📋 Topics:-
Meaning (अर्थ):
Growth का मतलब है — शरीर में आकार, वजन, लंबाई और अंगों के मात्रात्मक परिवर्तन (Quantitative Changes)।
यह शरीर के किसी भाग के बढ़ने या फैलने को दिखाता है।
Example:
जैसे – एक बच्चे की लंबाई 4 फीट से बढ़कर 4.5 फीट हो गई, यह Growth है।
Meaning:
Development का अर्थ है — व्यक्ति के कुल व्यक्तित्व (Total Personality) में होने वाले गुणात्मक परिवर्तन (Qualitative Changes)।
इसमें सोच, भावनाएँ, व्यवहार, समझ और सामाजिक गुण शामिल होते हैं।
Example:
जब बच्चा दूसरों के साथ मिलजुलकर काम करना सीखता है, यह Development है।
Meaning:
ऐसे परिवर्तन जिन्हें संख्याओं में मापा जा सके (Measurable in numbers) — जैसे वजन, ऊँचाई, उम्र आदि।
Example:
"रवि का वजन 5 kg बढ़ गया" — यह Quantitative change है।
Meaning:
ऐसे परिवर्तन जिन्हें महसूस किया जा सकता है पर मापा नहीं जा सकता (Felt but not measured) — जैसे सोचने की क्षमता, समझ, आत्मविश्वास।
Example:
"रिया अब पहले से ज़्यादा समझदार हो गई है" — यह Qualitative change है।
Meaning:
Cognitive का अर्थ है सोचने, समझने, याद रखने और निर्णय लेने की क्षमता (Mental and intellectual ability)।
Example:
जब बच्चा जोड़-घटाव के सवाल खुद सोचकर हल करता है, यह उसकी Cognitive development है।
Meaning:
शरीर के आकार, अंगों की वृद्धि, ऊँचाई, वजन और शारीरिक समन्वय (Body coordination) का विकास।
Example:
बच्चे का दौड़ना, कूदना, लिखना सीखना — ये Physical development के संकेत हैं।
Meaning:
बच्चे की भावनाओं को समझने, नियंत्रित करने और व्यक्त करने की क्षमता का विकास।
Example:
बच्चा हारने पर गुस्सा न होकर फिर से कोशिश करता है — यह Emotional maturity का उदाहरण है।
Meaning:
दूसरों के साथ मिलजुलकर रहना, सहयोग करना, नियमों का पालन करना सीखना।
Example:
बच्चा अपने खिलौने दोस्तों के साथ बाँटता है — यह Social development है।
Meaning:
सही-गलत का भेद समझने और नैतिक मूल्यों को अपनाने की प्रक्रिया।
Example:
बच्चा बिना बताए किसी की चीज़ नहीं लेता — यह उसका Moral development दर्शाता है।
Meaning:
वे गुण जो बच्चे को माता-पिता से जन्म के समय मिलते हैं (Inherited traits) — जैसे त्वचा का रंग, बालों का प्रकार, शरीर की बनावट, बुद्धि का आधार आदि।
Example:
अगर माता-पिता लंबे हैं तो बच्चा भी संभवतः लंबा होगा — यह Heredity का प्रभाव है।
Meaning:
वह बाहरी परिस्थितियाँ (External conditions) जो व्यक्ति के विकास को प्रभावित करती हैं, जैसे परिवार, समाज, विद्यालय, संस्कृति आदि।
Example:
सकारात्मक परिवार और अच्छे स्कूल वाला बच्चा तेज़ी से विकसित होता है।
Meaning:
जब दो या अधिक चीजें एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं (Mutual effect)।
यहाँ Heredity और Environment एक-दूसरे के साथ Interaction करके विकास को तय करते हैं।
Example:
एक बच्चा जन्म से संगीतप्रिय (Heredity) है, लेकिन अभ्यास और माहौल (Environment) से महान गायक बनता है।
Meaning:
हर बच्चा अलग तरह से सोचता, सीखता और विकसित होता है।
ये अंतर Heredity + Environment दोनों से बनते हैं।
Example:
एक ही कक्षा में कुछ बच्चे जल्दी सीख लेते हैं, कुछ को समय लगता है — यह Individual Difference है।
Meaning:
Development हमेशा एक निश्चित क्रम (Order) में होता है।
जैसे बच्चा पहले बैठना सीखता है, फिर रेंगना, फिर चलना।
Example:
बच्चा पहले बोलना सीखने से पहले सुनना सीखता है — यह Sequential development का उदाहरण है।
Meaning:
Development कभी रुकता नहीं, यह जीवनभर चलता रहता है।
हर उम्र में नए अनुभव और सीख मिलती है।
Example:
बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसकी सोच और समझ लगातार विकसित होती है।
Meaning:
शरीर और मन का स्वाभाविक रूप से परिपक्व होना (Natural unfolding) — यानी जब शरीर के अंग और दिमाग विकास के लिए तैयार हो जाते हैं।
Example:
बच्चा तभी चलना सीख सकता है जब उसकी टाँगें और मांसपेशियाँ परिपक्व हो जाएँ — यह Maturation है।
Meaning:
कोई भी बाहरी या आंतरिक चीज़ जो व्यक्ति की प्रतिक्रिया (Response) को प्रेरित करे।
Example:
शिक्षक का “बहुत अच्छा किया!” कहना — बच्चे के लिए Stimulus है जो उसे और मेहनत करने को प्रेरित करता है।
Meaning:
वह आंतरिक शक्ति (Inner drive) जो व्यक्ति को किसी लक्ष्य की ओर बढ़ाती है।
Example:
जब शिक्षक बच्चे की मेहनत की सराहना करता है, तो बच्चा और बेहतर करने की कोशिश करता है — यह Motivation है।
Meaning:
कक्षा या स्कूल में वह माहौल जिसमें बच्चा सहजता से सीख सके — जिसमें शिक्षक का व्यवहार, साथियों का सहयोग और सीखने की स्वतंत्रता शामिल है।
Example:
एक ऐसी कक्षा जहाँ शिक्षक बच्चों की गलतियों पर डाँटने के बजाय समझाते हैं — यह अच्छा Learning Environment है।
Meaning:
जब बच्चा अपनी भावनाओं को नियंत्रित और संतुलित रखना सीखता है।
Example:
कक्षा में हारने के बाद बच्चा रोने की बजाय फिर कोशिश करता है — यह Emotional Maturity है।
Growth = शारीरिक बदलाव (Physical, Quantitative)
Development = व्यक्तित्व में गुणात्मक बदलाव (Qualitative)
Principles of Development = विकास निरंतर, क्रमिक, और अलग-अलग गति से होता है।
Dimensions of Development:
Physical → शरीर का विकास
Cognitive → सोचने-समझने की क्षमता
Emotional → भावनाओं का नियंत्रण
Social → दूसरों के साथ व्यवहार
Stages (6–11 yrs): बौद्धिक, सामाजिक और नैतिक विकास की तेज़ गति।
Heredity = जन्म से मिले गुण
Environment = बाहरी प्रभाव जैसे परिवार, स्कूल, समाज
Interaction = दोनों मिलकर विकास तय करते हैं
Teacher’s Role: व्यक्तिगत भिन्नता समझें, प्रोत्साहन दें, सकारात्मक माहौल बनाएं।
Growth (वृद्धि) का मतलब है — किसी व्यक्ति के आकार, लंबाई, वजन, अंगों आदि में शारीरिक (Physical) परिवर्तन।
➤ Example: जब बच्चा जन्म से लेकर 10 साल तक लंबा होता जाता है, उसका वजन बढ़ता है — यह Growth है।
Growth को हम माप (Measure) कर सकते हैं — जैसे:
लंबाई (Height in cm)
वजन (Weight in kg)
शरीर का आकार (Body size)
Growth हमेशा परिमित (Limited) होती है — यानी एक उम्र तक ही बढ़ती है, उसके बाद रुक जाती है।
➤ Example: लगभग 18–20 साल की उम्र के बाद शरीर की लंबाई बढ़ना बंद हो जाता है।
Growth हमेशा मात्रात्मक (Quantitative) होती है — यानी इसे संख्या में मापा जा सकता है।
➤ Example: “रवि का वजन 25 kg से बढ़कर 30 kg हो गया।”
Development (विकास) का मतलब है — व्यक्ति के संपूर्ण परिवर्तन (Overall changes) जो शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक रूप से होते हैं।
यह केवल शरीर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति का व्यवहार (Behaviour), सोच (Thinking), समझ (Understanding) आदि शामिल हैं।
➤ Example: एक बच्चा जब दूसरों के साथ खेलना सीखता है या अच्छे-बुरे में फर्क समझने लगता है — यह Development है।
Development गुणात्मक (Qualitative) होती है — यानी इसे केवल अनुभव से समझा जा सकता है, मापा नहीं जा सकता।
➤ Example: हम कह सकते हैं कि "रिया अब पहले से ज़्यादा समझदार हो गई है", पर इसे kg या cm में नहीं मापा जा सकता।
Development एक निरंतर प्रक्रिया (Continuous process) है — यह जीवनभर चलती रहती है।
➤ Example: एक व्यक्ति नई-नई चीज़ें सीखता रहता है, सोचने की क्षमता बदलती रहती है।
| बिंदु | Growth (वृद्धि) | Development (विकास) |
|---|---|---|
| 1️⃣ अर्थ | शरीर की ऊँचाई, वजन, आकार आदि में परिवर्तन | व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व में परिवर्तन |
| 2️⃣ स्वभाव (Nature) | मात्रात्मक (Quantitative) | गुणात्मक (Qualitative) |
| 3️⃣ सीमा (Limit) | एक उम्र के बाद रुक जाती है | जीवनभर चलती रहती है |
| 4️⃣ मापन (Measurement) | मापी जा सकती है | मापी नहीं जा सकती |
| 5️⃣ क्षेत्र (Area) | केवल शरीर तक सीमित | शरीर + मन + समाज + भावना + नैतिकता तक फैली |
| 6️⃣ उदाहरण (Example) | लंबाई बढ़ना, वजन बढ़ना | सोच का विकास, समझ बढ़ना, व्यवहार में बदलाव |
Growth और Development दोनों एक-दूसरे से जुड़े (Interrelated) हैं।
➤ Example: जब बच्चा शारीरिक रूप से मजबूत होता है (Growth), तो उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है (Development)।
Growth, Development का एक भाग (Part) है।
➤ यानी बिना Growth के भी कुछ हद तक Development हो सकता है, पर सामान्य विकास के लिए Growth जरूरी होती है।
Growth केवल शरीर में बदलाव लाती है, जबकि Development व्यक्ति के पूरा व्यक्तित्व (Total personality) को आकार देती है।
Heredity (वंशानुक्रम):
माता-पिता से मिलने वाले गुण जैसे – लंबाई, रंग, बुद्धि, आदि।
➤ Example: अगर माता-पिता लंबे हैं तो बच्चे के लंबे होने की संभावना ज़्यादा है।
Environment (पर्यावरण):
घर, स्कूल, समाज – जहाँ बच्चा बढ़ता है।
➤ Example: एक अच्छा स्कूल बच्चे की मानसिक विकास में मदद करता है।
Nutrition (पोषण):
शरीर और मस्तिष्क दोनों के विकास के लिए पोषक आहार ज़रूरी है।
➤ Example: पौष्टिक आहार की कमी से Growth रुक सकती है।
Health (स्वास्थ्य):
बीमार बच्चा सही तरह से बढ़ नहीं पाता।
Socio-economic conditions (सामाजिक-आर्थिक स्थिति):
अच्छा पारिवारिक माहौल और आर्थिक स्थिति भी विकास को प्रभावित करते हैं।
Emotional and Social Support (भावनात्मक और सामाजिक सहयोग):
प्यार, सम्मान, और प्रोत्साहन (Encouragement) से बच्चे का आत्मविश्वास और सोच विकसित होती है।
व्यक्तिगत भिन्नताओं (Individual Differences) को समझना —
हर बच्चा अलग गति से बढ़ता और विकसित होता है। शिक्षक को यह समझना चाहिए कि सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते।
Child-centered teaching:
बच्चों के विकास स्तर के अनुसार शिक्षण होना चाहिए।
➤ Example: छोटी कक्षा में चित्रों से पढ़ाना और बड़ी कक्षा में तर्क से पढ़ाना।
Balanced Growth and Development:
शिक्षक को केवल अकादमिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
Positive Environment बनाना:
एक ऐसा वातावरण जहाँ बच्चा सुरक्षित, सम्मानित और प्रेरित महसूस करे।
Observation (अवलोकन):
शिक्षक को बच्चों की Growth और Development का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए।
Growth = शारीरिक परिवर्तन (Physical changes)
Development = संपूर्ण व्यक्तित्व में परिवर्तन (Overall change in personality)
Growth → मात्रात्मक (Quantitative), Development → गुणात्मक (Qualitative)
Growth → एक उम्र तक, Development → जीवनभर चलता है
Growth = Development का भाग (Part of Development)
दोनों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक → वंशानुक्रम, पोषण, पर्यावरण, स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिति, भावनात्मक सहयोग
शिक्षक को बच्चे की Growth और Development के अनुसार शिक्षण पद्धति अपनानी चाहिए।
Development (विकास) का अर्थ है – व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व (Total Personality) में निरंतर और क्रमिक परिवर्तन (Continuous and Sequential change)।
➤ Example: बच्चा बोलना सीखता है, फिर वाक्य बनाना, फिर भावनाएँ व्यक्त करना — यह Development है।
यह केवल शरीर (Physical) में नहीं, बल्कि मानसिक (Mental), भावनात्मक (Emotional), सामाजिक (Social) और नैतिक (Moral) क्षेत्रों में भी होता है।
Development जीवनभर चलता है — Birth से Death तक।
ये सिद्धांत हमें बताते हैं कि बच्चों का विकास किस दिशा और क्रम में होता है।
इनसे शिक्षक यह समझ पाता है कि हर बच्चा अपनी गति (Pace) और ढंग (Manner) से विकसित होता है।
इन सिद्धांतों के अनुसार ही शिक्षक उम्र और क्षमता के अनुसार शिक्षण (Age-appropriate teaching) की योजना बनाता है।
विकास कभी अचानक नहीं होता — यह धीरे-धीरे (Gradually) और लगातार (Continuously) होता है।
➤ Example: बच्चा पहले रेंगना सीखता है → फिर चलना → फिर दौड़ना।
इसका मतलब है कि हर नया विकास पिछले चरण (Previous Stage) पर आधारित होता है।
➤ जैसे – बोलना सीखने से पहले सुनना और समझना जरूरी है।
हर बच्चे का विकास एक निश्चित क्रम (Fixed sequence) में होता है, भले ही गति अलग हो।
➤ Example: सभी बच्चे पहले सिर उठाना → फिर बैठना → फिर चलना सीखते हैं।
कोई भी बच्चा चलना सीखने से पहले दौड़ना नहीं सीख सकता।
बच्चा पहले सामान्य क्रियाएँ (General activities) करता है, फिर विशिष्ट (Specific, controlled) क्रियाएँ सीखता है।
➤ Example:
शिशु (infant) पूरा हाथ हिलाता है → फिर उंगलियों से चीज़ पकड़ना सीखता है।
पहले वह बस रोकर भावनाएँ व्यक्त करता है → बाद में शब्दों में बोलना सीखता है।
"Cephalocaudal" का अर्थ है — Head to Toe (सिर से पाँव तक) विकास।
बच्चा पहले सिर और गर्दन पर नियंत्रण पाता है → फिर हाथों → फिर पैरों पर।
➤ Example: बच्चा पहले सिर उठाना सीखता है → फिर बैठना → फिर चलना।
"Proximodistal" का अर्थ है — Centre to Outer parts (केन्द्र से बाहर की ओर) विकास।
बच्चा पहले शरीर के मध्य भाग (trunk, shoulders) को नियंत्रित करता है → फिर बाहों और उंगलियों को।
➤ Example: पहले बच्चा हाथ हिलाता है → फिर वस्तु पकड़ने लगता है।
Physical, Mental, Emotional, Social विकास अलग-अलग नहीं होते — ये सब एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
➤ Example: अगर बच्चा शारीरिक रूप से कमजोर है (poor health), तो वह खेलों में भाग नहीं ले पाएगा → आत्मविश्वास घटेगा → सामाजिक विकास प्रभावित होगा।
यानी एक क्षेत्र का विकास दूसरे क्षेत्र पर असर डालता है।
बच्चा पहले सरल कार्य (Simple activities) करता है, फिर जटिल कार्य (Complex tasks) करने लगता है।
➤ Example:
पहले बच्चे को अक्षर पहचानना आता है → फिर शब्द पढ़ना → फिर वाक्य बनाना।
यह सिद्धांत बताता है कि हर बड़ा कौशल (Skill) छोटे कौशलों पर आधारित होता है।
हर बच्चा अपनी गति (Pace) से बढ़ता और विकसित होता है।
➤ Example: कोई बच्चा 10 महीने में चलना सीखता है, कोई 14 महीने में — दोनों सामान्य हैं।
शिक्षक को बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए, बल्कि उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं (Individual Differences) को स्वीकार करना चाहिए।
Growth (शारीरिक परिवर्तन) और Development (व्यक्तित्व परिवर्तन) एक-दूसरे से जुड़े हैं।
➤ Example: बच्चा जब शारीरिक रूप से मजबूत होता है, तो आत्मविश्वास बढ़ता है → मानसिक विकास होता है।
लेकिन याद रखें — Growth रुक जाती है, Development जीवनभर चलता है।
Heredity (वंशानुक्रम) = माता-पिता से मिलने वाले गुण।
Environment (पर्यावरण) = घर, स्कूल, समाज, पोषण, अनुभव आदि।
➤ Example:
बच्चा अपने माता-पिता से बुद्धि का स्तर (intelligence) प्राप्त कर सकता है,
लेकिन उसका प्रयोग और विकास उसके परिवेश पर निर्भर करेगा।
हर बच्चा अलग-अलग दर, दिशा और क्षेत्र में विकसित होता है।
➤ Example: एक बच्चा चित्रकारी में अच्छा है, दूसरा बोलने में।
शिक्षक को बच्चों की तुलना करने के बजाय उनके individual strengths को पहचानना चाहिए।
Maturation (परिपक्वता) = शरीर और मस्तिष्क का प्राकृतिक विकास।
Learning (अधिगम) = अनुभवों और अभ्यास से प्राप्त परिवर्तन।
➤ Example: बच्चा बोलने की क्षमता परिपक्वता से पाता है, पर भाषा सीखने के लिए उसे अभ्यास (Learning) करना पड़ता है।
Child-Centered Approach:
हर बच्चा अपनी गति से विकसित होता है, इसलिए शिक्षण बच्चे की आवश्यकताओं और विकास स्तर पर आधारित होना चाहिए।
Sequential Teaching:
शिक्षण उसी क्रम में होना चाहिए, जैसे विकास होता है — सरल से कठिन, सामान्य से विशिष्ट।
Holistic Development:
शिक्षक को केवल शैक्षणिक (Academic) नहीं, बल्कि भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।
Observation and Guidance:
शिक्षक को बच्चों के विकास का नियमित अवलोकन करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मार्गदर्शन देना चाहिए।
Avoid Comparison:
बच्चों की तुलना न करें; प्रत्येक बच्चे की अपनी गति और क्षमता होती है।
विकास एक निरंतर (Continuous) और क्रमिक (Sequential) प्रक्रिया है।
विकास हमेशा सामान्य से विशिष्ट (General to Specific) और सरल से जटिल (Simple to Complex) होता है।
विकास की दिशा होती है — Cephalocaudal (सिर से पैर) और Proximodistal (केन्द्र से बाहर)।
विकास के सभी पहलू आपस में जुड़े (Interrelated) होते हैं।
हर बच्चा अलग गति से विकसित होता है — Individual differences।
विकास पर Heredity + Environment + Maturation + Learning सभी का प्रभाव पड़ता है।
शिक्षक को शिक्षण को Developmental Stages के अनुसार बनाना चाहिए।
Dimensions of Development (विकास के आयाम) का अर्थ है — व्यक्ति के विकास के विभिन्न पहलू (different aspects) या दिशाएँ (areas) जिनमें वह बढ़ता और बदलता है।
➤ Example: कोई बच्चा केवल लंबाई में ही नहीं बढ़ता (Physical), बल्कि उसकी सोच, व्यवहार और भावना भी बदलती हैं।
विकास संपूर्ण (Holistic) होता है — यानी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षेत्रों में साथ-साथ परिवर्तन होता है।
सभी आयाम आपस में जुड़े (Interconnected) होते हैं — एक आयाम में परिवर्तन से दूसरे पर असर पड़ता है।
➤ Example: शारीरिक कमजोरी (Physical weakness) → आत्मविश्वास कम (Emotional) → समाज में भागीदारी कम (Social)।
इसका अर्थ है शरीर के आकार, लंबाई, वजन, अंगों की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य में वृद्धि।
➤ Example: बच्चे की ऊँचाई, वजन, मांसपेशियों की ताकत, चलने-दौड़ने की क्षमता बढ़ना।
Motor Skills (गतिशील कौशल) का विकास होता है –
Gross Motor Skills (बड़ी गतियाँ) → जैसे चलना, दौड़ना, कूदना।
Fine Motor Skills (सूक्ष्म गतियाँ) → जैसे लिखना, जूते के फीते बाँधना, चित्र बनाना।
शारीरिक विकास का असर बाकी विकासों पर पड़ता है।
➤ Example: स्वस्थ बच्चा ज्यादा सक्रिय और ध्यान केंद्रित (attentive) रहता है, जिससे उसका Cognitive Development (बौद्धिक विकास) बेहतर होता है।
Influencing factors:
Heredity (वंशानुक्रम), Nutrition (पोषण), Exercise (व्यायाम), Health (स्वास्थ्य), Environment (पर्यावरण)।
Cognition (संज्ञान) का अर्थ है — सोचने, समझने, याद रखने, निर्णय लेने और समस्या हल करने की क्षमता।
➤ Example: बच्चा रंग पहचानना, चीज़ों के बीच अंतर समझना, गिनती करना — ये सभी cognitive activities हैं।
Cognitive development का अध्ययन प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक Jean Piaget (ज्याँ पियाजे) ने किया था।
➤ उन्होंने बताया कि बच्चे की सोच उम्र के अनुसार बदलती और परिपक्व होती है।
Cognitive development में शामिल प्रमुख मानसिक प्रक्रियाएँ (Processes):
Attention (ध्यान)
Memory (स्मृति)
Thinking (सोच)
Language (भाषा)
Reasoning (तर्क)
Problem-solving (समस्या-समाधान)
➤ Example:
बच्चा 2 साल में “मम्मी” कहना सीखता है।
5 साल में रंगों को पहचानता है।
7 साल में जोड़-घटाव करना सीखता है।
Cognitive development का शिक्षा में बड़ा महत्व है क्योंकि इससे तय होता है कि बच्चा किस तरह सीखता है और जानकारी को कैसे उपयोग करता है।
Emotion (भावना) का अर्थ है — किसी परिस्थिति पर हमारी अंत:प्रतिक्रिया (inner reaction) जैसे खुशी, डर, गुस्सा, प्यार, दुख आदि।
Emotional Development (भावनात्मक विकास) का मतलब है — भावनाओं को पहचानना (Understanding), नियंत्रित करना (Control) और उचित रूप से व्यक्त करना (Expression) सीखना।
➤ Example: बच्चा धीरे-धीरे सीखता है कि गुस्सा कब और कैसे व्यक्त करना चाहिए।
शुरुआती उम्र में बच्चा बहुत संवेदनशील (Sensitive) होता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, भावनाओं को संतुलित (Balance) करना सीखता है।
महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
आत्म-नियंत्रण (Self-control)
आत्म-सम्मान (Self-esteem)
सहानुभूति (Empathy)
आत्मविश्वास (Confidence)
➤ Example (Classroom):
शिक्षक बच्चे को गलती पर डाँटने के बजाय समझाए → बच्चा डरने की बजाय सुधारने की भावना सीखे।
बच्चा अपने दोस्त की मदद करता है → सामाजिक और भावनात्मक दोनों विकास होता है।
भावनात्मक विकास का संबंध बच्चे के घर के वातावरण, माता-पिता के व्यवहार, और शिक्षक के व्यवहार से होता है।
Social Development (सामाजिक विकास) का अर्थ है — व्यक्ति का समाज में रहना, नियमों को मानना और दूसरों के साथ व्यवहार करना सीखना।
➤ Example: साझा करना (Sharing), सहयोग करना (Cooperation), नियम मानना (Discipline)।
बच्चा परिवार, स्कूल और मित्रों से समाजिक व्यवहार (Social behaviour) सीखता है।
महत्वपूर्ण सामाजिक कौशल (Social Skills):
Sharing (साझा करना)
Cooperation (सहयोग)
Respect (सम्मान)
Communication (संचार कौशल)
Teamwork (टीम भावना)
Stages of Social Development:
शिशु अवस्था में बच्चा खुद में रहता है।
बाल्यावस्था में दूसरों के साथ खेलना और बातचीत सीखता है।
विद्यालय अवस्था में समूह कार्य और सहयोग भावना बढ़ती है।
➤ Example (Classroom):
समूह में प्रोजेक्ट देना → बच्चा सहयोग, नेतृत्व और जिम्मेदारी सीखता है।
खेल-कूद → टीमवर्क और अनुशासन का विकास होता है।
चारों आयाम एक-दूसरे से जुड़े हैं; कोई भी स्वतंत्र नहीं है।
➤ Example:
अगर बच्चा शारीरिक रूप से बीमार है (Physical) → उसका ध्यान केंद्रित नहीं रहेगा (Cognitive) → चिड़चिड़ा होगा (Emotional) → दूसरों से कम घुलेगा (Social)।
इसीलिए विकास को संपूर्ण दृष्टिकोण (Holistic Approach) से देखना चाहिए, न कि किसी एक आयाम से।
Holistic Teaching:
शिक्षक को केवल किताबें नहीं पढ़ानी चाहिए, बल्कि बच्चे के संपूर्ण विकास (Overall Development) पर ध्यान देना चाहिए।
Activity-based Learning:
गतिविधियाँ, खेल, समूह कार्य से बच्चे का शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास होता है।
Emotional Support:
शिक्षक को बच्चों के प्रति सहानुभूति (Empathy) रखनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित और आत्मविश्वासी महसूस करें।
Balanced Curriculum:
पाठ्यक्रम में खेल, कला, संवाद, और नैतिक शिक्षा को भी स्थान देना चाहिए ताकि सभी आयामों का विकास हो।
Individual Differences का सम्मान:
हर बच्चे की विकास गति अलग होती है, इसलिए शिक्षक को सबके लिए समान अवसर देने चाहिए।
Development के मुख्य 4 आयाम:
Physical (शारीरिक) – शरीर, आकार, मोटर कौशल।
Cognitive (बौद्धिक) – सोच, समझ, तर्क, भाषा।
Emotional (भावनात्मक) – भावनाएँ, आत्म-नियंत्रण, आत्मविश्वास।
Social (सामाजिक) – संबंध, सहयोग, नियम, समूह जीवन।
सभी आयाम आपस में जुड़े (Interconnected) हैं।
शिक्षक को बच्चे के संपूर्ण विकास (Holistic Development) पर ध्यान देना चाहिए।
Balanced learning environment बच्चे के सभी आयामों को पोषित करता है।
(जिसे “Middle Childhood” या “Late Childhood Stage” भी कहा जाता है)
Age Group: 6 से 11 वर्ष की उम्र को Middle Childhood / Late Childhood कहा जाता है।
यह अवस्था प्राथमिक विद्यालय (Primary School Years) से जुड़ी होती है — यानी बच्चा स्कूल का वातावरण, नियम और समाज को समझना शुरू करता है।
इस उम्र में बच्चे का विकास संतुलित (Balanced) और स्थिर (Stable) होता है।
यह समय सीखने (Learning), समझने (Understanding) और सामाजिक बनने (Socialization) की सबसे सक्रिय अवस्था होती है।
➤ Example: बच्चा टीम में खेलना, दोस्त बनाना, और नियम मानना सीखता है।
इस उम्र में Growth (वृद्धि) पहले की तुलना में धीमी लेकिन स्थिर (steady) होती है।
➤ Example: हर साल लगभग 2-3 इंच लंबाई और 2-3 किलोग्राम वजन बढ़ता है।
मांसपेशियाँ (Muscles) मजबूत होती हैं और मोटर कौशल (Motor Skills) पर नियंत्रण बढ़ता है।
Gross Motor Skills (बड़ी गतियाँ) → दौड़ना, कूदना, तैरना, खेलना।
Fine Motor Skills (सूक्ष्म गतियाँ) → लिखना, चित्र बनाना, जूते के फीते बाँधना।
Coordination (संतुलन और नियंत्रण) बेहतर होता है – बच्चा शरीर की हरकतों को सही ढंग से नियंत्रित करना सीखता है।
➤ Example: खेलकूद या नृत्य में संतुलन बनाए रखना।
Health (स्वास्थ्य) और Nutrition (पोषण) का इस अवस्था में बहुत महत्व है — क्योंकि ये आगे के विकास की नींव रखते हैं।
बच्चे अब अपनी शारीरिक क्षमताओं की तुलना दूसरों से करने लगते हैं।
➤ Example: “मैं उससे तेज़ दौड़ सकता हूँ!” – यह आत्म-छवि (Self-concept) को बनाता है।
इस अवस्था में बच्चा सोचने और समझने की नई क्षमताएँ (New Mental Abilities) विकसित करता है।
➤ इस आयु का प्रमुख सिद्धांत: Jean Piaget का Concrete Operational Stage (ठोस संक्रियात्मक अवस्था)।
बच्चा अब ठोस वस्तुओं और अनुभवों के आधार पर तर्क करना सीखता है।
➤ Example: “अगर पानी एक गिलास से दूसरे में डालो, तो उसकी मात्रा नहीं बदलती।”
बच्चा Conservation (समानता का सिद्धांत), Classification (वर्गीकरण) और Seriation (क्रमबद्ध करना) जैसे मानसिक कौशल सीखता है।
➤ Example: रंग या आकार के आधार पर वस्तुओं को समूह में बाँटना।
बच्चा Logical Thinking (तार्किक सोच) और Reasoning (तर्क) का उपयोग करना शुरू करता है।
➤ Example: “अगर सूरज छिप गया है तो शाम हो रही है।”
Attention span (ध्यान केंद्रित करने की क्षमता) बढ़ती है – बच्चा लंबे समय तक एक कार्य पर ध्यान रख सकता है।
इस उम्र में Language Development (भाषा विकास) तेज़ी से होता है — बच्चा नए शब्द, व्याकरण और वाक्य संरचना सीखता है।
इस उम्र में बच्चा अपनी भावनाओं को पहचानना और नियंत्रित करना (Emotional control) सीखता है।
➤ Example: हारने पर रोने की बजाय दोबारा प्रयास करना।
Self-awareness (स्व-जागरूकता) बढ़ती है — बच्चा अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने लगता है।
Empathy (सहानुभूति) विकसित होती है — बच्चा दूसरों की भावनाएँ समझने लगता है।
➤ Example: किसी दोस्त के उदास होने पर उसे खुश करने की कोशिश करना।
भावनाएँ अब धीरे-धीरे स्थिर और संतुलित (Stable and balanced) होती जाती हैं।
परिवार, शिक्षक और साथियों के व्यवहार से भावनात्मक विकास बहुत प्रभावित होता है।
➤ Example: शिक्षक अगर समझदारी से व्यवहार करे तो बच्चा आत्मविश्वासी बनता है।
यह अवस्था “Peer group” (समान आयु के मित्रों) का समय है — बच्चे अब माता-पिता से ज़्यादा अपने दोस्तों से जुड़ाव महसूस करते हैं।
बच्चा सहयोग (Cooperation), साझा करना (Sharing), टीमवर्क (Teamwork) और नियमों का पालन (Discipline) सीखता है।
➤ Example: ग्रुप प्रोजेक्ट या टीम गेम में एक-दूसरे के साथ काम करना।
Social roles (सामाजिक भूमिकाएँ) और gender identity (लिंग पहचान) बनना शुरू होती है।
बच्चा अपने सामाजिक व्यवहार से स्वीकृति (Acceptance) चाहता है — “लोग मुझे पसंद करें।”
➤ इसलिए यह आत्म-सम्मान (Self-esteem) के विकास का महत्वपूर्ण समय है।
स्कूल और खेलकूद बच्चों को leadership (नेतृत्व) और responsibility (जिम्मेदारी) सिखाते हैं।
बच्चा अब “Right and Wrong (सही और गलत)” में अंतर समझने लगता है।
➤ Example: “अगर मैं झूठ बोलूँगा तो सबका विश्वास खो दूँगा।”
यह Law and Order (नियम और अनुशासन) को मानने की शुरुआत होती है।
➤ बच्चे को समझ आता है कि नियम सबके लिए हैं और उनका पालन जरूरी है।
Lawrence Kohlberg के अनुसार, यह “Conventional Level” (परंपरागत स्तर) की शुरुआत होती है —
बच्चा नियमों को इसलिए मानता है ताकि उसे दूसरों की स्वीकृति और प्रशंसा मिले।
नैतिकता (Morality) का आधार अब सामाजिक अपेक्षाएँ (Social expectations) होती हैं।
Child-centered Teaching:
हर बच्चे की अलग गति और रुचि होती है, इसलिए गतिविधि आधारित शिक्षण अपनाना चाहिए।
Practical Learning:
क्योंकि यह Concrete Operational Stage है, इसलिए Concrete examples (ठोस उदाहरणों) से पढ़ाना चाहिए।
➤ Example: गणित में वास्तविक वस्तुओं से जोड़-घटाव कराना।
Group Activities:
समूह कार्य और खेलों से सामाजिक विकास और टीमवर्क सिखाया जा सकता है।
Moral Education:
कहानियों, नाटकों और चर्चाओं के माध्यम से नैतिक मूल्यों की शिक्षा दें।
Emotional Support:
शिक्षक को बच्चों की भावनाओं को समझना चाहिए और सकारात्मक वातावरण (Positive environment) देना चाहिए।
Encourage Curiosity:
बच्चे बहुत प्रश्न पूछते हैं; शिक्षक को धैर्यपूर्वक उनके सवालों का उत्तर देना चाहिए ताकि Thinking Skills बढ़ें।
Age Group: 6–11 years → Middle Childhood / Primary School Stage
Physical: संतुलित वृद्धि, मोटर कौशल में सुधार, बेहतर नियंत्रण।
Cognitive: ठोस सोच, तर्क और वर्गीकरण की क्षमता (Piaget – Concrete Operational Stage)।
Emotional: भावनाओं पर नियंत्रण, आत्म-जागरूकता और सहानुभूति का विकास।
Social: दोस्तों के साथ जुड़ाव, सहयोग, नियम पालन और आत्म-सम्मान का विकास।
Moral: सही-गलत की समझ, नियमों का पालन, सामाजिक स्वीकृति की चाह (Kohlberg – Conventional Level)।
Teacher’s Role:
Activity-based teaching
Group learning
Moral stories
Emotional support
Positive classroom environment
(विकास को प्रभावित करने वाले कारक – अनुवांशिकता और पर्यावरण)
Development (विकास) एक निरंतर (Continuous) और बहुआयामी (Multidimensional) प्रक्रिया है, जो बच्चे के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं को शामिल करती है।
बच्चे का विकास केवल एक कारण से नहीं होता, बल्कि कई कारक (Multiple factors) मिलकर उस पर असर डालते हैं।
विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख दो कारक हैं:
(a) Heredity (अनुवांशिकता)
(b) Environment (पर्यावरण)
इन दोनों का संबंध ऐसा है जैसे बीज और मिट्टी (Seed and Soil) का —
➤ बीज (Heredity) में गुण होते हैं, पर अगर मिट्टी (Environment) अनुकूल नहीं है, तो पौधा नहीं बढ़ेगा।
Heredity का अर्थ है – माता-पिता से बच्चे को जैविक गुणों (Biological traits) का स्थानांतरण।
➤ यानी बच्चे के शरीर की संरचना, त्वचा का रंग, आंखों का रंग, ऊँचाई, बुद्धि आदि जन्म से ही मिलते हैं।
ये गुण Genes (जीन) और Chromosomes (गुणसूत्रों) के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचते हैं।
Physical Traits (शारीरिक गुण):
जैसे – ऊँचाई, रंग, बालों का प्रकार, चेहरा, शारीरिक बनावट आदि।
➤ Example: माता-पिता लंबे हैं, तो बच्चे के लंबे होने की संभावना अधिक है।
Intelligence (बुद्धि):
बुद्धि का आधार भी काफी हद तक अनुवांशिक होता है।
➤ Example: परिवार में उच्च बौद्धिक स्तर होने पर बच्चे में भी अच्छी बुद्धि विकसित होने की संभावना रहती है।
Talent and Aptitude (प्रतिभा और योग्यता):
कुछ बच्चे जन्म से ही संगीत, गणित या खेल में स्वाभाविक रुचि रखते हैं – यह आनुवंशिक प्रभाव का परिणाम है।
Diseases (रोग):
कुछ रोग जैसे – Diabetes (मधुमेह), Hemophilia, या Color Blindness आदि अनुवांशिक हो सकते हैं।
Temperament (स्वभाव):
बच्चा कुछ हद तक माता-पिता जैसा स्वभाव लेकर जन्म लेता है – कोई शांत तो कोई सक्रिय।
Heredity = Foundation (आधार)
यह बच्चे के अंदर की क्षमता (Potential) तय करती है, लेकिन उस क्षमता का विकास कैसे होगा — यह पर्यावरण पर निर्भर करता है।
Environment (पर्यावरण) का मतलब है – वह सभी बाहरी परिस्थितियाँ (External conditions) जो व्यक्ति के विकास को प्रभावित करती हैं।
इसमें परिवार, समाज, विद्यालय, संस्कृति, मित्र, मीडिया आदि सब आते हैं।
सरल शब्दों में —
“Heredity gives potential, Environment develops it.”
(अनुवांशिकता क्षमता देती है, पर्यावरण उसे विकसित करता है।)
इसमें भोजन, जलवायु, स्वास्थ्य और रहने की स्थिति आती है।
➤ Example: स्वच्छ वातावरण और पौष्टिक भोजन वाला बच्चा स्वस्थ और ऊर्जावान रहेगा।
इसमें परिवार, दोस्त, स्कूल, शिक्षक और समाज शामिल हैं।
➤ Example: अगर बच्चा सहयोगी और स्नेहपूर्ण परिवार में बड़ा होता है, तो वह आत्मविश्वासी बनता है।
इसमें परंपराएँ, भाषा, मूल्य, धर्म और रीति-रिवाज आते हैं।
➤ Example: भारतीय संस्कृति में बड़ों का आदर करना, यह सांस्कृतिक प्रभाव का हिस्सा है।
शिक्षण विधि, शिक्षक का व्यवहार, साथियों का सहयोग – सब बच्चे के बौद्धिक और सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं।
➤ Example: सहयोगी और प्रोत्साहित करने वाला शिक्षक बच्चे की जिज्ञासा (Curiosity) को बढ़ाता है।
Environment = Nurturer (पालनकर्ता)
यह बच्चे की जन्मजात क्षमताओं को विकसित करता है और उन्हें सही दिशा देता है।
Heredity और Environment दोनों एक-दूसरे के पूरक (Complementary) हैं — दोनों मिलकर ही विकास को संभव बनाते हैं।
अगर किसी बच्चे में बुद्धि का आनुवांशिक आधार है (Heredity) लेकिन उसे प्रोत्साहन और शिक्षा नहीं मिले (Environment), तो वह अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पाएगा।
उसी तरह, अगर किसी बच्चे में जन्मजात प्रतिभा कम है, लेकिन उसका पर्यावरण सहयोगी और प्रेरणादायक है, तो वह भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
इसलिए मनोवैज्ञानिकों ने कहा है —
“Heredity sets the limits, Environment determines the success.”
(अनुवांशिकता सीमा तय करती है, पर्यावरण सफलता तय करता है।)
➤ Example:
एक बच्चे में संगीत की जन्मजात प्रतिभा है (Heredity), लेकिन अगर उसे संगीत शिक्षक और अभ्यास का अवसर नहीं मिलेगा (Environment), तो वह कलाकार नहीं बन पाएगा।
Individual Differences (व्यक्तिगत भिन्नताएँ) समझें:
हर बच्चा अलग अनुवांशिक पृष्ठभूमि और पर्यावरण से आता है।
इसलिए “one-size-fits-all” शिक्षा नहीं अपनानी चाहिए।
Favorable Environment बनाएँ:
कक्षा में ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ बच्चा सुरक्षित, स्वीकार्य और प्रोत्साहित महसूस करे।
Provide Equal Opportunities:
सबको समान अवसर दें ताकि सभी बच्चे अपनी क्षमता तक पहुँच सकें।
Encourage Both Nature & Nurture:
शिक्षक को बच्चों की जन्मजात क्षमताओं (Heredity) को पहचानकर, उन्हें पर्यावरणीय अवसर (Environment) से विकसित करना चाहिए।
Parental Cooperation (माता-पिता का सहयोग):
घर का माहौल भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसलिए शिक्षकों को अभिभावकों से संवाद बनाए रखना चाहिए।
Moral and Cultural Environment:
शिक्षक को विद्यालय में सकारात्मक मूल्य, नैतिकता और संस्कृति का वातावरण बनाना चाहिए।
Heredity (अनुवांशिकता):
माता-पिता से प्राप्त जैविक गुण।
उदाहरण: ऊँचाई, त्वचा का रंग, बुद्धि, स्वभाव।
यह संभावना (Potential) तय करता है।
Environment (पर्यावरण):
बाहरी परिस्थितियाँ जो विकास को प्रभावित करती हैं।
उदाहरण: परिवार, समाज, विद्यालय, संस्कृति।
यह विकास की दिशा (Direction) तय करता है।
Interaction:
दोनों मिलकर विकास करते हैं।
“Seed (Heredity) + Soil & Water (Environment) = Growth (Development)”
Teacher’s Role:
हर बच्चे की भिन्नता को समझना।
सहयोगी, सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण बनाना।
माता-पिता से मिलकर बच्चे की संपूर्ण वृद्धि में मदद करना।
📋 Topics:-
For CTET Paper 1 – CDP Topics:
(Socialization • Individual Differences • Play & Development • Gender Sensitivity)
Meaning:
Socialization का मतलब है बच्चे को समाज के नियम, मूल्य (values), व्यवहार (behaviour) और संस्कृति (culture) सिखाना।
यह प्रक्रिया बच्चे को “social being” बनाती है।
Example:
जब बच्चा घर में “नमस्ते” करना, बड़ों की बात मानना, या स्कूल में दूसरों के साथ शेयर करना सीखता है — ये सब socialization के उदाहरण हैं।
Meaning:
वे माध्यम जिनसे बच्चा समाज से सीखता है – जैसे Family (परिवार), School (विद्यालय), Peers (साथी) और Media (मीडिया)।
Example:
परिवार से बच्चा भाषा और व्यवहार सीखता है।
स्कूल से अनुशासन (discipline) और टीमवर्क सीखता है।
दोस्तों से sharing और cooperation सीखता है।
टीवी, मोबाइल आदि से समाज के विचार सीखता है।
Meaning:
वे सिद्धांत या नियम जिनसे व्यक्ति अच्छा-बुरा तय करता है। जैसे – honesty, respect, kindness।
Example:
अगर बच्चा गिरा हुआ पेंसिल लौटाता है, तो यह honesty (ईमानदारी) का value है।
Meaning:
वे सामाजिक नियम जो बताते हैं कि “कैसे व्यवहार करना चाहिए।”
Example:
स्कूल में लाइन में खड़ा होना या दूसरों की बात बीच में न काटना – ये social norms हैं।
Meaning:
एक ही उम्र या समान रुचियों वाले बच्चों का समूह।
यह बच्चा को social skills सिखाने में मदद करता है।
Example:
बच्चे recess में साथ खेलते हैं, तो वे teamwork और friendship सीखते हैं।
Meaning:
हर बच्चा अपने सोचने, समझने, सीखने, और व्यवहार करने के तरीके में अलग होता है।
Example:
कक्षा में कुछ बच्चे जल्दी याद करते हैं, कुछ को चित्रों से जल्दी समझ आता है — यह individual differences हैं।
Meaning:
जो गुण माता-पिता से बच्चे में आते हैं — जैसे ऊँचाई, रंग, बुद्धि आदि।
Example:
अगर माता-पिता संगीत में अच्छे हैं और बच्चा भी गाना पसंद करता है, तो यह heredity का प्रभाव है।
Meaning:
बच्चे के आस-पास का वातावरण — घर, स्कूल, दोस्त, और समाज — उसके व्यवहार और सोच को प्रभावित करता है।
Example:
अगर घर में पढ़ाई का माहौल है, तो बच्चा naturally disciplined बनता है।
Meaning:
Play मतलब ऐसा कार्य जिसमें बच्चा आनंद (enjoyment) के साथ सीखता है। यह बच्चे के शारीरिक (physical), मानसिक (mental), सामाजिक (social) विकास में मदद करता है।
Example:
जब बच्चे “घर-घर” खेलते हैं, तो वे roles और relationships समझते हैं।
Meaning:
जहाँ बच्चा अपनी इच्छा से खेलता है — कोई नियम या teacher का direct control नहीं होता।
यह creativity और imagination बढ़ाता है।
Example:
बच्चा अकेले blocks से घर बनाता है — यह free play है।
Meaning:
जब शिक्षक या elder बच्चे को खेल के दौरान कुछ दिशा या उद्देश्य देता है।
Example:
Teacher कहती है, “चलो अब shapes बनाते हैं – कौन circle बनाता है?”
→ बच्चा खेल भी रहा है, सीख भी रहा है।
Meaning:
नई और मौलिक सोच या कुछ अलग बनाने की क्षमता।
Example:
बच्चा clay से ऐसा animal बनाता है जो उसने खुद imagine किया — यह creative thinking है।
Meaning:
Gender सिर्फ biological difference नहीं है, बल्कि समाज द्वारा तय भूमिकाएँ हैं — जैसे “लड़के रोते नहीं” या “लड़कियाँ घर का काम करती हैं” जैसी धारणाएँ।
Example:
अगर शिक्षक कहे – “लड़के chairs उठाएँ, लड़कियाँ सजावट करें” – तो यह gender bias है।
Meaning:
जब किसी लिंग (boy या girl) के साथ असमान व्यवहार किया जाए।
Example:
Teacher सिर्फ लड़कों से सवाल पूछे और लड़कियों को नज़रअंदाज़ करे — यह bias है।
Meaning:
जब लड़के और लड़कियाँ दोनों को समान अवसर (equal opportunity) मिलें — शिक्षा, खेल, निर्णय आदि में।
Example:
Teacher दोनों को समान chance देती है speech competition में बोलने का।
Meaning:
जब शिक्षक और छात्र दोनों यह समझते हैं कि किसी भी बच्चे के साथ उसके लिंग के कारण भेदभाव न हो।
यह awareness + positive attitude का मिश्रण है।
Example:
Teacher बच्चों को बताती है – “सफाई करना सिर्फ लड़कियों का काम नहीं, सबकी जिम्मेदारी है।”
Meaning:
किसी समूह के बारे में बनी हुई स्थायी और गलत मान्यता।
Example:
“लड़के गणित में अच्छे होते हैं, लड़कियाँ नहीं।” — यह एक gender stereotype है।
Meaning:
सबको समान अवसर, सम्मान और सुविधा देना — चाहे वह किसी भी लिंग, जाति या आर्थिक वर्ग का हो।
Example:
Teacher सबको front row में बैठने का मौका देती है, न कि सिर्फ “अच्छे students” को।
Meaning:
दूसरों की भावनाएँ, कठिनाइयाँ और जरूरतों को समझने की क्षमता।
Example:
Teacher देखती है कि एक बच्चा उदास है, और उससे पूछती है – “क्या हुआ?” → यह sensitivity है।
Meaning:
ऐसी कक्षा जहाँ हर बच्चा – चाहे उसका gender, ability या background कुछ भी हो – सीखने में शामिल हो सके।
Example:
Teacher समूह कार्य (group work) कराती है जहाँ सभी बच्चे भाग लेते हैं, कोई भी अलग नहीं किया जाता।
Socialization: समाज के नियम व मूल्य सीखने की प्रक्रिया।
Agencies of Socialization: Family, School, Peer, Media।
Individual Differences: हर बच्चा अलग होता है (heredity + environment)।
Play: सीखने का स्वाभाविक तरीका।
Free Play: बच्चे की इच्छा से खेलना (creativity बढ़ती है)।
Guided Play: शिक्षक के निर्देश में खेल (learning + fun)।
Gender: समाज द्वारा बनाई भूमिकाएँ (not just biological)।
Gender Bias: किसी लिंग के साथ पक्षपात।
Gender Equality: सबको समान अवसर देना।
Gender Sensitivity: शिक्षक की जागरूकता कि कोई भेदभाव न हो।
Stereotype: स्थायी गलत मान्यता (“लड़कियाँ कमजोर हैं”)।
Inclusive Classroom: सब बच्चों को साथ लेकर चलने वाली कक्षा।
Socialization (सामाजीकरण) का अर्थ है — बच्चे का अपने समाज की संस्कृति, मूल्य (Values), परंपरा, नियम और व्यवहार सीखना।
सरल शब्दों में, यह वह प्रक्रिया है जिसमें बच्चा “अकेले से समाजिक व्यक्ति (Social being)” बनता है।
बच्चा जन्म से अकेला आता है, लेकिन परिवार, स्कूल, दोस्त और मीडिया के संपर्क से वह सीखता है —
“कैसे बोलना है, कैसे व्यवहार करना है, क्या सही है, क्या गलत है।”
Socialization = Learning to Live in Society (समाज में रहना सीखना)
➤ Example:
बच्चा "धन्यवाद" या "Please" कहना सीखता है — यह Socialization का परिणाम है।
स्कूल में “Line में खड़ा होना” सीखना — यह भी सामाजीकरण का हिस्सा है।
यह एक निरंतर (Continuous) प्रक्रिया है — जीवनभर चलती रहती है।
शुरूआत परिवार से होती है, फिर स्कूल, दोस्तों, मीडिया और समाज के माध्यम से आगे बढ़ती है।
इसमें दो प्रमुख रूप होते हैं —
Primary Socialization (प्राथमिक सामाजीकरण): परिवार से सीखना।
Secondary Socialization (द्वितीयक सामाजीकरण): स्कूल, दोस्तों और समाज से सीखना।
यह प्रक्रिया अनुकरण (Imitation), अवलोकन (Observation) और अनुभव (Experience) के ज़रिए होती है।
पहली और सबसे महत्वपूर्ण एजेंसी (First and most important agency) — परिवार।
परिवार में बच्चा भाषा, व्यवहार, संस्कार, मूल्य और अनुशासन सीखता है।
माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक (First Teachers) होते हैं।
बच्चा माता-पिता और बड़े सदस्यों का अनुकरण (Imitation) करके बोलना, हँसना, और दूसरों से व्यवहार करना सीखता है।
➤ Example:
अगर माता-पिता “धन्यवाद” कहते हैं, तो बच्चा भी वही सीखेगा।
अगर घर में प्यार और आदर का माहौल है, तो बच्चा भी दूसरों से नम्रता से व्यवहार करेगा।
Conclusion:
परिवार बच्चे के मूल स्वभाव (Basic character) और नैतिक मूल्य (Moral values) का निर्माण करता है।
School = Mini Society (लघु समाज) — जहाँ बच्चा समाज के नियमों को व्यवहार में लाना सीखता है।
स्कूल में बच्चा नियम, अनुशासन, सहयोग, जिम्मेदारी, और प्रतिस्पर्धा (Competition) सीखता है।
शिक्षक (Teacher) बच्चे का सामाजिक मार्गदर्शक (Social guide) होता है।
बच्चा Group work, teamwork, respect for others जैसे सामाजिक व्यवहार सीखता है।
➤ Example:
बच्चा समूह में प्रोजेक्ट करना या खेल में टीम बनाना सीखता है।
"Line में चलना" या "कक्षा में शांत रहना" — यह स्कूल सिखाता है।
Conclusion:
विद्यालय बच्चों में सामाजिक अनुशासन (Social discipline) और सामुदायिक जीवन (Community living) की भावना विकसित करता है।
Peer group का मतलब है — समान उम्र के बच्चे जिनके साथ बच्चा खेलता, बात करता और समय बिताता है।
यहाँ बच्चा समानता (Equality), सहयोग (Cooperation) और प्रतिस्पर्धा (Competition) सीखता है।
यह बच्चों के स्वतंत्र सोच (Independent thinking) और आत्मविश्वास (Self-confidence) को बढ़ाता है।
Peer group का प्रभाव सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी — यह बच्चों के व्यवहार को बहुत प्रभावित करता है।
➤ Example:
दोस्त “आओ साथ में खेलते हैं” कहते हैं — बच्चा Sharing और Cooperation सीखता है।
अगर दोस्त पढ़ाई को महत्व देते हैं, तो बच्चा भी प्रेरित होता है।
Conclusion:
Peer group बच्चों में सामाजिक कौशल (Social skills) और आत्मपहचान (Self-identity) विकसित करता है।
Media का अर्थ है — समाचार पत्र, टीवी, रेडियो, इंटरनेट, मोबाइल, सोशल मीडिया आदि।
आज के समय में Mass media (जनमाध्यम) बच्चों के विचार, भाषा, और व्यवहार पर बहुत प्रभाव डालता है।
मीडिया से बच्चे दुनिया के बारे में सीखते हैं — “क्या हो रहा है”, “लोग कैसे रहते हैं”, “कौन से मूल्य महत्त्वपूर्ण हैं।”
लेकिन यह ज़रूरी है कि बच्चों को सकारात्मक और चयनित (Positive & filtered) मीडिया सामग्री दिखाई जाए।
➤ Example:
Cartoon जो “साझा करना, मदद करना” सिखाते हैं — सकारात्मक मीडिया प्रभाव।
हिंसक गेम या अनुचित सामग्री — नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
Conclusion:
मीडिया आधुनिक समाज में Socialization का शक्तिशाली साधन (Powerful agent) बन चुका है।
बच्चे की सामाजिक पृष्ठभूमि (Social background) को समझें — हर बच्चा अलग माहौल से आता है।
सकारात्मक सामाजीकरण (Positive socialization) के लिए कक्षा का वातावरण दोस्ताना और सहयोगी बनाएं।
Values और moral education पर ध्यान दें — ताकि बच्चे समाज के जिम्मेदार सदस्य बनें।
Peer interaction activities (जैसे group work, discussions) बढ़ाएं।
Media literacy सिखाएं — बच्चों को बताएं कि कौन-सी जानकारी उपयोगी है और कौन-सी हानिकारक।
Parent-teacher cooperation बनाए रखें — घर और स्कूल दोनों का तालमेल ज़रूरी है।
Socialization = समाज में रहना सीखने की प्रक्रिया (Learning to live in society)
यह बच्चे को Values, Norms, Behaviour सिखाता है।
मुख्य एजेंसियाँ (Agencies):
Family → भाषा, संस्कार, व्यवहार
School → अनुशासन, सहयोग, नियम
Peer Group → आत्मविश्वास, समानता, सहयोग
Media → दृष्टिकोण, सूचना, सांस्कृतिक प्रभाव
Teacher’s Role:
बच्चों को समाजिक मूल्यों से जोड़ना
सहयोगी और नैतिक माहौल बनाना
परिवार और समाज के बीच पुल (Bridge) बनना
Simple Summary in One Line:
“Family gives the roots, School gives structure, Peers give strength, and Media gives wings to the child’s social development.” 🌱🏫👫📺
Individual Differences (व्यक्तिगत भिन्नताएँ) का अर्थ है — हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में दूसरों से अलग (different) होता है।
➤ कोई अधिक बुद्धिमान होता है, कोई अधिक रचनात्मक (creative), कोई तेज़ बोलता है, कोई शांत स्वभाव का होता है।
यह अंतर शारीरिक (Physical), मानसिक (Mental), बौद्धिक (Intellectual), भावनात्मक (Emotional) या सामाजिक (Social) हो सकता है।
हर बच्चा अपनी विशेषता (Uniqueness) के साथ जन्म लेता है — इसलिए हर बच्चे को एक जैसा नहीं पढ़ाया जा सकता।
Definition (परिभाषा):
➤ “The variations or differences among individuals in regard to their mental abilities, interests, attitudes, and personality traits are called Individual Differences.”
— (हिन्दी में) व्यक्तियों में उनके बौद्धिक योग्यता, रुचि, दृष्टिकोण और व्यक्तित्व गुणों के आधार पर जो अंतर पाए जाते हैं, उन्हें व्यक्तिगत भिन्नताएँ कहते हैं।
Example:
एक ही कक्षा में कुछ बच्चे जल्दी पढ़ लेते हैं और कुछ को ज्यादा समय लगता है — यह Individual Difference है।
कोई बच्चा गणित में अच्छा है, कोई चित्रकला में — दोनों की अपनी-अपनी क्षमता है।
बच्चे के माता-पिता से मिलने वाले Genes (जीन) उसके शारीरिक गठन (Physical structure), बुद्धि (Intelligence), और स्वभाव (Temperament) को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए, माता-पिता लंबे हैं तो बच्चा भी लंबा हो सकता है; या अगर परिवार में संगीत प्रतिभा है तो बच्चा भी संगीत में रुचि दिखा सकता है।
➤ Example: एक बच्चा गणित में जन्मजात प्रतिभाशाली होता है — यह heredity का असर है।
बच्चे का घर, स्कूल, मित्र समूह, और समाज उसके व्यक्तित्व को बनाते हैं।
एक सकारात्मक माहौल (Positive environment) बच्चे को आत्मविश्वासी बनाता है, जबकि नकारात्मक माहौल आत्मविश्वास घटा सकता है।
➤ Example: अगर माता-पिता पढ़ाई को प्रोत्साहित करते हैं, तो बच्चा सीखने में उत्साही रहेगा।
हर बच्चे की बुद्धि-स्तर (Intelligence level) अलग होता है।
कुछ बच्चे जल्दी समझ लेते हैं (high IQ), कुछ को दोहराने की जरूरत होती है (average IQ), और कुछ को विशेष मदद की जरूरत होती है (low IQ)।
➤ Example: कक्षा में शिक्षक जब नया पाठ पढ़ाते हैं, तो कुछ बच्चे तुरंत समझ जाते हैं जबकि कुछ को दोहराने की आवश्यकता होती है।
हर बच्चा अलग-अलग चीज़ों में रुचि रखता है — किसी को खेल पसंद है, किसी को कला, किसी को गणित।
यह भिन्नता उनके सीखने की प्रेरणा (Learning motivation) को प्रभावित करती है।
➤ Example: एक बच्चा गाने में सक्रिय भाग लेता है लेकिन गणित में कम रुचि दिखाता है।
कुछ बच्चे बहिर्मुखी (Extrovert) होते हैं — खुले विचारों वाले, सामाजिक।
कुछ बच्चे अंतर्मुखी (Introvert) होते हैं — शांत, अकेले रहना पसंद करते हैं।
भावनात्मक रूप से कुछ बच्चे बहुत संवेदनशील (Sensitive) होते हैं, तो कुछ जल्दी गुस्सा नहीं होते।
➤ Example: कक्षा में जब शिक्षक किसी बच्चे को डाँटते हैं, तो कुछ तुरंत रो पड़ते हैं, जबकि कुछ हँसकर भूल जाते हैं।
बच्चों की ऊँचाई, वजन, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि में भी अंतर होता है।
शारीरिक रूप से कमजोर बच्चा कक्षा में जल्दी थक सकता है।
➤ Example: खेलकूद में कुछ बच्चे तेज़ दौड़ते हैं जबकि कुछ नहीं — यह शारीरिक भिन्नता है।
हर बच्चे की आवश्यकता अलग है, इसलिए शिक्षक को हर बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान (Individual attention) देना चाहिए।
➤ Example: कमजोर छात्र के लिए अतिरिक्त अभ्यास, जबकि तेज़ छात्र के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य देना।
“One method can’t fit all.” शिक्षक को अलग-अलग विधियाँ (methods) अपनानी चाहिए।
जैसे — चित्रों से पढ़ाना, कहानी से समझाना, खेल के माध्यम से सिखाना।
बच्चों की रुचि अनुसार गतिविधियाँ करवाएँ — जैसे समूह कार्य, कला, खेल, प्रश्नोत्तरी, आदि।
➤ इससे हर बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार सीखने में शामिल हो सकता है।
बच्चों को समूह में काम करने दें ताकि एक-दूसरे से सीख सकें।
➤ Example: तेज़ बच्चा कमजोर बच्चे को सिखाता है, दोनों का विकास होता है।
शिक्षक को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहाँ हर बच्चा समान अवसर (Equal opportunity) महसूस करे।
➤ कोई भी बच्चा “कमज़ोर” महसूस न करे।
हर बच्चे की छोटी-छोटी उपलब्धियों की सराहना करें।
इससे आत्मविश्वास और प्रेरणा बढ़ती है।
➤ Example: “Very good try, next time even better!”
शिक्षक को बच्चों की प्रगति पर लगातार नज़र रखनी चाहिए, ताकि उन्हें ज़रूरत के अनुसार सहायता दी जा सके।
Individual Differences = हर व्यक्ति एक-दूसरे से अलग होता है।
यह भिन्नताएँ शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक, सामाजिक, या रुचि आधारित हो सकती हैं।
मुख्य कारण:
Heredity (वंशानुगत)
Environment (पर्यावरण)
Intelligence, Personality, Interests, Physical condition
Teacher’s Role:
व्यक्तिगत ध्यान देना
अंतरित शिक्षण विधियाँ अपनाना
सहयोगी और समावेशी वातावरण बनाना
सहपाठी अधिगम को प्रोत्साहन देना
निरंतर मूल्यांकन करना
🪶 Final Thought (सरल सार):
“हर बच्चा अलग है, इसलिए हर बच्चे को अलग तरीके से समझना और सिखाना ही एक अच्छे शिक्षक की पहचान है।” 🌱👩🏫
Play (खेल) बच्चे के जीवन की स्वाभाविक क्रिया (Natural Activity) है।
बच्चा खेल के माध्यम से सीखता (Learns), समझता (Understands) और अपनी दुनिया को खोजता (Explores) है।
खेल बच्चे के लिए सीखने का सबसे पहला और सबसे प्रभावी तरीका (First and Most Effective Way of Learning) है।
खेल बच्चे के शारीरिक (Physical), मानसिक (Cognitive), सामाजिक (Social) और भावनात्मक (Emotional) सभी विकासों में मदद करता है।
Play = Learning through Experience (अनुभव के माध्यम से सीखना)।
बच्चा जब खुद किसी गतिविधि में भाग लेता है, तो उसे बेहतर याद रहता है।
Example:
बच्चा ब्लॉक्स से घर बनाता है → वह आकार (Shape), आकार का संतुलन (Balance) और कल्पना (Imagination) सीखता है।
खेल कई रूपों में होते हैं, जो बच्चे की उम्र और परिस्थिति पर निर्भर करते हैं —
Physical Play (शारीरिक खेल):
जैसे दौड़ना, कूदना, झूला झूलना, गेंद खेलना।
→ शरीर मजबूत होता है, मांसपेशियाँ विकसित होती हैं, संतुलन और गति का नियंत्रण आता है।
Cognitive Play (संज्ञानात्मक खेल):
जैसे पज़ल, ब्लॉक्स, sorting games।
→ सोचने, समस्या हल करने और तर्क करने की क्षमता बढ़ती है।
Social Play (सामाजिक खेल):
जैसे ग्रुप गेम्स, रोल-प्ले (Role Play)।
→ बच्चा सहयोग (Cooperation), साझा करना (Sharing), और नियमों का पालन (Following Rules) सीखता है।
Emotional Play (भावनात्मक खेल):
जैसे pretend play – डॉक्टर, टीचर या माता-पिता बनकर खेलना।
→ बच्चा भावनाएँ व्यक्त करना और दूसरों की भावनाएँ समझना सीखता है।
Meaning (अर्थ):
जब बच्चा बिना किसी निर्देश या दबाव के, अपनी इच्छा (Choice) से खेलता है, उसे Free Play कहते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चा खुद तय करता है क्या खेले, कैसे खेले और कितनी देर खेले।
इसमें शिक्षक या बड़ों का कोई नियंत्रण (Control) नहीं होता।
बच्चे की रचनात्मकता (Creativity) और कल्पना शक्ति (Imagination) बढ़ती है।
लाभ (Benefits):
बच्चा निर्णय लेना (Decision Making) सीखता है।
आत्मविश्वास (Self-confidence) बढ़ता है।
समस्या समाधान (Problem Solving) की क्षमता विकसित होती है।
बच्चा अपनी रुचियों को पहचानता है।
Examples:
बच्चा मिट्टी से कुछ भी बनाता है — जैसे कार, जानवर या घर।
बच्चे “घर-घर”, “टीचर-स्टूडेंट” या “डॉक्टर-पेशेंट” खेलते हैं।
स्कूल में "Free Play Corner" जहाँ बच्चे अपनी पसंद का खिलौना चुनते हैं।
Meaning (अर्थ):
जब खेल में शिक्षक या वयस्क का हल्का मार्गदर्शन (Guidance) होता है ताकि बच्चा कुछ विशेष सीख (Specific Learning) सके, तो उसे Guided Play कहते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
शिक्षक खेल का उद्देश्य (Purpose) तय करता है लेकिन खेल का नियंत्रण बच्चे के पास रहता है।
इसमें मज़ा और सीखना दोनों (Fun + Learning) शामिल होते हैं।
शिक्षक का रोल “गाइड” या “सहायक” का होता है, न कि “नियंत्रक” का।
लाभ (Benefits):
बच्चे में सीखने की रुचि (Interest in Learning) बनी रहती है।
खेल-खेल में बच्चे शैक्षणिक कौशल (Academic Skills) जैसे गणना, भाषा, रंग, आकार सीखते हैं।
शिक्षक बच्चे की गलतियों को धीरे से सुधार सकता है।
Examples:
शिक्षक कहे – “चलो shapes से एक घर बनाते हैं।”
→ बच्चे geometry के shapes पहचानते हैं।
“Counting stones” game में बच्चे गिनती सीखते हैं।
“Colour sorting” game में बच्चे रंग पहचानना सीखते हैं।
शारीरिक विकास (Physical Development):
दौड़ना, कूदना, गेंद फेंकना जैसे खेलों से शरीर मजबूत होता है, संतुलन और समन्वय (Coordination) बढ़ता है।
संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development):
पज़ल और ब्लॉक्स से खेलते हुए सोचने, योजना बनाने और समस्या हल करने की क्षमता विकसित होती है।
भाषाई विकास (Language Development):
दोस्तों के साथ खेलते समय बच्चा नए शब्द बोलता है, वाक्य बनाना सीखता है।
भावनात्मक विकास (Emotional Development):
रोल-प्ले में बच्चा अपनी भावनाएँ व्यक्त करना और दूसरों की भावनाओं को समझना सीखता है।
सामाजिक विकास (Social Development):
ग्रुप गेम्स से बच्चा सहयोग (Cooperation), साझा करना (Sharing) और अनुशासन (Discipline) सीखता है।
Example:
“Pass the ball” खेल में बच्चे बारी से खेलना सीखते हैं → यह सामाजिक और भावनात्मक विकास दोनों को बढ़ाता है।
खेल के अनुकूल वातावरण (Play-friendly Environment) बनाना – खुली जगह, खिलौने, रंग-बिरंगी वस्तुएँ आदि।
Observation (अवलोकन): बच्चों को खेलते हुए देखना ताकि उनकी रुचियाँ और विकास स्तर समझा जा सके।
Guidance (मार्गदर्शन): जरूरत पड़ने पर सही दिशा देना, लेकिन बच्चे की स्वतंत्रता बनाए रखना।
Balance (संतुलन): Free Play और Guided Play दोनों का सही मिश्रण रखना।
Inclusiveness (समावेशिता): ऐसा खेल चुनना जिसमें हर बच्चा शामिल हो सके – चाहे उसकी क्षमता या पृष्ठभूमि कोई भी हो।
Encouragement (प्रोत्साहन): बच्चे की कोशिशों की सराहना करें, उसे अपनी कल्पना साझा करने के लिए प्रेरित करें।
Example:
शिक्षक “Building Corner” बनाकर बच्चों को material देता है और कहता है – “देखो कौन सबसे ऊँचा टॉवर बना सकता है।”
→ बच्चे teamwork, patience और creativity सीखते हैं।
Play = Natural way of learning (सीखने का स्वाभाविक तरीका)।
Free Play: बिना निर्देश के, स्वतंत्रता और रचनात्मकता का विकास।
Guided Play: हल्के मार्गदर्शन के साथ सीखना और मज़ा दोनों।
खेल से बच्चे का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भाषाई और भावनात्मक विकास होता है।
शिक्षक को Play-based Learning (खेल के माध्यम से सीखना) को प्रोत्साहित करना चाहिए।
याद रखो – “Play is the work of childhood” यानी खेल ही बच्चे का काम और सीखने का तरीका है।
(लिंग आधारित मुद्दे और संवेदनशीलता – पक्षपात और समानता)
Gender शब्द का मतलब है – समाज द्वारा बनाए गए रोल (Roles), व्यवहार (Behaviours) और अपेक्षाएँ (Expectations) जो यह तय करते हैं कि एक लड़की या लड़का “कैसा होना चाहिए।”
यह जैविक (Biological) नहीं बल्कि सामाजिक (Social) भेद है।
यानी समाज ने लड़कियों और लड़कों के लिए कुछ "भूमिकाएँ" तय कर दी हैं, जैसे —
लड़के मज़बूत होते हैं।
लड़कियाँ घर का काम करती हैं।
ये सोचें Gender-based ideas कहलाते हैं।
Example:
लड़के को कहा जाता है – “रोना मत, तुम लड़के हो।”
लड़की को कहा जाता है – “इतना मत दौड़ो, यह लड़कियों का काम नहीं।”
→ यही सोच Gender Bias और Stereotype की जड़ है।
Sex (जैविक लिंग): यह जन्म से तय होता है – जैसे लड़का या लड़की (Biological Difference)।
Gender (सामाजिक लिंग): यह समाज सिखाता है कि लड़का या लड़की कैसे व्यवहार करे (Social Role)।
Example:
Sex बताता है कि कोई बच्चा “Male” या “Female” है।
Gender बताता है कि समाज उनसे क्या उम्मीद करता है — जैसे लड़के बाहर काम करेंगे, लड़कियाँ घर देखेंगी।
जब किसी व्यक्ति के साथ केवल उसके लिंग (Gender) के आधार पर अलग व्यवहार किया जाता है, तो इसे Gender Bias (पक्षपात) कहा जाता है।
यह अन्यायपूर्ण व्यवहार (Unfair Treatment) होता है।
Examples (उदाहरण):
स्कूल में लड़कों को फुटबॉल खेलने देना, पर लड़कियों को नहीं।
शिक्षक का कहना – “लड़के तो गणित में अच्छे होते हैं।”
घर में बेटों को ज़्यादा सुविधा देना, बेटियों को कम।
Effect (प्रभाव):
बच्चे में आत्मविश्वास घटता है।
वे खुद को दूसरों से कम या ज़्यादा मानने लगते हैं।
समाज में असमानता (Inequality) बढ़ती है।
Stereotype (स्थायी धारणा) मतलब किसी समूह के बारे में तय मान्यता या सोच।
जब समाज लड़का और लड़की के लिए निश्चित भूमिकाएँ तय कर देता है, तो इसे Gender Stereotype कहते हैं।
Common Examples:
“लड़के मजबूत होते हैं, लड़कियाँ नाज़ुक।”
“लड़कियाँ नाच-गाना पसंद करती हैं, लड़के खेल-कूद।”
“लड़कियाँ अध्यापक बनेंगी, लड़के इंजीनियर।”
Classroom Example:
अगर शिक्षक गणित का कठिन सवाल लड़कों को दे और आसान सवाल लड़कियों को, तो यह stereotyped thinking है।
Impact:
बच्चे अपनी क्षमता को लेकर सीमित सोच विकसित करते हैं।
समाज में Gender Inequality (लिंग असमानता) बढ़ती है।
Gender Sensitivity (संवेदनशीलता) का मतलब है —
लिंग से जुड़ी असमानताओं को पहचानना, समझना और सुधारना।
यह सुनिश्चित करना कि हर बच्चा, चाहे वह लड़का हो या लड़की,
उसे समान अवसर (Equal Opportunity) मिले।
Teacher के लिए जरूरी बातें:
सभी बच्चों को समान ध्यान देना।
लिंग के आधार पर कोई टिप्पणी या भेदभाव न करना।
Gender-biased language (जैसे “लड़के ही बहादुर होते हैं”) से बचना।
Example:
कक्षा में अगर कोई बच्चा कहे – “लड़कियाँ क्रिकेट नहीं खेल सकतीं,”
तो शिक्षक को समझाना चाहिए – “खेल प्रतिभा से जुड़ा है, लिंग से नहीं।”
Gender Equality (लिंग समानता) का अर्थ है —
लड़के और लड़कियों दोनों को समान अवसर, समान व्यवहार और समान सम्मान देना।
कक्षा में समानता लाने के उपाय:
Activities में समान भागीदारी:
हर खेल, चर्चा और समूह कार्य में दोनों को समान भागीदारी का मौका देना।
Language (भाषा):
शिक्षक को ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जो सभी के लिए सम्मानजनक हो।
जैसे — “बच्चों” कहना, न कि “लड़कों।”
Role Models:
लड़कियों और लड़कों दोनों को प्रेरणादायक उदाहरण दिखाना —
जैसे महिला वैज्ञानिक, पुरुष शिक्षक आदि।
Equal Encouragement (समान प्रोत्साहन):
सभी बच्चों की कोशिशों की सराहना करें, चाहे वे किसी भी लिंग के हों।
Gender-neutral Classroom Environment:
पोस्टर, किताबें, चित्र आदि में दोनों लिंगों को समान रूप से दिखाएँ।
Example:
गणित में अच्छा प्रदर्शन करने पर लड़की की भी उतनी ही तारीफ़ करें जितनी लड़के की।
खेल के लिए टीम में लड़के और लड़कियाँ दोनों को रखें।
Awareness (जागरूकता):
शिक्षक को Gender Bias और Stereotypes के बारे में खुद जागरूक होना चाहिए।
Equal Treatment (समान व्यवहार):
सभी छात्रों को समान सम्मान और अवसर देना।
Inclusive Curriculum (समावेशी पाठ्यक्रम):
पाठ्य सामग्री में महिलाओं और पुरुषों दोनों के योगदान को शामिल करना।
Encouragement (प्रोत्साहन):
लड़कियों को खेल-कूद, विज्ञान, गणित जैसे विषयों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना।
Role Model बनना:
शिक्षक अपने व्यवहार से उदाहरण प्रस्तुत करें कि सभी समान हैं।
Bias-Free Language (भेदभाव रहित भाषा):
शिक्षक कभी ऐसा न कहें – “लड़के तेज़ हैं, लड़कियाँ धीमी।”
Example:
शिक्षक कहे – “हर बच्चा अपने तरीके से सक्षम है।”
→ यह Gender Sensitive Statement है।
Gender = सामाजिक भूमिका, Sex = जैविक भेद।
Gender Bias: किसी के साथ उसके लिंग के आधार पर अलग व्यवहार करना।
Gender Stereotype: तय मान्यता कि “लड़के ऐसे होते हैं, लड़कियाँ वैसी।”
Gender Sensitivity: लिंग आधारित असमानता को समझकर उसे खत्म करना।
Gender Equality: सबको समान अवसर और सम्मान देना।
Teacher की भूमिका:
समान अवसर देना
सभी बच्चों को प्रोत्साहित करना
पाठ्य सामग्री और भाषा में समानता दिखाना
खुद संवेदनशील और निष्पक्ष होना
याद रखो —
“A Gender-Sensitive Teacher creates a Fair Classroom for Every Child.”
📋 Topics:-
Meaning: मस्तिष्क में mental framework या structure जो चीजों को समझने और organize करने में मदद करता है।
Explanation: जब बच्चा नई चीज सीखता है, तो वह उसे पहले से मौजूद ज्ञान (schema) में डालता है या schema बदलता है।
Example: बच्चा “गेंद” के लिए एक schema बनाता है – गोल और फेंकने वाली चीज़। अगर बच्चा नई चीज़ देखे जैसे टेबल की गेंद, तो वह assimilation या accommodation करेगा।
Meaning: नए अनुभव को पुराने schema में फिट करना।
Explanation: बच्चा नई चीज़ को अपने पहले से बने knowledge structure में डाल देता है।
Example: बच्चा सेब को देखकर कहता है कि यह भी गेंद जैसी है क्योंकि दोनों गोल हैं।
Meaning: जब बच्चा नया अनुभव देखकर अपने पुराने schema को बदल देता है।
Explanation: पुराने knowledge structure को सुधार कर नई चीज़ को सही तरीके से समझना।
Example: बच्चा अब समझता है कि सेब खाने की चीज़ है, गेंद नहीं।
Meaning: बच्चा assimilation और accommodation के बीच संतुलन बनाता है।
Explanation: ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए पुराना और नया अनुभव adjust करना।
Example: बच्चा धीरे-धीरे सीखता है कि गोल चीज़ जरूरी नहीं कि हमेशा गेंद हो।
Meaning: वह क्षेत्र जहाँ बच्चा थोड़ी मदद से नई चीज़ सीख सकता है।
Explanation: बच्चा अकेले नहीं कर सकता, लेकिन guided help से कर सकता है।
Example: बच्चा अकेले जोड़ नहीं कर पाता, teacher की मदद से कर लेता है → यह उसका ZPD है।
Meaning: बच्चा सीखते समय teacher द्वारा दी गई अस्थायी मदद।
Explanation: जब बच्चा सक्षम हो जाए, तो सहायता धीरे-धीरे हटाई जाती है।
Example: Teacher पहले सवाल को solve करके दिखाता है, फिर बच्चे को hints देता है, अंत में बच्चा खुद कर लेता है।
Meaning: किसी व्यक्ति के व्यवहार को देखकर सीखना।
Explanation: बच्चे सबसे ज्यादा अपने parents, teachers, peers या cartoon characters को model मानते हैं।
Example: Teacher के समय पर आने से बच्चा भी punctual बनता है।
Meaning: मॉडल के व्यवहार को दोहराना।
Explanation: बच्चा वही करता है जो उसे पसंद या सफल लगता है।
Example: बच्चा देखता है कि दोस्त मेहनत करके खेल जीतता है → वह भी मेहनत करता है।
Meaning: दूसरों को reward/punishment होते देखने से सीखना।
Explanation: बच्चा खुद reward/punishment ना पाए, फिर भी सीखता है।
Example: Teacher किसी को तारीफ करती है → बाकी बच्चे भी वैसा करना चाहते हैं।
Meaning: सही और गलत के बीच सोच समझकर निर्णय लेना।
Explanation: नैतिक विकास में बच्चा सिर्फ नियम याद नहीं करता, बल्कि सोचता है कि क्यों सही या गलत है।
Example: बच्चा कहता है – “मैं झूठ नहीं बोलूंगा क्योंकि यह गलत है, न कि डांटने से बचने के लिए।”
Meaning: Kohlberg के Moral Development के तीन स्तर।
Explanation:
Pre-Conventional → Fear & reward पर आधारित
Conventional → Society और Approval पर आधारित
Post-Conventional → खुद के principles और justice पर आधारित
Example: Pre-Conventional = “मम्मी डांटेगी तो नहीं करूँगा।”
Conventional = “टीचर खुश रहें तो करूँगा।”
Post-Conventional = “यह सही है इसलिए करूँगा।”
Meaning: Erikson के अनुसार व्यक्ति का विकास केवल मानसिक या शारीरिक नहीं, बल्कि सामाजिक संबंध और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है।
Explanation: हर age stage में बच्चा कोई psychosocial crisis face करता है और उसे solve करना सीखता है।
Example: Toddler stage → autonomy vs shame → बच्चा खुद कपड़े पहनना सीखता है।
Meaning: बच्चे की सोचने, समझने और सीखने की क्षमता का विकास।
Example: Piaget के sensorimotor, preoperational, concrete, formal stages इसी में आते हैं।
Meaning: दूसरों को देखकर सीखना।
Example: बच्चा देखता है कि elder sibling किताब पढ़ता है → बच्चा भी पढ़ना शुरू करता है।
Piaget: Schema, Assimilation, Accommodation, Equilibration
Vygotsky: ZPD, Scaffolding, Social Interaction, Language importance
Bandura: Modeling, Imitation, Vicarious Reinforcement, Observational Learning
Kohlberg: Moral Development, Pre-Conventional, Conventional, Post-Conventional, Moral Reasoning
Erikson: Psychosocial Development, Crisis, Age-specific tasks
Classroom Tip: Use examples, role play, guided learning, positive reinforcement, discussions.
Key Idea: Development = Interaction of experience + observation + reasoning + social guidance
(Stages + Educational Implications)
Jean Piaget (1896–1980) एक Swiss psychologist थे जिन्होंने बच्चों की सोचने और समझने (thinking and understanding) की प्रक्रिया पर अध्ययन किया।
Piaget का मानना था कि बच्चा ज्ञान को अपने अनुभवों से स्वयं बनाता है — यह सिद्धांत Constructivist Theory (निर्माणवादी सिद्धांत) कहलाता है।
उन्होंने कहा कि बच्चे पर्यावरण से जानकारी लेकर अपने ज्ञान को खुद "construct" करते हैं – वे केवल शिक्षक से “भरने वाले बर्तन” नहीं हैं।
उनकी theory को कहते हैं Cognitive Development Theory (बौद्धिक विकास का सिद्धांत)।
Example:
जब बच्चा खिलौने से खेलते हुए खुद समझता है कि "अगर मैं इसे धक्का दूँ तो ये लुढ़कता है" — यह उसका स्वयं का ज्ञान निर्माण (self-learning) है।
Schema (स्कीमा):
यह दिमाग का “mental framework” है जिससे बच्चा चीजों को समझता और व्यवस्थित करता है।
हर अनुभव से नया schema बनता है या पुराना बदलता है।
Example: बच्चा “गेंद” के लिए एक schema बनाता है — गोल चीज़ को गेंद समझता है।
Assimilation (अवशोषण):
जब बच्चा नए अनुभव को पुराने schema में फिट करता है।
Example: बच्चा “सेब” देखता है और उसे गेंद कह देता है क्योंकि दोनों गोल हैं।
Accommodation (अनुकूलन):
जब बच्चा नया अनुभव देखकर पुराना schema बदल देता है।
Example: बच्चा सीखता है कि “सेब खाने की चीज़ है, गेंद नहीं” → schema बदल गया।
Equilibration (संतुलन प्रक्रिया):
यह प्रक्रिया है जहाँ बच्चा Assimilation और Accommodation के बीच संतुलन बनाता है ताकि सीखना जारी रहे।
Piaget के अनुसार, हर बच्चा अपने बौद्धिक विकास में 4 definite stages से गुजरता है।
प्रत्येक stage की अपनी विशेष सोचने की क्षमता होती है।
Age: 0 – 2 वर्ष
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चा अपने इंद्रियों (senses) और गतियों (movements) से दुनिया को समझता है।
“Trial and Error” से सीखता है — चीज़ें पकड़ना, फेंकना, चखना आदि।
Object Permanence (वस्तु स्थायित्व) विकसित होता है —
बच्चा समझता है कि “वस्तु दिख नहीं रही तो भी वह मौजूद है।”
Example:
अगर गेंद पर कप रख दो तो छोटा बच्चा समझता है कि गेंद गायब हो गई, लेकिन 2 साल तक पहुँचते-पहुँचते वह कप हटाकर गेंद खोजने लगता है।
शिक्षण implication:
बच्चों को hands-on experience (वस्तुओं से खेलकर सीखने) का मौका दो।
Rattles, blocks, sound toys का प्रयोग करो।
Age: 2 – 7 वर्ष
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चा भाषा (language) सीखना शुरू करता है, लेकिन सोच logic पर आधारित नहीं होती।
बच्चा Egocentric (आत्मकेंद्रित) होता है – उसे लगता है कि जो वह सोचता है, वही सब सोचते हैं।
Example: “अगर मैं सब देख सकता हूँ तो मम्मी भी देख सकती हैं।”
बच्चा Symbolic Thinking (प्रतीकात्मक सोच) करता है –
खिलौना कार को असली कार मान लेता है।
बच्चा Animism (जड़ वस्तुओं में जीवन समझना) दिखाता है –
“सूरज मुस्कुरा रहा है”, “गुड़िया रो रही है।”
शिक्षण implication:
Teaching में चित्र (pictures), कहानी (stories), और खेल (play) का उपयोग करो।
Concrete examples दो, abstract बातों से बचो।
Group play कराओ ताकि बच्चा दूसरों के दृष्टिकोण को समझे।
Age: 7 – 11 वर्ष
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चा अब logic (तर्क) से सोचने लगता है, लेकिन concrete (वास्तविक वस्तुओं) पर।
Conservation (स्थायित्व) की समझ विकसित होती है —
चीज़ का आकार बदलने पर मात्रा नहीं बदलती।
Example: एक ही पानी को पतले और मोटे गिलास में डालो — बच्चा समझेगा कि मात्रा समान है।
Reversibility (उलटाव प्रक्रिया) समझता है –
“अगर मिट्टी का गोला बनाऊँ और फिर उसे तोड़ दूँ, तो मिट्टी वही रहेगी।”
Seriation (क्रमबद्धता) और Classification (वर्गीकरण) की क्षमता आती है।
Example: वस्तुओं को रंग या आकार के अनुसार क्रम में लगाना।
शिक्षण implication:
Concrete materials जैसे charts, beads, models का प्रयोग करो।
Experiments और observation आधारित learning कराओ।
बच्चों को reasoning-based प्रश्न दो, परंतु real examples के साथ।
Age: 11 वर्ष से आगे
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चा अब abstract thinking (सैद्धांतिक सोच) करने लगता है।
Hypothetical situations (कल्पनात्मक स्थितियाँ) पर विचार कर सकता है।
Problem solving और scientific reasoning विकसित होती है।
Example:
अगर पूछा जाए – “अगर सूरज अचानक बंद हो जाए तो क्या होगा?” –
तो बच्चा अब कल्पना करके logical उत्तर दे सकता है।
शिक्षण implication:
Group discussion, debates, experiments कराओ।
Hypothesis-based learning (कल्पनात्मक सोच) को बढ़ावा दो।
Higher order thinking skills (HOTS) पर ध्यान दो।
Child-Centered Education (बाल केंद्रित शिक्षा):
बच्चा स्वयं सीखने वाला है — शिक्षक guide की तरह मदद करे।
Activity-Based Learning:
सीखने में खिलौने, चार्ट, मॉडल, प्रयोगों का प्रयोग करो।
Learning by Doing:
Piaget कहते हैं – “Children learn best when they do things.”
Stage-Appropriate Teaching:
हर बच्चे की development stage के अनुसार सिखाओ —
छोटों को stories और play, बड़े बच्चों को reasoning व experiment।
Mistakes are Learning Signs:
गलती सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है, punishment नहीं देनी चाहिए।
Constructivist Approach:
बच्चा ज्ञान “receive” नहीं करता, बल्कि “construct” करता है।
इसलिए open-ended activities और projects दो।
Jean Piaget: Swiss psychologist; founder of Cognitive Development Theory.
Key Idea: बच्चा स्वयं अपने अनुभवों से ज्ञान बनाता है (Constructivism)।
Main Processes: Schema, Assimilation, Accommodation, Equilibration।
Four Stages:
Sensorimotor (0–2 yrs) → Object permanence
Preoperational (2–7 yrs) → Egocentrism, symbolic play
Concrete Operational (7–11 yrs) → Conservation, logic, classification
Formal Operational (11+ yrs) → Abstract & hypothetical thinking
Educational Implications:
Activity-based & stage-appropriate learning
Child-centered classroom
Hands-on learning
Errors = natural part of learning
Lev Vygotsky (1896–1934) एक Russian psychologist थे।
उन्होंने कहा कि बच्चे का बौद्धिक विकास (Cognitive Development) केवल उसकी अपनी सोच से नहीं, बल्कि समाज (society), भाषा (language), और संस्कृति (culture) से भी प्रभावित होता है।
यह सिद्धांत Social Interaction (सामाजिक संपर्क) पर आधारित है।
उन्होंने माना कि learning पहले social level पर होती है, फिर individual level पर।
👉 यानी बच्चा पहले दूसरों के साथ मिलकर सीखता है, बाद में खुद करने लगता है।
Example:
बच्चा पहले माँ के साथ खाना बनाते हुए देखता है (social learning), फिर खुद कोशिश करता है (individual learning)।
बच्चा दूसरों से बातचीत और सहयोग के माध्यम से सीखता है।
Learning एक सामाजिक प्रक्रिया (social process) है।
Teacher, parent, peers (साथी) – सभी बच्चे के सीखने में सहयोगी होते हैं।
Example:
Teacher अगर बच्चे के साथ मिलकर पहेली सुलझाए, तो बच्चा तेजी से समझता है।
हर समाज अपने बच्चों को सीखने के तरीके सिखाता है।
बच्चा अपने समाज की परंपराओं, मान्यताओं और भाषा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है।
Example:
भारतीय बच्चे “नमस्ते” कहना सीखते हैं क्योंकि यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है।
Vygotsky के अनुसार भाषा सोच (thinking) का मुख्य साधन है।
बच्चा “self-talk (स्वयं से बात करना)” के माध्यम से समस्याएँ हल करना सीखता है।
बाद में यही inner speech (भीतरी भाषा) बन जाती है जो उसे विचार करने में मदद करती है।
Example:
जब बच्चा puzzle बनाते समय बोलता है – “पहले ये piece लगाऊँगा, फिर वो” –
तो यह self-talk उसकी सोच को मार्गदर्शन दे रही होती है।
यह Vygotsky का सबसे प्रसिद्ध विचार है।
ZPD का मतलब है:
वह अंतर जो बच्चा अकेले कर सकता है और जो वह दूसरों की मदद से कर सकता है।
दूसरे शब्दों में, यह वह “learning area” है जहाँ बच्चा थोड़ी मदद से नई चीज़ सीख सकता है।
Example:
बच्चा अकेले 2-अंकों का जोड़ नहीं कर पाता,
लेकिन teacher की थोड़ी मदद से कर लेता है →
यह उसका ZPD है।
शिक्षक की भूमिका:
बच्चे को उसके ZPD में काम कराना चाहिए, यानी जहाँ उसे थोड़ी मदद की जरूरत है।
ज्यादा आसान काम → उबाऊ
बहुत कठिन काम → निराशाजनक
👉 सीखना तभी प्रभावी होता है जब वह ZPD range में हो।
Scaffolding का मतलब है — बच्चे को सीखने के दौरान धीरे-धीरे सहायता देना,
और जब बच्चा सक्षम हो जाए, तो सहारा हटा लेना।
जैसे इमारत बनाते समय “scaffold” अस्थायी सहारा होता है, वैसे ही सीखने में शिक्षक का मार्गदर्शन अस्थायी होता है।
शिक्षक बच्चे को hints, prompts, examples देकर मदद करता है ताकि वह खुद कर सके।
Example:
शिक्षक पहले गणित का सवाल खुद करके दिखाता है →
फिर बच्चे को आधा कराता है →
फिर बच्चा खुद करने लगता है।
👉 यह है scaffolding process।
शिक्षण implication:
Teacher को ऐसा सहारा देना चाहिए जो बच्चे को स्वतंत्र बनने में मदद करे।
Support धीरे-धीरे कम करते जाना चाहिए (Gradual Release of Responsibility)।
Teacher = Facilitator (मार्गदर्शक):
शिक्षक का काम direct पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चे को अनुभव और सहयोग से सिखाना है।
Use of Group Learning:
बच्चे साथ मिलकर सीखते हैं तो समझ और बढ़ती है (Collaborative learning)।
Encourage Discussion:
बातचीत और प्रश्न पूछने से सोचने की क्षमता (critical thinking) विकसित होती है।
Identify ZPD:
हर बच्चे की ZPD अलग होती है, इसलिए शिक्षक को हर बच्चे के स्तर को समझकर activity देनी चाहिए।
Language-Based Learning:
बच्चों को बोलने, समझाने और चर्चा करने के अवसर दो।
Classroom Example:
Teacher बच्चों को समूह में रखकर activity देती है –
“आओ सब मिलकर एक कहानी पूरी करो।”
👉 इसमें सहयोग (social learning), भाषा, और सोच – तीनों विकसित होते हैं।
Piaget: विकास पहले, सीखना बाद में।
Vygotsky: सीखना विकास को आगे बढ़ाता है।
Piaget: अकेले अनुभव से सीखना।
Vygotsky: सामाजिक सहयोग से सीखना।
Vygotsky: Russian psychologist; learning = social process.
Main Idea: Knowledge develops through interaction, language, and culture.
ZPD (Zone of Proximal Development):
“What a child can do with help but not alone.”
Effective teaching happens inside ZPD.
Scaffolding:
Teacher provides temporary support → gradually removes it.
Aim = independence in learning.
Language: Tool of thought; self-talk helps problem-solving.
Teacher’s Role:
Facilitator, guide, collaborator.
Encourage group work & communication.
Key Difference from Piaget:
Piaget = Individual learning,
Vygotsky = Social learning.
In short:
👉 “Learning is a social journey – with the right guidance (scaffolding) inside the child’s ZPD, the teacher helps the child move from ‘I can’t’ to ‘I can.’” 💡
Albert Bandura (1925–2021) एक प्रसिद्ध Canadian-American psychologist थे।
उन्होंने कहा – बच्चे सिर्फ अपने अनुभवों से नहीं, बल्कि दूसरों को देखकर (by observing others) भी सीखते हैं।
इस विचार को उन्होंने Social Learning Theory (सामाजिक अधिगम सिद्धांत) कहा।
उन्होंने यह दिखाया कि Observation (अवलोकन) और Imitation (अनुकरण) भी सीखने के शक्तिशाली तरीके हैं।
Example:
अगर एक बच्चा देखता है कि उसका दोस्त होमवर्क करने पर टीचर से तारीफ पा रहा है,
तो वह भी वैसा करने की कोशिश करेगा।
सीखना सिर्फ Direct Experience (प्रत्यक्ष अनुभव) से नहीं होता,
बल्कि हम दूसरों को देखकर भी सीखते हैं।
इसे Observational Learning (अवलोकनात्मक अधिगम) कहा जाता है।
यानी, बच्चा देखता है → समझता है → और वैसा ही व्यवहार दोहराता है।
इस सीखने में Model, Observation, Imitation, Reinforcement की भूमिका होती है।
Example:
बच्चा देखता है कि elder brother साइकिल चलाना सीख गया और सब उसकी तारीफ कर रहे हैं —
तो छोटा भाई भी वैसा करना चाहता है।
Modeling का मतलब है – किसी व्यक्ति (Model) का ऐसा व्यवहार जो दूसरों के लिए अनुकरणीय (imitable) बन जाए।
बच्चे सबसे ज्यादा अपने parents, teachers, friends, cartoon characters आदि को मॉडल मानते हैं।
मॉडल का व्यवहार देखकर बच्चा सीखता है कि “क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए।”
Example:
Teacher हमेशा समय पर आती है, बच्चों से विनम्रता से बात करती है →
बच्चे भी punctual और polite बनते हैं।
👉 यानी “Teacher is a Role Model.”
Imitation का अर्थ है — किसी के व्यवहार या कार्य को copy करना (नकल करना)।
बच्चा वही व्यवहार imitate करता है जो उसे पसंद या सफल लगता है।
अगर किसी व्यवहार के बाद reward (इनाम) मिलता है, तो बच्चा उसे ज़्यादा दोहराता है।
Example:
बच्चा देखता है कि जो छात्र ध्यान से सुनता है उसे “Good” कहा जाता है →
वह भी वैसा करने लगता है।
Vicarious का मतलब होता है “दूसरों के अनुभव से।”
यानी बच्चा खुद पर reward/punishment का अनुभव नहीं करता,
बल्कि दूसरों को देखकर सीखता है।
अगर बच्चा देखे कि कोई reward पा रहा है → वह भी वैसा करना चाहेगा।
और अगर किसी को punishment मिल रही है → तो वह ऐसा करने से बचेगा।
Example:
Teacher एक बच्चे को झूठ बोलने पर डाँटती है →
बाकी बच्चे समझ जाते हैं कि झूठ बोलना गलत है।
👉 यही vicarious learning है।
Bandura ने कहा कि Observation से सीखने के लिए चार चरण होते हैं:
Attention (ध्यान देना) –
बच्चे को पहले मॉडल के व्यवहार पर ध्यान देना होता है।
👉 अगर टीचर engaging है, तो बच्चे ज़्यादा ध्यान देंगे।
Retention (स्मरण रखना) –
जो देखा गया है, उसे याद रखना (Memory में store करना)।
Reproduction (दोहराना) –
जो सीखा गया है, उसे दोहराने की कोशिश करना।
Motivation (प्रेरणा) –
अगर बच्चे को उस व्यवहार से कोई लाभ (reward) दिखता है, तो वह उसे जारी रखता है।
Example:
बच्चा देखता है कि टीचर एक छात्र को neat handwriting के लिए “Star” देती है।
→ वह ध्यान देता है (attention)
→ याद रखता है कि कैसे लिखा गया (retention)
→ वैसा ही लिखने की कोशिश करता है (reproduction)
→ और “Star” पाने की इच्छा रखता है (motivation)।
Bandura ने प्रसिद्ध Bobo Doll Experiment किया।
बच्चों ने देखा कि एक वयस्क (adult) गुड़िया को मार रहा है (aggressive behavior)।
बाद में जब बच्चों को वही गुड़िया दी गई, तो उन्होंने भी वैसा ही हिंसक व्यवहार किया।
👉 इससे साबित हुआ कि बच्चे देखकर भी सीखते हैं (Observational Learning),
भले उन्हें खुद reward या punishment न मिले।
Teacher as Role Model:
शिक्षक का व्यवहार बच्चों पर गहरा प्रभाव डालता है।
इसलिए शिक्षक को positive model बनना चाहिए।
Use of Positive Reinforcement:
अच्छे व्यवहार पर तारीफ (praise), smiley, sticker देना चाहिए।
इससे बच्चे positive व्यवहार दोहराते हैं।
Avoid Negative Models:
शिक्षक को झूठ, क्रोध, पक्षपात जैसे व्यवहार से बचना चाहिए।
Peer Learning:
बच्चे एक-दूसरे को देखकर भी सीखते हैं।
Group activities से social learning बढ़ती है।
Media Awareness:
बच्चों को TV/Internet पर दिखने वाले गलत models (violence, bad manners) से बचाना चाहिए।
Observation-Based Learning:
Class में “Show and Tell” या “Demonstration” methods effective होते हैं।
Piaget: बच्चा खुद अनुभव से सीखता है।
Vygotsky: बच्चा समाज और भाषा से सीखता है।
Bandura: बच्चा दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है।
Albert Bandura → Father of Social Learning Theory.
Learning = by observing others (models).
Main processes:
Attention
Retention
Reproduction
Motivation
Modeling: Role model का व्यवहार देखकर सीखना।
Imitation: मॉडल के व्यवहार को दोहराना।
Vicarious Reinforcement: दूसरों के reward/punishment को देखकर सीखना।
Bobo Doll Experiment: बच्चों ने aggression देखकर सीखा।
Teacher’s Role:
Positive model बनना
Good behavior को reinforce करना
Observation-based learning को प्रोत्साहित करना।
In short:
👉 “Children learn more from what they see than what they are told.”
(बच्चे वही बनते हैं जो वे अपने आसपास देखते हैं 💡)
Lawrence Kohlberg (1927–1987) एक प्रसिद्ध American psychologist थे।
उन्होंने यह बताया कि बच्चों में सही और गलत (Right and Wrong) की समझ धीरे-धीरे विकसित होती है।
उनका मानना था कि Moral Development (नैतिक विकास) केवल नियम याद करने से नहीं होता,
बल्कि सोचने (reasoning) और निर्णय लेने (decision making) की क्षमता से जुड़ा होता है।
उन्होंने नैतिक विकास को तीन स्तरों (Levels) और छह चरणों (Stages) में बाँटा।
Example:
छोटा बच्चा कहता है – “मैं झूठ नहीं बोलूंगा क्योंकि मम्मी डांटेंगी।”
बड़ा बच्चा कहता है – “मैं झूठ नहीं बोलूंगा क्योंकि यह गलत है।”
👉 यही नैतिक विकास (Moral growth) है।
Kohlberg ने कहा कि बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उनकी नैतिक सोच (Moral reasoning) परिपक्व होती जाती है।
नैतिक विकास तीन Levels में होता है, और हर Level में दो Stages होते हैं।
बच्चे का व्यवहार पहले डर या इनाम (fear/reward) पर आधारित होता है,
बाद में समाज और नैतिक सिद्धांतों (moral principles) पर।
(आमतौर पर 4–9 वर्ष की उम्र तक)
➡️ बच्चा नैतिकता को डर और इनाम (Punishment & Reward) के आधार पर समझता है।
Stage 1 – Obedience and Punishment Orientation (आज्ञाकारिता और दंड से बचाव)
बच्चा “सही या गलत” को दंड से जोड़ता है।
नियम मानने का कारण → सज़ा से बचना।
Example:
बच्चा कहता है – “मैं झूठ नहीं बोलूंगा, वरना मम्मी मारेंगी।”
👉 यानी “डर” नैतिकता का आधार है।
Stage 2 – Individualism and Exchange (स्वार्थ और लेन-देन का चरण)
बच्चा सोचता है – “अगर मुझे फायदा हो तो मैं अच्छा काम करूंगा।”
नैतिकता अब “give and take” पर आधारित होती है।
Example:
बच्चा कहता है – “मैं दोस्त की मदद करूंगा, ताकि वो भी मेरी मदद करे।”
(लगभग 9–13 वर्ष की उम्र में)
➡️ अब बच्चा नैतिकता को समाज और दूसरों की अपेक्षाओं से जोड़ता है।
Stage 3 – Good Boy–Good Girl Orientation (अच्छा लड़का/लड़की बनने की सोच)
बच्चा चाहता है कि लोग उसे अच्छा समझें।
अच्छा व्यवहार = Approval (प्रशंसा) पाने का माध्यम।
Example:
बच्चा कहता है – “मैं झूठ नहीं बोलूंगा, ताकि टीचर खुश हों।”
Stage 4 – Law and Order Orientation (कानून और व्यवस्था का चरण)
बच्चा समझता है कि समाज के नियम सबके लिए जरूरी हैं।
कानून तोड़ना गलत है क्योंकि इससे व्यवस्था बिगड़ती है।
Example:
बच्चा कहता है – “मैं ट्रैफिक नियम मानूंगा क्योंकि ये सबकी सुरक्षा के लिए है।”
(आमतौर पर किशोरावस्था या वयस्क अवस्था में)
➡️ अब व्यक्ति खुद सोचकर निर्णय लेता है कि क्या सही है, क्या गलत।
वह Universal Moral Principles (सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत) को मानता है।
Stage 5 – Social Contract Orientation (सामाजिक अनुबंध का चरण)
व्यक्ति सोचता है कि कानून समाज की सुविधा के लिए हैं,
लेकिन अगर कोई कानून अन्यायपूर्ण है, तो उसे बदला जा सकता है।
नैतिकता का आधार “न्याय और समानता” बनता है।
Example:
व्यक्ति कहता है – “अगर कोई कानून भेदभाव करता है, तो उसे बदलना चाहिए।”
Stage 6 – Universal Ethical Principles (सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांतों का चरण)
व्यक्ति अपनी अंतःचेतना (conscience) के अनुसार सही या गलत तय करता है।
यह चरण बहुत कम लोगों में पाया जाता है (जैसे गांधीजी, नेल्सन मंडेला)।
Example:
गांधीजी ने कहा – “अन्यायपूर्ण कानून का उल्लंघन करना भी नैतिक हो सकता है।”
Pre-Conventional Example:
बच्चा होमवर्क करता है क्योंकि टीचर डांटेंगी।
Conventional Example:
बच्चा होमवर्क करता है क्योंकि “अच्छे छात्र ऐसा करते हैं।”
Post-Conventional Example:
छात्र कहता है – “मैं दूसरों के साथ समान व्यवहार करूंगा, क्योंकि यह सही है।”
👉 इससे पता चलता है कि बच्चे का नैतिक सोचने का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है।
Moral Reasoning को प्रोत्साहन देना:
बच्चों से “क्यों सही?” “क्यों गलत?” जैसे प्रश्न पूछे जाएँ।
Real-life Situations पर चर्चा:
कहानी, नाटक या classroom incidents पर नैतिक चर्चा कराई जाए।
Role Model बनना:
शिक्षक अपने व्यवहार से ईमानदारी, सहानुभूति, और सत्यनिष्ठा दिखाएँ।
Moral Dilemma Method (नैतिक दुविधा पद्धति):
बच्चों को नैतिक दुविधा वाली कहानियाँ देकर सोचने को प्रेरित करें।
Example: “अगर तुम देखो कि कोई बच्चा गलती से गिर गया है और तुम्हारी परीक्षा है,
तो क्या तुम उसकी मदद करोगे या परीक्षा दोगे?”
Positive Environment:
स्कूल में “समानता, सहयोग और सम्मान” का वातावरण होना चाहिए।
| Piaget | Kohlberg |
|---|---|
| नैतिकता बचपन में विकसित होती है | नैतिक विकास जीवनभर चलता है |
| सिर्फ दो चरण बताए | छह चरण बताए |
| नियमों को समझने पर जोर | तर्क (reasoning) पर जोर |
(यह तुलना केवल समझ के लिए है, कोई तालिका नहीं बनाना है इसलिए यही संक्षेप में दी गई है।)
Lawrence Kohlberg → Moral Development Theory
नैतिक विकास = सही और गलत की समझ का विकास
तीन Levels (स्तर):
1️⃣ Pre-Conventional (Fear & Reward based)
2️⃣ Conventional (Society’s rules & Approval)
3️⃣ Post-Conventional (Own Principles & Justice)
कुल 6 Stages → Obedience, Self-interest, Good Boy, Law & Order, Social Contract, Universal Principles
Moral reasoning = “क्यों सही?” “क्यों गलत?” सोचने की क्षमता
Teacher’s role:
Role model बनना
Discussion और moral dilemmas से सोच विकसित करना
नैतिक मूल्यों (honesty, equality, empathy) को बढ़ावा देना
In short:
👉 “Moral development means moving from ‘I don’t want punishment’ → to ‘I do what is right.’”
(नैतिक विकास का मतलब है – डर से नहीं, बल्कि सही सोच से सही काम करना 💡)
Psychosocial = “Psycho” means mind (मन) and “Social” means society (समाज)
👉 यानी यह theory बताती है कि बच्चे का personality development उसके सामाजिक अनुभवों से होता है।
Erik Erikson (1902–1994) ने personality development को 8 stages में बाँटा।
हर stage में एक psychosocial conflict (सामाजिक-संज्ञानात्मक संघर्ष) होता है, जिसे resolve करना personality development के लिए ज़रूरी है।
हम यहाँ 0–12 years तक के पहले चार stages पढ़ेंगे (क्योंकि CTET में यही पूछे जाते हैं)।
Main Question in Child’s Mind:
👉 “Can I trust the world?”
(क्या मैं दुनिया पर भरोसा कर सकता हूँ?)
यह stage infancy (शैशवावस्था) की होती है — जब बच्चा पूरी तरह अपने caregivers (माँ-पिता) पर निर्भर होता है।
अगर माता-पिता नियमित रूप से प्यार, देखभाल और सुरक्षा देते हैं, तो बच्चा Trust (विश्वास) सीखता है।
अगर बच्चा neglect (उपेक्षा) या असुरक्षा महसूस करता है, तो उसमें Mistrust (अविश्वास) पैदा होता है।
यह भरोसा भविष्य में बच्चे की emotional security (भावनात्मक सुरक्षा) की नींव बनता है।
Example (Daily life):
माँ हर बार बच्चे के रोने पर उसे दूध पिलाती है → बच्चा सीखता है कि “जब मैं ज़रूरत बताता हूँ, मेरी मदद होती है।” → develops Trust.
Classroom Example:
Teacher बच्चे को हर बार उसकी मेहनत पर appreciate करती है → बच्चा school को safe और supportive जगह समझता है।
Main Question:
👉 “Can I do things myself?”
(क्या मैं खुद कुछ कर सकता हूँ?)
यह toddler age (चलना-फिरना शुरू करने की उम्र) होती है।
बच्चा अपने काम खुद करने की कोशिश करता है — जैसे कपड़े पहनना, खाना खाना, खिलौने उठाना।
अगर parents उसे encourage (प्रोत्साहन) देते हैं, तो बच्चा Autonomy (स्वतंत्रता) सीखता है।
अगर parents बार-बार डांटते या रोकते हैं, तो बच्चा Shame (शर्म) और Doubt (संकोच) महसूस करता है।
इस stage में self-control और willpower का विकास होता है।
Example (Daily life):
बच्चा खुद जूते पहनना चाहता है। अगर माँ कहे “बहुत अच्छा! कोशिश करो।” → develops Autonomy.
अगर माँ कहे “तुमसे नहीं होगा, हटो!” → develops Shame & Doubt.
Classroom Example:
Teacher बच्चों को अपनी कॉपी खुद जमा करने देती है → बच्चों में responsibility & independence की भावना आती है।
Main Question:
👉 “Is it okay for me to do things and explore?”
(क्या मैं खुद से कुछ नया करने की कोशिश कर सकता हूँ?)
यह stage pre-school age की होती है, जब बच्चा कल्पनाशील (imaginative) और सक्रिय होता है।
बच्चा सवाल पूछता है, नए games खेलता है, roles निभाता है (“मैं teacher बनूंगा”)।
अगर parents/teachers support और guide करते हैं, तो बच्चा Initiative (पहलकदमी) लेना सीखता है।
अगर उसे डांटा या रोका जाता है (“बेवकूफी मत करो”), तो उसमें Guilt (अपराध-बोध) विकसित होता है।
इस उम्र में leadership, decision making और creativity विकसित होती है।
Example (Daily life):
बच्चा पापा की तरह झाड़ू लगाना चाहता है। अगर पापा कहते हैं “वाह, तुम तो मदद कर रहे हो।” → develops Initiative.
अगर पापा कहते हैं “यह तुम्हारा काम नहीं!” → develops Guilt.
Classroom Example:
Teacher group activity में बच्चों को role देती है — बच्चे आत्मविश्वास से भाग लेते हैं → develops initiative and teamwork.
Main Question:
👉 “Can I make things and complete tasks?”
(क्या मैं काम पूरा कर सकता हूँ और उपयोगी हूँ?)
यह school age की stage है — बच्चा अब classroom, friends और teachers के संपर्क में आता है।
बच्चे को skills सीखने और achievement (उपलब्धि) पाने का अवसर मिलता है।
अगर उसकी मेहनत को प्रशंसा और सफलता मिलती है, तो develops Industry (परिश्रमशीलता/कर्मठता)।
अगर उसे बार-बार असफलता या आलोचना मिलती है, तो develops Inferiority (हीनभावना)।
यह stage confidence, team spirit और goal-oriented behavior की नींव रखती है।
Example (Daily life):
बच्चा गणित का question खुद हल करता है। अगर teacher कहे “बहुत बढ़िया!” → develops Industry.
अगर teacher कहे “तुमसे नहीं होगा।” → develops Inferiority.
Classroom Example:
Teacher बच्चों को projects या art competition में भाग लेने देती है → बच्चे मेहनत और cooperation सीखते हैं।
Stage 1 – Trust vs. Mistrust (0–1½ yrs):
Love & Care → Trust develops | Neglect → Mistrust develops.
Keyword: Trust = विश्वास.
Stage 2 – Autonomy vs. Shame & Doubt (1½–3 yrs):
Encouragement → Independence | Over-control → Shame.
Keyword: Autonomy = स्वतंत्रता.
Stage 3 – Initiative vs. Guilt (3–6 yrs):
Support → Initiative | Criticism → Guilt.
Keyword: Initiative = पहल करना.
Stage 4 – Industry vs. Inferiority (6–12 yrs):
Success & Praise → Industry | Failure & Criticism → Inferiority.
Keyword: Industry = परिश्रमशीलता.
हर stage का age range, conflict name, और positive vs. negative outcome ज़रूर याद रखें।
Classroom में teacher का role हर stage में supportive और confidence-building होना चाहिए।
Erikson की theory बताती है कि emotional + social support बच्चे के overall development के लिए सबसे ज़रूरी है।
📋 Topics:-
Meaning (अर्थ):
– जब बच्चा खुद चीज़ों को discover (खोज) करके सीखता है, ना कि केवल रटकर।
– शिक्षक एक guide या facilitator (मार्गदर्शक) की भूमिका में होता है।
Example (उदाहरण):
– शिक्षक बच्चों को चुंबक और लोहे की चीजें देता है और पूछता है, “कौन सी चीज चुंबक से चिपकती है?”
➡ बच्चा खुद प्रयोग कर के सीखता है कि “iron चुंबक से चिपकता है।”
Meaning:
– Bruner का विचार कि किसी विषय को बार-बार, बढ़ती कठिनाई के साथ दोहराया जाए।
– बच्चा हर बार उस विषय को गहराई से समझता है।
Example:
– कक्षा 3 में बच्चा “गुणा” सीखता है,
कक्षा 5 में “लंबा गुणा”,
कक्षा 8 में “बीजगणितीय गुणा” —
➡ यानी वही concept spiral रूप में आगे बढ़ता है।
Meaning:
– यह सिद्धांत कहता है कि बच्चा खुद अपनी समझ का निर्माण (construct) करता है।
– सीखना एक active process (सक्रिय प्रक्रिया) है।
Example:
– शिक्षक बच्चों को मिट्टी देता है और कहता है “पहाड़ बनाओ।”
➡ हर बच्चा अलग आकार का बनाता है — यानी हर कोई अपनी समझ के अनुसार सीखता है।
Meaning:
– Piaget के अनुसार बच्चे के दिमाग में knowledge का mental framework (मानसिक ढांचा) बनता है, जिसे schema कहते हैं।
– हर नया अनुभव उसी ढांचे में फिट होता है।
Example:
– बच्चा सोचता है कि सारे चार पैर वाले जानवर “कुत्ते” हैं।
– जब उसे गाय दिखती है, तो उसका schema बदलता है — अब वो जानता है कि “गाय” और “कुत्ता” अलग हैं।
Meaning:
– जब बच्चा नए अनुभव को अपने पुराने ज्ञान में जोड़ देता है।
– यानी नया अनुभव पुराने schema में फिट हो जाता है।
Example:
– बच्चा पहली बार बिल्ली देखता है और सोचता है “यह भी कुत्ता है।”
➡ उसने नए अनुभव (cat) को पुराने schema (dog) में फिट कर दिया।
Meaning:
– जब बच्चा नए अनुभव के कारण अपना पुराना schema बदल देता है।
– यह सीखने का एक गहरा चरण है।
Example:
– अब बच्चा समझता है कि “कुत्ते और बिल्लियाँ दोनों चार पैर वाले हैं लेकिन अलग प्राणी हैं।”
Meaning:
– Vygotsky के अनुसार यह वह क्षेत्र है जहाँ बच्चा थोड़ी मदद से सीख सकता है।
– अकेले नहीं, लेकिन शिक्षक या साथी की मदद से सीख सकता है।
Example:
– बच्चा खुद “दो अंकों का जोड़” नहीं कर सकता,
लेकिन शिक्षक के हल्के संकेत से कर लेता है।
➡ यह उसका ZPD है।
Meaning:
– शिक्षक या साथी द्वारा step-by-step मदद देना, ताकि बच्चा धीरे-धीरे खुद सीख सके।
– जैसे भवन बनाते समय अस्थायी सहारा (scaffold) दिया जाता है।
Example:
– शिक्षक पहले जोड़ का तरीका समझाता है, फिर बच्चे को खुद करने देता है, और धीरे-धीरे मदद कम करता है।
Meaning:
– Vygotsky के अनुसार सीखना दूसरों से बातचीत और सहयोग से होता है।
– बच्चा अकेले नहीं, बल्कि समाज के माध्यम से सीखता है।
Example:
– समूह में चर्चा करते समय बच्चे एक-दूसरे से विचार साझा करके नए ज्ञान का निर्माण करते हैं।
Meaning:
– Gardner के अनुसार हर बच्चे में अलग-अलग प्रकार की बुद्धिमत्ता (intelligence) होती है।
– केवल “IQ (intellectual ability)” ही नहीं, बल्कि music, body, people, nature जैसी intelligences भी होती हैं।
Example:
– कोई बच्चा गणित में कमजोर है पर नृत्य में बहुत अच्छा है — उसका Bodily-Kinesthetic Intelligence मजबूत है।
Meaning:
– खुद की भावनाओं और विचारों को समझने की क्षमता।
– Self-awareness (स्व-जागरूकता)।
Example:
– बच्चा जानता है कि “मुझे चित्र बनाना पसंद है और मैं अकेले काम करने में अच्छा हूँ।”
Meaning:
– दूसरों के साथ संबंध बनाना, समझना और सहयोग करना।
– Teamwork और Empathy से जुड़ी बुद्धिमत्ता।
Example:
– समूह कार्य में जो बच्चा सबको जोड़कर रखता है, उसकी interpersonal intelligence अच्छी है।
Meaning:
– यह learning का वह क्षेत्र है जो सोचने, समझने, याद रखने और समस्या सुलझाने से जुड़ा है।
Example:
– बच्चा कविता याद करता है (remember),
उसका अर्थ समझाता है (understand),
और उसका प्रयोग कहानी में करता है (apply)।
Meaning:
– किसी विषय को भागों में बाँटकर समझना।
– “क्यों?” और “कैसे?” के उत्तर देना।
Example:
– कहानी के पात्रों की तुलना करना – कौन सही था और क्यों?
Meaning:
– किसी विचार या कार्य का निर्णय या मूल्यांकन (judgement) करना।
Example:
– फिल्म देखकर कहना “यह कहानी प्रेरणादायक थी क्योंकि इसमें मेहनत दिखाई गई।”
Meaning:
– पुराने ज्ञान का उपयोग करके कुछ नया बनाना।
– यह learning का सबसे ऊँचा स्तर है।
Example:
– बच्चा नया प्रयोग बनाता है या कविता लिखता है।
Meaning:
– अपनी सोच और सीखने की प्रक्रिया को समझने की क्षमता।
– “मैं कैसे सीखता हूँ?” इसका बोध होना।
Example:
– बच्चा खुद से पूछता है – “क्या मैं यह अध्याय ठीक से समझ पाया?”
Meaning:
– ऐसा शिक्षक जो सिखाता नहीं बल्कि सीखने में मदद करता है।
– Modern teacher = Facilitator, not Dictator.
Example:
– शिक्षक कहता है “खुद प्रयोग करो और मुझे बताओ क्या पाया।”
Meaning:
– ऐसे कौशल जो केवल याद रखने तक सीमित नहीं, बल्कि विश्लेषण, मूल्यांकन और सृजन तक जाते हैं।
Example:
– बच्चा नया खेल डिजाइन करता है जिसमें गणित के नियम शामिल हों।
Meaning:
– जब बच्चा खुद भाग लेता है, करता है, सोचता है, और अनुभव से सीखता है।
Example:
– शिक्षक lecture देने की जगह बच्चे से गतिविधि कराता है — जैसे role play, model making, experiment.
✅ Bruner:
Discovery Learning → खुद खोजकर सीखना।
Spiral Curriculum → बढ़ती कठिनाई के साथ विषय दोहराना।
Teacher = Facilitator.
✅ Piaget:
Schema, Assimilation, Accommodation → सोच का निर्माण और परिवर्तन।
Learning = Active mental process.
✅ Vygotsky:
ZPD + Scaffolding → सहायता से सीखना।
Social Interaction → सीखने की जड़।
✅ Gardner:
8 Intelligences (Linguistic, Logical, Spatial, Musical, Bodily, Interpersonal, Intrapersonal, Naturalistic).
हर बच्चा अलग तरीके से intelligent होता है।
✅ Bloom (Revised):
6 Levels → Remember → Understand → Apply → Analyze → Evaluate → Create.
Focus on Higher-Order Thinking Skills (HOTS).
✅ Common Keywords:
Constructivism = Learning by doing.
Facilitation = Teacher as guide.
Active Learning = Participation & experience-based learning.
Creativity & Critical Thinking = CTET pedagogy ke main focus area.
🌿 Final Thought:
“A good teacher doesn’t fill the mind with facts —
he awakens the mind to think, explore, and create.”
(ब्रूनर का खोज आधारित अधिगम और सर्पिल पाठ्यक्रम)
Jerome Bruner (1915–2016) एक प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक (American psychologist) और शिक्षा सिद्धांतकार (education theorist) थे।
वे Cognitive Development (संज्ञानात्मक विकास) पर कार्य करते थे और Constructivism (रचनावाद) के समर्थक थे।
उनका मानना था कि —
“Learning is an active process in which learners construct new ideas based on their current or past knowledge.”
यानी सीखना एक सक्रिय प्रक्रिया है, जिसमें छात्र अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर नई जानकारी बनाते हैं।
Bruner ने दो महत्वपूर्ण विचार दिए —
Discovery Learning (खोज आधारित अधिगम)
Spiral Curriculum (सर्पिल पाठ्यक्रम)
Discovery Learning का मतलब है — विद्यार्थी खुद अपनी मेहनत और खोज से ज्ञान प्राप्त करें।
इसमें शिक्षक सीधे उत्तर नहीं बताते, बल्कि संकेत (hints) या स्थितियाँ (situations) देते हैं ताकि छात्र स्वयं सोचकर उत्तर खोजें।
इससे बच्चे में Critical thinking (आलोचनात्मक सोच) और Problem-solving ability (समस्या सुलझाने की क्षमता) विकसित होती है।
Active Participation (सक्रिय भागीदारी):
छात्र निष्क्रिय श्रोता नहीं, बल्कि ज्ञान के निर्माता (Constructor) होते हैं।
➤ Example: शिक्षक बच्चों को “पानी क्यों जमता है?” पूछकर खुद प्रयोग करने देता है, बजाय सीधे बताने के।
Learning by Doing (करके सीखना):
Bruner का मानना था कि “Doing leads to understanding” — जब बच्चे खुद कुछ करते हैं, तब वे गहराई से समझते हैं।
➤ Example: गणित में “त्रिभुज का क्षेत्रफल” सिखाने की बजाय, बच्चों को अलग-अलग त्रिभुज बनाकर क्षेत्रफल निकालने दें।
Teacher as a Guide (शिक्षक मार्गदर्शक के रूप में):
शिक्षक “Information-giver” नहीं, बल्कि “Facilitator” होता है।
➤ Example: शिक्षक केवल संकेत देता है — “सोचो अगर पानी गर्म हो जाए तो क्या होगा?”
Intrinsic Motivation (आंतरिक प्रेरणा):
बच्चा खुद से सीखने में रुचि महसूस करता है क्योंकि वह खोज कर रहा होता है।
Meaningful Learning (अर्थपूर्ण अधिगम):
बच्चे जो खुद खोजते हैं, उसे लंबे समय तक याद रखते हैं क्योंकि यह अनुभव आधारित होता है।
जब बच्चा खुद खिलौने के पुर्ज़े जोड़कर कार बनाता है, तो वह “Discovery Learning” कर रहा होता है।
वह “कैसे काम करता है?” यह खुद समझता है — बिना किसी सीधी जानकारी के।
Spiral Curriculum का अर्थ है — किसी विषय को बार-बार (repeatedly) लेकिन हर बार गहराई (in increasing depth) से सिखाना।
बच्चे की समझ (understanding) धीरे-धीरे विकसित होती है, इसलिए किसी विषय को एक बार में पूरा नहीं, बल्कि धीरे-धीरे स्तर बढ़ाते हुए पढ़ाया जाना चाहिए।
Repetition with Progress (दोहराव के साथ प्रगति):
विषय बार-बार दोहराया जाता है लेकिन हर बार नए दृष्टिकोण या कठिनाई स्तर के साथ।
➤ Example:
कक्षा 1 में — “सूर्य पृथ्वी को रोशनी देता है।”
कक्षा 3 में — “सूर्य और पृथ्वी की दूरी।”
कक्षा 6 में — “सौरमंडल की रचना।”
Build on Prior Knowledge (पूर्व ज्ञान पर आधारित):
नई जानकारी पुरानी जानकारी से जुड़ती है, जिससे समझ गहरी होती है।
➤ Example: अगर बच्चा पहले “पौधों को पानी चाहिए” जानता है, तो आगे वह “पौधों में प्रकाश संश्लेषण कैसे होता है” समझ सकता है।
Developmentally Appropriate (विकास स्तर के अनुसार):
हर बार विषय को बच्चे की उम्र और संज्ञानात्मक स्तर के अनुसार ढाला जाता है।
Long-term Retention (दीर्घकालिक स्मृति):
बार-बार revisiting से ज्ञान स्थायी (permanent) हो जाता है।
“भिन्न (Fractions)” का कॉन्सेप्ट —
कक्षा 2 में: आधा (½), चौथाई (¼) सीखना।
कक्षा 4 में: समान हर (like denominators) जोड़ना।
कक्षा 6 में: असमान हर (unlike denominators) जोड़ना।
यह Spiral Curriculum का सबसे सरल classroom उदाहरण है।
Bruner ने कहा कि सीखना तीन तरीकों से होता है —
Enactive Mode (क्रियात्मक रूप)
बच्चा करके सीखता है (learning by doing)।
➤ Example: बच्चा गेंद फेंककर “गति” समझता है।
Iconic Mode (चित्रात्मक रूप)
बच्चा चित्रों या छवियों से समझता है।
➤ Example: पौधों के चित्र देखकर उसके भाग पहचानना।
Symbolic Mode (प्रतीकात्मक रूप)
बच्चा भाषा, शब्द या संख्याओं के प्रतीक से सीखता है।
➤ Example: गणितीय सूत्र लिखना या शब्दों से विचार व्यक्त करना।
👉 ये तीनों चरण क्रमशः बच्चे की संज्ञानात्मक परिपक्वता (Cognitive maturity) दिखाते हैं।
Child-Centered Learning (बाल-केंद्रित शिक्षण):
शिक्षक को बच्चों की जिज्ञासा (curiosity) और अनुभव पर आधारित शिक्षा देनी चाहिए।
Learning by Discovery Activities:
प्रयोग, मॉडल, प्रश्नोत्तरी, कहानी, field work जैसी गतिविधियों से बच्चों को खोज करने दें।
Use of Spiral Approach:
विषयों को एक बार में पूरा न कर, स्तर के अनुसार पुनः सिखाएँ।
Encourage Thinking and Questioning:
बच्चों को प्रश्न पूछने दें — “क्यों?”, “कैसे?” — इससे उनकी सोच गहरी होती है।
Teacher’s Role as Facilitator:
शिक्षक बच्चों को “Guided discovery” करवाएँ, सीधे उत्तर न दें।
Connect New Learning with Previous Knowledge:
हर नई जानकारी पुराने अनुभव से जोड़ी जानी चाहिए।
Bruner = Cognitive Constructivist
Discovery Learning = खुद खोजकर सीखना
➤ Teacher = Guide
➤ Focus = Active participation, problem-solving, creativity
Spiral Curriculum = एक विषय को बार-बार बढ़ती गहराई से पढ़ाना
➤ Focus = Repetition + Deep understanding
Modes of Representation:
Enactive (करके सीखना)
Iconic (चित्र से सीखना)
Symbolic (प्रतीक से सीखना)
Teacher’s Role: Facilitator, motivator, guide
Main Goal: बच्चा खुद सोचकर सीखने वाला बने, रटने वाला नहीं।
🪶 Final Thought:
“Bruner ने सिखाया — बच्चों को जवाब मत दो, उन्हें खोजने का रास्ता दिखाओ।” 🌱👩🏫
(रचनावाद – पियाजे, वायगोत्स्की और ब्रूनर के अनुसार, कक्षा में उपयोग)
Constructivism (रचनावाद) एक शिक्षा सिद्धांत है जिसमें कहा गया है कि —
“Learners actively construct their own knowledge based on experience and interaction.”
यानी बच्चे स्वयं अपने अनुभवों (experiences) और परिवेश (environment) से ज्ञान का निर्माण करते हैं।
इसका मतलब यह नहीं कि शिक्षक ज्ञान “देता” है, बल्कि बच्चा खुद बनाता (construct करता) है।
➤ Example: अगर बच्चे से कहा जाए “पानी क्यों गिरता है?”, तो वह खुद सोचकर कारण बताने की कोशिश करता है। यही रचनावादी सोच है।
Constructivism में learning = active process (सक्रिय प्रक्रिया) होती है, न कि रटने की प्रक्रिया।
Constructivism दो प्रकार का होता है —
Individual Constructivism (व्यक्तिगत रचनावाद) – पियाजे के अनुसार
Social Constructivism (सामाजिक रचनावाद) – वायगोत्स्की के अनुसार
Jean Piaget का मानना था कि बच्चा ज्ञान अपने अनुभवों और वातावरण के साथ संपर्क (interaction) से स्वयं बनाता है।
उन्होंने कहा कि बच्चा सक्रिय (active learner) होता है, और वह स्वयं प्रयोग करके सीखता है।
पियाजे ने ज्ञान निर्माण को 4 Stages of Cognitive Development में बाँटा —
Sensori-Motor (0–2 वर्ष)
Pre-Operational (2–7 वर्ष)
Concrete Operational (7–11 वर्ष)
Formal Operational (11+ वर्ष)
Assimilation (अभिग्रहण):
नई जानकारी को पुराने अनुभवों में मिलाना।
➤ Example: बच्चा पहली बार ऊँट देखता है, तो उसे “घोड़ा” कह देता है — क्योंकि उसका पुराना अनुभव “चार पैर वाला जानवर” है।
Accommodation (अनुकूलन):
जब पुराना अनुभव नई जानकारी से मेल नहीं खाता, तो बच्चा अपना विचार बदल देता है।
➤ Example: बच्चा समझता है कि “घोड़ा और ऊँट अलग-अलग हैं” — यह अनुकूलन है।
Equilibration (संतुलन):
Assimilation और Accommodation के बीच संतुलन बनाना ही सीखने की प्रक्रिया है।
बच्चे को स्वयं सोचने और खोजने का अवसर दो।
बच्चों को concrete materials जैसे ब्लॉक्स, चार्ट, मॉडल से सीखने दो।
गलतियाँ करने दो — क्योंकि गलतियाँ सीखने का हिस्सा हैं।
बच्चों की उम्र और सोच के स्तर (developmental stage) को ध्यान में रखकर पढ़ाओ।
Lev Vygotsky का मानना था कि ज्ञान समाज और भाषा के माध्यम से बनता है।
“Learning is a social process.”
यानी बच्चा दूसरों से बातचीत (interaction) और सहयोग (collaboration) से सीखता है।
बच्चे का सीखना संवाद (language) और संस्कृति (culture) से प्रभावित होता है।
ZPD – Zone of Proximal Development (निकटतम विकास क्षेत्र):
यह वह क्षेत्र है जिसमें बच्चा शिक्षक या मित्र की थोड़ी मदद से सीख सकता है।
➤ Example: बच्चा अकेले जोड़ नहीं कर पा रहा, लेकिन शिक्षक की मदद से सही कर लेता है — यह ZPD है।
Scaffolding (सहारा देना):
शिक्षक बच्चे को अस्थायी सहारा (temporary support) देता है ताकि वह कठिन कार्य कर सके।
जैसे-जैसे बच्चा सक्षम होता है, सहारा घटा दिया जाता है।
➤ Example: शिक्षक शुरू में जोड़ करवाते समय मार्गदर्शन देता है, बाद में बच्चा खुद करने लगता है।
Language as a Tool (भाषा एक उपकरण):
भाषा सोचने और सीखने का माध्यम है।
जब बच्चा “Self-talk” करता है (“अब मुझे ये करना है...”), तो वह सीख रहा होता है।
Group work / Pair learning करवाओ ताकि बच्चे एक-दूसरे से सीखें।
Teacher scaffolding दे – जरूरत पड़ने पर मदद करो, फिर धीरे-धीरे हटाओ।
Interactive teaching – चर्चा, प्रश्नोत्तर, संवाद को बढ़ावा दो।
Language-based learning – बच्चों को बोलने, समझाने और चर्चा करने का अवसर दो।
Jerome Bruner ने कहा कि सीखना तभी स्थायी होता है जब बच्चा खुद ज्ञान की खोज (Discovery) करता है।
शिक्षक को सीधे उत्तर नहीं बताने चाहिए, बल्कि संकेत (hints) देकर बच्चे को सोचने पर मजबूर करना चाहिए।
उन्होंने Spiral Curriculum का विचार दिया – विषय बार-बार, लेकिन हर बार गहराई से सिखाओ।
बच्चों को questions पूछने और experiments करने के लिए प्रेरित करो।
Teacher as facilitator – सीधे उत्तर देने की बजाय सोचने को प्रेरित करो।
Activity-based learning – प्रयोग, मॉडल, projects से बच्चों को खुद सीखने दो।
Revisit concepts – पहले पढ़े विषयों को धीरे-धीरे गहराई से दोहराओ।
Child-centered classroom:
शिक्षण का केंद्र “शिक्षक” नहीं, “बच्चा” होना चाहिए।
Active learning:
बच्चों को करने, बोलने, सोचने, और खोजने का मौका दो।
Collaborative learning:
समूहों में कार्य करवाओ ताकि बच्चे एक-दूसरे से सीखें (Vygotsky)।
Use of real-life examples:
विषय को बच्चों के जीवन से जोड़ो ताकि सीखना अर्थपूर्ण हो।
Scaffolding and Guidance:
शिक्षक “मार्गदर्शक” बने, जो बच्चों को कठिन कार्य करने में सहारा दे (ZPD)।
Encourage questioning and curiosity:
बच्चे को “क्यों?”, “कैसे?”, “क्या होगा अगर?” जैसे प्रश्न पूछने दो (Bruner)।
Assessment through activities:
केवल लिखित परीक्षा नहीं, बल्कि बच्चों के अनुभव, प्रयोग और बातचीत से भी मूल्यांकन करो।
Constructivism: Knowledge is constructed, not given.
Piaget (Individual Constructivism):
➤ बच्चा खुद अनुभव से सीखता है।
➤ Concepts: Assimilation, Accommodation, Equilibration.
Vygotsky (Social Constructivism):
➤ बच्चा समाज, भाषा और सहयोग से सीखता है।
➤ Concepts: ZPD, Scaffolding, Role of language.
Bruner (Discovery Learning):
➤ बच्चा खुद खोज करके सीखता है।
➤ Concepts: Discovery Learning, Spiral Curriculum.
Teacher’s Role:
➤ Facilitator, Guide, Motivator.
➤ Learning environment = Active + Collaborative + Meaningful.
🪶 Final Thought:
“बच्चों को उत्तर देने से ज्यादा जरूरी है उन्हें सोचने की आदत देना।”
– Constructivist Teaching का असली सार यही है 🌱👩🏫
यह सिद्धांत Howard Gardner (हावर्ड गार्डनर) ने 1983 में दिया था।
उनका मानना था कि Intelligence (बुद्धि) सिर्फ IQ (Intelligence Quotient) तक सीमित नहीं है।
हर व्यक्ति में एक नहीं, बल्कि कई प्रकार की बुद्धियाँ (Multiple Intelligences) होती हैं।
हर व्यक्ति की कुछ बुद्धियाँ मजबूत (strong) होती हैं और कुछ कमज़ोर (weak)।
स्कूल या शिक्षा प्रणाली को हर प्रकार की बुद्धि को विकसित करने का अवसर देना चाहिए।
🔹 Example:
कोई बच्चा गणित में कमजोर है पर गाना बहुत अच्छा गाता है — इसका मतलब है कि उसमें Musical Intelligence अधिक है।
हर बच्चा unique (अद्वितीय) है और अलग तरीके से सीखता है।
“One-size-fits-all” शिक्षण पद्धति सही नहीं है।
शिक्षण ऐसा होना चाहिए जो बच्चों की विभिन्न क्षमताओं (abilities) को पहचानकर विकसित करे।
शिक्षक का कार्य है –
➤ हर बच्चे की बुद्धि को पहचानना
➤ और उसके अनुरूप सीखने का अवसर देना।
Meaning: भाषा को समझने, बोलने, लिखने और प्रयोग करने की क्षमता।
Examples:
जो बच्चे कहानी, कविता, भाषण, या लेखन में अच्छे हों।
जैसे — कवि, लेखक, पत्रकार, वक्ता।
Classroom Example:
बच्चा निबंध अच्छे से लिखता है या कहानी सुनाने में निपुण है।
➡ ऐसे बच्चों के लिए debate, storytelling, reading activities फायदेमंद हैं।
Meaning: तर्क (reasoning), गणना (calculation), समस्या समाधान (problem solving) की क्षमता।
Examples:
जो बच्चे puzzles, गणित के सवाल, या प्रयोगात्मक सोच में अच्छे हों।
जैसे — वैज्ञानिक, गणितज्ञ, इंजीनियर।
Classroom Example:
बच्चा जल्दी-जल्दी सवाल हल कर लेता है या patterns पहचान लेता है।
➡ ऐसे बच्चों के लिए problem-solving activities, experiments उपयुक्त हैं।
Meaning: प्रकृति, पेड़-पौधों, जानवरों, मौसम आदि से जुड़ी समझ।
Examples:
जो बच्चे जानवरों, पौधों या पर्यावरण में रुचि रखते हैं।
जैसे — जीवविज्ञानी (biologist), किसान, पर्यावरणविद (environmentalist)।
Classroom Example:
बच्चा पौधों के नाम याद रखता है या पर्यावरण पर projects बनाना पसंद करता है।
➡ ऐसे बच्चों के लिए nature walks, science projects अच्छे रहते हैं।
Meaning: चीज़ों को चित्र, आकार या दिशा के रूप में समझने की क्षमता।
Examples:
जो बच्चे drawing, painting, designing या maps समझने में अच्छे हों।
जैसे — कलाकार (artist), वास्तुकार (architect), designer।
Classroom Example:
बच्चा diagrams अच्छी तरह बनाता है या maps में directions पहचान लेता है।
➡ ऐसे बच्चों के लिए art, model-making, map reading जैसे कार्य फायदेमंद हैं।
Meaning: शरीर का प्रयोग करके सीखने और अभिव्यक्त करने की क्षमता।
Examples:
जो बच्चे खेल, नृत्य, अभिनय या crafts में अच्छे हों।
जैसे — खिलाड़ी (athlete), नर्तक (dancer), अभिनेता (actor)।
Classroom Example:
बच्चा role-play में अच्छा है या experiments करना पसंद करता है।
➡ ऐसे बच्चों को drama, dance, physical activities से सिखाओ।
Meaning: ध्वनि, लय (rhythm), सुर (tone) और संगीत की समझ।
Examples:
जो बच्चे गाने, वाद्ययंत्र बजाने या धुन पहचानने में निपुण हों।
जैसे — गायक (singer), संगीतकार (composer), संगीत शिक्षक।
Classroom Example:
बच्चा poems या rhymes जल्दी याद कर लेता है।
➡ ऐसे बच्चों को rhymes, musical instruments, sound activities में शामिल करो।
Meaning: दूसरों को समझने और उनके साथ अच्छा संबंध बनाने की क्षमता।
Examples:
जो बच्चे group activities में अच्छे हों, और दूसरों की भावनाएँ समझ सकें।
जैसे — शिक्षक (teacher), नेता (leader), सामाजिक कार्यकर्ता।
Classroom Example:
बच्चा अपने साथियों की मदद करता है या समूह चर्चा में सक्रिय रहता है।
➡ ऐसे बच्चों के लिए group work, leadership roles अच्छे रहते हैं।
Meaning: स्वयं की भावनाओं, विचारों और लक्ष्यों को समझने की क्षमता।
Examples:
जो बच्चे introspective (आत्मचिंतनशील) हों या अकेले काम करना पसंद करते हों।
जैसे — लेखक, विचारक, मनोवैज्ञानिक।
Classroom Example:
बच्चा अकेले काम करना पसंद करता है, diary लिखता है या अपने विचार व्यक्त करता है।
➡ ऐसे बच्चों को self-assessment, journaling, personal projects दिए जाएँ।
Child-centered learning:
हर बच्चे की अलग बुद्धि को पहचानो और उसी के अनुसार सिखाओ।
Variety in teaching methods:
केवल lecture नहीं, बल्कि songs, visuals, experiments, discussions आदि का उपयोग करो।
Assessment में विविधता:
हर बच्चे को अलग-अलग तरीके से अपनी क्षमता दिखाने का अवसर दो।
➤ Example: कोई बच्चा oral exam में अच्छा है, कोई practical में।
Equal respect for all abilities:
केवल गणित या भाषा में अच्छे बच्चों को “intelligent” मत मानो — सभी बुद्धियों को समान महत्व दो।
Learning by doing:
बच्चों को अनुभव के माध्यम से सीखने का अवसर दो।
Collaborative learning:
Interpersonal intelligence वाले बच्चों को दूसरों की मदद करने दो।
Gardner (1983): हर व्यक्ति में 8 प्रकार की बुद्धियाँ होती हैं।
Main Idea: Intelligence ≠ IQ only; it’s multi-dimensional (बहुआयामी)।
8 Intelligences:
Linguistic (भाषिक)
Logical–Mathematical (तार्किक–गणितीय)
Visual–Spatial (दृश्य–स्थानिक)
Bodily–Kinesthetic (शारीरिक–गतिशील)
Musical (संगीतात्मक)
Interpersonal (अंतरव्यक्तिक)
Intrapersonal (आत्मव्यक्तिक)
Naturalistic (प्राकृतिक)
Teacher’s Role: हर बुद्धि की पहचान करो, विविध गतिविधियाँ दो, और समान अवसर दो।
🌱 Final Thought:
“हर बच्चा बुद्धिमान है — बस उसकी बुद्धि को सही दिशा देने वाला शिक्षक चाहिए।” 👩🏫
(ब्लूम का वर्गीकरण – संशोधित संज्ञानात्मक क्षेत्र)
Benjamin Bloom (1956) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने शिक्षा में Learning Objectives (सीखने के उद्देश्य) को वर्गीकृत करने का तरीका दिया।
Bloom ने कहा कि सीखना केवल ज्ञान याद करने (Knowledge) तक सीमित नहीं है, बल्कि सोचने (Thinking) और समझने (Understanding) की भी प्रक्रिया है।
उन्होंने अधिगम (learning) को तीन क्षेत्रों में बाँटा –
Cognitive Domain (संज्ञानात्मक क्षेत्र) → ज्ञान और बुद्धि से जुड़ा।
Affective Domain (भावात्मक क्षेत्र) → भावनाओं और मूल्यों से जुड़ा।
Psychomotor Domain (क्रियात्मक क्षेत्र) → शारीरिक या व्यावहारिक कौशल से जुड़ा।
CTET के लिए सबसे महत्वपूर्ण है — Cognitive Domain।
1956 में Bloom ने संज्ञानात्मक क्षेत्र को 6 स्तरों (levels) में बाँटा था:
Knowledge → Comprehension → Application → Analysis → Synthesis → Evaluation
लेकिन शिक्षा की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार इसे 2001 में संशोधित (revised) किया गया।
Anderson & Krathwohl ने Bloom के मॉडल को modern education के अनुसार update किया।
उन्होंने nouns (संज्ञा रूप) की जगह verbs (क्रिया रूप) का उपयोग किया, ताकि यह learning actions (सीखने की क्रियाओं) पर आधारित हो सके।
उन्होंने Synthesis (संश्लेषण) को हटा कर उसकी जगह Creating (सृजन करना) रखा और उसे सबसे उच्च स्तर बनाया।
📌 Revised order (low to high):
Remember → Understand → Apply → Analyze → Evaluate → Create
अब हम हर स्तर को विस्तार से समझते हैं 👇
Meaning:
सीखी हुई जानकारी को याद रखना और पहचानना।
यह learning का सबसे पहला और निम्न स्तर (lowest level) है।
Keywords: Define, List, Recall, Identify
Classroom Example:
छात्र शब्दों के अर्थ याद करे।
शिक्षक पूछे — “Water boils at how many degrees?”
➡ बच्चा केवल उत्तर याद करके बताता है — “100°C.”
Daily Life Example:
मोबाइल नंबर या कविता याद करना।
Meaning:
जानकारी को अपने शब्दों में समझना या व्याख्या करना।
बच्चा केवल याद नहीं करता, बल्कि मतलब समझता है।
Keywords: Explain, Describe, Summarize, Interpret
Classroom Example:
शिक्षक पूछे — “पानी उबलने पर भाप क्यों बनता है?”
➡ बच्चा उत्तर देता है कि “गर्मी मिलने से पानी गैस में बदल जाता है।”
Daily Life Example:
बच्चा समझाए कि सूरज डूबने पर अंधेरा क्यों होता है।
Meaning:
जो सीखा है, उसे नई स्थिति में उपयोग करना।
यानी Knowledge का प्रयोग करना।
Keywords: Use, Solve, Demonstrate, Apply
Classroom Example:
गणित में शिक्षक सिखाता है “गुणा कैसे करें”
➡ बच्चा उस सूत्र का उपयोग नए सवाल हल करने में करता है।
Daily Life Example:
रेसिपी याद करने के बाद खाना बनाना।
Meaning:
किसी चीज़ को भागों में बाँटकर उसका कारण, संबंध और संरचना समझना।
“क्यों?” और “कैसे?” वाले सवालों का उत्तर।
Keywords: Compare, Contrast, Examine, Differentiate
Classroom Example:
छात्र दो कहानियों के पात्रों की तुलना करें।
“दोनों में कौन सा पात्र सही निर्णय लेता है?”
Daily Life Example:
बच्चा सोचता है — “मैंने परीक्षा में अच्छा स्कोर क्यों नहीं किया?”
Meaning:
किसी विचार या निर्णय की अच्छाई-बुराई पर निर्णय देना (judgement)।
तर्क के आधार पर निर्णय लेना।
Keywords: Judge, Justify, Criticize, Argue
Classroom Example:
शिक्षक पूछे — “किसी एक कहानी में नायक का निर्णय सही था या गलत? कारण बताओ।”
➡ बच्चा अपने तर्क देता है।
Daily Life Example:
फिल्म देखकर कहना – “यह कहानी प्रेरणादायक थी क्योंकि इसमें संघर्ष दिखाया गया।”
Meaning:
नई चीज़ या नया विचार बनाना।
यह learning का सबसे ऊँचा स्तर (highest level) है।
Keywords: Design, Construct, Develop, Compose, Invent
Classroom Example:
छात्र खुद कहानी लिखता है या नया प्रयोग बनाता है।
“अगर पानी न हो, तो हम ऊर्जा कैसे बनाएँगे?” जैसे सवालों पर बच्चे नए समाधान सोचते हैं।
Daily Life Example:
बच्चा waste material से खिलौना बनाता है।
Learning Objectives लिखने में मदद:
शिक्षक “Students will be able to…” जैसे learning outcomes Bloom’s levels के अनुसार लिख सकते हैं।
Balanced Teaching:
शिक्षण केवल याद करने तक सीमित न रहे — बल्कि higher-order thinking (उच्च सोच कौशल) तक पहुँचे।
Assessment में विविधता:
प्रश्न ऐसे हों जो याद कराने के साथ-साथ समझ, प्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन को भी जाँचें।
Activity Design:
प्रत्येक स्तर पर अलग-अलग गतिविधियाँ तैयार की जा सकती हैं।
➤ Example:
Remember → Quiz
Apply → Experiment
Create → Project work
Critical Thinking का विकास:
उच्च स्तर के सोच कौशल (Analyze, Evaluate, Create) छात्रों में आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच विकसित करते हैं।
Child-centered Learning:
बच्चों की सोचने, तर्क करने और सृजन करने की क्षमता को बढ़ावा देता है।
Bloom (1956): Learning Objectives को 3 domains में बाँटा।
Revised (Anderson, 2001): Cognitive domain को नया रूप दिया।
6 Levels (Low → High):
Remember (याद करना)
Understand (समझना)
Apply (लागू करना)
Analyze (विश्लेषण करना)
Evaluate (मूल्यांकन करना)
Create (सृजन करना)
Teacher’s Use: Lesson plan, objectives, activities और assessment Bloom’s levels पर आधारित हों।
Goal: बच्चों में केवल याद रखने की नहीं, बल्कि सोचने, समझने और बनाने की क्षमता विकसित करना।
🌱 Final Thought:
“Learning doesn’t end with remembering; it begins there.”
— Bloom’s message to every teacher 👩🏫
📋 Topics:-
Meaning: सोचने (thinking), समझने (understanding), समस्याओं को हल करने (problem-solving), और अनुभव से सीखने (learning from experience) की क्षमता।
Example:
जब कोई बच्चा गणित की नई समस्या को अपने पुराने ज्ञान से हल करता है — यही intelligence है।
Meaning: किसी विशेष काम को करने की प्राकृतिक क्षमता (natural ability) या संभावना (potential)।
यह जरूरी नहीं कि अभी दिखे — यह भविष्य की संभावना है।
Example:
एक बच्चा आसानी से संगीत के सुर पहचान लेता है — यह उसका musical aptitude है।
Meaning: नई और मौलिक सोच (new & original ideas) के माध्यम से कुछ नया बनाना या सोचना।
Example:
अगर कोई बच्चा पुराने खिलौनों से नई गाड़ी बना देता है, तो यह उसकी creativity है।
Meaning: किसी व्यक्ति की मानसिक आयु (mental age) और कालानुक्रमिक आयु (chronological age) का अनुपात।
Formula:
IQ = (Mental Age / Chronological Age) × 100
Example:
अगर 10 साल के बच्चे की मानसिक आयु 12 साल है → IQ = (12/10)×100 = 120 (above average)।
Meaning: किसी गुण या क्षमता को संख्यात्मक रूप (numerical form) में व्यक्त करना।
Example:
Intelligence को मापने के लिए IQ Test या Aptitude Test का उपयोग किया जाता है।
Meaning: किसी बड़ी चीज़ को बनाने वाला छोटा भाग या तत्व।
Example:
Spearman के अनुसार G Factor (General Ability) और S Factor (Specific Ability) — बुद्धि के दो प्रमुख घटक हैं।
Meaning: वह क्षमता जो हर प्रकार के मानसिक कार्यों में समान रूप से उपयोग होती है।
Example:
एक बच्चा गणित और भाषा दोनों में अच्छा है — क्योंकि उसकी general intelligence मजबूत है।
Meaning: वह क्षमता जो किसी विशेष कार्य में उपयोग होती है।
Example:
कोई बच्चा drawing में अच्छा है लेकिन maths में नहीं — इसका मतलब उसकी specific ability कला में है।
Meaning: Thurstone के अनुसार बुद्धिमत्ता एक नहीं बल्कि कई क्षमताओं का समूह है (जैसे reasoning, memory, speed)।
Example:
किसी बच्चे का vocabulary बहुत अच्छा है लेकिन reasoning कमजोर है — दोनों अलग-अलग abilities हैं।
Meaning: किसी समस्या को तर्क (logic) और reasoning से हल करने की क्षमता।
Example:
Maths की sums को logical steps में हल करना — analytical intelligence है।
Meaning: नई या अनोखी situations में original ideas का उपयोग करने की क्षमता।
Example:
अगर बच्चे से कहा जाए — “बिना scale के table की लंबाई कैसे नापोगे?” और वह कोई नया तरीका सोच ले, तो यह creative intelligence है।
Meaning: Daily life problems को समझदारी से हल करने की क्षमता।
Example:
अगर बच्चा खेल में हारने के बाद अपने टीम को motivate करता है — वह practical intelligence दिखा रहा है।
Meaning: एक प्रश्न के कई अलग-अलग उत्तर सोचने की क्षमता।
Example:
Question: “Paper का क्या उपयोग हो सकता है?”
Answers: drawing, folding, wrapping, writing… → यही divergent thinking है।
Meaning: कई विचारों में से एक सही उत्तर चुनने की क्षमता।
Example:
Multiple-choice question में सही उत्तर चुनना — convergent thinking का उदाहरण है।
Meaning: जब व्यक्ति किसी समस्या से थोड़ा विराम लेता है लेकिन दिमाग अंदर ही अंदर काम करता रहता है।
Example:
अगर बच्चा किसी कहानी का अंत नहीं सोच पा रहा और थोड़ी देर बाद अचानक नया अंत सूझ जाए → यह incubation है।
Meaning: अचानक कोई नया विचार या समाधान सूझ जाना।
Example:
“अरे! यही तरीका है!” — यह illumination stage का real moment है।
Meaning: नए विचार को परखना (testing) और देखना कि वह वास्तव में काम करता है या नहीं।
Example:
Science project में नया idea प्रयोग करके देखना — यही verification stage है।
Meaning: किसी विषय पर कई नए और अलग-अलग विचार एक साथ सोचना।
Example:
Teacher कहे — “हम स्कूल को और सुंदर कैसे बना सकते हैं?”
बच्चे अलग-अलग सुझाव दें → यह brainstorming है।
Meaning: नई चीज़ों को जानने या समझने की तीव्र इच्छा।
Example:
बच्चा पूछता है — “आसमान नीला क्यों है?” → यही curiosity है।
Meaning: जल्दी-जल्दी कई ideas या जवाब सोचने की क्षमता।
Example:
Teacher पूछे — “Paper के 10 उपयोग बताओ” और बच्चा तुरंत 10 बताता है → fluency of ideas।
Meaning: एक विचार से दूसरे विचार पर आसानी से जाना।
Example:
अगर बच्चा drawing से story-writing पर आसानी से स्विच करे → उसकी सोच में flexibility है।
Meaning: अपने अनोखे और नए विचार रखना, नकल नहीं।
Example:
अगर बच्चा खुद की कविता बनाए, न कि किताब से कॉपी करे → यह originality है।
Meaning: किसी idea को विस्तार से समझाना या विकसित करना।
Example:
अगर बच्चा कहानी की outline को पूरी कहानी में बदल दे → उसने elaboration skill दिखाया।
Meaning:
Divergent Thinking: एक प्रश्न के कई उत्तर।
Convergent Thinking: कई उत्तरों में से एक सही।
Example:
“Sunlight का क्या उपयोग है?” (Divergent)
“Sunlight में कौन-सी Vitamin होती है?” (Convergent)
Meaning: कोई ऐसी चीज़ जो सोचने या कार्य करने के लिए प्रेरित करे।
Example:
Teacher एक तस्वीर दिखाकर कहे — “इस पर कहानी बनाओ।” → वह तस्वीर एक stimulus है।
Intelligence = सीखने, समझने, और समस्याएँ हल करने की क्षमता।
Aptitude = किसी विशेष कार्य की भविष्य की क्षमता या झुकाव।
Creativity = मौलिक और उपयोगी विचार उत्पन्न करने की शक्ति।
IQ = मानसिक और कालानुक्रमिक आयु का अनुपात × 100।
Spearman: G-Factor (General) + S-Factor (Specific)।
Thurstone: 7 Primary Mental Abilities।
Sternberg: Triarchic Theory (Analytical, Creative, Practical)।
Stages of Creativity: Preparation → Incubation → Illumination → Verification।
To Foster Creativity: Open-ended questions, freedom of expression, brainstorming, curiosity, and positive environment।
Creative Thinking Skills: Fluency, Flexibility, Originality, Elaboration।
Teacher’s Role: Encourage mistakes, appreciate ideas, allow exploration।
Meaning (अर्थ):
Intelligence (बुद्धि) का मतलब है — सोचने, समझने, समस्याओं को हल करने और अनुभव से सीखने की क्षमता।
यह learning ability + problem-solving + reasoning का मिश्रण है।
सरल शब्दों में: “Right thing at right time in right way” करने की क्षमता ही intelligence है।
Example:
एक बच्चा नया गणित का तरीका खुद समझ लेता है — यह उसकी intelligence दिखाता है।
दूसरा बच्चा उसी काम को बार-बार कोशिश करके सीखता है — वह भी intelligent है लेकिन उसकी style अलग है।
Educational View:
हर बच्चे की बुद्धि अलग होती है।
Teacher को यह समझना चाहिए कि सभी बच्चे समान तरीके से नहीं सीखते।
Main Idea:
Spearman ने कहा कि intelligence के दो हिस्से होते हैं —
(1) General Factor (g) और (2) Specific Factor (s)
(1) General Factor (g factor):
यह common mental ability है जो हर काम में मदद करती है।
अगर किसी बच्चे का “g factor” strong है तो वह हर subject में अच्छा कर सकता है।
Example: एक बच्चा गणित, भाषा और reasoning तीनों में अच्छा है → उसके पास strong g factor है।
(2) Specific Factor (s factor):
यह special ability होती है जो किसी खास काम या subject से जुड़ी होती है।
Example: एक बच्चा drawing में अच्छा है लेकिन maths में नहीं — यह “s factor” है।
Conclusion:
Spearman ने कहा — हर व्यक्ति की overall बुद्धि general (g) और specific (s) factors का combination होती है।
Main Idea:
Thurstone ने Spearman से अलग राय दी।
उन्होंने कहा कि बुद्धि एक single unit नहीं बल्कि कई स्वतंत्र abilities (Primary Mental Abilities) का समूह है।
Thurstone की 7 Primary Mental Abilities:
Verbal Comprehension (भाषा समझने की क्षमता) – शब्दों और वाक्यों को समझना।
👉 Example: Paragraph पढ़कर अर्थ निकालना।
Word Fluency (शब्द प्रवाह) – जल्दी शब्द ढूँढना या बनाना।
👉 Example: “A से शुरू होने वाले 5 शब्द बताओ।”
Number Ability (संख्यात्मक क्षमता) – गणना और अंकों से काम करने की क्षमता।
👉 Example: तेज़ी से जोड़-घटाना करना।
Spatial Ability (स्थानिक क्षमता) – आकृतियों को समझना और घुमाना।
👉 Example: Geometry में shape को rotate करके पहचानना।
Memory (स्मृति) – याद रखने और recall करने की क्षमता।
👉 Example: कविता याद रखना।
Perceptual Speed (धारणा गति) – differences को जल्दी पहचानना।
👉 Example: दो चित्रों में फर्क जल्दी पकड़ना।
Reasoning (तर्क शक्ति) – logically सोचकर निर्णय लेना।
👉 Example: “अगर A बड़ा है B से, और B बड़ा है C से, तो सबसे बड़ा कौन?”
Conclusion:
हर व्यक्ति में ये abilities अलग-अलग मात्रा में होती हैं।
किसी में verbal ability strong होती है, किसी में number ability।
Main Idea:
Sternberg ने कहा — बुद्धि के तीन भाग (Three Components) होते हैं:
Analytical Intelligence (विश्लेषणात्मक बुद्धि)
Creative Intelligence (सृजनात्मक बुद्धि)
Practical Intelligence (व्यावहारिक बुद्धि)
(1) Analytical Intelligence:
यह problem-solving, logical reasoning, and academic skills से जुड़ी होती है।
Example: परीक्षा में प्रश्न हल करना या गणितीय समस्या सुलझाना।
(2) Creative Intelligence:
यह नई सोच (innovation) और imagination (कल्पना शक्ति) से जुड़ी होती है।
Example: कहानी या कविता लिखना, नया design बनाना।
(3) Practical Intelligence:
यह real-life situations को संभालने की क्षमता है।
Example: घर में बिजली चली जाए तो बच्चा खुद torch निकालकर पढ़ाई शुरू करे।
Conclusion:
Sternberg के अनुसार, बुद्धि सिर्फ “पढ़ाई” नहीं बल्कि “जीवन की समझ” भी है।
एक successful व्यक्ति वही है जो तीनों बुद्धियों का संतुलन रखे।
हर बच्चे की intelligence अलग प्रकार की होती है।
👉 Teacher को अलग-अलग तरीकों से पढ़ाना चाहिए।
Spearman Theory के अनुसार:
Teacher को बच्चे के g factor को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
Example: reasoning games या puzzles देना।
Thurstone Theory के अनुसार:
Activities में verbal, number, memory, reasoning सबको शामिल करना चाहिए।
Example: mixed activities – कुछ language-based, कुछ math-based।
Sternberg Theory के अनुसार:
Teaching में analytical + creative + practical तीनों प्रकार की activities दें।
Example:
Analytical → test questions
Creative → drawing/model making
Practical → real-life problem solving
Intelligence = Learning + Reasoning + Problem-solving ability
Spearman → Two factors: General (g) + Specific (s)
Thurstone → 7 Primary Mental Abilities (verbal, number, reasoning, etc.)
Sternberg → Triarchic Theory: Analytical, Creative, Practical
हर बच्चा unique होता है, इसलिए teaching methods भी diverse और flexible होने चाहिए।
CTET में याद रखें:
Spearman → 2 factors
Thurstone → 7 abilities
Sternberg → 3 components
Intelligence (बुद्धि):
सोचने, समझने, अनुभव से सीखने और समस्या हल करने की क्षमता।
यह हर व्यक्ति में अलग स्तर पर होती है।
👉 Example: कोई बच्चा गणित जल्दी सीखता है तो कोई भाषा में निपुण होता है।
IQ (Intelligence Quotient – बुद्धि लब्धि):
यह बुद्धि को संख्या (numerical form) में व्यक्त करता है।
IQ बताता है कि किसी व्यक्ति की मानसिक आयु (Mental Age) उसकी वास्तविक आयु (Chronological Age) के अनुपात में कितनी है।
Aptitude (योग्यता / रूचि):
किसी व्यक्ति की भविष्य में सीखने या सफल होने की क्षमता।
यह दर्शाता है कि व्यक्ति किस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
👉 Example: कोई बच्चा संगीत में जल्दी सीखता है, तो उसकी musical aptitude अधिक है।
Creativity (सृजनात्मकता):
नई और मौलिक सोच (Original thinking) से कुछ अलग बनाना या समस्या का नया हल निकालना।
👉 Example: कोई बच्चा waste material से सुंदर craft बना लेता है — यह creativity है।
Definition:
IQ किसी व्यक्ति की मानसिक उम्र (Mental Age) और कालानुक्रमिक उम्र (Chronological Age) के अनुपात को प्रतिशत (%) में दर्शाता है।
Formula (सूत्र):
[
IQ = \frac{Mental Age}{Chronological Age} \times 100
]
Example:
यदि एक 10 साल का बच्चा (Chronological Age = 10) की मानसिक आयु 12 वर्ष है,
तो
[
IQ = \frac{12}{10} \times 100 = 120
]
यानी बच्चा average से अधिक बुद्धिमान है।
Average IQ Range:
90–110 → Average
Above 120 → Superior / Gifted
Below 80 → Slow learner
Measurement (मापन):
IQ Tests बनाए जाते हैं ताकि बच्चे की मानसिक क्षमता को मापा जा सके।
Famous IQ Tests:
Binet-Simon Test
Stanford-Binet Test
Wechsler Intelligence Scale for Children (WISC)
Classroom Example:
Teacher यह समझने के लिए IQ Test लेता है कि बच्चा किस learning level पर है — ताकि उसके अनुसार शिक्षा दी जा सके।
Meaning:
Aptitude का अर्थ है – किसी विशेष क्षेत्र में आगे जाकर अच्छा करने की क्षमता।
यह जन्मजात भी हो सकती है और अभ्यास से विकसित भी की जा सकती है।
Example:
कोई बच्चा संगीत में जल्दी सीखता है → Musical Aptitude
कोई बच्चा गणित में pattern जल्दी पहचानता है → Numerical Aptitude
Types of Aptitude:
Verbal Aptitude: भाषा को समझने और प्रयोग करने की क्षमता।
Numerical Aptitude: संख्याओं के साथ काम करने की योग्यता।
Mechanical Aptitude: मशीन या उपकरण को समझने की क्षमता।
Artistic Aptitude: चित्र, संगीत, नृत्य जैसी कलात्मक योग्यता।
Teaching Aptitude: शिक्षण क्षेत्र में सफल होने की योग्यता।
Measurement (मापन):
Aptitude Tests लिए जाते हैं ताकि किसी व्यक्ति की विशेष क्षेत्र में क्षमता जानी जा सके।
Examples:
Differential Aptitude Test (DAT)
Teaching Aptitude Test
Vocational Guidance Tests
Classroom Example:
Teacher बच्चों के aptitude को पहचानकर उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकता है (जैसे — art, maths, science या teaching में)।
Meaning:
Creativity का अर्थ है नई सोच (original ideas) से कुछ नया और उपयोगी बनाना।
यह केवल कला तक सीमित नहीं है, बल्कि समस्या समाधान और नवाचार (innovation) से भी जुड़ी है।
Features (विशेषताएँ):
Originality (मौलिकता): खुद की नई सोच।
Fluency (प्रवाह): जल्दी-जल्दी कई ideas देना।
Flexibility (लचीलापन): एक ही समस्या के कई समाधान निकालना।
Elaboration (विस्तार): किसी idea को विस्तार से विकसित करना।
Measurement (मापन):
Creativity को मापने के लिए Torrance Tests of Creative Thinking (TTCT) और Guilford’s Tests प्रसिद्ध हैं।
Classroom Example:
जब teacher कहता है “waste materials से best craft बनाओ” → बच्चे अपनी कल्पना (imagination) दिखाते हैं → यही creativity है।
IQ:
यह बताता है कि व्यक्ति कितना समझदार (level of intelligence) है।
Focus → Present ability
Example: बच्चे का reasoning level क्या है?
Aptitude:
यह बताता है कि व्यक्ति किस क्षेत्र में अच्छा कर सकता है (future potential)।
Focus → Future potential
Example: कौन बच्चा अच्छा artist या teacher बन सकता है।
Creativity:
यह बताता है कि व्यक्ति नई सोच से समस्या कैसे हल करता है।
Focus → Original thinking and innovation
Example: कोई बच्चा नया तरीका बनाकर project पूरा करे।
Individual Differences समझना जरूरी:
सभी बच्चों का IQ, aptitude और creativity अलग-अलग होती है।
Teacher को यह समझना चाहिए कि हर बच्चा unique है।
IQ के अनुसार Teaching:
High IQ वाले बच्चों को advanced tasks देना चाहिए।
Low IQ बच्चों को extra time और simple explanations देना चाहिए।
Aptitude के अनुसार Guidance:
Teacher को बच्चे की aptitude पहचानकर career guidance देना चाहिए।
Example: अगर किसी बच्चे में mechanical aptitude है तो engineering की दिशा में प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
Creativity को बढ़ावा देना:
Open-ended questions, projects, arts, experiments से बच्चों की imagination को विकसित करें।
Example: “अगर तुम्हें नया खेल बनाना हो तो कैसे बनाओगे?” जैसे प्रश्न creativity बढ़ाते हैं।
IQ (Intelligence Quotient): Mental age ÷ Chronological age × 100
Aptitude: किसी विशेष क्षेत्र में सफलता की क्षमता
Creativity: नई और मौलिक सोच से कुछ नया बनाना
IQ → Present ability, Aptitude → Future potential, Creativity → Original ideas
Tests:
IQ → Binet, Wechsler
Aptitude → DAT, Vocational Tests
Creativity → Torrance, Guilford
Teacher’s Role:
सभी बच्चों की क्षमता के अनुसार पढ़ाना
बच्चों के hidden talents को पहचानना और उन्हें बढ़ावा देना
Meaning (अर्थ):
Creativity का अर्थ है — नई और मौलिक सोच (Original Thinking) से कुछ नया और उपयोगी बनाना।
यह केवल कला या चित्रकारी तक सीमित नहीं है; यह हर क्षेत्र में उपयोगी है – जैसे विज्ञान, भाषा, गणित या समस्या समाधान में।
Key Idea:
जब कोई व्यक्ति पुरानी जानकारी या अनुभव को जोड़कर कुछ नया और अनोखा बनाता है, तो उसे creative कहा जाता है।
Example:
एक बच्चा पुराने खिलौनों से नया game बना देता है।
एक teacher कहानी पढ़ाते समय बच्चों से कहती है – “इस कहानी का नया अंत सोचो।”
👉 यही creativity है – नए विचारों को जन्म देना (Generating new ideas).
Creativity अचानक नहीं आती। यह धीरे-धीरे 4 चरणों (stages) में विकसित होती है।
इन चार stages को सबसे पहले Graham Wallas (1926) ने बताया था।
चार चरण हैं —
1️⃣ Preparation (तैयारी)
2️⃣ Incubation (अंतःस्थापन / सोच-विचार का विश्राम चरण)
3️⃣ Illumination (अचानक विचार आना)
4️⃣ Verification (जाँच और प्रयोग)
Meaning:
यह creativity की शुरुआत (starting stage) होती है।
व्यक्ति किसी समस्या को समझने और हल ढूँढने के लिए जानकारी इकट्ठा करता है।
Process:
व्यक्ति समस्या को पहचानता है → उसके बारे में सोचता है → जानकारी इकट्ठा करता है → अलग-अलग दृष्टिकोणों से अध्ययन करता है।
Example:
एक छात्र को “water pollution” पर प्रोजेक्ट बनाना है।
वह किताबों, इंटरनेट, दोस्तों और शिक्षकों से जानकारी लेता है।
यह सब उसका preparation stage है।
Classroom Example:
Teacher कहती है — “बच्चों, नया science model बनाना है।”
बच्चे पहले materials, ideas और information इकट्ठा करते हैं।
👉 यह Preparation Stage है।
Meaning:
इस चरण में व्यक्ति थोड़ी देर सोचने से रुकता है और समस्या को दिमाग में “rest” देता है।
यह अवचेतन मन (Subconscious Mind) का काम करने वाला चरण है।
Process:
व्यक्ति जानबूझकर विचार करना छोड़ देता है, लेकिन mind अंदर से (unconsciously) सोचता रहता है।
इस दौरान दिमाग अलग-अलग ideas को जोड़ने की कोशिश करता है।
Example:
बच्चा “poster design” सोचते-सोचते थक गया, और खेलने चला गया।
कुछ समय बाद अचानक उसे नया idea सूझ गया।
👉 यह Incubation Stage थी।
Classroom Example:
जब बच्चे किसी कठिन सवाल पर सोचते-थकते हैं और बाद में बिना सोच के अचानक हल मिल जाता है — यह incubation का असर है।
Meaning:
यह वह क्षण (moment) होता है जब अचानक idea या solution दिमाग में चमकता है।
इसे “Aha! Moment” भी कहा जाता है — जब हमें लगता है “मिल गया जवाब!”
Process:
दिमाग में अचानक एक नया विचार या समाधान जन्म लेता है।
यह पहले किए गए विचारों और जानकारी के संयोजन से आता है।
Example:
किसी बच्चे को प्रोजेक्ट बनाते समय अचानक याद आता है कि “plastic bottles से model बना सकता हूँ!”
👉 यही उसका illumination stage है।
Classroom Example:
एक शिक्षक जब बच्चे से पूछता है, “क्या तुमने कोई नया तरीका सोचा?”
और बच्चा कहता है, “Yes ma’am! मुझे idea मिल गया!”
👉 यह creative illumination का संकेत है।
Meaning:
इस चरण में व्यक्ति अपने idea को जाँचता, परखता और लागू (apply) करता है।
देखा जाता है कि विचार व्यवहारिक (practical) है या नहीं।
Process:
नया idea प्रयोग (experiment) में लाया जाता है।
यदि वह काम करता है तो creativity सफल मानी जाती है।
Example:
बच्चा अपना “plastic bottle model” बनाकर teacher को दिखाता है।
अगर model ठीक से काम करता है, तो उसका idea verified है।
Classroom Example:
जब बच्चा अपना नया poem या project class में प्रस्तुत करता है — यह Verification Stage होती है।
Teacher को समझना चाहिए:
Creativity समय लेकर विकसित होती है — इसलिए बच्चों को सोचने का समय देना चाहिए।
Activities जो चारों stages को बढ़ावा देती हैं:
Preparation: Research, reading, brainstorming
Incubation: Relaxing, drawing, play time
Illumination: Group discussion, idea-sharing
Verification: Project display, model-making, experiment presentation
Teacher’s Role:
बच्चों को encourage करें कि वे अलग सोचें।
गलतियों को creativity की process का हिस्सा मानें।
“Think and Create” वातावरण बनाएं।
Creativity एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति नई और उपयोगी चीजें सोचता या बनाता है।
4 मुख्य चरण (Stages of Creativity) –
1️⃣ Preparation: जानकारी एकत्र करना और समस्या को समझना।
2️⃣ Incubation: दिमाग को विश्राम देना और अवचेतन सोच जारी रहना।
3️⃣ Illumination: अचानक idea आना (“Aha!” moment)।
4️⃣ Verification: idea की जाँच और प्रयोग।
Graham Wallas (1926) ने यह चार चरण बताए।
Classroom में उपयोग:
छात्रों को सोचने का समय देना
open-ended tasks देना
project work और group discussion से imagination बढ़ाना
Creativity (सृजनात्मकता) का मतलब है – नए विचार (new ideas) या नई चीजें बनाने की क्षमता (ability to create something new)।
यह बच्चों को रचनात्मक सोच (creative thinking), समस्या समाधान (problem solving) और स्वतंत्र अभिव्यक्ति (self-expression) की शक्ति देती है।
एक creative बच्चा सिर्फ वही नहीं करता जो बताया जाए, बल्कि अपनी कल्पना (imagination) से कुछ नया जोड़ता है।
Classroom में Creativity जरूरी क्यों है?
यह बच्चों को आत्मविश्वासी बनाती है।
सीखने को मज़ेदार (interesting) और अर्थपूर्ण (meaningful) बनाती है।
बच्चों की सोच और कल्पना शक्ति को विस्तार देती है।
Teacher एक guide (मार्गदर्शक) और facilitator (सहायक) की भूमिका निभाता है।
Creativity को बढ़ाने के लिए शिक्षक को बच्चों को “सोचने की आज़ादी (freedom to think)” देनी चाहिए।
Rigid discipline या rote learning creativity को दबा देता है।
शिक्षक को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहाँ बच्चे गलतियों से डरें नहीं (not fear mistakes) और नई सोच की हिम्मत करें।
Example:
Teacher कहती है — “इस कहानी का नया अंत खुद सोचो।”
👉 इससे बच्चे imagination और expression दोनों सीखते हैं।
ऐसे प्रश्न जिनका केवल “हाँ या ना” में उत्तर न हो।
ये बच्चे को सोचने, कल्पना करने और विश्लेषण करने के लिए प्रेरित करते हैं।
Example:
“अगर धरती पर एक दिन सूरज न निकले तो क्या होगा?”
“तुम्हारे हिसाब से दोस्ती क्या होती है?”
👉 ऐसे प्रश्नों से बच्चे अलग-अलग दृष्टिकोण से सोचते हैं — यही creativity है।
बच्चे को अपनी बात drawing, poem, drama, model या story के रूप में कहने की आज़ादी दें।
हर बच्चे की सोच अलग होती है — इसलिए एक ही प्रश्न के कई अलग उत्तर स्वीकार करें।
Example:
Teacher कहे — “Rainy Day पर एक चित्र बनाओ।”
हर बच्चा अपनी कल्पना से अलग चित्र बनाएगा।
👉 यही Creative Diversity (विचारों की विविधता) है।
ऐसा माहौल जहाँ बच्चे डर या आलोचना के बिना अपने विचार साझा कर सकें।
शिक्षक को “हर जवाब को सम्मान (Respect every response)” देना चाहिए।
Appreciation (सराहना) बच्चों की सृजनात्मकता को और बढ़ाती है।
Example:
Teacher कहे – “वाह! तुम्हारा विचार बहुत अलग है।”
👉 इस तरह बच्चे अगली बार और सोचने की कोशिश करेंगे।
बच्चों को किसी विषय पर एक साथ कई ideas सोचने को कहना।
इस activity से बच्चे सोच की लचीलापन (flexibility of thinking) सीखते हैं।
Example:
“हम स्कूल को और मज़ेदार कैसे बना सकते हैं?”
बच्चे कई सुझाव देंगे — painting, games, reading corners, etc.
👉 इससे fluency of ideas बढ़ती है।
बच्चों को ऐसी situations देना जिसमें वे solution सोचें, न कि रटें।
इससे critical thinking (आलोचनात्मक सोच) और creative reasoning दोनों विकसित होते हैं।
Example:
“अगर हमारे गाँव में पानी की कमी है, तो तुम क्या करोगे?”
बच्चे rainwater harvesting या awareness campaign जैसी बातें सुझा सकते हैं।
Creativity केवल subjects में नहीं, बल्कि कला, संगीत, नाटक और खेलों से भी आती है।
इनसे बच्चे भावनात्मक (emotional) और सामाजिक (social) रूप से भी बढ़ते हैं।
Example:
Hindi poem को “role-play” के रूप में करवाना।
Science topic “Water Cycle” पर song बनाना।
👉 इससे सीखना रोचक और यादगार बनता है।
Projects बच्चों को explore करने, design करने और plan करने का अवसर देते हैं।
Group activities बच्चों में सहयोग (cooperation) और idea-sharing सिखाती हैं।
Example:
“Best out of Waste” project — बच्चे खुद नए models बनाएँ।
👉 teamwork + creativity दोनों विकसित होते हैं।
खेल बच्चों की प्राकृतिक प्रवृत्ति है — इससे वे सीखते हुए create करते हैं।
Game-based learning बच्चों को engage रखता है और नई सोच को प्रोत्साहित करता है।
Example:
“Story chain” game – हर बच्चा कहानी का अगला हिस्सा जोड़ता जाए।
👉 यह spontaneous thinking (तुरंत सोचने की क्षमता) बढ़ाता है।
Creativity तब बढ़ती है जब बच्चे गलती करने से नहीं डरते।
शिक्षक को सिखाना चाहिए कि “गलती असफलता नहीं, सीखने का अवसर है।”
Example:
अगर बच्चा गलत spelling से poem बनाता है, तो पहले उसकी कोशिश की सराहना करें, फिर gently सुधार बताएं।
बच्चों को “क्यों, कैसे, क्या होगा अगर…” जैसे सवाल पूछने के लिए प्रेरित करें।
Questioning nature creativity की नींव है।
Example:
बच्चा पूछे – “आसमान नीला क्यों है?”
Teacher कहे – “चलो experiment करके पता लगाते हैं।”
👉 इससे inquiry-based learning और creative exploration दोनों विकसित होते हैं।
| Teacher की क्रिया | Creative Effect |
|---|---|
| कहानी का नया अंत सोचने को कहना | Imagination बढ़ती है |
| Group project देना | Collaboration + Creativity |
| Art & Music शामिल करना | Expression बढ़ती है |
| Positive feedback देना | Confidence बढ़ता है |
| “क्या होगा अगर…” प्रश्न पूछना | Curiosity बढ़ती है |
Creativity = नई और मौलिक सोच (original & useful ideas) की क्षमता।
Teacher का कार्य: बच्चों को open सोचने, गलती करने और explore करने की आज़ादी देना।
Ways to Foster Creativity:
1️⃣ Open-ended questions
2️⃣ Freedom of expression
3️⃣ Positive environment
4️⃣ Brainstorming
5️⃣ Problem-solving tasks
6️⃣ Art & drama integration
7️⃣ Group projects
8️⃣ Learning through play
9️⃣ Accepting mistakes
🔟 Encouraging curiosity
Creative Classroom का मंत्र:
👉 “Think Freely, Learn Joyfully, and Create Boldly.”
📋 Topics:-
Meaning:
Learning मतलब वह प्रक्रिया जिसमें व्यक्ति अनुभव, अभ्यास या पर्यावरण से स्थायी परिवर्तन (permanent change) लाता है।
सिर्फ याद करना नहीं, बल्कि समझना और व्यवहार में बदलना भी सीखना है।
Example:
बच्चा बार-बार multiplication practice करके सही उत्तर देता है → यह learning है।
Classroom: Teacher जब नया concept explain करके बच्चे से solve करवाता है, वही learning है।
Meaning:
जब कोई व्यक्ति किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए कई बार प्रयास करता है और गलतियाँ करता है, तब अंत में सही समाधान सीखता है।
यह Thorndike’s Learning Theory का मूल सिद्धांत है।
Example:
Cat Puzzle Box experiment: बिल्ली कई गलत प्रयासों के बाद lever दबाना सीखती है।
Classroom: बच्चा puzzle solve करते हुए बार-बार कोशिश करता है और आखिर में सही solution निकालता है।
Meaning:
जब कोई stimulus (सांकेतिक संकेत) किसी response (प्रतिक्रिया) से जुड़ जाता है, उसे conditioning कहते हैं।
दो प्रकार:
Classical Conditioning (Pavlov) → सीखना association से।
Operant Conditioning (Skinner) → सीखना reward/punishment से।
Example:
Pavlov: Bell सुनते ही dog लार छोड़ता है।
Classroom: Teacher की तारीफ़ सुनते ही बच्चा और मेहनत करता है।
Meaning:
किसी behavior को मजबूत करने (strengthen) के लिए reward या positive feedback देना।
Negative reinforcement → किसी अप्रिय चीज़ को हटाकर behavior को बढ़ाना।
Example:
Positive: सही उत्तर पर sticker देना।
Negative: बच्चा homework पूरा करे तो scolding रोक दी जाए।
Meaning:
किसी गलत व्यवहार को कम करने या रोकने के लिए दिया जाने वाला अप्रिय परिणाम।
उद्देश्य behavior को रोकना, सीखने को रोकना नहीं।
Example:
Class में disturbance करने पर warning देना।
बच्चा गलती से कोई चीज़ तोड़ता है → उसे साफ करने को कहना।
Meaning:
किसी के व्यवहार या action को ध्यान से देखना और उससे सीखना।
Bandura के Social Learning में यह मुख्य आधार है।
Example:
बच्चे teacher की नकल करके polite behavior सीखते हैं।
Classroom: Senior students को help करते देख junior भी मदद करना सीखते हैं।
Meaning:
दूसरों के व्यवहार को देखकर समान व्यवहार दोहराना।
Social Learning का महत्वपूर्ण हिस्सा।
Example:
बच्चे बड़े भाई/बहन को देखकर सीखते हैं कि किताब कैसे organize करनी है।
Meaning:
सीखने के लिए ऐसी विशेष शर्तें जो बच्चे को बेहतर समझ और स्मरण में मदद करें।
8 Steps: Attention → Objective → Recall → Content → Guidance → Practice → Feedback → Assessment
Example:
Teacher पहले students का ध्यान खींचता है → उद्देश्य बताता है → पुरानी knowledge याद दिलाता है।
Classroom activity → बच्चा actively participate करता है → feedback मिलता है।
Meaning:
सीखी हुई जानकारी को दूसरे समय तक याद रखना।
Learning का final goal।
Example:
बच्चा जल चक्र diagram memorize करके अगले दिन भी सही बता सके।
Meaning:
सीखी हुई चीज़ को नई परिस्थिति या context में apply करना।
True learning का संकेत।
Example:
बच्चा Water Cycle समझकर rainwater harvesting concept में apply करता है।
Meaning:
सीखने के लिए मानसिक और शारीरिक तैयारी होना।
Thorndike के अनुसार अगर बच्चा तैयार नहीं है तो सीखना कठिन होगा।
Example:
बच्चा भूखा या थका हुआ हो तो class में focus नहीं कर पाएगा।
Meaning:
बार-बार activity करना ताकि knowledge strengthen हो और long-term memory में जाए।
Example:
Daily math exercises, spelling practice, painting skills।
Meaning:
बच्चे के कार्य पर शिक्षक द्वारा निर्देश, सुधार और प्रोत्साहन देना।
सही और गलत दोनों behavior पर आधारित।
Example:
“Very Good, सिर्फ spelling पर ध्यान देना।”
Activity में pointing out mistakes and correcting.
Learning = अनुभव + अभ्यास से स्थायी परिवर्तन
Thorndike → Trial & Error, Laws: Readiness, Exercise, Effect
Pavlov → Classical Conditioning (Association)
Skinner → Operant Conditioning (Reinforcement & Punishment)
Bandura → Social Learning (Observation & Imitation)
Gagné’s 8 Steps → Attention → Objective → Recall → Content → Guidance → Practice → Feedback → Assessment
Retention → याद रखना
Transfer of Learning → नई situation में लागू करना
Reinforcement → behavior मजबूत करना
Punishment → behavior घटाना
Feedback → सुधार और motivation
Practice → mastery के लिए repeated activity
Learning का अर्थ (Meaning):
Learning (सीखना) एक ऐसी प्रक्रिया (process) है जिसमें व्यक्ति अपने व्यवहार (behaviour), ज्ञान (knowledge), दृष्टिकोण (attitude) और कौशल (skills) में स्थायी परिवर्तन लाता है।
यह केवल जानकारी याद करना नहीं है, बल्कि व्यवहार में बदलाव लाना है।
🧠 Example:
बच्चा बार-बार गिरकर साइकिल चलाना सीखता है।
यह दिखाता है कि सीखना अनुभव (experience) और अभ्यास (practice) से होता है।
Learning की विशेषताएँ (Characteristics of Learning):
सीखना अनुभव से होता है (Learning through Experience):
बच्चा प्रयोग करके, देखकर या सुनकर सीखता है।
👉 Example: Science activity करके बच्चा concept समझता है।
सीखना स्थायी परिवर्तन लाता है (Brings Relatively Permanent Change):
एक बार सीख लिया तो लंबे समय तक याद रहता है।
👉 Example: एक बार तैरना सीखने के बाद, वह कौशल हमेशा रहता है।
सीखना उद्देश्यपूर्ण होता है (Goal-Oriented):
हर सीखने के पीछे कोई उद्देश्य होता है।
👉 Example: बच्चा गणित सीखता है ताकि वह गिन सके या गणना कर सके।
सीखना सामाजिक प्रक्रिया है (Social Process):
बच्चा दूसरों को देखकर और उनके साथ मिलकर सीखता है।
👉 Example: बच्चे स्कूल में समूह कार्य (group work) से teamwork सीखते हैं।
सीखना निरंतर प्रक्रिया है (Continuous Process):
जीवन भर सीखना चलता रहता है।
👉 Example: हम technology या language को पूरे जीवन में सीखते रहते हैं।
बच्चा दूसरों को देखकर और उनकी नकल करके सीखता है।
इसे Observational Learning (पर्यवेक्षणात्मक सीखना) भी कहते हैं।
🧠 Example:
बच्चा अपने माता-पिता की बोलने की शैली या शिक्षक के व्यवहार की नकल करता है।
🎯 Classroom Example:
Teacher यदि “Thank you” या “Sorry” बोलता है, तो बच्चे भी वैसा ही बोलना शुरू कर देते हैं।
इस प्रकार में व्यक्ति कई बार कोशिश करता है, गलतियाँ करता है और उनसे सीखता है।
यह सिद्धांत Thorndike ने दिया था।
🧠 Example:
बच्चा जूते के फीते बाँधना सीखते समय बार-बार गलती करता है, लेकिन अंत में सही तरीका सीख जाता है।
🎯 Classroom Example:
बच्चे spelling लिखते समय कई बार गलत लिखते हैं, फिर बार-बार अभ्यास से सही लिखना सीखते हैं।
इसमें सीखना stimulus (उत्तेजना) और response (प्रतिक्रिया) के बीच संबंध से होता है।
यह सिद्धांत Pavlov (Classical Conditioning) और Skinner (Operant Conditioning) ने दिया।
🧠 Example (Pavlov):
कुत्ते को घंटी की आवाज़ पर भोजन दिया गया, बाद में केवल घंटी सुनकर भी लार टपकाने लगा।
👉 सीखना = उत्तेजना (bell) + प्रतिक्रिया (salivation)।
🎯 Classroom Example (Skinner):
Teacher अगर सही उत्तर देने पर “Good job!” कहे, तो बच्चा और प्रयास करेगा — यह positive reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन) है।
यह सीखना समझ (understanding) और अचानक समाधान (sudden solution) से होता है।
यह सिद्धांत Köhler ने दिया।
🧠 Example:
Chimpanzee ने डंडों को जोड़कर केले तक पहुँचने का उपाय ढूँढ लिया — यह insight learning था।
🎯 Classroom Example:
बच्चा गणित की समस्या को बार-बार कोशिश करने के बाद अचानक हल कर लेता है — यह “Aha moment” है।
जब बच्चा किसी विचार, नियम या संबंध को समझकर सीखता है।
यह higher-level learning है।
🧠 Example:
बच्चा समझता है कि “सभी चौकोर में चार समान भुजाएँ होती हैं” — यह concept learning है।
🎯 Classroom Example:
Teacher shapes दिखाकर “Square” और “Rectangle” के बीच अंतर समझाता है।
इसमें सीखना शब्दों, वाक्यों, या भाषा के माध्यम से होता है।
बच्चे सुनकर, पढ़कर, या लिखकर सीखते हैं।
🧠 Example:
कविता याद करना या spelling सीखना।
🎯 Classroom Example:
Teacher कहानी पढ़कर सुनाता है और बच्चे उसका अर्थ समझते हैं — यह verbal learning है।
इसमें शरीर की मांसपेशियों (muscles) और क्रियाओं (movements) के द्वारा सीखना होता है।
🧠 Example:
साइकिल चलाना, लिखना, नृत्य करना, आदि।
🎯 Classroom Example:
PT class में बच्चे खेल या drill के माध्यम से motor coordination सीखते हैं।
इसमें बच्चा दूसरों के व्यवहार को देखकर और परिणाम देखकर सीखता है।
यह Bandura’s Social Learning Theory से जुड़ा है।
🧠 Example:
बच्चा देखता है कि कोई झूठ बोलने पर डाँट खा रहा है — वह सीखता है कि झूठ नहीं बोलना चाहिए।
🎯 Classroom Example:
Teacher जब honesty दिखाता है, तो बच्चे भी ईमानदार बनना सीखते हैं।
इसमें बच्चा खुद के अनुभवों से सीखता है, न कि केवल सुनकर या देखकर।
यह Learning by Doing का सिद्धांत है (John Dewey)।
🧠 Example:
बच्चा Science experiment खुद करके concept समझता है।
🎯 Classroom Example:
Teacher बच्चों को “seed germination” खुद करने देता है ताकि वे growth को अनुभव कर सकें।
Learning = Behaviour में स्थायी परिवर्तन।
यह अनुभव, अभ्यास और प्रेरणा से होता है।
Thorndike → Trial & Error Learning
Pavlov → Classical Conditioning
Skinner → Operant Conditioning
Köhler → Insight Learning
Bandura → Observational Learning
John Dewey → Experiential Learning (Learning by Doing)
Concept Learning = ideas और relationships को समझना।
Learning continuous, purposeful और social process है।
🎯 CTET Tip:
Exam में अक्सर पूछा जाता है —
किस प्रकार का सीखना “Aha experience” देता है? → Insight Learning
कौन-सा सीखना “reward & punishment” पर आधारित है? → Operant Conditioning
“Learning by Doing” किसने दिया? → John Dewey
Edward Lee Thorndike (1874–1949) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने Trial and Error Learning Theory (प्रयास और भूल सिद्धांत) दिया।
Thorndike ने बिल्लियों (cats) पर प्रयोग करके बताया कि सीखना अनुभव और अभ्यास से धीरे-धीरे होता है, अचानक नहीं।
उन्होंने अपने प्रयोगों से तीन मुख्य नियम (laws) बताए —
👉 Law of Readiness (तत्परता का नियम)
👉 Law of Exercise (अभ्यास का नियम)
👉 Law of Effect (प्रभाव का नियम)
जब कोई व्यक्ति सीखने या कार्य करने के लिए तैयार (ready) होता है, तभी वह सबसे अच्छे तरीके से सीखता है।
अगर बच्चा तैयार नहीं है और उसे ज़बरदस्ती कुछ सिखाया जाए, तो वह उबाऊ (bored) या निराश (frustrated) महसूस करता है।
Readiness = Physical, Mental और Emotional Preparedness (शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तैयारी)।
जब बच्चा अंदर से सीखने के लिए उत्सुक होता है, तो सीखना जल्दी और स्थायी होता है।
जब आप खुद से नई भाषा सीखने में रुचि रखते हैं, तो आप जल्दी सीख जाते हैं।
लेकिन अगर कोई आपको ज़बरदस्ती बोले — “अभी पढ़ो!”, तो मन नहीं लगता।
यदि बच्चा गणित के नए chapter के लिए mentally ready नहीं है, तो teacher को पहले motivation या interest activities से उसे तैयार करना चाहिए।
जैसे — game, puzzle या real-life example से शुरुआत।
इस नियम के अनुसार, “Practice makes a man perfect.”
जितना ज़्यादा हम किसी कार्य को दोहराते (repeat) हैं, उतनी ही अच्छी learning (सीखने की मजबूती) होती है।
अगर अभ्यास बंद हो जाए, तो सीखा हुआ ज्ञान धीरे-धीरे भूल (forgetting) जाता है।
इसमें दो भाग हैं —
Law of Use (उपयोग का नियम): उपयोग या अभ्यास करने से सीखना मज़बूत होता है।
Law of Disuse (अनुपयोग का नियम): यदि किसी सीखी हुई चीज़ का उपयोग नहीं किया जाए, तो वह भूल जाती है।
अगर आप रोज़ cycle चलाते हैं, तो आपकी skill बेहतर होती जाती है।
लेकिन अगर महीनों तक नहीं चलाते, तो balance बिगड़ जाता है — यह “disuse” है।
बच्चा रोज़ English words लिखने का अभ्यास करता है — तो spelling याद रहती है।
अगर practice बंद हो जाए, तो spelling गलती होने लगती है।
इस नियम के अनुसार, अगर किसी कार्य के बाद अच्छा परिणाम या सुखद अनुभव मिलता है, तो उसे दोहराने की संभावना बढ़ जाती है।
और अगर परिणाम अप्रिय (unpleasant) या दंडात्मक (punishing) हो, तो उस व्यवहार को दोहराने की संभावना कम हो जाती है।
Satisfying Effect → Learning increases (सीखना मज़बूत होता है)
Annoying Effect → Learning decreases (सीखना कमजोर होता है)
इस नियम का मूल विचार है:
👉 “Reward strengthens learning, punishment weakens it.”
यदि बच्चे को अच्छा उत्तर देने पर teacher “Good Job!” कहता है, तो बच्चा और मेहनत करता है।
लेकिन अगर बार-बार डाँटा जाए, तो वह बोलने से डरने लगता है।
Teacher ने बच्चे को सही उत्तर पर star दिया → बच्चा खुश होकर अगली बार और प्रयास करेगा।
यह Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन) कहलाता है।
Law of Readiness:
शिक्षक को यह समझना चाहिए कि हर बच्चा एक ही समय पर सीखने के लिए तैयार नहीं होता।
पहले रुचि और प्रेरणा (motivation) पैदा करनी चाहिए।
Law of Exercise:
पाठों को बार-बार अभ्यास (practice) और पुनरावृत्ति (revision) से मजबूत बनाना चाहिए।
Regular homework और class activity से यह संभव है।
Law of Effect:
शिक्षकों को बच्चों की सफलता पर सराहना (appreciation) और असफलता पर सहानुभूति (empathy) दिखानी चाहिए।
इससे बच्चे में आत्मविश्वास (self-confidence) बढ़ता है।
Thorndike → Trial and Error Learning Theory
Main Laws → Readiness, Exercise, Effect
Law of Readiness:
Learning तब होती है जब व्यक्ति तैयार होता है।
ज़बरदस्ती सीखना अप्रभावी है।
Law of Exercise:
Repetition strengthens learning.
Practice → Memory strong; No practice → Forgetting.
Law of Effect:
Reward → Learning बढ़ती है
Punishment → Learning घटती है
Educational Implication:
Student readiness को पहचानो।
Regular practice कराओ।
Praise & motivation दो।
Famous Quote:
👉 “Satisfying state strengthens connection, annoying state weakens it.”
| Law | Simple Meaning | Classroom Example |
|---|---|---|
| Readiness | बच्चा तैयार हो तो जल्दी सीखता है | रुचिकर activity से शुरुआत करना |
| Exercise | Practice से सीखना मजबूत होता है | रोज़ spelling लिखना |
| Effect | Reward से सीखना बढ़ता है | सही उत्तर पर star देना |
Learning (सीखना) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अनुभव से अपने व्यवहार में स्थायी परिवर्तन लाता है।
मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि सीखना कैसे होता है — कुछ ने trial and error, कुछ ने association, कुछ ने reward, और कुछ ने observation के माध्यम से समझाया।
चार प्रमुख सिद्धांत CTET के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं —
Thorndike → Trial and Error Theory
Pavlov → Classical Conditioning
Skinner → Operant Conditioning
Bandura → Social Learning
Thorndike के अनुसार, सीखना कई प्रयासों (trials) और गलतियों (errors) से होकर गुजरता है।
बार-बार प्रयास करने से व्यक्ति सही समाधान तक पहुँच जाता है।
Thorndike ने एक बिल्ली को पिंजरे में रखा। बाहर खाना था।
बिल्ली ने कई बार गलती की, फिर अंत में lever दबाकर दरवाजा खोलना सीख लिया।
Law of Readiness (तत्परता का नियम)
जब बच्चा सीखने के लिए तैयार होता है, तभी वह सही सीख पाता है।
Example: बच्चा मन से पढ़ाई करने को तैयार हो तो सीखना आसान होता है।
Law of Exercise (अभ्यास का नियम)
बार-बार practice करने से सीख मजबूत होती है।
Example: रोज multiplication tables बोलने से वे याद रह जाती हैं।
Law of Effect (प्रभाव का नियम)
अगर सीखने से अच्छा परिणाम (reward) मिलता है, तो वह व्यवहार दोहराया जाता है।
Example: सही उत्तर पर teacher की “Very Good” से बच्चा motivated होता है।
Pavlov ने बताया कि सीखना association (संबंध जोड़ने) की प्रक्रिया है।
जब कोई सामान्य संकेत (neutral stimulus) किसी प्राकृतिक संकेत से जुड़ता है, तो वह भी प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है।
Pavlov ने कुत्ते पर प्रयोग किया।
कुत्ते को खाना दिखाने पर वह लार (salivation) छोड़ता था।
Pavlov ने खाना देने से पहले घंटी (bell) बजाई।
कुछ बार बाद, केवल घंटी सुनते ही कुत्ता लार छोड़ने लगा।
Unconditioned Stimulus (UCS) – Natural चीज़ (Food)
Unconditioned Response (UCR) – Natural reaction (Salivation)
Conditioned Stimulus (CS) – पहले neutral थी (Bell), अब response लाती है।
Conditioned Response (CR) – Bell सुनकर लार छोड़ना।
अगर teacher हर बार बच्चे के सही उत्तर पर “Excellent” कहे, तो बच्चे को उस शब्द से खुशी जुड़ जाएगी और वह उत्साहित होकर और सीखेगा।
Skinner ने बताया कि व्यवहार उसके परिणाम (consequences) से सीखा जाता है।
Reward मिलने पर व्यवहार दोहराया जाता है, punishment मिलने पर घटता है।
एक चूहा (rat) box में था।
गलती से उसने lever दबाया और food मिला → उसने सीख लिया कि lever दबाने से खाना मिलेगा।
आगे से वह बार-बार lever दबाने लगा।
Reinforcement (प्रोत्साहन)
Positive Reinforcement: अच्छा व्यवहार करने पर इनाम देना।
→ Example: बच्चे को सही उत्तर पर sticker देना।
Negative Reinforcement: अप्रिय चीज़ हटाकर behavior को बढ़ाना।
→ Example: बच्चा समय पर homework करे तो scolding बंद कर दी जाए।
Punishment (दंड): गलत व्यवहार कम करने के लिए अप्रिय परिणाम देना।
→ Example: Class में disturbance करने पर warning देना।
Shaping (क्रमिक निर्माण): छोटे-छोटे steps में desired behavior विकसित करना।
→ Example: बच्चा पूरे paragraph नहीं पढ़ पाता, तो पहले एक line से शुरू करना।
Bandura ने कहा कि सीखना दूसरों को देखकर और उनकी नकल करके (observation & imitation) भी होता है।
बच्चे role models (जैसे teacher, parent) के व्यवहार से सीखते हैं।
बच्चों ने देखा कि बड़ों ने Bobo doll को मारा (aggressive behavior)।
बाद में बच्चों ने भी उसी तरह का व्यवहार किया।
इसका मतलब: बच्चे observation से सीखते हैं।
Model (आदर्श): जिसे देखकर सीखा जाए।
Imitation (अनुकरण): दूसरों की नकल करना।
Observation (अवलोकन): व्यवहार को ध्यान से देखना।
Vicarious Learning: दूसरों के अनुभव से सीखना, खुद गलती किए बिना।
अगर teacher विनम्रता से बात करे और सहयोगी रहे, तो बच्चे भी वैसा ही व्यवहार अपनाते हैं।
Thorndike:
Practice-based learning ज़रूरी है।
Teacher को students को तैयार (ready) करने पर ध्यान देना चाहिए।
Pavlov:
Good habits सिखाने में association method उपयोगी है।
Praise, rewards और positive environment सीखने को बढ़ाते हैं।
Skinner:
Reward-based teaching से motivation बढ़ता है।
Wrong behavior को punish करने की बजाय सही behavior को reinforce करना चाहिए।
Bandura:
Teacher को role model बनना चाहिए।
Group learning और peer cooperation से social behavior विकसित होता है।
Thorndike – Trial & Error Theory
→ Learning by trying & failing, then success.
→ Main Laws: Readiness, Exercise, Effect.
Pavlov – Classical Conditioning
→ Learning by association (Bell + Food → Salivation).
Skinner – Operant Conditioning
→ Learning by reward and punishment.
→ Positive & Negative Reinforcement important.
Bandura – Social Learning
→ Learning by observation & imitation.
→ Teacher should act as a role model.
In Classroom:
Practice, Motivation, Observation, and Reinforcement से सीखना मजबूत होता है।
Good behavior को encourage करें और positive environment बनाएँ।
Robert Gagné (रॉबर्ट गैनी) एक प्रसिद्ध Educational Psychologist थे।
उन्होंने बताया कि हर प्रकार का सीखना (learning) कुछ विशेष conditions (शर्तों) के अंतर्गत होता है।
उनका मानना था कि शिक्षक अगर सही क्रम में और सही परिस्थितियाँ बनाकर सिखाए, तो सीखने की प्रक्रिया आसान और प्रभावी हो जाती है।
उन्होंने सीखने की प्रक्रिया के 8 Steps (आठ चरण) बताए, जिन्हें Gagné’s Nine Events of Instruction भी कहा जाता है (कभी-कभी 8 या 9 के रूप में refer किया जाता है)।
हर step बताता है कि teacher को क्या करना चाहिए ताकि बच्चा बेहतर तरीके से सीख सके।
सीखने की शुरुआत में teacher को सबसे पहले students का ध्यान (attention) अपनी ओर खींचना चाहिए।
अगर ध्यान नहीं होगा, तो सीखना संभव नहीं होगा।
Attention पाने के लिए नई, रोचक या चौंकाने वाली चीजें इस्तेमाल की जा सकती हैं।
🧩 Example:
Class की शुरुआत किसी कहानी, चित्र, या सवाल से करें जैसे “क्या तुम जानते हो कि पौधे रात में भी सांस लेते हैं?”
→ बच्चे तुरंत attentive हो जाते हैं।
जब बच्चा जानता है कि उसे क्या सीखना है, तो उसका मन सीखने की ओर केंद्रित रहता है।
Learning Objectives बताने से छात्र को direction और motivation मिलती है।
🧩 Example:
Teacher कहे — “आज हम जानेंगे कि जल चक्र (Water Cycle) कैसे काम करता है।”
→ अब बच्चे को स्पष्ट लक्ष्य मिल गया कि उसे क्या समझना है।
नया ज्ञान तभी अच्छे से समझ आता है जब वह पहले के ज्ञान (previous learning) से जुड़ता है।
शिक्षक को पुराने concepts याद दिलाने चाहिए।
🧩 Example:
Teacher पूछे: “हमने कल evaporation पढ़ा था, याद है? अब देखते हैं कि condensation क्या है।”
→ पुराना concept activate हो गया।
अब शिक्षक को नया content संगठित, क्रमबद्ध और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए।
Charts, videos, models, pictures आदि का प्रयोग किया जा सकता है ताकि बच्चे visual रूप में समझें।
🧩 Example:
Teacher Water Cycle का chart दिखाकर समझाए – evaporation → condensation → precipitation.
इस चरण में शिक्षक बच्चों को hints, examples, and explanations देकर मार्गदर्शन करता है।
इससे बच्चे को यह समझ आता है कि जानकारी को कैसे याद रखना और इस्तेमाल करना है।
🧩 Example:
Teacher कहे: “ध्यान दो, evaporation हमेशा heat से होता है।”
→ यह एक clue है जो concept को याद रखने में मदद करेगा।
अब teacher बच्चों से जो सिखाया गया है, उसका अभ्यास (practice) करवाता है।
Practice से knowledge long-term memory में जाता है।
🧩 Example:
बच्चों से कहा जाए कि वे खुद diagram बनाकर Water Cycle के steps समझाएँ।
→ अब बच्चा actively सीखेगा।
बच्चे के उत्तरों या कार्य पर teacher को तुरंत feedback देना चाहिए।
Positive feedback → motivation बढ़ाता है।
गलतियों पर constructive feedback → सुधार में मदद करता है।
🧩 Example:
Teacher कहे, “Very good, तुमने सही बताया कि evaporation heat से होता है। बस spelling ध्यान रखना।”
अब यह जांचना जरूरी है कि बच्चा वास्तव में सीखा है या नहीं।
इसके लिए teacher tests, oral questions, activities, assignments का प्रयोग कर सकता है।
🧩 Example:
Teacher quiz ले या बच्चों से short answers लिखवाए — “Write 3 steps of Water Cycle.”
Gagné ने यह भी कहा कि बच्चे को सिखाया जाए कि सीखी हुई चीज़ को नई situations में कैसे इस्तेमाल करें।
यही “Transfer of Learning” कहलाता है।
🧩 Example:
बच्चा Water Cycle समझने के बाद यह भी सीखे कि यह कैसे rainwater harvesting में काम आता है।
Teacher को हमेशा lesson शुरू करने से पहले students का ध्यान आकर्षित करना चाहिए।
Lesson के objectives स्पष्ट रूप से बताने चाहिए।
Old knowledge से नए विषय को जोड़ना चाहिए।
Learning को active process बनाना चाहिए (practice और feedback के साथ)।
अंत में evaluation और transfer पर ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चा knowledge को वास्तविक जीवन में इस्तेमाल कर सके।
Attention → पहले ध्यान खींचो।
Objective → बताओ क्या सीखना है।
Recall Prior Knowledge → पुराना ज्ञान याद दिलाओ।
Present Content → नया विषय सिखाओ।
Guidance → संकेत और सहायता दो।
Practice → बच्चा खुद काम करे।
Feedback → तुरन्त प्रतिक्रिया दो।
Assessment → जाँचो कि उसने सीखा या नहीं।
Retention & Transfer → उसे सिखाओ कि ज्ञान कहाँ उपयोग होगा।
CTET में इस topic से प्रश्न सामान्यतः ऐसे पूछे जाते हैं:
“Gagné के अनुसार शिक्षण की प्रथम अवस्था क्या है?”
या
“कक्षा में शिक्षक को feedback कब देना चाहिए?”
इसलिए हर step का क्रम और उद्देश्य याद रखना बहुत जरूरी है।
📋 Topics:-
Meaning: किसी काम को करने की आंतरिक (inner) या बाहरी (external) शक्ति जो व्यक्ति को सक्रिय रखती है।
Explanation: यह वह कारण है जिसकी वजह से कोई व्यक्ति कुछ सीखने या करने के लिए उत्साहित होता है।
Example: अगर बच्चा कहता है “मुझे नई चीज़ें सीखने में मज़ा आता है” → यह intrinsic motivation (आंतरिक प्रेरणा) है।
अगर teacher इनाम देने का वादा करे तो → यह extrinsic motivation (बाहरी प्रेरणा) है।
Meaning: जब व्यक्ति खुद की रुचि या आनंद के लिए कुछ करता है, बाहर से किसी इनाम की अपेक्षा नहीं होती।
Example: बच्चा पेंटिंग इसलिए करता है क्योंकि उसे उसमें मज़ा आता है, न कि किसी प्रतियोगिता के लिए।
Meaning: जब व्यक्ति किसी बाहरी इनाम (reward) या प्रशंसा (praise) के लिए कुछ करता है।
Example: बच्चा इसलिए पढ़ता है क्योंकि उसे teacher से “Good” या parents से “Chocolate” मिलती है।
Meaning: चीज़ों का क्रम या एक के ऊपर एक रखा गया स्तर।
Explanation: Maslow ने मनुष्य की ज़रूरतों को पाँच स्तरों में रखा — सबसे नीचे basic needs और सबसे ऊपर self-actualization।
Example: जैसे इमारत की मंज़िलें – पहले नींव मजबूत करनी होती है, तभी ऊपर की मंज़िल बन सकती है।
Meaning: जीवन के लिए सबसे जरूरी ज़रूरतें — जैसे खाना, पानी, नींद, हवा।
Example: अगर बच्चा भूखा है, तो वह ध्यान नहीं लगा पाएगा; पहले उसकी यह ज़रूरत पूरी होनी चाहिए।
Meaning: व्यक्ति को सुरक्षित और स्थिर महसूस होना चाहिए।
Example: अगर स्कूल में हिंसा या डर का माहौल है, तो बच्चा सीख नहीं पाएगा।
Meaning: व्यक्ति को दूसरों से जुड़ाव और अपनापन महसूस करना ज़रूरी है।
Example: जब teacher बच्चों से प्यार और सम्मान से बात करता है, तो बच्चा सीखने में दिलचस्पी लेता है।
Meaning: दूसरों से सम्मान और खुद पर विश्वास की भावना।
Example: जब बच्चा project अच्छे से करता है और teacher कहता है “Well done!”, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
Meaning: अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करना और खुद को बेहतर बनाना।
Example: कोई बच्चा चित्रकला में बहुत अच्छा है, और वह रोज़ नई कला सीखने की कोशिश करता है – यह self-actualization है।
Meaning: मन को किसी एक कार्य या वस्तु पर केंद्रित रखना।
Explanation: ध्यान वह प्रक्रिया है जिससे हम अनावश्यक चीज़ें छोड़कर ज़रूरी बातों पर फोकस करते हैं।
Example: जब teacher कहानी सुनाता है और बच्चा उसी पर ध्यान देता है, तो वह “attention” दिखा रहा है।
Meaning: जब किसी विषय या गतिविधि में आनंद और आकर्षण महसूस होता है।
Explanation: रुचि attention को स्थिर बनाए रखती है।
Example: अगर बच्चे को खेल पसंद है, तो वह खेल के नियम जल्दी याद करता है।
Meaning: जब बच्चा सीखने के लिए मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार हो।
Explanation: सीखने का प्रभाव तभी अधिक होता है जब बच्चा prepared हो।
Example: 4 साल का बच्चा पढ़ना सीखने के लिए तैयार नहीं होता क्योंकि उसकी mental readiness पूरी नहीं होती।
Meaning: यह बताती हैं कि व्यक्ति कैसे सबसे अच्छा सीखता है – देखकर, सुनकर या करके।
Example: कोई बच्चा video देखकर सीखता है (Visual), कोई सुनकर (Auditory), कोई activity करके (Kinesthetic)।
Meaning: जो बच्चे चित्र, वीडियो, चार्ट आदि देखकर सीखते हैं।
Example: Solar System का chart देखकर बच्चा ग्रहों के नाम याद रखता है।
Meaning: जो बच्चे सुनकर सीखते हैं — lectures, discussions, rhymes से।
Example: कविता सुनकर बच्चा शब्दों को याद कर लेता है।
Meaning: जो बच्चे “करके” सीखते हैं — activity, experiment, movement से।
Example: जब बच्चा खुद पौधा लगाता है, तो उसे science concept समझ में आता है।
Meaning: कोई भी चीज़ जो हमारे behavior या attention को प्रभावित करे।
Example: अचानक आवाज़ आने से ध्यान उसी दिशा में चला जाता है।
Meaning: किसी उद्दीपन (stimulus) पर व्यक्ति की प्रतिक्रिया या उत्तर।
Example: Teacher सवाल पूछे → बच्चा हाथ उठाए → यह response है।
Meaning: जब छात्र actively भाग लेता है और सीखने में involvement दिखाता है।
Example: Group discussion में अपने विचार बताना।
Meaning: कुछ नया जानने की इच्छा।
Example: बच्चा पूछता है “आसमान नीला क्यों है?” → यह curiosity है, जो intrinsic motivation बढ़ाती है।
Motivation = Learning की ऊर्जा (Energy for learning).
Intrinsic Motivation = अंदर से प्रेरणा (interest-based).
Extrinsic Motivation = बाहर से प्रेरणा (reward-based).
Maslow की आवश्यकता क्रम (Hierarchy):
1️⃣ Physiological → 2️⃣ Safety → 3️⃣ Love/Belonging → 4️⃣ Esteem → 5️⃣ Self-Actualization
Attention = फोकस करने की क्षमता; Interest = सीखने में आनंद।
Readiness = सीखने की मानसिक और शारीरिक तैयारी।
VAK Learning Styles = Visual, Auditory, Kinesthetic।
Teacher Tip: हर style को मिलाकर पढ़ाओ – देखो, सुनाओ, करवाओ।
Curiosity और Engagement learning को meaningful बनाते हैं।
CTET Line to Remember:
👉 “Motivated and ready learners learn better and faster.”
(प्रेरित और तैयार विद्यार्थी तेज़ और बेहतर सीखते हैं।)
(CTET Paper 1 – Learning Section)
Motivation शब्द Latin word “movere” से बना है, जिसका मतलब है — “to move” यानी किसी को कार्य करने के लिए चलाना।
शिक्षा में Motivation का मतलब है — वह आंतरिक या बाहरी शक्ति जो बच्चे को सीखने या किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है।
यह वही कारण है जिससे बच्चा किसी कार्य में रुचि लेता है और अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता है।
Example:
अगर बच्चा रोज़ खुद से पढ़ाई करता है क्योंकि उसे नया सीखना अच्छा लगता है → यह उसकी motivation है।
अगर बच्चा सिर्फ marks के लिए पढ़ता है → यह भी motivation है (लेकिन extrinsic)।
Motivation बच्चे के अंदर interest (रुचि) पैदा करता है।
यह उसे focus बनाए रखने में मदद करता है।
Motivation बच्चे को goal-directed behavior (लक्ष्य की ओर प्रयास) करने के लिए प्रेरित करती है।
यह सीखने को सार्थक (meaningful) और आनंददायक (enjoyable) बनाती है।
बिना motivation के बच्चा जल्दी bored (ऊब) हो सकता है।
शिक्षक के लिए motivation classroom discipline बनाए रखने में भी सहायक होती है।
Example:
अगर teacher कहे “You can do it! I believe in you.” → बच्चा आत्मविश्वास से प्रयास करेगा।
Motivation दो प्रकार की होती है 👇
जब बच्चा खुद की इच्छा (inner desire) से कुछ सीखता है, तो यह intrinsic motivation कहलाती है।
इसमें कोई बाहरी इनाम या दंड नहीं होता।
बच्चा सिर्फ इसलिए काम करता है क्योंकि उसे उस काम में आनंद या संतोष मिलता है।
यह motivation लंबे समय तक चलती है और सच्चा सीखना (true learning) देती है।
Intrinsic motivation वाले बच्चे creativity (सृजनशीलता) और curiosity (जिज्ञासा) दिखाते हैं।
Example:
बच्चा खुद puzzle हल करता है क्योंकि उसे मज़ा आता है।
छात्र poem याद करता है क्योंकि उसे कविता पसंद है।
कोई बच्चा drawing इसलिए बनाता है क्योंकि उसे art का आनंद मिलता है।
Teacher की भूमिका:
बच्चों में “Why” और “How” वाले प्रश्नों के प्रति उत्सुकता जगाओ।
ऐसे कार्य दो जिनसे बच्चे explore कर सकें।
“Good try!” जैसे शब्दों से प्रयास को सराहो, केवल नतीजे को नहीं।
जब बच्चा किसी reward (इनाम), punishment (दंड) या दूसरों की प्रशंसा (praise) के कारण कुछ करता है, तो यह extrinsic motivation कहलाती है।
यह बाहरी कारकों से आती है — जैसे marks, prizes, parents, teacher की approval आदि।
यह motivation अल्पकालिक (short-term) होती है।
अगर इनाम बंद हो जाए, तो motivation भी खत्म हो जाती है।
छोटे बच्चों को शुरू में extrinsic motivation की ज़रूरत होती है, लेकिन धीरे-धीरे intrinsic motivation की ओर बढ़ाना चाहिए।
Example:
बच्चा marks के लिए पढ़ता है।
बच्चा punishment से बचने के लिए homework करता है।
Teacher “star” या “smiley” देता है ताकि बच्चा खुश होकर काम करे।
Teacher की भूमिका:
अच्छे व्यवहार पर reward दो, ताकि positive habit बने।
धीरे-धीरे reward पर निर्भरता कम करके बच्चे में आत्म-प्रेरणा (self-motivation) बढ़ाओ।
Motivating environment बनाओ — कक्षा को सुरक्षित और उत्साहपूर्ण रखो।
Praise and encouragement दो — बच्चे के प्रयास को सराहो, सिर्फ परिणाम को नहीं।
Learning को meaningful बनाओ — विषय को real-life examples से जोड़ो।
Freedom दो — बच्चों को explore करने का अवसर दो ताकि उनकी intrinsic motivation बढ़े।
Competition से बचो — दूसरों से तुलना करने के बजाय व्यक्तिगत प्रगति पर ध्यान दो।
Over-rewarding से बचो — बहुत अधिक इनाम देने से बच्चा सिर्फ इनाम के लिए काम करेगा, सीखने के लिए नहीं।
Example:
अगर हर कार्य पर इनाम दिया जाए, तो बच्चा “काम का आनंद” नहीं बल्कि “इनाम की उम्मीद” से काम करेगा।
शिक्षक को चाहिए कि दोनों प्रकार की motivation को समझे और सही स्थिति में उपयोग करे।
Intrinsic motivation के लिए activity-based learning का उपयोग करे।
Extrinsic motivation का प्रयोग केवल शुरुआत में करे, ताकि बच्चा धीरे-धीरे self-motivated बने।
Class में supportive atmosphere बनाए रखें जहाँ बच्चे प्रश्न पूछने में डरें नहीं।
Maslow’s Hierarchy of Needs: जब basic जरूरतें पूरी होती हैं, तब सीखने की प्रेरणा बढ़ती है।
Skinner’s Reinforcement Theory: अच्छे व्यवहार पर reward देने से motivation बढ़ती है।
Bandura’s Social Learning Theory: बच्चे दूसरों को देखकर भी motivated होते हैं (vicarious learning)।
Motivation = वह शक्ति जो बच्चे को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
Motivation दो प्रकार की होती है —
Intrinsic Motivation:
अंदर से आने वाली प्रेरणा।
बच्चा खुद की इच्छा से सीखता है।
दीर्घकालिक और स्थायी होती है।
Extrinsic Motivation:
बाहर से मिलने वाली प्रेरणा (reward या punishment)।
अल्पकालिक होती है।
शिक्षक की भूमिका:
बच्चों में जिज्ञासा जगाना।
सकारात्मक माहौल बनाना।
प्रयास की सराहना करना।
सीखने को वास्तविक जीवन से जोड़ना।
CTET में याद रखो:
“Child learns best when he is internally motivated.”
(CTET Paper 1 – Learning Section)
यह सिद्धांत Abraham Maslow (1943) द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
Maslow ने कहा कि हर व्यक्ति कुछ आवश्यकताओं (needs) से प्रेरित होकर कार्य करता है।
जब एक स्तर की आवश्यकता पूरी हो जाती है, तो व्यक्ति अगले स्तर की आवश्यकता की ओर बढ़ता है।
इसे एक सीढ़ी (hierarchy) की तरह समझा जा सकता है – नीचे की ज़रूरी आवश्यकताएँ पहले पूरी होती हैं, तभी ऊपर की आवश्यकताओं का महत्व बढ़ता है।
Example:
अगर कोई बच्चा भूखा है (basic need पूरी नहीं), तो वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएगा।
Maslow के अनुसार, motivation (प्रेरणा) तब उत्पन्न होती है जब कोई ज़रूरत (need) अधूरी रहती है।
प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएँ एक क्रम (order) में पूरी होती हैं —
नीचे की आवश्यकता पहले, फिर ऊपरी।
ये आवश्यकताएँ 5 स्तरों (levels) में बाँटी गई हैं।
यह सबसे नीचा और सबसे बुनियादी स्तर है।
इसमें जीवित रहने के लिए जरूरी चीजें आती हैं — जैसे food (भोजन), water (पानी), sleep (नींद), shelter (आश्रय) आदि।
जब तक ये ज़रूरतें पूरी नहीं होतीं, व्यक्ति किसी और चीज़ पर ध्यान नहीं देता।
Classroom Example:
अगर बच्चा भूखा है या थका हुआ है, तो वह concentrate नहीं कर पाएगा। इसलिए teacher को पहले basic comfort का ध्यान रखना चाहिए।
जब शारीरिक आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं, तब व्यक्ति को security (सुरक्षा) की ज़रूरत महसूस होती है।
इसमें physical safety (दुर्घटना, डर, खतरा से सुरक्षा) और emotional safety (डाँट, डर या असुरक्षा से मुक्ति) शामिल है।
Classroom Example:
अगर बच्चा शिक्षक से डरता है या उसे लगता है कि गलती पर उसे डाँट पड़ेगी, तो वह बोलने से बचेगा।
इसलिए teacher को friendly और safe environment बनाना चाहिए।
जब सुरक्षा मिल जाती है, तब व्यक्ति चाहता है कि वह किसी समूह या संबंध से जुड़ा रहे।
इसमें friendship (मित्रता), family love (परिवार का स्नेह), और peer acceptance (साथियों द्वारा स्वीकार किया जाना) शामिल है।
यह बच्चे की social need (सामाजिक आवश्यकता) होती है।
Classroom Example:
अगर बच्चा classroom में ignored महसूस करता है या teacher उसे नहीं सुनते, तो वह खुद को अलग-थलग महसूस करेगा।
इसलिए teacher को हर बच्चे को “belongingness” का एहसास कराना चाहिए।
अब व्यक्ति चाहता है कि उसे respect (सम्मान), recognition (पहचान) और achievement (उपलब्धि) मिले।
यह आत्म-सम्मान (self-esteem) और दूसरों के सम्मान दोनों से जुड़ा है।
बच्चा चाहता है कि उसकी कोशिश की कद्र हो और उसे “I can do it” वाला confidence मिले।
Classroom Example:
अगर शिक्षक कहते हैं – “You tried very well, I am proud of you!”
→ बच्चा और मेहनत करने के लिए प्रेरित होता है।
इस स्तर पर praise और encouragement बहुत असरदार होती है।
यह Maslow की hierarchy का सबसे ऊँचा स्तर है।
इसमें व्यक्ति अपनी संपूर्ण क्षमता (full potential) को प्राप्त करना चाहता है।
वह खुद को बेहतर बनाना चाहता है और creativity (रचनात्मकता), problem-solving, learning, और personal growth में खुशी पाता है।
यह वह अवस्था है जहाँ बच्चा “I learn because I love learning” वाली भावना रखता है।
Classroom Example:
जब बच्चा खुद अपनी किताबें बनाता है, नए विचार सोचता है या किसी विषय को गहराई से explore करता है – यह self-actualization है।
Teacher को हर स्तर की आवश्यकता समझनी चाहिए:
अगर बच्चे की basic needs अधूरी हैं, तो उसे सिखाने से पहले comfort देना ज़रूरी है।
Positive environment बनाएँ:
Classroom ऐसा होना चाहिए जहाँ बच्चे सुरक्षित, सम्मानित और स्वीकार महसूस करें।
Belongingness और respect की भावना दें:
हर बच्चे को group activity में शामिल करें, उसकी बात सुनें, और उसे महत्व दें।
Praise और feedback दें:
इससे बच्चे का self-esteem बढ़ता है और वह बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होता है।
Creativity को प्रोत्साहित करें:
Self-actualization stage में बच्चों को सोचने, खोजने, और नए विचार लाने का अवसर दें।
Punishment से बचें:
डर या humiliation से बच्चे की safety need प्रभावित होती है और सीखना रुक जाता है।
अगर कोई बच्चा भूखा है → वह class में ध्यान नहीं देगा (Physiological)।
अगर बच्चा teacher से डरता है → वह बोलने से बचेगा (Safety)।
अगर बच्चा अकेला महसूस करता है → वह group activity में भाग नहीं लेगा (Belongingness)।
अगर उसे कोई सराहना नहीं मिलती → उसका आत्मविश्वास घटेगा (Esteem)।
जब ये सब जरूरतें पूरी होती हैं → वह नए-नए विचार लाता है और खुद सीखने में आनंद लेता है (Self-Actualization)।
Maslow (1943) ने बताया कि इंसान की जरूरतें एक क्रम में पूरी होती हैं।
Hierarchy के पाँच स्तर:
Physiological – भोजन, पानी, नींद
Safety – सुरक्षा, भय से मुक्ति
Love & Belongingness – अपनापन, मित्रता
Esteem – सम्मान, उपलब्धि
Self-Actualization – आत्म-विकास, सृजनशीलता
Main concept: Lower needs पूरी होने पर ही higher needs की ओर बढ़ते हैं।
Teacher की भूमिका:
Basic comfort दें
सुरक्षित वातावरण बनाएं
Respectful behavior रखें
Motivation बढ़ाएँ
Creative learning को प्रोत्साहित करें
CTET Exam Line to Remember:
👉 “A child can learn effectively only when his basic needs are satisfied.”
(“जब बच्चे की बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी होती हैं, तभी वह सही रूप से सीख सकता है।”)
(CTET Paper 1 – Learning Section)
सीखने (Learning) की प्रक्रिया में Attention (ध्यान) और Interest (रुचि) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अगर बच्चे का ध्यान और रुचि नहीं होगी, तो सिखाई गई बातें उसके mind (मस्तिष्क) तक नहीं पहुँचेंगी।
Attention और Interest, दोनों learning की entry gate की तरह काम करते हैं — जब ये खुले रहते हैं, तो ज्ञान अंदर जाता है।
Example:
अगर बच्चा teacher की कहानी को ध्यान से सुन रहा है, तो वह उसे आसानी से याद रखेगा। लेकिन अगर उसका ध्यान भटक गया, तो सीखना रुक जाएगा।
Attention का मतलब है – किसी एक वस्तु, कार्य या विचार पर अपने मन को केंद्रित करना।
यह एक mental process (मानसिक प्रक्रिया) है जिसमें हम कई चीजों में से किसी एक पर फोकस करते हैं।
Attention से हमें clarity (स्पष्टता) और better understanding (अच्छी समझ) मिलती है।
Example:
अगर बच्चा class में सिर्फ blackboard पर लिखा हुआ देख रहा है और बाकी चीज़ों को ignore कर रहा है, तो यह Attention है।
Involuntary Attention (अवांछिक ध्यान):
जब ध्यान बिना प्रयास के किसी चीज़ की ओर चला जाता है।
यह अचानक होने वाले या आकर्षक चीज़ों की वजह से होता है।
Example: Teacher की आवाज़ अचानक ऊँची हो जाए या कोई तेज़ आवाज़ आए, तो बच्चा तुरंत उधर देखता है।
Voluntary Attention (स्वैच्छिक ध्यान):
जब व्यक्ति खुद कोशिश करके किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करता है।
इसमें willpower (इच्छाशक्ति) शामिल होती है।
Example: बच्चा गणित का मुश्किल सवाल हल करने के लिए पूरा ध्यान लगाता है।
After-Image or Habitual Attention (आदतन ध्यान):
जब कोई काम बार-बार करने की वजह से ध्यान लगाना आसान हो जाता है।
Example: रोज़ प्रार्थना सभा में भाग लेने वाला बच्चा अपने आप ध्यान से खड़ा रहता है।
Novelty (नवीनता): नई चीजें ध्यान खींचती हैं।
→ जैसे, नया चार्ट या नया खेल।
Change (परिवर्तन): आवाज़, गति, या प्रकाश में बदलाव ध्यान को आकर्षित करता है।
→ Teacher अगर tone बदलता है, तो बच्चे फिर से attentive हो जाते हैं।
Color and Movement: चमकीले रंग और गतिशील वस्तुएँ बच्चों का ध्यान खींचती हैं।
→ Class में colorful visuals helpful होते हैं।
Interest (रुचि): जो चीज़ बच्चे को पसंद है, उस पर उसका ध्यान खुद-ब-खुद जाता है।
→ बच्चे को कहानी सुनना पसंद है, तो वह ध्यान से सुनेगा।
Need or Goal (आवश्यकता या उद्देश्य): जब बच्चा किसी चीज़ को पाने के लिए motivated होता है।
→ अगर उसे marks बढ़ाने हैं, तो वह ध्यान से पढ़ेगा।
Emotion (भावना): खुशी या डर जैसी भावनाएँ ध्यान पर असर डालती हैं।
→ डर से ध्यान भटक सकता है, पर उत्साह से ध्यान बढ़ता है।
Mental Health (मानसिक स्थिति): थकान, तनाव या चिंता attention को घटाते हैं।
Interest का मतलब है – किसी विषय या कार्य के प्रति मन में उत्पन्न होने वाला आकर्षण या आनंद की भावना।
जब कोई काम हमें अच्छा लगता है, तो हम उसे बिना दबाव के सीखना चाहते हैं।
Interest, attention को स्थायी (sustained) बनाता है।
Example:
अगर बच्चे को Drawing में interest है, तो वह लंबे समय तक drawing करता रहेगा बिना bored हुए।
Attention और Interest दोनों एक-दूसरे के पूरक (complementary) हैं।
Interest ध्यान को स्थिर रखता है, और Attention रुचि को गहरा बनाता है।
जहाँ रुचि होती है, वहाँ ध्यान अपने आप लगता है।
लेकिन कुछ स्थितियों में ध्यान देकर रुचि भी विकसित की जा सकती है।
Example:
शुरुआत में बच्चे को Science boring लगे, लेकिन teacher ने experiment दिखाया → बच्चा ध्यान से देखने लगा → धीरे-धीरे interest बढ़ गया।
Effective Learning (प्रभावी अधिगम):
ध्यान और रुचि से सीखना गहराई से होता है।
बच्चा concept को याद रख पाता है क्योंकि उसने ध्यानपूर्वक सीखा।
Retention (स्मरण शक्ति):
जिस चीज़ में रुचि होती है, वह दिमाग में ज़्यादा देर तक रहती है।
Example: बच्चा खेल के नियम जल्दी याद रखता है क्योंकि उसे मज़ा आता है।
Concentration (एकाग्रता):
Attention से बच्चा distract नहीं होता और कार्य पूरा करता है।
Motivation बढ़ाता है:
रुचि बच्चे को सीखने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वह खुद initiative लेता है।
Creativity (रचनात्मकता):
रुचि वाले क्षेत्र में बच्चा नए ideas सोचता है।
Discipline (अनुशासन):
जब बच्चों को रुचि होती है, तो वे naturally अनुशासित रहते हैं।
Teacher-Student Relation मजबूत करता है:
जब teacher रोचक तरीके से पढ़ाता है, तो बच्चा उससे जुड़ाव महसूस करता है।
Variety लाएँ:
Monotony से बचें। Activities, visuals, tone में बदलाव करें।
Relate content to life:
विषय को बच्चे के जीवन से जोड़ें।
→ जैसे, गणित में “toffees” का example दें।
Interactive Method:
Question-answer, games, discussion से involvement बढ़ाएँ।
Use of Aids (सहायक सामग्री):
Charts, flashcards, models से curiosity बढ़ती है।
Positive reinforcement दें:
ध्यान देने पर सराहना करें – “Good, you’re listening carefully!”
Avoid fear or punishment:
डर attention को नहीं, anxiety को बढ़ाता है।
Encourage self-interest:
बच्चों को उनकी पसंद के topics पर काम करने दें।
Attention = किसी एक वस्तु/विचार पर मन केंद्रित करना।
Interest = किसी विषय के प्रति आनंद या आकर्षण।
Attention बिना Interest के अस्थायी होता है, Interest बिना Attention के अधूरा।
दोनों सीखने की बुनियाद हैं – “No attention, no learning.”
Types of Attention: Involuntary, Voluntary, Habitual
Factors affecting attention: Novelty, Change, Color, Interest, Emotion, Motivation
Teacher की भूमिका:
रोचक, सुरक्षित और सहभागी वातावरण बनाएँ।
बच्चों की रुचि पहचानें और उसी दिशा में सीखने को बढ़ावा दें।
Positive attitude और friendly behavior से ध्यान आकर्षित करें।
CTET Exam Line to Remember:
👉 “Attention opens the door of learning, and Interest keeps it open.”
(“ध्यान सीखने का दरवाज़ा खोलता है, और रुचि उसे खुला रखती है।”)
Readiness (तत्परता / तैयारी) का मतलब है बच्चा किसी नए ज्ञान या कौशल को सीखने के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार होना।
अगर बच्चा तैयार नहीं है तो सीखने की प्रक्रिया धीमी या कठिन हो सकती है।
यह Thorndike के Laws of Learning में भी महत्वपूर्ण है।
Example:
अगर बच्चा भूखा या थका हुआ हो तो नया Math concept पढ़ना कठिन होगा।
Classroom: Early morning class में बच्चे alert और ready हों तो teaching effective होती है।
Physical Readiness (शारीरिक तत्परता)
बच्चा physically healthy, energetic और rested होना चाहिए।
Example: भूखे या बीमार बच्चे की concentration कम होती है।
Mental/Cognitive Readiness (मानसिक/संज्ञानात्मक तत्परता)
बच्चे के पास पूर्व ज्ञान (prior knowledge) और सीखने की ability होनी चाहिए।
Example: अगर बच्चा पहले से counting जानता है, तो addition सीखना आसान होगा।
Emotional Readiness (भावनात्मक तत्परता)
बच्चा positive attitude, confidence और fear-free होना चाहिए।
Example: अगर बच्चा डर या anxiety में है तो नया concept सीखने में struggle करेगा।
Social Readiness (सामाजिक तत्परता)
Classroom interaction के लिए social skills होना जरूरी।
Example: Group activity में बच्चा ready नहीं होगा अगर shy या socially hesitant हो।
Curiosity (जिज्ञासा) – बच्चा actively सीखने में interest दिखाए।
Attention (ध्यान) – बच्चा instruction को follow कर सके।
Participation (भागीदारी) – discussion और activities में शामिल हो।
Motivation (प्रेरणा) – सीखने के लिए internally या externally motivated हो।
Example:
Student eagerly asks questions, participates in class experiment → ready for learning।
Assess students’ prior knowledge before starting new topic।
Create comfortable and positive classroom environment।
Provide motivation and encouragement।
Use appropriate timing – जब बच्चा alert और attentive हो।
Example:
Before teaching fractions, teacher checks if students know basic division.
Morning assembly or energizing activity to make children alert.
Ensures effective and efficient learning।
Reduces frustration and failure।
Improves participation and attention।
Promotes positive attitude towards learning।
Example:
Child ready for a science experiment follows steps correctly and learns faster।
Readiness = बच्चा सीखने के लिए तैयार होना (Physical, Mental, Emotional, Social)।
Physical → Health, energy, alertness।
Cognitive → Prior knowledge, ability।
Emotional → Positive attitude, confidence।
Social → Participation, interaction।
Teacher Role → Assess knowledge, motivate, positive environment, appropriate timing।
Significance → Effective learning, reduces frustration, increases engagement।
(CTET Paper 1 – Learning)
हर बच्चा एक ही तरीके से नहीं सीखता।
कुछ बच्चे देखकर सीखते हैं, कुछ सुनकर, और कुछ करके।
इसलिए सीखने की अलग-अलग styles (शैलियाँ) होती हैं जिन्हें हम VAK Model कहते हैं।
V = Visual (दृश्य आधारित)
A = Auditory (श्रवण आधारित)
K = Kinesthetic (क्रियात्मक या शारीरिक अनुभव आधारित)
Example:
अगर तीन बच्चों को “पेड़” का concept सिखाया जाए –
एक बच्चा चित्र देखकर समझेगा (Visual),
दूसरा बच्चा सुनकर समझेगा (Auditory),
तीसरा बच्चा पौधा लगाकर अनुभव से सीखेगा (Kinesthetic)।
Learning Style का मतलब है — किसी व्यक्ति का सीखने का पसंदीदा तरीका (Preferred way of learning)।
यह बताता है कि व्यक्ति कैसे information को समझता, याद रखता और उपयोग करता है।
कोई एक style सही या गलत नहीं होती — हर बच्चे की अपनी natural style होती है।
इस model को Neil Fleming ने प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि सीखने की प्रक्रिया को तीन sensory modes से समझा जा सकता है —
Visual, Auditory, Kinesthetic.
यह model teachers को यह समझने में मदद करता है कि बच्चे कैसे सीखना पसंद करते हैं।
Meaning:
ये बच्चे देखकर, पढ़कर या चित्रों के माध्यम से सबसे अच्छा सीखते हैं।
इनका दिमाग information को images, colors, diagrams, charts के रूप में याद रखता है।
Main Features:
पढ़ाई में visual aids (दृश्य साधनों) का उपयोग पसंद करते हैं।
Notes neat, colorful और organized रखते हैं।
Written instructions इनको ज़्यादा समझ में आते हैं।
ये लोग imagination में strong होते हैं।
Classroom Example:
अगर teacher Solar System का chart दिखाए तो यह बच्चा जल्दी समझेगा।
Geometry पढ़ते समय diagram देखकर concept पकड़ लेता है।
Teacher Tips:
Charts, maps, pictures, flashcards और videos का उपयोग करें।
Blackboard पर साफ और रंगीन writing करें।
Visual learners को drawing या mind mapping activities दें।
Meaning:
ये बच्चे सुनकर बेहतर सीखते हैं।
इनका मस्तिष्क sound, tone, rhythm से जानकारी को पकड़ता है।
Main Features:
Lectures, discussions, rhymes और verbal explanations से सीखते हैं।
दूसरों से बात करके और सुनकर concepts याद रखते हैं।
Group discussion और storytelling activities में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
अक्सर अपने notes को ज़ोर से पढ़ते हैं।
Classroom Example:
यदि teacher कहानी या कविता सुनाता है, तो यह बच्चा concepts को जल्दी समझता है।
वह spelling को “उच्चारण” से याद रखता है (जैसे “C-A-T means Cat”).
Teacher Tips:
Lesson को समझाते समय tone और voice modulation रखें।
Rhymes, songs, storytelling का उपयोग करें।
बच्चों को समझाते समय question-answer से involve करें।
Meaning:
ये बच्चे करके सीखते हैं (learning by doing)।
इन्हें हाथों से कार्य करना, चीज़ों को छूना या move करना पसंद होता है।
Main Features:
लंबे समय तक एक जगह बैठ नहीं पाते।
Activity-based learning में ज़्यादा रुचि दिखाते हैं।
Experiments, role-play, games के ज़रिए जल्दी सीखते हैं।
Physical involvement से concept याद रखते हैं।
Classroom Example:
जब बच्चा खुद पौधा लगाता है तो उसे “plant growth” का concept अच्छे से समझ आता है।
Maths में blocks या beads से addition करवाना।
Teacher Tips:
Practical activities, models और field visits शामिल करें।
Classroom में movement की अनुमति दें (जैसे – role play, dramatization)।
Teaching में “hands-on experience” ज़रूर दें।
Inclusive Teaching (समावेशी शिक्षण):
हर बच्चे की ज़रूरत अलग होती है, इसलिए अलग-अलग methods अपनाने चाहिए।
Better Learning Outcomes:
जब बच्चे अपनी style में सीखते हैं, तो सीखने की efficiency बढ़ जाती है।
Motivation बढ़ती है:
जब सीखना रोचक लगता है, तो बच्चा actively participate करता है।
Teacher को विविधता मिलती है:
VAK के अनुसार teaching करने से class lively बनती है।
Helps in Assessment (मूल्यांकन में सहायक):
Teacher यह समझ पाता है कि कौन बच्चा किस तरीके से perform कर रहा है।
Identify learning styles:
Observe करें कि बच्चा कैसे ज़्यादा actively सीखता है — देखकर, सुनकर या करके।
Mix of Methods (मिश्रित तरीकों का प्रयोग):
Teaching में तीनों styles को मिलाएँ ताकि हर बच्चा शामिल हो सके।
Encourage Group Learning:
Visual, Auditory, Kinesthetic learners को मिलाकर group activity कराएँ।
Provide Flexibility:
बच्चों को अपने तरीके से सीखने की स्वतंत्रता दें।
Use of Technology:
Videos, audio clips, digital simulations से अलग-अलग learners को engage करें।
Learning Styles = व्यक्ति का पसंदीदा सीखने का तरीका।
VAK Model – Neil Fleming द्वारा दिया गया।
Visual Learners: देखकर सीखते हैं – Charts, Diagrams, Colors.
Auditory Learners: सुनकर सीखते हैं – Storytelling, Rhymes, Lectures.
Kinesthetic Learners: करके सीखते हैं – Experiments, Games, Activities.
Teacher की भूमिका:
सभी तीनों styles को मिलाकर teaching करें।
हर बच्चे की पसंद और ताकत पहचानें।
“Learning by seeing, hearing and doing” का संतुलन बनाएँ।
👉 “Every child learns differently — a good teacher teaches in all three ways.”
(“हर बच्चा अलग तरह से सीखता है — अच्छा शिक्षक तीनों तरीकों से सिखाता है।”)
📋 Topics:-
Meaning: जब एक सीखी हुई चीज़ दूसरी नई चीज़ को सीखने में मदद करे या बाधा डाले।
👉 यानी पुराना अनुभव नए अनुभव पर असर डालता है।
🧩 Example:
अगर बच्चे ने “Cycle चलाना” सीख लिया, तो “Scooter चलाना” थोड़ा आसान लगता है — यह positive transfer है।
Meaning: जब पुराना अनुभव नई सीख में मदद करे।
👉 Learning आसान हो जाती है।
🧩 Example:
Hindi और Marathi एक जैसी होने से दोनों भाषाएँ जल्दी सीखना आसान लगता है।
Meaning: जब पुराना अनुभव नई सीख में बाधा बने।
🧩 Example:
अगर बच्चा पहले “Left-hand drive” चलाना जानता है और अब “Right-hand drive” कार सीखे — तो भ्रम होगा।
Meaning: जब पुरानी और नई सीख का कोई संबंध नहीं होता — न मदद, न रुकावट।
🧩 Example:
गणित के सूत्र जानना और गाना गाना — दोनों में कोई संबंध नहीं है।
Meaning: वे तरीके जिनसे शिक्षक छात्रों की सीख को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित करने में मदद करते हैं।
🧩 Example:
अगर बच्चा “विज्ञान में पौधों की वृद्धि” सीख रहा है, तो शिक्षक “गणित में माप” से जोड़कर सिखा सकता है।
Meaning: किसी प्रक्रिया की प्रगति को दिखाने वाला graph (रेखाचित्र)।
👉 Learning curve दिखाता है कि समय के साथ सीखने की गति कैसे बदलती है।
🧩 Example:
शुरू में बच्चा धीरे सीखता है, फिर तेजी से सीखता है, फिर एक स्तर पर रुक जाता है।
Meaning: जब learning कुछ समय के लिए रुक जाती है — ना प्रगति, ना गिरावट।
👉 यह natural है, थकान या रुचि कम होने से होता है।
🧩 Example:
बच्चा जोड़-घटाव ठीक से सीख गया, लेकिन गुणा-भाग में अटक गया — यह learning plateau है।
Meaning: सीखने की इच्छा या भीतर से आने वाली शक्ति जो व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करे।
🧩 Example:
जब शिक्षक बच्चे की तारीफ करता है, तो बच्चा अगली बार और मेहनत करता है।
Meaning: सीखने या कौशल में सुधार।
🧩 Example:
पहले बच्चा 2 शब्द लिख पाता था, अब पूरा वाक्य — यह progress है।
Meaning: पहले सीखी गई जानकारी को संभालकर रखना और याद कर पाना।
🧩 Example:
बच्चे ने multiplication table याद किया और बाद में बिना देखे सुनाया — यह memory है।
Meaning: सीखी हुई चीज़ों को याद न रख पाना।
👉 यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
🧩 Example:
कविता याद की थी लेकिन अगले दिन भूल गया — forgetting।
Meaning: Hermann Ebbinghaus ने बताया कि समय के साथ memory घटती है —
खासकर शुरू के कुछ घंटों में सबसे ज्यादा भूल होती है।
👉 लेकिन दोहराने (revision) से memory फिर बढ़ जाती है।
🧩 Example:
अगर बच्चा 1 बार पढ़कर छोड़ दे तो भूल जाएगा, लेकिन रोज़ दोहराए तो याद रहेगा।
Meaning: बिना किसी संकेत के याद करना।
👉 दिमाग से जानकारी खुद निकालना।
🧩 Example:
Exam में परिभाषा लिखना — Recall।
Meaning: जब कोई संकेत या clue देखकर जानकारी याद आए।
🧩 Example:
Multiple choice question में सही उत्तर पहचानना — Recognition।
Meaning: जानकारी को दिमाग में meaning के रूप में store करने की प्रक्रिया।
🧩 Example:
शब्द “Tree” देखकर दिमाग में पेड़ की तस्वीर बन जाना।
Meaning: दिमाग में से जानकारी निकालकर उपयोग करना।
🧩 Example:
परीक्षा में याद किया हुआ उत्तर लिखना।
Meaning: एक जानकारी दूसरी को प्रभावित करे तो भूलने की स्थिति बनती है।
🧩 Example:
पहले सीखी कविता की जगह नई कविता याद करते समय पहली गड़बड़ा जाती है।
Meaning: याद रखने के आसान तरीके जैसे short tricks, code words आदि।
🧩 Example:
Rainbow के रंग याद रखने के लिए “VIBGYOR”।
Transfer of Learning: पुरानी सीख का नई सीख पर प्रभाव।
Positive → मदद
Negative → बाधा
Zero → कोई असर नहीं
Learning Curve: ग्राफ जो सीखने की प्रगति दिखाता है।
Plateau → सीखना रुक जाना (थकान या रुचि की कमी)
Memory: जानकारी को रखना और recall करना।
Stages → Encoding → Storage → Retrieval
Forgetting: जानकारी का खो जाना (Natural Process)
कारण → Lack of attention, No revision, Interference
Ebbinghaus Curve: समय के साथ memory घटती है, revision से याद रहती है।
Recall vs Recognition:
Recall = बिना clue याद करना (Essay type)
Recognition = Clue से पहचानना (MCQ type)
Mnemonics & Meaningful Learning: याददाश्त बढ़ाने की तकनीकें।
Transfer of Learning का मतलब है —
जब एक सीखी हुई चीज़ (previous learning) किसी नई चीज़ को सीखने (new learning) में मदद या बाधा पहुँचाती है।
यानी पहले का अनुभव (experience) या ज्ञान (knowledge) हमारे नए अधिगम को प्रभावित करता है।
इसे हम “Learning का प्रभाव दूसरे Learning पर” भी कह सकते हैं।
🧩 Example:
अगर बच्चा पहले हिंदी पढ़ना सीख चुका है, तो उसे संस्कृत या मराठी सीखने में आसानी होगी — यह positive transfer है।
यह समझना जरूरी है कि पहले सीखा हुआ ज्ञान बच्चों की नई सीखने की क्षमता को कैसे प्रभावित करता है।
Effective teaching वही है जो बच्चे के पहले से सीखे हुए ज्ञान को ध्यान में रखे।
शिक्षक को यह पता होना चाहिए कि कौन-सी चीज़ें बच्चे की नई learning में मदद करेंगी और कौन-सी रुकावट डालेंगी।
🧩 Example:
Maths teacher अगर पिछले concepts revise करवाता है (जैसे जोड़-घटाना) तो नए topics (जैसे गुणा-भाग) जल्दी समझ आते हैं।
जब पहले का अधिगम नई learning में मदद करता है, तो उसे positive transfer कहते हैं।
इसका मतलब – पुराना ज्ञान नए ज्ञान को आसान बना देता है।
🧩 Examples:
अगर बच्चा पहले साइकिल चलाना सीख चुका है, तो स्कूटर चलाना जल्दी सीख लेगा।
अगर बच्चे ने हिंदी लेखन सीखा है, तो अंग्रेजी लेखन में भी सुधार आता है।
🎯 Teacher View:
शिक्षक को concept interlinking करनी चाहिए ताकि पुराना ज्ञान नए ज्ञान से जुड़ सके।
जब पहले का अधिगम नई learning में बाधा डालता है, तो उसे negative transfer कहते हैं।
यानी पुराना अनुभव नई स्थिति में गलती करवाता है।
🧩 Examples:
अगर कोई बच्चा Manual car चलाना जानता है, तो Automatic car में बार-बार clutch ढूँढेगा।
अगर कोई बच्चा हिंदी में “फल” को “fruit” समझता है, और नई भाषा में अलग अर्थ निकलता है, तो confusion होगा।
🎯 Teacher View:
शिक्षक को पुराने और नए ज्ञान के अंतर (difference) स्पष्ट करवाने चाहिए।
जब पहले का अधिगम नई learning पर कोई प्रभाव नहीं डालता,
न मदद करता है, न रुकावट – उसे zero transfer कहते हैं।
🧩 Examples:
तैरना (Swimming) सीखने का गणित (Mathematics) पर कोई असर नहीं।
चित्रकला (Drawing) सीखने से Cycling में कोई फर्क नहीं पड़ता।
🎯 Teacher View:
Zero transfer से पता चलता है कि कुछ learnings एक-दूसरे से असंबंधित (unrelated) होती हैं।
Similarity between tasks (कार्य में समानता):
अगर दो situations एक जैसी होंगी तो positive transfer ज़्यादा होगा।
👉 Example: Hindi और Sanskrit grammar में समानता।
Understanding of concept (अवधारणा की समझ):
अगर बच्चा concept को समझकर सीखता है, तो वह उसे नई situation में apply कर पाएगा।
Method of teaching (शिक्षण विधि):
Teacher अगर experiential methods (जैसे project, activity, real-life examples) इस्तेमाल करे तो transfer बढ़ता है।
Learner’s intelligence & attitude (विद्यार्थी की बुद्धि और दृष्टिकोण):
बुद्धिमान और motivated विद्यार्थी transfer जल्दी करते हैं।
(Positive Transfer बढ़ाने की रणनीतियाँ)
Link New with Old (नए को पुराने से जोड़ो):
नया concept सिखाने से पहले पुराने concept को दोहराओ।
👉 Example: Division सिखाने से पहले Multiplication revise करवाओ।
Use Real-Life Examples (वास्तविक जीवन के उदाहरण):
जब बच्चा real-life में चीज़ों को देखता है, तो learning transfer होती है।
👉 Example: दुकान पर पैसों का हिसाब लगाना = Maths concept का practical use।
Teach Understanding, Not Rote (रटने की बजाय समझ से सिखाओ):
Concept की meaning समझकर सीखा गया ज्ञान ज़्यादा transferable होता है।
Encourage Practice in Varied Situations (विभिन्न स्थितियों में अभ्यास):
एक concept को अलग-अलग संदर्भों में apply करवाना चाहिए।
👉 Example: “Measurement” concept को class में, playground में, kitchen में – तीनों जगह लागू करना।
Avoid Confusion between Similar Topics (समान विषयों में भ्रम से बचाओ):
जब दो topics मिलते-जुलते हों, तो दोनों का अंतर clear बताओ।
👉 Example: Area vs Perimeter का फर्क activity से समझाना।
Use Problem-Solving & Projects:
बच्चे जब समस्याओं को खुद हल करते हैं, तो वे concepts को नए contexts में use करना सीखते हैं।
बच्चे के पूर्व ज्ञान (previous knowledge) को पहचानो।
नई जानकारी को पुराने से जोड़ो (Linking approach).
बच्चों को वास्तविक अनुभव (real-life experiences) से जोड़ो।
Concept को समझाने और लागू करवाने दोनों पर ज़ोर दो।
Learning को meaningful और contextual बनाओ।
Transfer of Learning = पुरानी learning का नई learning पर प्रभाव।
3 Types:
Positive: नई learning में मदद
Negative: नई learning में बाधा
Zero: कोई असर नहीं
Factors: समानता, समझ, teaching method, motivation
Teacher Strategies:
पुराने concepts revise करो
Real-life examples दो
Conceptual clarity दो
Practice in different contexts
Main Idea:
👉 “Effective learning means using old knowledge in new situations.”
(अच्छी learning वही है जो नए हालात में काम आए।)
Learning Curve (अधिगम वक्र) वह ग्राफ़ है जो दर्शाता है कि समय या अभ्यास (practice) के साथ किसी कौशल या ज्ञान में सुधार कैसे होता है।
यह दिखाता है कि किसी नए कौशल को सीखना धीरे-धीरे शुरू होता है और धीरे-धीरे तेजी से सुधार आता है, फिर plateau (स्थिर अवस्था) आता है।
Learning Curve से teacher को सीखने की प्रक्रिया और सीखने में समय लगने का अंदाज़ा मिलता है।
Example:
बच्चा पहले बार में 2+2 गलत करता है, लेकिन बार-बार practice के बाद सही करता है।
Positive Learning Curve (सकारात्मक अधिगम वक्र)
Initial stage में performance slow, फिर धीरे-धीरे तेज़ सुधार।
Indicates learning is happening effectively।
Example:
बच्चा पहले spelling भूलता है, लेकिन regular practice से सुधार आता है।
Negative Learning Curve (नकारात्मक अधिगम वक्र)
समय के साथ performance घटता है।
Usually due to fatigue, loss of interest, distraction।
Example:
बच्चा बार-बार वही mistakes करता है क्योंकि उसने practice छोड़ दी।
S-Shaped / Sigmoid Curve (S-आकार का वक्र)
शुरू में धीमी progress → middle में तेजी → बाद में plateau।
Represents realistic learning process.
Example:
Initial weeks: math concept difficult लगता है
Mid weeks: तेजी से सीखता है
End: mastered concept, अब और improvement कम
Teacher को सीखने का pace समझने में मदद करता है।
Slow learners के लिए extra support।
Fast learners के लिए challenging tasks।
Instruction planning आसान होता है।
कौनसा concept कब और कैसे पढ़ाना है।
Motivation और encouragement देना।
Plateau stage में भी students को encourage करना।
Evaluation और assessment बेहतर करना।
Progress monitor करके feedback देना।
Example:
Science experiment: first trial slow, next trials fast learning → teacher observes and supports.
Spelling practice: Initial mistakes → frequent practice → correct spelling → plateau stage maintained.
Drawing skill: पहले struggle → mid weeks improvement → plateau, minor refinements।
Math problem-solving: first attempts slow → repeated practice → improvement → mastery।
Learning Curve = समय/अभ्यास के साथ सीखने में सुधार दिखाने वाला ग्राफ़।
Types: Positive (सुधार), Negative (घटाव), S-shaped (धीरे-धीरे, फिर तेजी, फिर plateau)।
Implications: Teacher planning, pacing, motivation, evaluation।
Classroom Tip: Students के performance और progress को monitor करना जरूरी।
Memory का अर्थ है — सीखी हुई जानकारी को सुरक्षित रखना और जरूरत पड़ने पर याद करना।
यानी जो हमने सीखा, उसे दिमाग में store (संग्रह) करके बाद में recall (याद) कर पाना।
यह सीखने की प्रक्रिया का बहुत ज़रूरी हिस्सा है, क्योंकि अगर हम याद नहीं रख पाए तो सीखना अधूरा रहेगा।
🧩 Example:
बच्चे ने कविता याद की और बाद में बिना किताब के सुना दी — यह memory है।
Encoding (कोड बनाना):
जब हम कोई चीज़ देखते, सुनते या पढ़ते हैं, तो दिमाग उसे meaning के रूप में store करने के लिए convert करता है।
👉 Example: जब बच्चा “Apple” शब्द देखता है, तो दिमाग में सेब की तस्वीर बन जाती है।
Storage (संग्रह):
जानकारी को कुछ समय या लंबे समय तक दिमाग में संभालकर रखना।
👉 Example: बच्चा टेबल का spelling “T-A-B-L-E” याद रखता है।
Retrieval (पुनः प्राप्त करना):
जब हमें ज़रूरत होती है, तब दिमाग से जानकारी वापस लाना (recall)।
👉 Example: परीक्षा में उत्तर याद करके लिखना।
Short-term Memory (अल्पकालिक स्मृति):
थोड़े समय के लिए जानकारी को रखती है (कुछ सेकंड या मिनट)।
👉 Example: मोबाइल नंबर को कुछ देर याद रखना जब तक उसे लिख न लें।
Long-term Memory (दीर्घकालिक स्मृति):
लंबे समय तक जानकारी को सुरक्षित रखती है (दिनों, महीनों या वर्षों तक)।
👉 Example: अपने बचपन के स्कूल का नाम याद रहना।
Sensory Memory (इंद्रिय स्मृति):
हमारी इंद्रियों (eyes, ears आदि) से मिली जानकारी कुछ सेकंड तक ही रहती है।
👉 Example: बिजली की चमक के बाद कुछ पल तक उसका चित्र दिखना।
Forgetting का मतलब है — सीखी हुई चीज़ों को याद न रख पाना या दिमाग से खो देना।
हर कोई भूलता है — यह एक natural process (स्वाभाविक प्रक्रिया) है।
विस्मरण का कारण यह नहीं कि हम नहीं सीखे, बल्कि यह कि जानकारी याद रखने की प्रक्रिया कमजोर हो गई।
🧩 Example:
अगर बच्चा कल का poem lesson भूल गया, तो यह forgetting है।
यह theory Hermann Ebbinghaus ने दी थी।
उन्होंने बताया कि —
सीखने के बाद समय बीतने के साथ स्मृति धीरे-धीरे घटती जाती है।
सबसे ज़्यादा भूलना सीखने के तुरंत बाद पहले कुछ घंटों में होता है।
अगर जानकारी दोहराई (revised) जाए, तो forgetting कम होती है।
🧩 Example:
बच्चा अगर poem को एक बार पढ़े और दोहराए नहीं, तो अगले दिन बहुत हिस्सा भूल जाएगा।
लेकिन अगर रोज़ revise करे, तो उसे लंबे समय तक याद रहेगा।
🎯 Teaching Implication:
शिक्षक को repetition (दोहराव) और revision करवाना चाहिए ताकि forgetting कम हो।
(Recall और Recognition का अंतर)
जब हम बिना किसी संकेत (clue) के दिमाग से जानकारी निकालते हैं,
तो उसे Recall कहते हैं।
यह ज्यादा कठिन होता है क्योंकि हमें खुद याद करना पड़ता है।
🧩 Example:
Exam में बिना option के “Write the definition of motivation” लिखना — Recall है।
जब हम किसी संकेत या clue से पहचानकर याद करते हैं,
तो उसे Recognition कहते हैं।
यह आसान होता है क्योंकि कुछ संकेत मिल जाते हैं।
🧩 Example:
MCQ exam में सही answer को पहचानना — Recognition है।
🎯 Teacher View:
Recall memory को develop करने के लिए बच्चों को questions पूछने,
और recognition को strengthen करने के लिए matching / identification activities करवानी चाहिए।
Lack of Attention (ध्यान की कमी):
ध्यान न होने से information properly store नहीं होती।
👉 Example: बच्चा खेलते-खेलते पढ़ता है, तो उसे याद नहीं रहेगा।
No Rehearsal (दोहराव की कमी):
जो चीज़ें बार-बार नहीं दोहराई जातीं, वे जल्दी भूल जाती हैं।
Similar Interference (समान जानकारी का दखल):
एक जैसी जानकारी एक-दूसरे में मिल जाती है।
👉 Example: दो भाषाओं के शब्दों में confusion होना।
Lack of Meaning (अर्थहीन जानकारी):
जो चीज़ हम समझकर नहीं सीखते, वह जल्दी भूल जाती है।
Stress or Fatigue (तनाव या थकान):
तनाव में दिमाग जानकारी को सही तरह से recall नहीं कर पाता।
Meaningful Learning (अर्थपूर्ण अधिगम):
जब हम चीज़ों को समझकर सीखते हैं, तो वे लंबे समय तक याद रहती हैं।
Repetition & Revision (दोहराव और पुनरावृत्ति):
बार-बार पढ़ने और revise करने से memory मजबूत होती है।
Association (संबंध बनाना):
नई जानकारी को किसी पुरानी चीज़ से जोड़ो।
👉 Example: "Sun rises in the East" को याद करने के लिए सूरज की दिशा visualize करना।
Mnemonics (याद रखने के तरीके):
Acronyms या short tricks बनाना।
👉 Example: “VIBGYOR” से इंद्रधनुष के रंग याद रखना।
Rest and Relaxation (आराम):
थके हुए दिमाग से memory कमजोर होती है, इसलिए पर्याप्त नींद जरूरी है।
Interest and Motivation (रुचि और प्रेरणा):
जो विषय हमें पसंद है, वह जल्दी याद रहता है।
Memory: Learning को याद रखकर पुनः उपयोग करने की क्षमता।
Stages: Encoding → Storage → Retrieval
Forgetting: Information का खो जाना।
Ebbinghaus Curve: समय के साथ memory घटती है, revision से बचती है।
Recall: बिना clue याद करना (Hard)
Recognition: Clue से पहचानना (Easy)
Causes: ध्यान की कमी, दोहराव न होना, समान जानकारी, अर्थहीन learning
Improvement Strategies: समझकर सीखना, दोहराव, संबंध बनाना, नींद, रुचि
📋 Topics:-
Meaning: ऐसी शिक्षा व्यवस्था जिसमें सभी बच्चे — चाहे वे सामान्य हों या विशेष आवश्यकताओं वाले (Children with Special Needs) — एक साथ सीखें।
Explanation: “Inclusive” का अर्थ है शामिल करना — यानी किसी को बाहर न करना।
Example: यदि एक कक्षा में दृष्टिबाधित (blind) और सामान्य बच्चे साथ पढ़ रहे हैं, और शिक्षक Braille किताबें भी उपलब्ध कराते हैं — यही Inclusive Education है।
Meaning: सबको बराबर अवसर देना, लेकिन ज़रूरत के अनुसार मदद देना।
Explanation: Equality (समानता) का मतलब है सबको समान चीज़ देना, जबकि Equity का मतलब है हर बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार मदद देना।
Example: परीक्षा में धीमे लिखने वाले बच्चे को extra time देना — यह Equity है।
Meaning: बच्चों में अलग-अलग तरह की क्षमताएँ, भाषाएँ, संस्कृतियाँ और पृष्ठभूमियाँ होना।
Explanation: हर बच्चा अलग सोचता, समझता और सीखता है — यही विविधता है।
Example: एक कक्षा में कोई बच्चा हिंदी बोलता है, कोई अंग्रेज़ी; कोई चित्र बनाना पसंद करता है, कोई गाना — यही Diversity है।
Meaning: ऐसे बच्चे जिन्हें सीखने में किसी विशेष प्रकार की मदद की ज़रूरत होती है।
Explanation: यह शारीरिक (Physical), मानसिक (Intellectual), या भावनात्मक (Emotional) कठिनाइयों के कारण हो सकता है।
Example: Dyslexia वाला बच्चा पढ़ने में कठिनाई महसूस करता है — उसे Special Learning Material की ज़रूरत होती है।
Meaning: सभी बच्चों के लिए सीखने के संसाधन और वातावरण को सुलभ बनाना।
Explanation: इसका मतलब है कि बच्चे तक शिक्षा पहुँचे, चाहे उसकी कोई भी स्थिति हो।
Example: स्कूल में रैंप (Ramp) बनाना ताकि व्हीलचेयर वाले बच्चे आसानी से आ-जा सकें।
Meaning: शिक्षण या मूल्यांकन (Teaching or Assessment) को बच्चे की ज़रूरत के अनुसार बदलना।
Explanation: इसका मतलब होता है बच्चे की कठिनाई को समझकर थोड़ा परिवर्तन करना ताकि वह सीख सके।
Example: लिखने में कठिनाई वाले बच्चे को oral exam देना — यह Accommodation है।
Meaning: पाठ्यक्रम या गतिविधियों को बच्चे की क्षमता के अनुसार ढालना।
Explanation: जब किसी विषय या कार्य को सरल रूप में बच्चे के स्तर के अनुसार बनाया जाए।
Example: अगर बच्चा अंग्रेज़ी के कठिन वाक्य नहीं समझ पाता, तो शिक्षक वही बात चित्र या कहानी के माध्यम से समझाए।
Meaning: हर बच्चे की ज़रूरत और क्षमता के अनुसार बनी शिक्षा योजना।
Explanation: इसमें यह लिखा जाता है कि बच्चे को क्या सिखाना है, कैसे सिखाना है, और प्रगति कैसे मापी जाएगी।
Example: “आरव को गणित में मदद के लिए 10 मिनट extra दिए जाएँगे” — यह IEP का हिस्सा हो सकता है।
Meaning: बच्चे को क्या सीखना है और कब तक सीखना है, यह स्पष्ट रूप से तय करना।
Explanation: लक्ष्य मापने योग्य और स्पष्ट होने चाहिए ताकि शिक्षक जान सके कि बच्चा सही दिशा में है या नहीं।
Example: “3 महीने में बच्चा 1 से 50 तक गिन सके” — यह एक Learning Goal है।
Meaning: अलग-अलग बच्चों की ज़रूरत के अनुसार अलग-अलग तरीके से पढ़ाना।
Explanation: एक ही विषय को कई तरीकों से समझाना ताकि हर बच्चा अपनी गति से सीखे।
Example: एक बच्चा कहानी सुनकर सीखता है, दूसरा चित्र देखकर — शिक्षक दोनों तरीकों का उपयोग करता है।
Meaning: ऐसे उपाय जिनसे बच्चे के व्यवहार को सकारात्मक दिशा में लाया जाए।
Explanation: शिक्षक बच्चे को सज़ा नहीं देता, बल्कि उसे समझाकर और प्रोत्साहित करके सही व्यवहार सिखाता है।
Example: अगर कोई बच्चा बार-बार बोलता है, तो शिक्षक उसे “Listening Star Chart” देता है — हर बार सही व्यवहार पर सितारा मिलता है।
Meaning: शिक्षक, अभिभावक, और विशेषज्ञों का मिलकर बच्चे के हित में काम करना।
Explanation: Inclusive Education तभी सफल होती है जब सभी लोग मिलकर योजना बनाएँ।
Example: IEP बनाने में शिक्षक, माता-पिता, और काउंसलर एक साथ चर्चा करते हैं — यह Collaboration है।
Meaning: यह देखना कि बच्चा अपनी शिक्षा योजना के अनुसार कितना सीख रहा है।
Explanation: इससे शिक्षक समय-समय पर बदलाव कर सकता है ताकि परिणाम बेहतर हों।
Example: हर महीने बच्चे की रिपोर्ट बनाना और अभिभावक से चर्चा करना।
Meaning: बच्चे का यह विश्वास कि “मैं सीख सकता हूँ।”
Explanation: शिक्षक का काम है बच्चे में यह विश्वास जगाना कि उसकी कोशिश मायने रखती है।
Example: जब शिक्षक कहता है — “तुम कोशिश करोगे तो कर लोगे!” — यह बच्चे के Self-Efficacy को बढ़ाता है।
Meaning: किसी दूसरे की स्थिति को महसूस करके समझना।
Explanation: शिक्षक जब बच्चे की कठिनाइयों को समझता है और मदद करता है, तो वह Empathetic होता है।
Example: यदि कोई बच्चा धीमे बोलता है, और शिक्षक उसे शांतिपूर्वक समय देता है — यह Empathy है।
Inclusive Education: सभी बच्चों को एक साथ शिक्षा देने की प्रक्रिया।
Equity ≠ Equality: Equity = ज़रूरत के अनुसार समान अवसर।
Diversity: हर बच्चा अलग है, यह स्वीकारना।
Special Needs: जो बच्चों को सीखने के लिए विशेष सहयोग चाहिए।
Accessibility: शिक्षा और संसाधन सबके लिए उपलब्ध।
Accommodation: शिक्षण में लचीलापन।
Adaptation: विषय या कार्य को आसान बनाना।
IEP: बच्चे के लिए व्यक्तिगत शिक्षा योजना।
Differentiated Instruction: हर बच्चे के अनुसार अलग शिक्षण तरीका।
Behavioural Support: बच्चे को सकारात्मक व्यवहार सिखाना।
Collaboration: शिक्षक, अभिभावक, विशेषज्ञ का मिलकर कार्य करना।
Monitoring: प्रगति की निरंतर जाँच।
Empathy: बच्चे की स्थिति को महसूस कर मदद करना।
Self-Efficacy: बच्चे में “मैं कर सकता हूँ” का विश्वास।
Meaning (अर्थ):
Inclusive Education का मतलब है – ऐसी शिक्षा प्रणाली जहाँ सभी बच्चे (children with & without disabilities) एक ही स्कूल में, एक ही कक्षा में, साथ में पढ़ते हैं।
👉 इसका उद्देश्य है कि हर बच्चे को समान अवसर (equal opportunity) मिले सीखने और भाग लेने का।
🧩 Example:
अगर किसी स्कूल में एक visually impaired (दृष्टिबाधित) बच्चा है, तो उसे भी बाकी बच्चों के साथ एक ही कक्षा में पढ़ाया जाए, Braille books या audio support से मदद दी जाए।
Inclusive (समावेशी) शब्द का मतलब है — “Include karna / शामिल करना”
यानी कोई भी बच्चा — चाहे उसकी language, ability, gender, caste, या background कुछ भी हो — स्कूल से बाहर न रहे।
🧩 Example:
गाँव की गरीब लड़की और शहर के अमीर लड़के — दोनों को समान रूप से सीखने का अधिकार मिले।
Inclusive Education केवल disability (विकलांगता) से जुड़ा नहीं है, बल्कि उन सभी बच्चों को शामिल करती है जो किसी भी कारण से “Educationally Disadvantaged” (शैक्षणिक रूप से पिछड़े) हैं।
जैसे —
आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे
सामाजिक रूप से पिछड़े समूह (SC, ST, minority)
लड़कियाँ
भाषा या संस्कृति में भिन्न बच्चे
यह शिक्षा Equality (समानता), Equity (न्याय), Participation (भागीदारी) और Respect for Diversity (विविधता का सम्मान) के सिद्धांतों पर आधारित है।
🧩 Example:
कक्षा में अगर कोई बच्चा सुन नहीं सकता, तो शिक्षक gestures या sign language का प्रयोग करे — यह equality + participation को दर्शाता है।
शिक्षा हर बच्चे का मूल अधिकार (Fundamental Right) है – RTE Act (2009) के अनुसार।
Inclusive system ensures कि कोई भी बच्चा school से बाहर न रहे।
🧩 Example:
अगर किसी बच्चे को चलने में दिक्कत है, तो स्कूल उसकी पहुँच (access) के लिए ramp बनाता है।
यह शिक्षा discrimination (भेदभाव) को समाप्त करती है।
हर बच्चे को अपनी क्षमता के अनुसार सीखने का मौका मिलता है।
🧩 Example:
Teacher group activities ऐसे बनाता है कि हर बच्चा — चाहे slow learner हो या fast — भाग ले सके।
Inclusive कक्षा में बच्चे सहयोग (cooperation), सहानुभूति (empathy) और सम्मान (respect) सीखते हैं।
यह सामाजिक मूल्यों (social values) को मजबूत करता है।
🧩 Example:
जब बच्चे एक-दूसरे की मदद करते हैं — जैसे कोई बच्चा visually impaired दोस्त को पढ़ने में मदद करे — यह सहयोग की भावना बढ़ाता है।
Inclusive education केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि व्यक्तित्व (personality), सामाजिक व्यवहार (social behaviour) और भावनात्मक विकास (emotional development) को भी प्रोत्साहित करती है।
🧩 Example:
Inclusive class में बच्चे teamwork और patience सीखते हैं — जो जीवनभर काम आते हैं।
जब बच्चों को acceptance और support मिलता है, तो वे स्कूल छोड़ने की बजाय सीखने में रुचि दिखाते हैं।
इससे dropout rate घटता है।
🧩 Example:
अगर शिक्षक कमजोर बच्चे को अलग नहीं करता बल्कि समझाकर सिखाता है, तो वह बच्चा स्कूल नहीं छोड़ेगा।
Inclusive teaching शिक्षक को हर बच्चे की जरूरत पहचानने और flexible methods (लचीले तरीकों) अपनाने की समझ देता है।
🧩 Example:
शिक्षक एक ही concept अलग-अलग तरीके से समझाता है — pictures, stories, practicals से।
यह बच्चों में diversity के प्रति सम्मान (respect for differences) सिखाती है।
इससे समाज में भेदभाव कम होता है और एकता (unity) बढ़ती है।
🧩 Example:
Inclusive स्कूल में बच्चा सीखता है कि “हर व्यक्ति अलग है, लेकिन सब समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।”
Democracy का आधार है Equality, Liberty, Fraternity — Inclusive Education इन्हें व्यवहार में लाती है।
हर बच्चे को voice (अभिव्यक्ति का अधिकार) मिलना, यह लोकतंत्र की असली भावना है।
Acceptance (स्वीकार करना): हर बच्चे को उसकी क्षमता के साथ स्वीकार करें।
Individualized Teaching: हर बच्चे की जरूरत के अनुसार teaching method अपनाएँ।
Adapt Learning Material: Braille, large print, charts, visuals, etc. का प्रयोग करें।
Create Supportive Environment: peers को भी सहयोग के लिए motivate करें।
Continuous Assessment: हर बच्चे की प्रगति अलग-अलग मापदंडों से देखें।
🧩 Example:
अगर कोई बच्चा सुनने में कमजोर है, तो शिक्षक visual aids से सिखाए और front bench पर बैठाए।
Inclusive Education = शिक्षा जो सभी बच्चों को साथ में सिखाती है।
यह Equality, Equity, Participation, Respect for Diversity पर आधारित है।
उद्देश्य: किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित न रखना।
महत्व:
Education for All (सभी के लिए शिक्षा)
Equal Opportunities
Social & Emotional Development
Reducing Dropouts
Empathy, Cooperation, Democratic Values
Teacher Role:
Accept diversity
Modify teaching methods
Encourage peer learning
Ensure accessibility for all
Inclusive Classroom का मतलब है – ऐसी कक्षा जहाँ हर बच्चा (सामान्य या विशेष आवश्यकता वाला) एक साथ सीख सके।
इसमें किसी बच्चे के साथ भेदभाव (Discrimination) नहीं किया जाता।
शिक्षक का उद्देश्य होता है – सभी बच्चों की सीखने की ज़रूरतें (Learning Needs) पूरी करना।
उदाहरण: अगर कक्षा में एक बच्चा सुन नहीं सकता, तो शिक्षक visual charts या signs का प्रयोग करता है ताकि वह भी सीख सके।
हर बच्चे की सीखने की गति (Learning Pace), रुचि (Interest) और क्षमता (Ability) अलग होती है।
शिक्षक को बच्चों के बीच के इन अंतर को पहचानना (Identify) और स्वीकार करना (Accept) चाहिए।
उदाहरण: कुछ बच्चे चित्र देखकर जल्दी सीखते हैं (Visual learners), जबकि कुछ सुनकर (Auditory learners)।
शिक्षक का मुख्य कार्य है – ऐसा माहौल बनाना जहाँ हर बच्चा सुरक्षित (Safe) और स्वीकार्य (Accepted) महसूस करे।
Positive Classroom Climate (सकारात्मक कक्षा वातावरण) बनाना जरूरी है।
उदाहरण: जब शिक्षक सब बच्चों को बराबरी से बोलने का मौका देता है, तो बच्चे आत्मविश्वास से भाग लेते हैं।
इसका अर्थ है – हर बच्चे की ज़रूरत और स्तर के अनुसार शिक्षण विधि (Teaching Method) बदलना।
शिक्षक को एक ही विषय को अलग-अलग तरीकों से समझाना चाहिए।
उदाहरण:
सामान्य बच्चा किताब से पढ़ सकता है,
दृष्टिबाधित बच्चा Braille Script से सीखेगा,
धीमी गति से सीखने वाला बच्चा चित्र या गतिविधि के माध्यम से समझेगा।
शिक्षक को Audio-Visual Aids, Smartboard, Assistive Devices (जैसे Hearing Aid, Braille Books) का उपयोग करना चाहिए।
इससे विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की भागीदारी बढ़ती है।
उदाहरण: Deaf students के लिए Subtitled Videos, Low Vision बच्चों के लिए Large Font Material देना।
शिक्षक को बच्चे की प्रगति के लिए Parents, Special Educators, और Counsellors से सहयोग लेना चाहिए।
इससे बच्चे की ज़रूरतों को बेहतर समझा जा सकता है।
उदाहरण: यदि बच्चा Dyslexia से ग्रस्त है, तो Special Educator उसके लिए अलग पढ़ने की तकनीक सुझा सकता है।
शिक्षक बच्चों के बीच Team Work और Peer Learning को बढ़ावा देता है।
जब बच्चे एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो समावेशी माहौल बनता है।
उदाहरण: सुनने में कठिनाई वाले बच्चे को उसका साथी Black Board की ओर इशारा कर मदद करता है।
शिक्षक को बच्चों में यह भावना जगानी चाहिए कि हर व्यक्ति अलग है लेकिन सब बराबर हैं।
इससे बच्चों में सम्मान (Respect) और सहानुभूति (Empathy) की भावना आती है।
उदाहरण: शिक्षक कहानी या Role Play के माध्यम से बच्चों को “दूसरों की भावनाएँ समझने” की शिक्षा देता है।
शिक्षक को मूल्यांकन के तरीके को बच्चों की क्षमताओं के अनुसार बदलना चाहिए।
उद्देश्य यह नहीं कि सब एक जैसा करें, बल्कि यह कि हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता से सीखे।
उदाहरण:
दृष्टिबाधित बच्चे को Oral Test देना,
Dyslexia वाले बच्चे को Extra Time देना।
Inclusive कक्षा में कुछ बच्चे आत्मविश्वास की कमी महसूस कर सकते हैं।
शिक्षक को उन्हें Motivation (प्रेरणा) और Positive Feedback देना चाहिए।
उदाहरण: “तुमने आज बहुत अच्छा प्रयास किया!” — यह एक वाक्य बच्चे को आत्मविश्वास देता है।
शिक्षक को Inclusive Education से जुड़ी नई तकनीक, रणनीति और नीतियों की जानकारी रखनी चाहिए।
इसके लिए उसे Training, Workshops, और Seminars में भाग लेना चाहिए।
उदाहरण: अगर शिक्षक “Autism Spectrum Disorder” पर वर्कशॉप में भाग लेता है, तो वह ऐसे बच्चों को बेहतर समझ पाएगा।
शिक्षक केवल कक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में समावेशी सोच फैलाने में भी भूमिका निभाता है।
उदाहरण: स्कूल के दूसरे शिक्षकों को भी प्रेरित करना कि सभी बच्चे समान रूप से सीखने के हकदार हैं।
Inclusive Classroom = सभी बच्चों के लिए समान अवसर।
शिक्षक की भूमिका – Guide, Supporter, Motivator, and Facilitator.
हर बच्चे की व्यक्तिगत आवश्यकता (Individual Need) पहचानना जरूरी।
Differentiated Teaching और Assistive Devices का प्रयोग करें।
Parents, Specialists से सहयोग लेना।
Peer Learning और Empathy को बढ़ावा देना।
मूल्यांकन में लचीलापन (Flexibility) रखें।
बच्चों को भावनात्मक समर्थन दें।
शिक्षक को Inclusive Practices में लगातार Training लेनी चाहिए।
शिक्षक समाज में समावेशन का प्रचारक (Advocate) होता है।
IEP (Individualized Education Plan) का अर्थ है –
एक व्यक्तिगत शिक्षा योजना, जो किसी विशेष आवश्यकता वाले बच्चे (Child with Special Needs) के लिए बनाई जाती है।
इसका उद्देश्य होता है कि हर बच्चे को उसकी क्षमता (Ability), रुचि (Interest) और ज़रूरत (Need) के अनुसार शिक्षा दी जाए।
यह योजना शिक्षक, अभिभावक, और विशेषज्ञ मिलकर बनाते हैं।
उदाहरण: अगर किसी बच्चे को पढ़ने में कठिनाई है (जैसे Dyslexia), तो IEP में लिखा जाएगा कि उसके लिए चित्रों, श्रव्य सामग्री या अतिरिक्त समय का प्रयोग किया जाएगा।
हर बच्चा अलग है (Every Child is Unique):
सभी बच्चों की सीखने की गति और तरीका अलग होता है। IEP सुनिश्चित करता है कि हर बच्चे को अपनी गति से सीखने का मौका मिले।
➤ उदाहरण: कोई बच्चा जल्दी समझता है, तो कोई ज्यादा अभ्यास के बाद समझता है।
Special Needs की पहचान और सहायता:
IEP यह तय करता है कि बच्चे को किस प्रकार की सहायता (Support) चाहिए — जैसे विशेष सामग्री, तकनीक, या व्यक्तिगत मार्गदर्शन।
➤ उदाहरण: दृष्टिबाधित बच्चे के लिए Braille Books या Audio Material देना।
Focused Learning Goals (स्पष्ट शिक्षण लक्ष्य):
हर बच्चे के लिए अलग-अलग Learning Outcomes (सीखने के परिणाम) तय किए जाते हैं।
➤ उदाहरण: “अगले तीन महीने में बच्चा दो अक्षर वाले शब्द पढ़ सके” — यह एक IEP Goal है।
Parent & Teacher Coordination (अभिभावक और शिक्षक का तालमेल):
IEP से दोनों को बच्चे की प्रगति पर नज़र रखने में मदद मिलती है।
Monitoring Progress (प्रगति पर नज़र रखना):
IEP के ज़रिए शिक्षक यह देख सकता है कि बच्चे में कितना सुधार हुआ और आगे क्या बदलने की ज़रूरत है।
बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार अधिकतम विकास (Maximum Development) का अवसर देना।
बच्चे के सीखने के अवरोध (Learning Barriers) को पहचानकर दूर करना।
Inclusive Education को प्रभावी बनाना, ताकि बच्चा मुख्यधारा की शिक्षा में भाग ले सके।
बच्चों में Self-Confidence (आत्मविश्वास) और Motivation (प्रेरणा) बढ़ाना।
Class Teacher (शिक्षक) – बच्चे की दैनिक प्रगति को समझता है।
Special Educator (विशेष शिक्षक) – बच्चे की विशेष जरूरतों की पहचान करता है।
Parents (अभिभावक) – बच्चे की घर पर स्थिति और आदतों की जानकारी देते हैं।
Counsellor / Psychologist (परामर्शदाता) – बच्चे की मानसिक और भावनात्मक स्थिति समझता है।
Principal / School Head – योजना को लागू करने में सहयोग देता है।
Child’s Background Information (बच्चे की पृष्ठभूमि जानकारी):
बच्चे का नाम, आयु, कक्षा, पारिवारिक स्थिति, स्वास्थ्य और रुचियाँ।
➤ उदाहरण: “आरव, 9 वर्ष, कक्षा 4, हल्की सुनने की समस्या।”
Assessment of Current Level (वर्तमान क्षमता का मूल्यांकन):
बच्चा इस समय क्या-क्या कर सकता है — पढ़ना, लिखना, बोलना, या गणना करना।
➤ उदाहरण: “आरव दो-अंकों की संख्याएँ जोड़ सकता है लेकिन घटा नहीं सकता।”
Learning Goals (सीखने के लक्ष्य):
बच्चे के लिए तय किए गए अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य।
➤ उदाहरण: “तीन महीने में 20 तक घटाना सीखना।”
Teaching Strategies (शिक्षण रणनीतियाँ):
किस तरह की विधियाँ और संसाधन प्रयोग किए जाएंगे।
➤ उदाहरण: Flashcards, Drawing, Games, Audio Tools, Peer Support आदि।
Support Services (सहायता सेवाएँ):
बच्चे को कौन सी विशेष सुविधा दी जाएगी।
➤ उदाहरण: Speech Therapy, Occupational Therapy, Special Educator Support।
Evaluation & Review (मूल्यांकन और पुनरीक्षण):
IEP को नियमित रूप से देखा जाता है कि क्या लक्ष्य पूरे हो रहे हैं या नहीं।
➤ उदाहरण: हर महीने शिक्षक और अभिभावक मिलकर बच्चे की प्रगति पर चर्चा करें।
शिक्षक को बच्चे के साथ रोज़ाना IEP के अनुसार कार्य करना चाहिए।
शिक्षण सामग्री को बच्चे की आवश्यकता अनुसार संशोधित करना चाहिए।
Progress Chart (प्रगति चार्ट) बनाएँ ताकि सुधार को ट्रैक किया जा सके।
Feedback देते समय सकारात्मक भाषा का प्रयोग करें।
➤ उदाहरण: “तुमने आज बहुत अच्छा प्रयास किया, कल हम और आसान तरीका आज़माएँगे।”
बच्चे को व्यक्तिगत ध्यान मिलता है।
शिक्षक को यह स्पष्ट होता है कि किस दिशा में कार्य करना है।
अभिभावक को बच्चे की प्रगति की सटीक जानकारी मिलती है।
बच्चे में आत्मविश्वास और उपलब्धि की भावना आती है।
Inclusive Education वास्तव में लागू होती है — कोई बच्चा पीछे नहीं छूटता।
IEP = Individualized Education Plan → हर बच्चे के लिए अलग शिक्षण योजना।
उद्देश्य: बच्चे की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा देना।
Need: हर बच्चा अलग है, इसलिए व्यक्तिगत योजना ज़रूरी।
Team: Teacher + Special Educator + Parents + Counsellor।
Main Components:
Background Information
Current Performance
Learning Goals
Teaching Strategies
Support Services
Evaluation & Review
Benefits: व्यक्तिगत ध्यान, लक्ष्य आधारित सीखना, माता-पिता का सहयोग, और आत्मविश्वास में वृद्धि।
📋 Topics:-
Meaning: जब हर बच्चा — चाहे वह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या आर्थिक रूप से अलग क्यों न हो — एक ही सामान्य स्कूल में समान अवसरों (equal opportunities) के साथ शिक्षा प्राप्त करता है।
Example: एक स्कूल जहाँ सामान्य बच्चे और विशेष आवश्यकता वाले बच्चे (CWSN) साथ बैठकर पढ़ते हैं।
Meaning: ऐसे बच्चे जिन्हें सीखने, चलने, बोलने, सुनने या समझने में किसी प्रकार की कठिनाई होती है और जिन्हें विशेष समर्थन (special support) की ज़रूरत होती है।
Example: कोई बच्चा जिसे सुनने में परेशानी है या पढ़ाई में बार-बार अक्षर उलट जाते हैं (dyslexia)।
Meaning: शरीर या मन की ऐसी स्थिति, जो किसी व्यक्ति की सामान्य गतिविधि (daily activity) करने की क्षमता को प्रभावित करती है।
Example: दृष्टिबाधित (visual impaired) बच्चा बोर्ड नहीं पढ़ सकता।
Meaning: जब किसी व्यक्ति को आंशिक (partial) या पूर्ण (complete) दृष्टि की हानि हो।
Example: बच्चा जो किताबें पढ़ने के लिए ब्रेल लिपि (Braille Script) का उपयोग करता है।
Meaning: जब किसी व्यक्ति को सुनने में आंशिक या पूर्ण कठिनाई होती है।
Example: बच्चा जो hearing aid लगाकर शिक्षक की बात समझता है।
Meaning: जब किसी बच्चे की सीखने, सोचने और समस्या हल करने की क्षमता उम्र के अनुसार बहुत धीमी होती है।
Example: 10 साल का बच्चा जो 5 साल के स्तर की गणित समझता है।
Meaning: जब बच्चा सामान्य बुद्धि का होते हुए भी पढ़ने (reading), लिखने (writing), या गणना (calculation) में कठिनाई महसूस करता है।
Example: बच्चा जो “b” और “d” को बार-बार उल्टा लिख देता है।
Meaning: Learning Disability का एक प्रकार जिसमें बच्चे को letters और words पहचानने व पढ़ने में कठिनाई होती है।
Example: बच्चा “CAT” को “TAC” पढ़ देता है।
Meaning: जब बच्चा बहुत restless (बेचैन) होता है, किसी काम पर ध्यान नहीं रख पाता, और बार-बार इधर-उधर घूमता है।
Example: बच्चा जो 5 मिनट भी चुपचाप बैठ नहीं पाता।
Meaning: ऐसे बच्चे जिनमें सामान्य से अधिक बुद्धि, रचनात्मकता (creativity) या विशेष कौशल (special talent) होता है।
Example: बच्चा जो 6वीं कक्षा में रहते हुए 9वीं का गणित हल कर लेता है।
Meaning: किसी व्यक्ति या वस्तु की पहचान बताने वाले गुण।
Example: Gifted बच्चे की विशेषता — जल्दी समझना, अलग सवाल पूछना।
Meaning: किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बनाई गई योजना या तरीका (method or plan)।
Example: Slow learners के लिए “step-by-step learning” एक अच्छी strategy है।
Meaning: ऐसे बच्चे जिनकी सीखने की गति (learning speed) सामान्य बच्चों से थोड़ी कम होती है, पर वे लगातार प्रयास से सीख सकते हैं।
Example: बच्चा जिसे नया पाठ समझने में दो दिन लगते हैं, जबकि बाकी एक दिन में समझ जाते हैं।
Meaning: ऐसे तरीक़े जो शिक्षक बच्चों की मदद के लिए अपनाते हैं, ताकि वे अपने स्तर पर सीख सकें।
Example: Slow learners के लिए अतिरिक्त अभ्यास (extra practice) या चित्रों के माध्यम से पढ़ाना।
Meaning: ऐसे कारक (factors) जो किसी बच्चे के सीखने की प्रक्रिया को रोकते या धीमा करते हैं।
Example: शोरगुल भरा वातावरण, आत्मविश्वास की कमी या परिवार की गरीबी।
Meaning: जब बच्चा शारीरिक रूप से किसी कार्य में भाग नहीं ले पाता — जैसे सुनना, देखना, चलना आदि।
Example: स्कूल की सीढ़ियाँ wheelchair वाले बच्चे के लिए बाधा बन जाती हैं।
Meaning: समाज या परिवार से मिलने वाला भेदभाव या नकारात्मक व्यवहार जो बच्चे को पीछे कर देता है।
Example: कोई बच्चा “गरीब परिवार” से है, तो दूसरे बच्चे उससे दूरी बनाते हैं।
Meaning: जब बच्चा डर, असफलता या आत्मविश्वास की कमी के कारण सही से नहीं सीख पाता।
Example: बच्चा जो हर बार गलत उत्तर देने से डरता है और प्रश्न पूछने से बचता है।
Meaning: जब एक विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थी को सिखाता है या मदद करता है।
Example: गणित में तेज़ बच्चा अपने दोस्त को division सिखा रहा है।
Meaning: जब बच्चे छोटे समूहों में मिलकर सीखते हैं और साथ में कार्य पूरा करते हैं।
Example: चार बच्चे मिलकर “Clean India” पर प्रोजेक्ट बनाते हैं।
Meaning: ऐसा शिक्षण कार्यक्रम जो प्रत्येक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे के लिए उसकी ज़रूरतों के अनुसार बनाया जाता है।
Example: दृष्टिबाधित बच्चे के लिए चित्रों के बजाय श्रवण आधारित सामग्री देना।
Meaning: जब शिक्षक शिक्षण या मूल्यांकन (assessment) में कुछ बदलाव करके बच्चे की सुविधा के अनुसार वातावरण तैयार करता है।
Example: सुनने में कठिनाई वाले बच्चे के लिए आगे की सीट देना।
Meaning: जब शिक्षक पाठ्यक्रम (curriculum) या लक्ष्य को ही बच्चे की क्षमता के अनुसार बदल देता है।
Example: सामान्य बच्चों के लिए 20 सवाल, पर विशेष बच्चे के लिए केवल 10 सवाल देना।
Meaning: जब शिक्षक अलग-अलग बच्चों के लिए अलग-अलग तरीकों से पढ़ाता है ताकि सब अपने स्तर पर सीख सकें।
Example: कुछ बच्चों को वीडियो से, कुछ को खेल के माध्यम से सिखाना।
Meaning: दूसरों की भावनाओं को महसूस करना और समझना कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं।
Example: शिक्षक जो CWSN बच्चे की परेशानी को समझकर उसे धीरे-धीरे पढ़ाता है।
✅ Inclusive Education: सबके लिए समान अवसर वाली शिक्षा।
✅ CWSN: जिन बच्चों को सीखने या शारीरिक कार्यों में विशेष मदद चाहिए।
✅ Disability Types: Visual, Hearing, Intellectual, Learning, ADHD आदि।
✅ Gifted Children: बहुत अधिक बुद्धिमान या रचनात्मक बच्चे।
✅ Slow Learners: जो सामान्य से धीमी गति से सीखते हैं, पर निरंतर प्रयास से सीख सकते हैं।
✅ Barriers to Learning: Physical, Social, Emotional बाधाएँ जो सीखने में अड़चन डालती हैं।
✅ Peer Tutoring: बच्चा अपने सहपाठी को सिखाता है।
✅ Cooperative Learning: समूह में मिलकर सीखना।
✅ IEP: प्रत्येक विशेष बच्चे के लिए व्यक्तिगत शिक्षण योजना।
✅ Accommodation: Teaching/Assessment में लचीलापन देना।
✅ Empathy: दूसरों की स्थिति को समझकर सहयोग करना।
Children with Special Needs (CWSN) का मतलब है — ऐसे बच्चे जिनके शारीरिक (Physical), मानसिक (Mental), बौद्धिक (Intellectual), भावनात्मक (Emotional) या सामाजिक (Social) विकास में कुछ कठिनाइयाँ होती हैं।
ऐसे बच्चों को सीखने और जीवन में सफल होने के लिए अतिरिक्त सहायता (Special Support) या समायोजन (Accommodation) की ज़रूरत होती है।
CWSN बच्चे भी उतने ही सक्षम और प्रतिभाशाली हो सकते हैं — बस उन्हें अलग तरीके से सिखाने की ज़रूरत होती है।
Example:
एक बच्चा जो सुन नहीं सकता (Hearing Impaired) — उसे sign language या hearing aid से मदद दी जा सकती है।
एक बच्चा जो बहुत धीरे लिखता है — उसे परीक्षा में extra time दिया जा सकता है।
हर बच्चे का विकास अलग गति से होता है।
CWSN बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार की ज़रूरत नहीं, बल्कि समझदारी और सहानुभूति (Empathy) की ज़रूरत होती है।
अगर शिक्षक CWSN की ज़रूरत समझ लेता है, तो वह inclusive classroom को सफल बना सकता है।
Example:
एक शिक्षक यदि जानता है कि बच्चा Dyslexia से जूझ रहा है, तो वह उसे पढ़ने के लिए चित्रों और शब्दों के संयोजन का उपयोग करा सकता है।
जिन बच्चों को शरीर के किसी भाग का उपयोग करने में कठिनाई होती है।
इसमें शामिल हैं:
Locomotor Disability (गतिशीलता संबंधी कठिनाई) – जैसे चलने-फिरने में दिक्कत।
Visual Impairment (दृष्टि बाधित) – आंशिक या पूर्ण दृष्टि हानि।
Hearing Impairment (श्रवण बाधित) – सुनने में दिक्कत या बहरापन।
Example:
व्हीलचेयर पर आने वाला बच्चा या Braille में पढ़ने वाला बच्चा।
जब बच्चे की बौद्धिक क्षमता (Intellectual Ability) या समझने की शक्ति औसत से कम होती है।
उसे नए विचार या अवधारणा को समझने में समय लगता है।
इस स्थिति में बच्चे को धीरे और दोहराव के साथ सिखाना होता है।
Example:
एक बच्चा जो बार-बार गणित के जोड़ में गलती करता है और उसे बार-बार समझाने की ज़रूरत होती है।
जब बच्चा सामान्य बुद्धिमत्ता रखते हुए भी पढ़ने, लिखने या गणना करने में कठिनाई महसूस करता है।
इसमें तीन प्रमुख प्रकार शामिल हैं:
Dyslexia (पढ़ने में कठिनाई)
Dysgraphia (लिखने में कठिनाई)
Dyscalculia (गणना में कठिनाई)
Example:
एक बच्चा जो “b” और “d” में अंतर नहीं कर पाता या “16” को “61” लिख देता है।
ऐसे बच्चे जो बार-बार क्रोधित होते हैं, ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते या दूसरों से झगड़ते हैं।
यह स्थिति घर के माहौल, अवसाद, या ध्यान की कमी (Attention Deficit) से जुड़ी हो सकती है।
शिक्षक को ऐसे बच्चों के लिए सकारात्मक व्यवहार प्रोत्साहन (Positive Reinforcement) देना चाहिए।
Example:
यदि बच्चा बार-बार कक्षा में शोर करता है, तो शिक्षक उसे शांत बैठने पर स्टार या स्माइल स्टिकर दे सकता है।
ये भी CWSN की श्रेणी में आते हैं क्योंकि इन्हें भी विशेष शिक्षण योजनाओं (Special Learning Plans) की आवश्यकता होती है।
ये बच्चे औसत से तेज़ सीखते हैं और रचनात्मक (Creative) सोच रखते हैं।
शिक्षक को इन्हें अधिक चुनौतीपूर्ण कार्य (Challenging Tasks) देने चाहिए।
Example:
अगर बच्चा गणित में तेज़ है, तो उसे पज़ल्स या प्रोजेक्ट्स दिए जा सकते हैं ताकि उसकी रुचि बनी रहे।
पहचान (Identification): सबसे पहले शिक्षक बच्चे की कठिनाइयों को पहचानता है।
समायोजन (Accommodation): शिक्षण पद्धति, मूल्यांकन या कक्षा वातावरण में बदलाव करता है।
सहयोग (Collaboration): माता-पिता, विशेष शिक्षकों (Special Educators) और काउंसलर से मिलकर काम करता है।
सकारात्मक वातावरण (Positive Environment): ऐसा माहौल बनाता है जहाँ बच्चा सुरक्षित और स्वीकृत महसूस करे।
Example:
कक्षा में शिक्षक बोर्ड पर बड़ा फ़ॉन्ट (Large Font) लिखता है ताकि दृष्टिबाधित बच्चे भी पढ़ सकें।
इससे हर बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार सीख पाता है।
भेदभाव (Discrimination) कम होता है और समान अवसर (Equal Opportunity) मिलते हैं।
यह Inclusive Education (समावेशी शिक्षा) के सिद्धांत को मजबूत बनाता है।
इससे समाज में सहानुभूति (Empathy) और समानता (Equality) बढ़ती है।
CWSN = Children with Special Needs — जिन्हें अतिरिक्त सहायता की ज़रूरत होती है।
इसमें शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक, या व्यवहारिक कठिनाइयाँ शामिल हैं।
मुख्य श्रेणियाँ:
Physical Disabilities
Intellectual Disabilities
Learning Disabilities (Dyslexia, Dysgraphia, Dyscalculia)
Behavioural Difficulties
Gifted and Talented
शिक्षक की भूमिका: पहचान, सहायता, सहयोग, और सकारात्मक माहौल बनाना।
उद्देश्य: हर बच्चे को समान अवसर और आत्मविश्वास के साथ सीखने का अवसर देना।
हर बच्चा अलग होता है — कुछ बच्चे शारीरिक या मानसिक रूप से दूसरों से थोड़ा अलग तरीके से सीखते हैं।
ऐसे बच्चों को Children with Special Needs (CWSN) कहा जाता है।
इन बच्चों को शिक्षा में सफल होने के लिए विशेष सहायता (special support) की आवश्यकता होती है।
Meaning (अर्थ):
जब बच्चे को देखने में आंशिक (partial) या पूर्ण (total) दृष्टि हानि होती है।
यह जन्मजात (by birth) या बाद में किसी दुर्घटना या बीमारी से हो सकती है।
Types (प्रकार):
Blindness (अंधता): बिल्कुल न देख पाना।
Low Vision (कम दृष्टि): चीजें बहुत पास या विशेष प्रकाश में ही दिखती हैं।
Classroom Support:
Braille System (ब्रेल लिपि): दृष्टिबाधित बच्चों के लिए विशेष लेखन प्रणाली।
Audio Books (श्रव्य पुस्तकें): सुनकर सीखने की सुविधा।
Large Print Books (बड़े अक्षरों वाली किताबें): कम दृष्टि वाले बच्चों के लिए।
Example:
एक बच्चा जो बोर्ड पर लिखा नहीं देख सकता, वह Braille notes या audio lessons से पढ़ाई कर सकता है।
Meaning:
जब बच्चे को सुनने में आंशिक या पूर्ण कठिनाई होती है।
यह जन्मजात या किसी दुर्घटना / संक्रमण के कारण भी हो सकती है।
Types:
Deaf (पूर्ण श्रवण हानि)
Hard of Hearing (आंशिक श्रवण हानि)
Classroom Support:
Sign Language (संकेत भाषा) का प्रयोग।
Hearing Aid (श्रवण यंत्र) का उपयोग।
शिक्षक को बोलते समय चेहरे की ओर देखकर स्पष्ट उच्चारण करना चाहिए।
Example:
एक बच्चा जो hearing aid पहनता है, वह शिक्षक के होंठ देखकर और संकेत भाषा से सीखता है।
Meaning:
जब बच्चे की समझने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता (Cognitive Ability) सामान्य बच्चों से कम होती है।
उसे नए विचार या समस्या को समझने में समय लगता है।
Main Features:
सीखने की गति बहुत धीमी होती है।
दैनिक कार्यों में सहायता की आवश्यकता होती है।
सामाजिक और व्यवहारिक कौशल सीमित होते हैं।
Classroom Support:
बार-बार दोहराव (repetition) से सिखाना।
छोटे-छोटे और आसान steps में पढ़ाना।
Visual Aids (दृश्य सहायक सामग्री) जैसे चित्र, कार्ड, चार्ट का प्रयोग।
Example:
ऐसा बच्चा जो बार-बार “2 + 3 = 5” याद नहीं रख पाता, उसे चित्रों और गिनती के सामान से सिखाया जा सकता है।
Learning Disabilities (LDs) वे स्थितियाँ हैं जिनमें बच्चा सामान्य बुद्धिमत्ता होने के बावजूद पढ़ने, लिखने या गणना करने में कठिनाई महसूस करता है।
ये मानसिक विकलांगता नहीं हैं, बल्कि सीखने की प्रक्रिया (learning process) में अंतर होता है।
बच्चा अक्षरों और शब्दों की पहचान में कठिनाई महसूस करता है।
वह शब्दों को उल्टा या गलत पढ़ सकता है।
स्पेलिंग (spelling) और pronunciation (उच्चारण) में गलती करता है।
Example:
बच्चा “dog” को “god” पढ़ लेता है या “b” और “d” में अंतर नहीं कर पाता।
Classroom Help:
Phonics method (ध्वनि पद्धति) से सिखाना।
शब्दों के साथ चित्र जोड़ना (Picture association)।
बच्चे को अक्षर ठीक से बनाने या शब्द लिखने में कठिनाई होती है।
उसकी writing अस्पष्ट या बहुत धीमी हो सकती है।
Example:
बच्चा बहुत गलत स्पेलिंग लिखता है या लाइन से बाहर लिखता है।
Classroom Help:
Writing practice बड़े अक्षरों में कराना।
पेंसिल पकड़ने में सहायता देना।
मौखिक उत्तरों (oral responses) की अनुमति देना।
गणितीय चिन्हों, संख्याओं या पैटर्न को समझने में दिक्कत।
जोड़, घटाव, गुणा, भाग में भ्रम रहता है।
Example:
बच्चा 6 × 3 = 12 लिख देता है या 16 और 61 में अंतर नहीं कर पाता।
Classroom Help:
Concrete materials (वास्तविक वस्तुएँ) जैसे बीन्स, स्टिक्स, चार्ट से सिखाना।
स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया में गणना कराना।
बच्चा बहुत अधिक सक्रिय होता है और ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता।
बार-बार हिलना-डुलना, बिना कारण बात करना, या किसी काम में टिके रहना कठिन होता है।
Example:
कक्षा में बच्चा बार-बार सीट से उठता है, बात करता है या काम पूरा नहीं करता।
Classroom Help:
छोटे समय के कार्य (short tasks) देना।
शिक्षक का eye contact बनाए रखना।
Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन) देना जैसे स्टिकर या प्रशंसा।
ऐसे बच्चे दूसरों से सामाजिक संपर्क (social interaction) में कठिनाई महसूस करते हैं।
वे एक ही चीज़ बार-बार दोहराते हैं (repetitive behaviour)।
उन्हें तेज़ आवाज़ या भीड़ से परेशानी हो सकती है।
Example:
बच्चा किसी विशेष खिलौने से ही खेलना पसंद करता है और किसी की ओर नहीं देखता।
Classroom Help:
शांत और पूर्वानुमेय वातावरण (predictable environment)।
Visual schedule से दिन की गतिविधियों का संकेत देना।
धीरे और स्पष्ट भाषा में निर्देश देना।
जब बच्चे को एक से अधिक प्रकार की विकलांगता होती है।
जैसे — दृष्टिबाधित + बौद्धिक अक्षमता।
इन बच्चों के लिए Individualized Education Plan (IEP) आवश्यक होता है।
Example:
एक बच्चा जो न देख सकता है और साथ ही बोलने में कठिनाई महसूस करता है।
Visual Impairment → देखने में कठिनाई; Braille, Audio Books, Large Font helpful।
Hearing Impairment → सुनने में कठिनाई; Sign Language, Hearing Aid helpful।
Intellectual Disability → सोचने-समझने की गति कम; simple steps, repetition useful।
Learning Disabilities (LDs) → सामान्य बुद्धिमत्ता के बावजूद सीखने में कठिनाई।
Dyslexia: पढ़ने में कठिनाई।
Dysgraphia: लिखने में कठिनाई।
Dyscalculia: गणना में कठिनाई।
ADHD: ध्यान की कमी + अत्यधिक सक्रियता।
Autism (ASD): सामाजिक संचार में कठिनाई, दोहराव वाले व्यवहार।
Multiple Disabilities: एक से अधिक विकलांगता, IEP की आवश्यकता।
Gifted & Talented Children (प्रतिभाशाली और मेधावी बच्चे) वे बच्चे होते हैं जिनकी बौद्धिक (intellectual), रचनात्मक (creative), शैक्षणिक (academic), या कलात्मक (artistic) क्षमताएँ सामान्य बच्चों से कहीं अधिक होती हैं।
ये बच्चे बहुत तेज़ी से सीखते हैं, नई जानकारी को गहराई से समझते हैं और समस्याओं का अनोखा समाधान (unique solution) निकालते हैं।
इनकी ज़रूरतें (needs) सामान्य बच्चों से अलग होती हैं। इसलिए शिक्षक को विशेष शिक्षण रणनीतियाँ (special teaching strategies) अपनानी पड़ती हैं।
Example:
कक्षा में एक बच्चा जो गणित के सवाल दूसरों से पहले हल कर लेता है और नए तरीके सुझाता है — वह gifted child हो सकता है।
High Curiosity (जिज्ञासु स्वभाव):
ये बच्चे बहुत प्रश्न पूछते हैं — “क्यों?”, “कैसे?”, “अगर ऐसा हो तो क्या होगा?”
➤ Example: “Teacher, अगर पृथ्वी घूमना बंद कर दे तो क्या होगा?”
Fast Learners (तेज़ सीखने वाले):
इन्हें नई चीजें जल्दी समझ आ जाती हैं।
➤ Example: Science का concept एक बार सुनने पर याद कर लेते हैं।
Strong Memory (मजबूत स्मृति):
ये बच्चे facts और details को लंबे समय तक याद रखते हैं।
Creative Thinking (रचनात्मक सोच):
ये नए विचार, नए तरीके या नए प्रयोग सोचते हैं।
➤ Example: Drawing class में कुछ बिल्कुल अलग तरह की picture बनाना।
High Level of Concentration (अधिक एकाग्रता):
जिस विषय में रुचि होती है, उसमें ये पूरी तरह डूब जाते हैं।
Advanced Vocabulary (उन्नत शब्दावली):
इनकी भाषा सामान्य बच्चों से अधिक समृद्ध (rich) और सटीक (precise) होती है।
Perfectionist Tendency (पूर्णता की प्रवृत्ति):
अपने काम में सबसे अच्छा करने की इच्छा रखते हैं। गलती होने पर निराश हो सकते हैं।
Sense of Justice (न्याय की भावना):
सही-गलत को लेकर संवेदनशील रहते हैं। समाज में अन्याय देखकर दुखी हो जाते हैं।
Independent & Self-Motivated (स्वतंत्र और आत्म-प्रेरित):
बिना कहे खुद काम शुरू कर देते हैं और उसे पूरा करने की प्रेरणा खुद में रखते हैं।
Emotional Sensitivity (भावनात्मक संवेदनशीलता):
बहुत जल्दी भावनात्मक रूप से प्रभावित हो जाते हैं — किसी की परेशानी देखकर मदद करना चाहते हैं।
Enriched Curriculum (समृद्ध पाठ्यक्रम):
इन्हें ऐसा पाठ्यक्रम चाहिए जिसमें गहराई, चुनौती और सोचने के अवसर हों।
Acceleration (त्वरित प्रगति):
अगर बच्चा बहुत तेज़ सीख रहा है तो उसे ऊँची कक्षा की विषय-वस्तु जल्दी पढ़ाई जा सकती है।
Individual Projects (व्यक्तिगत परियोजनाएँ):
उन्हें खुद से खोजबीन (research) और नए विचारों पर काम करने के अवसर दिए जाएँ।
Peer Group Interaction (समान रुचि वाले बच्चों से मेल-जोल):
ताकि वे अपनी सोच साझा कर सकें और प्रेरित रहें।
Emotional Support (भावनात्मक सहारा):
क्योंकि कई बार gifted बच्चे अकेलापन या दबाव महसूस करते हैं।
Identify the Gifted Child (पहचान करना):
शिक्षक को classroom में ऐसे बच्चों की पहचान करनी चाहिए जो तेज़ी से समझते हैं, गहराई से सोचते हैं या रचनात्मक विचार रखते हैं।
Provide Enrichment Activities (समृद्ध गतिविधियाँ देना):
Debate, quiz, model making, creative writing जैसी गतिविधियाँ।
Example: बच्चा जो history पसंद करता है, उसे “role play of freedom fighters” में शामिल करना।
Encourage Higher Order Thinking (उच्च स्तरीय सोच को प्रोत्साहन):
ऐसे प्रश्न पूछना जो बच्चे को सोचने पर मजबूर करें – “अगर तुम प्रधान मंत्री होते तो क्या करते?”
Flexible Curriculum (लचीला पाठ्यक्रम):
बच्चे को अपनी गति से सीखने का अवसर देना, rigid syllabus से बाँधना नहीं।
Allow Independent Learning (स्वतंत्र सीखने की अनुमति):
Gifted child को अपनी रुचि के अनुसार कुछ समय स्वतंत्र अध्ययन (self-study) के लिए देना।
Avoid Repetition (दोहराव से बचना):
जो चीज़ बच्चा पहले से जानता है, उसे बार-बार न पढ़ाना — इससे उसे boredom (ऊब) होता है।
Provide Leadership Opportunities (नेतृत्व के अवसर देना):
Group leader बनाना, peers की मदद के लिए जिम्मेदारी देना।
इससे उनका आत्मविश्वास और सहयोग भावना दोनों बढ़ते हैं।
Emotional Support (भावनात्मक सहारा देना):
अगर बच्चा perfection के दबाव से परेशान हो तो उसकी प्रशंसा और परामर्श देना।
Parent-Teacher Collaboration (अभिभावक व शिक्षक सहयोग):
शिक्षक और माता-पिता को मिलकर बच्चे की क्षमताओं को सही दिशा में ले जाना चाहिए।
Differentiated Instruction (भिन्न शिक्षण):
हर बच्चे की आवश्यकता अलग है — gifted बच्चे को कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य देना।
➤ Example: “Average students” को basic essay और “gifted child” को comparative essay देना।
Problem-Based Learning (समस्या आधारित शिक्षण):
बच्चे को किसी वास्तविक जीवन की समस्या हल करने का अवसर देना।
➤ Example: “How can we save water in our school?”
Project Method (परियोजना विधि):
Gifted बच्चों को research-based projects करने के लिए प्रोत्साहित करें।
Brainstorming Sessions (विचार मंथन):
नई ideas पर चर्चा करने से creativity बढ़ती है।
Use of ICT (सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग):
Gifted बच्चों के लिए internet-based learning, coding, simulations आदि प्रभावी होते हैं।
Mentorship (मार्गदर्शन):
उन्हें ऐसे व्यक्ति से जोड़ना जो उनकी रुचि के क्षेत्र में expert हो।
➤ Example: विज्ञान में रुचि रखने वाले बच्चे को science lab expert के साथ काम करने देना।
Open-Ended Questions (खुली सोच वाले प्रश्न):
ऐसे प्रश्न जिनका एक ही सही उत्तर न हो — ताकि बच्चा सोच सके।
➤ Example: “If you could change one rule in the school, what would it be and why?”
Boredom (ऊब):
जब उन्हें चुनौतीपूर्ण कार्य न मिले तो वे uninterested हो जाते हैं।
Social Isolation (सामाजिक अलगाव):
कभी-कभी अन्य बच्चे उन्हें “over smart” मानकर दूर करते हैं।
Emotional Pressure (भावनात्मक दबाव):
हमेशा सबसे अच्छा करने की चाह से तनाव (stress) बढ़ सकता है।
Misunderstanding by Teachers or Parents:
कई बार उनकी जिज्ञासा को “disobedience” समझ लिया जाता है।
Gifted & Talented Children: औसत बच्चों से अधिक बौद्धिक, रचनात्मक या शैक्षणिक क्षमताएँ।
Main Characteristics: तेज़ सीखना, जिज्ञासु स्वभाव, रचनात्मक सोच, गहरी एकाग्रता, मजबूत स्मृति।
Needs: समृद्ध पाठ्यक्रम, चुनौतीपूर्ण कार्य, स्वतंत्र सीखना, भावनात्मक सहारा।
Teacher’s Role: पहचानना, प्रोत्साहित करना, कठिन कार्य देना, नेतृत्व के अवसर देना, भावनात्मक समर्थन।
Strategies: Differentiated learning, project work, problem-solving, brainstorming, ICT use, mentorship।
Challenges: ऊब, सामाजिक अलगाव, भावनात्मक दबाव, गलतफहमी।
Slow Learners वे बच्चे होते हैं जिनकी सीखने की गति (learning speed) सामान्य बच्चों से थोड़ी कम होती है।
ये बच्चे बुद्धिमान होते हैं, लेकिन उन्हें चीज़ों को समझने और याद रखने में थोड़ा अधिक समय लगता है।
वे मूल बातें (basic concepts) समझ सकते हैं, बस उन्हें अधिक अभ्यास (extra practice) और धैर्य (patience) की ज़रूरत होती है।
🧩 Example:
कक्षा में सभी बच्चे 1 दिन में कविता याद कर लेते हैं, लेकिन एक बच्चा उसे 3 दिन में सीख पाता है — वह slow learner है।
Attention Span कम (Short Attention Span):
ये बच्चे जल्दी ध्यान भटकाते हैं और लंबे समय तक किसी कार्य पर केंद्रित नहीं रह पाते।
🔹 Example: गणित के सवाल हल करते समय बार-बार इधर-उधर देखने लगते हैं।
Low Confidence (आत्मविश्वास की कमी):
बार-बार असफल होने से ये बच्चे खुद पर भरोसा खो देते हैं।
🔹 Example: “मुझे नहीं आता” कहकर कोशिश ही नहीं करते।
Slow in Reading/Writing (पढ़ने-लिखने में धीमे):
इन्हें लिखने और पढ़ने में सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक समय लगता है।
Need for Repetition (दोहराव की आवश्यकता):
बार-बार समझाने और अभ्यास कराने से ये बेहतर सीखते हैं।
Better in Practical Tasks (व्यावहारिक कार्यों में अच्छे):
इन्हें हाथ से किए जाने वाले काम (activities) जल्दी समझ आते हैं।
🔹 Example: Drawing, clay modeling या gardening में रुचि लेते हैं।
Lack of Motivation (प्रेरणा की कमी):
परिवार या शिक्षक से उत्साहवर्धन न मिलने पर बच्चा सीखने में रुचि नहीं दिखाता।
Emotional Factors (भावनात्मक कारण):
डर, असफलता का भय या आत्मविश्वास की कमी बच्चे को पीछे रखती है।
Poor Home Environment (घर का कमजोर वातावरण):
जब घर पर पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल नहीं होता।
🔹 Example: घर में बहुत शोर या समर्थन की कमी।
Socio-economic Issues (सामाजिक-आर्थिक समस्याएँ):
आर्थिक कठिनाइयों के कारण बच्चा स्कूल नियमित नहीं जा पाता।
Poor Health (स्वास्थ्य कारण):
बार-बार बीमार रहने या पोषण की कमी से बच्चा ध्यान नहीं दे पाता।
Understanding and Patience (समझदारी और धैर्य):
शिक्षक को बच्चे के स्तर को समझकर धैर्यपूर्वक पढ़ाना चाहिए।
🔹 Example: जल्दी डांटने के बजाय उसे प्रोत्साहन देना।
Individual Attention (व्यक्तिगत ध्यान):
शिक्षक को slow learners के लिए अलग से समय देना चाहिए।
Motivation and Encouragement (प्रेरणा और उत्साह):
हर छोटे कार्य पर बच्चे की सराहना (praise) करें।
🔹 Example: “तुम बहुत अच्छा कर रहे हो” जैसे वाक्य उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
Remedial Teaching (सहायक शिक्षण):
शिक्षक को कमजोर क्षेत्रों पर विशेष अभ्यास करवाना चाहिए।
🔹 Example: यदि बच्चा spellings में कमजोर है, तो रोज़ 5 शब्दों का अभ्यास।
Use of Activity-Based Learning (गतिविधि-आधारित शिक्षा):
खेल, चित्र, मॉडल, कहानियों के माध्यम से पढ़ाना ताकि बच्चा सीखने में रुचि ले।
Peer Support (सहपाठी सहायता):
तेज़ बच्चों से सहयोग लेकर धीमे बच्चों की मदद कराना।
🔹 Example: Pair work या group learning activities।
Frequent Feedback (नियमित प्रतिक्रिया):
शिक्षक को बार-बार बच्चे की प्रगति बतानी चाहिए ताकि उसे सुधार का मौका मिले।
Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन):
जब बच्चा सही उत्तर दे, तो उसकी प्रशंसा करें या छोटे पुरस्कार दें।
Simplified Instructions (सरल निर्देश):
कठिन बातें छोटे-छोटे, सरल वाक्यों में समझाएँ।
🔹 Example: “पहले किताब खोलो, फिर पेज 20 पढ़ो, फिर सवाल करो।”
Short and Repeated Practice (छोटे-छोटे अभ्यास):
बार-बार अभ्यास करवाने से याददाश्त मजबूत होती है।
Visual Aids (दृश्य सहायता):
चित्र, चार्ट, फ्लैश कार्ड या वीडियो से पढ़ाना ताकि विषय समझ में आए।
Step-by-Step Learning (क्रमिक शिक्षण):
विषय को छोटे चरणों में बाँटकर सिखाना।
🔹 Example: पहले जोड़, फिर घटाना, फिर गुणा।
Use of Multi-Sensory Approach (बहु-इन्द्रिय पद्धति):
देखने, सुनने, बोलने, करने — सभी इन्द्रियों से सिखाना।
Remedial Classes (सहायक कक्षाएँ):
स्कूल में अतिरिक्त समय देकर कमजोर बच्चों की मदद करना।
Parent-Teacher Coordination (माता-पिता व शिक्षक सहयोग):
बच्चे के घर और स्कूल दोनों जगह एक जैसी रणनीति अपनाना।
शिक्षक ने देखा कि “रवि” को अंग्रेजी के शब्द याद नहीं रहते।
उन्होंने रवि को रोज़ 5 शब्द सिखाए, उसके लिए चित्र बनाए और उसे हर उत्तर पर smiley दी।
धीरे-धीरे रवि का आत्मविश्वास बढ़ा और वह spelling test में पास हुआ।
👉 यह remedial teaching + positive reinforcement का अच्छा उदाहरण है।
हर बच्चे को सीखने का अवसर मिलता है।
असफलता का डर कम होता है।
आत्मविश्वास और सहभागिता बढ़ती है।
Inclusive classroom का लक्ष्य पूरा होता है — “Education for All.”
✅ Slow Learners: सामान्य बुद्धि वाले बच्चे जो धीरे सीखते हैं।
✅ Causes: प्रेरणा की कमी, भावनात्मक कारण, स्वास्थ्य या घर का माहौल।
✅ Teacher’s Role: धैर्य, व्यक्तिगत ध्यान, प्रोत्साहन, गतिविधि-आधारित शिक्षण।
✅ Strategies:
सरल निर्देश
दोहराव व अभ्यास
दृश्य सामग्री का प्रयोग
peer help
remedial teaching
✅ Goal: हर बच्चे को उसकी गति के अनुसार सीखने का अवसर देना।
Barriers to Learning का मतलब है — ऐसी कोई भी रुकावट या कठिनाई जो बच्चे को सीखने (learning) में दिक्कत पहुँचाती है।
यह बाधा शारीरिक (physical), सामाजिक (social) या भावनात्मक (emotional) कारणों से हो सकती है।
हर बच्चा अलग है, लेकिन जब स्कूल का वातावरण या समाज उसकी ज़रूरतों को नहीं समझता, तब सीखने की प्रक्रिया रुक जाती है।
शिक्षक का काम होता है — इन बाधाओं को पहचानना और बच्चे की मदद से उन्हें दूर करना।
Example:
अगर एक बच्चा सुन नहीं सकता और कक्षा में कोई सांकेतिक भाषा (sign language) का उपयोग नहीं हो रहा है, तो यह एक learning barrier है।
Meaning:
जब बच्चे की शारीरिक स्थिति (physical condition) या स्कूल की भौतिक व्यवस्था (infrastructure) सीखने में रुकावट डाले, तो उसे शारीरिक बाधा कहते हैं।
Main Causes (मुख्य कारण):
Disability (विकलांगता): दृष्टि, श्रवण या चलने-फिरने में दिक्कत।
Inaccessible Environment (अप्रवेशनीय वातावरण): स्कूल में रैम्प न होना, ऊँची सीढ़ियाँ, तंग गलियारे।
Health Issues (स्वास्थ्य समस्याएँ): बार-बार बीमार रहना या chronic illness (दीर्घकालिक बीमारी)।
Example:
व्हीलचेयर वाला बच्चा अगर ऊपर की मंज़िल की कक्षा में नहीं जा पा रहा है।
ब्लैकबोर्ड साफ़ न दिखने पर vision-impaired बच्चे को समस्या होना।
Teacher’s Role:
Inclusive classroom तैयार करना — रैम्प, बड़े अक्षर वाले चार्ट, proper lighting आदि।
बच्चों के लिए assistive devices (सहायक उपकरण) का उपयोग करना — जैसे hearing aid, braille books।
Meaning:
जब समाज या परिवार की मान्यताएँ (beliefs), पूर्वाग्रह (prejudices), या असमानता (inequality) बच्चे की शिक्षा में बाधा बनें।
Main Causes:
Gender Discrimination (लैंगिक भेदभाव): लड़कियों को पढ़ने की अनुमति न देना।
Caste / Religion Bias (जाति या धर्म के पूर्वाग्रह): दलित या अल्पसंख्यक बच्चों से दूरी बनाना।
Economic Status (आर्थिक स्थिति): गरीब बच्चों को शिक्षा के अवसर न मिलना।
Language Barriers (भाषा की समस्या): बच्चे की मातृभाषा अलग होने से समझने में दिक्कत होना।
Example:
गाँव में लड़कियों को “घर के काम” में लगा देना और स्कूल न भेजना।
प्रवासी परिवार का बच्चा स्थानीय भाषा न जानने के कारण पढ़ाई में पीछे रहना।
Teacher’s Role:
सभी बच्चों के प्रति समान व्यवहार (equal treatment)।
बहुभाषी वातावरण बनाना, हर संस्कृति का सम्मान करना।
अभिभावकों को जागरूक करना कि शिक्षा सबके लिए है।
Meaning:
जब बच्चे की भावनात्मक अवस्था (emotional state) या मन:स्थिति (mental state) सीखने पर असर डाले।
Main Causes:
Low Self-Esteem (आत्म-सम्मान की कमी): “मैं नहीं कर सकता” जैसी सोच।
Fear & Anxiety (डर और चिंता): परीक्षा या शिक्षक का डर।
Bullying (धमकाना): साथियों द्वारा चिढ़ाना या अपमान करना।
Lack of Motivation (प्रेरणा की कमी): रुचि न होना या प्रशंसा न मिलना।
Family Problems (पारिवारिक समस्या): घर में झगड़ा, आर्थिक परेशानी आदि।
Example:
बच्चा बार-बार गलतियाँ करने के डर से उत्तर नहीं देता।
माता-पिता के झगड़ों के कारण बच्चा ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता।
Teacher’s Role:
Positive Classroom Environment (सकारात्मक वातावरण) बनाना।
बच्चों की भावनाएँ सुनना, प्रोत्साहन देना।
किसी भी तरह के bullying या teasing को रोकना।
Curriculum Barrier (पाठ्यक्रम से जुड़ी बाधा):
जब पाठ्यक्रम बहुत कठिन या rigid हो और बच्चे की जरूरतों के अनुसार न हो।
➤ Example: किताबों में केवल रटने वाली जानकारी देना, बच्चों के अनुभव न जोड़ना।
Teacher-Related Barriers (शिक्षक से जुड़ी बाधा):
जब शिक्षक inclusive दृष्टिकोण (inclusive attitude) न रखे या सभी बच्चों को समान अवसर न दे।
Environmental Barrier (पर्यावरणीय बाधा):
भीड़भाड़, शोर-शराबा या अनुशासनहीन वातावरण में बच्चे ध्यान नहीं दे पाते।
Inclusive Infrastructure (सर्व-सुलभ ढांचा):
स्कूल में रैम्प, रेलिंग, बड़े अक्षर वाले बोर्ड, विशेष उपकरण आदि की व्यवस्था।
Positive Attitude (सकारात्मक दृष्टिकोण):
शिक्षक को हर बच्चे की क्षमता पर विश्वास रखना चाहिए।
Parent–Teacher Collaboration (अभिभावक–शिक्षक सहयोग):
परिवार और स्कूल दोनों मिलकर बच्चे की सहायता करें।
Counselling Support (परामर्श सहायता):
जिन बच्चों में भावनात्मक समस्या हो, उन्हें परामर्श देना।
Peer Support (सहपाठी सहायता):
सहपाठियों को सिखाना कि वे एक-दूसरे की मदद करें।
Use of Technology (तकनीक का प्रयोग):
जैसे — screen readers, subtitles, learning apps आदि।
Barriers to Learning = वे रुकावटें जो बच्चे की सीखने की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं।
Physical Barriers: शारीरिक अक्षमता, स्वास्थ्य समस्या, infrastructure की कमी।
Social Barriers: गरीबी, लैंगिक असमानता, जातीय/धार्मिक भेदभाव, भाषा की दिक्कत।
Emotional Barriers: डर, आत्मविश्वास की कमी, परिवारिक तनाव, bullying।
Other Barriers: पाठ्यक्रम, शिक्षक का दृष्टिकोण, वातावरण की गड़बड़ी।
Solutions: Inclusive classroom, emotional support, counselling, equal opportunities।
Diverse Learners (विविध विद्यार्थी) वे होते हैं जो सीखने की शैली (learning style), क्षमता (ability), भाषा (language), सामाजिक या शारीरिक पृष्ठभूमि में एक-दूसरे से अलग होते हैं।
➤ Example: एक ही कक्षा में कोई बच्चा बहुत तेज़ सीखता है, कोई धीमी गति से, कोई विशेष आवश्यकता (special need) वाला होता है।
ऐसे विद्यार्थियों के लिए शिक्षक को लचीली शिक्षण रणनीतियाँ (flexible teaching strategies) अपनानी पड़ती हैं, ताकि हर बच्चा अपनी गति और योग्यता के अनुसार सीख सके।
दो मुख्य प्रभावी रणनीतियाँ हैं —
Peer Tutoring (सहपाठी शिक्षण)
Cooperative Learning (सहयोगात्मक अधिगम)
Peer Tutoring का मतलब है — जब एक विद्यार्थी (peer) दूसरे विद्यार्थी को किसी विषय या कार्य में सिखाता या मदद करता है।
यह तरीका सीखने को दोनों विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बनाता है — सिखाने वाला भी दोहराता है और सीखने वाला भी समझता है।
Example:
कक्षा में गणित में अच्छा विद्यार्थी अपने साथी को fractions समझा रहा है — यह peer tutoring है।
Confidence बढ़ाता है: सिखाने वाले बच्चे में आत्मविश्वास और नेतृत्व गुण आते हैं।
Better Understanding: बच्चे अपने शब्दों में समझाते हैं, जिससे अवधारणाएँ (concepts) स्पष्ट होती हैं।
Individual Attention: कमजोर विद्यार्थियों को व्यक्तिगत मदद मिलती है।
Friendship & Cooperation: कक्षा में सहयोग और आपसी सम्मान की भावना बढ़ती है।
Same-Age Tutoring (एक ही आयु के बच्चे):
➤ समान उम्र या कक्षा के बच्चे एक-दूसरे को पढ़ाते हैं।
Example: दो 5वीं कक्षा के बच्चे एक-दूसरे को spelling practice करवाते हैं।
Cross-Age Tutoring (विभिन्न आयु के बच्चे):
➤ बड़ी कक्षा का विद्यार्थी छोटी कक्षा के विद्यार्थी को सिखाता है।
Example: 8वीं कक्षा का छात्र 5वीं कक्षा के बच्चों को अंग्रेज़ी बोलने में मदद करता है।
Reciprocal Tutoring (परस्पर शिक्षण):
➤ बच्चे बारी-बारी से एक-दूसरे को सिखाते हैं।
Example: पहले एक बच्चा गणित समझाता है, फिर दूसरा बच्चा हिंदी के शब्दार्थ सिखाता है।
Pairs बनाना: शिक्षक को बच्चों को इस तरह जोड़ना चाहिए कि दोनों एक-दूसरे से सीख सकें।
Guidance देना: शिक्षक को सिखाने वाले बच्चे को बताना चाहिए कि कैसे सरल भाषा में समझाना है।
Monitoring: यह देखना कि सिखाने वाला बच्चा सही जानकारी दे रहा है।
Encouragement: दोनों बच्चों को प्रशंसा देकर प्रोत्साहित करना।
Cooperative Learning का मतलब है — जब विद्यार्थी छोटे समूहों (small groups) में मिलकर किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साथ काम करते हैं।
हर बच्चा समूह में एक समान भूमिका (equal role) निभाता है और सबका योगदान ज़रूरी होता है।
Example:
एक समूह मिलकर “Water Conservation” पर चार्ट बनाता है — हर बच्चा कुछ भाग तैयार करता है।
Group Work (समूह कार्य): 4–6 विद्यार्थियों का छोटा समूह।
Common Goal (साझा लक्ष्य): सभी बच्चे एक ही कार्य पूरा करते हैं।
Positive Interdependence (सकारात्मक परस्पर निर्भरता): हर बच्चा दूसरों पर निर्भर रहता है।
Individual Accountability (व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी): हर विद्यार्थी अपने भाग का कार्य करता है।
Social Skills (सामाजिक कौशल): सहयोग, धैर्य, सुनने और बोलने की क्षमता विकसित होती है।
Learning by Doing: बच्चे सक्रिय रूप से कार्य करते हैं, जिससे गहरा अधिगम होता है।
Team Spirit Develops: समूह में मिलकर काम करने से नेतृत्व और टीमवर्क की भावना बनती है।
Inclusiveness बढ़ती है: हर बच्चा किसी-न-किसी तरह योगदान देता है, जिससे कोई भी अलग-थलग नहीं रहता।
Communication Skills: बच्चे बोलने, सुनने और समझाने में बेहतर बनते हैं।
Respect for Diversity: अलग-अलग क्षमताओं वाले बच्चे एक-दूसरे से सीखते हैं।
Jigsaw Method (जिगसॉ पद्धति):
➤ एक विषय को भागों में बाँट दिया जाता है। हर बच्चा एक भाग सीखता है और बाद में समूह में सबको सिखाता है।
Example: “Water Cycle” पर 5 बच्चों का समूह — हर बच्चा एक चरण समझाता है।
Think–Pair–Share Technique:
➤ पहले हर बच्चा सोचता है (Think), फिर जोड़ी में चर्चा करता है (Pair), और अंत में पूरे वर्ग के साथ साझा करता है (Share)।
Group Projects:
➤ बच्चे मिलकर पोस्टर, मॉडल, या सर्वे तैयार करते हैं।
Group Formation: समूह बनाते समय अलग-अलग क्षमताओं वाले बच्चों को साथ रखना।
Clear Instructions: कार्य और लक्ष्य को साफ़-साफ़ बताना।
Guidance & Supervision: यह सुनिश्चित करना कि सभी भाग ले रहे हैं और सहयोग कर रहे हैं।
Feedback: अंत में समूह की सफलता और सुधार के लिए प्रशंसा व सुझाव देना।
Peer Tutoring: एक बच्चा दूसरे को सिखाता है।
Cooperative Learning: सभी बच्चे मिलकर समूह में सीखते हैं।
दोनों का उद्देश्य एक ही है — सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर देना।
Diverse Learners: अलग-अलग क्षमताओं, भाषाओं और पृष्ठभूमियों वाले विद्यार्थी।
Peer Tutoring: एक विद्यार्थी दूसरे को सिखाता है — इससे सहयोग और आत्मविश्वास बढ़ता है।
Types: Same-Age, Cross-Age, Reciprocal Tutoring।
Cooperative Learning: छोटे समूहों में मिलकर सीखना और कार्य पूरा करना।
Main Features: समूह कार्य, साझा लक्ष्य, व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी, सामाजिक कौशल।
Teacher’s Role: योजना बनाना, मार्गदर्शन करना, निगरानी रखना, प्रोत्साहित करना।
Outcome: सहयोग, सम्मान, आत्मविश्वास और बेहतर सीखने का वातावरण।
📋 Topics:-
Meaning:
यह एक Learning Theory (अधिगम सिद्धांत) है जो कहती है कि बच्चा अपना ज्ञान स्वयं बनाता है (Learner constructs knowledge)।
इसका अर्थ यह नहीं कि शिक्षक ज्ञान देता है, बल्कि शिक्षक बच्चे को सोचने, खोजने और समझने के अवसर देता है।
Example:
बच्चा अगर गेंद फेंकते समय समझता है कि “ऊँचाई और दूरी” बदलने से गेंद का गिरना बदलता है —
तो उसने खुद प्रयोग करके नया ज्ञान निर्मित (Construct) किया।
Meaning:
शिक्षक जो सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाता है, न कि केवल जानकारी देता है।
Facilitator बच्चे को सोचने, करने और चर्चा करने के अवसर देता है।
Example:
शिक्षक कहे, “तुम खुद पता करो कि पौधे को पानी क्यों चाहिए।”
वह बच्चे को सोचने के लिए प्रेरित कर रहा है — यह Facilitator की भूमिका है।
Meaning:
जब शिक्षक भी बच्चों के साथ सीखने की प्रक्रिया में शामिल होता है।
वह “मैं जानता हूँ और तुम नहीं जानते” वाली सोच छोड़ देता है।
Example:
शिक्षक बच्चों के साथ प्रयोग करता है और कहता है — “चलो हम साथ मिलकर देखते हैं कि ये क्यों हुआ।”
→ यह Co-Learner दृष्टिकोण है।
Meaning:
सीखना तब होता है जब बच्चा करके (Learning by Doing) सीखता है।
इसमें गतिविधियाँ, प्रोजेक्ट, खेल और प्रयोग शामिल होते हैं।
Example:
EVS में बच्चे को पौधा लगाकर उसकी वृद्धि देखना सिखाना।
→ बच्चा किताब से नहीं, बल्कि अनुभव से सीखता है।
Meaning:
ऐसा कार्य जिसमें बच्चे योजना बनाते हैं, काम बाँटते हैं, और मिलकर लक्ष्य प्राप्त करते हैं।
यह बच्चे की जिज्ञासा (Curiosity) और स्वतंत्र सोच (Independent Thinking) को बढ़ाता है।
Example:
“My School Garden” पर बच्चे पौधों की जानकारी, चित्र और देखभाल के तरीके जुटाएँ —
यह एक Project है।
Meaning:
जब बच्चा किसी विचार को अभ्यास (Practical Testing) द्वारा परखता है, तो वह Experiment कहलाता है।
यह Scientific Thinking (वैज्ञानिक सोच) विकसित करता है।
Example:
बच्चा दो पौधों में एक को धूप में और एक को अँधेरे में रखता है —
और परिणाम देखकर सीखता है कि “धूप जरूरी है।”
Meaning:
शिक्षण हमेशा आसान से कठिन विषयों की ओर होना चाहिए।
इससे बच्चा समझ की सीढ़ियाँ एक-एक करके चढ़ता है।
Example:
पहले “अक्षर” सिखाना, फिर “शब्द”, और फिर “वाक्य” —
यही “Simple → Complex” सिद्धांत है।
Meaning:
शिक्षण हमेशा बच्चे के पहले से ज्ञात अनुभव (Known Experience) से शुरू होकर
नई जानकारी (Unknown) की ओर बढ़ना चाहिए।
Example:
बच्चे को “घर के पेड़” के बारे में बात करने के बाद “पौधों की संरचना” सिखाना।
Meaning:
जब बच्चे अपने साथियों से सीखते हैं या उन्हें सिखाते हैं।
यह आपसी सहयोग (Mutual Help) पर आधारित है।
Example:
एक बच्चा अपने दोस्त को “जोड़” सिखाता है → यह Peer Learning है।
Meaning:
जब बच्चे छोटे समूहों में मिलकर एक साझा लक्ष्य (Common Goal) पूरा करते हैं।
हर सदस्य जिम्मेदारी लेकर योगदान देता है।
Example:
चार बच्चों का समूह “प्रदूषण के कारण” पर रिपोर्ट बनाता है।
सब अपनी भूमिका निभाते हैं → यह Cooperative Learning है।
Meaning:
जब बच्चे एक विषय या समस्या पर समूह में कार्य करते हैं और
परिणाम साझा करते हैं (Sharing of Ideas)।
Example:
शिक्षक कहे – “Group A जल संरक्षण पर पोस्टर बनाए।”
→ यह Group Work का उदाहरण है।
Meaning:
जब बच्चा किसी अवधारणा (Concept) को गलत समझ लेता है या अधूरा जानता है।
यह उसकी सीखने की गलती नहीं, बल्कि समझ की कमी होती है।
Example:
बच्चा सोचता है कि “सूरज पृथ्वी के चारों ओर घूमता है।”
→ यह एक Misconception है।
Meaning:
सीखते समय बच्चा जो छोटी गलतियाँ (Mistakes) करता है, वे Errors कहलाती हैं।
ये सीखने की प्रक्रिया (Part of Learning) का सामान्य हिस्सा हैं।
Example:
बच्चा लिखता है “tommorow” instead of “tomorrow” → यह Error है।
Meaning:
जब बच्चा किसी विषय को अपनी समझ के अनुसार अलग तरह से व्याख्या करता है,
जो सही नहीं भी हो सकती।
यह Creative Thinking (रचनात्मक सोच) का संकेत भी है।
Example:
बच्चा कहता है – “सभी बड़े जानवर खतरनाक होते हैं।”
→ यह Alternative Conception है (सामान्यीकरण की गलती)।
Meaning:
जब शिक्षक बच्चे की गलतफहमी (Misconception) या गलती (Error) को
सही उदाहरण, पुनः-अभ्यास, या चर्चा से सुधारता है,
तो उसे Remediation (सुधारात्मक प्रक्रिया) कहते हैं।
Example:
बच्चा समझता है कि “सभी पौधे हरे होते हैं।”
शिक्षक “मशरूम” दिखाकर समझाता है कि सभी पौधे हरे नहीं होते —
यह Remediation है।
Constructivism: बच्चा अनुभव से ज्ञान बनाता है (Piaget, Vygotsky)।
Facilitator: शिक्षक मार्गदर्शन देता है, ज्ञान थोपता नहीं।
Co-Learner: शिक्षक भी बच्चों के साथ सीखने की प्रक्रिया में शामिल होता है।
Activity-Based Learning: “Learning by Doing” – अनुभव से सीखना।
Project & Experiment: बच्चों की जिज्ञासा और व्यावहारिक सोच को बढ़ाते हैं।
Simple→Complex: आसान से कठिन की ओर पढ़ाना।
Known→Unknown: बच्चे के अनुभव से नया ज्ञान जोड़ना।
Peer Learning: साथी से सीखना।
Cooperative Learning: साझा लक्ष्य हेतु समूह में सीखना।
Group Work: कार्य बाँटकर मिलकर पूरा करना।
Misconception: गलत या अधूरी समझ।
Error: सीखने में सामान्य गलती।
Alternative Conception: विषय की अलग या गलत व्याख्या।
Remediation: गलतफहमी सुधारने की प्रक्रिया।
📘 CTET TIP:
इन शब्दों के अर्थ और उदाहरण अगर तुम्हें याद हैं,
तो तुम 15–20% “Learning & Pedagogy” के conceptual questions आसानी से कर पाओगे —
क्योंकि यही keywords अक्सर CTET Questions में सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से पूछे जाते हैं।
मुख्य Points:
Teaching एक प्रक्रिया (Process) है, Product नहीं।
इसका मतलब यह है कि शिक्षण सिर्फ ज्ञान देना नहीं है, बल्कि बच्चे को सोचने, समझने और सीखने की प्रक्रिया में शामिल करना है।
🏫 उदाहरण: जब शिक्षक "पानी का चक्र" समझाने के लिए बच्चे से सवाल पूछता है — “बारिश कैसे होती है?” — तब बच्चा खुद सोचकर जवाब देता है। यही प्रक्रिया है।
Teaching दो-तरफ़ा (Two-way) प्रक्रिया है।
इसमें शिक्षक (Teacher) और विद्यार्थी (Learner) दोनों सक्रिय (Active) होते हैं।
उदाहरण: शिक्षक बोलता है और बच्चा सुनता है — यह एकतरफ़ा नहीं होना चाहिए। अगर बच्चा सवाल पूछता है या चर्चा में भाग लेता है, तो शिक्षण प्रभावी होता है।
Teaching का उद्देश्य (Objective) केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि व्यवहार (Behaviour) में बदलाव लाना है।
शिक्षा का लक्ष्य बच्चे के संज्ञानात्मक (Cognitive), भावात्मक (Affective) और क्रियात्मक (Psychomotor) विकास करना है।
उदाहरण: विज्ञान पढ़ाने का उद्देश्य सिर्फ “तथ्य याद कराना” नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific attitude) विकसित करना है।
Teaching परिस्थिति-आधारित (Context-based) होती है।
शिक्षण हमेशा बच्चों की पृष्ठभूमि, भाषा, संस्कृति और अनुभवों के अनुसार होना चाहिए।
उदाहरण: गाँव के बच्चे को "वातावरण" समझाने के लिए खेतों का उदाहरण देना, शहर के बच्चे को "ट्रैफिक" से जोड़ना।
मुख्य Points:
Learning एक सक्रिय प्रक्रिया (Active Process) है।
बच्चा सिर्फ सुनकर नहीं सीखता, बल्कि अनुभव (Experience) और क्रिया (Action) से सीखता है।
उदाहरण: बच्चा “पेड़ कैसे बढ़ता है” यह देखकर, बीज बोकर और परिणाम देखकर सीखता है।
Learning व्यक्ति के अनुभव (Experience) पर आधारित होती है।
बच्चा वही जल्दी सीखता है जो उसकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा हो।
उदाहरण: “जोड़” (Addition) सिखाने के लिए शिक्षक टॉफी बाँटने का उदाहरण देता है।
Learning एक निरंतर (Continuous) प्रक्रिया है।
यह केवल स्कूल में नहीं, हर जगह और हर पल होती रहती है।
उदाहरण: बच्चा घर पर, खेलते समय, दोस्तों से बात करते हुए भी सीखता है।
Learning व्यक्तिगत (Individual) प्रक्रिया है।
हर बच्चा अपनी गति (Pace), रुचि (Interest) और योग्यता (Ability) के अनुसार सीखता है।
उदाहरण: एक बच्चा गणित जल्दी समझ लेता है, दूसरा उसी समय में चित्रकारी में निपुण हो सकता है।
मुख्य Points:
Teacher एक Facilitator (सुविधादाता) है, न कि Knowledge Giver।
शिक्षक का काम केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि बच्चे को सोचने, प्रश्न पूछने और खोज करने के अवसर देना है।
उदाहरण: “Why do plants need sunlight?” — यह सवाल पूछकर शिक्षक बच्चों को सोचने पर मजबूर करता है।
Teacher को बच्चों की जरूरत, रुचि और स्तर के अनुसार शिक्षण करना चाहिए।
सभी बच्चों की सीखने की गति अलग होती है, इसलिए गतिविधियाँ भी अलग-अलग होनी चाहिए।
उदाहरण: कमजोर बच्चों के लिए चित्र आधारित शिक्षण, जबकि तेज़ बच्चों के लिए प्रोजेक्ट आधारित कार्य।
Teacher एक Motivator (प्रेरक) भी है।
शिक्षक का सकारात्मक व्यवहार बच्चे में सीखने की इच्छा बढ़ाता है।
उदाहरण: “तुम बहुत अच्छा प्रयास कर रहे हो!” — ऐसे शब्द बच्चे में आत्मविश्वास भरते हैं।
मुख्य Points:
Definition:
Child-Centered Approach का मतलब है — शिक्षण प्रक्रिया का केंद्र “बच्चा” (Child) हो, न कि “शिक्षक” या “पाठ्यपुस्तक”।
इसका उद्देश्य बच्चे की रुचि (Interest), अनुभव (Experience) और क्षमता (Ability) के अनुसार शिक्षा देना है।
मुख्य सिद्धांत (Main Principles):
🔹 Activity-based Learning (क्रियात्मक अधिगम): बच्चा करके सीखता है।
उदाहरण: गणित के लिए गिनती के ब्लॉक या बटन का प्रयोग।
🔹 Learning by Doing (करके सीखना): यह सिद्धांत John Dewey ने दिया।
उदाहरण: Science experiment खुद करना।
🔹 Learning through Play (खेल के माध्यम से सीखना): खासकर प्राथमिक कक्षा के लिए प्रभावी।
उदाहरण: ‘Shopping Game’ से पैसा और गिनती सिखाना।
🔹 Learning through Exploration and Discovery (खोज के माध्यम से सीखना): बच्चा खुद सवाल पूछे, खोज करे।
उदाहरण: “पानी गर्म करने पर क्या होता है?” — बच्चा खुद प्रयोग करे।
🔹 Individual Differences (व्यक्तिगत भिन्नता): हर बच्चे की सीखने की शैली अलग है, इसलिए शिक्षण भी लचीला होना चाहिए।
Teacher का कार्य:
बच्चे को Guidance देना,
Learning Environment बनाना,
Freedom to think देना।
उदाहरण: शिक्षक बच्चों को समूह में चर्चा करने देता है और निष्कर्ष खुद निकालने देता है।
मुख्य Points:
Teacher-Centered Approach:
शिक्षक बोलता है, विद्यार्थी सुनता है।
एकतरफ़ा प्रक्रिया (One-way).
रटने (Rote learning) पर ज़ोर।
उदाहरण: Lecture-based class.
Child-Centered Approach:
बच्चा मुख्य केंद्र है।
दोतरफ़ा (Interactive) प्रक्रिया।
अनुभव और गतिविधि पर आधारित।
उदाहरण: Project work, role play, group discussion.
मुख्य Points:
बच्चों में Critical Thinking (आलोचनात्मक सोच) और Creativity (रचनात्मकता) विकसित होती है।
बच्चा आत्मनिर्भर (Independent Learner) बनता है।
बच्चों की रुचि (Interest) और भागीदारी (Participation) बढ़ती है।
शिक्षण अधिक स्थायी (Long-lasting) बनता है क्योंकि बच्चा अनुभव से सीखता है।
यह समानता (Equity) को बढ़ावा देता है — हर बच्चा अपने तरीके से सीखने का अवसर पाता है।
मुख्य Points:
Group Work / Pair Work: बच्चों को छोटे समूहों में बाँटकर समस्या हल कराना।
Learning Corners: अलग-अलग विषयों के लिए गतिविधि क्षेत्र बनाना।
Project-based Learning: बच्चे को विषय से जुड़ा छोटा प्रोजेक्ट देना।
Storytelling & Role Play: भाषा और सामाजिक विषयों के लिए बेहतरीन तरीका।
Use of Real-life Examples: रोजमर्रा की चीज़ों से विषय जोड़ना।
उदाहरण: गणित सिखाने में सब्ज़ी मंडी का उदाहरण।
Teaching और Learning दोनों प्रक्रिया (Process) हैं, Product नहीं।
Teaching दोतरफ़ा और परिस्थिति-आधारित होती है।
Learning अनुभव, क्रिया और रुचि पर आधारित होती है।
Teacher एक Facilitator (मार्गदर्शक) है, Knowledge Giver नहीं।
Child-Centered Approach में बच्चा मुख्य केंद्र है।
इसमें Learning by Doing, Activity-based Learning, Play-way Method आदि शामिल हैं।
यह तरीका बच्चों में स्वतंत्र सोच, आत्मविश्वास और रचनात्मकता विकसित करता है।
John Dewey, Rousseau, Froebel, Montessori जैसे शिक्षाविदों ने बाल-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।
परीक्षा में “बच्चे की सक्रिय भागीदारी”, “अनुभव आधारित शिक्षा”, और “शिक्षक की भूमिका – मार्गदर्शक” जैसे शब्दों पर ज़ोर रहता है।
मुख्य Points:
पहले शिक्षक (Teacher) को ज्ञान का स्रोत (Source of Knowledge) माना जाता था।
वह बोलता था, बच्चे सुनते थे।
शिक्षण Teacher-Centered (शिक्षक-केंद्रित) था।
उदाहरण: शिक्षक किताब से पढ़ता और बच्चे नोट्स लिखते रहते।
अब शिक्षक की भूमिका बदली है – अब वह “मार्गदर्शक (Guide)” और “सह-शिक्षार्थी (Co-Learner)” है।
अब शिक्षण Child-Centered (बाल-केंद्रित) और Constructivist (निर्माणवादी) दृष्टिकोण पर आधारित है।
उदाहरण: शिक्षक सवाल पूछकर, चर्चा कराकर बच्चों को सोचने पर मजबूर करता है।
मुख्य Points:
Meaning:
Facilitator का अर्थ है — जो सीखने की प्रक्रिया को सुगम (Easy & Effective) बनाए।
शिक्षक बच्चे को सीखने के अवसर (Opportunities) देता है, सीधे उत्तर नहीं बताता।
Facilitator का कार्य:
बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण (Positive Environment) बनाना।
बच्चों को सोचने, प्रश्न पूछने और खोज करने की स्वतंत्रता देना।
शिक्षण सामग्री, चित्र, गतिविधियाँ और प्रयोग उपलब्ध कराना।
Classroom Example:
जब शिक्षक कहता है — “चलो मिलकर देखें कि पौधे की वृद्धि पर धूप का क्या असर होता है” —
वह बच्चे को Guided Discovery (मार्गदर्शित खोज) के लिए प्रेरित कर रहा है।
मुख्य विशेषता:
शिक्षक बच्चों को स्वयं सीखने (Self-learning) के लिए प्रेरित करता है।
वह “क्या सोचना है” नहीं बताता, बल्कि “कैसे सोचना है” सिखाता है।
मुख्य Points:
Meaning:
Guide का अर्थ है — “मार्ग दिखाने वाला”।
शिक्षक बच्चों को सही दिशा देता है, पर रास्ता वे खुद तय करते हैं।
Guidance के क्षेत्र:
🔹 शैक्षिक (Academic) — कैसे पढ़ाई करनी है, कौन-सी विधि अपनानी है।
🔹 व्यक्तिगत (Personal) — बच्चे की भावनात्मक या सामाजिक समस्याओं में सहायता।
🔹 नैतिक (Moral) — सही गलत में फर्क समझाना।
Classroom Example:
बच्चा कहता है — “मुझे गणित में कठिनाई होती है।”
शिक्षक कहता है — “चलो, छोटे-छोटे steps में इसे समझते हैं।”
यह शिक्षक का मार्गदर्शक (Guide) रूप है।
मुख्य विशेषता:
शिक्षक आदेश नहीं देता, बल्कि प्रेरित (Motivate) और सहयोग (Support) करता है।
बच्चा आत्मविश्वास के साथ निर्णय लेना सीखता है।
मुख्य Points:
Meaning:
Co-Learner का अर्थ है — “साथ में सीखने वाला”।
शिक्षक भी सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा होता है।
वह यह स्वीकार करता है कि सीखना एक निरंतर प्रक्रिया (Continuous Process) है।
Why important:
शिक्षा निरंतर बदल रही है, इसलिए शिक्षक को भी नई विधियाँ, तकनीकें और दृष्टिकोण सीखते रहना चाहिए।
यह दृष्टिकोण शिक्षक को बच्चों से संवाद (Interaction) करने और साझा अनुभव (Shared Experience) बनाने में मदद करता है।
Classroom Example:
जब शिक्षक कहता है — “मुझे भी यह तरीका नया लगा, चलो साथ में देखते हैं कि यह कैसे काम करता है।”
तब वह एक Co-Learner की भूमिका निभा रहा है।
मुख्य विशेषता:
यह भूमिका शिक्षक को नम्र (Humble) और अनुभव साझा करने वाला (Collaborative) बनाती है।
बच्चों को भी लगता है कि शिक्षक उनके “साथ” है, “ऊपर” नहीं।
मुख्य Points:
Constructivism (निर्माणवाद) कहता है कि — “बच्चे स्वयं अपने ज्ञान का निर्माण करते हैं।”
शिक्षक इस निर्माण में सहायक (Helper) की भूमिका निभाता है।
Constructivist Teacher की भूमिका:
ज्ञान “देता” नहीं है, बल्कि बच्चे को खुद खोजने के अवसर देता है।
Experiential Learning (अनुभवात्मक अधिगम) को बढ़ावा देता है।
Group work, discussion, project-based learning का प्रयोग करता है।
Example:
“वातावरण प्रदूषण” पर शिक्षक सीधे lecture देने के बजाय बच्चों को कहता है —
“अपने आसपास देखें और बताएं कहाँ-कहाँ प्रदूषण हो रहा है।”
बच्चे जब खुद उदाहरण ढूंढते हैं, तो शिक्षक facilitator और co-learner दोनों बन जाता है।
मुख्य Points:
बच्चा सक्रिय रूप से भाग लेता है (Active Participation)।
बच्चे में Critical Thinking (आलोचनात्मक सोच) विकसित होती है।
शिक्षक और छात्र के बीच सकारात्मक संबंध (Positive Relationship) बनता है।
बच्चे में आत्मनिर्भरता (Self-reliance) और Confidence (आत्मविश्वास) बढ़ता है।
कक्षा में सहयोगात्मक वातावरण (Collaborative Environment) बनता है।
अधिगम दीर्घकालिक (Long-lasting) और अर्थपूर्ण (Meaningful) होता है।
मुख्य Points:
Group Discussion:
बच्चे विचार साझा करें, शिक्षक केवल दिशा दे।
Activity-based Learning:
बच्चे करके सीखें; शिक्षक सहायता करे।
Project Work:
बच्चे खुद विषय चुनें और शिक्षक संसाधन मुहैया कराए।
Question-based Teaching:
बच्चे से “क्यों”, “कैसे” जैसे प्रश्न पूछना।
Peer Learning (सहपाठी अधिगम):
बच्चे एक-दूसरे से सीखें, शिक्षक मार्गदर्शक बने।
पारंपरिक शिक्षक Knowledge Giver था; आधुनिक शिक्षक Facilitator, Guide, Co-Learner है।
Facilitator: सीखने को आसान बनाता है, वातावरण तैयार करता है।
Guide: बच्चे को सही दिशा देता है, पर निर्णय वह खुद लेता है।
Co-Learner: शिक्षक भी बच्चों के साथ सीखता है।
शिक्षक का मुख्य उद्देश्य — बच्चे को सोचने, खोजने और सीखने का अवसर देना।
इन भूमिकाओं से बच्चे में आत्मविश्वास, सहयोग और रचनात्मकता (Creativity) बढ़ती है।
यह दृष्टिकोण Constructivism (निर्माणवाद) पर आधारित है — “बच्चा स्वयं अपने ज्ञान का निर्माण करता है।”
CTET में इस विषय से सवाल अक्सर “शिक्षक की भूमिका”, “Child-centered learning”, या “Facilitator meaning” पर आते हैं।
मुख्य Points:
Meaning:
Activity-Based Learning (ABL) का मतलब है — “करके सीखना” (Learning by Doing)।
इसमें बच्चा केवल सुनकर या देखकर नहीं, बल्कि क्रिया (Activity) के माध्यम से सीखता है।
Foundation:
यह दृष्टिकोण John Dewey (जॉन ड्यूई) के “Learning by Doing” सिद्धांत पर आधारित है।
Dewey का मानना था कि बच्चे को अनुभव (Experience) से सीखने का अवसर देना चाहिए।
Objective (उद्देश्य):
बच्चे में समझ (Understanding) और रचनात्मकता (Creativity) विकसित करना।
शिक्षा को रुचिकर (Interesting) और अर्थपूर्ण (Meaningful) बनाना।
Classroom Example:
जब शिक्षक बच्चों से कहता है — “आओ, पौधा लगाते हैं और देखते हैं यह कैसे बढ़ता है।”
→ बच्चा विज्ञान का सिद्धांत सीधे अनुभव से सीखता है, सिर्फ किताब से नहीं।
मुख्य Points:
Child-Centered (बाल-केंद्रित):
शिक्षण में बच्चा मुख्य केंद्र होता है।
शिक्षक केवल Facilitator (सहायक) की भूमिका निभाता है।
Learning through Doing (करके सीखना):
बच्चा कार्य करता है, प्रयोग करता है और परिणाम देखता है।
Experiential Learning (अनुभवात्मक अधिगम):
सीखना बच्चे के अनुभव (Experience) पर आधारित होता है।
Learning with Fun:
खेल, कहानी, प्रोजेक्ट और प्रयोगों से शिक्षा रोचक बनती है।
Collaborative Learning (सहयोगात्मक अधिगम):
बच्चे समूह में मिलकर काम करते हैं।
इससे सहयोग (Cooperation) और सामाजिक कौशल (Social Skills) विकसित होते हैं।
मुख्य Points:
Active Participation (सक्रिय भागीदारी):
बच्चे खुद सीखने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
वे केवल श्रोता नहीं, बल्कि “Doer” होते हैं।
Conceptual Understanding (गहन समझ):
बच्चा जब किसी चीज़ को करता है, तो उसे लंबे समय तक याद रहता है।
उदाहरण: अगर बच्चा खुद “पौधे का भाग” बनाकर दिखाए, तो उसे नाम याद रहेंगे।
Interest & Motivation बढ़ता है:
Activity से सीखना मज़ेदार लगता है, इसलिए बच्चा सीखने को उत्साहित रहता है।
Creativity और Critical Thinking विकसित होती है।
बच्चा सोचता है “अगर ऐसा करें तो क्या होगा?” — यह विज्ञानात्मक दृष्टिकोण (Scientific Attitude) लाता है।
Social & Emotional Development (सामाजिक व भावनात्मक विकास):
समूह में काम करने से बच्चे में सहयोग, सहानुभूति और टीम भावना आती है।
मुख्य Points:
Meaning:
Project Method शिक्षा का ऐसा तरीका है जिसमें विद्यार्थी किसी वास्तविक जीवन समस्या (Real-life problem) को हल करने के लिए कार्य करते हैं।
यह विधि William H. Kilpatrick द्वारा विकसित की गई थी।
Steps in Project Method:
🔹 Problem चुनना (Choosing a problem)
🔹 योजना बनाना (Planning)
🔹 काम करना (Execution)
🔹 परिणाम दिखाना और मूल्यांकन (Evaluation)
Example:
विषय: “Water Conservation (जल संरक्षण)”
बच्चे समूह में पोस्टर बनाते हैं, पानी बचाने के उपाय खोजते हैं, और प्रेज़ेंटेशन देते हैं।
→ इससे पर्यावरण अध्ययन (EVS) की अवधारणा व्यावहारिक रूप में सीखी जाती है।
Benefits of Project Method:
बच्चे में Responsibility (जिम्मेदारी) और Teamwork (टीमवर्क) की भावना आती है।
Critical Thinking (विचार क्षमता) बढ़ती है।
शिक्षा Real-life से जुड़ी हुई (Meaningful Learning) बनती है।
मुख्य Points:
Meaning:
Experiment (प्रयोग) वह क्रिया है जिसमें बच्चा किसी वैज्ञानिक तथ्य या सिद्धांत (Scientific Principle) को स्वयं करके समझता है।
Why Important:
बच्चे में Observation (अवलोकन), Curiosity (जिज्ञासा) और Problem-solving skill विकसित होती है।
Classroom Examples:
🔹 Science: “पानी गर्म करने पर भाप बनती है” — खुद देखकर सीखना।
🔹 EVS: “पौधे में प्रकाश की आवश्यकता” के लिए दो गमले अलग-अलग स्थान पर रखना।
🔹 Math: “Shapes” पहचानने के लिए कक्षा में वस्तुएँ ढूँढना।
Role of Teacher in Experiments:
शिक्षक सुरक्षित वातावरण (Safe environment) तैयार करता है।
बच्चों को Guidance (मार्गदर्शन) देता है, लेकिन परिणाम वे खुद खोजते हैं।
Learning Outcome:
बच्चे सिर्फ याद नहीं करते, बल्कि समझते और समझाकर बताते हैं।
मुख्य Points:
Facilitator (सुविधादाता):
शिक्षक बच्चों के लिए सीखने के अवसर और सामग्री उपलब्ध कराता है।
Guide (मार्गदर्शक):
बच्चे को दिशा देता है, पर उत्तर खुद नहीं बताता।
Observer (अवलोकक):
बच्चे कैसे सीख रहे हैं, इसका निरीक्षण करता है।
Motivator (प्रेरक):
बच्चों को उत्साह से भाग लेने के लिए प्रेरित करता है।
Evaluator (मूल्यांकनकर्ता):
बच्चों की प्रक्रिया (Process) और रचनात्मकता (Creativity) का मूल्यांकन करता है, सिर्फ परिणाम का नहीं।
कुछ व्यवहारिक उदाहरण:
EVS: “सामाजिक सहकारिता” सिखाने के लिए बच्चों से एक “Class Garden” बनवाना।
Mathematics: “Measurement” सिखाने के लिए बच्चे से classroom objects की लंबाई नापने को कहना।
Language: “Story Writing” सिखाने के लिए बच्चों को समूह में कहानी बनवाना।
Art & Craft: “Best out of waste” activity से रचनात्मकता विकसित करना।
Science: “Magnet attracts iron” — खुद magnet से प्रयोग करना।
Activity-Based Learning (ABL) = “Learning by Doing”
यह दृष्टिकोण John Dewey के विचारों पर आधारित है।
ABL में शिक्षा Child-Centered और Experiential (अनुभवात्मक) होती है।
इसमें Projects, Experiments, Games, Role Play, Storytelling जैसे तरीक़े शामिल हैं।
Project Method = Real-life problems को हल करके सीखना (William Kilpatrick)।
Experiments = वैज्ञानिक या व्यावहारिक तथ्यों को करके समझना।
शिक्षक की भूमिका = Facilitator, Guide, Motivator, Evaluator।
ABL से बच्चे में Creativity, Critical Thinking, Cooperation, Self-learning विकसित होती है।
CTET में इस topic से अक्सर सवाल आता है —
“Learning by Doing”, “Project Method”, “Constructivism”, या “Teacher as Facilitator” पर।
मुख्य Points:
Meaning:
Teaching Principles (शिक्षण सिद्धांत) वे बुनियादी नियम या मार्गदर्शक (Guidelines) हैं जिनके आधार पर प्रभावी शिक्षण किया जाता है।
ये सिद्धांत शिक्षक को बताते हैं कि बच्चे कैसे सीखते हैं और शिक्षण कैसे करवाना चाहिए।
Purpose (उद्देश्य):
शिक्षा को सरल, रुचिकर और अर्थपूर्ण बनाना।
शिक्षण को बच्चों के अनुभव, मानसिक स्तर और समझ के अनुरूप बनाना।
Example:
अगर शिक्षक गणित में सीधे “भिन्न (Fractions)” पढ़ाने लगे, तो बच्चा समझ नहीं पाएगा।
पहले “पूरा (Whole)” और “आधा (Half)” जैसी आसान बातें सिखानी चाहिए —
यह Simple to Complex Principle का पालन है।
मुख्य Points:
ये सिद्धांत शिक्षक को क्या पढ़ाना है और कैसे पढ़ाना है, इसका दिशा-निर्देश देते हैं।
बच्चों के मानसिक विकास (Mental Development) के अनुरूप शिक्षण होता है।
ये शिक्षण को Child-Centered (बाल-केंद्रित) बनाते हैं।
शिक्षण अधिक रोचक (Interesting) और दीर्घकालिक (Long-lasting) बनता है।
शिक्षक को कक्षा में क्रमबद्ध (Systematic) और सुसंगठित (Organized) ढंग से पढ़ाने में मदद मिलती है।
मुख्य Points:
Meaning:
इस सिद्धांत के अनुसार, शिक्षण हमेशा सरल (Simple) विषयों से शुरू होकर धीरे-धीरे जटिल (Complex) विषयों की ओर बढ़ना चाहिए।
इससे बच्चा आसानी से ज्ञान के नए स्तरों तक पहुँच सकता है।
Psychological Basis (मनोवैज्ञानिक आधार):
बच्चे की समझ (Understanding) सीमित होती है।
अगर शिक्षक शुरुआत में ही कठिन विषय पढ़ा देगा, तो बच्चा भ्रमित (Confused) हो जाएगा।
Daily Life Example:
बच्चा पहले चलना (Walking) सीखता है, फिर दौड़ना (Running)।
भाषा सीखते समय पहले अक्षर (Letters), फिर शब्द (Words), और फिर वाक्य (Sentences) सिखाए जाते हैं।
Classroom Example:
गणित में:
पहले “गिनती (Counting)” → फिर “जोड़ (Addition)” → फिर “घटाना (Subtraction)” → फिर “गुणा-भाग (Multiplication/Division)”।
विज्ञान में:
पहले “पौधा क्या है” → फिर “पौधों के भाग” → फिर “पौधों का जीवन चक्र”।
Why Important:
बच्चा आत्मविश्वास से सीखता है।
ज्ञान क्रमिक रूप से बढ़ता है।
सीखना अर्थपूर्ण (Meaningful) बनता है।
मुख्य Points:
Meaning:
इस सिद्धांत के अनुसार, शिक्षण हमेशा बच्चे के पहले से ज्ञात (Known) ज्ञान से शुरू होना चाहिए,
और फिर नई या अज्ञात (Unknown) जानकारी की ओर बढ़ना चाहिए।
Psychological Basis (मनोवैज्ञानिक आधार):
अधिगम (Learning) संबंध स्थापित करने (Association) की प्रक्रिया है।
बच्चा नया ज्ञान तभी समझ सकता है जब वह उसे पहले से ज्ञात किसी अनुभव से जोड़ सके।
Daily Life Example:
अगर बच्चे को “आम (Mango)” के बारे में पता है,
तो शिक्षक उसे “फल (Fruit)” की सामान्य अवधारणा सिखाने में इसका उपयोग कर सकता है।
Classroom Example:
शिक्षक बच्चों से पूछे: “तुमने अपने घर का पेड़ देखा है?”
फिर कहे: “सभी पौधे ऐसे ही बढ़ते हैं” —
इससे “Plant Growth” का नया विषय बच्चे के अनुभव से जुड़ जाता है।
Why Important:
बच्चा रुचि (Interest) से सीखता है क्योंकि विषय परिचित लगता है।
नया ज्ञान स्थायी (Permanent) बनता है।
शिक्षा Child-Centered (बाल के अनुभव पर आधारित) बनती है।
मुख्य Points:
दोनों सिद्धांतों का उद्देश्य शिक्षण को सरल और समझने योग्य बनाना है।
“Simple→Complex” में ध्यान कठिनाई स्तर (Difficulty level) पर होता है।
जबकि “Known→Unknown” में ध्यान अनुभव और पूर्व ज्ञान (Prior knowledge) पर होता है।
दोनों को साथ में अपनाने से शिक्षा अधिक क्रमिक (Sequential) और अर्थपूर्ण (Meaningful) बनती है।
Example:
शिक्षक बच्चों को “स्थानीय जानवर (Local animals)” से शुरू करके “जंगली जानवर (Wild animals)” तक ले जाए।
→ यह Known to Unknown + Simple to Complex दोनों का पालन है।
मुख्य Points:
Diagnostic (पहचानना):
शिक्षक को पहले यह जानना चाहिए कि बच्चे को क्या-क्या पहले से ज्ञात है।
Planner (योजनाकार):
विषयों को आसान से कठिन की ओर क्रमबद्ध (Sequence) करे।
Facilitator (सुविधादाता):
ऐसा वातावरण बनाए जहाँ बच्चा अपने अनुभव साझा करे।
Connector (संबंध जोड़ने वाला):
पुराने ज्ञान को नए ज्ञान से जोड़ने में मदद करे।
Example:
शिक्षक “मौसम (Weather)” सिखाने से पहले पूछे — “तुम्हें गर्मी और सर्दी कब लगती है?”
→ बच्चा अपने अनुभव से जुड़कर सीखता है।
मुख्य Points:
शिक्षा बच्चे की समझ के स्तर (Level of understanding) के अनुसार होती है।
सीखना अधिक स्थायी (Long-lasting) और अर्थपूर्ण (Meaningful) बनता है।
बच्चे में आत्मविश्वास (Confidence) बढ़ता है क्योंकि वह विषय को “अपना” मानता है।
शिक्षक और छात्र के बीच सकारात्मक संवाद (Positive Interaction) बढ़ता है।
यह दृष्टिकोण Constructivist Approach (निर्माणवादी दृष्टिकोण) को भी समर्थन देता है।
Teaching Principles = शिक्षण को प्रभावी बनाने वाले बुनियादी नियम।
Simple → Complex:
आसान से कठिन की ओर शिक्षण।
उदाहरण: Counting → Addition → Multiplication.
Known → Unknown:
बच्चे के अनुभव से नया ज्ञान जोड़ना।
उदाहरण: घर का पेड़ → पौधों की वृद्धि।
दोनों सिद्धांतों का उद्देश्य =
शिक्षा को आसान, क्रमबद्ध और अर्थपूर्ण बनाना।
शिक्षक की भूमिका =
जानकारी पहचानना, योजना बनाना, अनुभव जोड़ना, और सीखने में मार्गदर्शन करना।
ये सिद्धांत Child-Centered और Constructivist Approach दोनों का समर्थन करते हैं।
CTET में इस विषय पर प्रश्न अक्सर ऐसे होते हैं —
“Known to Unknown” सिद्धांत का अर्थ क्या है?
“Simple to Complex” का उदाहरण कौन-सा है?
मुख्य Points:
पहले शिक्षा में माना जाता था कि शिक्षक बोलता है और छात्र सुनता है — इसे Teacher-Centered Approach कहा जाता था।
अब शिक्षा Child-Centered हो गई है, जहाँ बच्चा सीखने की प्रक्रिया (Learning Process) में सक्रिय भाग लेता है।
आधुनिक शिक्षा में सीखना साझेदारी (Collaboration), साझा अनुभव (Shared Experience) और परस्पर सहयोग (Mutual Cooperation) पर आधारित है।
इसी से उत्पन्न हुए तीन प्रमुख शिक्षण तरीके हैं —
Peer Learning, Cooperative Learning, और Group Work.
Meaning:
जब बच्चे अपने साथियों (Peers) से सीखते हैं या उन्हें सिखाते हैं, तो उसे Peer Learning कहते हैं।
मुख्य Points:
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ छात्र एक-दूसरे से ज्ञान साझा करते हैं।
इसमें Teacher की भूमिका Facilitator (मार्गदर्शक) की होती है, जो बच्चों को सहयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
हर बच्चा कभी Learner बनता है, तो कभी Helper या Teacher बनता है।
Classroom Example:
अगर एक बच्चा गणित का “जोड़ (Addition)” अच्छी तरह जानता है और अपने दोस्त को समझा देता है,
तो यह Peer Learning है।
“Pair Work” में शिक्षक कहता है – “दो-दो बच्चों के समूह में कहानी पढ़ो और एक-दूसरे से प्रश्न पूछो।”
Benefits (लाभ):
आत्मविश्वास (Confidence) बढ़ता है।
संचार कौशल (Communication Skills) सुधरते हैं।
सामाजिक संबंध (Social Relationship) मजबूत होते हैं।
बच्चे सीखते हैं कि हर व्यक्ति की सीखने की शैली अलग होती है।
Meaning:
जब बच्चे साझे लक्ष्य (Common Goal) को प्राप्त करने के लिए सहयोग (Cooperation) से सीखते हैं,
तो इसे Cooperative Learning कहते हैं।
मुख्य Points:
इसमें छोटे समूह बनाए जाते हैं (3–5 विद्यार्थी)।
हर समूह को एक कार्य (Task) या समस्या (Problem) दी जाती है।
समूह के सभी सदस्य मिलकर विचार करते हैं, जानकारी जुटाते हैं, और एक साझा परिणाम (Common Output) तैयार करते हैं।
Example:
“पौधों के उपयोग” पर प्रोजेक्ट देते समय शिक्षक कहे –
“तुम्हारे समूह का हर सदस्य पौधों के एक-एक उपयोग की जानकारी जुटाए और फिर सभी मिलकर रिपोर्ट बनाओ।”
→ यह Cooperative Learning है।
Teacher’s Role:
शिक्षक समूह बनाता है,
मार्गदर्शन देता है,
यह सुनिश्चित करता है कि हर बच्चा भाग ले रहा है।
Benefits:
टीम वर्क (Teamwork) की भावना आती है।
बच्चे एक-दूसरे की ताकत और कमजोरी समझते हैं।
समस्या हल करने की क्षमता (Problem-Solving Skills) बढ़ती है।
सभी बच्चे सक्रिय रहते हैं (Active Participation)।
CTET Point:
यह तरीका Constructivist Approach (निर्माणवादी दृष्टिकोण) पर आधारित है — जहाँ बच्चा अनुभव से ज्ञान बनाता है।
Meaning:
जब बच्चे किसी विषय या समस्या पर छोटे समूहों में मिलकर कार्य करते हैं,
तो उसे Group Work कहा जाता है।
मुख्य Points:
यह तरीका Peer Learning और Cooperative Learning दोनों से जुड़ा हुआ है।
Group Work में बच्चे साझा लक्ष्य के लिए काम बाँटते हैं (Division of Work) और
फिर परिणाम साझा करते हैं (Sharing of Result)।
शिक्षक हर समूह को निर्देश देता है, समय सीमा बताता है और अंत में समूह के कार्य का मूल्यांकन करता है।
Classroom Example:
EVS (पर्यावरण अध्ययन) की कक्षा में शिक्षक कहे –
“Group A – पेड़ों पर जानकारी लाओ, Group B – जानवरों पर, Group C – पक्षियों पर।”
→ यह Group Work का उदाहरण है।
Benefits:
सहयोग की भावना विकसित होती है।
नेतृत्व (Leadership) और जिम्मेदारी (Responsibility) सिखाई जाती है।
बच्चों को चर्चा (Discussion) और विचार-विमर्श (Debate) करने का मौका मिलता है।
यह Active Learning का उत्कृष्ट उदाहरण है।
| Concept | Key Idea | Focus |
|---|---|---|
| Peer Learning | साथी से सीखना | समान उम्र के साथियों के बीच सीखना |
| Cooperative Learning | समूह में सहयोग करके सीखना | सामूहिक लक्ष्य की प्राप्ति |
| Group Work | समूह में कार्य करना | कार्य बाँटकर पूरा करना |
Example for All Three Together:
👉 शिक्षक “स्वच्छता (Cleanliness)” विषय पर कहे –
पहले बच्चे अपने साथियों से बातें करें → Peer Learning
फिर छोटे समूह बनाकर विचार करें → Cooperative Learning
फिर हर समूह पोस्टर बनाए → Group Work
Facilitator (सुविधादाता):
शिक्षक मार्गदर्शन देता है, न कि केवल निर्देश।
Organizer (संगठक):
समूहों का गठन करता है और समय-सारणी तय करता है।
Observer (पर्यवेक्षक):
यह देखता है कि हर बच्चा भाग ले रहा है या नहीं।
Encourager (प्रोत्साहक):
बच्चों को बोलने, प्रश्न पूछने, और सहयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
Example:
शिक्षक बच्चों की चर्चा के दौरान हस्तक्षेप नहीं करता,
केवल देखता है कि सभी एक-दूसरे की राय सुन रहे हैं या नहीं।
सीखना Active और Experiential (अनुभव-आधारित) बनता है।
बच्चों में Team Spirit, Empathy, Responsibility विकसित होती है।
Classroom का माहौल सहयोगी और आनंददायक बनता है।
कमजोर बच्चे भी सीखने में शामिल हो जाते हैं।
सीखना Meaningful और Long-lasting होता है।
कुछ बच्चे सक्रिय भाग नहीं लेते।
समय प्रबंधन (Time Management) कठिन होता है।
शिक्षक को हर समूह पर ध्यान देना पड़ता है।
अगर समूह बहुत बड़ा है, तो संवाद सीमित रह जाता है।
Solution:
छोटे समूह बनाना (4–5 विद्यार्थी)।
स्पष्ट कार्य और जिम्मेदारी देना।
शिक्षक का समय-समय पर मार्गदर्शन।
Peer Learning: बच्चे अपने साथियों से सीखते हैं।
→ Example: एक बच्चा दूसरे को जोड़ सिखाता है।
Cooperative Learning: बच्चे समूह में सहयोग से सीखते हैं।
→ Example: 4 छात्रों का समूह मिलकर “पौधों का उपयोग” पर रिपोर्ट बनाता है।
Group Work: समूह में कार्य बाँटकर पूरा करना।
→ Example: प्रत्येक समूह “स्वच्छता” पर पोस्टर बनाता है।
तीनों में शिक्षक की भूमिका = Facilitator, Organizer, Observer।
ये सभी तरीके Child-Centered, Constructivist, और Activity-Based learning को बढ़ावा देते हैं।
लाभ: टीमवर्क, आत्मविश्वास, संचार कौशल, सहयोग की भावना।
CTET में अक्सर प्रश्न आते हैं —
“Peer Learning किस प्रकार की शिक्षा है?” या “Cooperative Learning में शिक्षक की भूमिका क्या होती है?”
📋 Topics:-
Meaning:
किसी विद्यार्थी की सीखने की प्रगति (Learning Progress) को जानने की प्रक्रिया को Assessment कहते हैं।
यह सिर्फ अंक (Marks) देना नहीं, बल्कि सीखने की प्रक्रिया को समझना है।
Example:
शिक्षक जब बच्चे की कॉपी देखकर समझता है कि बच्चे ने कहानी लिखी लेकिन वाक्य अधूरे हैं —
तो वह बच्चे की writing skill का assessment कर रहा है।
Meaning:
Assessment के परिणामों के आधार पर निर्णय लेना कि बच्चा “कितना और कितना अच्छा” सीखा है।
Evaluation = Assessment + Judgment (निर्णय)।
Example:
अगर गणित में किसी बच्चे को 80/100 अंक मिले,
तो शिक्षक कह सकता है कि बच्चे की performance “Very Good” है — यह Evaluation है।
Meaning:
सीखते समय होने वाला मूल्यांकन।
इसका उद्देश्य है बच्चे की सीखने की प्रक्रिया को सुधारना (Improvement During Learning)।
Example:
शिक्षक कक्षा में प्रश्न पूछकर या कार्यपत्रक (Worksheet) देकर तुरंत feedback देता है।
Meaning:
सीखने की अवधि के अंत में किया जाने वाला मूल्यांकन।
यह बताता है कि बच्चे ने कितना सीखा (How Much Learned)।
Example:
Term-end test या Final exam — ये Summative होते हैं।
Meaning:
जब शिक्षक यह जानने की कोशिश करता है कि बच्चा गलती क्यों कर रहा है —
तो यह Diagnostic Assessment कहलाता है।
Example:
बच्चा बार-बार subtraction गलत कर रहा है → शिक्षक जांचता है कि उसे “Borrowing” का concept समझ में आया या नहीं।
Meaning:
Diagnostic Assessment से मिली जानकारी के बाद
बच्चे की कमजोरियों को दूर करने के लिए जो विशेष शिक्षण किया जाता है, वह Remedial Teaching है।
Example:
यदि बच्चा spelling mistakes करता है, तो शिक्षक उसे “word games” खिलाता है — यही remedial teaching है।
Meaning:
वह साधन जिनसे शिक्षक जानकारी एकत्र करता है जैसे – Observation, Checklist, Portfolio आदि।
Meaning:
बच्चों के व्यवहार, रुचि, भागीदारी आदि को ध्यान से देखकर सीखने का मूल्यांकन करना।
Example:
शिक्षक देखता है कि कौन सा बच्चा group activity में सक्रिय है और कौन चुप रहता है।
Meaning:
बच्चे के व्यवहार या प्रदर्शन को एक निश्चित सूची में “हाँ/ना” के रूप में रिकॉर्ड करना।
Example:
“क्या बच्चा साफ-सुथरा लिखता है?” – Yes / No
Meaning:
बच्चे के कामों (Assignments, Drawings, Projects, Poems) का संग्रह जो उसकी सीखने की प्रगति को दिखाता है।
Example:
हर महीने बच्चे की best work sheets को फ़ाइल में रखना — यह Portfolio कहलाता है।
Meaning:
बच्चे के व्यवहार या उपलब्धि से जुड़ी छोटी घटनाओं को शिक्षक अपने नोट्स में लिखता है।
Example:
“रवि ने आज पहली बार मंच पर आत्मविश्वास से कविता सुनाई।”
Meaning:
सीखते समय बच्चे को सुधारने के लिए किया गया मूल्यांकन।
Teacher gives feedback & modifies teaching.
Example:
शिक्षक हर सप्ताह Worksheet लेकर देखता है कि कौन-सा बच्चा पीछे है।
Meaning:
सीखने के बाद परिणाम जानने के लिए किया गया मूल्यांकन — यानी Achievement जानना।
Example:
Final exam या Unit test।
Meaning:
जब बच्चा स्वयं अपनी सीख का मूल्यांकन करता है,
तो इसे Assessment as Learning कहते हैं।
Example:
बच्चा खुद चेक करता है कि उसने सही लिखा या नहीं — Self-assessment।
Meaning:
Continuous (सतत): पूरे साल नियमित रूप से मूल्यांकन।
Comprehensive (व्यापक): केवल अकादमिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, सामाजिक, शारीरिक पक्षों का मूल्यांकन भी।
Example:
शिक्षक महीने में दो बार test लेता है, sports और behavior को भी report card में शामिल करता है।
Meaning:
Question paper तैयार करने से पहले उसका पूरा “ढांचा” बनाना —
जिसमें विषय, unit-wise weightage और difficulty level तय किया जाता है।
Example:
Maths test का Blueprint: 10 marks easy, 15 marks moderate, 5 marks hard questions।
Meaning:
किस topic को कितने अंक दिए जाएँ — इसका अनुपात ही weightage कहलाता है।
Example:
EVS में “Water” chapter = 10 marks, “Food” chapter = 5 marks।
Meaning:
प्रश्न कितने आसान या कठिन हैं — Easy, Moderate, Difficult तीन स्तरों में बाँटा जाता है।
Example:
“Name of India’s capital?” → Easy
“Explain the role of Parliament.” → Moderate
“Compare democracy & monarchy.” → Difficult
Meaning:
जिनका उत्तर निश्चित होता है — जैसे Multiple Choice, True/False, Fill in the blanks।
Example:
“Water freezes at ___ °C.” → 0°C
Meaning:
जिनका उत्तर बच्चे को अपने शब्दों में लिखना होता है।
👉 ये Expression & Understanding को जाँचते हैं।
Example:
“Describe the process of photosynthesis in your own words.”
Meaning:
जिनके कई उत्तर संभव होते हैं और बच्चे को सोचने का अवसर देते हैं।
Example:
“अगर तुम प्रधान मंत्री होते तो शिक्षा में क्या सुधार करते?”
Meaning:
शिक्षक द्वारा ऐसे प्रश्न पूछने की कला जो बच्चे की सोच को सक्रिय करें।
Example:
“अगर बारिश न हो तो क्या असर होगा?” → बच्चे को सोचने पर मजबूर करता है।
Meaning:
बच्चों की गलतियों का अध्ययन करके यह जानना कि वे क्यों हुईं और कैसे सुधारी जा सकती हैं।
Example:
बच्चा लिखता है 3×0 = 3 → शिक्षक समझता है कि concept गलत है।
Meaning:
शिक्षक द्वारा बच्चे को उसकी गलती या प्रगति के बारे में जानकारी देना ताकि वह सुधार कर सके।
Example:
“अच्छा लिखा है, लेकिन अगली बार punctuation पर ध्यान दो।”
Meaning:
किसी कार्य को अंक देने के लिए तय किए गए मानक या मापदंड।
Example:
Essay के लिए Rubric – Content (5 marks), Grammar (3), Presentation (2)।
Assessment = सीखने की प्रक्रिया को समझना।
Evaluation = Performance पर निर्णय लेना।
Formative = During learning, for improvement.
Summative = End of term, for result.
Diagnostic = Finding learning problems.
Remedial = Solving learning problems.
CCE = Continuous (निरंतर) + Comprehensive (संपूर्ण)।
Blueprint = Paper का planning chart।
Objective vs Subjective = Fixed answer vs Detailed answer।
Open-ended = Many possible answers.
Error Analysis = गलती का कारण + सुधार।
Questioning = बच्चे की सोच को सक्रिय करने की कला।
Feedback = सुधार के लिए प्रतिक्रिया।
Rubric = मूल्यांकन के निश्चित मापदंड।
मुख्य Points:
Assessment (मूल्यांकन) का मतलब है —
बच्चे ने क्या सीखा, कैसे सीखा, और कितना सीखा, यह जानने की प्रक्रिया।
Assessment केवल अंक (Marks) देने के लिए नहीं होती,
बल्कि बच्चे के समझने, सोचने और प्रगति (Progress) को जानने के लिए होती है।
इसका उद्देश्य है –
सीखने में सुधार करना (To improve learning),
न कि केवल उसे मापना (Not just to measure it)।
Example:
अगर बच्चा जोड़ (Addition) में बार-बार गलती कर रहा है,
तो शिक्षक यह समझने की कोशिश करेगा कि समस्या कहाँ है —
यही Assessment का असली उद्देश्य है।
मुख्य Points:
Assessment = सीखने की प्रक्रिया का लगातार अवलोकन (Observation)।
Evaluation = सीखने के अंत में परिणाम या प्रदर्शन को मापना।
Example:
Assessment: शिक्षक रोज़ क्लास में बच्चों से प्रश्न पूछकर उनकी समझ जाँचता है।
Evaluation: Term-end exam में बच्चे को अंक दिए जाते हैं।
मुख्य Points:
बच्चे की सीखने की स्थिति (Learning Status) जानना।
सुधार (Improvement) के अवसर देना।
शिक्षक को यह समझने में मदद देना कि कौन-सा तरीका प्रभावी है।
बच्चों में आत्म-मूल्यांकन (Self-assessment) की भावना बढ़ाना।
शिक्षा को Individual Differences (व्यक्तिगत भिन्नताओं) के अनुसार ढालना।
Example:
शिक्षक नोट करता है कि कुछ बच्चे समूह कार्य में अच्छे हैं,
पर लिखने में कमजोर हैं — इससे उसे सिखाने की रणनीति बदलने में मदद मिलती है।
तीन प्रमुख प्रकार —
1️⃣ Formative Assessment (गठनात्मक मूल्यांकन)
2️⃣ Summative Assessment (सारात्मक मूल्यांकन)
3️⃣ Diagnostic Assessment (नैदानिक मूल्यांकन)
Meaning:
यह मूल्यांकन सीखने की प्रक्रिया के दौरान (During Learning Process) किया जाता है।
इसका उद्देश्य है — बच्चे की प्रगति जानना और तुरंत सुधार करवाना।
मुख्य Points:
इसे Continuous and Comprehensive Evaluation (CCE) का हिस्सा माना गया है।
यह “Assessment for Learning” है – यानी मूल्यांकन जो सीखने में मदद करे।
इसमें Observation, Oral Questions, Class Activities, Worksheets, Anecdotal Records शामिल होते हैं।
Example:
शिक्षक कहानी पढ़ाते समय बच्चों से पूछे – “अगर मैं इस पात्र की जगह होता तो क्या करता?”
→ यह Formative Assessment है क्योंकि यह बच्चे की सोच और समझ दोनों को मापता है।
Benefits:
तात्कालिक Feedback मिलता है।
बच्चा गलती सुधार सकता है।
शिक्षक अपनी Teaching Strategy बदल सकता है।
Meaning:
यह मूल्यांकन सीखने के अंत (End of Learning) में किया जाता है।
इसका उद्देश्य है – बच्चे के समग्र प्रदर्शन का निष्कर्ष निकालना।
मुख्य Points:
इसे Assessment of Learning कहा जाता है।
यह सामान्यतः Term-end / Unit Test / Annual Exam के रूप में होती है।
इसमें परिणाम को Grades या Marks के रूप में दर्शाया जाता है।
Example:
Term-end test या Half-yearly exam जिसमें पूरे पाठ्यक्रम का मूल्यांकन किया जाता है।
Benefits:
बच्चे की उपलब्धि (Achievement) का रिकॉर्ड मिलता है।
अगली कक्षा में पदोन्नति (Promotion) के लिए आधार बनता है।
माता-पिता और स्कूल को बच्चे की समग्र प्रगति का पता चलता है।
Limitation:
यह केवल अंतिम परिणाम (Final Outcome) दिखाता है, प्रक्रिया नहीं।
बच्चे की सृजनात्मकता (Creativity) या सोचने की क्षमता नहीं माप पाता।
Meaning:
यह मूल्यांकन तब किया जाता है जब बच्चा किसी विषय या कौशल को समझ नहीं पा रहा होता है।
इसका उद्देश्य है — समस्या का कारण (Cause) पहचानना और Remedial Teaching (सुधारात्मक शिक्षण) करना।
मुख्य Points:
यह मूल्यांकन Problem-Specific होता है।
इसका मुख्य उद्देश्य है — “बच्चा कहाँ और क्यों गलती कर रहा है” जानना।
इसके बाद शिक्षक Remediation (सुधार) के लिए विशेष सहायता देता है।
Example:
अगर बच्चा हर बार ‘b’ और ‘d’ को उल्टा लिखता है,
तो शिक्षक समझता है कि उसे Letter Differentiation Problem है —
यह Diagnostic Assessment का हिस्सा है।
Steps:
गलती की पहचान (Identification of Error)
कारण पता करना (Finding Cause)
सुधारात्मक कदम (Remedial Action)
मुख्य Points:
Formative: सीखने की प्रक्रिया में (During Learning) → सुधार के लिए।
Summative: सीखने के अंत में (After Learning) → उपलब्धि जानने के लिए।
Diagnostic: सीखने में कठिनाई आने पर (When Learning Fails) → कारण खोजने के लिए।
Example Flow:
Formative = बच्चे की समझ जाँचना।
Diagnostic = गलती का कारण ढूँढना।
Summative = अंत में कुल मूल्यांकन करना।
मुख्य Points:
Observer (पर्यवेक्षक):
बच्चे के व्यवहार और सीखने की प्रक्रिया पर ध्यान देना।
Evaluator (मूल्यांकनकर्ता):
बच्चे के कार्य और प्रदर्शन का मूल्यांकन करना।
Guide (मार्गदर्शक):
Feedback देकर सुधार के अवसर देना।
Planner (योजनाकार):
मूल्यांकन को पाठ योजना के साथ जोड़ना।
Example:
शिक्षक यह देखे कि कौन-सा बच्चा प्रश्नों के उत्तर में सक्रिय भाग लेता है और किसे अतिरिक्त सहायता चाहिए।
सीखने की गुणवत्ता में सुधार।
बच्चों की जरूरतों के अनुसार शिक्षण योजना बनाना।
आत्म-मूल्यांकन और आत्मविश्वास का विकास।
शिक्षा को Child-Centered और Progressive बनाना।
Teaching-Learning Process को Meaningful बनाना।
Assessment = Continuous Process – सीखने की प्रगति मापना।
Purpose: सुधार, प्रगति, योजना, और सहायता।
Formative Assessment = During Learning (Assessment for Learning)
→ Feedback + Improvement.
Example: Class activity, oral questioning, observation.
Summative Assessment = End of Learning (Assessment of Learning)
→ Final result / report card.
Example: Unit test, annual exam.
Diagnostic Assessment = When Learning Fails
→ Identify cause + Remedial teaching.
Teacher’s Role: Observer, Evaluator, Guide, Planner.
Main Focus of Assessment:
केवल अंक देना नहीं, बल्कि बच्चे के सीखने में सुधार करना।
CTET Key Line:
“Assessment is not to judge the child, but to improve learning.”
मुख्य Points:
Tools (साधन) का मतलब है — वो उपकरण या तरीका जिनसे शिक्षक बच्चे के सीखने का मूल्यांकन करता है।
→ जैसे: Observation sheet, Checklist, Portfolio आदि।
Techniques (तकनीक) का मतलब है — वो प्रक्रिया या तरीका (Method/Process) जिससे जानकारी एकत्र की जाती है।
Teaching और Learning की प्रक्रिया में मूल्यांकन तभी प्रभावी होता है जब सही tools और techniques का उपयोग किया जाए।
Example:
जैसे डॉक्टर मरीज़ की जांच के लिए थर्मामीटर, स्टेथोस्कोप आदि इस्तेमाल करता है,
वैसे ही शिक्षक भी मूल्यांकन के लिए Observation, Checklist, Portfolio जैसे साधनों का उपयोग करता है।
Meaning:
जब शिक्षक बच्चे के व्यवहार, गतिविधियों, सहभागिता (Participation) को ध्यान से देखता है, तो इसे Observation (अवलोकन) कहते हैं।
यह Natural Setting (स्वाभाविक स्थिति) में किया जाता है, यानी बच्चे की रोज़मर्रा की क्लास में।
मुख्य Points:
यह सबसे natural technique है।
इसमें शिक्षक बच्चे की आदतें, रुचि, सहयोग, आत्मविश्वास, व्यवहार आदि को देखता है।
इसे structured या unstructured तरीके से किया जा सकता है।
Example:
शिक्षक खेल के समय बच्चों को देखता है — कौन सहयोगी है, कौन नेतृत्व करता है, कौन झगड़ता है — यह Observation कहलाता है।
Benefits:
वास्तविक जानकारी मिलती है (Real-life behavior)।
बच्चे की व्यक्तित्व (Personality) को समझने में मदद मिलती है।
Limitation:
Subjective (व्यक्तिपरक) हो सकता है — शिक्षक की राय पर निर्भर।
Meaning:
Checklist एक ऐसी सूची होती है जिसमें पूर्व-निर्धारित व्यवहार या कौशल (Pre-determined behaviors or skills) लिखे होते हैं,
जिन्हें शिक्षक Yes / No / Done / Not done के रूप में अंकित करता है।
मुख्य Points:
यह मूल्यांकन का objective tool है।
शिक्षक इसमें चेक करता है कि बच्चा कोई कार्य या व्यवहार दिखा रहा है या नहीं।
इसका उपयोग अक्सर skills या competencies मापने के लिए किया जाता है।
Example:
“क्या बच्चा साफ-सुथरे अक्षरों में लिखता है?”
“क्या बच्चा समूह में मिलजुलकर काम करता है?”
→ शिक्षक हर बच्चे के लिए Yes/No के रूप में भरता है।
Benefits:
तेज़ और सरल तरीका।
Record बनाए रखना आसान।
Limitation:
यह केवल “है या नहीं” दिखाता है, “कितना” नहीं।
Meaning:
Portfolio एक बच्चे के कामों का संग्रह (Collection of Student’s Work) होता है,
जो समय के साथ उसकी प्रगति (Progress) दिखाता है।
मुख्य Points:
इसमें बच्चे की Assignments, Drawings, Tests, Essays, Projects आदि शामिल होते हैं।
यह बच्चे के Learning Journey को दर्शाता है।
यह एक प्रकार का Continuous Assessment Tool है।
बच्चे स्वयं भी इसे तैयार करने में भाग लेते हैं (Self-evaluation)।
Example:
शिक्षक हर बच्चे की फाइल में उसकी Drawing, Essay, Project Work जोड़ता है।
→ कुछ महीने बाद देखकर पता चलता है कि बच्चा कितना सुधरा है।
Benefits:
बच्चे की प्रगति का दृश्य रिकॉर्ड मिलता है।
बच्चे को Pride & Motivation मिलता है।
आत्म-मूल्यांकन की भावना बढ़ती है।
Limitation:
समय-खपत ज़्यादा होती है।
अगर ठीक से organize न किया जाए तो जानकारी बिखरी रहती है।
Meaning:
Anecdotal Record का अर्थ है —
बच्चे के व्यवहार या गतिविधि से जुड़ी संक्षिप्त और महत्वपूर्ण घटना का वर्णन (Short factual description of an important incident),
जिसे शिक्षक तुरंत लिख लेता है।
मुख्य Points:
यह बच्चे के व्यवहार या भावनात्मक प्रतिक्रिया को समझने में सहायक होता है।
शिक्षक इसमें किसी विशेष घटना या स्थिति को Date, Situation, Behavior के साथ लिखता है।
यह गुणात्मक (Qualitative) मूल्यांकन है, अंक नहीं देता बल्कि समझने में मदद करता है।
Example:
शिक्षक लिखता है:
“आज राहुल ने अपने साथी को गिरने पर उठाया और सांत्वना दी।”
→ यह Anecdotal Record है जो राहुल की empathy (संवेदना) को दर्शाता है।
Benefits:
बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक विकास को समझने में मदद।
वास्तविक (Authentic) व्यवहार की जानकारी मिलती है।
Limitation:
सब बच्चों के लिए रोज़ लिखना कठिन होता है।
मुख्य Points:
हर बच्चा अलग तरीके से सीखता है — इसलिए एक ही तरीका सब पर लागू नहीं हो सकता।
Observation से व्यवहार की जानकारी,
Checklist से कौशल की,
Portfolio से प्रगति की,
और Anecdotal Record से भावनात्मक पहलुओं की जानकारी मिलती है।
यह सभी उपकरण मिलकर Holistic Assessment (समग्र मूल्यांकन) को संभव बनाते हैं।
Example:
एक ही बच्चे को चारों उपकरणों से देखने पर उसकी academic + social + emotional सभी पहलू सामने आते हैं।
Assessment Tools = बच्चे के सीखने को मापने के साधन।
Observation (अवलोकन):
Natural setting में देखना।
Example: खेलते समय व्यवहार देखना।
Checklist (जाँच-सूची):
Yes/No type evaluation।
Example: “क्या बच्चा साफ-सुथरा लिखता है?”
Portfolio (प्रगति-संग्रह):
बच्चे के कार्यों का संग्रह।
Example: Drawing, project, essay file।
Anecdotal Record (घटनात्मक विवरण):
बच्चे के व्यवहार से जुड़ी महत्वपूर्ण घटना का लिखित विवरण।
Example: “राहुल ने मित्र की मदद की।”
Formative Evaluation में इन tools का उपयोग ज़्यादा होता है।
CTET Key Line:
“Assessment should be continuous, comprehensive and child-centered.”
Teacher की भूमिका:
Observer, Recorder, Facilitator, Evaluator.
Assessment (मूल्यांकन) का अर्थ है —
यह जानना कि बच्चा क्या सीख रहा है, कैसे सीख रहा है, और कितना सीख चुका है।
इसका उद्देश्य केवल अंक देना (Marks देना) नहीं,
बल्कि सीखने में सुधार (Improvement in learning) करना है।
Assessment को अब शिक्षा का अलग कार्य नहीं, बल्कि सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा (Part of learning) माना जाता है।
Example:
जब शिक्षक रोज़ क्लास में बच्चों से प्रश्न पूछता है या उन्हें group activity में भाग लेने के लिए कहता है,
तो यह भी एक प्रकार का Assessment है।
हर बच्चा अलग तरीके से सीखता है — किसी को पढ़कर, किसी को देखकर, किसी को करके।
इसलिए एक ही प्रकार का मूल्यांकन (जैसे सिर्फ परीक्षा) सब बच्चों की सीख को नहीं दिखा सकता।
इसी कारण आधुनिक शिक्षा में तीन प्रकार के मूल्यांकन अपनाए गए हैं:
Assessment for Learning (सीखने के लिए मूल्यांकन)
Assessment of Learning (सीखने का मूल्यांकन)
Assessment as Learning (सीखने के रूप में मूल्यांकन)
यह मूल्यांकन सीखने की प्रक्रिया के दौरान (During Learning) किया जाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य है — बच्चों की गलतियों को पहचानकर सुधार (Improvement) करवाना।
यह Formative Assessment (गठनात्मक मूल्यांकन) का हिस्सा है।
शिक्षक बच्चों को Feedback (प्रतिक्रिया) देता है ताकि वे अपनी कमियाँ सुधार सकें।
शिक्षक अपनी Teaching Strategy भी इसमें सुधार सकता है।
Classroom Example:
शिक्षक बच्चों से पूछता है, “क्या तुम बता सकते हो कि यह कहानी हमें क्या सिखाती है?”
इससे पता चलता है कि बच्चा समझ पाया या नहीं।
Key Idea:
👉 यह “Assessment for Learning” है क्योंकि यह बच्चे को सीखने में मदद करता है।
यह मूल्यांकन सीखने के अंत में (After Learning) किया जाता है।
इसका उद्देश्य है — यह पता लगाना कि बच्चा क्या सीख चुका है।
इसे Summative Assessment (सारात्मक मूल्यांकन) भी कहते हैं।
इसमें बच्चे को Grades या Marks दिए जाते हैं।
इसका उपयोग Promotion, Report Card, Performance Record आदि के लिए किया जाता है।
Classroom Example:
Term-end exam या Half-yearly test में पूरे syllabus का मूल्यांकन करना।
Key Idea:
👉 यह “Assessment of Learning” है क्योंकि इसका ध्यान केवल परिणाम (Result) पर होता है।
यह मूल्यांकन बच्चे के आत्म-मूल्यांकन (Self-Assessment) पर आधारित होता है।
इसमें बच्चा खुद सोचता है कि उसने क्या सीखा, कहाँ गलती हुई और कैसे सुधार सकता है।
यह बच्चे को Reflective Learner (चिंतनशील शिक्षार्थी) बनाता है।
शिक्षक की भूमिका यहाँ Facilitator (सहायक) की होती है, जो बच्चे को सोचने के लिए प्रेरित करता है।
यह बच्चे को Self-Regulated Learning (स्व-नियंत्रित सीख) की दिशा में ले जाता है।
Classroom Example:
शिक्षक बच्चों से पूछता है – “आज के पाठ में तुम्हें कौन-सा भाग सबसे कठिन लगा?”
बच्चा सोचकर उत्तर देता है — यही Assessment as Learning है।
Key Idea:
👉 यह “Assessment as Learning” है क्योंकि बच्चा खुद अपने सीखने की प्रक्रिया का मूल्यांकन करता है।
Assessment for Learning – सीखने में मदद करने वाला मूल्यांकन।
समय: सीखने के दौरान।
उद्देश्य: सुधार और Feedback।
उदाहरण: शिक्षक का रोज़ का प्रश्न पूछना या class activity।
Assessment of Learning – सीखने के परिणाम का मूल्यांकन।
समय: सीखने के बाद।
उद्देश्य: उपलब्धि मापना और अंक देना।
उदाहरण: Unit test, term-end exam।
Assessment as Learning – सीखने की प्रक्रिया में आत्म-मूल्यांकन।
समय: सीखते समय।
उद्देश्य: बच्चे का आत्म-सुधार और चिंतन।
उदाहरण: Self-reflection, peer feedback।
Assessment for Learning में शिक्षक Facilitator (सहायक) होता है।
वह Feedback देता है और सुधार के अवसर बनाता है।
Assessment of Learning में शिक्षक Evaluator (मूल्यांकनकर्ता) होता है।
वह अंक या ग्रेड देकर रिपोर्ट तैयार करता है।
Assessment as Learning में शिक्षक Guide (मार्गदर्शक) होता है।
वह बच्चे को सोचने और आत्म-विश्लेषण के लिए प्रेरित करता है।
Example:
शिक्षक कहता है – “अपना आज का काम खुद जाँचो, क्या तुमने सभी step सही किए?”
→ यह Assessment as Learning का उदाहरण है।
बच्चे की समग्र प्रगति (Holistic Development) को समझने में मदद करता है।
केवल परीक्षा तक सीमित न रहकर सीखने की पूरी प्रक्रिया को शामिल करता है।
शिक्षक को अपनी Teaching Method बदलने का अवसर देता है।
बच्चे को Self-awareness और Confidence देता है।
शिक्षा को Child-Centered और Continuous बनाता है।
Assessment for Learning –
सीखने के दौरान किया गया मूल्यांकन, सुधार और Feedback के लिए।
(Example: Daily questioning, class activity observation)
Assessment of Learning –
सीखने के अंत में किया गया मूल्यांकन, परिणाम मापने के लिए।
(Example: Exams, term-end tests)
Assessment as Learning –
बच्चा खुद अपने सीखने का मूल्यांकन करता है, आत्म-सुधार के लिए।
(Example: Self-reflection, peer review)
Teacher’s Role:
For → Facilitator
Of → Evaluator
As → Guide
CTET Key Line:
“Assessment should be for learning, not just of learning.”
“Assessment helps the child learn how to learn.”
Exam Tip:
अगर प्रश्न में Feedback, Improvement, Process जैसे शब्द हों → यह Assessment for Learning है।
अगर Result, Marks, Grades जैसे शब्द हों → यह Assessment of Learning है।
अगर Self-assessment, Reflection, Peer learning जैसे शब्द हों → यह Assessment as Learning है।
CCE का पूरा नाम है Continuous and Comprehensive Evaluation
— हिंदी में: सतत एवं व्यापक मूल्यांकन।
Continuous (सतत) का अर्थ है –
मूल्यांकन को लगातार और नियमित रूप से (Regularly and Continuously) करना,
ताकि बच्चे की सीखने की प्रक्रिया का हर कदम पर पता लगाया जा सके।
Comprehensive (व्यापक) का अर्थ है –
मूल्यांकन केवल ज्ञान (Knowledge) पर नहीं, बल्कि
बच्चे के भावनात्मक (Emotional), सामाजिक (Social), मानसिक (Mental), और शारीरिक (Physical) विकास पर भी किया जाए।
इस योजना का उद्देश्य है –
शिक्षा को अंक-आधारित (Marks-based) से हटाकर सीख-आधारित (Learning-based) बनाना।
Example:
अगर शिक्षक केवल परीक्षा के समय बच्चे का मूल्यांकन न करके
पूरे साल उसके व्यवहार, भागीदारी, मेहनत, सहयोग आदि को भी नोट करे —
तो यह CCE है।
सीखने की प्रक्रिया को सुधारना (Improvement in Learning Process):
CCE से शिक्षक को यह समझने में मदद मिलती है कि बच्चा कहाँ गलती कर रहा है और कैसे सुधार सकता है।
समग्र विकास (Holistic Development):
CCE केवल पढ़ाई पर नहीं, बल्कि बच्चे के व्यक्तित्व विकास (Personality Development) पर भी ध्यान देता है।
भयमुक्त शिक्षा (Fear-free Education):
बच्चों में परीक्षा का डर कम करने के लिए CCE ने “केवल साल के अंत की परीक्षा” की जगह निरंतर मूल्यांकन (Continuous Evaluation) का तरीका अपनाया।
शिक्षक के लिए Feedback (प्रतिपुष्टि):
शिक्षक को भी यह पता चलता है कि उसकी Teaching Methods कितनी प्रभावी हैं।
Example:
अगर बच्चा गणित में गलती बार-बार दोहरा रहा है,
तो शिक्षक तुरंत तरीका बदल सकता है — यही सतत मूल्यांकन का लाभ है।
बच्चे के सीखने का मूल्यांकन पूरे वर्ष लगातार (Regular Intervals) किया जाता है।
इसमें बच्चे के छोटे-छोटे कार्य (Daily Tasks, Classwork, Homework) भी गिने जाते हैं।
Regular Observation (नियमित निरीक्षण), Assignments, Projects, और Interaction का उपयोग किया जाता है।
Example:
शिक्षक हर शुक्रवार बच्चों की reading ability check करता है —
यह “Continuous” भाग है।
Comprehensive का अर्थ है — बच्चे के सभी पहलुओं का मूल्यांकन।
जैसे –
Cognitive (ज्ञानात्मक) — क्या बच्चा समझ पा रहा है?
Affective (भावनात्मक) — क्या बच्चा सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखा रहा है?
Psychomotor (क्रियात्मक) — क्या बच्चा अपनी कौशलों का उपयोग कर पा रहा है?
इसका उद्देश्य केवल “कितना सीखा” नहीं बल्कि “कैसे सीखा” को भी देखना है।
Example:
यदि बच्चा group work में अच्छे से सहयोग करता है, तो यह उसका Affective skill है।
अगर वह clay model बनाता है, तो यह उसका Psychomotor skill है।
Child-Centered Approach (बाल केंद्रित दृष्टिकोण):
ध्यान बच्चे की जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं पर होता है।
Continuous Process (निरंतर प्रक्रिया):
वर्षभर छोटे-छोटे मूल्यांकन के माध्यम से बच्चे की प्रगति को मापा जाता है।
Comprehensive Coverage (समग्र क्षेत्र):
केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि बच्चे के व्यवहार, दृष्टिकोण, कौशल, आत्मविश्वास, और सामाजिक गुणों का भी मूल्यांकन।
Diagnostic and Remedial Function (गलतियों की पहचान और सुधार):
जहाँ बच्चा कठिनाई महसूस करता है, वहाँ शिक्षक Remedial teaching (सुधारात्मक शिक्षण) देता है।
No Fear of Exams (परीक्षा का डर खत्म):
लगातार मूल्यांकन से बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ता है, क्योंकि केवल एक परीक्षा से उसकी सफलता नहीं तय होती।
Example:
स्कूल में अगर हर 15 दिन बाद छोटी गतिविधि के रूप में बच्चों का मूल्यांकन हो,
तो यह “CCE system” कहलाएगा।
Observation (निरीक्षण):
शिक्षक बच्चों के व्यवहार और भागीदारी को ध्यान से देखता है।
Anecdotal Records (संक्षिप्त घटनालेख):
बच्चे की विशेष घटनाओं को लिखित रूप में रिकॉर्ड किया जाता है।
Checklists (सूची):
शिक्षक एक सूची बनाता है जिससे पता चलता है कि कौन-सी क्षमता बच्चे में है या नहीं।
Portfolio (पोर्टफोलियो):
बच्चे के पूरे साल के काम — चित्र, रिपोर्ट, लेख आदि का संग्रह।
Peer & Self Assessment:
बच्चे खुद और अपने साथियों के काम का मूल्यांकन करते हैं।
Example:
शिक्षक बच्चों के art work, participation, and behavior की checklist भरता है — यह CCE tool का प्रयोग है।
सीखने पर ज़ोर, रटने पर नहीं (Focus on Learning not Rote):
बच्चे को concepts समझने पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है।
बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है (Builds Confidence):
परीक्षा का डर नहीं रहता, क्योंकि मूल्यांकन पूरे साल होता है।
सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude):
Feedback बच्चे को सुधार के लिए प्रेरित करता है, हतोत्साहित नहीं करता।
Teacher-Parent Communication बढ़ती है:
क्योंकि बच्चे की प्रगति की रिपोर्ट बार-बार मिलती है।
Individual Differences का ध्यान:
हर बच्चे को उसकी गति और क्षमता के अनुसार मूल्यांकन किया जा सकता है।
Example:
एक बच्चा drawing में अच्छा है लेकिन maths में कमजोर है —
CCE उसे दोनों ही पक्षों में सुधारने के अवसर देता है।
शिक्षक को अधिक कार्यभार (Heavy Workload) हो जाता है।
हर बच्चे का व्यक्तिगत मूल्यांकन करना समय-साध्य (Time-consuming) है।
कुछ स्कूलों में इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया।
Documentation और Record Maintenance कठिन हो जाता है।
बच्चे को लगातार प्रेरित (Motivate) करना।
हर बच्चे की Strengths और Weaknesses पहचानना।
Feedback देना और सुधार के अवसर बनाना।
CCE tools (Observation, Portfolio, Checklist) का प्रयोग करना।
शिक्षा को Fear-free और Joyful बनाना।
Example:
शिक्षक कहता है – “तुम्हारा handwriting इस हफ्ते बेहतर हुआ है, अगले हफ्ते spacing पर ध्यान दो।”
→ यह CCE का वास्तविक उदाहरण है।
CCE = Continuous + Comprehensive Evaluation
Continuous = नियमित रूप से मूल्यांकन
Comprehensive = सभी पहलुओं (Knowledge + Skills + Attitude) का मूल्यांकन
CCE का उद्देश्य:
सीखने में सुधार (Improvement)
समग्र विकास (Holistic Development)
परीक्षा का डर कम करना (Fear-free Education)
CCE के दो भाग:
Formative Assessment → सीखने के दौरान
Summative Assessment → सीखने के अंत में
Tools: Observation, Portfolio, Checklist, Anecdotal Records
Teacher की भूमिका: Facilitator, Motivator, Observer
Key Line for CTET:
“CCE focuses on the process of learning, not merely the product of learning.”
“CCE ensures all-round development of the child.”
Diagnostic (नैदानिक) का मतलब है —
बच्चे की सीखने में आने वाली कठिनाइयों (Learning Difficulties) का पता लगाना।
Remedial (सुधारात्मक) का मतलब है —
उन कठिनाइयों को दूर करने के लिए समाधान (Remedies or Corrective Steps) देना।
जब कोई बच्चा किसी विषय या अवधारणा (Concept) को ठीक से नहीं समझ पाता,
तो शिक्षक पहले उसकी गलती का कारण पता करता है (Diagnosis)
और फिर उसे सही तरीके से सिखाता है (Remedy)।
यह प्रक्रिया बच्चे की व्यक्तिगत प्रगति (Individual Progress) के लिए बहुत जरूरी है।
Example:
अगर बच्चा “subtraction” में बार-बार गलती कर रहा है,
तो शिक्षक पहले पता करेगा कि गलती concept की है या steps की,
फिर उसी के अनुसार सुधार करेगा।
हर बच्चा अलग तरीके से सीखता है — इसलिए सबको एक जैसा सिखाना उचित नहीं।
Diagnostic & Remedial Teaching से शिक्षक जान पाता है कि
कौन-सा बच्चा किस विषय में पीछे है और क्यों।
यह तरीका बच्चों के Learning Gaps (सीखने की कमी) को भरने में मदद करता है।
इससे बच्चे का Confidence और Performance दोनों बढ़ते हैं।
शिक्षा को Child-Centered (बाल-केंद्रित) और Personalized (व्यक्तिगत) बनाया जा सकता है।
Classroom Example:
एक शिक्षक ने देखा कि कुछ बच्चे “division” में गलती कर रहे हैं।
उसने उन्हें अलग बुलाकर छोटे नंबरों के साथ अभ्यास कराया।
→ यह Remedial Teaching है।
Purpose (उद्देश्य):
बच्चे की कठिनाई पहचानना (Identify) और उसका कारण समझना (Find Cause)।
शिक्षक बच्चे के गलत उत्तरों, व्यवहार या परीक्षा परिणामों का विश्लेषण करता है।
Diagnosis Steps (नैदानिक प्रक्रिया के चरण):
बच्चे के कार्य का निरीक्षण करना (Observation)
गलतियों की पहचान करना
कठिनाई का प्रकार और कारण समझना
कारण के अनुसार उपाय बनाना
शिक्षक को यह समझना होता है कि समस्या —
Conceptual (सिद्धांत की समझ की कमी) है
या Procedural (कदमों में गलती) है
या Lack of practice (अभ्यास की कमी) है।
Example:
बच्चा “3 × 0 = 0” के बजाय “3 × 0 = 3” लिखता है।
→ शिक्षक समझता है कि बच्चे को “Zero Property of Multiplication” का concept clear नहीं है।
→ यही है Diagnostic Teaching।
Purpose (उद्देश्य):
जो कठिनाई Diagnostic चरण में मिली है,
उसे दूर करने के लिए उपयुक्त शिक्षण (Remedial Teaching) करना।
इसमें शिक्षक बच्चे की व्यक्तिगत जरूरतों (Individual Needs) के अनुसार सिखाता है।
इसमें शामिल होते हैं —
Extra classes या remedial periods
आसान भाषा या सरल उदाहरण
पुनः अभ्यास (Reinforcement Practice)
Visual Aids (दृश्य सहायक सामग्री)
Pair/Group learning
Remedial Teaching का उद्देश्य “सजा” नहीं, बल्कि “सहायता” देना है।
Example:
अगर बच्चा “past tense” गलत लिखता है,
तो शिक्षक उसे flashcards से “V1-V2 forms” सिखाता है और extra worksheet देता है।
Identification (पहचान):
कौन-सा बच्चा कठिनाई महसूस कर रहा है, यह पता करना।
(जैसे — Test results या Classroom observation से)
Diagnosis (निदान):
गलती का कारण समझना — Conceptual, Language-related, या Lack of interest।
Planning (योजना बनाना):
बच्चे की जरूरत के अनुसार remedial plan तैयार करना।
Remediation (सुधारात्मक शिक्षण देना):
उपयुक्त teaching strategy का प्रयोग करना।
Re-evaluation (पुनः मूल्यांकन):
सुधार के बाद बच्चे की प्रगति को फिर से मापना।
Example:
शिक्षक ने पाया कि बच्चा बार-बार spelling गलत लिख रहा है।
उसने remedial plan बनाया — “Word Dictation + Visual chart”।
फिर एक हफ्ते बाद दोबारा spelling test लिया → बच्चा बेहतर हुआ।
Observer (पर्यवेक्षक):
बच्चे के व्यवहार और प्रदर्शन को ध्यान से देखना।
Diagnostician (नैदानिक विशेषज्ञ):
गलती का कारण समझना।
Remediator (सुधारकर्ता):
उपयुक्त teaching method अपनाना।
Encourager (प्रोत्साहक):
बच्चे को निराश न होने देना, बल्कि सुधार के लिए प्रेरित करना।
Evaluator (मूल्यांकनकर्ता):
सुधार के बाद परिणाम देखना और आगे की योजना बनाना।
Classroom Example:
शिक्षक कहता है – “तुम्हारा गणित में प्रयास अच्छा है, चलो हम एक बार फिर साथ में कोशिश करते हैं।”
→ यह Remedial Approach है।
बच्चे की कमियों को जल्दी पहचानकर समय पर सुधार किया जा सकता है।
बच्चे में Confidence और Interest बढ़ता है।
सीखने में स्थायी सुधार (Permanent Learning) होता है।
शिक्षक और छात्र के बीच सकारात्मक संबंध बनते हैं।
शिक्षा व्यक्तिगत (Individualized) और Effective (प्रभावी) बनती है।
Example:
एक बच्चा जो “reading” में कमजोर था, remedial sessions के बाद
fluent पढ़ने लगा — यह सफल remedial teaching का परिणाम है।
Diagnostic Teaching – गलती का कारण पता लगाना।
Remedial Teaching – गलती सुधारना।
Simple Analogy (उदाहरण):
डॉक्टर पहले बीमारी पहचानता है (Diagnosis),
फिर दवा देता है (Remedy)।
उसी तरह शिक्षक पहले कठिनाई पहचानता है, फिर सुधार करवाता है।
हर बच्चे के लिए अलग योजना बनाना कठिन है।
शिक्षक को समय और संसाधनों की कमी होती है।
बड़े class size में individual attention मुश्किल होता है।
कुछ बच्चे अपनी गलती स्वीकार नहीं करते या सीखने से डरते हैं।
Diagnostic Teaching = बच्चे की सीखने की कठिनाई पहचानना।
Remedial Teaching = उस कठिनाई को दूर करने के लिए सुधारात्मक शिक्षा देना।
उद्देश्य – Learning Gap को भरना और Individual Progress बढ़ाना।
चरण – Identification → Diagnosis → Planning → Remediation → Re-evaluation
शिक्षक की भूमिका – Observer + Guide + Motivator
यह तरीका Child-Centered और Continuous होता है।
CTET Key Line:
“Diagnostic & Remedial Teaching aims at removing learning difficulties.”
“Remedial teaching is not punishment, it is support.”
Questioning Techniques (प्रश्न पूछने की तकनीकें) का अर्थ है —
शिक्षक द्वारा ऐसे प्रश्न पूछना जो बच्चों की सोचने की क्षमता (Thinking Ability), समझ (Understanding) और भागीदारी (Participation) को बढ़ाएँ।
Error Analysis (त्रुटि विश्लेषण) का अर्थ है —
बच्चों द्वारा की गई गलतियों का अध्ययन (Study of Mistakes) करके यह समझना कि
गलती क्यों हुई और उसे कैसे सुधारा जा सकता है।
दोनों का उद्देश्य है —
बच्चे की सीखने की प्रक्रिया को समझना (Understanding Learning Process)
और सुधार लाना (Improvement in Learning)।
प्रश्न बच्चों की जिज्ञासा (Curiosity) और सक्रियता (Activeness) बढ़ाते हैं।
इससे शिक्षक को यह पता चलता है कि बच्चा विषय को कितना समझा है।
यह Formative Assessment (गठनात्मक मूल्यांकन) का एक प्रभावी तरीका है।
सही प्रश्न बच्चे की Critical Thinking (आलोचनात्मक सोच) विकसित करते हैं।
इससे कक्षा में दो-तरफ़ा संवाद (Two-way communication) बनता है।
Classroom Example:
शिक्षक पूछता है — “अगर सूर्य न हो तो पृथ्वी पर क्या असर होगा?”
→ बच्चा सोचने लगता है, उत्तर देता है — “ठंड बढ़ेगी, जीवन खत्म हो जाएगा।”
→ यह Higher-order Question है।
Closed-ended Questions (सीमित उत्तर वाले प्रश्न):
जिनका उत्तर “हाँ/ना” या छोटा वाक्य होता है।
👉 Example: “क्या पानी तरल होता है?”
➜ ये प्रश्न Recall या Knowledge Testing के लिए होते हैं।
Open-ended Questions (विस्तृत उत्तर वाले प्रश्न):
जिनका उत्तर सोचकर देना पड़ता है।
👉 Example: “हम पानी की बचत कैसे कर सकते हैं?”
➜ ये Thinking, Creativity और Communication को बढ़ाते हैं।
Factual Questions (तथ्य आधारित प्रश्न):
सीधे तथ्य पूछने वाले प्रश्न।
👉 Example: “भारत की राजधानी क्या है?”
Conceptual Questions (अवधारणा आधारित प्रश्न):
Concept की समझ को जाँचने वाले प्रश्न।
👉 Example: “हवा को गैस क्यों कहते हैं?”
Application-based Questions (प्रयोगात्मक प्रश्न):
Concept को वास्तविक जीवन में लागू करने वाले प्रश्न।
👉 Example: “अगर पौधों को धूप न मिले तो क्या होगा?”
Higher-order Questions (उच्च-स्तरीय प्रश्न):
जिनसे बच्चा Analysis (विश्लेषण), Synthesis (संयोजन), और Evaluation (मूल्यांकन) करता है।
👉 Example: “क्या तुम सोचते हो कि मोबाइल बच्चों के लिए अच्छा है या बुरा? क्यों?”
Clarity (स्पष्टता):
प्रश्न छोटा, सरल और स्पष्ट होना चाहिए।
👉 Example: “पानी क्यों जरूरी है?” न कि “हमारी जीवनशैली में पानी का सामाजिक महत्व क्या है?”
Wait Time (प्रतीक्षा समय):
प्रश्न पूछने के बाद बच्चे को सोचने के लिए थोड़ा समय दो।
👉 लगभग 3-5 सेकंड का Pause जरूरी है।
Inclusiveness (सभी को शामिल करना):
हमेशा एक ही छात्र से न पूछो, सबको मौका दो।
Encouragement (प्रोत्साहन):
हर उत्तर को सकारात्मक रूप से स्वीकार करो।
👉 “बहुत अच्छा सोचा तुमने” या “चलो और सोचते हैं” कहना चाहिए।
Follow-up Questions (अनुसरण प्रश्न):
बच्चे के उत्तर के बाद अगला छोटा प्रश्न पूछो ताकि सोच गहराई तक जाए।
👉 “अच्छा, अब बताओ ऐसा क्यों होता है?”
Non-verbal Cues (गैर-मौखिक संकेत):
जैसे मुस्कान, सिर हिलाना या आंखों से संपर्क बनाए रखना —
यह बच्चे को बोलने का आत्मविश्वास देता है।
Example (Classroom Scene):
शिक्षक: “पौधे हरे क्यों होते हैं?”
बच्चा: “क्योंकि उनमें क्लोरोफिल होता है।”
शिक्षक: “बहुत बढ़िया! क्लोरोफिल का काम क्या है?”
→ यह Effective Questioning Sequence है।
बच्चों की सोचने की गहराई (Depth of Understanding) बढ़ती है।
शिक्षक को Learning Gaps का पता चलता है।
कक्षा में Active Learning Environment बनता है।
बच्चों का Confidence और Communication Skills सुधरते हैं।
प्रश्नों से शिक्षक का मूल्यांकन सतत (Continuous) बनता है।
Meaning:
जब बच्चा कोई गलती करता है, तो शिक्षक उस गलती का विश्लेषण (Analysis) करता है
ताकि समझ सके कि गलती क्यों हुई —
क्या Concept गलत था, Practice कम थी या Attention की कमी थी।
Purpose (उद्देश्य):
गलती का कारण समझना
भविष्य में उसी गलती से बचना
बच्चे को सही सीखने में मदद देना
Steps of Error Analysis (चरण):
Observation: गलती को पहचानना
Classification: गलती का प्रकार तय करना (Spelling, Concept, Calculation आदि)
Diagnosis: गलती का कारण समझना
Remediation: गलती सुधारने के उपाय करना
Types of Errors (त्रुटियों के प्रकार):
Conceptual Errors (अवधारणा की गलती): Concept गलत समझना
👉 Example: बच्चा लिखता है 2 × 0 = 2 (Concept clear नहीं है)।
Procedural Errors (कदमों की गलती): Steps गलत लगाना
👉 Example: Division में step गलत लिखना।
Careless Errors (लापरवाही की गलती): ध्यान न देना
👉 Example: 12 + 8 = 19 लिखना।
Remedial Action (सुधारात्मक कार्य):
गलत उत्तर पर डांटने के बजाय समझाना कि गलती कहाँ हुई।
Concept को दोबारा समझाना।
Practice Worksheets देना।
Visual या Concrete Examples का प्रयोग।
Classroom Example:
बच्चा “5 + 3 = 9” लिखता है।
शिक्षक पूछता है, “क्या तुम गिनकर बता सकते हो?”
बच्चा गिनकर 8 कहता है।
→ शिक्षक समझ गया कि गलती careless थी, न कि concept की।
प्रश्न पूछकर ही शिक्षक को बच्चे की गलतियाँ और सोच की दिशा पता चलती है।
प्रश्न बच्चों के Misconceptions (गलत धारणाओं) को उजागर करते हैं।
Error Analysis से शिक्षक को अगले प्रश्नों की योजना बनाने में मदद मिलती है।
दोनों मिलकर Diagnostic & Remedial Teaching को आसान बनाते हैं।
Example:
शिक्षक पूछता है, “5 को 0 से गुणा करो।”
बच्चा कहता है “5।”
→ अब शिक्षक को error पता चल गया (Conceptual Mistake)।
→ आगे वही concept दोबारा सिखाया जाएगा।
Good Questioner:
सोच-प्रेरक और स्पष्ट प्रश्न पूछना।
Active Listener:
बच्चों के उत्तर ध्यान से सुनना और उनके सोचने के पैटर्न को समझना।
Error Identifier:
गलती का कारण पहचानना।
Remediator:
गलती को सुधारने में सहायता करना।
Encourager:
बच्चे को आत्मविश्वास देना कि गलती सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
गलती के कारणों की स्पष्ट समझ मिलती है।
बच्चे की सीखने की प्रगति पर शिक्षक को सटीक जानकारी मिलती है।
Remedial Teaching के लिए ठोस आधार बनता है।
बच्चों में Self-correction Habit (स्वयं सुधारने की आदत) विकसित होती है।
शिक्षा प्रक्रिया अधिक व्यक्तिगत और प्रभावी बनती है।
Questioning Techniques = सोच को सक्रिय करने और समझ जाँचने का तरीका।
Error Analysis = बच्चों की गलतियों से उनके सोचने का तरीका समझना।
अच्छे प्रश्न – स्पष्ट, सोच-प्रेरक, और सभी बच्चों को शामिल करने वाले होते हैं।
प्रश्नों के प्रकार – Closed, Open, Factual, Conceptual, Application, Higher-order।
Effective Questioning → समझ, भागीदारी, और मूल्यांकन तीनों को मजबूत करता है।
Error Analysis Steps → Observation → Diagnosis → Remediation → Evaluation।
CTET Key Line:
“Questioning is the heart of formative assessment.”
“Error analysis helps teachers understand the child’s thought process.”
📋 Topics:-
Meaning:
यह अनुशासन का ऐसा तरीका है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी दोनों मिलकर नियम बनाते हैं।
इसमें सज़ा नहीं बल्कि साझेदारी (Participation) और सम्मान (Respect) पर जोर दिया जाता है।
Example:
कक्षा में शिक्षक और बच्चे मिलकर “क्लास रूल्स चार्ट” बनाते हैं —
जैसे, “सबकी बात ध्यान से सुनेंगे”, “कोई मजाक नहीं उड़ाएगा।”
→ यह Democratic Discipline कहलाता है।
Meaning:
जब शिक्षक सिर्फ अपने नियम थोप देता है और बच्चों की राय नहीं लेता,
तो उसे Authoritarian (तानाशाही) कहा जाता है।
Example:
शिक्षक कहता है – “मेरी बात मानो वरना सज़ा मिलेगी।”
→ यह लोकतांत्रिक नहीं, तानाशाही अनुशासन है।
Meaning:
Reinforcement का अर्थ है — किसी सकारात्मक व्यवहार (Positive Behaviour) को पुरस्कार (Reward) या प्रशंसा (Praise) से मजबूत बनाना।
Types:
Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रबलन): अच्छे काम पर इनाम देना।
Negative Reinforcement (नकारात्मक प्रबलन): कोई बुरा परिणाम हटाकर अच्छे व्यवहार को बढ़ाना।
Example:
Positive: बच्चे ने होमवर्क किया → शिक्षक ने “Good Job” कहा।
Negative: बच्चा समय पर काम करता है, इसलिए अब अतिरिक्त होमवर्क नहीं देना।
Meaning:
यह एक Behaviour Management Technique है,
जिसमें अच्छे व्यवहार पर बच्चों को टोकन (Token) या स्टार/प्वाइंट्स दिए जाते हैं,
जिन्हें बाद में इनाम (Reward) में बदला जा सकता है।
Example:
हर बार समय पर आने पर बच्चा एक “स्टार” कमाता है।
10 स्टार मिलने पर उसे “Reading Corner Time” दिया जाता है।
Meaning:
जब कोई बच्चा जानबूझकर दूसरे को डराता, अपमानित करता या नुकसान पहुंचाता है,
तो इसे Bullying कहते हैं।
Example:
एक बच्चा दूसरे के लंच का मजाक उड़ाता है और बार-बार नाम रखता है।
→ यह Bullying है।
Meaning:
जब बच्चा गुस्से में आकर चोट पहुँचाता है,
या दूसरों से झगड़ा / चिल्लाना / वस्तुएं फेंकना जैसी हरकतें करता है।
Example:
शिक्षक ने उसे कुछ कहा, और बच्चे ने कुर्सी लात मार दी —
→ यह आक्रामक व्यवहार (Aggressive Behaviour) है।
Meaning:
जब बच्चा बहुत ज़्यादा हिलता-डुलता, ध्यान नहीं लगा पाता और लगातार कुछ करता रहता है,
तो यह Hyperactivity (ADHD का लक्षण) हो सकता है।
Example:
कक्षा में बच्चा 2 मिनट भी शांत नहीं बैठता,
बार-बार जगह बदलता या बात करता है।
Meaning:
Guidance का अर्थ है — बच्चे को सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करना।
यह अधिकतर शैक्षिक (educational) या व्यावसायिक (career) दिशा में होता है।
Example:
बच्चा पूछता है — “मुझे कौन-सा विषय चुनना चाहिए?”
→ शिक्षक समझाकर बताता है — यह Guidance है।
Meaning:
Counselling का मतलब है — बच्चे की व्यक्तिगत या भावनात्मक समस्या समझकर उसे मानसिक रूप से सहायता देना।
Example:
बच्चा परीक्षा से डरता है —
शिक्षक उससे बात कर उसे आत्मविश्वास दिलाता है।
Meaning:
जब बच्चे की समस्या शिक्षक के नियंत्रण से बाहर हो जाए,
तो उसे विशेषज्ञ (Specialist) के पास भेजना Referral कहलाता है।
Example:
बच्चा बार-बार शब्द उल्टा लिखता है →
शिक्षक उसे Special Educator के पास भेजता है।
Meaning:
वह व्यक्ति जो किसी विशेष समस्या में प्रशिक्षित हो।
जैसे – Counsellor, Psychologist, Special Educator, Therapist।
Example:
Speech problem वाले बच्चे को Speech Therapist के पास भेजा जाता है।
Meaning:
बच्चों के व्यवहार को धीरे-धीरे सकारात्मक रूप में बदलने की प्रक्रिया।
इसमें Reinforcement, Token Economy, और Modelling जैसी तकनीकें शामिल हैं।
Example:
बच्चा बार-बार चिल्लाता है →
शिक्षक हर बार शांत रहने पर उसे स्टार देता है →
धीरे-धीरे उसका व्यवहार बदलता है।
Meaning:
बच्चे वही करते हैं जो वे देखते हैं।
शिक्षक का स्वयं का व्यवहार बच्चों के लिए Model बनता है।
Example:
अगर शिक्षक हर किसी से सम्मानपूर्वक बात करता है,
तो बच्चे भी वैसा ही व्यवहार सीखते हैं।
Meaning:
दूसरे की भावनाओं को समझना और महसूस करना।
शिक्षक के लिए यह Counselling में बहुत आवश्यक है।
Example:
बच्चा उदास है, और शिक्षक कहता है —
“मैं समझ सकता हूँ कि तुम क्यों परेशान हो।” → यह Empathy है।
Meaning:
बच्चे की व्यक्तिगत जानकारी या समस्या को किसी से साझा न करना,
सिवाय जब विशेषज्ञ को बताना आवश्यक हो।
Example:
Counsellor बच्चे की बात माता-पिता को बिना अनुमति बताए नहीं बताता।
Meaning:
बच्चे के व्यवहार, बोलचाल, काम करने की शैली आदि को ध्यान से देखना और नोट करना।
यह Guidance और Counselling का पहला चरण है।
Example:
शिक्षक नोट करता है कि बच्चा हर बार गणित में गलती दोहराता है।
Meaning:
जब शिक्षक या counsellor किसी समस्या को सुधारने के लिए सीधी मदद करता है।
Example:
Counsellor बच्चे के लिए एक विशेष “anger management plan” बनाता है।
Meaning:
बच्चे का खुद अपने व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करना सीखना।
Example:
बच्चा गुस्सा आता है तो गहरी साँस लेकर शांत रहता है।
Meaning:
ऐसा माहौल जहाँ बच्चे सुरक्षित, सम्मानित और प्रेरित महसूस करें।
Example:
शिक्षक हर बच्चे की कोशिश की सराहना करता है,
जिससे बच्चे आत्मविश्वासी रहते हैं।
Meaning:
जब बच्चे का व्यवहार सामान्य सीमा से बहुत अलग या अस्वीकार्य हो जाए।
जैसे — झगड़ालू होना, चोरी करना, ध्यान न लगाना आदि।
Example:
बच्चा दूसरों की चीज़ें बिना पूछे ले लेता है — यह एक behavioural problem है।
Democratic Discipline: नियम मिलकर बनाना, सम्मान व सहभागिता पर आधारित।
Authoritarian Discipline: शिक्षक का दबदबा, छात्रों की राय नहीं।
Reinforcement: अच्छे व्यवहार को इनाम से मजबूत करना।
Token Economy: पॉइंट/टोकन देकर प्रोत्साहन।
Bullying: किसी को डराना या अपमानित करना।
Aggression: गुस्से में हिंसक या चिल्लाने वाला व्यवहार।
Hyperactivity: बहुत ज़्यादा हिलना-डुलना, ध्यान न लगना।
Guidance: सही दिशा में मदद।
Counselling: व्यक्तिगत या भावनात्मक सहायता।
Referral: बच्चे को विशेषज्ञ के पास भेजना।
Behaviour Modification: Reinforcement से व्यवहार सुधारना।
Empathy: दूसरों की भावनाएँ समझना।
Confidentiality: बच्चे की जानकारी गुप्त रखना।
Observation: व्यवहार को ध्यान से देखना।
Intervention: सीधे सहायता देना।
Self-Regulation: बच्चे का आत्म-नियंत्रण सीखना।
Positive Environment: सुरक्षित, सम्मानपूर्ण माहौल बनाना।
CTET Mentor Tip 🎯:
“A good teacher is a guide, counsellor, and role model —
जो बच्चों को सज़ा नहीं, समझ और सहानुभूति से सुधारता है।”
Classroom Management का मतलब है —
कक्षा में ऐसा माहौल बनाना जहाँ बच्चे सकारात्मक रूप से सीख सकें,
आपसी सम्मान, सहयोग और अनुशासन (Discipline) बना रहे।
यह केवल “शांत बैठने” या “आज्ञा मानने” तक सीमित नहीं है,
बल्कि ऐसा वातावरण बनाना है जहाँ हर बच्चा सक्रिय (Active) और जिम्मेदार (Responsible) बने।
अच्छे कक्षा प्रबंधन से शिक्षक सीखने को अधिक प्रभावी (Effective Learning) बना सकता है।
Example:
यदि शिक्षक बच्चों को समूहों में बाँटकर पढ़ाता है,
तो बच्चे सहयोग करना सीखते हैं — यह अच्छा Classroom Management है।
Discipline का मतलब “डर या दंड” नहीं, बल्कि Self-Control (आत्म-नियंत्रण) है।
यह बच्चों में जिम्मेदारी (Responsibility) और आत्मानुशासन (Self-Discipline) की भावना विकसित करता है।
अनुशासन का उद्देश्य बच्चों को नियंत्रित करना नहीं,
बल्कि उन्हें सही निर्णय लेने में सक्षम बनाना (Decision Making Ability) है।
Example:
अगर बच्चा बोलने से पहले हाथ उठाता है,
तो यह Fear से नहीं बल्कि Self-Control से किया गया अनुशासन है।
Autocratic (सत्तावादी दृष्टिकोण) –
शिक्षक का पूरा नियंत्रण होता है, बच्चे को बोलने या निर्णय लेने की अनुमति नहीं।
→ सीखना दबाव में होता है।
Laissez-faire (स्वच्छंद दृष्टिकोण) –
शिक्षक हस्तक्षेप नहीं करता; बच्चे जो चाहें करते हैं।
→ अनुशासन की कमी होती है।
Democratic Approach (लोकतांत्रिक दृष्टिकोण) –
शिक्षक और छात्र दोनों निर्णय लेने में भाग लेते हैं।
→ यह सबसे संतुलित और प्रभावी तरीका है।
Democracy (लोकतंत्र) का अर्थ है —
“सबको समान अवसर और सम्मान देना।”
Democratic Classroom Management में बच्चे और शिक्षक दोनों
Rules (नियम), Decision (निर्णय) और Responsibility (जिम्मेदारी) साझा करते हैं।
इसमें Mutual Respect (आपसी सम्मान), Participation (भागीदारी) और Cooperation (सहयोग) का वातावरण होता है।
शिक्षक Guide (मार्गदर्शक) की भूमिका में होता है, न कि “Boss” की तरह।
Example:
कक्षा के नियम शिक्षक अकेले नहीं बनाता,
बल्कि बच्चों से पूछकर मिलकर तय करता है — यह लोकतांत्रिक दृष्टिकोण है।
Participation (भागीदारी):
बच्चे निर्णयों में शामिल होते हैं।
→ जैसे, कौन-सी group activity करनी है, यह बच्चे तय करें।
Respect (सम्मान):
हर बच्चे की राय को महत्व दिया जाता है।
→ “कौन बोलेगा?” — हर बच्चे को मौका दिया जाता है।
Equality (समानता):
किसी बच्चे से पक्षपात नहीं किया जाता।
→ चाहे बच्चा कमजोर हो या तेज, सबको समान अवसर।
Freedom with Responsibility (जिम्मेदारी सहित स्वतंत्रता):
बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता होती है, पर सीमाओं के साथ।
→ “तुम बोल सकते हो, लेकिन दूसरों को बीच में मत काटो।”
Encouragement (प्रोत्साहन):
बच्चों को गलतियों से सीखने का मौका दिया जाता है।
→ गलती करने पर डाँट नहीं, बल्कि मदद की जाती है।
Facilitator (सुविधादाता):
शिक्षक सिखाने के बजाय सीखने की प्रक्रिया को सुगम बनाता है।
Guide (मार्गदर्शक):
बच्चों को सही दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करता है।
Co-Learner (सह-शिक्षार्थी):
शिक्षक भी बच्चों के साथ सीखने की प्रक्रिया में भाग लेता है।
Mediator (समन्वयक):
विवाद की स्थिति में समाधान निकालता है, दंड नहीं देता।
Encourager (प्रोत्साहक):
हर बच्चे की कोशिश की सराहना करता है, भले परिणाम कुछ भी हो।
Example:
एक बच्चा प्रोजेक्ट देर से जमा करता है —
शिक्षक उसे दंड नहीं देता बल्कि पूछता है “क्या मदद करूँ ताकि अगली बार समय पर हो?”
→ यह लोकतांत्रिक व्यवहार है।
Rule-making Together (साथ मिलकर नियम बनाना):
कक्षा के नियम बच्चों से चर्चा करके बनाए जाएँ।
→ इससे बच्चे नियमों को अपना मानते हैं।
Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन):
अच्छे व्यवहार पर प्रशंसा या reward देना।
→ “शाबाश, तुमने बहुत अच्छी तरह से समझाया।”
Group Work & Cooperation (समूह कार्य):
बच्चे एक-दूसरे से सीखें और सहयोग करें।
→ “Peer Learning” को बढ़ावा देना।
Conflict Resolution (विवाद समाधान):
झगड़े या असहमति को बातचीत से हल करना, दंड से नहीं।
Student Voice (छात्र की आवाज):
बच्चों को अपने विचार और सुझाव खुलकर कहने देना।
Constructive Feedback (संरचनात्मक प्रतिक्रिया):
गलती पर डाँटने के बजाय सुधार का तरीका बताना।
→ “यह हिस्सा अच्छा है, बस spelling पर ध्यान दो।”
बच्चों में आत्मविश्वास (Confidence) बढ़ता है।
Self-Discipline (आत्म-अनुशासन) विकसित होता है।
बच्चे समस्या समाधान (Problem Solving) और निर्णय लेने (Decision Making) की क्षमता सीखते हैं।
कक्षा में सकारात्मक माहौल (Positive Environment) बनता है।
शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच विश्वास (Trust) और सम्मान (Respect) का संबंध बनता है।
Example:
जब बच्चे स्वयं तय करते हैं कि कौन-कौन Presentation देगा,
तो वे जिम्मेदारी महसूस करते हैं — यह Democratic Learning है।
Time-consuming (समय अधिक लगता है):
हर निर्णय में बच्चों को शामिल करना समय ले सकता है।
Discipline Maintenance (अनुशासन बनाए रखना कठिन):
स्वतंत्रता की अधिकता कभी-कभी अनुशासन बिगाड़ सकती है।
Teacher Skill Requirement (शिक्षक की योग्यता):
शिक्षक को संवाद और धैर्य की अच्छी क्षमता चाहिए।
Example:
अगर बच्चे ज़्यादा बहस करने लगें तो शिक्षक को संतुलन बनाए रखना पड़ता है।
Classroom Management = कक्षा में सीखने के लिए सकारात्मक वातावरण बनाना।
Discipline = डर नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण और जिम्मेदारी की भावना।
Democratic Approach = शिक्षक और बच्चे दोनों निर्णय में भाग लें।
विशेषताएँ – Participation, Respect, Equality, Freedom with Responsibility, Encouragement।
Teacher की भूमिका – Facilitator, Guide, Co-Learner, Encourager।
Techniques – Joint Rule-Making, Positive Reinforcement, Conflict Resolution।
लाभ – Confidence, Self-discipline, Cooperation, Positive Climate।
चुनौतियाँ – समय, अनुशासन और teacher की communication skills।
CTET Key Line:
→ “Discipline through understanding and participation is true discipline.”
→ “Democratic classroom promotes self-control, not fear.”
Behaviour Modification का मतलब है —
बच्चे के व्यवहार (Behaviour) को सकारात्मक दिशा में बदलना या सुधारना (to change or improve behaviour positively)।
यह एक मनोवैज्ञानिक तकनीक (Psychological Technique) है,
जिसमें शिक्षक बच्चे के अवांछित व्यवहार (Undesirable Behaviour) को घटाकर
वांछित व्यवहार (Desirable Behaviour) को बढ़ाने की कोशिश करता है।
यह सिद्धांत B.F. Skinner (Operant Conditioning Theory) पर आधारित है।
Example:
अगर बच्चा बार-बार क्लास में बिना पूछे बोलता है,
तो शिक्षक उसे सिखा सकता है कि हाथ उठाकर बोलना चाहिए —
यह व्यवहार संशोधन का उदाहरण है।
Positive Behaviour को बढ़ाना (Increase desirable behaviour)
Negative Behaviour को घटाना (Decrease undesirable behaviour)
Self-Control और Discipline विकसित करना
Learning Environment को बेहतर बनाना
Example:
जब बच्चे अपने काम समय पर करने लगते हैं,
तो क्लास का माहौल अनुशासित और सकारात्मक हो जाता है।
मुख्य दो तकनीकें —
Reinforcement (प्रबलन)
Token Economy (प्रतीक अर्थव्यवस्था)
Reinforcement का मतलब है —
ऐसा कोई प्रभाव या इनाम (Effect/Reward) देना जिससे बच्चे का व्यवहार मजबूत (Strengthened) हो जाए।
यानी — जब बच्चा सही व्यवहार करता है,
और शिक्षक उसे किसी तरह प्रोत्साहित (Encourage) करता है,
तो वह व्यवहार दोबारा दोहराया जाता है।
जब किसी अच्छे व्यवहार के बाद बच्चे को इनाम (Reward) दिया जाता है।
इससे वह व्यवहार और बढ़ता है (Increases Behaviour)।
Examples:
बच्चा समय पर होमवर्क करता है → शिक्षक “शाबाश!” कहता है।
छात्र क्लास में मदद करता है → उसे स्टार या प्रशंसा दी जाती है।
👉 इस तरह बच्चा वही अच्छा व्यवहार दोहराता है।
इसमें बच्चे के गलत व्यवहार के परिणामस्वरूप मिलने वाली अप्रिय चीज़ (Unpleasant Thing) को हटा दिया जाता है,
ताकि वह सही व्यवहार अपनाए।
इसका उद्देश्य दंड नहीं, बल्कि सकारात्मक सुधार है।
Example:
अगर बच्चा रोज़ समय पर आता है,
तो शिक्षक कहता है — “अब तुम्हें रोज़ रिपोर्ट देने की ज़रूरत नहीं।”
→ यहाँ “रिपोर्ट देने की ज़रूरत हटाना” Negative Reinforcement है।
Reinforcement का उद्देश्य व्यवहार सुधारना है,
जबकि Punishment का उद्देश्य डर या नियंत्रण बनाना होता है।
Token Economy एक व्यवहार संशोधन तकनीक है,
जिसमें बच्चों को टोकन (छोटे प्रतीक) जैसे — स्टार, स्टिकर, कार्ड, अंक, स्माइली इत्यादि दिए जाते हैं
जब वे अच्छा व्यवहार दिखाते हैं।
बाद में ये टोकन किसी इनाम (Reward) में बदले जा सकते हैं।
Example:
बच्चा 5 स्टार इकट्ठे करता है → उसे एक “Extra Game Time” या “Small Gift” मिलता है।
→ इस तरह बच्चा अच्छा व्यवहार दोहराने के लिए प्रेरित होता है।
Desired Behaviours तय करें:
जैसे – समय पर आना, क्लास में ध्यान देना, दूसरों की मदद करना।
Token तय करें:
जैसे – स्टिकर, स्टार, कार्ड, smiley, अंक आदि।
Reward तय करें:
कितने टोकन पर क्या इनाम मिलेगा (जैसे – 10 स्टार = एक छोटा गिफ्ट)।
Monitor & Record:
बच्चे के टोकन को शिक्षक नियमित रूप से नोट करे।
Exchange & Feedback:
बच्चे टोकन बदलकर reward पाएं और शिक्षक उन्हें प्रोत्साहित करे।
बच्चों में Motivation (प्रेरणा) बढ़ती है।
यह Immediate Feedback (तुरंत प्रतिक्रिया) देता है।
बच्चे सीखते हैं कि अच्छा व्यवहार लाभदायक होता है।
कक्षा में Positive Environment बनता है।
Example:
अगर बच्चा रोज़ क्लासवर्क पूरा करता है,
तो उसे हर दिन एक स्टार मिलता है।
→ 10 स्टार पर उसे “Best Learner” का Certificate मिलता है।
Observation (अवलोकन):
बच्चों के व्यवहार को ध्यान से देखना और patterns पहचानना।
Identify Behaviour (व्यवहार पहचानना):
कौन-सा व्यवहार बढ़ाना है और कौन-सा घटाना है — यह तय करना।
Apply Reinforcement:
सही समय पर प्रशंसा या Token देना।
Consistency (संगतता):
नियम सभी बच्चों पर समान रूप से लागू करना।
Feedback:
हर बच्चे को सुधार के लिए मार्गदर्शन देना।
Example:
अगर कोई बच्चा बोलने की आदत छोड़ देता है,
तो शिक्षक उसकी तारीफ करे — “आज तुम बहुत अच्छे से सुने, शाबाश!”
Reinforcement में सीधे प्रशंसा या इनाम दिया जाता है।
Token Economy में “प्रतीक” के रूप में टोकन दिए जाते हैं जो बाद में इनाम में बदले जाते हैं।
Example:
शिक्षक कहता है “शाबाश” = Positive Reinforcement
शिक्षक देता है “Star Sticker” = Token Economy
Overdependence:
बच्चे टोकन या इनाम के बिना काम करने में रुचि खो सकते हैं।
Consistency Needed:
शिक्षक को नियम लगातार लागू करने होते हैं।
Individual Difference:
हर बच्चा अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है।
Example:
एक बच्चे को स्टिकर पसंद है, दूसरे को प्रशंसा — दोनों के लिए अलग तरीका चाहिए।
Behaviour Modification = बच्चे के व्यवहार को सकारात्मक दिशा में बदलना।
आधारित है – B.F. Skinner (Operant Conditioning Theory) पर।
उद्देश्य – अच्छा व्यवहार बढ़ाना, गलत व्यवहार घटाना।
Reinforcement (प्रबलन):
Positive = अच्छे व्यवहार पर इनाम देना।
Negative = अप्रिय स्थिति हटाकर अच्छे व्यवहार को बढ़ाना।
Token Economy (प्रतीक अर्थव्यवस्था):
अच्छे व्यवहार पर बच्चे को “टोकन” देना।
टोकन बाद में इनाम में बदले जाते हैं।
Teacher की भूमिका:
अवलोकन, पहचान, reinforcement लागू करना, feedback देना।
लाभ:
Motivation बढ़ता है, discipline बनता है, कक्षा में positivity आती है।
चुनौतियाँ:
निरंतरता की जरूरत, कुछ बच्चे बाहरी इनाम पर निर्भर हो जाते हैं।
CTET Tip:
“Behaviour modification focuses on reinforcing good behaviour, not punishing bad behaviour.”
“Reinforcement and token economy are tools to shape behaviour positively.”
Behavioural Problems वे स्थितियाँ हैं जहाँ बच्चा ऐसा व्यवहार दिखाता है जो कक्षा के नियमों, सामाजिक मूल्यों या सामान्य व्यवहार के विपरीत होता है।
ये व्यवहार बच्चे के सीखने, अनुशासन और दूसरों से संबंध को प्रभावित करते हैं।
हर बच्चा अलग होता है, इसलिए उसकी व्यवहार समस्या (Behavioural Problem) भी अलग हो सकती है।
Example:
कोई बच्चा हमेशा गुस्सा करता है।
कोई दूसरों को मारता या चिढ़ाता है।
कोई ध्यान नहीं देता, हर समय इधर-उधर घूमता रहता है।
Home Environment (घर का माहौल):
झगड़े, असुरक्षा या माता-पिता का ध्यान न मिलना।
उदाहरण: घर में रोज़ लड़ाई होने से बच्चा चिड़चिड़ा बन सकता है।
School Environment (विद्यालय का माहौल):
शिक्षक की डांट या साथियों की उपेक्षा।
उदाहरण: बच्चे को लगातार डाँटने से वह आक्रामक हो सकता है।
Peer Pressure (साथियों का प्रभाव):
दोस्तों के दबाव में आकर गलत व्यवहार अपनाना।
Lack of Emotional Support (भावनात्मक समर्थन की कमी):
जब बच्चे की भावनाएँ न समझी जाएँ, तो वह व्यवहार से प्रतिक्रिया देता है।
Psychological or Biological Factors:
जैसे — Hyperactivity (अत्यधिक सक्रियता) या Impulsiveness (आवेगशीलता)।
अब तीन प्रमुख समस्याएँ विस्तार से समझते हैं 👇
Meaning:
Bullying का मतलब है किसी बच्चे को जानबूझकर डराना, नीचा दिखाना, या बार-बार चोट पहुँचाना (physically or mentally)।
Forms of Bullying:
Physical (शारीरिक): मारना, धक्का देना।
Verbal (शाब्दिक): चिढ़ाना, गाली देना।
Social (सामाजिक): किसी को समूह से बाहर रखना या उसकी हँसी उड़ाना।
Effects on Child:
डर, आत्मविश्वास की कमी, स्कूल आने से डरना, पढ़ाई से दूरी।
Classroom Example:
एक बच्चा रोज़ अपने सहपाठी की कॉपी फाड़ देता है या उसका मज़ाक उड़ाता है।
Teacher’s Role:
सभी बच्चों के बीच सम्मान और सहानुभूति (Respect & Empathy) का वातावरण बनाए।
Bullying करने वाले को समझाएँ, दंड नहीं दें।
पीड़ित बच्चे से बात करें और उसका आत्मविश्वास बढ़ाएँ।
Meaning:
Aggression का मतलब है — ऐसा गुस्सैल या हिंसक व्यवहार (Angry or Violent Behaviour) जिससे दूसरों को नुकसान पहुँच सकता है।
Types:
Physical Aggression (शारीरिक): मारना, चीज़ें फेंकना।
Verbal Aggression (शाब्दिक): चिल्लाना, गाली देना।
Causes:
घर या स्कूल में कठोर व्यवहार।
असफलता, अस्वीकृति या ध्यान न मिलना।
टीवी/मोबाइल पर हिंसक सामग्री देखना।
Effects:
बच्चों के बीच डर, तनाव, और दोस्ती में दूरी।
सीखने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
Classroom Example:
बच्चा बोर्ड पर गलत लिखने पर गुस्से में किताब फेंक देता है।
Teacher’s Role:
शांतिपूर्ण संवाद करें, बच्चे को भावनाएँ व्यक्त करने के सही तरीके सिखाएँ।
Positive Reinforcement (सकारात्मक प्रोत्साहन) दें।
समूह गतिविधियों से सहयोगी व्यवहार (Cooperative Behaviour) सिखाएँ।
Meaning:
Hyperactivity का अर्थ है — बच्चे का बेहद सक्रिय, बेचैन और ध्यान न लगा पाना (Overactive and Distracted Behaviour)।
Characteristics:
हमेशा हिलना-डुलना, जगह पर न बैठना।
काम अधूरा छोड़ देना।
ध्यान न लगाना, बार-बार बोलना।
Possible Causes:
न्यूरोलॉजिकल कारण (जैसे ADHD - Attention Deficit Hyperactivity Disorder)।
पर्याप्त नींद, आहार या भावनात्मक स्थिरता की कमी।
Classroom Example:
बच्चा लगातार बेंच से उठता है, बार-बार दूसरे बच्चों से बात करता है।
Teacher’s Role:
छोटे-छोटे कार्य सौंपें ताकि बच्चा व्यस्त रहे।
उसकी ऊर्जा को Positive दिशा में लगाएँ (जैसे खेल या रचनात्मक कार्य)।
ध्यान बढ़ाने के लिए Visual Aids और Short Tasks का प्रयोग करें।
Positive Reinforcement:
अच्छा व्यवहार दिखाने पर प्रशंसा या छोटा इनाम दें।
Clear Rules:
क्लास में नियम पहले से बताएं और सभी पर समान रूप से लागू करें।
Empathy & Understanding:
बच्चे की स्थिति को समझें, केवल डाँटें नहीं।
Parental Involvement:
माता-पिता को व्यवहार सुधार प्रक्रिया में शामिल करें।
Counselling & Guidance:
ज़रूरत पड़ने पर काउंसलर या मनोवैज्ञानिक की मदद लें।
Use of Group Activities:
बच्चों को टीमवर्क और सहयोग सिखाएँ ताकि नकारात्मक व्यवहार घटे।
Observer (अवलोकक):
बच्चों के व्यवहार में बदलाव को नोट करें।
Counsellor (परामर्शदाता):
भावनात्मक रूप से परेशान बच्चों की बात सुनें।
Role Model (आदर्श):
स्वयं शांत, विनम्र और सम्मानजनक व्यवहार दिखाएँ।
Motivator (प्रेरक):
अच्छे व्यवहार की प्रशंसा करें, ताकि अन्य बच्चे प्रेरित हों।
Environment Builder:
कक्षा में ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ हर बच्चा सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे।
Behavioural Problems: बच्चों का ऐसा व्यवहार जो सामाजिक या स्कूल मानकों के खिलाफ हो।
मुख्य प्रकार:
Bullying (धमकाना) – दूसरों को बार-बार डराना या चोट पहुँचाना।
Aggression (आक्रामकता) – गुस्सा, हिंसा, चिल्लाना।
Hyperactivity (अत्यधिक सक्रियता) – बेचैनी, ध्यान न लगना।
Causes: घर का माहौल, शिक्षक का व्यवहार, साथियों का प्रभाव, मानसिक कारण।
Bullying का उपाय: सहानुभूति और सुरक्षा वाला वातावरण।
Aggression का उपाय: शांत संवाद और Positive Reinforcement।
Hyperactivity का उपाय: छोटे कार्य, Visual Aids, खेल-गतिविधियाँ।
Teacher की भूमिका: Observer, Counsellor, Role Model, Motivator।
Goal: अनुशासित, सुरक्षित और सकारात्मक शिक्षण वातावरण बनाना।
CTET Tip:
“Behavioural problems are not punishable acts — they are signals of unmet needs.”
“Teacher’s empathy and positive guidance are the best tools to manage them.”
Guidance का अर्थ है — बच्चे को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए सहायता (help in right direction) देना।
इसका उद्देश्य बच्चे की समस्याओं को समझना, समाधान सुझाना और स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना है।
यह एक निरंतर प्रक्रिया (Continuous Process) है — जो शिक्षा के हर चरण में जरूरी होती है।
Example:
अगर बच्चा यह तय नहीं कर पा रहा कि किस विषय में रुचि रखता है,
तो शिक्षक उसकी रुचि समझकर उसे सही दिशा में मार्गदर्शन देता है।
Counselling का मतलब है — बच्चे को व्यक्तिगत या भावनात्मक समस्याओं के समाधान में सहायता करना।
इसमें शिक्षक या counsellor बच्चे से सहानुभूतिपूर्ण संवाद (empathetic communication) करता है।
उद्देश्य है — बच्चे को भावनात्मक संतुलन (Emotional Stability) और सकारात्मक सोच (Positive Thinking) देना।
Example:
अगर बच्चा बार-बार परीक्षा से डरता है,
तो counsellor उसे आत्मविश्वास बढ़ाने और परीक्षा-भय दूर करने के उपाय बताता है।
Guidance: दिशा दिखाना, निर्णय लेने में मदद करना।
Counselling: भावनात्मक या व्यक्तिगत समस्या का समाधान देना।
Example:
“मुझे कौन-सा विषय चुनना चाहिए?” → Guidance
“मुझे आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है।” → Counselling
Emotional Support:
बच्चों को मानसिक और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।
Academic Success:
पढ़ाई में कठिनाइयाँ दूर करने में मदद।
Behavioural Improvement:
आक्रामकता, डर, आलस्य जैसे व्यवहार सुधारना।
Career Guidance:
आगे क्या पढ़ना या कौन-सा क्षेत्र चुनना — इसमें सहायता।
Adjustment with Environment:
घर और स्कूल दोनों में सामंजस्य बनाना सीखना।
Example:
अगर बच्चा नए स्कूल में एडजस्ट नहीं कर पा रहा,
तो counsellor उसे धीरे-धीरे समूह गतिविधियों में शामिल कराता है।
Observer (अवलोकक):
बच्चे के व्यवहार, रुचि और भावनाओं का निरीक्षण करना।
Helper (सहायक):
बच्चे की समस्या को समझकर प्रारंभिक सहायता देना।
Listener (सुनने वाला):
बच्चे की बात ध्यान से सुनना, बीच में टोकना नहीं।
Motivator (प्रेरक):
बच्चे को आत्मविश्वास दिलाना कि वह सुधार सकता है।
Referral (संदर्भ देने वाला):
जब समस्या शिक्षक के नियंत्रण से बाहर हो जाए,
तब बच्चे को विशेषज्ञ (Specialist) के पास भेजना।
कई बार कुछ समस्याएँ सामान्य नहीं होतीं,
और उनके समाधान के लिए विशेषज्ञ की सहायता (Expert Help) जरूरी होती है।
नीचे ऐसे हालात दिए गए हैं 👇
बच्चा बहुत ज़्यादा आक्रामक (Aggressive) या बहुत चुप (Withdrawn) हो जाए।
लगातार रोना, डरना, चिढ़ना या अकेलापन महसूस करना।
Bullying, Anxiety, Depression जैसी स्थितियाँ।
Example:
बच्चा बिना कारण गुस्सा करता है या अचानक किसी से बात करना बंद कर देता है —
→ उसे School Counsellor / Psychologist के पास भेजा जाना चाहिए।
बच्चा बार-बार एक ही गलती दोहराता है, भले ही शिक्षक समझा चुके हों।
पढ़ने, लिखने या गणित में विशेष कठिनाई — जैसे Dyslexia, Dysgraphia, Dyscalculia।
Example:
बच्चा “b” और “d” को हमेशा उल्टा लिखता है →
यह Learning Disorder हो सकता है → Special Educator की जरूरत।
बच्चा बहुत धीरे बोलता या चलता है।
Motor skills (जैसे पकड़ना, दौड़ना, लिखना) में कमजोरी।
Speech या Hearing problem का संदेह।
Example:
बच्चा शब्द साफ़ नहीं बोल पा रहा → Speech Therapist से संपर्क।
बच्चा साथियों से झगड़ता या बिल्कुल अलग-थलग रहता है।
Group work में भाग नहीं लेता या बार-बार शिकायत करता है।
Example:
अगर बच्चा हमेशा अकेला रहता है और दोस्त बनाने से डरता है →
उसे Counsellor के पास भेजना चाहिए ताकि उसका आत्मविश्वास बढ़े।
Self-harm (आत्म-हानि) की सोच या व्यवहार दिखना।
बहुत ज़्यादा तनाव, नींद न आना, या खाने की समस्या।
Example:
बच्चा कहता है — “मुझे जीने का मन नहीं करता।”
→ तुरंत Psychologist या Psychiatrist के पास भेजें।
School Counsellor / Psychologist:
Emotional, behavioural, stress-related problems।
Special Educator:
Learning disabilities (Dyslexia, ADHD आदि)।
Speech Therapist:
बोलने या उच्चारण की समस्या।
Occupational Therapist:
Motor coordination या शारीरिक विकास संबंधी कठिनाइयाँ।
Child Psychiatrist:
गंभीर मानसिक स्वास्थ्य या depression जैसी स्थिति।
Observe & Record:
समस्या का नियमित रिकॉर्ड रखें।
Discuss with Parents:
माता-पिता को समझाएँ कि विशेषज्ञ की मदद क्यों जरूरी है।
Confidentiality (गोपनीयता):
बच्चे की जानकारी गुप्त रखें।
Follow-up:
रेफरल के बाद बच्चे की प्रगति पर नज़र रखें।
Example:
शिक्षक देखता है कि बच्चा लगातार पढ़ाई से डर रहा है →
वह माता-पिता से बात करके उसे School Counsellor से मिलवाता है।
Guidance: सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद।
Counselling: व्यक्तिगत या भावनात्मक समस्या का समाधान।
Teacher की भूमिका: अवलोकन, सहायता, सुनना, प्रेरित करना, और ज़रूरत पड़ने पर रेफर करना।
Refer to Specialist कब करें:
अत्यधिक गुस्सा या डर।
बार-बार पढ़ाई में गलती।
बोलने, सुनने या विकास की समस्या।
सामाजिक रूप से अलग-थलग रहना।
मानसिक तनाव या आत्म-हानि के संकेत।
Specialists: Counsellor, Psychologist, Special Educator, Therapist, Psychiatrist।
Process: अवलोकन → माता-पिता से चर्चा → रेफरल → Follow-up।
CTET Tip:
“A teacher’s job is not to diagnose but to identify and refer.”
“Early referral ensures early help — prevention is better than cure.”
📋 Topics:-
Meaning: यह वह संपूर्ण योजना (Complete Plan) है जो बताती है कि बच्चों को क्या, कैसे और क्यों पढ़ाया जाएगा — यानी विषय, गतिविधियाँ, मूल्यांकन, और अनुभव सब कुछ।
Example: NCF 2005 ने कहा कि Curriculum ऐसा होना चाहिए जो बच्चों के अनुभवों और रुचियों पर आधारित हो।
Meaning: इसमें बच्चा शिक्षा का केंद्र (Child is the Focus of Learning) होता है — शिक्षक केवल मार्गदर्शक (Guide) की भूमिका निभाता है।
Example: जब शिक्षक बच्चों को अपने विचार बताने और खोजने की स्वतंत्रता देता है — जैसे “Science experiment खुद करने देना” — तो यह Child-Centered Approach है।
Meaning: यह विचार है कि बच्चा अपना ज्ञान खुद बनाता है (Learner Constructs Knowledge), केवल याद नहीं करता।
Example: बच्चा जब “पानी के गुण” खुद प्रयोग करके समझता है, न कि केवल सुनता है — तब Constructivism होता है।
Meaning: मूल्यांकन केवल परीक्षा से नहीं, बल्कि लगातार (Continuous) और हर पहलू से (Comprehensive) होना चाहिए — जैसे व्यवहार, रचनात्मकता, मेहनत, रुचि आदि।
Example: शिक्षक अगर बच्चे की ड्राइंग, खेल और बोलचाल के प्रदर्शन को भी आँकता है, तो वह CCE का हिस्सा है।
Meaning: ऐसी शिक्षा जो बच्चे की कौशल (Skills) और सीखने की क्षमता (Competencies) को विकसित करे, केवल याददाश्त नहीं।
Example: बच्चे को सिर्फ “गुणा तालिका याद” कराने की बजाय “समस्या हल करने” की क्षमता विकसित करना Competency-Based Education है।
Meaning: 3 से 6 वर्ष के बच्चों की देखभाल + सीखने की तैयारी पर केंद्रित शिक्षा व्यवस्था।
Example: आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को गिनती, रंग और कहानी के माध्यम से सिखाना ECCE का उदाहरण है।
Meaning: यह बताता है कि एक शिक्षक पर कितने छात्र होने चाहिए।
RTE Act के अनुसार: प्राथमिक स्तर पर 30:1 और उच्च प्राथमिक में 35:1 होना चाहिए।
Example: अगर एक कक्षा में 60 छात्र हैं और केवल 1 शिक्षक है — तो PTR सही नहीं है।
Meaning: RTE 2009 के अनुसार, कक्षा 1 से 8 तक किसी बच्चे को फेल नहीं किया जा सकता।
Purpose: बच्चों में डर या तनाव न हो, और सीखने की प्रक्रिया बाधित न हो।
Example: अगर बच्चा 5वीं में कमजोर है, तो उसे सुधार के अवसर दिए जाएँगे, फेल नहीं किया जाएगा।
Meaning: हर बच्चे को उसकी ज़रूरत के अनुसार अवसर देना ताकि वह बराबरी से आगे बढ़ सके।
Example: यदि किसी बच्चे को सुनने में कठिनाई है, तो शिक्षक माइक्रोफोन या विशेष सीटिंग दे — यही Equity है।
Meaning: हर बच्चा — चाहे दिव्यांग हो, गरीब हो या अलग पृष्ठभूमि से — एक ही कक्षा में सीख सके।
Example: RPWD Act 2016 का उद्देश्य है कि दिव्यांग बच्चे भी सामान्य स्कूलों में पढ़ सकें।
Meaning: यह कानून दिव्यांग व्यक्तियों (Persons with Disabilities) को शिक्षा, रोजगार और सम्मानजनक जीवन का अधिकार देता है।
Example: स्कूल में व्हीलचेयर रैंप बनवाना, ब्रेल किताबें देना — RPWD Act के अंतर्गत आते हैं।
Meaning: यह बताता है कि किसी कक्षा या विषय में पढ़ाई के बाद बच्चे को क्या सीखना चाहिए और कैसे दिखना चाहिए।
Example: कक्षा 3 का Learning Outcome – “बच्चा 100 तक की संख्याओं को जोड़-घटाना कर सके।”
Meaning: हर बच्चे को जीवन, सुरक्षा, शिक्षा और सहभागिता का अधिकार है।
Example: अगर किसी बच्चे से जबरदस्ती काम करवाया जाए, तो यह उसके Protection Right का उल्लंघन है।
Meaning: 1989 का अंतरराष्ट्रीय समझौता जो बच्चों के Survival, Protection, Development, Participation अधिकारों को मान्यता देता है।
Example: भारत ने 1992 में UNCRC को अपनाया ताकि बाल अधिकारों की रक्षा हो सके।
Meaning: बच्चे का विकास केवल पढ़ाई में नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक रूप में भी हो।
Example: स्कूल में खेल, कला, और मूल्य शिक्षा देना Holistic Development का हिस्सा है।
Meaning: इस आयोग ने भारत की शिक्षा व्यवस्था में “Common School System (समान विद्यालय प्रणाली)” और “Education for National Development” का विचार दिया।
Example: आज सरकारी और निजी स्कूलों में समान शिक्षा अवसर का विचार — इसी रिपोर्ट से प्रेरित है।
Meaning: इस नीति ने शिक्षा को महिलाओं, दिव्यांगों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सुलभ और समान बनाया।
Example: “Operation Blackboard” और “District Primary Education Programme (DPEP)” इसी नीति के परिणाम हैं।
Meaning: RTE से पहले शुरू की गई योजना जिसका उद्देश्य था 6–14 वर्ष तक के हर बच्चे को शिक्षा देना।
Example: “हर बच्चे तक स्कूल” मिशन इसी योजना के तहत चला।
Meaning: यह योजना SSA + RMSA + Teacher Education को मिलाकर एकीकृत शिक्षा कार्यक्रम बनाती है।
Example: इसका उद्देश्य है — “School to School Improvement” यानी KG से लेकर Class 12 तक एक समग्र व्यवस्था।
Meaning: किसी कार्य को सही ढंग से करने की कौशल (Skill) और समझ (Understanding)।
Example: अगर बच्चा भाषा में खुद कहानी लिख सकता है — तो उसने भाषा की Competency हासिल की है।
NCF 2005:
→ Aims of Education – Child-centered, Constructivist Learning, Holistic Development.
→ Introduced CCE (Continuous and Comprehensive Evaluation).
NEP 2020:
→ New Structure: 5+3+3+4
→ Focus on ECCE, Competency-Based Education, Flexibility, Multilingualism.
RTE Act 2009:
→ Free & Compulsory Education (6–14 years).
→ PTR: 30:1 (Primary), 35:1 (Upper Primary).
→ No Detention up to Class 8.
Kothari Commission (1964–66):
→ Emphasized Common School System & Education for National Development.
NPE 1986/1992:
→ Focused on Equality, Women Education, Teacher Training.
Sarva Shiksha Abhiyan (SSA):
→ “Education for All” mission (6–14 years).
Samagra Shiksha (2018):
→ Integrated scheme for Pre-school to Class 12.
RPWD Act 2016:
→ Ensures Inclusive Education for children with disabilities.
Learning Outcomes (NCERT 2017):
→ Define “What a child should be able to do” after each class.
Child Rights (UNCRC 1989):
→ Four Pillars: Survival, Protection, Development, Participation (SPDP).
NCF (National Curriculum Framework) – 2005
यह एक मार्गदर्शक दस्तावेज़ (guiding document) है जो शिक्षा प्रणाली को दिशा देता है।
इसे NCERT (National Council of Educational Research and Training) ने बनाया।
उद्देश्य (Purpose):
शिक्षा को बच्चा-केंद्रित (Child-Centered) और अर्थपूर्ण (Meaningful) बनाना।
रटना (Rote Learning) की जगह समझ के आधार पर सीखना (Learning by Understanding) लाना।
मुख्य दर्शन (Main Philosophy):
सीखना एक सक्रिय प्रक्रिया (Active Process) है।
हर बच्चा अपनी गति से, अपने अनुभवों से सीखता है।
शिक्षक का काम है – बच्चे को मार्गदर्शित करना (Facilitate), न कि केवल ज्ञान देना।
Example:
पहले बच्चे को केवल किताबें याद करवाई जाती थीं, अब NCF कहता है —
“बच्चा खुद अनुभव करे, सवाल पूछे, चर्चा करे, और सीखने में आनंद ले।”
Holistic Development (समग्र विकास):
शिक्षा केवल अकादमिक नहीं होनी चाहिए, बल्कि बच्चे के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, और नैतिक विकास पर ध्यान देना चाहिए।
Example: खेल, कला, संगीत, चर्चा – ये भी शिक्षा का हिस्सा हैं।
Learning without Fear (डर-मुक्त शिक्षा):
बच्चों में जिज्ञासा (Curiosity) और रचनात्मकता (Creativity) को बढ़ाने के लिए
शिक्षा का माहौल डर-मुक्त होना चाहिए।
Example: अगर बच्चा गलती करे तो डांटने के बजाय उसे समझाया जाए।
Development of Values (मूल्य शिक्षा):
बच्चों में सहानुभूति (Empathy), समानता (Equality), सहयोग (Cooperation), और संवेदनशीलता (Sensitivity) विकसित करना।
Example: सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान सिखाना।
Constructive Learning (रचनात्मक अधिगम):
शिक्षा को Constructivist Approach पर आधारित करना —
यानी बच्चे अपने अनुभवों से ज्ञान का निर्माण करें।
Example: शिक्षक प्रश्न पूछता है – “तुम्हें क्या लगता है, पौधे को बढ़ने के लिए क्या चाहिए?” → बच्चा सोचता और उत्तर खोजता है।
Social Change (सामाजिक परिवर्तन):
शिक्षा समाज को अधिक न्यायपूर्ण (Just), लोकतांत्रिक (Democratic) और समानता-आधारित (Equal) बनाती है।
Example: लड़का-लड़की समान अवसर प्राप्त करें।
Lifelong Learning (जीवनभर सीखने की भावना):
शिक्षा केवल परीक्षा तक नहीं, बल्कि पूरे जीवन के लिए सीखने की प्रेरणा दे।
Example: बच्चा आत्म-अनुशासन और आत्म-शिक्षा सीखे।
Meaning (अर्थ):
Child-Centered Approach का मतलब है —
शिक्षा का केंद्र बच्चा (Learner) हो, न कि शिक्षक (Teacher) या पाठ्यपुस्तक (Textbook)।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features):
Active Participation (सक्रिय भागीदारी):
बच्चे खुद सीखने की प्रक्रिया में भाग लें।
Example: विज्ञान के प्रयोग खुद करके सीखना।
Learning by Doing (करके सीखना):
अनुभव से ज्ञान प्राप्त करना।
Example: पौधा उगाने का प्रयोग करके “Photosynthesis” समझना।
Freedom of Expression (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता):
बच्चा अपनी सोच, विचार और सवाल खुलकर रख सके।
Example: “Why” पूछने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करना।
Individual Differences (व्यक्तिगत भिन्नता):
हर बच्चा अलग है — उसकी गति, रुचि, और सीखने का तरीका अलग होता है।
Example: किसी को चित्रों से, किसी को कहानियों से जल्दी समझ आता है।
Teacher as Facilitator (सहयोगी शिक्षक):
शिक्षक “गाइड” की भूमिका में होता है जो बच्चे की मदद करता है।
Example: शिक्षक दिशा देता है, उत्तर नहीं बताता।
NCF का संदेश:
“Learning should shift away from rote methods to learning through understanding and discovery.”
Meaning (अर्थ):
CCE का मतलब है — बच्चे का मूल्यांकन लगातार (Continuous) और संपूर्ण रूप से (Comprehensive) करना।
Continuous (निरंतर):
सीखने की प्रक्रिया के दौरान बार-बार मूल्यांकन करना,
ताकि बच्चे की प्रगति (progress) पर नज़र रखी जा सके।
Example: हर सप्ताह छोटे-छोटे quiz, class work check, observation।
Comprehensive (संपूर्ण):
केवल लिखित परीक्षा नहीं, बल्कि बच्चे के व्यवहार (Behaviour), रचनात्मकता (Creativity), सहयोग भावना (Cooperation) आदि को भी आँकना।
Example: नाटक में भाग लेना, टीम वर्क दिखाना, आर्ट वर्क आदि।
Purpose (उद्देश्य):
सीखने में सुधार लाना (Improvement in Learning Process)
डर-मुक्त मूल्यांकन (Fear-free Assessment)
Feedback देना (Feedback to Students & Parents)
Remedial Teaching (सुधारात्मक शिक्षण) का अवसर देना।
Role of Teacher (शिक्षक की भूमिका):
शिक्षक हर बच्चे की प्रगति पर ध्यान रखे।
केवल अंक देने के बजाय — Feedback & Encouragement दे।
Example:
अगर बच्चा spelling में बार-बार गलती करता है,
तो शिक्षक नोट्स देकर उसे सुधारने में मदद करता है,
सिर्फ “0” अंक नहीं देता।
NCF 2005: शिक्षा को बच्चा-केंद्रित, अनुभव-आधारित, और डर-मुक्त बनाने का उद्देश्य रखता है।
Aims of Education: समग्र विकास, मूल्य शिक्षा, सामाजिक समानता, रचनात्मक अधिगम, और जीवनभर सीखना।
Child-Centered Approach:
सीखने का केंद्र बच्चा है।
शिक्षक मार्गदर्शक (Facilitator)।
अनुभव और खोज के माध्यम से अधिगम।
CCE (Continuous and Comprehensive Evaluation):
Continuous = निरंतर मूल्यांकन
Comprehensive = संपूर्ण मूल्यांकन
उद्देश्य → बच्चे की प्रगति समझना, डर-मुक्त वातावरण बनाना, और सुधार के अवसर देना।
NCF का मुख्य संदेश:
“Education should nurture curiosity, creativity, and democratic values in every child.”
📖 CTET Tip:
NCF 2005 बार-बार CTET में पूछा जाता है। याद रखो —
यह rote learning को खत्म करने और learning by understanding लाने की दिशा में बना था।
NEP 2020 (National Education Policy 2020)
भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New National Education Policy) है, जिसे जुलाई 2020 में लागू किया गया।
इसका उद्देश्य है शिक्षा को लचीला (Flexible), समग्र (Holistic), और बच्चा-केंद्रित (Learner-Centered) बनाना।
मुख्य लक्ष्य (Main Goal):
शिक्षा को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।
बच्चों में Critical Thinking (आलोचनात्मक सोच), Creativity (रचनात्मकता) और Life Skills (जीवन कौशल) विकसित करना।
NEP 2020 का नारा:
“Education for All – Quality Education for Every Child.”
पहली बार शिक्षा पर इतना व्यापक सुधार — 34 साल बाद (1986 के बाद) नई नीति आई।
पुराना ढाँचा (Old System):
पहले प्रणाली थी 10+2 → 10 वर्ष स्कूली शिक्षा + 2 वर्ष उच्चतर माध्यमिक।
नया ढाँचा (New System):
अब शिक्षा का नया संरचना ढाँचा (Structure) है — 5 + 3 + 3 + 4 = 15 वर्ष
यह बच्चे के आयु-आधारित विकास (Age-based Development) पर आधारित है।
आयु: 3 से 8 वर्ष
कक्षाएँ: Pre-school (3 वर्ष) + Class 1 & 2
मुख्य बिंदु:
ECCE (Early Childhood Care and Education) इस चरण का आधार है।
ध्यान दिया जाता है: खेल के माध्यम से सीखने (Learning through Play), रंग, कहानी, और गतिविधियाँ।
Skill Focus: भाषा (Language), संख्याएँ (Numbers), मोटर स्किल्स (Motor Skills), और सामाजिक व्यवहार।
Example: बच्चे कविता गाते हुए या ब्लॉक खेलते हुए गिनती सीखते हैं।
आयु: 8 से 11 वर्ष
कक्षाएँ: 3, 4, 5
मुख्य बिंदु:
सीखने का तरीका अब थोड़ा औपचारिक होता है।
Activity-based learning, Experiential learning (अनुभव से सीखना) को बढ़ावा दिया जाता है।
विषय – भाषा, गणित, विज्ञान, कला, सामाजिक अध्ययन।
Example: “Water Cycle” समझाने के लिए चित्र और प्रयोग का उपयोग।
आयु: 11 से 14 वर्ष
कक्षाएँ: 6, 7, 8
मुख्य बिंदु:
Subject-based learning शुरू होती है।
Critical thinking (आलोचनात्मक सोच) और Problem-solving skills पर ज़ोर।
Vocational Education (व्यावसायिक शिक्षा) की शुरुआत — यानी बच्चे अपने रुचि के अनुसार कौशल सीख सकते हैं।
Example: Class 6 से Coding या Handicraft सीखना।
आयु: 14 से 18 वर्ष
कक्षाएँ: 9 से 12
मुख्य बिंदु:
Multidisciplinary approach (बहुविषयक दृष्टिकोण) अपनाया जाता है।
बच्चे अपनी पसंद के विषय चुन सकते हैं (Arts, Commerce, Science का बंधन खत्म)।
Research-based learning और Career guidance पर ध्यान।
Example: छात्र “Biology + Economics” दोनों एक साथ पढ़ सकता है।
Meaning (अर्थ):
ECCE का मतलब है 3 से 8 वर्ष तक के बच्चों की देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा।
यह Foundational Stage की सबसे महत्वपूर्ण नींव है।
उद्देश्य:
बच्चे के शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक, और बौद्धिक विकास (Holistic Development) को बढ़ावा देना।
NEP 2020 के अनुसार:
ECCE को सभी बच्चों के लिए अनिवार्य बनाया गया है।
आंगनवाड़ी (Anganwadi) और प्राथमिक विद्यालय मिलकर यह शिक्षा देंगे।
सीखने का तरीका (Method):
Play-based Learning (खेल के माध्यम से सीखना)
Storytelling (कहानी सुनाकर सिखाना)
Music, Art & Movement गतिविधियाँ।
Example: बच्चे कविता “A for Apple” गाते हुए Alphabet सीखते हैं या गेंद फेंककर counting सीखते हैं।
Meaning (अर्थ):
Competency-Based Education (CBE) का मतलब है —
बच्चों का मूल्यांकन इस आधार पर करना कि वे क्या जान सकते हैं और क्या कर सकते हैं (What they know & can do)।
Traditional vs Competency-Based:
पहले केवल रटने (rote learning) पर जोर था।
अब Concept understanding + Application of knowledge पर जोर है।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features):
Learning Outcomes (सीखने के परिणाम) स्पष्ट रूप से निर्धारित किए जाते हैं।
हर बच्चे की गति और क्षमता (pace & ability) के अनुसार शिक्षण।
Assessment केवल परीक्षा नहीं, बल्कि बच्चे की वास्तविक समझ को मापता है।
Example in Classroom:
Science में केवल definition याद नहीं करनी, बल्कि यह दिखाना कि वह concept कैसे काम करता है (जैसे पौधे में जल परिवहन कैसे होता है)।
Benefit (लाभ):
बच्चों में Real-life skills (व्यावहारिक कौशल) और Problem-solving abilities बढ़ती हैं।
शिक्षा Outcome-oriented बनती है, न कि केवल Content-oriented।
NEP 2020: शिक्षा को आधुनिक, लचीला और बच्चा-केंद्रित बनाता है।
New Structure (5+3+3+4):
Foundational Stage (3–8 yrs) → खेल आधारित शिक्षा
Preparatory Stage (8–11 yrs) → गतिविधि आधारित शिक्षा
Middle Stage (11–14 yrs) → विषय आधारित शिक्षा
Secondary Stage (14–18 yrs) → बहुविषयक और लचीली शिक्षा
ECCE (Early Childhood Care & Education):
3–8 वर्ष के बच्चों की नींव मजबूत करने वाली खेल आधारित शिक्षा।
Competency-Based Education:
रटने की बजाय सीखने के परिणाम (Learning Outcomes) पर ध्यान।
उद्देश्य: “बच्चा क्या जानता है और उसे कैसे लागू कर सकता है।”
📖 CTET Tip:
NEP 2020 के प्रश्न CTET में बार-बार पूछे जाते हैं,
खासकर —
5+3+3+4 structure
ECCE का महत्व
Competency-based learning का मतलब
RTE Act 2009 का पूरा नाम है – Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009
(बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009)।
यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से पूरे भारत में लागू हुआ।
यह संविधान के अनुच्छेद 21A (Article 21A) के अंतर्गत आया,
जिसमें शिक्षा को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) घोषित किया गया।
यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि –
हर बच्चे को 6 से 14 वर्ष की आयु (Age Group) में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा मिले।
Main Motto (मुख्य उद्देश्य):
👉 “Every Child in School, Every Child Learning.”
(हर बच्चा स्कूल में हो, और हर बच्चा सीख रहा हो।)
Free Education (मुफ्त शिक्षा):
6 से 14 वर्ष के बच्चे को किसी भी सरकारी स्कूल में शिक्षा पूरी तरह नि:शुल्क (Free) मिलेगी।
माता-पिता को कोई फीस, यूनिफॉर्म या किताबों का खर्च नहीं देना होगा।
Example:
– अगर कोई बच्चा गरीब परिवार से है, तो उसे सरकारी स्कूल में किताबें और मिड-डे मील मुफ्त मिलेगा।
Compulsory Education (अनिवार्य शिक्षा):
यह राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकरण (Local Authority) की जिम्मेदारी (Responsibility) है कि
कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे।
अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं जा रहा है, तो सरकार उसे स्कूल में भर्ती करवाएगी।
Age Group:
RTE Act 2009 केवल 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों पर लागू होता है।
Education Level Covered:
Class 1 से Class 8 तक की शिक्षा इस कानून के अंतर्गत आती है।
हर बच्चे को नज़दीकी स्कूल (Neighbourhood School) में प्रवेश का अधिकार है।
स्कूल बच्चे के जाति, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर भेदभाव (Discrimination) नहीं कर सकता।
Example:
– अगर बच्चा झुग्गी क्षेत्र में रहता है, तो पास के सरकारी स्कूल में उसे प्रवेश देना अनिवार्य है।
RTE के अनुसार, किसी बच्चे को Class 1 से Class 8 तक फेल नहीं किया जाएगा (No Detention Policy)।
मतलब – बच्चे को बिना रोक-टोक अगली कक्षा में प्रमोट (Promote) किया जाएगा।
इसका उद्देश्य है कि बच्चा डर या दबाव के बिना (Without Fear or Stress) सीख सके।
Example:
– अगर बच्चा Class 5 में कमजोर है, तो उसे Class 6 में भेजा जाएगा, लेकिन शिक्षक Remedial Support देंगे।
(नोट: 2019 में Amendment के बाद राज्यों को अधिकार दिया गया कि वे Class 5 या 8 में परीक्षा ले सकते हैं और बार-बार असफल बच्चे को रोक सकते हैं।)
PTR (Pupil Teacher Ratio) का अर्थ है –
एक शिक्षक पर कितने छात्र होंगे (Ratio of Students per Teacher)।
RTE के अनुसार PTR:
Primary Level (Class 1–5): 30 : 1
Upper Primary (Class 6–8): 35 : 1
इसका उद्देश्य है कि हर बच्चे को व्यक्तिगत ध्यान (Individual Attention) मिले।
Example:
– अगर किसी स्कूल में 60 बच्चे हैं, तो वहाँ कम से कम 2 शिक्षक होने चाहिए।
सभी Private Unaided Schools को यह अनिवार्य किया गया है कि
वे 25% सीटें गरीब और कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए आरक्षित करें।
इन बच्चों की फीस सरकार द्वारा दी जाएगी।
Example:
– एक प्राइवेट स्कूल में 100 सीटें हैं तो 25 सीटें गरीब बच्चों के लिए होंगी।
हर स्कूल में निम्न सुविधाएँ होना अनिवार्य हैं:
साफ पानी
Separate toilets (Girls & Boys)
Playground (खेल का मैदान)
Classrooms with blackboard
Library (पुस्तकालय)
इससे बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण (Safe & Supportive Environment) बनता है।
RTE के अनुसार, शिक्षा बच्चा-केंद्रित (Child-Centered) और गतिविधि आधारित (Activity-Based) होनी चाहिए।
बच्चों का मूल्यांकन CCE – Continuous and Comprehensive Evaluation प्रणाली से किया जाएगा।
Corporal Punishment (शारीरिक दंड) पूरी तरह प्रतिबंधित है।
Example:
– शिक्षक बच्चों को पिटाई करने के बजाय उन्हें समझाकर सुधारें।
शिक्षक का कार्य है –
बच्चों को सीखने के अवसर देना।
CCE के अनुसार मूल्यांकन करना।
नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना।
शिक्षक को किसी गैर-शैक्षिक कार्य (Non-educational work) जैसे जनगणना या चुनाव में सीमित समय तक ही लगाया जा सकता है।
RTE Act 2009: शिक्षा को मौलिक अधिकार (Article 21A) बनाया गया।
Age Group: 6 से 14 वर्ष।
Classes Covered: 1 से 8।
Free & Compulsory Education: बच्चों के लिए बिना शुल्क शिक्षा।
No Detention Policy: Class 1–8 तक किसी को फेल नहीं किया जाएगा।
PTR: Primary – 30:1, Upper Primary – 35:1।
25% Reservation: Private schools में गरीब बच्चों के लिए।
CCE: सतत और व्यापक मूल्यांकन प्रणाली लागू।
No Corporal Punishment: बच्चों के साथ सम्मानजनक व्यवहार।
📖 CTET Exam Tips:
RTE से हर साल प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे —
➤ RTE Act लागू वर्ष
➤ PTR का अनुपात
➤ Free & Compulsory का अर्थ
➤ 25% Reservation का उद्देश्य
➤ No Detention Policy क्या है
Kothari Commission का पूरा नाम है – Education Commission (1964–66)।
इसे 1964 में भारत सरकार ने नियुक्त किया और इसके Chairman Dr. D. S. Kothari थे (जो उस समय UGC के अध्यक्ष थे)।
इसका उद्देश्य था – भारत की पूरी शिक्षा व्यवस्था (Education System) की समीक्षा करना और उसे सुधारना।
इस रिपोर्ट को 1966 में प्रस्तुत किया गया, और इसमें “Education and National Development” पर ज़ोर दिया गया।
National System of Education (राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था) बनाना।
शिक्षा को समानता (Equality) और गुणवत्ता (Quality) के साथ सब तक पहुँचाना।
शिक्षा को देश के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास (National Development) से जोड़ना।
सभी बच्चों के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Equal Quality Education) की व्यवस्था हो।
अमीर और गरीब बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ें।
👉 Example: सरकारी और निजी स्कूलों के बीच की खाई को कम करना।
Kothari Commission ने पहली बार 10+2+3 Structure की सिफारिश की:
10 साल की सामान्य शिक्षा,
2 साल की वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा (Senior Secondary),
3 साल का कॉलेज शिक्षा।
👉 यह संरचना आज भी भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधार है।
विद्यार्थियों को तीन भाषाएँ सीखनी चाहिए:
1️⃣ मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा
2️⃣ हिंदी
3️⃣ अंग्रेज़ी
👉 Purpose: राष्ट्रीय एकता (National Integration) और संचार कौशल (Communication Skills) को बढ़ाना।
शिक्षा को रोज़गार से जोड़ने (Employment-Oriented) की सिफारिश की गई।
👉 Example: स्कूल स्तर पर कारीगरी, कृषि या तकनीकी कौशल सिखाना।
शिक्षक की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया।
In-service Training और Professional Development पर बल दिया गया।
विज्ञान को शिक्षा का मुख्य अंग बनाया जाए।
साथ ही मूल्य शिक्षा (Value Education) और नैतिकता (Morality) को भी जोड़ा जाए।
शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण (Nation Building) होना चाहिए।
“Education for National Development”
(शिक्षा का लक्ष्य केवल डिग्री नहीं, बल्कि देश की प्रगति है।)
NPE 1986 को राजीव गांधी सरकार ने लागू किया था।
इसका उद्देश्य था – समान अवसर (Equal Opportunity), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) और महिलाओं व पिछड़े वर्गों की शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
बाद में इसे 1992 में संशोधित (Revised) किया गया था।
Education for All (सर्व शिक्षा का अधिकार)
हर बच्चे को शिक्षा का अवसर देना।
खासकर लड़कियाँ, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़े वर्गों के बच्चों को विशेष सहायता।
Child-Centered Approach (बाल-केंद्रित शिक्षा)
शिक्षा को बच्चों की रुचि, अनुभव और गति के अनुसार बनाना।
👉 Example: बच्चे की सीखने की गति के अनुसार कार्य देना।
Value-Based & Life-Oriented Education
शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि अच्छा नागरिक बनाना है।
Early Childhood Care & Education (ECCE)
0–6 वर्ष के बच्चों के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (Pre-Primary Education) और आंगनवाड़ी जैसी व्यवस्थाएँ विकसित करना।
Adult & Continuing Education (वयस्क शिक्षा)
जो व्यक्ति स्कूल नहीं जा पाए, उन्हें साक्षर (Literate) बनाना।
Teacher Education (शिक्षक शिक्षा)
शिक्षकों को पेशेवर रूप से प्रशिक्षित (Professionally Trained) बनाना।
शिक्षक को “Agent of Social Change” (सामाजिक परिवर्तन का माध्यम) कहा गया।
National System of Education
पूरे देश में शिक्षा के मानक एक समान रखने की नीति।
Use of Technology in Education (शिक्षा में तकनीक का उपयोग)
शिक्षा में Radio, Television, Computer, Satellite का प्रयोग बढ़ाने की सिफारिश।
Education for Women’s Equality (महिला शिक्षा पर बल)
Environmental Education (पर्यावरण शिक्षा)
Inclusive Education (समावेशी शिक्षा) – सभी बच्चों को एक साथ शिक्षा देना, विशेषकर दिव्यांग बच्चों को।
Curriculum Reform (पाठ्यक्रम सुधार) – शिक्षा को अधिक गतिविधि आधारित (Activity-Oriented) बनाना।
“Education for All (Sabko Shiksha, Achhi Shiksha)”
Kothari Commission (1964–66): सिफारिशें दीं कि शिक्षा कैसी होनी चाहिए।
NPE 1986/1992: उन सिफारिशों को नीति (Policy) के रूप में लागू किया गया।
Kothari Commission (1964–66):
Chairman: Dr. D. S. Kothari
Motto: Education for National Development
10+2+3 Pattern
Common School System
Three Language Formula
Vocational & Science Education
Teacher Training Emphasized
NPE 1986 (Revised 1992):
Motto: Education for All
Focus on Equality, Quality & Child-Centered Education
ECCE (Early Childhood Care and Education)
Women, SC/ST, and Disabled Education
Technology & Environmental Education
Teacher as Social Change Agent
Kothari Commission → Dr. D. S. Kothari, 1964–66, 10+2+3, Three Language Formula
NPE 1986 → Education for All, Equality, Child-Centered, ECCE, Women Empowerment
NPE 1992 → Revised version with added focus on vocational & technological education
Remember both worked towards Universal Access, Equality, and Quality Education.
(“Education for All” – सभी के लिए शिक्षा)
Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) भारत सरकार का एक मुख्य कार्यक्रम (Flagship Programme) है।
इसे 2001 में शुरू किया गया था।
उद्देश्य था — 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा (Free & Compulsory Education) उपलब्ध कराना।
यह RTE Act 2009 के लागू होने का आधार (foundation) बना।
Universal Access (सार्वभौमिक पहुँच) – हर बच्चे तक स्कूल पहुँचाना।
Universal Retention (सभी बच्चों को स्कूल में बनाए रखना) – बच्चे बीच में स्कूल न छोड़ें।
Quality Education (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) – सीखने की गुणवत्ता बढ़ाना।
Gender Equality (लैंगिक समानता) – लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान।
Inclusive Education (समावेशी शिक्षा) – दिव्यांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा देना।
School Infrastructure Development – नए स्कूल बनाना, पुराने स्कूल सुधारना।
👉 Example: गाँवों में अतिरिक्त कक्षा-कक्ष (classrooms) बनाना।
Teacher Appointment & Training – पर्याप्त शिक्षक नियुक्त करना और उन्हें प्रशिक्षण देना।
Bridge Courses / Remedial Teaching – जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, उन्हें दोबारा जोड़ने के लिए विशेष कक्षाएँ।
Community Participation (सामुदायिक भागीदारी) – शिक्षा में अभिभावकों और समाज की भागीदारी बढ़ाना।
👉 Example: स्कूल प्रबंधन समिति (School Management Committee - SMC) का गठन।
Girl Child Education – ‘NPEGEL’ और ‘KGBV (Kasturba Gandhi Balika Vidyalaya)’ जैसी योजनाएँ SSA के अंतर्गत चलाई गईं।
“Sabko Shiksha, Achhi Shiksha (Education for All, Quality Education for All)”
(“Holistic Education Programme” – एकीकृत शिक्षा अभियान)
Samagra Shiksha 2018 में शुरू की गई एक Integrated Scheme (एकीकृत योजना) है।
इसमें तीन योजनाओं को मिलाया गया:
Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) – प्राथमिक शिक्षा (Class I–VIII)
Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan (RMSA) – माध्यमिक शिक्षा (Class IX–XII)
Teacher Education (TE) – शिक्षक प्रशिक्षण
👉 इसका मतलब है – अब Pre-school से Class 12 तक की शिक्षा एक योजना के अंतर्गत आती है।
Holistic Development (समग्र विकास) – बच्चे के सर्वांगीण विकास पर ध्यान।
Quality Improvement (गुणवत्ता सुधार) – शिक्षा को अधिक प्रभावशाली और व्यावहारिक बनाना।
Digital & Smart Learning (डिजिटल शिक्षा) – तकनीक का उपयोग बढ़ाना।
👉 Example: स्मार्ट क्लास, ई-पाठशाला, DIKSHA App।
Inclusive Education (समावेशी शिक्षा) – दिव्यांग, गरीब, और वंचित वर्गों के बच्चों को मुख्यधारा में लाना।
Pre-school to Senior Secondary (3–18 वर्ष आयु तक) – पूरे बच्चे के शिक्षा जीवन को कवर करना।
Teacher Empowerment (शिक्षक सशक्तिकरण) – निरंतर प्रशिक्षण (Continuous Professional Development) पर ज़ोर।
Foundational Literacy & Numeracy (FLN) – बच्चों को प्रारंभिक पढ़ने-लिखने और गणना करने की क्षमता देना।
👉 Example: NEP 2020 के तहत “NIPUN Bharat” कार्यक्रम।
Sports & Arts Integration – खेल और कला को शिक्षा से जोड़ना ताकि शिक्षा रोचक बने।
Gender Inclusion (लिंग समानता) – बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा और नेतृत्व पर विशेष बल।
Learning Outcomes Based Education – शिक्षा में परिणामों पर फोकस करना (Competency-based Learning)।
“Sabko Shiksha, Achhi Shiksha – Ek Samagra Drishtikon ke Saath (Education for All with an Integrated Approach)”
यह कानून दिव्यांग व्यक्तियों (Persons with Disabilities) के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया।
इसे 2016 में पारित (Passed) किया गया और 2017 में लागू (Implemented) हुआ।
यह PWD Act 1995 की जगह लाया गया।
Equality & Dignity (समानता और गरिमा) – सभी दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर मिले।
Inclusive Education (समावेशी शिक्षा) – दिव्यांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में पढ़ने का अधिकार।
Barrier-Free Environment (बाधा रहित वातावरण) – स्कूलों, भवनों, और परिवहन में दिव्यांग-अनुकूल सुविधाएँ।
Employment Opportunities (रोज़गार अवसर) – दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण।
Awareness Generation (जागरूकता फैलाना) – समाज में दिव्यांगता के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना।
Disabilities की संख्या बढ़ाई गई — पहले 7 थी, अब 21 प्रकार की Disabilities को शामिल किया गया।
👉 Examples: Blindness, Hearing Impairment, Autism, Cerebral Palsy, Learning Disability आदि।
Education Rights (शिक्षा का अधिकार):
हर दिव्यांग बच्चे को 18 वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा (Free Education) का अधिकार।
Special Educators, Resource Rooms, और Assistive Devices की व्यवस्था।
Reservation in Higher Education & Jobs:
4% आरक्षण उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में।
Penalties:
दिव्यांगों के प्रति भेदभाव करने पर दंड का प्रावधान।
👉 Example: एक दृष्टिबाधित (visually impaired) बच्चा जब सामान्य स्कूल में Braille Books और Talking Software की मदद से पढ़ता है — तो यह Inclusive Education का उदाहरण है।
Aim: 6–14 वर्ष तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा
Focus: Access, Retention, Quality
Girl Education: KGBV, NPEGEL
Inclusive Education: दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा में लाना
Base for RTE Act 2009
Integrated Scheme: SSA + RMSA + Teacher Education
Covers: Pre-school to Class 12 (3–18 वर्ष)
Focus: Holistic Development, Digital Learning, Inclusive Education
Linked with NEP 2020 & NIPUN Bharat
Teacher Empowerment & Learning Outcomes
Replaced: PWD Act 1995
Covers: 21 Disabilities
Free Education up to 18 years
Inclusive Education & Equal Opportunity
Reservation: 4% in higher education & jobs
SSA → 2001 → “Education for All” → Base of RTE Act
Samagra Shiksha → 2018 → “Pre-School to Class 12” → Integrated Education Scheme
RPWD Act → 2016 → 21 Disabilities, Inclusive Education, Equality & Dignity
Learning Outcomes (सीखने के प्रतिफल) का मतलब है —
👉 “बच्चे ने वास्तव में क्या सीखा और वह उसे कैसे दिखा सकता है।”
यानी — सीखने की प्रक्रिया का अंतिम परिणाम (Result of Learning Process)।
NCERT (2017) ने पूरे देश के लिए Learning Outcomes Framework तैयार किया ताकि यह तय किया जा सके कि
हर कक्षा के अंत तक बच्चा क्या जानता है, क्या कर सकता है, और कैसा व्यवहार दिखाता है।
Learning Outcomes यह बताते हैं कि –
“बच्चे की सीख (Learning) को मापने का सही तरीका परीक्षा नहीं बल्कि उसका प्रदर्शन (Performance) है।”
Learning Outcomes वे स्पष्ट कथन (Clear Statements) हैं जो बताते हैं कि —
विद्यार्थी किसी विषय या कक्षा के अंत तक क्या जानने, करने और समझने में सक्षम होना चाहिए।
यह सीखने की गुणवत्ता (Quality) को दर्शाते हैं, केवल अंकों (Marks) को नहीं।
इनका ध्यान “Understanding + Application + Skill” तीनों पर होता है।
👉 Example:
अगर Class 3 के बच्चे को “घड़ी पढ़ना” सिखाया गया है, तो Learning Outcome होगा —
“बच्चा समय बता सके, दिन और रात का फर्क समझ सके।”
Uniform Standard (समान मानक):
पूरे देश में सीखने का एक समान स्तर तय करने के लिए।
👉 हर राज्य और स्कूल एक ही Learning Benchmark (मापदंड) अपनाए।
Teacher Guidance (शिक्षक को दिशा):
शिक्षक को पता होता है कि किस कक्षा में बच्चे से क्या अपेक्षित है।
Assessment को सरल बनाना:
अब मूल्यांकन केवल अंक देने तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चे की सीखने की प्रगति (Progress) को देखना भी शामिल है।
Learning Gaps पहचानने में मदद:
कौन से बच्चे पीछे हैं, यह पहचानने और Remedial Teaching (सुधारात्मक शिक्षा) देने में सहायता।
Accountability (उत्तरदायित्व):
शिक्षक, विद्यालय और शिक्षा प्रणाली — सभी अपनी जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से समझ पाते हैं।
Observable & Measurable (देखे और मापे जा सकने वाले):
बच्चा अपने सीखे हुए को व्यवहार या काम के रूप में दिखा सके।
👉 Example: “बच्चा कहानी अपने शब्दों में सुना सके।”
Student-Centered (विद्यार्थी-केंद्रित):
यह इस बात पर आधारित है कि बच्चा क्या कर सकता है, न कि शिक्षक क्या पढ़ाता है।
Activity-Based (क्रियात्मक):
बच्चे को करते-करते सीखने (Learning by Doing) का मौका दिया जाता है।
👉 Example: Science में प्रयोग कराना या गणित के लिए माप-तौल गतिविधि करवाना।
Continuous Learning Check:
शिक्षक लगातार बच्चे की प्रगति देख सकता है।
Competency-Based (क्षमतानुसार शिक्षा):
बच्चा Concept (अवधारणा) को कितना समझ पाया है, उस पर ध्यान दिया जाता है।
बच्चा अपनी भाषा में कहानी, कविता या अनुच्छेद समझ सके और सुनाकर बता सके।
Example: कहानी सुनने के बाद अपने शब्दों में सार बताना।
बच्चा संख्याएँ, माप, पैटर्न और आकृतियाँ (shapes) पहचान सके।
Example: Class 2 में बच्चा वस्तुओं को गिन सके और जोड़-घटाना कर सके।
बच्चा परिवार, परिवेश, पौधों-पशुओं, स्वास्थ्य आदि की समझ विकसित करे।
Example: "मेरे घर का नक्शा बनाओ" – स्थानिक समझ (spatial understanding) का प्रदर्शन।
बच्चा निरीक्षण, प्रयोग और निष्कर्ष निकालने की क्षमता विकसित करे।
Example: “पौधों को धूप क्यों चाहिए?” इसका सरल प्रयोग कर समझाना।
बच्चा इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र से जुड़ी घटनाओं का संबंध वर्तमान जीवन से जोड़ सके।
Example: “मेरे गाँव में कौन-सी सेवाएँ हैं और उनका महत्व क्या है?”
NCERT ने Class I से VIII तक के लिए Learning Outcomes निर्धारित किए।
यह Outcomes Subject-wise और Class-wise बनाए गए हैं।
इन Outcomes को Teacher’s Handbook के रूप में सभी राज्यों में वितरित किया गया।
हर Outcome के साथ Illustrative Activities (उदाहरणात्मक गतिविधियाँ) दी गई हैं, ताकि शिक्षक समझ सके कि बच्चे ने Outcome हासिल किया या नहीं।
Learning Outcomes का उद्देश्य — Competency-Based Education (कौशल-आधारित शिक्षा) लागू करना है।
Lesson Plan बनाते समय शिक्षक Outcomes को ध्यान में रखता है।
Activities & Projects उसी Outcome को प्राप्त करने के लिए तैयार किए जाते हैं।
Assessment (मूल्यांकन) अब यह जांचने के लिए होता है कि Outcome पूरा हुआ या नहीं।
Remedial Support: अगर Outcome पूरा नहीं हुआ, तो अतिरिक्त सहायता दी जाती है।
Parent-Teacher Meetings (PTM): बच्चों की प्रगति को Outcomes की भाषा में समझाया जाता है।
Outcome: “बच्चा 100 तक की संख्याओं को पढ़ और लिख सके।”
Activity: बच्चों को कार्ड गेम या नंबर चार्ट खेल खिलाना।
Assessment: बच्चा कार्ड देखकर संख्या बोले — Outcome Achieved ✅
Outcome-oriented Planning: पाठ योजना (Lesson Plan) में हर Outcome स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए।
Differentiated Instruction: हर बच्चे की सीखने की गति अलग होती है; शिक्षक उसी अनुसार पढ़ाता है।
Observation-based Evaluation: परीक्षा से ज्यादा शिक्षक का निरीक्षण (Observation) महत्वपूर्ण है।
Feedback & Reinforcement: बच्चे को सकारात्मक प्रतिक्रिया देकर उसे सुधार का मौका देना।
Use of TLM (Teaching-Learning Materials): Charts, Flashcards, Manipulatives आदि का उपयोग।
Learning Outcomes (LOs):
→ “बच्चे ने क्या सीखा, और उसे कैसे दिखा सकता है।”
Introduced by NCERT (2017):
→ Class I–VIII के लिए Subject-wise Outcomes तय किए गए।
Main Aim:
→ “Uniform & Competency-based Learning across India.”
Key Features:
→ Observable, Measurable, Activity-based, Child-centered.
Helps Teachers:
→ Lesson Planning, Continuous Assessment, Identifying Learning Gaps.
Use in Classroom:
→ Learning Outcomes को ध्यान में रखकर Teaching, Activity, Assessment की योजना बनाना।
Focus Shift:
→ Marks → Skills, Concepts, and Application.
📌 CTET में “Learning Outcomes” से सवाल अक्सर “teacher की भूमिका” या “Outcome-based assessment” पर आता है।
याद रखो —
“Assessment का असली उद्देश्य Outcome को मापना है, न कि बच्चे को Judge करना।”
Child Rights (बाल अधिकार) का मतलब है —
ऐसे अधिकार जो हर बच्चे को सम्मानजनक जीवन (Dignified Life) जीने, सीखने, सुरक्षित रहने और अपनी बात कहने का मौका देते हैं।
UNCRC (United Nations Convention on the Rights of the Child) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता (International Agreement) है,
जिसे 1989 में अपनाया गया और भारत ने 1992 में इसे स्वीकार (Ratify) किया।
यह बच्चों के अधिकारों को वैश्विक स्तर पर सुरक्षित और समान रूप से लागू करने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
बच्चों के लिए समान अवसर (Equal Opportunities) सुनिश्चित करना।
बच्चों को भेदभाव, शोषण, हिंसा और उपेक्षा (Neglect) से बचाना।
प्रत्येक बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देना।
बच्चों को एक सुरक्षित, पोषक और सहभागिता आधारित वातावरण (Supportive Environment) में बढ़ने का मौका देना।
UNCRC ने बच्चों के अधिकारों को चार मुख्य समूहों में बाँटा है —
(a) Survival, (b) Protection, (c) Development, (d) Participation
हर बच्चे को जीवित रहने (To Live), स्वास्थ्य सेवाएँ (Healthcare), पोषण (Nutrition) और आवास (Shelter) का अधिकार है।
जन्म के बाद प्रत्येक बच्चे को टीकाकरण (Immunization) और स्वच्छ वातावरण मिलना चाहिए।
यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि कोई भी बच्चा भूख, बीमारी या उपेक्षा के कारण न मरे।
👉 Example:
सरकार द्वारा चलाए गए “आंगनवाड़ी केंद्र”, “मिड-डे मील योजना” आदि इस अधिकार को लागू करने के तरीके हैं।
बच्चे को शोषण (Exploitation), दुरुपयोग (Abuse), बाल श्रम (Child Labour) और बाल विवाह (Child Marriage) से सुरक्षा का अधिकार है।
बच्चों को युद्ध, अपराध, हिंसा और लिंग आधारित भेदभाव से भी बचाया जाना चाहिए।
यह अधिकार बच्चे को सुरक्षित वातावरण में जीने और सीखने की गारंटी देता है।
👉 Example:
POCSO Act (2012) – बच्चों को यौन शोषण से सुरक्षा देता है।
Child Labour (Prohibition & Regulation) Act, 1986 – बच्चों से काम करवाना प्रतिबंधित करता है।
बच्चे के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक विकास (Holistic Development) का अधिकार।
हर बच्चे को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Free & Quality Education) मिलनी चाहिए।
खेल, कला, संगीत, रचनात्मकता, और सोचने की आज़ादी — बच्चे के विकास का हिस्सा हैं।
👉 Example:
RTE Act 2009 (Right to Education) – 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देता है।
स्कूलों में कला, खेल और सह-शैक्षणिक गतिविधियाँ (Co-curricular activities) इस अधिकार का हिस्सा हैं।
बच्चे को अपनी राय (Opinion) रखने और अपने जीवन से जुड़ी बातों में भाग लेने (Participation) का अधिकार है।
शिक्षक और अभिभावकों को बच्चे की आवाज़ सुननी (Listening to the Child) चाहिए।
यह अधिकार बच्चे को आत्मविश्वासी और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करता है।
👉 Example:
कक्षा में क्लास मॉनिटर चुनना, डिबेट प्रतियोगिता, या बाल संसद (School Parliament) – ये सब Participation का उदाहरण हैं।
यह 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों पर लागू होता है।
इसमें कुल 54 Articles (अनुच्छेद) हैं जो बच्चे के जीवन के हर पहलू को कवर करते हैं।
हर सदस्य देश को यह सुनिश्चित करना होता है कि ये अधिकार उनके देश के कानूनों और नीतियों में लागू हों।
यह समझौता बच्चों को केवल “सहायता के पात्र” नहीं बल्कि “अधिकार धारक (Rights Holders)” मानता है।
Equality in Classroom:
शिक्षक को हर बच्चे को समान सम्मान देना चाहिए, चाहे उसका लिंग, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
Safe Environment:
स्कूल एक ऐसा स्थान हो जहाँ बच्चा सुरक्षित महसूस करे — कोई भेदभाव या हिंसा न हो।
Participation Opportunities:
शिक्षक बच्चों को बोलने, चर्चा करने, और फैसले में शामिल होने का मौका दे।
👉 Example: बच्चों से “क्लास रूल्स” बनाने में राय लेना।
Protection from Bullying:
किसी बच्चे का मज़ाक उड़ाया जाए तो शिक्षक तुरंत हस्तक्षेप करे।
Encouraging Development:
हर बच्चे की अलग क्षमता (Individual Ability) को पहचानकर प्रोत्साहित करना।
Reporting & Referral:
अगर किसी बच्चे पर abuse या neglect का संदेह हो, तो शिक्षक को इसे संबंधित child protection authority को रिपोर्ट करना चाहिए।
Right to Education (RTE) Act, 2009 – शिक्षा का अधिकार।
Juvenile Justice Act, 2015 – अपराध और सुरक्षा से जुड़े बच्चों के लिए न्याय व्यवस्था।
POCSO Act, 2012 – यौन शोषण से सुरक्षा।
Child Labour Act, 1986 (Amendment 2016) – बाल श्रम पर प्रतिबंध।
National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR), 2007 – बाल अधिकारों की निगरानी संस्था।
हर बच्चे के साथ सम्मानजनक व्यवहार (Respectful Interaction) करें।
बच्चे को सुनें, समझें और मार्गदर्शन दें (Guidance & Listening)।
Corporal Punishment (शारीरिक दंड) कभी न दें।
बच्चों की गोपनीयता (Privacy) बनाए रखें।
Inclusive Classroom (समावेशी कक्षा) बनाएँ जहाँ हर बच्चा सहज महसूस करे।
UNCRC (1989):
→ United Nations Convention on the Rights of the Child
→ भारत ने 1992 में स्वीकार किया।
चार मुख्य अधिकार:
1️⃣ Survival – जीवन, स्वास्थ्य, पोषण
2️⃣ Protection – शोषण व हिंसा से सुरक्षा
3️⃣ Development – शिक्षा व विकास के अवसर
4️⃣ Participation – निर्णयों में शामिल होने का अधिकार
मुख्य उद्देश्य:
→ बच्चों के लिए समान, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना।
Teacher की भूमिका:
→ समानता, सुरक्षा, सहभागिता और सहयोगपूर्ण वातावरण बनाना।
महत्वपूर्ण भारतीय कानून:
→ RTE 2009, JJ Act 2015, POCSO 2012, NCPCR 2007
📌 अक्सर CTET में प्रश्न पूछा जाता है —
“UNCRC के 4 मुख्य अधिकार क्या हैं?”
याद रखो —
👉 SPDP = Survival, Protection, Development, Participation
(Mnemonic: “Small People Deserve Protection”)