज़रिए यह सिखाता है।
यह प्रक्रिया 5 मुख्य Steps में पूरी होती है:
शिक्षक बच्चे के उत्तरों या व्यवहार को देखकर शक करता है कि कोई समस्या है।
उदाहरण: बच्चा हमेशा 12 + 9 = 11 लिखता है।
एक छोटा सा टेस्ट तैयार किया जाता है जिसमें उस विषय की विशिष्ट बातें पूछी जाती हैं।
उद्देश्य: यह जानना कि गलती कहाँ और क्यों हो रही है।
Example: जोड़ के सवाल, जिनमें carry होता है और नहीं होता है — दोनों दिए जाते हैं।
शिक्षक यह देखता है कि बच्चा किस तरह की गलतियाँ कर रहा है।
वह यह भी देखता है कि क्या यह गलती ज्ञान की कमी, ध्यान की कमी, या भाषा की समस्या से हो रही है।
अब शिक्षक बच्चे की ज़रूरत के अनुसार विशेष Teaching देता है।
इसमें शामिल हो सकते हैं:
गतिविधियाँ (Activities)
दोहराव (Repetition)
सहपाठी सहायता (Peer Support)
चित्र, मॉडल, खेल आदि
कुछ दिनों बाद फिर से छोटा टेस्ट लिया जाता है यह देखने के लिए कि सुधार हुआ या नहीं।
अगर सुधार नहीं हुआ, तो शिक्षक तरीका बदलता है।
उदाहरण 1 – हिंदी:
समस्या: बच्चा मात्रा “इ” और “ई” में अंतर नहीं कर पा रहा।
प्रक्रिया:
Diagnostic Test: केवल "इ" और "ई" वाली शब्दों की पहचान करवाना।
Remedial Teaching: चित्र दिखाकर, बोलकर, लिखवाकर अभ्यास।
Re-Assessment: एक सप्ताह बाद फिर से वही शब्द लिखवाना।
उदाहरण 2 – गणित:
समस्या: बच्चा subtraction (घटाव) में बार-बार गलती कर रहा।
प्रक्रिया:
Diagnostic Test: कुछ सवाल बिना borrowing और कुछ borrowing के दिए।
विश्लेषण: पाया कि borrowing में समस्या है।
Remedial Teaching: लकड़ी की छड़ियों से घटाव सिखाया गया।
Re-assessment: Visual तरीके से सीखने के बाद फिर से टेस्ट।
Diagnostic Test = समस्या पहचानने के लिए
Remedial Teaching = समस्या सुधारने के लिए
दोनों में एक प्रक्रिया (process) होती है, जो बच्चे के व्यक्तिगत स्तर (individual needs) पर केंद्रित होती है।
CTET में ऐसे सवाल आ सकते हैं:
एक बच्चा लगातार गलतियाँ कर रहा है, शिक्षक क्या करेगा?
➤ उत्तर: Diagnostic Test लेकर कारण पहचानेगा और फिर Remedial Teaching देगा।
Diagnostic Test = कमज़ोरियों की पहचान के लिए एक विशेष टेस्ट
यह Test विशेष, छोटा और focused होता है।
Remedial Teaching = उन कमज़ोरियों को सुधारने की प्रक्रिया
यह Teaching बच्चे की ज़रूरतों के अनुसार दी जाती है।
पूरी प्रक्रिया के 5 मुख्य Steps हैं:
समस्या की पहचान
Diagnostic Test
विश्लेषण
Remedial Teaching
Re-assessment
Classroom में teacher को बच्चों की गलतियाँ ध्यान से देखकर उनकी मूल वजह समझनी होती है।
📋 Topics:-
Meaning: एक ऐसा शिक्षक जो बच्चों को सीखने के लिए जरूरी वातावरण, सामग्री और अवसर उपलब्ध कराता है — लेकिन सीधा उत्तर नहीं देता।
👉 वह खुद नहीं सिखाता, बल्कि बच्चे को खुद सीखने के लिए सक्षम बनाता है।
📌 Example:
शिक्षक बच्चों को मापने की टेप, स्केल और टाइमर देता है और कहता है – "जाओ और खुद मापो कि बेंच कितनी लंबी है।"
→ यहां शिक्षक Facilitator की भूमिका निभा रहा है।
Meaning: ऐसा शिक्षक जो बच्चों के साथ सीखता है, और मानता है कि सीखने की प्रक्रिया में वह भी भागीदार है।
📌 Example:
बच्चा क्लास में नया ऐप बताता है और शिक्षक कहता है – “यह मुझे नहीं आता, तुम सिखाओ।”
→ यह शिक्षक एक Co-learner है।
Meaning: जब बच्चे आपस में एक-दूसरे को सिखाते हैं या मिलकर कोई विषय समझते हैं।
📌 Example:
राज गणित में तेज़ है, और रीमा को जोड़ में दिक्कत है। शिक्षक कहता है – "राज, रीमा को समझाओ कैसे किया।"
→ यह हुआ Peer Learning।
Meaning: जब बच्चा Maths को लेकर डर या तनाव महसूस करता है, और उसे लगने लगता है कि वह नहीं कर पाएगा।
📌 Example:
जैसे ही मैथ्स का टेस्ट आता है, बच्चा पसीना-पसीना हो जाता है और कहता है, "मुझे कुछ नहीं आता।"
→ यह Math Anxiety है।
Meaning: सीखने की ऐसी प्रक्रिया जिसमें खेल, गतिविधियों और अनुभवों के ज़रिए पढ़ाया जाता है।
📌 Example:
अर्धवृत्त (semicircle) समझाने के लिए शिक्षक बच्चों को पेपर प्लेट काटने देता है।
→ यह Play-way Method का उदाहरण है।
Meaning: बच्चा गलती करने के बावजूद प्रयास करे और डरे नहीं – ऐसा माहौल बनाना।
📌 Example:
बच्चा गलती करता है, और शिक्षक कहता है – “कोशिश अच्छी थी, अगली बार और अच्छा होगा।”
→ यह Confidence Building है।
Meaning: जब बच्चे छोटे-छोटे समूहों में मिलकर कोई काम करते हैं, और एक-दूसरे से सीखते हैं।
📌 Example:
4 बच्चों का समूह बनाकर शिक्षक कहता है – “मिलकर वर्ग की परिधि मापो।”
→ यह Group Work है।
Meaning: जब बच्चे किसी विषय पर खुलकर बातचीत करते हैं, अपनी राय रखते हैं, और दूसरों की सुनते हैं।
📌 Example:
एक सवाल को 2 बच्चों ने अलग-अलग तरीकों से हल किया। क्लास में सबने उन दोनों तरीकों पर चर्चा की।
→ यह Discussion है।
Meaning: शिक्षक जो बच्चों को रास्ता दिखाता है, लेकिन उन्हें खुद से सोचने और सीखने का मौका देता है।
📌 Example:
शिक्षक कहता है – “मैं तुम्हें Hint देता हूँ, बाकी तुम सोचो।”
→ यह Guide की भूमिका है।
Meaning: ऐसा classroom जहाँ बच्चे बिना डरे, खुलकर सवाल पूछ सकें और गलती करने से न डरें।
📌 Example:
जहाँ बच्चे गलत उत्तर देने के बाद भी डाँटे नहीं जाते बल्कि प्रोत्साहित होते हैं।
→ यही Positive Environment है।
🔹 शिक्षक अब सिर्फ ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि Facilitator, Guide और Co-learner होता है।
🔹 Facilitator – सीखने के साधन और वातावरण प्रदान करता है।
🔹 Guide – उत्तर नहीं देता, बल्कि रास्ता दिखाता है।
🔹 Co-learner – शिक्षक भी बच्चों के साथ सीखता है।
🔹 Math Anxiety = गणित से डर, जिसे रोचक तरीकों से कम किया जा सकता है।
🔹 Math Anxiety के इलाज:
🎲 Games
🧩 Play-way
🌱 Confidence Building
🔹 Group Work – सहयोग और team-based learning को बढ़ावा देता है।
🔹 Discussion – सोचने, तर्क करने और विचार साझा करने की आदत डालता है।
🔹 Peer Learning – बच्चा बच्चे से सीखता है, और यह भरोसा व समझ दोनों बढ़ाता है।
🔹 Classroom Environment जितना सकारात्मक होगा, बच्चे उतना बेहतर सीखेंगे।
गणित सिर्फ नियम याद करने का विषय नहीं है, बल्कि इसे समझकर, सोचकर, और अभ्यास से सीखा जाता है।
Maths में अक्सर बच्चों को डर लगता है, इसलिए कक्षा का सकारात्मक और सहयोगी माहौल (positive & supportive environment) बनाना ज़रूरी होता है।
Classroom Management (कक्षा प्रबंधन) का अर्थ है –
➤ कक्षा को इस तरह चलाना कि बच्चे ध्यान से सुनें, समझें, और सक्रिय रूप से भाग लें।
📌 Example:
अगर गणित कक्षा में शांति और स्पष्ट दिशा-निर्देश हों, तो बच्चे बिना डरे सवाल पूछ सकते हैं और गलतियाँ करने से भी नहीं डरेंगे।
Group Work का अर्थ है – बच्चों को छोटे-छोटे समूहों में बाँटना ताकि वे मिलकर कोई गतिविधि करें या समस्या हल करें।
यह बच्चों को सहयोग (cooperation) और सामूहिक जिम्मेदारी (shared responsibility) सिखाता है।
समूह में काम करने से कमजोर बच्चे भी सीखते हैं क्योंकि उन्हें साथी से मदद मिलती है।
📌 Example:
शिक्षक ने 4 बच्चों का समूह बनाकर उन्हें 3D आकृतियों को गिनने और नाम बताने का काम दिया। सभी ने आपस में चर्चा करके पूरा किया।
लाभ:
सभी बच्चे शामिल होते हैं
चर्चा और तर्क करने की आदत बनती है
आत्म-विश्वास बढ़ता है
एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलता है
Discussion का मतलब है बच्चों को किसी टॉपिक पर बोलने, अपनी राय रखने और दूसरों को सुनने का मौका देना।
गणित में जब बच्चे तरीका या समाधान समझाकर बताते हैं, तो वे खुद और अच्छा सीखते हैं।
चर्चा से बच्चे यह सीखते हैं कि एक ही सवाल के कई रास्ते हो सकते हैं।
📌 Example:
शिक्षक ने सवाल दिया – “8 × 6 का उत्तर निकालो।”
एक बच्चे ने बार-बार जोड़कर निकाला, दूसरे ने पहाड़ा सुनाया। दोनों ने अपना तरीका बताया — यह एक Discussion हुआ।
लाभ:
Critical thinking (आलोचनात्मक सोच) बढ़ती है
बच्चे एक-दूसरे के तरीकों को समझते हैं
संवाद कौशल (communication skill) में सुधार होता है
Peer Learning का मतलब है – जब बच्चे आपस में एक-दूसरे को सिखाते हैं या मिलकर कोई कॉन्सेप्ट समझते हैं।
जब एक बच्चा अपने दोस्त को सिखाता है, तो वह खुद भी गहराई से समझता है।
कमजोर बच्चे, जिनमें झिझक होती है, वे अपने दोस्त से सवाल पूछने में सहज महसूस करते हैं।
📌 Example:
एक बच्चा लंबाई के यूनिट (cm, m) में बार-बार गलती कर रहा था। उसके बगल में बैठे दोस्त ने उसे समझाया – यह Peer Learning है।
लाभ:
हर बच्चा भाग लेता है
शिक्षक का दबाव नहीं होता
दोस्ती और सहयोग बढ़ता है
बच्चा सिखाकर भी सीखता है
शिक्षक को चाहिए कि वह Maths को डरावना नहीं, रोचक बनाए।
बच्चों को बोलने, सोचने और एक-दूसरे से सीखने का मौका दें।
शिक्षक को चाहिए कि:
स्पष्ट निर्देश दे (Clear Instructions)
समूहों का संतुलन बनाए (हर समूह में हर स्तर के बच्चे हों)
सभी बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करे
समय-सीमा तय करे, ताकि काम समय पर पूरा हो
सवालों को open-ended रखे, ताकि बच्चे सोचें
📌 Example:
शिक्षक ने समय की अवधारणा (Time) सिखाने के लिए बच्चों को एक-एक कहानी बताने को कहा कि “तुम सुबह उठते ही कौन-कौन से काम कितने बजे करते हो?” — इससे सीख भी हुई और बच्चे जुड़े भी।
गणित में Classroom Management से सीखने का वातावरण बनता है।
Group Work से सहयोग, भागीदारी और problem-solving आती है।
Discussion से बच्चे अपने समाधान साझा करते हैं — सोचने और समझने की क्षमता बढ़ती है।
Peer Learning से बच्चे एक-दूसरे से सहजता से सीखते हैं।
शिक्षक को चाहिए कि वह Maths को सोचने का विषय बनाए, केवल रटने का नहीं।
Teacher का role है — Guide, Facilitator, Motivator का।
Math Anxiety (गणित का भय) का अर्थ है — जब बच्चे गणित को देखकर डर या चिंता (fear or nervousness) महसूस करते हैं।
इस डर की वजह से बच्चा सवाल को समझने से पहले ही हार मान लेता है।
यह केवल कमज़ोर बच्चों में नहीं होता, बल्कि कभी-कभी होशियार बच्चे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
📌 Example:
बच्चा जैसे ही बोर्ड पर लिखा "14 × 6" देखता है, वह पेन नीचे रख देता है और कहता है – “मुझसे नहीं होगा” — यह Math Anxiety है।
गणित के नाम से ही बच्चा परेशान हो जाता है।
टेस्ट या सवाल के समय पसीना आना, घबराहट होना।
बच्चा बार-बार कहता है – “मुझे मैथ्स नहीं आता।”
छोटी-सी गलती पर भी डर जाना या रो पड़ना।
सवाल को देखे बिना ही छोड़ देना।
📌 Classroom Example:
एक बच्चा हर विषय में एक्टिव है, लेकिन Maths period में उसका चेहरा उतर जाता है और वह चुपचाप बैठा रहता है।
Negative Experiences (नकारात्मक अनुभव):
अगर पहले कभी बच्चे को डाँट पड़ी हो या परीक्षा में नंबर कम आए हों।
Rote Learning (रटना):
गणित को सिर्फ रूल्स रटने की चीज़ बना देना, बिना समझाए।
Comparisons (तुलना):
"देखो तुम्हारा दोस्त कितनी जल्दी कर लेता है!" — ऐसी बातें बच्चे का आत्मविश्वास तोड़ देती हैं।
Fast Pace of Teaching (तेज़ गति से पढ़ाना):
सभी बच्चों को एक जैसी रफ़्तार से पढ़ाना — कमजोर बच्चे पीछे छूट जाते हैं।
Fear of Mistakes (गलती करने का डर):
बार-बार गलतियाँ होने पर बच्चा कोशिश करना बंद कर देता है।
Maths को खेल के रूप में सिखाने से डर मज़े में बदल जाता है।
बच्चे जब गेम्स खेलते हैं, तो बिना जाने ही वे Maths सीख जाते हैं।
📌 Examples:
लूडो खेलते हुए जोड़ और घटाव।
फ्लैश कार्ड्स से Bingo game – जहाँ सवाल सही करो तो एक box कटाओ।
“Guess the Number” गेम – मानसिक गणना (mental math) के लिए।
गेम से बच्चों में हिम्मत और रुचि दोनों बढ़ती है।
Play-way method का मतलब है — सीखने की प्रक्रिया को खेल, गतिविधियों और अनुभवों से जोड़ना।
इसमें Learning दबाव के बिना, मस्ती के साथ होती है।
📌 Examples:
माप सिखाने के लिए बच्चे से कहो – “3 पेंसिल की लंबाई में तुम्हारी टेबल कितनी लंबी है?”
Fraction सिखाने के लिए रोटियाँ या कागज़ काटकर आधा-चौथाई समझाना।
इससे Maths concepts visually और practically समझ आते हैं।
Teacher को चाहिए कि बच्चा गलती करे तो उसे डाँटे नहीं, बल्कि प्रोत्साहित (encourage) करे।
छोटी-छोटी सफलताओं से बच्चा धीरे-धीरे confident होता है।
📌 Examples:
"शाबाश! तुम्हारा तरीका सही था, बस आखिरी स्टेप में गलती हो गई।"
क्लास के सामने उसकी कोशिश की तारीफ करना।
सकारात्मक माहौल और प्रशंसा से बच्चा खुद को कमज़ोर नहीं, सीखने वाला मानता है।
बच्चों को यह महसूस कराना कि Maths डरने की चीज़ नहीं, बल्कि खेलने और सोचने की चीज़ है।
सभी बच्चों को समय और मौके देना, चाहे वे तेज़ हों या धीमे।
Teaching को Concept-based, Activity-based और Student-friendly बनाना।
बच्चों को गलतियाँ करने की आजादी देना – क्योंकि गलती से ही सीख होती है।
बच्चों की प्रगति को धीरे-धीरे बढ़ाना – एकदम से सबकुछ न सिखाना।
📌 Classroom Tip:
Maths period की शुरुआत हमेशा किसी रोचक सवाल, कहानी, या छोटी एक्टिविटी से करें — इससे माहौल हल्का और attention-ready रहता है।
Math Anxiety = गणित से डर या घबराहट।
यह बच्चों की सीखने की क्षमता को रोक देता है।
कारण: डाँट, तुलना, गलतियाँ, रटना, तेज़ पढ़ाई आदि।
इलाज:
🎲 Games से Maths को मज़ेदार बनाओ।
🧩 Play-way से Concepts को अनुभव से जोड़ो।
🌱 Confidence Building से डर को भरोसे में बदलो।
शिक्षक की भूमिका:
सकारात्मक माहौल बनाना
गलती को सीखने का अवसर मानना
हर बच्चे की pace का ध्यान रखना
बच्चे के छोटे प्रयासों को भी सराहना
पहले शिक्षक को ज्ञान का स्रोत (source of knowledge) माना जाता था — जो सिर्फ पढ़ाता है और बच्चे सुनते हैं।
अब शिक्षक की भूमिका बदल गई है। वह सिर्फ पढ़ाने वाला नहीं बल्कि बच्चों को सीखने में मदद करने वाला बन गया है।
आज का शिक्षक:
सुनता है, सिर्फ बोलता नहीं।
प्रेरित करता है, सिर्फ निर्देश नहीं देता।
साथ में सीखता है, सिर्फ सिखाता नहीं।
📌 Example:
पहले शिक्षक board पर हल करके दिखाता था। अब वह बच्चों को problem solve करने देता है और सिर्फ मार्गदर्शन करता है।
Facilitator का अर्थ है – जो बच्चों के सीखने की सहज व्यवस्था करे।
शिक्षक बच्चों को resources (साधन), समय, और माहौल देता है ताकि वे खुद खोज कर सीखें।
Facilitator बनने के लिए शिक्षक को बच्चों की रुचि, गति, और स्तर को समझना जरूरी होता है।
📌 Classroom Example:
गणित की कक्षा में शिक्षक ने बच्चों को मापने की टेप, रेखा खींचने के लिए स्केल, और measuring cups दिए और कहा – "आज हम सब मिलकर कक्षा में लंबाई मापेंगे।"
→ यहाँ शिक्षक Facilitator की भूमिका निभा रहा है।
यह तरीका बच्चों में खोजने, करने और सोचने की आदत डालता है।
Guide का मतलब है — रास्ता दिखाने वाला, लेकिन रास्ता तय करने की आज़ादी देने वाला।
शिक्षक बच्चों को सही दिशा में सोचने और काम करने की प्रेरणा देता है।
Guide होने का मतलब है —
बच्चे के सवालों को सुनना
उन्हें उत्तर खोजने की सहायता करना, न कि सीधा उत्तर दे देना
📌 Example:
बच्चा पूछता है – "मैम, यह पहेली कैसे सुलझेगी?"
शिक्षक जवाब देने के बजाय कहता है – “तुम क्या सोचते हो? पहले खुद try करो, मैं साथ हूँ।”
→ यह Guide की भूमिका है।
Co-learner का अर्थ है – शिक्षक भी सीखने की प्रक्रिया में बच्चों के साथ होता है।
जब शिक्षक बच्चों से सीखने के लिए खुला रहता है, तो बच्चे भी अधिक आत्मविश्वास से सीखते हैं।
शिक्षक कब co-learner बनता है?
जब बच्चा कोई नई बात लाता है, और शिक्षक उसे खुले मन से सुनता है।
जब शिक्षक यह स्वीकार करता है – “मुझे ये नहीं आता, चलो हम साथ में सीखते हैं।”
📌 Example:
कक्षा में बच्चा Google से कोई नई जानकारी लेकर आता है। शिक्षक कहता है – "वाह! यह तो नया है, चलो मिलकर समझते हैं।"
→ यह एक Co-learner शिक्षक है।
इससे बच्चे और शिक्षक के बीच विश्वास (trust) और सकारात्मक रिश्ता बनता है।
Facilitator:
शिक्षक बच्चों को गणितीय खेल (math games), रंगीन blocks, और worksheets देता है ताकि वे concept को खुद अनुभव करें।
Guide:
विज्ञान कक्षा में बच्चा पूछता है, “पौधे बिना मिट्टी के कैसे उगते हैं?”
शिक्षक तुरंत उत्तर देने की बजाय कहता है – "तुम Internet या किताबों से खोजो, फिर मिलकर चर्चा करेंगे।"
Co-learner:
शिक्षक भी बच्चों के साथ नई तकनीक सीखता है, जैसे: projector चलाना, या coding का basics।
शिक्षक की भूमिका अब केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह बच्चों के साथ सीखने की प्रक्रिया में शामिल होता है।
✅ Facilitator = सीखने का वातावरण और साधन उपलब्ध कराना।
→ “करके सीखने” का मौका देना।
✅ Guide = मार्गदर्शन करना, उत्तर नहीं थोपना।
→ बच्चा खुद सोचे, कोशिश करे।
✅ Co-learner = खुद भी बच्चे के साथ सीखने को तैयार रहना।
→ शिक्षक भी जिज्ञासु बने।
एक अच्छा शिक्षक वही होता है जो कहे:
“मैं सिखाता हूँ,
मैं प्रेरित करता हूँ,
मैं तुम्हारे साथ सीखता हूँ।”